डिजिटल भारत l आप किसी के साथ खाना खा रहे हैं तो दूसरे की डकार लेने की आवाज, छींकने और खाने की आवाज़ क्या आपके मिजाज़ में चिड़चिड़ापन पैदा करती है? कुछ खास तरह की आवाज़ों से आप इरिटेट हो जाते हैं तो आपकी यह आदत नहीं बल्कि यह मिसोफोनिया का लक्षण है। मिसोफोनिया एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है। जिस इनसान को यह ब्रेन ऐब्नॉर्मेलिटी होती है, उसका ब्रेन इस तरह की आवाजों को तुरंत कैच कर लेता है और फिर उसका फोकस वहीं बना रहता है। आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण कौन-कौन से हैं और उनका उपचार कैसे करें। ऐसे कई लोग होते हैं जिन्हें खाना चबाने, पेन टैप करने या अन्य छोटे-छोटे शोर के कारण परेशानी महसूस करते हैं। उनमें ऐसी ही स्थिति को मिसोफोनिया (Misophonia) कहा जाता है। हालांकि, इस तरह की आवाजें उनके लिए असहनीय हो सकते हैं। इसे ब्रेन ऐब्नॉर्मेलिटी कहा जाता है जो एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है।
ब्रेन ऐब्नॉर्मेलिटी के कारण ऐसे लोगों का ब्रेन इस तरह की आवाज को तुरंत कैच कर लेता है और फिर उनका सारा फोकस आवाज की तरफ रहता है। साल 2001 में पहली बार इस स्थिति की पहचान की गई। इसे सेलेक्टिव साउंड सेंसटिव सिंड्रोम (selective sound sensitivity syndrome) के रूप में भी जाना जाता है। यह मनोवैज्ञानिक और शारीरिक दोनों लक्षणों के साथ मस्तिष्क की असामान्यता होती है। हाल के एक अध्ययन में, एमआरआई स्कैन में उन लोगों के मस्तिष्क की संरचना में एक अंतर दिखाई दिया, जिनके पास इसके लक्षण थें। एक सेकेंड के हज़ारवें हिस्से से भी कम समय में ये आवाज़ें आपके दिमाग़ को ग़लत संकेत देती हैं. ये आवाज़ें एक ख़तरे के रूप में आपके दिमाग़ के अलार्म सिस्टम अमिग्डला (Amygdala) को जगा देती हैं. इसके साथ ही एड्रिनल ग्रंथि और कॉर्टिसोल हार्मोन प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार हो जाते हैं. ये आवाज़ें एक आम व्यक्ति के लिए कहीं से भी ख़तरा नहीं होतीं. हमें ये नहीं पता कि मिसोफ़ोनिया के डिसऑर्डर से कितने बच्चे, युवा, बुज़ुर्ग प्रभावित हैं लेकिन ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी), टिनिटस (कान में अजीब सी आवाज़ का अनुभव होना), हायपरएक्यूसिस (सामान्य आवाज़ भी बहुत तेज़ सुनाई देना), ऑटिज़्म ) और सेंसरी प्रॉसेसिंग डिसॉर्डर या एसपीडी से प्रभावित लोगों में इस समस्या का होना बहुत आम है. ये होता क्यों है, ये स्पष्ट आज भी नहीं है. लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि ये मस्तिष्क या मनोविकार से जुड़ा हो सकता है. किंग कॉलेज लंदन और ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने नए अध्ययन में पाया कि ब्रिटेन में 18.4% आबादी में यह लक्षण देखने को मिला. यानी लगभग हर पांच में से एक व्यक्ति को किसी अन्य के आवाज़ कर के खाने, च्युइंगम चबाने और खर्राटे की आवाज़ें ट्रिगर करती हैं. लेखिका डॉ. सिलिया वीटोरतौ कहती हैं, “अक़्सर मिसोफ़ोनिया के रोगी ख़ुद को अकेला महसूस करते हैं पर हक़ीक़त में ऐसा नहीं है. यह एक ऐसी चीज़ है, जिसे हमें जानने के साथ ही तालमेल बैठाने की ज़रूरत है. कितना सामान्य है मिसोफोनिया?
हाल ही हुई एक स्टडी में रिसर्च टीम ने 42 लोगों को अपने शोध में शामिल किया था। जिनमें से 22 लोगों में मेसोफोनिया के लक्षण पाए गए। हालांकि, भारत में इसका आंकड़ा क्या है, अभी भी इसके बारे में उचित अध्ययनों और रिसर्च की जरूरत है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से बात करें। बच्चों में सबसे ज्यादा मिसोफोनिया की शिकायत पाई जाती है। बच्चा मिसोफोनिया में निम्न तरीके से रिएक्ट करता है : बच्चे कुछ विशेष आवाजों के लिए ज्यादा सेंसिटिव हो जाते हैं। इन आवाजों में होंठ की आवाज, चबाने की आवाज, नाक बंद होने पर सांस लेने की आवाज, सांस की आवाज, खर्राटों की आवाज, टाइप करने की आवाज और पेन को बार-बार डेस्क पर मारने की आवाज शामिल हैं।
बच्चा जब कुछ ऐसी आवाजें सुनता है, जिससे वो रिएक्ट करता है या वह उन आवाजों को सुनकर कोई फिजिकल रिस्पॉन्स करता है। बच्चों से होने वाला यह रिस्पॉन्स उसके कंट्रोल में नहीं होता। इसमें दर्द की भावना, प्रेशर और बेचैनी महसूस करना शामिल है। इस तरह के रिस्पॉन्स के साथ इमोशनल रिस्पॉन्स जैसे कि बेचैनी, गुस्सा और चिड़चिड़ापन भी हो सकता है।