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डिजिटल भारत l नवरात्र के 9 दिन में मां को प्रसन्‍न करने के उपायों में से एक है नृत्‍य। शास्‍त्रों में नृत्‍य को साधना का एक मार्ग बताया गया है। गरबा नृत्‍य के माध्‍यम से मां दुर्गा को प्रसन्‍न करने के लिए देशभर में इसका आयोजन किया जाता है।

गरबा का शाब्दिक अर्थ है गर्भ दीप। गर्भ दीप को स्‍त्री के गर्भ की सृजन शक्ति का प्रतीक माना गया है। इसी शक्ति की मां दुर्गा के स्‍वरूप में पूजा की जाता है

गरबा नृत्‍य के दौरान आपने देखा होगा कि महिलाएं 3 तालियों का प्रयोग करती हैं। ये 3 तालियां इस पूरे ब्रह्मांड के त्रिदेव ब्रह्मा, विष्‍णु और म‍हेश को समर्पित होती हैं। गरबा नृत्‍य में ये तीन तालियां बजाकर इन तीनों देवताओं का आह्वान किया जाता है।

चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व पर रेज एवं पूर्णा फाउंडेशन द्वारा गरबे का आयोजन एमएलबी ग्राउंड में किया गया इस गरबे के आयोजक अनुराग सोनी एवं रक्षा सोनी ने बताया कि उन्होंने प्रथम वर्ष इस चैत्र नवरात्र में गरबे का आयोजन लोगों में जागरूकता लाने की जो पहल की है उसका मुख्य उद्देश्य यह है कि हिंदुओं का नववर्ष चैत्र नवरात्रि से प्रारंभ होता है उन्होंने संस्कारधानी वासियों से यह अपील की है कि आप आए और इस शारदे नवरात्र में माता के आराधना के इस आयोजन में शामिल हो एवं पुण्य लाभ अर्जित करें उन्होंने बताया कि यह उनका प्रथम वर्ष है और आगे भी उनके द्वारा इस तरह के धार्मिक आयोजन किए जाते रहेंगे

पहले गरबा का आयोजन केवल गुजरात में हुआ करता था। यह नृत्‍य केवल गुजरातियों की ही शान माना जाता है। आजादी के बाद से गुजरातियों ने प्रांत के बाहर निकलना शुरू किया तो अन्‍य प्रदेशों में भी यह परंपरा पहुंच गई। आज यह देश में ही बल्कि विदेश में भी आयोजित होता है।

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