डिजिटल भारत I जबलपुर जिले में धान की खेती
धान खरीफ की मुख्य फसल है और जबलपुर जिले में लगभग 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में इसे लगाया जाता है। इसमें से लगभग 40 से 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सूखे खेतों में सीड ड्रिल के माध्यम से इसकी सीधी बुआई की जाती है, जबकि शेष क्षेत्रफल में खेतों में कीचड़ मचा कर मजदूर या पैडी ट्रांसप्लांटर के माध्यम से नर्सरी द्वारा तैयार धान के पौधों की रोपाई की जाती है। किसानों ने अपने खेतों में नर्सरी तैयार कर ली है और बारिश के आगमन के साथ जिले भर में रोपाई जोरों पर है।
उप संचालक की सलाह
उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास, रवि आम्रवंशी ने बताया कि जिले में किसानों ने अपने खेतों में नर्सरी तैयार कर ली है और बारिश के आगमन के साथ जिले भर में धान की रोपाई जोरों पर है। श्री आम्रवंशी के मुताबिक, सावधानी पूर्वक धान की रोपाई करने पर किसान अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। रोपाई के लिए धान की 20 से 25 दिनों की पौध सर्वाधिक उपयुक्त होती है।
रोपाई की तकनीक
रोपाई करने से एक दिन पहले नर्सरी में लगी हुई धान की अच्छी तरह सिंचाई करनी चाहिए, ताकि दूसरे दिन धान के पौधों को निकालते समय उनकी जड़ न टूटें और पौधे भी आसानी से निकल जाएं। पौधों की जड़ों में लगी मिट्टी को पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए। इसके बाद किसानों द्वारा जड़ों का उपचार करने से फसलों में उर्वरक की आंशिक पूर्ति की जा सकती है।
धान की पौधों का उपचार
उप संचालक ने बताया कि कार्बेंडाजिम 75 प्रतिशत WP की 2 ग्राम मात्रा और स्ट्रेप्टोसाइक्लिन की 0.5 ग्राम मात्रा को 1 लीटर पानी में घोल बनाकर धान के पौधों को 20 मिनट तक डुबोकर रखना चाहिए। इसके बाद उपचारित पौधों को एक बोतल नैनो DAP के 100 लीटर पानी में बने घोल में दोबारा 20 मिनट तक डुबोकर रखना चाहिए। उपचारित पौधों की तैयार खेत में परस्पर 20 सेंटीमीटर की दूरी पर स्थित कतारों में 10 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई करनी चाहिए। रोपाई करते समय एक स्थान पर दो से तीन पौध लगाना चाहिए और पौधों की गहराई दो से तीन सेंटीमीटर से अधिक नहीं रखनी चाहिए।
धान की खेती पर विस्तृत रिपोर्ट और आंकड़े
धान भारत की प्रमुख खाद्यान्न फसलों में से एक है और यह देश की खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। धान की खेती के तहत सबसे बड़ा क्षेत्रफल वाला राज्य पश्चिम बंगाल है, जिसके बाद उत्तर प्रदेश, पंजाब, ओडिशा और बिहार आते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा किए गए अध्ययनों के अनुसार, धान की उन्नत प्रजातियों और प्रबंधन तकनीकों के उपयोग से पैदावार में वृद्धि हो सकती है।
उपसंहार
किसानों के लिए धान की फसल एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत है और इसके उत्पादन में बढ़ोतरी करने के लिए नई तकनीकों और उन्नत कृषि विधियों का उपयोग आवश्यक है। उप संचालक रवि आम्रवंशी द्वारा दी गई सलाह किसानों को अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने में सहायक हो सकती है। किसान इन तकनीकों और उपायों का पालन कर बेहतर फसल उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।