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डिजिटल भारत l कुछ दिन पहले जब अमेरिका की हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदानी समूह के ख़िलाफ़ अपनी एक रिपोर्ट में “लेखांकन धोखाधड़ी, स्टॉक में हेरफेर, और मनी लॉन्ड्रिंग” जैसे इल्ज़ाम लगाए तब इसकी कंपनियों के स्टॉक की कीमतें तेज़ी से गिरने लगीं और जानकारों ने कई तरह के सवाल उठाने शुरू कर दिए.

इसमें एक महत्वपूर्ण सवाल था कि क्या अब इन आरोपों से समूह को अपने अधूरे और नए मेगा प्रोजेक्ट्स के लिए धन जुटा पाना आसान होगा?

अदानी समूह की छाप भारत में हर जगह है, चाहे इसके कई प्रकार के उत्पाद हों या बंदरगाह या एयरपोर्ट में निवेश हो.

संकट से पहले अदानी ग्रुप ख़ुद को 260 अरब डॉलर का समूह बताता था. लेकिन इसकी जिन मौजूदा योजनाओं पर काम चल रहा है या इसकी आने वाली योजनाओं पर अगर अमल हुआ तो विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ ही सालों में समूह का आकार दोगुना हो सकता है.
अदानी समूह की कंपनियों का मार्केट कैप लगभग 220 अरब डॉलर था, लेकिन 25 जनवरी को अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की एक सनसनीखेज रिपोर्ट सामने आने के बाद से अदानी समूह के शेयर लगातार गिर रहे हैं.

अदानी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को खारिज किया है और इसे कंपनी को नुक़सान पहुँचाने की कोशिश बताया है.

413 पन्नों के अपने जवाब में अदानी समूह ने कहा है कि झूठ से भरी ये रिपोर्ट भारत पर हमला है.
इस ख़बर को जहां अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस ने अपने पहले पन्ने पर जगह दी है, वहीं लगभग सभी अख़बारों ने आज इसे प्रमुखता से छापा है.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अदानी समूह के शेयर लगातार गिर रहे हैं और कंपनी के मूल्य में भारी कमी आई है.

हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अदानी समूह पर धोखाधड़ी और स्टॉक मैनिपुलेशन के आरोप लगाए हैं लेकिन अदानी समूह ने इन आरोपों से पूरी तरह इनकार किया है.

अदानी मामला: अब तक क्या-क्या हुआ?
4 फ़रवरी 2023 – शेयर बाज़ार नियामक सेबी ने कहा कि वो मार्केट के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं होनी देगी और इस मामले में हर ज़रूरी क़दम उठाएगी.

4 फ़रवरी 2023 – वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि नियामक अपना काम करने के लिए स्वतंत्र हैं इसमें सरकार का कोई दबाव नहीं है.

3 फ़रवरी 2023 – एक टेलीविज़न चैनल को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर अच्छी स्थिति में है और वित्तीय बाज़ार नियमों के साथ काम कर रहे हैं.

2 फ़रवरी 2023 -निवेशकों के बीच घबराहट के माहौल के बीच आरबीआई ने कंपनी को लोन देने वाली कंपनियों से इस सिलसिले में पूरी जानकारी मांगी.

2 फ़रवरी 2023 – कंपनी के मालिक गौतम अडानी ने 4 मिनट 5 सेकंड का एक वीडियो जारी कर एफ़पीओ वापिस लेने की वजह बताई.

1 फ़रवरी 2023 – अदानी कंपनी ने अपना एफ़पीओ वापस लिया.

31 जनवरी 2023 – इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू से मुलाक़ात करने के लिए गौतम अदानी हाइफ़ा बंदरगाह पहुंचे थे. हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद पहली बार वो यहां सार्वजनिक तौर पर देखे गए.

31 जनवरी 2023 – एफ़पीओ की बिक्री इस दिन बंद होनी थी. इसी दिन ख़बर आई कि नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर के तौर पर सज्जन जिंदल और सुनील मित्तल समेत कुछ और जानेमाने अरबपतियों ने कंपनी के 3.13 करोड़ शेयर खरीदने के लिए बोली लगाई.

30 जनवरी 2023 – इस दिन तक एफ़पीओ को केलव 3 फ़ीसदी सब्स्क्रिप्शन मिला. इसी दिन अबू धाबी की कंपनी इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी ने कहा कि वो अपनी सब्सिडियरी ग्रीन ट्रांसमिशन इन्वेस्टमेंट होल्डिंग आरएससी लिमिटेड के ज़रिए अदानी के एफ़पीओ में 40 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी.

27 जनवरी 2023 – अदानी ने 2.5 अरब डॉलर का एफ़पीओ बाज़ार में उतारा.

26 जनवरी 2023 – हिंडनबर्ग ने कहा कि वो अपनी रिपोर्ट पर क़ायम है और क़ानूनी कार्रवाई का स्वागत करेगी.

26 जनवरी 2023 – अदानी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को सिरे से खारिज किया. कंपनी ने कहा कि वो क़ानूनी कार्रवाई के बारे में विचार कर रही है.

24 जनवरी 2023 – हिंडनबर्ग ने अदानी से जुड़ी अपनी रिपोर्ट ‘अदानी ग्रुपः हाउ द वर्ल्ड्स थर्ड रिचेस्ट मैन इज़ पुलिंग द लार्जेस्ट कॉन इन कॉर्पोरेट हिस्ट्री’ जारी की

अब हिंडनबर्ग रिसर्च की इस रिपोर्ट ने अदानी को उनके कॉर्पोरेट जीवन के सबसे बुरे संकट में डाल दिया है, इससे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के सामने भारत की विश्वसनीयता के बारे में भी बड़े सवाल उठ रहे हैं.

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में समूह पर शेयरों में हेराफेरी करने और टैक्स हेवन का अनुचित तरीके से उपयोग करने का आरोप लगाया गया है. अदानी ने इसका ज़ोरदार खंडन किया है.

अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ार के जानकार मानते हैं कि इस घटना का एक बड़ा नुकसान भारत का भी हुआ है. इससे व्यावसायिक नियमन के मामले में देश की छवि प्रभावित हुई है जिसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं.

एक ज़माने से विदेशी निवेशक और ऋण देने वाली बड़ी विदेशी संस्थाएं भारत की अर्थव्यवस्था को निवेश के लिए आकर्षक ठिकाना मानती रही हैं.

भारत सरकार के अनुसार साल 2022 में 25 दिसंबर तक भारत को लगभग 85 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) मिला.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ अप्रैल 2000 से सितंबर 2022 के बीच भारत में कुल एफ़डीआई 888 अरब डॉलर के क़रीब पहुँच गया.

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