ग्वालियर-चम्बल संभाग के खरीफ कार्यक्रम और रबी तैयारियों की हुई समीक्षा
किसानों की आय में वृद्धि के लिये उन्हें समय रहते योजनाओं का लाभ दिलाया जाना सुनिश्चित करें। किसानों को खेती-किसानी के साथ उद्यानिकी और पशुपालन के लिये भी प्रोत्साहित करने के लिये विभागीय अधिकारियों को पाबंद किया जाये। कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) श्री शैलेन्द्र सिंह ने सोमवार को ग्वालियर-चम्बल संभाग के खरीफ कार्यक्रम और रबी तैयारियों की वर्चुअल समीक्षा में उक्त निर्देश दिये। संचालक कृषि श्रीमती प्रीति मैथिल नायक ने कलेक्टरों से रबी की फसलों के लिये प्रदेश स्तर से जारी किये गये निर्देशों के संबंध में विस्तार से चर्चा की। बैठक में मंत्रालय में एमडी मण्डी बोर्ड श्री विकास नरवाल सहित अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी और ऑनलाइन ग्वालियर-चम्बल संभाग के वरिष्ठ अधिकारी एवं कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति शामिल हुए।
एपीसी श्री शैलेन्द्र सिंह ने कृषि, उद्यानिकी एवं पशुपालन संबंधी जिलेवार दिये गये लक्ष्यों को पूरा करने के निर्देश दिये। उन्होंने ताकीद किया कि समय पर किसानों को गुणवत्तापूर्ण खाद-बीज मिले, किसान क्रेडिट कार्ड संबंधी समस्त लाभ मिले और अनुदान संबंधी योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा लाभ दिलाया जाना सुनिश्चित किया जाये। एपीसी श्री सिंह ने किसानों को आधुनिक खेती से अधिकतम लाभ अर्जित कराने के लिये कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों से समय-समय पर जरूरी मार्गदर्शन दिलाने को कहा है। किसान अधिक से अधिक उपज प्राप्त कर आर्थिक रूप से सशक्त होंगे। उन्होंने कहा कि किसानों को खेती-किसानी के साथ उद्यानिकी फसलों और पशुपालन के लिये भी प्रोत्साहित करना चाहिये। इससे भी किसानों की आय में वृद्धि होगी। एपीसी श्री सिंह ने फूड प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना और ग्वालियर-चम्बल संभाग में दुग्ध समितियों का गठन कर नये मिल्क रूट स्थापित करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि निराश्रित पशुओं को गौ-शालाओं में रखने के लिये अभियान चलायें।
एपीसी श्री शैलेन्द्र सिंह ने संभागीय और जिला अधिकारियों को निर्देशित किया कि शासन द्वारा पर्याप्त मात्रा में खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। इसका व्यवस्थित वितरण भी सुनिश्चित करायें। वितरण में लापरवाही करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करें। सतत मॉनीटरिंग कर सुनिश्चित करें कि किसानों को गुणवत्तापूर्ण खाद-बीज ही मिले, नकली और अमानक स्तर के खाद-बीज का विक्रय न हो।