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एक भारत उत्कृष्ट भारत

करोड़ों की सरकारी जमीन पर तान दिया था कॉम्पलेक्स प्रशासन ने की बड़ी कारवाही कलेक्टर को मिली थी फोन से शिकायत

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डिजिटल भारत l करमेता में 17 हजार वर्ग फिट जमीन पर माफिया ने कब्जा कर कॉम्पलेक्स बनाने की तैयारी कर ली थी। चारों तरफ बाउंड्रीवॉल बनाई जा रही थी। शिकायत के बाद प्रशासन ने दस्तावेजों की जांच कर अतिक्रमण हटाया।

जांच में सामने आया कि 5 करोड 10 लाख रुपए की जमीन पर बबलू चौबे और रत्नेश त्रिपाठी ने 2 हजार वर्ग फिट में बाउंड्रीवाल बनाकर बगल में कॉम्पलेक्स का निर्माण शुरू कर दिया था। कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन को किसी ने फोन पर अवैध निर्माण की जानकारी दी थी। कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम अधारताल नम: शिवाय अरजरिया ने जांच की। पता चला कि खसरा नम्बर 426 की जमीन सरकारी है और इस पर अवैध निर्माण किया जा रहा है। इसके बाद प्रशासन की टीम ने अवैध निर्माण को जमींदोज कर दिया।

बेचने की फिराक में थे l

अपर कलेक्टर एवं एसडीएम आधारताल अरजरिया ने बताया कि भूमि पर रत्नेश त्रिपाठी एवं बबलू चौबे कॉम्पलेक्स का निर्माण तेजी से करा रहे थे।

बताया गया कि सरकारी जमीन पर कॉम्पलेक्स निर्माण कर कुछ लोगों को बेचने की कोशिश भी की जा रही थी। निवेशकों को भ्रमित किया जा रहा था।

बना रहे थे कच्ची सडक़ l
राजस्व विभाग ने करमेता में खसरा नंबर 59/2 की 5 हजार वर्गफुट निजी भूमि पर बनाई जा रही कच्ची सडक़ का अवैध निर्माण भी हटा लिया।

अवैध कॉलोनी के निर्माण के उद्देश्य से कच्ची सडक़ का निर्माण सुशील तिवारी करा रहा था।

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मध्य प्रदेश में एक लाख एकड़ से ज्यादा का लैंड बैंक तैयार इंदौर में मांगी जमीन

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डिजिटल भारत l इंदौर प्रदेश सरकार को जनवरी माह में होने वाली ग्लोबल इंवेस्टर समिट से खासी उम्मीदे लगी हुई है। समिट की सफलता के लिए खुद मुख्यमंत्री शिवरासिंह चौहान रोज मानिटरिंग कर रहे है। उनके प्रयासों को प्रतिसाद भी मिलता दिख रहा है। समिट में शामिल होने के लिए देश के नामी उद्योगपतियों ने अपनी सहमति पहले ही प्रदान कर दी है। उधर इस महत्वाकांक्षी आयोजन से पूर्व एमपीआईडीसी ने खास प्रदेश में बड़ा लेंड बैंक तैयार किया है ताकि प्रदेश में उद्यम लगाने वाले इन्वेस्टर्स को जरूरत के मुताबिक जमीन दी जा सके।

एमपीआईडीसी के पास इस वक्त 1 लाख 22 हजार एकड़ जमीन का मौजूद है। इसमे इंदौर जिले की 22 हजार एकड़ जमीन शामिल है। करीब एक दर्जन उद्योग समूहों को लगभग एक हजार एकड़ जमीन दिए जाना प्रस्तावित है। अधिकृत घोषणा की जाएगी समिट के दौरान ही की जाएगी।

इन उद्योगों ने मांगी जमीन
एमपीआईडीसी के साथ जिन उद्योग समूहों और क्लस्टर के करार प्रस्तावित है उनमे अवाड़ा ग्रुप, एशियन पेंट्स, कांकरिया ग्रुप, जिंदल पेंट्स, पिनेकल समूह, इलेक्ट्रीक व्हिकल निर्माता, वंडर ला आदि प्रमुख है।

इनके अलावा टॉय क्लस्टर, महिला उद्यमी पार्क, फूट वियर क्लस्टर आदि भी प्रस्तावित है

किसने कितनी जमीन मांगी
अवाड़ा ग्रुप – 300 एकड़
एशियन पेंट्स – 100 एकड़
जिंदल पेंट्स – 100 एकड़
टॉय क्लस्टर – 100 एकड़
कांकरिया ग्रुप – 100 एकड़
पिनेकल समूह – 60 एकड़
महिला उद्यमी पार्क – 50 एकड़

स्टार्टअप को मिलेगा फायदा
समिट में देश-विदेश के कई उद्योगों के दिग्गज आ रहे हैं जो कई स्टार्टअप को फंडिंग कर चुके हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस समिट के जरिए स्टार्टअप को भी अच्छी फंडिंग मिल सकती है। बताया जाता है कि इंदौर में शुरूआत में जहां 300 स्टार्टअप थे वही इनकी संख्या अब 700 के करीब हो गई है।

इंदौर का बेहतर माहौल भा रहा
जिस संख्या में उद्योगपतियों, स्टार्टअप आदि ने समिट में आने की सहमति प्रदान की है उससे सरकार का उम्मीदे बढ़ गई है। बात इंदौर की करे तो शहर आज स्वच्छता के मामले ने देश का रोल मॉडल बन चुका है। साफ सुथरा शहर अच्छा क्लाइमेट, अच्छा खानपान, बिजनेस के लिए बेहतर माहौल, देश भर से कनेक्टीविटी, बजट में दफ्तर आदि उपलब्ध हो जाने जैसी बाते इंदौर को देश के बड़े शहरों से आगे रखती है।

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मध्य प्रदेश में हुक्का बार पर लगेगा प्रतिबंध, 13 दिसंबर को कैबिनेट में आएगा बिल, जानिए क्या है शिवराज सरकार का प्लान

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प्रदेश मध्य प्रदेश में हुक्का बार पर लगेगा प्रतिबंध, 13 दिसंबर को कैबिनेट में आएगा बिल, जानिए क्या है शिवराज सरकार का प्लानमें हुक्का बार का संचालन प्रतिबंधित करने के लिए सरकार ने गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के प्रविधानों का अध्ययन करके अधिनियम में संशोधन प्रस्तावित किया है। गृह विभाग ने प्रस्तावित किया है कि कोई भी हुक्का बार का संचालन नहीं करेगा।

मध्‍य प्रदेश में हुक्का बार का संचालन प्रतिबंधित करने के लिए सरकार ने गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के प्रविधानों का अध्ययन करके अधिनियम में संशोधन प्रस्तावित किया है

अभी हुक्का बार को बंद करने संबंधी कोई स्पष्ट प्रविधान नहीं है। पुलिस कार्रवाई होने पर हुक्का बार संचालक न्यायालय चले जाते हैं और उन्हें स्थगन भी मिल जाता है। गृह विभाग ने प्रस्तावित किया है कि कोई भी हुक्का बार का संचालन नहीं करेगा। इसका उल्लंघन किए जाने पर तीन वर्ष तक का कारावास और एक लाख रुपये तक का अर्थदंड लगाया जाएगा। किसी भी स्थिति में कारावास की सजा एक साल से कम औैर अर्थदंड पचास हजार रुपये से कम नहीं होगा। पुलिस उप निरीक्षक स्तर के अधिकारी को हुक्का बार की सामग्री या वस्तु की जब्ती करने का अधिकार होगा। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि विधानसभा में प्रस्तुत करने से पूर्व इसे राष्ट्रपति की अनुमति के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा।

नशा और आपराधिक गतिविधियों के केंद्र बन गए हुक्का बार चलाना प्रदेश में प्रतिबंधित होगा। सरकार सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) अधिनियम 2003 में हुक्का बार लाउंज को प्रतिबंधित किए जाने के संबंध में संशोधन विधेयक 2022 लाएगी। इसे विधानसभा में प्रस्तुत करने से पहले राष्ट्रपति की अनुमति के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।

प्रदेश में चल रहे 200 से ज्यादा हुक्का बार जल्द ही बंद होंगे. शिवराज सरकार 13 दिसंबर को अगली कैबिनेट मीटिंग में हुक्का बार बंद करने का बिल ला रही है, जिसे मंजूरी के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय के जरिए राष्ट्रपति को भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इस बिल को मध्य प्रदेश में लागू किया जाएगा. दरअसल, इस बिल के लागू होते ही राज्य में चल रहे हुक्का बार पर कार्रवाई शुरू हो जाएगी. बिल पास होने के बाद मध्य प्रदेश में चल रहे हुक्का बार के खिलाफ शिकायत आने पर बिना किसी वारंट के पुलिस गिरफ्तार करेके तुरंत कार्रवाई करेगी

इसमें कार्रवाई का अधिकार पुलिस सब इंस्पेक्टर या उससे ऊपर के अधिकारी को दिया गया है. शिकायत मिलने पर वे तुरंत हुक्का बार जाकर सामान जब्त करेंगे और शिकायत दर्ज करेंगे. इससे पहले गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हुक्बाका बार बंद करने का प्दरावधान है. अब मध्य प्रदेश पांचवां राज्य होगा, जहां हुक्का बार बंद करने का प्रावधान लागू होगा. मध्य प्रदेश सरकार भी दूसरे राज्यों की तरह केंद्र के सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद के विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन अधिनियम-2003 में संशोधन करके हुक्का बार बिल ला रही है.

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अमानक धान के उपार्जन एवं भंडारण के मामले में चार व्यक्तियों के विरूद्ध गोसलपुर थाने में एफआईआर दर्ज

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70 क्विंटल अमानक धान जप्त

डिजिटल भारत l सिहोरा तहसील के अंतर्गत ग्राम खजरी में सत्यम शिवम वेयर हॉउस स्थित उपार्जन केंद्र में अमानक स्तर
के धान का भंडारण कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने के मामले में तहसीलदार सिहोरा राकेश चौरसिया ने कल
रविवार की देर शाम चार व्यक्तियों के विरूद्ध गोसलपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।
कलेक्टर श्री सौरभ कुमार सुमन द्वारा धान उपार्जन केंद्रों पर लगातार नजर रखने के दिये गये
निर्देशानुसार कल रविवार को तहसीलदार सिहोरा राकेश चौरसिया ने खजरी में सत्यम शिवम वेयर हाउस में बैनगंगा
किसान उत्पादक समिति द्वारा संचालित उपार्जन केंद्र का आकस्मिक निरीक्षण किया था

निरीक्षण के दौरान
उपार्जन संस्था के संचालक अंकित पटैल द्वारा अपने भाई शुभम पटेल के माध्यम से किसान अजय पटेल एवं वेयर
हाउस संचालक सत्यम पटेल के साथ अमानक धान वेयर हाउस के अंदर रखते पाये गये। रविवार होने के बावजूद
इस केंद्र पर धान का उपार्जन भी किया जा रहा था। जबकि नई उपार्जन नीति में रविवार को धान का उपार्जन पूरी
तरह बंद रखने के निर्देश दिये गये हैं। मौके पर निर्धारित वजन 40 किलो 580 ग्राम (धान 40 किलो एवं बोरी का
वजन 580 ग्राम) की बजाय 41 किलो 160 ग्राम धान की भर्ती बोरियों में करना भी पाया गया।
तहसीलदार सिहोरा द्वारा निरीक्षण के दौरान वेयर हाउस के अंदर रखी गई धान का गुणवत्ता निरीक्षक से
परीक्षण भी कराया गया। परीक्षण में 70 क्विंटल धान अमानक स्तर की पाई गई। इस अमानक धान को जप्त कर
कृषक शुभम पटेल के सुपुर्दगी में दे दिया गया।

खुद के लाभ के लिये अमानक धान का उपार्जन कर शासन को आर्थिक हानि पहुँचाने तथा उपार्जन
नीति के उल्लंघन के इस मामले में सत्यम शिवम वेयर हाउस तथा बैनगंगा किसान उत्पाद प्रो कम्पनी लिमिटेड के
संचालक व प्रभारी अंकित पटेल, शुभम पटेल, अजय पटेल एवं सत्यम पटेल के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की
धारा 420, 406 एवं 34 के तहत थाना गोसलपुर में प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया गया है।

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नई शिक्षा नीति को केन्द्रीय कैबिनेट की मंजूरी
10वीं बोर्ड खत्‍म, MPhil भी होगा बंद

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डिजिटल भारत l माननीय मंत्री , शिक्षा विभाग , भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित नई शिक्षा नीति 2020को आज केन्द्रीय कैबिनेट ने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी । आज केन्द्रीय सरकार की कैबिनेट की  स्वीकृति के बाद 36साल बाद देश में नई शिक्षा नीति लागू हो गई ।

कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy 2020) को हरी झंडी दे दी है. 34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है. नई शिक्षा नीति की उल्लेखनीय बातें सरल तरीके की इस प्रकार हैं

—-5 Years Fundamental—
1.  Nursery    @4 Years
2.  Jr KG        @5 Years
3.  Sr KG        @6 Years
4.  Std 1st     @7 Years
5.  Std 2nd    @8 Years

—- 3 Years Preparatory—
6.  Std 3rd     @9 Years
7.  Std 4th     @10 Years
8.  Std 5th     @11 Years

—– 3 Years Middle—
9.  Std 6th     @12 Years
10.Std 7th     @13 Years
11.Std 8th     @14 Years

—- 4 Years Secondary—
12.Std 9th     @15 Years
13.Std SSC    @16 Years
14.Std FYJC  @17Years
15.STD SYJC @18 Years

खास बातें :

केवल 12वीं क्‍लास में होगा बोर्ड
MPhil होगा बंद, कॉलेज की डिग्री 4 साल की

10वीं बोर्ड खत्‍म, MPhil भी होगा बंद,

अब 5वीं तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही पढ़ाया जाएगा. बाकी विषय चाहे वो अंग्रेजी ही क्यों न हो, एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाएगा।

पहले 10वी बोर्ड की परीक्षा देना अनिवार्य होता था, जो अब नहीं होगा.

9वींं से 12वींं क्लास तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी. स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 फॉर्मूले के तहत पढ़ाया जाएगा।

वहीं कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल की होगी. यानि कि ग्रेजुएशन के पहले साल पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल पर डिप्‍लोमा, तीसरे साल में डिग्री मिलेगी.।

3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है. वहीं हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी. 4 साल की डिग्री करने वाले स्‍टूडेंट्स एक साल में  MA कर सकेंगे.

MA के छात्र अब सीधे PHD कर सकेंगे.

स्‍टूडेंट्स बीच में कर सकेंगे दूसरे कोर्स. हायर एजुकेशन में 2035 तक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो 50 फीसदी हो जाएगा. वहीं नई शिक्षा नीति के तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहे तो पहले कोर्स से सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर वो दूसरा कोर्स कर सकता है.

हायर एजुकेशन में भी कई सुधार किए गए हैं. सुधारों में ग्रेडेड अकेडमिक, ऐडमिनिस्ट्रेटिव और फाइनेंशियल ऑटोनॉमी आदि शामिल हैं. इसके अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्स शुरू किए जाएंगे. वर्चुअल लैब्स विकसित किए जाएंगे. एक नैशनल एजुकेशनल साइंटफिक फोरम (NETF) शुरू किया जाएगा. बता दें कि देश में 45 हजार कॉलेज हैं.

सरकारी, निजी, डीम्‍ड सभी संस्‍थानों के लिए होंगे समान नियम।

धर्मेंद्र प्रधान , शिक्षा मंत्री, भारत सरकार

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मध्यप्रदेश इस शहर में बनेगी गोबर से bio CNG, उत्पादन होगा 2400 किलो का

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डेयरियों से निकला गोबर परियट नदी के जल को दूषित कर रहा है।

डिजिटल भारत l अब इस गोबर की प्रोसेसिंग कर सीएनजी तैयार करने के लिए परियट में प्लांट का निर्माण किया जा रहा है। इस प्लांट में 150 टन गोबर की प्रतिदिन खपत होगी। इससे 2400 किलो सीएनजी का उत्पादन होगा।

150 टन गोबर से होगा 2400 किलो बायो सीएनजी का उत्पादन

गोबर के उपयोग के साथ ही प्रदूषण मुक्त ईंधन भी मिलेगा। विशेषज्ञों के अनुसार शहर में डेयरियों और जिले में मवेशियों की संख्या को देखते हुए यहां बायो सीएनजी के वृहद स्तर पर उत्पादन की बड़ी सम्भावना है। उनका मानना है कि परियट की तर्ज पर गौर नदी के किनारे भी बायो सीएनजी प्लांट स्थापित किया जा सकता है।

चार हजार रुपए ट्रॉली बिकता है गोबर
नगर की डेयरियों से चार हजार रुपए प्रति ट्रॉली गोबर बिकता है। छोटी-बड़ी डेयरियों से निकलने वाले गोबर का उपयोग कंडे, गोबर स्टिक बनाने में किया जा रहा है। ज्यादातर गोबर खाद बनाने के लिए खाली जमीन पर डम्प कर दी जाती है। इससे प्राकृतिक रूप से प्रोसेसिंग में ज्यादा समय लगता है।

प्लांट बन रहा है

प्लांट को बनाने एजेंसी का चयन सांची द्वारा किया जाकर वर्कऑर्डर जारी किया जा चुका है। यह प्लांट महाकौशल क्षेत्र का पहला बायो सी.एन.जी. प्लांट होगा। जिससे डेयरियों से निकलने वाले गोबर से होने वाले प्रदूषण से मुक्ति भी मिलेगी। जिससे नर्मदा व सहायक नदी परियट में मिलने वाले गोबर को पानी में मिलने से रोका भी जा सकेगा। प्लांट निर्माण के लिए माह सितम्बर 22 में ही कम्पनी के साथ एग्रीमेंट किया गया था। वहीं प्लांट को मई 2023 तक तैयार करने की कवायद की जा रही हैं।

परियट क्षेत्र की डेयरियों से निकलने वाले गोबर की प्रोसेसिंग कर बायो सीएनजी के उत्पादन के लिए परियट में प्लांट स्थापित किया जा रहा है। निर्माण कार्य पूरा होने पर प्रतिदिन डेढ़ सौ टन गोबर की खपत होगी। इससे 2400 किलो बायो सीएनजी ईंधन का उत्पादन होगा।

रवि राव, प्रशासनिक अधिकारी, स्मार्ट सिटी

ये है स्थिति

112 डेयरी हैं परियट में
40 डेयरी गौर नदी के पास
25 हजार से ज्यादा भैंस हैं डेयरियों में
04 हजार रुपए प्रति ट्रॉली बिकता है गोबर
150 टन गोबर का होगा प्रतिदिन उपयोग
21 करोड़ रुपए है निर्माण लागत

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हो सकती है बूंदाबांदी बढ़ती ठंड को देखकर

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सोमवार-मंगलवार को ठंड को देख कर लग रहा है , हो सकती है बूंदाबांदी
दो डिग्री बढ़ा पारा
,

डिजिटल भारत l लगातार गिर रहे पारे को बादलों ने थाम लिया है। मौसम विभाग के अनुसार जम्मू-कश्मीर में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और चक्रवाती तूफान के असर से मौसम का मिजाज बदल रहा है। दो दिनों तक मौसम ऐसा ही रहेगा।

सोमवार-मंगलवार को भी हल्के बादल छाए रहेंगे, जबलपुर सहित संभाग के जिलों में कहीं-कहीं बूंदाबांदी भी हो सकती है। बादलों के फेर में तापमान भी करीब दो डिग्री तक बढ़ गया। हवाओं में नमी घुलने से रविवार को तापमान में जहां बढ़ोत्तरी दर्ज की गई वहीं ठंड का असर कुछ कम रहा।

उत्तरी बर्फीली हवाओं के कारण पिछले चार दिनों से बढ़ती ठंड से धूप का असर कम रहा। लेकिन रविवार को ठंड के कुछ कमजोर पड़ते ही धूप का असर तेज हो गया। इस बीच हल्के बादल भी आते-जाते रहे। शाम को भी वातावरण में ठंडक कम ही रही। हालांकि रात होते ही दो किमी की गति से चली उत्तरी हवाओं से बर्फीली ठंडक का अहसास होता रहा।

मौसम विभाग के अनुसार पाकिस्तान और उससे लगे जम्मू-कश्मीर पर एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है। इसी के साथ चक्रवाती तूफान के असर से हवाओं में नमी घुली रही।

मौसम विभाग के मुताबिक जो संकेत मिल रहे है उसके अनुसार 13 और 14 दिसंबर को जबलपुर सहित संभाग के जिलों में बादल छा सकते हैं।

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कटनी के पास रेल का बिगड़ा संतुलन यातायात प्रभावित

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जबलपुर मंडल के कटनी-मैहर रेल खंड पर कटनी से लगभग 27 किलोमीटर दूर एक मालगाड़ी के दो कोच पटरी से उतर गये, जिससे डाउन दिशा की ओर गाड़ियों का परिचालन पर असर पड़ा।

डिजिटल भारत l पूना से चलकर जबलपुर से कटनी होकर रंगिया जा रही रविवार 11 दिसम्बर को रात लगभग 21.30 बजे मेन लाइन से डाउन लाइन पर आते समय उक्त मालगाड़ी के 06 और 07 नम्बर के कोच दुर्घटना ग्रस्त हुए हैं, जिस पर तुरन्त मालगाड़ी को रोक कर रेलवे कंट्रोल को सूचित किया गया। इस दुर्घटना से जबलपुर से लखनऊ जा रही चित्रकूट एक्सप्रेस, को कटनी साउथ मे तथा गंगा कावेरी ट्रेन नंबर 12669 को झुकेही स्टेशन पर रोका गया। दुर्घटना के बाद रेलवे का दल स्थल पर पहुंचा और ट्रैक सुधार का कार्य प्रारंभ किया। कटनी से पहले पकरिया रेलवे स्टेशन पर यह घटना हुई। चित्रकूट एक्सप्रेस 15206 को दूसरे मार्ग से निकाला। वहीं लगभग 12:30 बजे रात को ट्रैक क्लियर करके ट्रेनों को यथावत चलाना शुरू कर दिया गया है।

जबलपुर मंडल के कटनी-मैहर रेल खंड पर कटनी से लगभग 27 किलोमीटर दूर एक मालगाड़ी के दो कोच पटरी से उतर गये, जिससे डाउन दिशा की ओर गाड़ियों का परिचालन पर असर पड़ा। रेलवे का दल स्थल पर पहुंचा और ट्रैक सुधार का कार्य प्रारंभ किया।

जबलपुर से सतना के लिए रवाना हुई पमरे की जीएम स्पेशल ट्रेन में सवार आला अधिकारियों ने जबलपुर से सतना के बीच कई स्टेशनों का निरीक्षण किया। इस अवसर पर जीएम सुधीर गुप्ता ने सतना स्टेशन को विश्वस्तरीय बनाने के लिए यहां के रेल अधिकारियों के साथ बैठक की।

इस अवसर पर उन्होंने रेलवे के जोन और मंडल के रेल निर्माण विभाग के आला अधिकारियों से लेकर कमर्शियल विभाग के सीनियर डीसीएम और अन्य अधिकारियों ने स्टेशन के विकास से जुड़े विषयों पर विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान निजी एजेंसी द्वारा तैयार की गई योजना को लेकर जीएम ने समीक्षा की और इसे बेहतर करने के सुझाव भी दिए।

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धर्मवीर डॉ बालकृष्ण शिवराम मुंजे-एक प्रज्ञावान देशभक्त :150वीं जयंती विशेष

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डिजिटल भारत l डॉ बालकृष्ण शिवराम मुंजे ( 1872 से 3 मार्च 1948) एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक बालासाहब देवरस के अनुसार वे दृष्टा महापुरुष थे । दृष्टा को उसके जीवन काल में समाज द्वारा मान्यता नहीं मिल पाती । यद्यपि यह वास्तविकता है कि धर्मवीर डॉ मुंजे पुरे देश में बहुत लोकप्रिय नेता थे।डॉ मुंजे ने पहले सशस्त्र क्रांतिकारी के रूप में और बाद में राजनीतिक नेता के रूप में भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रयास किया। कहा जाता है कि डॉ मुंजे ने तब देश के कई युवाओं को, जिनमे डॉ हेडगेवार भी थे, बम बनाने का प्रशिक्षण दिया था।वे अत्यंत मेधावी थे। मुंबई के प्रसिद्ध ग्रांट मेडिकल कॉलेज से 1898 में L M & S  (Licentiate in Medicine and Surgery आज की MBBS डिग्री ) उपाधि प्राप्त की । मुंबई महानगरपालिका में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के रूप में उन्हें नौकरी मिली। वे भारत के पहले नेत्र विशेषज्ञ थे। मोतियाबिंद की शल्य चिकित्सा के लिए उन्होंने अपनी पद्धति विकसित की थी। सामने उज्ज्वल भविष्य था लेकिन सेना में रूचि के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ दी। सेना में कमीशंड अधिकारी के रूप में नौकरी प्रारम्भ की। वे सेना की मेडिकल विंग के अधिकारी के रूप में बोर युद्ध (1899-1900) के लिए अफ्रीका भेजे गए । चिकित्सा दल में शामिल वे प्रथम तथा एकमेव भारतीय अधिकारी थे। अफ्रीका में उनकी गांधीजी से भेट हुई । भारत वापस आने पर 1904 में डॉ मुंजे सेना को छोड़ राजनीति में आ गए । उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में प्रवेश लिया। वे लोकमान्य तिलक के अनुयायी थे।

1920 में लोकमान्य तिलक के निधन के पश्चात महर्षि योगी अरविन्द से उन्होंने पुडुचेरी में जाकर भेट की तथा उनसे अनुरोध किया की वे अपना संन्यास छोड़ कर कांग्रेस का नेतृत्व करे। महर्षि अरविन्द इसके लिए सहमत नहीं हुए। गाँधी जी से डॉ मुंजे के वैचारिक मतभेद थे। अतः उन्होंने कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया।    1921 में मोपलाओं द्वारा केरल में किये गए भीषण अत्याचारों का डॉ मुंजे ने स्वामी श्रद्धानन्द के साथ केरल में जाकर विरोध किया था। सामाजिक समरसता तथा जातिप्रथा उन्मूलन के लिए उन्होंने जन जागरण किया। छल पूर्वक धर्म परिवर्तन किये गए अपने बंधुओ को वापस हिन्दू धर्म में लाने के लिए देवल संहिता का अध्ययन करके उन्होंने शुद्धिकरण की एक प्रक्रिया बनाई और हजारो बंधुओ को वापस हिन्दू धर्म में लाया। गाँधी जी के साथ ही तत्कालीन धर्मपीठाचार्यो ने यद्यपि इसका विरोध किया लेकिन करवीर पीठ के शंकराचार्य डॉ कुर्तकोटि ने उनकी शुद्धिकरण की विधि को मान्यता दी और डॉ मुंजे को “धर्मवीर ” की उपाधि दी।
1923 में उन्होंने हिन्दू महासभा में प्रवेश लिया। 1927 में पटना में आयोजित हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अधिवेशन हेतु अखिल भारतीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रदेश समितियों द्वारा नाम बुलाये गए । विभिन्न प्रदेश समितियों द्वारा सर्वश्री डॉ मुंजे, लाला लाजपतराय, महामना पंडित मदन मोहन मालवीय, बैरिस्टर जयकर और भरतपुर के महाराजा के नाम प्रस्तावित किए गए। दिनांक 8 मार्च 1927 को आयोजित बैठक में डॉ मुंजे को बहुमत द्वारा अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। 15 अप्रैल 1927 को हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पटना में उनकी भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा एक मील लम्बी थी। उसमे 20 हाथी थे तथा 500 स्वयंसेवक व्यवस्था देख रहे थे। इस पद पर उन्होंने लगातार 10 वर्ष तक कार्य किया। 1937 में स्वातंत्र्यवीर सावरकर हिन्दू महासभा के अध्यक्ष बने इसलिए उन्होंने इस पद से त्यागपत्र दिया। उन्होंने आजीवन सावरकर जी का साथ दिया। स्वयं सावरकर जी ने कहा है की डॉ मुंजे ने 10 वर्षो तक हिंदूमहासभा का ही नहीं अपितु हिन्दू राष्ट्र का नेतृत्व किया।

1927 में उन्होंने मांग की कि सेना में भारतीयों को अधिकारी के रूप में प्रवेश दिया जाये। उन्होंने विश्व के विषेशतः यूरोप के कई देशो की यात्रा करके वहा के सैनिक विद्यालयों का अध्ययन किया। अपने शत्रु का शत्रु अपना तात्कालिक मित्र इस सिद्धांत के अनुसार बेनिटो मुसोलिनी से 1931 में उन्होंने भेट की थी इसी सिद्धांत के अनुसार नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बाद में एडॉल्फ हिटलर से भेट हुई थी1930 तथा 1932 में लंदन में आयोजित दोनों गोलमेज परिषदों में डॉ मुंजे ने भाग लिया था। डॉ मुंजे स्त्री सशक्तिकरण के पुरोधा थे । सभी नागरिकों को अनिवार्य सैनिक शिक्षा के वे बड़े हिमायती थे।

उन्होंने देश की मजबूती के लिये सेना तथा सैनिक शिक्षा का महव  समझा। आगे इस सम्बन्ध में उन्होंने कई महत्वपूर्ण काम किये । 1927 में एयरो क्लब ऑफ़इंडिया के संस्थापक सदस्य । 1929 रायफलक्लबके संस्थापक सदस्य । 1933 में इंडियनमिलिटरी अकेडमी देहरादूनके संस्थापक सदस्य ।1937 में भोसले मिलिटरी स्कूल नासिक की स्थापना । 1937 में युवतियों को रायफल चलाने का प्रशिक्षण । जिनके परिणाम स्वरुप भारत जब स्वतंत्र हुआ तब हमारे पास एक सुदृढ़ सेना और योग्य सेनापति थे। डॉ मुंजे की हिन्दू युवाओं को ब्रिटिश सेना में भर्ती हेतु प्रेरित किये जाने का ही परिणाम था कि सुभाष बाबू को आजाद हिन्द सेना के लिए बड़ी मात्रा में प्रशिक्षित सैनिक मिले। इसी तरह उनकी रणनीति के अनुसार जैसे ही अवसर प्राप्त हुआ 1946 में सैनिको ने विद्रोह कर दिया। उन्होंने मांग की कि भारत में सभी युवाओं के लिए सैनिक शिक्षा अनिवार्य की जाये। वर्तमान में इजरायल एकमात्र ऐसा देश है जो डॉ मुंजे की नीतियों पर चल रहा है। परिणाम स्वरूप आज वह एक शक्तिशाली राष्ट्र है। अभी भारत शासन ने अग्निवीर योजना लाकर इस दिशा में एक कदम उठाया है।

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भेड़ाघाट में पांच दिवशीय ओशो महोत्सव का आयोजन

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डिजिटल भारत l जबलपुर शहर व देश विदेश से कई कलाकार इस पांच दिवशीय कार्यकर्म में अपनी प्रस्तुति देने पहुंचे सभी कार्यक्रम भेड़ाघाट स्थित नगर परिषद हैलीपेड स्टेडियम में आयोजित किए जाएंगे। इस प्रकार के कार्यकम पहले भी हुए है पर ये पहली बार है, जब भेड़ाघाट जबलपुर में ये कार्यकम होने जा रहा है इस पांच दिनी आयोजन के प्रथम दो दिवसों में ध्यान के विविध प्रयोग होंगे, जिनमें विशेषज्ञों द्वारा प्रवचन भी दिए जाएंगे। 11 दिसंबर को ओशो के जन्मदिवस को उनके भक्तों द्वारा भव्यता के साथ मनाया जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध बांसुरी वादक पद्मश्री व पद्मभूषण पंडित हरि प्रसाद चौरसिया द्वारा बांसुरी वादन किया जाएगा। इसी क्रम में 11 दिसंबर को ही इंडियन आइडल फेम गिरीश विश्वा अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। लाइव बैंड की शानदार प्रस्तुतियां होंगी। सारेगामा फेम अनन्या चक्रवर्ती भी अपनी प्रस्तुतियों से सबका मन मोह लेंगी।

इसकी पहचान प्रदेश में नंबर वन सांस्कृतिक-आध्यात्मिक महोत्सव के रूप में हो, इसके प्रयास हो रहे हैं।

चूंकि जबलपुर में भी खजुराहो की तरह ही विश्वविख्यात भेड़ाघाट-धुआंधार पर्यटन क्षेत्र मौजूद है, इस कारण इस संयोजना को बल भी मिला है। यहां 19 साल रहने के बाद आध्यात्मिक गुरु ओशो ने पूरी दुनिया में जबलपुर और भारत का नाम रोशन किया है, इस कारण उनके जन्मोत्सव पर ओशो महोत्सव किया जा रहा है।

कई देशों से आएंगे लोग
ओशो होम और ओशो परम मेडीटेशन इंटरनेशनल के तत्वावधान में आयोजित हो रहे इस महोत्सव में कई देशों के गुणीजनों भेड़ाघाट में संगम होगा। भारत, जर्मनी, फिलीपींस, कैनेडा, नेपाल, इंग्लैंड, टर्की सहित कई देशों की हस्तियां शिरकत करेंगी।

शिक्षक, दार्शनिक एवं विचारक के रूप में देश दुनिया में विख्यात आचार्य रजनीश की यादें आज भी जबलपुर शहर में जीवित हैं। किताबें ओशो की बेहतरीन मित्र थीं। लायब्रेरी में घंटो बैठकर किताबें पढते थे। आज भी लायब्रेरी का यह कक्ष ओशो की अनुभूति कराता है। यहां बात हो रही है शासकीय ऑटोनॉमस कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय की। कॉलेज की लायब्रेरी में ओशो की यादों को सहेजकर रखा गया है। छात्र यहां आकर ओशो के नजदीक होने का अनुभव करते हैं। संस्कारधानी ओशो की कर्मस्थली और तपोस्थली के रूप में भी जानी जाती है।

ओशो को सबसे प्रिय था जबलपुर
ओशो को अपने बचपन के शहर जबलपुर से अतिशय प्रेम था. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका पहुंचकर विश्व प्रसिद्ध होने के बाद भी वह जबलपुर को कभी नहीं भूले, इस शहर को सर्वाधिक प्रेम करते रहे. उनके एक अनुयायी ने जब ओशो से धरती पर पसंदीदा जगह के बारे में सवाल किया तो उनका जवाब जबलपुर था. उन्होंने कहा था, ”जबलपुर मेरा पर्वत स्थल है, जहां मैं सर्वाधिक आनंदित हुआ

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