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वाहाटी, 27 जून (भाषा) असम में बाढ़ के हालात में बृहस्पतिवार को थोड़ा सुधार हुआ हालांकि पांच जिलों के करीब 1.2 लाख लोग अब भी प्रभावित हैं। एक आधिकारिक बुलेटिन में यह जानकारी दी गयी।
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) की दैनिक बाढ़ रिपोर्ट के मुताबिक, कछार, दरांग, धेमाजी, कामरूप और करीमगंज जिलों में बाढ़ से 1,15,500 से ज्यादा लोग प्रभावित हैं।
सात जिलों में बुधवार तक लगभग 1.4 लाख लोग प्रभावित थे। इस साल बाढ़, भूस्खलन और तूफान के कारण जान गंवाने वालों की कुल संख्या 41 हो गयी है।
वर्तमान में दो जिलों में 123 राहत शिविर एवं वितरण केंद्र सक्रिय हैं, जहां 17,383 लोग आश्रय लिये हुए हैं।
एएसडीएमए ने पिछले 24 घंटों में बाढ़ से जूझ रहे लोगों को 35.59 क्विंटल चावल, 6.71 क्विंटल दाल, 2.01 क्विंटल नमक और 201.18 लीटर सरसों के तेल सहित आवश्यक आपूर्ति वितरित की है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में 419 गांव जलमग्न हैं। बाढ़ के पानी ने पूरे असम में 693.57 हेक्टेयर फसल क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया है।
बाढ़ के कारण बारपेटा, बोंगाईगांव, लखीमपुर और उदलगुरी में तटबंध, सड़कें, पुल और अन्य इमारतें क्षतिग्रस्त हुई हैं।
वहीं, अगर हम बाढ़ की बात करते हैं तो असम मानसून में होने वाली बारिश के बाद बाढ़ के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। हर साल मानसून के दौरान असम में भारी बारिश दर्ज की जाती है। जिसके कारण लाखों लोग प्रभावित होते हैं।
असम में पूरे देश में सबसे ज्यादा मानसूनी बारिश होने वाले इलाके भी शामिल हैं। इस साल भी असम में मानसून दस्तक दे चुका है और प्रदेश के लगभग 18 जिले भीषण बाढ़ की चपेट में हैं। इन इलाकों में आई बाढ़ के कारण 30 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित है और अपने-अपने घरों को छोड़ने के लिए भी मजबूर हो रहे हैं।
37 साल की रोंजू बेगम अपनी तकलीफ़ और ग़ुस्सा कुछ इस कदर बयां करती हैं.
रोंजू बेगम भारत के उत्तरी पूर्वी राज्य असम के एक सुदूर गांव मादोईकाटा में रहती हैं, जहां बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है.
तामुलपुर ज़िला मुख्यालय से करीब 11 किलोमीटर दूर मादोईकाटा गांव में प्रवेश करते ही टूटी सड़कों पर बहता पानी, जगह-जगह जमा हुआ कीचड़, कई जगह पानी में आधे डूबे बिजली के खंभे बाढ़ की तबाही बयां करने लगते हैं.

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