डिजिटल भारत l श्रीकृष्ण की नगरी कहा जाने वाला श्रीधाम वृन्दावन एक अत्यन्त पवित्र, प्राचीन एवं रहस्यमयी स्थान है. यहां आज भी अनेकों-अनेक ऐसे स्थान हैं, जो अभी भी श्रीकृष्ण की मोहिनी लीलाओं के साक्षी हैं और उनकी वास्तविकता का सबूत देते हैं. उन्ही में से एक मनोरम स्थल है निधिवन, जहां आज भी श्रीकृष्ण राधारानी एवं अन्य गोपियों के साथ नित्य प्रति रात्रि में रास रचाने आते हैं. आइये जानते हैं निधिवन से जुड़ा यह रोचक प्रसंग.
पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि श्री निधिवनराज यमुना जी के निकट स्थित एक बहुत ही रमणिक स्थान है, यहां की सुंदरता देखते ही बनती है. यहां तुलसी के बड़े-बड़े वृक्ष उपस्थित हैं, इतने बड़े तुलसी के वृक्ष सम्पूर्ण विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलते. मान्यता है कि यह कोई साधारण वृक्ष नहीं अपितु स्वयं ब्रज गोपियां हैं और यही नित्य रात्रि में अपने वास्तविक स्वरूप में आकर श्रीकृष्ण एवं श्रीजी के साथ रास में भाग लेती हैं. इनका विशेष आकार इस मान्यता को सिद्ध करता हुआ मालूम पड़ता है.
निधिवन का रहस्य
पेड़ बन जाते हैं गोपियाँ
यहाँ आप जो भी पेड़ देखेंगे वे अपने आप में विचित्र हैं। सभी पेड़ो की शाखाएं सीधी ना होकर मुड़ी हुई हैं। सामान्यतया विश्व में सभी पेड़ों की शाखाएं नीचे से ऊपर की ओर जाती हैं किन्तु निधिवन में सभी पेड़ों की शाखाएं ऊपर से नीचे की और जाती हैं।यह चीज़ अपने आप में ही विचित्र हैं।
मान्यता हैं कि सूर्यास्त के बाद पेड़ों की यही शाखाएं गोपियों में परिवर्तित हो जाती हैं जिनके साथ भगवान श्री कृष्ण रासलीला रचाते हैं। सूर्योदय होने से पहले ही वे पुनः अपने रूप में आ जाती हैं।
जोड़ो में हैं तुलसी के पौधे
यहाँ आपको असंख्य तुलसी के पौधे मिल जाएंगे लेकिन जो बात आश्चर्यजनक हैं वह यह हैं कि कोई भी तुलसी का पौधा अकेला नही हैं अर्थात हर तुलसी के साथ एक और तुलसी का पौधा हैं। यहाँ आपको कोई भी तुलसी का पौधा अकेला नही दिखाई देगा क्योंकि सभी तुलसी के पौधे जोड़ों में हैं जो श्रीकृष्ण व राधा के प्रेम को रेखांकित करते हैं। तुलसी के पेड़ो का ऐसा संगम आपको केवल इसी वन में देखने को मिलेगा।
रंग महल
इन सबके अलावा यहाँ एक रंग महल भी है जहाँ माता राधा रानी के साज-सज्जा का सामान चढ़ाया जाता हैं। इसे विशेषकर महिलाएं चढ़ाती हैं। कहते हैं कि रासलीला के समय भगवान कृष्ण इसी रंग महल में विश्राम करते हैं। इसलिए सूर्यास्त से पहले कृष्ण जी के लिए बिस्तर सजाया जाता हैं व एक लौटा पानी, दातुन, पान व अन्य सामान रख दिया जाता हैं। सुबह के समय जब रंग महल के द्वार खोले जाते हैं तो सब सामान इस्तेमाल किया हुआ मिलता है व बिस्तर पर भी सलवटे आई हुई होती हैं जैसे कि इस पर कोई बैठा था।
शाम के समय निधिवन जाने की है मनाही
यह भक्तों के लिए केवल दिन में ही खुला रहता हैं। सूर्योदय से पहले व सूर्यास्त के बाद यहाँ किसी को भी जाने की बिल्कुल मनाही हैं। सूर्यास्त से पहले ही इस वन को खाली करवा कर बंद कर दिया जाता है। सूर्यास्त से पहले मंदिर के पुजारी भी यह जगह छोड़कर चले जाते हैं। आपको दिन में कई पक्षी व बंदर इस वन में दिख जाएंगे किन्तु शाम होने के साथ-साथ वे भी इस वन को छोड़कर चले जाते हैं।
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि रात्रि होते ही यहाँ स्वयं भगवान श्री कृष्ण अवतार लेते है और गोपियों के संग रासलीला रचाते हैं। कहते हैं कि जो कोई भी चोरी चुपके यहाँ रात को रुका, अगले दिन या तो उसकी मृत्यु हो गयी या उसका मानसिक संतुलन बिगड़ा हुआ था। कुछ लोग तो अंधे, बहरे व गूंगे भी हो गए थे। इसलिये यहाँ रात को किसी के भी रुकने की मनाही हैं।
जब आप निधिवन देखने जाएंगे तब आसपास के घरों को देखकर आपके मन में एक बात और आएगी कि इन घरों की छत या बालकनी से रात में निधिवन का नजारा देखा जा सकता हैं। लेकिन आश्चर्य की बात यह हैं कि सूर्यास्त के बाद निधिवन में इतना गहरा अँधेरा हो जाता है और साथ ही वहां के पेड़ों पर एक धुंधली सफेद परत छा जाती हैं जिससे निधिवन के अंदर की कोई भी गतिविधि को उन घरों से भी नही देखा जा सकता हैं।
इसका प्रमाण देखने के लिए आप सुबह 5 बजे निधिवन पहुँच जाए जब सूर्योदय नही हुआ होता हैं। उस समय आप निधिवन के बाहर के पेड़ों को भी देख लीजियेगा, आपको समझ आ जाएगा। आप वही खड़े रहिएगा और सूर्योदय होने और रोशनी आने की प्रतीक्षा कीजियेगा। जैसे ही सूर्योदय हो जाएगा, तब एकदम से पेड़ों से धुंधली परत हट जाएगी और अभी तक आपको वहां जो एक भी बंदर या पक्षी नही दिखाई दे रहा था, वह सब भी एकदम से उमड़ पड़ेंगे।
कब जाये निधिवन या निधिवन खुलने का समय
यदि आप मथुरा वृंदावन घूमने जाने का मन बना रहे हैं तो आप इस वन का दोपहर में भ्रमण कर सकते है। दोपहर का समय इस वन में घूमने का सबसे उत्तम समय हैं क्योंकि उस समय मथुरा वृंदावन के सभी मंदिर बंद हो जाते हैं जो शाम के 4 बजे के बाद खुलते हैं। इसलिये इस समय आप निधिवन में घूम सकते हैं और वहां की सुंदरता का आनंद उठा सकते हैं।
मौसम के अनुसार इसके पट सुबह 5 से 6 बजे के बीच खुलते हैं। 6 बजे के पास यहाँ मंगला आरती होती हैं। सूर्यास्त से कुछ समय पहले यहाँ के पट बंद कर दिए जाते हैं।
आपको यहाँ कई महापुरुषों की समाधियाँ भी देखने को मिलेगी जो भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन रहते थे। पेड़-पौधों के बीच इनकी समाधियाँ बनी हुई हैं। इसी के साथ-साथ आप इस वन के आसपास अन्य मंदिरों में अवश्य घूमकर आइयेगा।