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मुख्यमंत्री श्री चौहान बड़नगर में लाड़ली बहना सम्मेलन में शामिल हुएकिया 150 करोड़ के विकास कार्यों का लोकार्पण/भूमि-पूजन

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डिजिटल भारत | मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में बहनों के सशक्तिकरण के लिये सामाजिक क्रांति हो रही है।मेरी जिंदगी का मकसद है बहनों के चेहरे पर मुस्कराहट लाना। मैं किसी बहन को दुखी नहीं रहने दूँगा। आज बड़नगर की जनता ने जो मुझे प्यार और विश्वास दिया है, बहनों ने जिस राखी के कच्चे धागे से मुझे बांधा है, उस विश्वास को कभी नहीं टूटने दूँगा। बहनों की जिंदगी खुशहाल बनाने के लिये हरसंभव प्रयास करूँगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान आज उज्जैन जिले के बड़नगर में
लाड़ली बहना सम्मेलन में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने 150 करोड़ रूपये के विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण/भूमि-
पूजन किया। विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को हितलाभ भी वितरित किये। सम्मेलन का शुभारंभ कन्या-पूजन और दीप
प्रज्ज्वलन से हुआ। मुख्यमंत्री ने पुष्प-वर्षा कर विशाल संख्या में उपस्थित बहनों का अभिनंदन किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में बहन-बेटियों को सशक्त करने के कार्य निरंतर किये जा रहे हैं। लाड़ली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्या विवाह-निकाह योजना और अब लाड़ली बहना योजना ने समाज में बहनों की स्थिति को बहुत मजबूत कर दिया है। अब बेटियाँ बोझ नहीं वरदान बन गई हैं। प्रदेश में 21 वर्ष आयु की बहनों और ट्रेक्टर वाले परिवारों की बहनों के नाम जुड़ जाने के बाद अब लाड़ली बहनों की संख्या एक करोड़ 32 लाख हो गई है। जो बहनें छूट गई हैं, उनके नाम भी जोड़े जायेंगे।


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अभी राखी पर बहनों को 250 रूपये भिजवाये थे। लाड़ली बहना योजना की राशि अब
1250 रूपये कर दी गई है। इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर 3000 रूपये तक किया जायेगा। पहले बहनों को अपनी छोटी-छोटी
आवश्यकताओं के लिये परेशान होना पड़ता था। मैंने उनके इस दर्द को समझा और लाड़ली बहना योजना बनाई। लाड़ली बहना योजना मेरे दिल से निकली योजना है। इससे बहनों की परिवार में इज्जत बढ़ी है। सरकार का प्रयास है कि हर बहन की
आमदनी 10 हजार रूपये महीना हो और इसके लिये आजीविका मिशन में उन्हें विभिन्न गतिविधियों के लिये सहायता दी जा
रही है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अब बहनों को टोल बेरियर भी संचालन के लिये दिये जा रहे हैं। टोल टैक्स से प्राप्त
राशि की 30 प्रतिशत राशि बहनों को आमदनी के रूप में मिलेगी।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हम नया जमाना ला रहे हैं।
प्रदेश में सरकारी संसाधनों का उपयोग गरीबों और किसानों के लिये किया जा रहा है। हर व्यक्ति को पक्की छत की व्यवस्था की जा रही है। जिनके पास रहने की जमीन नहीं है उन्हें आवासीय भू-अधिकार योजना में पट्टे दिये जा रहे हैं। जिन व्यक्तियों के
नाम प्रधानमंत्री आवास योजना में नहीं आये हैं, उनका सर्वे करवाकर उनके लिये नई योजना मुख्यमंत्री आवास योजना बनाई जा
रही है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि इस बार बारिश कम होने बिजली का उत्पादन कम हो रहा है। फिर भी सरकार द्वारा
गरीबों को राहत के लिये 31 अगस्त तक के एक किलोवाट तक के बिजली के बिल शून्य किये जा रहे हैं ।

और आगामी माह से हर माह (100 यूनिट तक) 100 रूपये बिजली का बिल आयेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बहनें अपने बच्चों को अवश्य पढ़ायें। अब उच्च शिक्षा की मंहगी फीस भी मामा भरवायेगा। शिक्षा के लिये हर आवश्यक व्यवस्था सरकार द्वारा करवाई जा रही है। साइकिल के लिये 4500 रूपये सरकार देती है, अब 12वीं में स्कूल में टॉप करने वाले छात्र-छात्राओं को स्कूटी भी दी जा रही है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पुरानी सरकार ने कन्या विवाह, तीर्थ-दर्शन, प्रसूति सहायता, शून्य प्रतिशत ब्याज पर फसल ऋण, मेधावी विद्यार्थियों को लेपटॉप आदि योजनाएँ बंद कर दी थी। हमारी सरकार ने फिर से इन्हें चालू किया है। अब सरकार बुजुर्गों को हवाई जहाज से भी तीर्थ-यात्रा करवा रही है। किसानों को केन्द्र सरकार द्वारा दी जा रही 6 हजार रूपये की सम्मान निधि के अलावा राज्य सरकार भी 6 हजार रूपये प्रति वर्ष दे रही है। किसानों के ब्याज की राशि सरकार ने भरी है और उन्हें शून्य प्रतिशत ब्याज पर पुन: फसल ऋण दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बड़नगर क्षेत्र के विकास के लिये कई घोषणाएँ कीं।

इनमें बड़नगर में 20 करोड़ रूपये की लागत से मल्टीपर्पज इंडोर स्टेडियम एवं स्वीमिंग पूल बनवाने और क्षेत्र के जो गाँव नर्मदा जल से वंचित रह गये हैं, उन सभी गाँवों में नर्मदा जल पहुँचाना प्रमुख है। मुख्यमंत्री ने नगर व आसपास के विभिन्न
मार्गों और पुल-पुलियाओं के निर्माण की भी घोषणा की। कार्यक्रम में प्रदेश के वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री और जिले के प्रभारी श्री जगदीश देवड़ा, सांसद श्री अनिल फिरोजिया, विधायक श्री बहादुर सिंह चौहान, श्री बहादुर सिंह बोरमुंडला, अन्य जन-प्रतिनिधिऔर बड़ी संख्या में लाड़ली बहनों सहित जन-समुदाय उपस्थित था।

जनदर्शन यात्रा में उमड़ा जनता का अभूतपूर्व सैलाब

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज बड़नगर में जनदर्शन भी किया। बड़नगर की धरती पर चहुंओर त्यौहार-सा
नजारा नजर आया। जनदर्शन के दौरान जनता ने मुख्यमंत्री का अपार स्नेह एवं उत्साह से स्वागत किया और घरों से, घर की
छतो से, गलियारों से, सड़क के दोनों ओर कतारबद्ध होकर पुष्पों की वर्षा की। मुख्यमंत्री का लाड़ली बहनों एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों ने रास्ते के दोनों ओर जगह-जगह स्वागत मंच बनाकर अपार उत्साह से स्वागत किया।

मुख्यमंत्री श्री चौहान का खाचरौदअधिकार मंच, अतिथि विद्वान नियमितिकरण संघर्ष समिति, सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्राओं एवं शिक्षकों ने मुख्यमंत्री का सभा मंच से स्वागत किया। वहीं सुराज कॉलोनी, विभिन्न ग्राम पंचायत के निवासियों, प्रधानमंत्री आवास योजना(ग्रामीण एवं शहरी) के हितग्राहियों, महिला स्व-सहायता समूह के सदस्यों ने सड़क के दोनों ओर कतारबद्ध और अनुशासित होकरअपूर्व जोश और उत्साह से स्वागत किया।

लाड़ली बहनें “धन्यवाद भैया” एवं भांजियाँ “प्यारे मामा” के नाम की तख्तियां लिये हुए थी। महिलाओं ने लाड़ली बहना योजना का लाभ देने के लिये पुष्प-वर्षा कर मुख्यमंत्री श्री चौहान के प्रति आभार और हर्ष व्यक्त किया। मुख्यमंत्री का काफिला विभिन्न मार्गों से होते हुए निकला तब हर गली एवं मोहल्ले में ढोल-नगाड़ों से मुख्यमंत्री का स्वागत किया गया। लाड़ली बहनें दोपहिया वाहन पर सवार थीं। वे सभी मुख्यमंत्री के पीछे उत्साह से चल रही थीं।

जगह-जगह जनता ने “प्यारे मामा, प्यारे भैया जिन्दाबाद” के नारे लगाये। जनदर्शन यात्रा में वित्त मंत्री एवं उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री श्री जगदीश देवड़ा भी शामिल हुए।

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मुख्यमंत्री की पहल पर पूरे प्रदेश में हुई जनकल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत

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  • अब गरीब को दस रुपए की जगह मात्र  ₹5 में भरपेट मिलेगा भोजन* आवासहीनों को मिले पट्टे  को विधायक अशोक
  • ईश्वर दास रोहाणी और अध्यक्ष रिंकू विज ने किया योजना का जबलपुर में शुभारंभ
  • केंद्र और राज्य सरकार सबके साथ- अशोक ईश्वर दास रोहाणी

डिजिटल भारत । जबलपुर। पूरे मध्य प्रदेश में आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान की पहल पर दीनदयाल रसोई योजना एवं आवासहीनो को पट्टे वितरित किए गए। इसी तारतम्य में  जबलपुर नगर निगम के भंवर ताल स्थित संस्कृतिक भवन में यह कार्यक्रम कैंट विधानसभा विधायक अशोक ईश्वर दास रोहाणी  के मुख्य अतिथि में शुरू किया गया जिसमें उन्होंने मुख्य अतिथि की आसंदी से अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार हर गरीब और हर व्यक्ति के साथ में है। आज मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के कर कमलों से पूरे प्रदेश में इस योजना की शुरुआत हो गई है। इसी क्रम में यहां पर भी इन दोनों योजनाओं की शुरुआत की गई है। अब दीनदयाल रसोई योजना से हर गरीब को ₹5 में भरपेट भोजन मिलेगा।  वहीं  आवास हिनो को भी आज पट्टे वितरित किए गए हैं जिससे कि हर गरीब के घर का सपना साकार हो। आज इस अवसर पर नगर निगम अध्यक्ष रिंकू विज भी अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं के विषय में बताया। इस कार्यक्रम में नगर निगम आयुक्त स्वप्निल वानखडे अपर आयुक्त आर पी मिश्रा, उपायुक्त मनोज श्रीवास्तव के अलावा नगर निगम जबलपुर की पूरी टीम उपस्थित रही।

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पर्यावरण संरक्षण पर जोर और फिजूल खर्च पर लगाई जाए रोक…!

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डिजिटल भारत l नन्हें -मुन्ने बच्चों के कांधो पर बोझ बढ़ाया..!

मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल द्वारा प्रत्येक सत्र में करोड़ों रुपए खर्च कर पर्यावरण संरक्षण का ध्यान नहीं रखते हुए पाठ्य पुस्तकें, दक्षता संवर्धन, एडग्रेड तो कभी प्रयास पुस्तकें छपाई जाती है,जबकि पर्यावरण विषयों में अध्ययन करवाया जाता है किन्तु राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा पर्यावरण संरक्षण का ध्यान ना रखते हुए हर सत्र पुस्तकें वो भी पाठ्य पुस्तकों के साथ भिन्न -भिन्न तरह की अनेक मोटी -मोटी पुस्तकों का मुद्रण करवा कर समस्त जिलों में मार्च माह से अगस्त माह तक वितरण किया जाता है। शासन एक तरफ बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने पर जोर दे रही है, वहीं माध्यमिक स्तर की कक्षाओं में पुस्तकों की संख्या लगभग 17 है तो वहीं कापियों का अलग बोझ, नन्हें -मुन्ने बच्चों के कंधों पर भारी बोझ लाद दिया जा रहा है। दूसरी तरफ से पाठ्य पुस्तकें, दक्षता,एडग्रेड तो कभी प्रयास पुस्तकें प्रकाशित कर करोड़ों रुपए खर्च कर पर्यावरण संरक्षण का ध्यान ना देते हुए, ना जाने कितने वृक्षों का कत्ल कर प्रत्येक सत्र पुस्तकें प्रकाशित कर कमीशन बाज़ी कर नन्हें -मुन्ने बच्चों का बोझ बढ़ा रही है।


मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर के अनुसार आधुनिक युग में जबकि तकनीकी शिक्षा,ऑनलाइन शिक्षा, स्मार्ट टी.वी., टेबलेट,कंप्यूटर आदि के युग में बस्ते का बोझ कम किया जा सकता है तो फिर वही पुरानी पद्धति से पर्यावरण संरक्षण का ध्यान ना रखते हुए पर्यावरण को नुकसान क्यों पहुंचा रहे हैं..?
मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के दिलीप सिंह ठाकुर,धर्मेंद्र परिहार, नितिन तिवारी, ऋषि पाठक, दुर्गेश खातरकर, जी आर झारिया,आकाश भील, महेश प्रसाद मेहरा, भोजराज विश्वकर्मा,गंगाराम साहू, भोगीराम चौकसे, चंद्रभान साहू, अंजनी उपाध्याय, सुधीर गौर, राशिद अली, राकेश मून, अजब सिंह, सुल्तान सिंह, देवराज सिंह, इमरत सेन, लोचन सिंह, रामकिशोर इपाचे, रामदयाल उइके, मनोज कोल, पवन सोयाम, देव सिंह भवेदी, पुष्पा रघुवंशी, अर्चना भट्ट, रेनू बुनकर, कल्पना ठाकुर, ब्रजवती आर्मो, राजेश्वरी दुबे, दीपिका चौबे, पूर्णिमा बेन, सुमिता इंगले, प्रेमवती सोयाम इत्यादि ने श्रीमान आयुक्त महोदय,राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल से मांग की है, कि आगामी सत्र से पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखते हुए स्कूलों में ही पाठ्य पुस्तकें का बुक -बैंक निर्माण कर बच्चों से पुस्तकें वापिस लेकर पुनः उपयोग में लाई जावे जिससे शासन -प्रशासन के करोड़ों रुपयों की बचत होगी एवं पर्यावरण संरक्षण कार्य में भी सहयोग होगा।

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क्या आप जानते है भारत में कितने प्रकार की चाय मिलती है …?

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चाय पानी के बाद ऐसा पेय है जिसे दुनिया में सर्वाधिक पीया जाता है। चाय सदियों से चली आ रही है और हमारे देश की 80 फीसदी जनसंख्या अपने दिन की शुरुआत चाय के साथ करती है। यह कहना भी अनुचित न होगा कि चाय
हमारी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा है।

भारत विश्व में चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इंडिया में 563.98 हजार हेक्टेयर में चाय के बागान हैं, जिसमें से असम (304.40 हजार हेक्टेयर), पश्चिम बंगाल (140.44 हजार हेक्टेयर), तमिलनाडु (69.62 हजार हेक्टेयर) और केरल (35,000 हजार हेक्टेयर) में चाय उत्पादन होता है। लेकिन क्या आप जानते है भारत में चाय के बगान, चाय उत्पादन के साथ साथ इंडिया के पर्यटन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है जहाँ हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक अपनी फैमली, फ्रेंड्स के साथ घूमने और हनीमून मनाने के लिए आते है।

क्या आप एक चाय प्रेमी हैं? यदि हाँ, तो आपको इस बार की छुट्टियों में अपने फ्रेंड्स या फैमली के साथ चाय बागान घूमने जाने का प्लान बनाना चाहिये। इस तरह की यात्रा के दौरान, आप मनमोहक वादियों के बीचो बीच चाय कारखानों का पता लगा सकते हैं और अपनी पसंद के चाय एस्टेट में कुछ दिन बिता सकते हैं।


चाय कितने प्रकार की होती है?


1-सामान्य चाय
सामान्य चाय आपको हर चाय के होटलो में आसानी से मिल जाएगी जोकि स्वाद में बेहतरीन विकल्प है । इसे घर पारर भी तैयार करना बेहद आसान है । 1 कप उबलते हुए पानी(Boiled Water) में चाय की पत्ती(Leaf) और शक्कर(Sugar) स्वाद अनुसार डालने के बाद दूध(Milk) डालकर अच्छे से पकने तक उबला जाता है और तैयार होने पर गरमा-गर्म परोसी जाती है ।

2-अदरक वाली चाय
-यह अधिकांश रूप से सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली चाय है जोकि होती तो सामान्य चाय की तरह ही है लेकिन इसमें अदरक की मात्रा ज्यादा होती है । अधिकांश घरो में बनने वाली चाय अदरक वाली कड़क चाय ही होती है ।अदरक वाली चाय पीने में तो अच्छी होती है बल्कि स्वाथ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है इसको पीने से शारीरिक व मानसिक थकान कुछ कम हो जाती है ।

3-इलाईची वाली चाय
इलाईची वाली चाय भी अदरक वाली चाय की तरह ही बनाई जाती है बस इसमें अदरक के जगह इलाईची का इस्तेमाल किया जाता है और इसका स्वाद आपको चाय पीने में ही अनुभव होगा चुकी इलाईची-अदरक की अपेछा एक कीमती चयन है ।

4-मसाला चाय
-अगर आप सामान्य चाय पी कर थक चुके है और चाय में कुछ नया स्वाद चाहते है तो आपको मसाला चाय जरूर पीनी चाहिए । सामान्य रूप से बनने वाली चाय में अदरक-इलाइची के आलावा एक चाय मसाला भी प्रयोग किया जाता है । यह चाय मसाला कंपनियों के भी उपलब्ध है जैसे एवेरेस्ट मसाला अशोक मसाला आदि ।
मुख्य रूप से चाय मसाला में काली मिर्च ,लॉग, दालचीनी और अनेक प्रकार के मसलो का प्रयोग होता है जो चाय को एक उत्कृट स्वाद देता है ।

5-लेमन टी
-लेमन चाय मतलब नीबू की चाय बनाने के लिए 1 कप पानी में उसमे 1/2 चम्मच चाय की पत्ती ड़ालकर अच्छी तरह उबाल लेते है लेमन चाय में शुगर की मात्रा को बढ़ा कर लेते है चाय को गिलास में छानने के बाद लेमन डालते है ।
आज की युवा पीढ़ी को जो अपने स्वास्थ्य को लेकर बहुत सचेत रहती है उन्हें यह लेमन चाय काफी पसंद आती है और लेमन चाय पेट के लिए बहुत फायदेमंद होती है ।

6-ग्रीन टी
आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, वजन कम करने और अपने शरीर को अंदर से स्वच्छ करने में आपका सबसे अच्छा दोस्त ग्रीन टी होगा। अपनी चाय की पत्तियों को पानी में मिलाएं और इसे उबलने दें। एक बार जब यह काफी उबल जाए तो चाय को छान लें।
हरी चाय का सबसे अच्छा हिस्सा यह है कि आप इससे जो भी जोड़ते हैं, वह अच्छी तरह से मिल जाता है। आप अपने ग्रीन टी में फ्लेवर जोड़ने के लिए चीनी, अदरक, पुदीने की पत्तियां, नींबू या मसाले डाल सकते हैं।

7-शुगर फ्री चाय
आज के दौर में हर व्यक्ति अपने स्वाथ्य को लेकर बहुत सचेत है । जो व्यक्ति डॉयबिटीज़ के मरीज है वो तो शुगर फ्री चाय लेना पसंद करते है मगर जिन्हे डॉयबिटीज़ नहीं भी है वो व्यक्ति भी शुगर फ्री चाय को अधिक पसंद कर रहे है ।
शुगर फ्री टेबलेट्स या बिना शक्कर की चाय इसका एक विकल्प है ।
यह इंडिया में आम-तोर पर मिलने वाली कुछ चाय है जिनका लुफ्त आप किसी भी रेस्टॉरेंट होटल या चाय की दुकानों पर ले सकते है ।

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रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने क्यों किया भारत नहीं आने का फ़ैसला …?

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डिजिटल भारत l भारत की अध्यक्षता में दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को होने जा रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान समेत दुनिया के शीर्ष नेता शामिल होंगे.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने भारत नहीं आ रहे हैं। पुतिन के कार्यालय क्रेमलिन ने इस बात की पुष्टि कर दी है। उनकी जगह पर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव रूस का प्रतिनिधित्व करेंगे। इससे पहले दक्षिण अफ्रीका में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी पुतिन प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं हुए। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्मेलन को संबोधित किया था। पहले संभावना जताई जा रही थी कि पुतिन जी-20 में हिस्सा लेने भारत की यात्रा कर सकते हैं, क्योंकि उनके पहले से तय शेड्यूल में इसी को लेकर बदलाव किया गया था। अब सवाल उठ रहा है कि आखिर पुतिन ने एन वक्त पर भारत आने से इनकार क्यों कर दिया।

पेस्कोफ़ ने कहा, “पुतिन दिल्ली में होने जा रहे जी-20 सम्मेलन में जाने की योजना नहीं बना रहे हैं. अभी यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान ही सबसे अहम है.पुतिन के जल्द ही तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन के बुलावे पर तुर्की की यात्रा करने और ब्लैक सी ग्रेन डील (काले सागर के ज़रिये गेहूं के निर्यात से जुड़ा समझौता) पर चर्चा करने की संभावना थी.
तुर्की की मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ पुतिन को अगस्त के अंत में ये दौरा करना था. हालांकि अगस्त का आख़िरी सप्ताह है और अब इस यात्रा के भी रद्द होने की आशंका है.

हालांकि जी-20 शिखर सम्मेलन से पुतिन की ग़ैर-मौजूदगी कोई नई बात नहीं होगी. हाल ही में दक्षिण अफ़्रीका में हुए ब्रिक्स (ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन और दक्षिण अफ़्रीका) के शिखर सम्मेलन में भी पुतिन अनुपस्थित रहे.

पुतिन पिछले साल बाली में हुए जी-20 सम्मेलन में भी शामिल नहीं हुए थे.

दक्षिण अफ़्रीका में ब्रिक्स सम्मलेन और बाली में जी-20 सम्मेलन में पुतिन की जगह विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ शामिल हुए थे.

हालांकि ये पहली बार नहीं है, जब पुतिन जी-20 शिखर सम्मेलन से नदारद होंगे. साल 2014 में ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में जी-20 सम्मेलन में पुतिन को नहीं बुलाया गया था.

यूक्रेन युद्ध के बाद से पुतिन ने अपने विदेशी दौरे सीमित किए हैं. हालांकि जून 2022 में उन्होंने ताजीकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान का दौरा किया था.

इसके अलावा पिछले साल पुतिन एससीओ समिट में उज़्बेकिस्तान गए थे और वहां उनकी मुलाक़ात पीएम मोदी से भी हुई थी. इसी मुलाक़ात में पीएम मोदी ने पुतिन से कहा था कि यह युद्ध का दौर नहीं है

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क्या आप जानते है कितने जायके समेटे हुए है मध्य प्रदेश अपने अंदर…..?

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डिजिटल भारत l भारत के इस राज्य की राजधानी भोपाल शहर है। इस राज्य का कुल क्षेत्रफल 308,245 वर्ग किलोमीटर है। मध्य प्रदेश की सीमाऐं पाँच राज्यों की सीमाओं से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है।

वर्ष 2011 के आंकड़ों के अनुसार यहाँ की कुल आबादी 7.33 करोड़ (MP Total Population) है। जिनमे से 90.9% लोग हिंदू धर्म को मानते हैं, जबकि अन्य में मुस्लिम (6.6%), जैन(1%),ईसाई (0.3%), बौद्ध (0.3%), और सिख (0.2%) आदि आते है।

आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की 01 नवंबर, 2000 तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इसके बाद इस दिन मध्यप्रदेश राज्य से 16 जिले अलग कर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई थी।
मध्य प्रदेश पूरे भारत में अपने बेहरतीन इतिहास और समृद्ध संस्कृति के लिए जाना जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है की यही इस राज्य की खासियत हो. बल्कि इससे अलग काफी कुछ है जो मध्य प्रदेश राज्य को खास पहचान दिलाता है. और उस में से एक है यहां का स्वादिष्ट खाना. हर राज्य का वहां के लोगों के हिसाब से अपना अलग खाना-पान और रहन सहन होता है. जिसमें उनकी संस्कृति और वहां के खूबसूरत विचार झलकते हैं. मध्य प्रदेश जायको की जमीन के नाम से भी जाना जाता है. और बहुत सी ऐसी टेस्टी और स्पेशल रेसिपीज है जिनकी यहीं की जमीन से शुरुआत हुई है. यहां पर नॉनवेज और वेज खाने के शौकीनों के लिए कई तरह के फूड आइटम खाने को मिल जाते हैं. राज्य की राजधानी भोपाल की गलियों में आपको वो सभी खाने के व्यंजन मिल जाएंगे जिसका स्वाद आप भूले नहीं भुलाएंगे. तो इस बार अगर आप मध्य प्रदेश जाने का प्लेन बना रहे हैं तो वहां के स्वादिष्ट खाने का स्वाद लिए बिना वापस ना आएं. और इसी लिए इस लेख में मैं आप को बताऊंगा की मध्य प्रदेश में ऐसी कौन सी खास खाने की चीजें मिलती हैं जिनका स्वाद आप वहां जा कर ले सकते हैं.

  1. इंदौरी नमकीन
    मध्य प्रदेश में बनने वाली इंदौरी नमकीन पूरे भारतवर्ष में फेमस है जो आपको और बाकी किसी भी शहर में देखने को नहीं मिलती. जब आप इसको खाएंगे तो इसका स्वाद आपका दिल जीत लेगा. इसके साथ ही यहां के रतलामी सेंव का स्वाद भी आपको काफी पसंद आएगा. इस नमकीन को और नमकीन की तरह की बेसन से बनाकर तैयार करने के बाद मुंगफली के ततेल में तला जाता है. इंदौर का सराफा बाजार सबसे अच्छी जगह है इंदौरी नमकीन को खरीदने के लिए.
  2. पोहा-जलेबी
    क्या आपने कभी पोहा और जलेबी का स्वाद एक साथ लिया है. और क्या इस कॉम्बिनेशन को एक साथ ट्राय करने के बारे में सोचा है. अगर नहीं तो बता दूं की मध्य प्रदेश के लोगों के लिए पोहा जलेबी सबसे पसंदीदा नाश्ता है. पोहे और जलेबी का कॉम्बिनेशन इस रेसेपी को काफी अनोखा बनाता है. यही कारण है की उत्तर भारत के कई लोग इसके दिवाने है. अकसर यहां के लोग इसे नाश्ते में खाते हैं. अगर आप भोपाल जाएंगे तो यहां के सुलैमानी चाय के साथ पोहा जलेबी का टेस्ट लेना ना भुलिएगा. अगर आपको इसका स्वाद लेना है तो आप इतवारा रोड पर कल्यान सिंह का स्वाद भंडार और पीर गेट एरिया पर राजू टी स्टॉल पर जा सकते हैं. यहां आपको पूरे मध्य प्रदेश की सबसे बेस्ट और स्वादिष्ट पोहा जलेबी खाने को मिल जाएगी. इंदौर में भी काफी शानदार स्ट्रीट फूड खाने और देखने को मिल जाते हैं. अगर आप यहां है और तो आपको नाश्ते में क्या खाना है इसकी जिंता कभी नहीं होगी. आप यहां के सराफा बाजार में जय भोले जलेबी भंडार का स्वाद दूध के साथ ले सकते हैं. यहां बिकने वाली जलेबी का तोड़ पूरे भारत में नहीं है.
  3. भोपाली गोश्त कोरमा
    नॉनवेज लोगों के लिए भोपाल में काफी कुछ है. यहां के खाने में मुगलाई खाने की झलकी साफ दिखती है. यहां का भोपाली गोश्त कोरमा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. भोपाली गोश्त कोरमा यहां के नवाबी रेसिपीज का एक अनोखा हिस्सा मानी जाती रही है. इसको बनाने के लिए मटन को तरह तरह के स्पेशल मसालों की ग्रेवी में कम आंच में पकाया जाता है. अगर आप नॉन वेज लवर हैं और भोपाल की यात्रा करने वाले हैं तो चटोरी गली में आप भोपाली गोश्त कोरमा आ आनंद ले सकते हैं.
  4. चक्की की शाक
    चक्की की शाक को बनाने के लिए गेहूं के आटे को स्टीम कर के तैयार किया जाता है. और इसे करी और दही के साथ परोसा जाता है. आपको पहली बार सुनने में ये डिश काफी बोरिंग लग सकती है. लेकिन इसका शानदार टेस्ट आपको अपना दिवाना बना देगा. राजस्थानी कल्चल से प्रेरित चक्की की शाक पूरे मध्य प्रदेश में काफी पसंद की जाती है. चक्की की शाक मध्य प्रदेश में किसी खास पार्टी, त्यौहार या फिर स्पेशल मौके पर बनाई जाती है. इस लिए भी ये यहां की सबसे खास डिशों में आती है
  5. दाल बाफला
    राजस्थान की दाल बाटी के नाम पर पड़ा मध्य प्रेदश का दल बाफला यहां के लोगों के दिलों और जुबां पर अपनी एक अलग जगह बना चुका है. दाल बाफला और दाल बाटी का टेस्ट लगभग एक जैसा ही होता है. और दोनों ही मध्य प्रदेश में आपको देखने को मिल जाती है. गेहूं के आटो के कुरकुरे बॉल्स को घी में डालकर उसे मसालेदार दाल, करी, अचार और मसालों के साथ परोसा जाता है. और यह कॉम्बिनेशन आपको पल भर में ही आपको राजस्थान के खाने की याद दिला देता है. अगर आपको भी दाल बाफला खाना है तो आप इसके लिए रतलाम जहां के व्यास दाल बाटी की दुकान पर जा सकते हैं. आपको यहां ऐसे दाल बाफला खाने को मिलेगा जिसका स्वाद आप कभी नहीं भूल पाएंगे. अगर बात भोपाल की कि जाए तो आप हबीबगंज के पधारो सा में दाल बाफले का स्वाद ले सकते हैं. इंदौर में आपको सबसे बेस्ट दाल बाफला सराफा बाजार में राझन्स में मिलेगा.
  6. बिरयानी पिलाफ
    अगर आप भी मेरी ही तरह फूड लवर हैं और बिरयानी आपको सबसे ज्यादा पसंद है तो इसका स्वाद लेने के लिए आपको भोपाल सबसे अच्छी जगह रहेगी. हैदराबाद के बाद भोपाल ही अपने स्पेशल बिरयानी के लिए जाना जाता रहा है. भोपाली बिरयारी यहां अपने एक अलग खासियत रखती है. इसमें मटन बिरयानी सबसे अच्छी होती है. सबसे अच्छी बात है की इस बिरयानी में आपको चिकन का स्वाद भी मिल जाएगा. यह एक ऐसी देशी डिश है. जिसका स्वाद अलग अलग इलाके के हिसाब से बदलता है. और इसको भारत के हर कोने में पूराने कई समय से पसंद भी किया जाता रहा है. भोपाल की इस शानदार बिरयानी को मटन पुलाव या फिर बिरयानी पिलाफ या सिंपल बिरयान के नाम से ही जाना जाता है. इसे अकसर जरदे के साथ परोसा जाता है. जो कि एक पारंपरिक एशियाई मीठा खाने का व्यंजन है. अगर आपको भी इस स्पेशल स्वादिष्ट बिरयानी का टेस्ट लेना है तो आप भोपाल की चटोरी गली में जा सकते हैं. इसके साथ ही आपको इमामी गेट के जिशान कॉम्प्लेक्स में इसका मजा ले सकते हैं.

अपने शहर में कैसे खोले खुद का फूड स्टोल
अगर आप इस राज्य में घूमने आएं है. और यहां के खाने के दिवाने हो गए हैं. और आपको भी मेरी तरह खाने और खिलाने का शौक है तो आप भी यहां के स्पेशल फूड आईटम को अपने शहर में बेच कर अपना खुद का छोटा मोटा खाने का बिजनेस शुरु कर सकते हैं. शुरु से ही लोग खाने के हमेशा से ही शौकीन रहे है. और नई नई चीजें ट्राई करना हर किसी को पसंद होता है. लेकिन अगर आप सच में मध्य प्रदेश के खाने या किसी भी खाने का काम शुरु करना चाहते हैं तो एक बात का ख्याल करना होगा. और वो है यहां के जैसे टेस्टी खाने और क्वालीटी का. जिसके लिए लोग आपकी दुकान में आएंगे. फिर चाहे आप देश के किसी भी शहर के किसी भी कोने में अपने कितनी भी बड़ी दुकान खोल लें. अगर आपके खाने में टेस्ट नहीं है तो आप किसी भी खाने की दुकान में सफलता हासिल नहीं कर पाओगे. आपको यहां जो भी स्ट्रीट फूड पसंद आया हो आप उस दुकान से उसकी स्पेशल रेसिपी पूछ सकते हैं. क्या पता वो आप को अपने खाने के स्वाद का राज बता दें. और आप भी अपने शहर में कोई फेमस फूड के लिए नाम कमा लें.

भारत की संस्कृति में मध्यप्रदेश जगमगाते दीपक के समान है, जिसकी रोशनी की सर्वथा अलग प्रभा और प्रभाव है। यह विभिन्न संस्कृतियों की अनेकता में एकता का जैसे आकर्षक गुलदस्ता है, मध्यप्रदेश, जिसे प्रकृति ने राष्ट्र की वेदी पर जैसे अपने हाथों से सजाकर रख दिया है, जिसका सतरंगी सौन्दर्य और मनमोहक सुगन्ध चारों ओर फैल रही है। यहाँ के जनपदों की आबोहवा में कला, साहित्य और संस्कृति की मधुमयी सुवास तैरती रहती है। यहाँ के लोक समूहों और जनजाति समूहों में प्रतिदिन नृत्य, संगीत, गीत की रसधारा सहज रूप से फूटती रहती है। यहाँ का हर दिन पर्व की तरह आता है

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जाने क्यों है रक्षा के बंधन का ये त्यौहार खास, व कब हैं रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त

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डिजिटल भारत l यह एक हिन्दू व जैन त्योहार है जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं।[3] रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। रक्षाबंधन भाई बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है, रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है। रक्षाबंधन के दिन बहने भगवान से अपने भाईयों की तरक्की के लिए भगवान से प्रार्थना करती है
रक्षाबंधन हिन्दुओं का महत्वपूर्ण पर्व है, जो भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है. भारत के अलावा भी विश्व भर में जहाँ पर हिन्दू धर्मं के लोग रहते हैं, वहाँ इस पर्व को भाई बहनों के बीच मनाया जाता है. इस त्यौहार का आध्यात्मिक महत्व के साथ साथ ऐतिहासिक महत्त्व भी है.
रक्षाबंधन कब मनाया जाता हैं
भाई बहन का यह त्यौहार प्रति वर्ष मनाया जाता हैं जिसे हिन्दू पचांग के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं जो कि ज्यादातर अंग्रेजी पंचाग के अनुसार अगस्त माह में आता हैं . यह एक धार्मिक त्यौहार हैं जिस पर छुट्टी दी जाती हैं .

2023 में रक्षाबंधन कब हैं शुभ मुहूर्त क्या हैं
रक्षा बंधन का त्यौहार कब है 30 अगस्त 2023
दिन बुधवार
राखी बांधने का शुभ मुहुर्त 30 अगस्त को सुबह 10:58 बजे से 31 अगस्त को रात 7:05 बजे तक
कुल अवधि 20 घंटे 7 मिनट
रक्षाबंधन पर कहानी
रक्षाबंधन सम्बंधित कुछ पौराणिक कथाएं जुडी हुईं है. इन कथाओं का वर्णन नीचे किया जा रहा है.

इंद्रदेव सम्बंधित मिथक :
भविष्यत् पुराण के अनुसार दैत्यों और देवताओं के मध्य होने वाले एक युद्ध में भगवान इंद्र को एक असुर राजा, राजा बलि ने हरा दिया था. इस समय इंद्र की पत्नी सची ने भगवान विष्णु से मदद माँगी. भगवान विष्णु ने सची को सूती धागे से एक हाथ में पहने जाने वाला वयल बना कर दिया. इस वलय को भगवान विष्णु ने पवित्र वलय कहा. सची ने इस धागे को इंद्र की कलाई में बाँध दिया तथा इंद्र की सुरक्षा और सफलता की कामना की. इसके बाद अगले युद्द में इंद्र बलि नामक असुर को हारने में सफ़ल हुए और पुनः अमरावती पर अपना अधिकार कर लिया. यहाँ से इस पवित्र धागे का प्रचलन आरम्भ हुआ. इसके बाद युद्द में जाने के पहले अपने पति को औरतें यह धागा बांधती थीं. इस तरह यह त्योहार सिर्फ भाइयों बहनों तक ही सीमित नहीं रह गया.

राजा बलि और माँ लक्ष्मी :
भगवत पुराण और विष्णु पुराण के आधार पर यह माना जाता है कि जब भगवान विष्णु ने राजा बलि को हरा कर तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया, तो बलि ने भगवान विष्णु से उनके महल में रहने का आग्राह किया. भगवान विष्णु इस आग्रह को मान गये. हालाँकि भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी को भगवान विष्णु और बलि की मित्रता अच्छी नहीं लग रही थी, अतः उन्होंने भगवान विष्णु के साथ वैकुण्ठ जाने का निश्चय किया. इसके बाद माँ लक्ष्मी ने बलि को रक्षा धागा बाँध कर भाई बना लिया. इस पर बलि ने लक्ष्मी से मनचाहा उपहार मांगने के लिए कहा. इस पर माँ लक्ष्मी ने राजा बलि से कहा कि वह भगवान विष्णु को इस वचन से मुक्त करे कि भगवान विष्णु उसके महल मे रहेंगे. बलि ने ये बात मान ली और साथ ही माँ लक्ष्मी को अपनी बहन के रूप में भी स्वीकारा.

संतोषी माँ सम्बंधित मिथक :
भगवान विष्णु के दो पुत्र हुए शुभ और लाभ. इन दोनों भाइयों को एक बहन की कमी बहुत खलती थी, क्यों की बहन के बिना वे लोग रक्षाबंधन नहीं मना सकते थे. इन दोनों भाइयों ने भगवान गणेश से एक बहन की मांग की. कुछ समय के बाद भगवान नारद ने भी गणेश को पुत्री के विषय में कहा. इस पर भगवान गणेश राज़ी हुए और उन्होंने एक पुत्री की कामना की. भगवान गणेश की दो पत्नियों रिद्धि और सिद्धि, की दिव्य ज्योति से माँ संतोषी का अविर्भाव हुआ. इसके बाद माँ संतोषी के साथ शुभ लाभ रक्षाबंधन मना सके.

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रक्षा बंधन पर मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिया बहनों को विशेष उपहार

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डिजिटल भारत l रक्षा बंधन के त्‍यौहार के पूर्व आज 27 अगस्‍त का दिन लाड़ली बहना योजना की लाभार्थी बहनों के लिए खास बन गया। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज भोपाल में आयोजित राज्‍य स्‍तरीय लाड़ली बहना सम्‍मेलन में करीब सवा
करोड़ बहनों के खाते में 250-250 रूपये के मान से कुल 312 करोड़ 64 लाख 1 हजार 250 रूपये जमा कर उन्‍हें रक्षा बंधन
का विशेष उपहार दिया। इसमें जबलपुर जिले की 3 लाख 78 हजार 493 लाड़ली बहने शामिल है। लाड़ली बहना योजना की जिले की इन लाभार्थी बहनों के खाते में रक्षा बंधन के उपहार के तौर पर मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 9 करोड़ 46 लाख
23 हजार 250 रूपये की राशि अंतरित की गई।
राजधानी भोपाल के जम्‍बूरी मैदान में आयोजित इस राज्‍य स्‍तरीय लाड़ली बहना सम्‍मेलन का जबलपुर जिले में
ग्राम पंचायतों से लेकर नगरीय निकायों में वार्ड स्‍तर तक लाइव प्रसारण किया गया था। लाइव प्रसारण के इन कार्यक्रमों से
उत्‍साह से भरी लाड़ली बहना योजना की लाभार्थी महिलाओं के साथ-साथ लाड़ली बहना सेना की सदस्‍यों ने भी शिरकत की।
लाइव प्रसारण के दौरान बहनों ने भैया मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संबोधन को न केवल ध्‍यान से सुना बल्कि
उनकी हर घोषणा का तालियां बजाकर स्‍वागत किया। बहनों ने कार्यक्रमों में भजनों और लाड़ली बहना थीम पर गीत भी गाये।
लाड़ली बहना के राज्‍य स्‍तरीय सम्‍मेलन के बाद बहनों ने मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से रक्षा बंधन
पर मिले 250 रूपये के विशेष उपहार की प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त की और इसे भाई-बहन के बीच स्‍नेह का प्रतीक बताया। उन्‍होनें
कहा कि भैया शिवराज से उपहार में मिली ढाई सौ रूपये की राशि से वे बच्‍चों के लिए मिठाई, भाइयों के लिये राखी और रूमाल खरीदेंगी। साथ ही एक राखी बहनों को सहातु बनाने का फर्म निभाने के लिए एक राखी भैया शिवराज को भी भेजेंगी। बहनों ने अक्‍टूबर माह से लाड़ली बहना योजना की राशि एक हजार से बढ़ाकर साढे बारह सौ रूपये करने की मुख्‍यमंऋी की घोषणा का भी स्‍वागत किया। बहनों ने कहा कि भैया शिवराज की इस घोषणा से बहनें और सशक्‍त बनेंगी।
जबलपुर जिले में आयोजित लाड़ली बहना सम्‍मेलन के लाइव प्रसारण के कार्यक्रमों में घाना में आयोजित कार्यक्रम में
पनागर के विधायक सुशील कुमार तिवारी ‘‘इंदू’’ को लाड़ली बहना योजना की लाड़ली बहनों ने राखी बांधी। विधानसभा क्षेत्र
जबलपुर केन्‍ट के अंतर्गत बिलहरी स्थित स्‍पोर्टस क्‍लब में विधायक अशोक रोहाणी एवं नगर निगम अध्यक्ष रिकुंज
विज की उपस्थिति में आयोजित लाड़ली बहनों के राज्‍य स्‍तरीय सम्‍मेलन के लाइव प्रसारण के दौरान बहनों की मंडली ने
भजन कीर्तन प्रस्‍तुत किये और भैया शिवराज को आशीर्वाद दिया।
स्‍पोर्टस क्‍लब रांझी में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुई कटिया घाट निवासी शकुंतला मरावी ने मुख्‍यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान द्वारा बहनों को रक्षा बंधन पर 250 रूपये का उपहार देने तथा अक्‍टूबर माह से लाड़ली बहना योजना की
राशि 1250 रूपये करने पर प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त की। बिलहरी निवासी आकांक्षा राजपूत, जमतरा निवासी प्रीति माइकल, बिलहरी
निवासी वैजयंती प्रधान, बसंती यादव, ज्योति चड़ार एवं राखी यादव, गौर निवासी गायत्री काछी एवं सरिता पटैल ने भी भोपाल में

आयोजित राज्‍य स्‍तरीय सम्‍मेलन में मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणाओं का स्‍वागत किया। उन्‍होनें कहा कि
मुख्‍यमंत्री बहनों को सशक्‍त बनाने का अपना फर्ज निभा रहे है। योजना की राशि बढ़ने बहने आर्थिक रूप से और मजबूत
होगी, साथ ही घर की जरूरतें पूरी करने उनके हाथ में ज्‍यादा राशि होगी। बहनों ने कहा कि भैया शिवराज से मिले 250 रूपये
के विशेष उपहार ने रक्षा बंधन के त्‍यौहार को खास बना दिया है। वे इस राशि से बच्‍चों के लिए मिठाई, भाइयों के लिए राखी
और रूमाल खरीदेंगी।
जबलपुर शहर के गढ़ा वार्ड में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सुनने आई बहन कौशल्या बेन
ने बताया कि उनके पति ऑटो चालक हैं। पर्याप्त आमदनी न होने के कारण उनका जीवन सुख सुविधाओं से वंचित था परंतु
लाडली बहना योजना के अंतर्गत प्रतिमाह मिलने वाली एक हजार रुपए की राशि से परिवार की जरूरतें पूरी हो पा रहीं है।
मुख्यमंत्री से रक्षाबंधन पर मिले 250 रूपये के उपहार से कौशल्या बहुत खुश नज़र आई। उन्होंने कहा कि वे इस राशि
से अपने भाइयों के लिये राखी, रूमाल और मिठाई खरीदेगी। एक राखी भैया शिवराज को भी भेजेंगी।
इसी कार्यक्रम का हिस्सा बनीं राम नगर शाहनाला निवासी पूजा सिंह झारिया रक्षा बंधन पर मिले 250 रूपये के विशेष
उपहार पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आभार व्यक्त किया। पूजा ने अक्‍टूबर माह से योजना की राशि साढ़े बारह सौ
रूपये करने की भैया शिवराज की घोषणा का स्‍वागत करते हुये कहा कि इससे वह बच्‍चों की पढ़ाई के साथ-साथ घर की छोटी- छोटी जरूरतों की पूर्ति भी कर लेगी। वार्ड के कार्यक्रम में आईं बहन मुस्कान पांडे, सविता विश्वकर्मा, रचना बेन और रानू चौधंरी ने भी लाडली बहना योजना की राशि एक हजार रुपए से बढ़ाकर 1 हज़ार 2 सौ 50 करने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का हृदय से आभार व्यक्त किया। बहनों ने कहा कि वे हमेशा शिवराज भैया का साथ देंगी।

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सैयद हुसैन और विजयलक्ष्मी पंडित आज़ादी के हीरो की कहानी

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डिजिटल भारत l सैयद फिदा हुसैन का जन्म 1904 ई. में जहानाबाद जिला में हुआ था। इनके पिता सैयद अहमद अब्दुल अजीज पिंजौरा गाँव के निवासी थे।

1917 ई. के रॉलेट अधिनियम और 1919 ई. में जालियाँवाला बाग जैसी नृशंस घटनाओं ने उनके मन-मस्तिष्क को स्वतंत्रता आंदोलन में कूदने के लिए उद्वेलित किया। अप्रैल 1920 ई. में गया में आयोजित खिलाफत आंदोलन में इन्होंने भाग लिया और हिन्दू-मुस्लिम एकता की जबरदस्त वकालत की। महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन के क्रम में अपने सहयोगी शौकत अली, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, स्वामी सत्यदेव आदि के साथ 5 दिसम्बर, 1920 ई. को गया में प्रथम पदार्पण किया। ईद-उल जोहा के पावन अवसर पर मजहवी मिल्लत तथा शांति कायम और कौमी एकता को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से महात्मा गाँधी ने 12 अगस्त, 1921 से मोहम्मद अली अब्दुल कादिर आजाद सोमानी, जमना लाल बजाज आदि सहयोगियों के साथ सम्पूर्ण मगध क्षेत्र का भ्रमण किया। फिदा हुसैन ने भी एक स्वयंसेवक की हैसियत से उनके साथ भ्रमण किया और युवकों को स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय होने के लिए शंखनाद किया। गया के केन्दुई गाँव में आर. एन. मधोलकर की अध्यक्षता में काँग्रेस का 38 वाँ अधिवेशन प्रारंभ हुआ। इस अधिवेशन को सफल बनाने हेतु फिदा हुसैन स्वयंसेवक के रूप में दिन-रात लगे रहे। इनकी सेवा भावना की लोगों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की और मगध क्षेत्र के स्थापित काँग्रेसी नेता के रूप में उन्हें जनमानस में ख्याति मिली। महात्मा गाँधी के मार्गदर्शन में ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह और दाण्डी मार्च हुआ। फिदा हुसैन ने भी अपने सहकर्मियों के साथ सम्पूर्ण जहानाबाद क्षेत्र में विदेशी कपड़ा, गाँजा, भाँग, ताड़ी तथा शराब की दुकानों पर शांतिपूर्ण ढंग से पिकेटिंग का तांता लगा दिया। फलतः वे अपने अन्य साथियों के साथ गिरफ्तार हुए और छह माह के बाद इनकी जेल से रिहाई संभव हुई। किसान आंदोलन में सक्रिय होकर इन्होंने पण्डित यदुनन्दन शर्मा, रामानन्द मिश्र, मोहनलाल गौतम कृषक नेताओं के सहयोग से किसानों के हित में उल्लेखनीय कार्य किया। भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना के स्वर्ण जयन्ती समारोह में डा. राजेन्द्र प्रसाद के मार्गदर्शन में 28-30 दिसम्बर, 1935 ई. को जहानाबाद में प्रभात फेरी, व्याख्यान, खादी प्रर्दशनी, काँग्रेस की उपलब्धियाँ, शहीदों की कुर्बानियाँ जैसे विषयों पर अनेक कार्यक्रमों के आयोजन में इनकी भूमिका सराहनीय रही।
मिस्र की राजधानी काहिरा में एक क़ब्रिस्तान है ‘अल-अराफ़ा’ जिसे अंग्रेज़ी में कहा जाता है ‘द सिटी ऑफ़ द डेड’.

इस क़ब्रिस्तान में एक अकेला भारतीय दफ़्न है जो अपने ज़माने में एक बहुत बड़ा अध्येता, पत्रकार और देश प्रेमी था और जिसने सालों तक भारत के बाहर रहकर उसकी आज़ादी के लिए बहुत पसीना बहाया था.

इस शख़्स का नाम था सैयद हुसैन जिसका जन्म सन 1888 में ढाका में हुआ था. होसैन मामूली शख़्स नहीं थे.

एनएस विनोध उनकी जीवनी ‘अ फ़ॉरगॉटेन एमबेसेडर इन काएरो द लाइफ़ एंड टाइम्स ऑफ़ सैयद हुसैन’ में लिखते हैं, “सैयद अपने समय के निहायत ही आकर्षक, विद्वान और सुसंस्कृत शख्स थे जिनमें अपने भाषणों से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देने की ग़ज़ब की क्षमता थी. वो एक असाधारण लेखक और धर्मनिरपेक्ष देशभक्त थे.”

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बरगी में दिनदहाड़े लाखों की चोरी बरगी पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

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डिजिटल भारत l बरगी में दिनदहाड़े लाखों की चोरी से लोगों की रातों की नींद उड़ गई है जब चोर दिन दहाड़े ही घर का ताला तोड़ चोरी कर रहे है तो रात के अंधेरे में क्या होगा ये सोच कर बरगी वासियों के होश उड़े हुए है घटना बरगी के के वी नगर की है जहां दिलराज तिलगाम ने अभी लगभग एक वर्ष पहले ही बरगी में मकान बनाया है उनकी पत्नी आशाकार्यकर्ता है जो सुबह अपनी ड्यूटी पर चली गई बच्चे भी स्कूल चले गए घर पर मैन गेट पर ताला डला हुआ था जिसको चोरों ने तोड़ कर घर के अंदर अलमारी में रखे लगभग 1 लाख रुपए के सोने चांदी के जेवर एवं 15000 नगद पर हाथ साफ कर दिया जब परिवार घर लौटा और ताला टूटा देख अंदर गए तो अंदर का नजारा देख उनके होश उड़ गए दिनदहाड़े हुई इस घटना से बरगी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे है लोगों का कहना है की बरगी क्षेत्र में लगातार चोरी की घटनाएं घटित हो रही है जिनका पुलिस द्वारा आज तक पकड़ा नहीं जा सका है पुलिस चोरी के मामले में एफ आई आर भी करने से बचती है पुलिस द्वारा मात्र आवेदन लेकर मामला रफादफा कर दिया जाता है जिससे लोगों का पुलिस से विश्वास उठता जा रहा है

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