डिजिटल भारत l नन्हें -मुन्ने बच्चों के कांधो पर बोझ बढ़ाया..!
मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल द्वारा प्रत्येक सत्र में करोड़ों रुपए खर्च कर पर्यावरण संरक्षण का ध्यान नहीं रखते हुए पाठ्य पुस्तकें, दक्षता संवर्धन, एडग्रेड तो कभी प्रयास पुस्तकें छपाई जाती है,जबकि पर्यावरण विषयों में अध्ययन करवाया जाता है किन्तु राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा पर्यावरण संरक्षण का ध्यान ना रखते हुए हर सत्र पुस्तकें वो भी पाठ्य पुस्तकों के साथ भिन्न -भिन्न तरह की अनेक मोटी -मोटी पुस्तकों का मुद्रण करवा कर समस्त जिलों में मार्च माह से अगस्त माह तक वितरण किया जाता है। शासन एक तरफ बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने पर जोर दे रही है, वहीं माध्यमिक स्तर की कक्षाओं में पुस्तकों की संख्या लगभग 17 है तो वहीं कापियों का अलग बोझ, नन्हें -मुन्ने बच्चों के कंधों पर भारी बोझ लाद दिया जा रहा है। दूसरी तरफ से पाठ्य पुस्तकें, दक्षता,एडग्रेड तो कभी प्रयास पुस्तकें प्रकाशित कर करोड़ों रुपए खर्च कर पर्यावरण संरक्षण का ध्यान ना देते हुए, ना जाने कितने वृक्षों का कत्ल कर प्रत्येक सत्र पुस्तकें प्रकाशित कर कमीशन बाज़ी कर नन्हें -मुन्ने बच्चों का बोझ बढ़ा रही है।
मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर के अनुसार आधुनिक युग में जबकि तकनीकी शिक्षा,ऑनलाइन शिक्षा, स्मार्ट टी.वी., टेबलेट,कंप्यूटर आदि के युग में बस्ते का बोझ कम किया जा सकता है तो फिर वही पुरानी पद्धति से पर्यावरण संरक्षण का ध्यान ना रखते हुए पर्यावरण को नुकसान क्यों पहुंचा रहे हैं..?
मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के दिलीप सिंह ठाकुर,धर्मेंद्र परिहार, नितिन तिवारी, ऋषि पाठक, दुर्गेश खातरकर, जी आर झारिया,आकाश भील, महेश प्रसाद मेहरा, भोजराज विश्वकर्मा,गंगाराम साहू, भोगीराम चौकसे, चंद्रभान साहू, अंजनी उपाध्याय, सुधीर गौर, राशिद अली, राकेश मून, अजब सिंह, सुल्तान सिंह, देवराज सिंह, इमरत सेन, लोचन सिंह, रामकिशोर इपाचे, रामदयाल उइके, मनोज कोल, पवन सोयाम, देव सिंह भवेदी, पुष्पा रघुवंशी, अर्चना भट्ट, रेनू बुनकर, कल्पना ठाकुर, ब्रजवती आर्मो, राजेश्वरी दुबे, दीपिका चौबे, पूर्णिमा बेन, सुमिता इंगले, प्रेमवती सोयाम इत्यादि ने श्रीमान आयुक्त महोदय,राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल से मांग की है, कि आगामी सत्र से पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखते हुए स्कूलों में ही पाठ्य पुस्तकें का बुक -बैंक निर्माण कर बच्चों से पुस्तकें वापिस लेकर पुनः उपयोग में लाई जावे जिससे शासन -प्रशासन के करोड़ों रुपयों की बचत होगी एवं पर्यावरण संरक्षण कार्य में भी सहयोग होगा।