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इस वर्ष दिवाली 4 नवंबर गुरुवार को मनाई जाएगी। दिवाली का पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष  की अमावस्या को  मनाया जाता है। इस पर्व के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है। भक्त लोग मां लक्ष्मी और श्री गणेश जी से शांति, तरक्की और समृद्धि का वरदान मांगते हैं। भगवान गणेश और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भक्त तन-मन-धन से पूजा करते हैं। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी अपने भक्तो पर कृपा बरसाती हैं।

दिवाली का महत्व

दिवाली का पर्व लक्ष्मी जी को समर्पित है. इस दिन लक्ष्मी जी की आरती, स्तुति आदि की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और धन से जुड़ी समस्याओं को दूर करती हैं. दिवाली का पर्व लक्ष्मी जी की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना गया है. शुभ मुहूर्त और विधि पूर्वक पूजा करने से लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

दिवाली 2021

पंचांग के अनुसार दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. हिंदू कैंलेडर के अनुसार इस वर्ष कार्तिक अमावस्या 4 नवंबर 2021 को है. इस दिन चंद्रमा का गोचर तुला राशि में होगा.

दिवाली 2021, शुभ मुहूर्त

दिवाली पर्व: 4 नवंबर, 2021, गुरुवार

अमावस्या तिथि का प्रारम्भ: 4 नवंबर 2021 को प्रात: 06:03 बजे से.

अमावस्या तिथि का समापन: 5 नवंबर 2021 को प्रात: 02:44 बजे तक.

लक्ष्मी पूजन मुहूर्त

4 नवंबर 2021, गुरुवार, शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात्रि 08 बजकर 20 मिनट

अवधि: 1 घंटे 55 मिनट

प्रदोष काल: 17:34:09 से 20:10:27 तक

वृषभ काल: 18:10:29 से 20:06:20 तक

दिवाली की पूजा विधि

दिवाली की सफाई करने के बाद घर के हर कोने को साफ करने के बाद गंगाजल छिड़कें।

लकड़ी की चौकी पर लाल सूती कपड़ा बिछाएं और बीच में मुट्ठी भर अनाज रखें।

कलश को अनाज के बीच में रखें।

कलश में पानी भरकर एक सुपारी, गेंदे का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डाल दें।

कलश पर 5 आम के पत्ते गोलाकार आकार में रखें।

बीच में देवी लक्ष्मी की मूर्ति और कलश के दाहिनी ओर भगवान गणेश की मूर्ति रखें।

एक छोटी थाली लें और चावल के दानों का एक छोटा सा पहाड़ बनाएं, हल्दी से कमल का फूल बनाएं, कुछ सिक्के डालें और मूर्ति के सामने रखें।

इसके बाद अपने व्यापार/लेखा पुस्तक और अन्य धन/व्यवसाय से संबंधित वस्तुओं को मूर्ति के सामने रखें।

अब देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को तिलक करें और दीपक जलाएं। इसके साथ ही कलश पर भी तिलक लगाएं।

अब भगवान गणेश और लक्ष्मी को फूल चढ़ाएं। इसके बाद पूजा के लिए अपनी हथेली में कुछ फूल रखें।

अपनी आंखें बंद करें और दिवाली पूजा मंत्र का पाठ करें।

हथेली में रखे फूल को भगवान गणेश और लक्ष्मी जी को चढ़ा दें।

लक्ष्मीजी की मूर्ति लें और उसे पानी से स्नान कराएं और उसके बाद पंचामृत से स्नान कराएं।

इसे फिर से पानी से स्नान कराएं, एक साफ कपड़े से पोछें और वापस रख दें।

मूर्ति पर हल्दी, कुमकुम और चावल डालें। माला को देवी के गले में लगाएं,अगरबत्ती जलाएं।

नारियल, सुपारी, पान का पत्ता माता को अर्पित करें।

देवी की मूर्ति के सामने कुछ फूल और सिक्के रखें।

थाली में दीया लें, पूजा की घंटी बजाएं और लक्ष्मी जी की आरती करें।

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