फेसबुक ने बंद किया फेस रिकग्निशन सिस्टम, एक अरब लोगों के चेहरे की पहचान के टेम्प्लेट हटाएगी
हाल में खुद का नाम बदलने वाली फेसबुक ने एक और बड़ा फैसला लिया है। कंपनी ने मंगलवार को फेस रिकग्निशन सिस्टम को बंद कर दिया। यह सिस्टम चेहरे से किसी शख्स की पहचान कर लेता है। इस टेक्नोलॉजी के जरिए फेसबुक अकाउंट को वेरिफाई कर पता करता था कि उसे इस्तेमाल कर रहा यूजर असली है या नकली।
यह सिस्टम अपने प्लेटफार्म से फेक प्रोफाइल हटाने के लिए लाया गया था। अब फेसबुक का कहना है कि कंपनी के रिब्रांड मेटा की ओर से जारी बयान में कंपनी ने कहा है कि हम फेसबुक पर फेस रिकग्निशन सिस्टम को बंद कर रहे हैं। जिन लोगों ने इसे अपनाया है, वे अब फोटो और वीडियो में ऑटोमैटिकली पहचाने नहीं जाएंगे। हम एक अरब से ज्यादा लोगों के चेहरे की पहचान के टेम्प्लेट हटा देंगे।
फेसबुक ने इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी है. दरअसल, फेसबुक पर आरोप लगे कि वह खुद के फायदे के लिए यूजर्स की निजता का हनन कर रहा है जिसके बाद अपनी छवि सुधारने के लिए कंपनी ने ये कदम उठाया है. फेसबुक ने कहा है कि वह फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी को बंद करेगा और एक अरब से भी ज्यादा लोगों के फेसप्रिंट मिटाएगा.
फेसबुक की इस टेक्नोलॉजी के विरोध की सबसे बड़ी वजह यूजर्स की निजता का हनन और बायोमेट्रिक इंफॉर्मेशन फेसबुक के पास होने को लेकर थी. हालांकि पिछले महीने फेसबुक की पूर्व कर्मचारी फ्रांसिस हॉगेन ने फेसबुक के अंदरूनी दस्तावेजों को लीक कर दिया, जिसके बाद फेसबुक का काफी विरोध हुआ. आरोप लगे कि कंपनी यूजर्स की निजता को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है. अपनी इसी गलती को सुधारने के लिए अपना व्यवसायिक नाम तक बदल लिया था.