डिजिटल भारत I महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की सुगबुगाहट के बीच राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। प्रमुख पार्टियां अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर रही हैं और गठबंधन की रणनीतियों को अंतिम रूप दे रही हैं। अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने पूर्व भाजपा सांसदों को अपने पाले में लाकर इस चुनावी जंग को और रोमांचक बना दिया है।
प्रताप चिखलीकर और संजय पाटिल का एनसीपी से जुड़ना
नांदेड़ से लोकसभा चुनाव हारने वाले पूर्व भाजपा सांसद प्रताप चिखलीकर को अब एनसीपी ने लोहा विधानसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया है। इसी प्रकार, सांगली के पूर्व भाजपा सांसद संजय काका पाटिल, जिन्होंने आम चुनाव में हार का सामना किया था, एनसीपी में शामिल हो गए हैं और उन्हें तासगांव-कवठे महांकाल विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। संजय पाटिल का मुकाबला एनसीपी (एसपी) के उम्मीदवार रोहित पाटिल से होगा, जो दिवंगत नेता आर. आर. पाटिल के पुत्र हैं। यह मुकाबला सांगली जिले के तासगांव-कवठे महांकाल निर्वाचन क्षेत्र में होगा, जिससे यह सीट बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
एनसीपी की पहली सूची
अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने एक दिन पहले ही 38 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। इस सूची में पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रमुख नाम शामिल हैं, जैसे कि अजित पवार खुद बारामती सीट से चुनाव लड़ेंगे, छगन भुजबल येवला से, और दिलीप वाल्से पाटील आंबेगाव से उम्मीदवार होंगे। पार्टी ने धनंजय मुडे को परली और नरहरी झिरवाल को दिंडोरी सीट से उम्मीदवार बनाया है। एनसीपी का यह कदम दर्शाता है कि पार्टी आगामी चुनावों में वरिष्ठ नेताओं के अनुभव और कद का भरपूर फायदा उठाने की कोशिश में है।
गठबंधन की स्थिति
गुरुवार को देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की कि महायुति (भाजपा, शिवसेना, और एनसीपी) ने राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से 278 सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया है। इस गठबंधन में भाजपा ने अब तक 99 सीटों पर, शिवसेना ने 40 सीटों पर, और अजित पवार की एनसीपी ने 45 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। भाजपा की दूसरी सूची भी शुक्रवार को जारी की जाएगी।
शिवसेना की सूची
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 45 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी। सीएम एकनाथ शिंदे एक बार फिर से कोपरी पाचपाखाड़ी सीट से चुनाव लड़ेंगे, जहाँ वे पहले भी जीत हासिल कर चुके हैं। पार्टी ने पैठण से विलास संदिपान भूमरे को उम्मीदवार बनाया है। इस सूची में मालेगांव, चांदीवली, और बुलढाणा जैसी चर्चित विधानसभा सीटों पर भी प्रत्याशियों के नाम शामिल हैं।
राज्य का राजनीतिक परिदृश्य
महाराष्ट्र की राजनीति इस बार बेहद दिलचस्प मोड़ पर है, जहाँ कई पुराने खिलाड़ी अपनी नई भूमिकाओं में हैं और गठबंधन की राजनीति पूरे जोश में है। भाजपा, शिवसेना, और एनसीपी का महायुति गठबंधन जहां अपनी ताकत बढ़ाने में लगा है, वहीं विपक्षी पार्टियां भी अपनी रणनीतियों को धार देने में जुटी हैं। यह चुनाव इसलिए भी अहम है क्योंकि इसमें कई बड़े चेहरे एक दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरने वाले हैं।
संजय पाटिल और रोहित पाटिल के बीच का मुकाबला विशेष रूप से चर्चा में है, क्योंकि यह एक राजनीतिक परिवारों की जंग के रूप में देखा जा रहा है। रोहित पाटिल अपने दिवंगत पिता आर. आर. पाटिल की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे, जबकि संजय पाटिल भाजपा छोड़कर एनसीपी का हिस्सा बनने के बाद अपनी नई राजनीतिक पारी शुरू करने की तैयारी में हैं।
महाराष्ट्र का चुनावी इतिहास
महाराष्ट्र का चुनावी इतिहास भी इस बार के चुनाव को खास बनाता है। राज्य में हमेशा से कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में एनसीपी और शिवसेना ने भी अपनी मजबूत स्थिति बनाई है। शिवसेना और भाजपा का गठबंधन कई वर्षों तक मजबूत रहा, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हुए राजनीतिक फेरबदल ने राज्य की राजनीति को नया रूप दिया है।
इस बार के चुनावों में देखना दिलचस्प होगा कि महायुति गठबंधन और विपक्षी पार्टियों के बीच किस तरह का मुकाबला होता है। 20 नवंबर को होने वाले मतदान के बाद 23 नवंबर को नतीजों का ऐलान किया जाएगा, जो राज्य के भविष्य की दिशा तय करेगा।
एनसीपी का बढ़ता प्रभाव
एनसीपी की रणनीति इस चुनाव में स्पष्ट रूप से दिख रही है। पार्टी ने कई ऐसे नेताओं को टिकट दिया है जो या तो पहले भाजपा में थे या अन्य पार्टियों के मजबूत उम्मीदवार रहे हैं। यह कदम पार्टी की उस नीति का हिस्सा है जिसके तहत वह विभिन्न राजनीतिक क्षेत्रों से बड़े नामों को अपने साथ जोड़ रही है। इसके अलावा, अजित पवार का नेतृत्व और पार्टी में उनकी पकड़ भी एनसीपी को मजबूती प्रदान कर रही है।
शिवसेना और भाजपा की चुनौतियाँ
भाजपा और शिवसेना के सामने इस बार की सबसे बड़ी चुनौती है कि वे कैसे अपने गठबंधन को स्थिर रखकर मतदाताओं का समर्थन हासिल कर पाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में शिवसेना और भाजपा के बीच हुए मतभेदों ने राज्य की राजनीति में अस्थिरता पैदा की थी, लेकिन अब दोनों पार्टियाँ एक साथ आकर अपने पुराने मतदाताओं को साधने की कोशिश में हैं।
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना ने 45 उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें कई महत्वपूर्ण सीटें शामिल हैं। यह दिखाता है कि पार्टी का फोकस इस बार ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों पर है।
चुनावी माहौल
चुनावी माहौल इस बार बेहद गर्म है, क्योंकि महाराष्ट्र की राजनीति का भविष्य इस चुनाव पर काफी हद तक निर्भर करेगा। बड़े राजनीतिक दलों के अलावा छोटे दल भी इस बार महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार का चुनाव त्रिकोणीय हो सकता है, जिसमें एनसीपी, भाजपा-शिवसेना गठबंधन, और कांग्रेस एक दूसरे को कड़ी टक्कर देंगे।
राज्य के विभिन्न हिस्सों में चुनाव प्रचार जोर-शोर से चल रहा है। नेताओं की रैलियाँ, रोड शो, और जनसभाएँ लगातार हो रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में किसान और बेरोजगारी जैसे मुद्दे प्रमुख हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में विकास और आधारभूत ढाँचे से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो रही है।
नतीजों पर नज़र
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित होंगे, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि महायुति गठबंधन किस हद तक अपनी स्थिति मजबूत करने में सफल होता है। वहीं, विपक्षी दलों के पास भी अपनी स्थिति सुधारने का मौका है।