दक्षिण अफ्रीका की पुलिस एजेंसियां कोविड-19 के प्रमुख शोधकर्ताओं के खिलाफ खतरों की जांच कर रही हैं, जिसमें वह टीम भी शामिल है जिसने सबसे पहले कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान की थी।
राष्ट्रीय प्रवक्ता विष्णु नायडू ने मीडिया को बताया कि राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के कार्यालय को एक धमकी भरा पत्र मिलने के बाद डराने-धमकाने के मामले की जांच की जा रही है, जिसमें कई प्रमुख कोविड-19 शोधकर्ताओं का उल्लेख किया गया था, जिनमें प्रोफेसर टुलियो डी ओलिवेरा भी शामिल थे।
दक्षिण अफ्रीकी पुलिस सेवाओं के राष्ट्रीय प्रवक्ता विष्णु नायडू ने मीडिया को बताया कि राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के कार्यालय को एक धमकी भरा पत्र मिलने के बाद डराने-धमकाने के मामले की जांच की जा रही है, जिसमें कई प्रमुख कोविड-19 शोधकर्ताओं का उल्लेख किया गया था, प्रोफेसर टुलियो डी ने उस टीम का नेतृत्व किया जिसने दुनिया भर में तबाही मचाने वाले ओमिक्रॉन वेरिएंट की खोज की घोषणा की थी।
प्रेसीडेंसी के प्रवक्ता टाइरोन सीले ने पत्र की सामग्री का खुलासा नहीं किया, लेकिन कहा कि यह चेतावनी भरा था, जिसके कारण वैज्ञानिकों और संबंधित सलाहकारों के कोविड-19 के खिलाफ राष्ट्रीय प्रयास में महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए इसे संबंधित अधिकारियों के पास भेजा गया।
स्टेलनबोश विश्वविद्यालय, जहां डी ओलिवेरा काम करते हैं, ने कहा कि उसने सुरक्षा कड़ी कर दी है। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता मार्टिन विलजोएन ने कहा कि यह खेदजनक है कि वैज्ञानिक, जो इसे निष्कर्षों को ज्ञात करने के लिए अपने वैज्ञानिक और नैतिक कर्तव्य के रूप में देखते हैं, उन्हें अब निशाना बनाया जा रहा है।
ओमिक्रॉन वेरिएंट की खोज की घोषणा करने के लिए प्रोफेसर टुलियो डी ओलिवेरा सोशल मीडिया पर आलोचना के घेरे में हैं। क्योंकि ओमिक्रॉन की वजह से ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा कुछ घंटों के भीतर तत्काल यात्रा प्रतिबंध लगा दिया गया। ओमिक्रॉन वेरिएंट से क्रिसमस और नए साल के जश्न को लेकर दक्षिण अफ्रीका के पर्यटन क्षेत्र को अपूरणीय क्षति हुई है।
यात्रा प्रतिबंध को भेदभावपूर्ण घोषित करने में राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा मुखर रहे हैं। डी ओलिवेरा और दक्षिण अफ्रीकी मेडिकल रिसर्च काउंसिल के प्रमुख डॉ ग्लेंडा ग्रे ने मीडिया के प्रश्नों का जवाब नहीं दिया, लेकिन कई अन्य शोधकर्ताओं ने धमकी देने या परेशान होने की पुष्टि की l