डिजिटल भारत I आजादी के अमृत महोत्सव के तहत केंद्र सरकार के आह्वान पर जिले में सौ से ज्यादा अमृत-सरोवरों का निर्माण कराया जा रहा है। इनके निर्माण कार्य की डैडलाइन लगातार आगे सरकती जा रही, लेकिन काम की रफृतार बहुत धीमी है। फिलहाल 31 मार्च 2023 तक काम पूरा कराने का लक्ष्य तय किया गया है।
इस तरह से बमुश्किल ढाई महीने ही बचे हैं, लेकिन काम की पूर्णता का प्रतिशत 55 के आस-पास ही है। यद्यपि अधिकारी सत्रांत तक लक्ष्य प्राप्त कर लेने की बात कह रहे हैं।
मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक अमृत-सरोवर योजना है। इसके पीछे की साेच यह रही है कि इस माध्यम से बरसाती पानी को एक जगह रोक कर रखा जा सके और जरूरत पड़ने पर उसका उपयोग सिंचाई व अन्य प्रकार की जल-जरूरतों के रूप में किया जा सके।
जिले में इस योजना के तहत पहले 63 अमृत-सरोवरों का लक्ष्य तय किया गया था, जिसे कुछ समय बाद बढ़ाकर 101 कर दिया गया था। इन सभी के लिए तकनीकि और प्रशासनिक स्वीकृति भी समय पर हासिल की जा चुकी है। निर्माण कार्य के लिए राशि भी जारी की जा चुकी है। पूरा अमला काम में गति लाने के लिए हाथ-पांव मार रहा है।
अब तक जिले में कुल 56 सरोवरों का ही निर्माण कार्य पूरा हो पाया है। इनके निर्माण पर करीब आठ करोड़ अठासी लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं। हालांकि कुल 101 निर्माण कार्यों केे लिए 17 करोड़ 49 लाख रुपये जारी किए गए हैं। करीब 20 सरोवर ऐसे हैं जिनका निर्माण कार्य 50 प्रतिशत से अधिक पूर्ण हो चुका है। अफसरों को भरोसा है कि 15 अगस्त तक शत-प्रतिशत सरोवरोंं का काम पूरा हो सकता है।
कहां कितने बनने हैं, कितने बन पाए…
जबलपुर जिले आठ विकासखंडों में 101 अमृत-सरोवर बनने हैं, जिनमें से 56 बन पाए हैं। विकासखंड जबलपुर-बरगी में 10 बनने थे, जिनमें से चार बन पाए हैं। कुंडम में 21 बनने थे, जिनमें से आठ बने हैं। मझौली में 26 बनने थे, जिनमें से 17 बन चुके हैं। पनागर में छह बनने थे, जिनमें से चार ही बन पाए हैं। पाटन में पांच प्रस्तावित रहे, जिनमें से तीन, शहपुरा में 19 बनने थे, जिनमें से 13 और सिहोरा में 14 बनने थे, जिनमें से सात ही बन पाए हैं।