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डिजिटल भारत l तुर्की में 1939 के बाद के सबसे भयावह भूकंप के बाद ये सवाल उठने लगा है कि क्या इतनी बड़ी त्रासदी से बचा जा सकता था. साथ ही ये भी कि क्या राष्ट्रपति अर्दोआन की सरकार और ज़्यादा लोगों की जान बचा सकती थी.

तुर्की में चुनाव नज़दीक हैं और उनकी 20 साल पुरानी सत्ता दांव पर लगी है. लेकिन संकट के दौर में देश में एकता बनाए रखने की अर्दोआन की अपील अनसुनी कर दी गई है.

राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने माना है कि राहत कार्य में कमी रही है. लेकिन भूकंप प्रभावित एक इलाके का दौरा करते वक्त उन्होंने इसके लिए नियति को दोष दिया. उन्होंने कहा, ”ऐसी चीज़ें पहले भी हुई हैं. ये नियति की योजना का हिस्सा है.”

तुर्की में ऐसा भयावह भूकंप 1939 के बाद नहीं आया था. छह दिन पहले आए भूकंप की तीव्रता काफ़ी ज़्यादा थी. पहले 7.8 और 4.17 की तीव्रता के दो झटके आए. इसके बाद भी एक के बाद 7.5 तीव्रता के कई झटके आए.
तुर्की में 100 साल पहले तबाही

यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के मुताबिक, ऐसी तबाही तुर्किये पहले भी देख चुका है। 1939 में 7.8 तीव्रता से आए एक भूकंप ने 30 हजार लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था। वहीं, 1999 में 7.2 तीव्रता से आए भूकंप में 845 लोगों की जान चली गई थी।
द ग्रेट भोला चक्रवात ने दहलाया

1970 में दक्षिण एशिया के देश बांग्लादेश में द ग्रेट भोला चक्रवात की वजह से बांग्लादेश (तब का पूर्वी पाकिस्तान) बाढ़ की चपेट में आ गया था। देश की सीमा से लगे समुद्र में 35 फीट ऊंची लहरें उठी थीं, जिनकी वजह से बड़ा भू-भाग प्रभावित हुआ था। इस प्राकृतिक आपदा में पूर्वी पाकिस्तान में 3 से 5 लाख लोगों की मौत हो गई थी। भोला चक्रवात उष्णकटिबंधीय तूफानों में अब तक का सबसे खतरनाक तूफान था। भारत में भी इसका असर देखने को मिला था।

तुर्की में भूकंप आने की 2 सटीक भविष्यवाणी कर चुके होगरबीट्स ने अब भारत में भूकंप को लेकर भी ऐसा ही दावा किया है। उनके इस दावे वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जॉस क्विंटन द्वारा शेयर किए गए वीडियो में फ्रेंक को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि आने वाले कुछ दिनों में एशिया के अलग-अलग भागों में जमीन के भीतर हलचल होने संभावना है।
उन्होंने आगे कहा है कि हलचल पाकिस्तान और अफगानिस्तान से होते हुए हिंद महासागर के पश्चिम की तरफ हो सकती है। भारत इसके बीच में होगा। वहीं चीन में भी आने वाले कुछ दिनों में भूकंप आ सकता है। हालाँकि होगरबीट्स ने इस बार भी भूकंप की तीव्रता और समय के बारे में कुछ भी नहीं कहा है।

जैसा कि हमने पहले भी बताया है फ्रैंक होगरबीट्स SSGEOS नामक संस्था में काम करते हैं। इस संस्था ने अपनी वेबसाइट में लिखा है, “SSGEOS सोलर सिस्टम के ज्यामितीय सर्वे के लिए बहुत छोटा संस्थान है। हम भूकंपीय गतिविधि से संबंधित खगोलीय पिंडों के बीच ज्यामिति की निगरानी कर शोध करते हैं।” इसके अलावा, इस वेबसाइट में ग्रहों की स्थिति को लेकर कुछ फोटोज भी अपलोड किए गए हैं। इन फोटोज के साथ भूकंप आने की घटनाओं का जिक्र है।

हालाँकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि भूकंप को लेकर ऐसी भविष्यवाणी करना संभव नहीं है। वास्तव में अब तक ऐसे किसी भी शोध को लेकर स्पष्ट पुष्टि नहीं हुई है। इसलिए फ्रैंक होगरबीट्स की भविष्यवाणी पर अब भी संदेह जताए जा रहे हैं। लेकिन यदि उनकी भविष्यवाणी इसी तरह सही होती रहीं तो निश्चित रूप से इसे विज्ञान की एक बड़ी उपलब्धि माना जाएगा।

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