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सचिन पायलट पर रंधावा के रुख को देखकर कहा जा सकता है कि पार्टी ने पायलट के मामले में सख्त रुख के बजाय नरम रुख अपनाने का फैसला किया है. पार्टी नेताओं ने कहा कि सुलह के लिए बीच का रास्ता निकाले जाने के संकेत मिल रहे हैं।

लगता है कांग्रेस ने राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के प्रति नरमी बरतने का मन बना लिया है. राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयानों का मूल्यांकन किया जाए तो ऐसा ही लगता है. 

हालांकि पायलट ने राज्य सरकार को उनकी तीन मांगें पूरी करने के लिए 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया है. ये मांगें हैं : राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग कर उसका पुनर्गठन करना, पेपर लीक के कारण आर्थिक रूप से पीड़ित लाखों छात्रों को मुआवजा देना और वसुंधरा राजे की अगुआई वाली पिछली बीजेपी सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार के मामलों की उच्चस्तरीय जांच कराना. उनका 15 दिन का अल्टीमेटम मई के अंत तक का है. गहलोत सरकार फिलहाल इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुई है ।

रंधावा ने गुरुवार को चुनावी साल में कांग्रेस में अंदरूनी कलह को खत्म करने की बात कही. उन्होंने कहा, ‘जिस पार्टी में एक्शन होगा, वहां लड़ाई-झगड़े होंगे. वह पार्टी या घर ही क्या, जहां कुछ नहीं होता.’ जयपुर सर्किट हाउस में उन्होंने कहा, ‘हम लड़ाई को कंट्रोल करेंगे.’

चुनावी रणनीति तय करने के लिए दिल्ली में शुक्रवार को होने वाली कांग्रेस की बैठक में सचिन पायलट के शामिल होने के सवाल पर रंधावा ने कहा, ‘क्या आपको इसमें कोई शक है? क्या ये कांग्रेस पार्टी के नेता नहीं हैं? कल की बैठक में आपको इसका जवाब मिल जाएगा.’

सचिन पायलट के अल्टीमेटम पर रंधावा ने कहा, ‘पायलट ने कांग्रेस को कोई अल्टीमेटम नहीं दिया है. जिन्हें अल्टीमेटम दिया गया है, वह इसका जवाब देंगे. मुझे अभी तक कोई अल्टीमेटम नहीं मिला है. अगर पायलट ने कांग्रेस आलाकमान को अल्टीमेटम दिया होता, तो मैं जवाब देता.’

कांग्रेस ने शुक्रवार को दिल्ली में चुनावी राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के नेताओं की बैठक बुलाई है, जिसमें विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा की जाएगी. रंधावा ने कहा कि शुक्रवार को एआईसीसी के दफ्तर में चारों राज्यों के पार्टी नेताओं की बैठक होगी. इसमें राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, प्रदेश पार्टी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित कई नेता व चारों सह प्रभारी भाग लेंगे. उन्होंने दावा किया कि सचिन पायलट इस बैठक में हिस्सा लेंगे.

पायलट पर रंधावा के रुख को देखकर कहा जा सकता है कि पार्टी ने पायलट के मामले में सख्त रुख के बजाय नरम रुख अपनाने का फैसला किया है. पार्टी नेताओं ने कहा कि सुलह के लिए बीच का रास्ता निकाले जाने के संकेत मिल रहे हैं.

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