डिजिटल भारत l लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपना घोषणापत्र (Congress Manifesto 2024) जारी कर दिया है. कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने इसे ‘न्याय पत्र’ नाम दिया है. इस मेनिफेस्टो में कांग्रेस ने जनता को 25 गारंटियां दी हैं, जिसमें सबसे अहम गरीब परिवार की महिलाओं को सालाना 1 लाख रुपए की मदद देने का वादा है.
इतना ही नहीं, अपने मेनिफेस्टो में कांग्रेस पार्टी ने वादा किया है कि देश में उसकी सरकार बनने पर वह जाति आधारित जनगणना कराएगी और आरक्षण की अधिकतम सीमा को बढ़ा कर 50 प्रतिशत से ज्यादा करेगी. कांग्रेस ने यह भी कहा है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलने वाले 10 प्रतिशत आरक्षण को वह सभी वर्गों के गरीबों के लिए बिना भेदभाव के लागू करेगी. घोषणा पत्र में कांग्रेस ने यह भी कहा है कि सरकार में आने के बाद वह नई शिक्षा नीति को लेकर राज्य सरकारों के साथ परामर्श करेगी और इसमें संशोधन करें करेगी.
कांग्रेस ने जिन मुद्दों को अपने घोषणापत्र में उठाया है, उनकी अहमियत समझाते हुए राजनीतिक विश्लेषक और अंग्रेज़ी अख़बार ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के राजनीतिक संपादक विनोद शर्मा कहते हैं, ”लोकतंत्र का मतलब महज़ वोट डालना नहीं है, और इसके बहुत सारे हिस्से हैं जिन्हें संविधान निर्माताओं ने मौलिक अधिकारों की श्रेणी में रखा है.”
केरल और तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए विनोद शर्मा कहते हैं, ”दोनों प्रदेशों में राज्यपाल राज्य सरकार के बीच लगातार टकराव के हालात बने रहे हैं और दूसरी सरकारें भी जीएसटी के पैसे समय पर न मिलने जैसी शिकायतें करती हैं.”
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ही उत्तर प्रदेश में मदरसों पर आए हाई कोर्ट के एक ऑर्डर पर रोक लगा दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसा क़ानून को ग़लत बताया था. लेकिन सर्वोच्च अदालत ने हाईकोर्ट के इस फ़ैसले पर स्टे लगा दिया है.
विनोद शर्मा कहते हैं कि ‘वर्तमान केंद्र और कई राज्यों की सरकारें कभी नागरिकता क़ानून संशोधन, और ‘लव जिहाद’ जैसे मुद्दे लाकर लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता पर बराबर हमले करती रहती हैं. साथ ही वोटरों को ये जानने का अधिकार है कि उसका मत सही व्यक्ति को गया है या नहीं.’
वहीं केरल में कांग्रेस पार्टी की नेता शमा मोहम्मद का कहना था कि नरेंद्र मोदी सरकार नागरिकता क़ानून लाती है लेकिन उसमें वो श्रीलंका के तमिल हिंदुओं, म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों और अन्य को क्यों भूल जाती है? आख़िर इन लोगों को भी तो भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है.
कांग्रेस के घोषणापत्र में जिसे ‘न्याय पत्र’ बताया गया है, उसमें ईवीएम के साथ वीवीपैट के इस्तेमाल की बात कही गई है ताकि वोटरों के वोटों का मिलान किया जा सके और वोटर ये जान सकें कि उनका वोट किसको गया है.
कांग्रेस ने युवाओं के रोज़गार के संबंध में ट्रेनिंग के लिए लाख रुपये प्रति युवा देने का वादा किया है. उसने यह भी कहा है कि अग्निपथ योजना को ख़त्म कर दिया जाएगा और उसकी जगह बहाली की पुरानी व्यवस्था क़ायम की जाएगी.
नरेंद्र मोदी सरकार की फौज में बहाली की अग्निपथ स्कीम बेहद विवादास्पद रही है. इसको लेकर फौज के पूर्व अफ़सर भी हैरत जताते रहे हैं.युवाओं में भी फौज में चंद सालों की भर्ती स्कीम को लेकर बेहद नाराज़गी दिखी थी हालांकि धीरे-धीरे ये शांत पड़ गई.
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा का कहना है कि फौज में भर्ती को दूसरे क्षेत्रों में नौकरियों की तरह नहीं देखा जा सकता है, क्योंकि ये देश की रक्षा का सवाल है.
आलोक शर्मा से जब ये पूछा गया कि युवाओं को एक लाख की राशि देने की उनकी योजना क्या नरेंद्र मोदी सरकार की योजना की नकल नहीं है जो इस तरह की राशि युवाओं को रोज़गार के लिए देती है. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार की योजना क़र्ज है जिसे चुकाना पड़ता है जबकि हम युवाओं के प्रशिक्षण के लिए ये राशि देंगे, और उन्हें ये पैसे वापस नहीं करने होंगे.
ग़रीब महिलाओं को एक लाख रुपये प्रति परिवार देने का वादा किया गया है.
कृषि के क्षेत्र में कांग्रेस के बड़े वादों में से एक है किसानों की क़र्ज़ माफ़ी का वादा और न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर गारंटी देने वाला क़ानून.
अभी भी पंजाब के किसानों के कई समूह पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर एमएसपी पर क़ानून की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं. 2020 में भी दिल्ली के पांच बॉर्डरों पर किसानों ने चौदह माह तक धरना दिया था.
कांग्रेस की छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने भी किसानों को देश में सबसे अधिक धान का मूल्य दिया था, साथ ही क़र्ज़ माफ़ी भी की थी. लेकिन पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में इन वादों के बावजूद कांग्रेस पार्टी को बीजेपी से हार का सामना करना पड़ा था.
न्यूनतम मज़दूरी को कम से कम 400 रुपये रोज़ाना करने का वायदा भी कांग्रेस के घोषणा पत्र में है.
‘न्याय के दस्तावेज’ के रूप में याद रखेगी जनता
कांग्रेस के घोषणापत्र पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘हमारा घोषणा पत्र देश के राजनीतिक इतिहास में ‘न्याय के दस्तावेज’ के रूप में याद किया जाएगा. राहुल गांधी के नेतृत्व में चलाई गई भारत जोड़ो न्याय यात्रा पांच स्तंभों पर केंद्रित थी. यात्रा के दौरान युवा न्याय, किसान न्याय, नारी न्याय, श्रमिक न्याय और हिसदारी न्याय की घोषणा की गई. इन पांच स्तंभों में से 25 गारंटियां निकलती हैं और हर 25 गारंटियों में किसी न किसी को लाभ मिलेगा.’