
20 मई 2025 को, भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता पर महत्वपूर्ण सुनवाई हो रही है। इस सुनवाई में अदालत यह तय करेगी कि इस अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम आदेश की आवश्यकता है या नहीं।
मुख्य मुद्दे
1. वक्फ-बाय-यूज़र की वैधता: अधिनियम में वक्फ-बाय-यूज़र की परिभाषा को हटाया गया है, जिससे उन संपत्तियों की स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं जो वर्षों से धार्मिक उपयोग में रही हैं। अदालत ने इस पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और इसे “विशाल परिणाम” वाला कदम बताया है।
2. वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति: अधिनियम में वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को सदस्य बनाने का प्रावधान है, जिसे धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के रूप में चुनौती दी जा रही है। अदालत ने इस पर भी सवाल उठाए हैं।
3. कलेक्टर की जांच शक्तियाँ: अधिनियम में कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों की स्थिति बदलने की शक्ति दी गई है, जिसे अदालत ने न्यायिक निर्णयों के खिलाफ माना है।
केंद्र सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया है कि वह वक्फ बोर्डों में कोई नई नियुक्ति नहीं करेगी और वक्फ-बाय-यूज़र संपत्तियों की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं करेगी, जब तक अदालत इस मामले पर निर्णय नहीं देती।
अदालत ने केंद्र सरकार को एक सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और याचिकाकर्ताओं को पांच दिन का समय दिया है। अगली सुनवाई 5 मई 2025 को निर्धारित की गई है।
इस मामले में कई राजनीतिक दलों और धार्मिक नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं, जिनमें जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने अदालत के अंतरिम आदेश का स्वागत किया है ।
अदालत की यह सुनवाई वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों से जुड़ी महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रश्नों पर आधारित है, जिससे इसके व्यापक प्रभाव हो सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम, 2025 के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
अदालत ने कहा कि अभी वह इस अधिनियम पर अंतरिम आदेश (जैसे रोक लगाना) जारी नहीं करेगी, क्योंकि इस पर गहराई से विचार करने की ज़रूरत है।
हालांकि अंतरिम रोक नहीं लगी, अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि:
‘वक्फ-बाय-यूज़र’ की संपत्तियों की वर्तमान स्थिति में कोई बदलाव न किया जाए।
वक्फ बोर्डों में कोई नई नियुक्ति फिलहाल न की जाए।
केंद्र सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया कि वह इन निर्देशों का पालन करेगी और अदालत में विस्तृत हलफनामा दाखिल करेगी।
प्रमुख आपत्तियाँ और बहस के बिंदु :
धार्मिक उपयोग की ऐतिहासिक संपत्तियों पर असर पड़ सकता है।
धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों पर सवाल उठे।
अदालत ने कहा कि यह न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप हो सकता है।
अगला कदम :
• केंद्र सरकार: 1 सप्ताह में विस्तृत जवाब देगी।
• याचिकाकर्ता: उसके बाद 5 दिन में अपनी प्रतिक्रिया देंगे।
• अगली सुनवाई: 5 जून 2025 को निर्धारित की गई है ।
(पहले यह 5 मई कहा गया था, पर नए स्रोतों के अनुसार तारीख आगे बढ़ाई गई है)।
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