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ओमीक्रोन को आम सर्दी-जुकाम समझना भूल होगी, एक्सकपर्ट्स ने चेताया

सांस लेने में तकलीफ, O2 में गिरावट दिखे तो फौरन अपने डॉक्टवर से मिलें

WHO एक्संपर्ट्स भी कह रहे, ओमीक्रोन उतना माइल्ड् नहीं जितना बता रहे

कोविड से जुड़ी सावधानियों के पालन में लापरवाही बरतना पड़ सकता है भारी

ओमीक्रोन के लक्षण क्याफ हैं?

•             खांसी (आम)

•             गले में खराश (आम)

•             बुखार (आम)

•             थकान (आम)

•             सिरदर्द (आम)

•             बदन दर्द (आम)

•             छींक आना (नहीं)

•             डायरिया (दुर्लभ)

•             नाक बहना (दुर्लभ)

•             सांस लेने में तकलीफ

•             ऑक्सिजन सैचुरेशन में गिरावट (कमरे की हवा में SpO2 94% से ज्याहदा होना चाहिए)

•             सीने में लगातार दर्द/दबाव महसूस हो

•             मेंटल कन्फ्यू जन या या प्रतिक्रिया न दे पाएं

•             अगर लक्षण 3-4 दिन से ज्याददा रहें या बिगड़ते जाएं

  कोरोना वायरस का अपडेटेड वर्जन यानी ओमिक्रॉन वैरिएंट संपूर्ण विश्व में लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है. ताजे वेरिएंट ने न केवल आम जनजीवन को प्रभावित किया है बल्कि एक बड़ा सवाल भी हमारे सामने मुंह बाये खड़ा है कि क्यावैक्सिनेशन के बावजूद निकट भविष्य में हमें कोरोना वायरस से मुक्ति नहीं मिल पाएगी? इस प्रश्न के यूं तो कई नकारात्मक जवाब मिल सकते हैं लेकिन एक बड़ी सच्चाई यही है कि यदि समय रहते सावधानी बरत ली जाए तो नए ओमिक्रॉन वैरिएंट को बड़ी ही आसानी के साथ इसे शिकस्त दी जा सकती है. क्योंकि भारत के कर्नाटक में ओमिक्रॉन वैरिएंट के दो मामले आ चुके हैं तो कहीं न कहीं हमारे लिए भी जरूरी हो जाता है कि हम इस वेरिएंट को पहचानें और उसी पहचान को आधार बनाकर इससे लड़ने के नए तरीके खोजें.

तो कुछ और बात करने से पहले हमारे लिए ओमिक्रॉन वैरिएंट के लक्षण को जान लेना बहुत जरूरी है. ओमिक्रॉन को समझ लेना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि इसे समझने के बाद ही इससे बचने के तरीके खोजना संभव है. तो आइए जानें कि क्या हैं ओमिक्रॉन वैरिएंट के लक्षण और किस तरह इसकी पहचान कर इससे बचा जा सकता है.

  जैसा कि हम बता चुके हैं ओमिक्रॉन वैरिएंट के दो मामले कर्नाटक में देखे गए हैं तो इसके लक्षण समझने के लिए हमें 46 साल के उस डॉक्टर का रुख करना पड़ेगा जो इस बीमारी की चपेट में आया है. डॉक्टर के विषय में दिलचस्प ये है कि वे एक सरकारी अस्पताल में कार्यरत हैं और इसमें भी हैरत में डालने वाली बात ये है कि उनकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है.

46 साल के डॉक्टर के अनुसार अभी बीते दिनों उन्हें बहुत अधिक थकान, कमजोरी और बुखार जैसे लक्षण दिखे जिसे उन्होंने गंभीरता से लिया और अपना टेस्ट कराया जोकि पॉजिटिव आया. रिपोर्ट्स पर यक़ीन करें तो उनकी साइकिल थ्रेशहोल्ड वैल्यू (CT value) कम थी जिसके बाद उनका सैंपल लैब भेजा गया. इनके संपर्क में आए 5 लोगों का भी टेस्ट पॉजिटिव आया है.

गौरतकब है कि भले ही WHO ने भी ओमिक्रॉन वेरिएंट को गंभीर मानते हुए इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न की संज्ञा दे दी हो लेकिन क्यों कि अभी ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर ठीक ठाक जानकारी हमारे पास नहीं है इसलिए कयासों पर भरोसा करना मजबूरी कम ज़रूरत ज्यादा है. आज भले ही लोग इस नए ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर डरे हों लेकिन कहा यही जा सकता है कि इससे बचाव संभव है.

बचाव कुछ वैसा ही है जैसा हमने कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान देखा. जिस तरह उसे हम वास्तविकता में लेकर आए. अंत में हम बस ये कहकर अपने द्वारा कही तमाम बातों को विराम देंगे कि जानकारी और जागरूकता के जरिये ही कोविड और उसके भाई बंधुओं को परास्त किया जा सकता है. वक़्त आ गया है कि लोगों को सरकार के नहीं बल्कि अपने भरोसे होना होगा और अपनी और अपने परिवार की हिफाजत करनी होगी.

अस्पेतालों में मरीज बढ़ा रहा ओमीक्रोन

अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंरट पल्मोरनोलॉजिस्टत, डॉ राजेश चावला ने कहा कि ओमीक्रोन से मृत्युय दर भले ही डेल्टाज से कम हो, फिर भी यह लोगों को अस्पकताल पहुंचा रहा है। उन्होंीने चेताते हुए कहा, ‘मेरे यहां तीन मरीज ऐसे हैं जिन्हेंे ऑक्सिजन सपोर्ट की जरूरत है। वे सभी फुली-वैक्सीलनेटेड हैं। ओमीक्रोन वेरिएंट अधिकतर अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट  में इन्फेरक्शंन करता है लेकिन डॉक्टरर्स का कहना है कि फेफड़ों में डैमेज के भी मामले सामने आए हैं, खास तौर से बुजुर्गों और डायबिटीज, हाइपरटेंशन जैसी को-मॉर्बिडिटीज वालों में।

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