0 0
Read Time:4 Minute, 14 Second

डिजिटल भारत l एक महिला के रेप और ब्लैकमेलिंग का अभियुक्त ज़मानत रद्द किए जाने के बाद अदालत के कमरे से फ़रार होने के लिए दौड़ लगा देता है.

मुल्ज़िम के पीछे महिला पुलिस अधिकारी ने दौड़ लगा दी. इससे पहले कि जवान मुल्ज़िम दूसरी मंज़िल की सीढ़ियां उतर कर ग़ायब होता, उससे पहले ही अधिकारी ने उसे दबोच लिया

मुल्ज़िम ने छूटने की पूरी कोशिश की. पुलिस अधिकारी को चोट भी लगी मगर उसने मुल्ज़िम के हाथ कमर की तरफ़ मोड़ दिए और वहां मौजूद लोगों में से एक से चादर लेकर हाथों को मज़बूती से बांध दिया
अदालत परिसर में कई लोग ये देखकर दंग रह गए.

सिब्तैन शाह ने यह घटना अपनी आंखों के सामने देखी तो उन्हें भी यही लग रहा था कि मुल्ज़िम महिला पुलिस अफ़सर की पकड़ से भाग जाएगा.

वे कहते हैं, “वैसे भी एक महिला के लिए एक युवा मर्द को क़ाबू में रखना मुश्किल होता है मगर हैरत है कि महिला अफ़सर ने मुल्ज़िम को अपनी पकड़ से निकलने न दिया.”

एक और चश्मदीद गवाह सुल्तान महमूद कहते हैं कि बेहद बहादुर महिला अफ़सर ने अकेले दम पर मुल्ज़िम को पहले दीवार के साथ धक्का देखकर दबोचा और फिर उसके हाथ कसकर बांधकर अदालत से बाहर भी लेकर गईं.

“उसको चोट भी लगी मगर उसने परवाह न की. ऊपरी तौर पर यह अविश्वसनीय लगता है मगर यह सब हमारी आंखों के सामने हुआ.”
कौन है यह बहादुर महिला ऑफ़िसर ?
सोशल मीडिया पर भी इस महिला अफ़सर की हिम्मत की ख़ूब तारीफ़ हुई है.

राना बिलाल ने लिखा, “पुलिस के आला अफ़सरों को ऐसी बहादुर बेटियों का हौसला बढ़ाना चाहिए”

जबकि सादिया कहती हैं, “हमारी ताक़त का अंदाज़ा है ही नहीं किसी को.”

यह ज़िला हाफ़िज़ाबाद की सब इंस्पेक्टर महविश असलम हैं जो इस समय अनुसंधान विभाग में सेवाएं दे रही हैं.

वह अपने ज़िले की पहली महिला पुलिस अफ़सरों में शामिल हैं.

उन्होंने बीबीसी से बात करते हुए बताया कि उस आदमी पर एक महिला के रेप और ब्लैकमेलिंग का आरोप है.

महविश ने कहा, “मैं लंबे अरसे से उसका पीछा कर रही थी. अगर वह अब फ़रार हो जाता तो शायद उसको जल्द पकड़ना मुमकिन न होता. इसलिए मैंने कुछ सोचे समझे बिना पल भर में फ़ैसला किया कि उसको हर स्थिति में पकड़ना है चाहे कुछ भी हो जाए.”
उनका कहना था, “मुझे लगा कि अगर यह लाहौर हाई कोर्ट से फ़रार हो जाता तो फिर यह दोबारा कोई न कोई चक्कर चलाता और अपनी पहुंच-पैरवी इस्तेमाल करता. वैसे भी ऐसे मुल्ज़िम किसी रियायत के लायक नहीं होते. उनको हर हाल में अदालत का सामना करना चाहिए.”

मगर महविश ने अकेले उस मुल्ज़िम को कैसे क़ाबू किया?

इस सवाल पर वह बताती हैं, “ऊपर से देखने से मुल्ज़िम मुझसे ताक़तवर लगता है मगर मैं जानती हूं कि मेरे साथ सच की ताक़त थी और मेरे पास ऐसा जज़्बा था कि मैंने मुल्ज़िम को फ़रार नहीं होने दिया.”

महिला अफ़सर बताती हैं, “हमें अतीत में ऐसा सुनने को मिला है कि मुल्ज़िम अदालत के अहाते में ही पुलिस से ख़ुद को छुड़ा कर भाग गया और अब पुलिस को उसकी दोबारा तलाश है.”

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %
इस खबर को साझा करें