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डिजिटल भारत l श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। यह कल्पवृक्ष के समान है। भागवत कथा ही साक्षात कृष्ण है और जो कृष्ण है, वही साक्षात भागवत है। भागवत कथा भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।
इस संसार में जो भगवान का भजन न कर सके वह सबसे बड़ा भाग्यहीन है। भगवान इस धरती पर बार-बार इसलिए आते हैं ताकि हम कलयुग में उनकी कथाओं का आनंद ले सकें और कथाओं के माध्यम से अपना चित्त शुद्ध कर सकें।
भागवत कथा चुंबक की तरह काम करती है जो मनुष्य के मन को अपनी ओर खींचती है। इसके माध्यम से हमारा मन भगवान से लग जाता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण हो जाता है।
व्यास जी ने जब भगवत प्राप्ति का ग्रंथ लिखा, तब भागवत नाम दिया गया। बाद में इसे श्रीमद्भागवत नाम दिया गया। ऐसे कृष्ण की भगती में लीन होने के लिए भेड़ाघाट में कल कलश यात्रा से श्रीमद भगवत कथा का आयोजन किया गया है कथा हर्ष मैरिज गार्डन रेलवे स्टेशन रोड भेड़ाघाट जबलपुर में आयोजित की जा रही है जिसकी कथा वाचक अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्राची देवी है जिनके मुखारबिंद से कथा सुनाये जाएगी
आज भागवत का पहला दिन जिसमे भगवत के महत्व को बताते हुए भगवत भागती का वर्णन किया जाएगा जिसका लाइव प्रसारण आस्था चैनल 19 फरवरी ( यानि आज से ) पर किया जाएगा इसी के साथ ये यूट्यूब चैनल पर भी लाइव प्रसारण किया जाएगा भागवत के आयोजकों व संयोजक अलोक तिवारी, अतुल तिवारी व शैलेन्द्र तिवारी ने स्थानीये लोगो से अनुरोध करके कहा कि वे अधिक से अधिक संख्या में पधार कर भागवत रस का पान करें इसकी शुरुआत 18 फरवरी को कलश यात्रा से हुई जिसमे 51 कलशो को महिलाओं और कन्न्याओ के सर पे रख कर भेड़ाघाट के शिल्पी नगर से प्रारंभ करके भागवत प्रांगण तक ले जाया गया जिनकी मंत्रो से स्थापना की गई

कथा वाचक पूज्य प्राची देवी ने कथा का महत्व बता कर सभी को कथा सुनने के लिए आमंत्रित किया कथा की 7 दिन की कहा कि विषय सूची इस प्रकार है पहला दिन कथा महत्व व भागवत महिमा, दूसरा दिन श्रीमद्भागवत के विशाल स्वरूप वर्णन, कुंती द्वारा की गई स्तुति, राजा परीक्षित जन्म, सती चरित्र, तीसरा दिन 21 फरवरी जड़भरत कथा, अजामिल कथा, पहलाद कथा, चौथा दिन 22 फरवरी समुद्र मंथन, राजा बलि का प्रसंग, गंगा अवतरण “कृष्ण जन्म”, पांचवा दिन 23 फरवरी भगवान श्री कृष्ण की लीलाएं, गोवर्धन पूजन छप्पन भोग, छटवा दिन 25 फरवरी रास लीला, कंस वध,उद्धव प्रसंग, रुक्मणी विवाह , सातवा व आखरी दिन सुदामा चरित्र, दत्तात्रेय आख्यान, भगवान का गोलोक गमन, परीक्षित मोक्ष, तुलसी वर्षा, व्यास पूजन कथा पूर्ण

हम सब स्वयं अपना निरीक्षण करने के बजाय दूसरों के निरीक्षण में ज्यादा रुचि और ध्यान रखते हैं। याद रखें दूसरों का मूल्यांकन करने वाला सदैव दुखी रहता है। श्रीमद् भागवत केवल कथा नहीं, मन को सुंदर और शुद्ध बनाने का सशक्त माध्यम है। यह ऐसा दर्पण है, जिसमें हमें अपनी कमियां भी दिखाई दे सकती हैं। हम कितने शुद्ध और निर्मल हैं, इसका आकलन करना है तो भागवत की शरण में जरूर बैठे। भागवत आत्म निरीक्षण करना सिखाती है। स्वच्छता बाहर की होती है और पवित्रता अंदर की। हम कितने स्वच्छ और कितने पवित्र हैं, इसका अंदाजा हमें भागवत के श्रवण से ही मिलेगा। राम और कृष्ण इस देश के आधार स्तंभ हैं। इनके बिना भारत भूमि की कल्पना करना भी संभव नहीं है।

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