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डिजिटल भारत l आर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया में बनाए जा रहे बमों का प्रदर्शन बेंगलुरु में आयोजित एयरो इंडिया 2023 में किया गया।इस दौरान देश की विभिन्ना आयुध निर्माता कंपनियों ने अपने उत्पादों को रखा। एमआइएल के सीएमडी रविकांत भी 14 से 16 फरवरी तक आयोजित शो में भाग लेने के लिए बेंगलुरु में मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि देश की विभिन्ना आयुध निर्माणियों में एमआइएल द्वारा निर्मित कराए गए पांच उत्पादों को इस शो में प्रदर्शित किया गया। इनमें 250 केजी, 245 केजी, 1000 पाउंडर और 500 केजीजीपी बम शामिल रहे।

ओएफके में बने जो बम एयरो इंडिया में प्रदर्शित किए गए वो वायुसेना के अत्यंत उपयोगी हैं। 500 केेजीजीपी बम को छोड़कर वायुसेना सभी बमों का उपयोग कर चुकी है। इसलिए भारतीय वायुसेना के लिए तो वो बम परिचय की विषयवस्तु नहीं हैं, लेकिन विदेशों से जो प्रतिनिधि इस एयर शो में भाग लेने आए उनके लिए एमआइएल के उत्पाद खास रहे। फिलहाल यह तो साफ नहीं हो पाया है कि ओएफके के किसी उत्पाद को विदेश से आर्डर मिलने की दिशा में बात आगे बढ़ी है या नहीं, लेकिन बेंगलुरु में उनका प्रदर्शन निर्माणी के लिए बड़ी बात है।

एमआइएल के दो खास ड्रोन

सीएमडी रविकांत ने बताया कि एमआइएल दो तरह के ड्रोन भी बना रही है। एक ड्रोन 100 किलोमीटर दूर तक जाकर अपने लक्ष्य को निशाना बनाकर खुद समाप्त होने वाला है। जबकि दूसरा ऐसा है जो दुर्गम इलाकों में 18 किलोमीटर दूर तक जाकर 50 किलो वजनी आयुध सामग्री पहुंचा सकता है।

ऐसा है थाउजेंड पाउंडर बम

यह इतना घातक है कि पलक झपकते ही किसी भी बड़े भवन को ढेर में तब्दील कर सकता है। इस बम में आरडीएक्स के साथ कई अन्य प्रकार के प्रोपलेन मिलाए जाते हैं। इस बम का उपयोग वायु सेना ही नहीं बल्कि थल और जल-सेना भी करती है। देश में सिर्फ आयुध निर्माणी खमरिया ही सेना के लिए इस तरह के बमों का निर्माण करती है।

500 केजी जीपी बम

यह बम आर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया के सबसे अपडेटेेड हैं। इनहें 500 किलोग्राम जनरल परपज बम भी कहा जाता है। इसका उपयोग वायुसेना ही करती है। इस बम की विशेषता है कि जहां भी लक्ष्य करके इस बम का इस्तेमाल होता है, वहां 200 मीटर के दायरे में यह सब कुछ समाप्त कर देता है और वहां करीब 25 मीटर गहरा गड्ढा हो जाता है।

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