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डिजिटल भारत l आम आदमी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता, दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के खिलाफ आज सामूहिक उपवास रखेंगे. बता दें कि दिल्ली शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं.
कुमार महानिदेशक (जेल) के पद पर भी काम किया. कुमार ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि उन्हें तिहाड़ जेल में अपने कार्यकाल के दौरान ‘‘अधिकतम संख्या में वीवीआईपी के ध्यान रखने” का मौका मिला था.

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अधिकतम संख्या में वीवीआईपी का ध्यान रखने का मौका मिला था. उस समय राष्ट्रमंडल खेल घोटाला हुआ था. सुरेश कलमाड़ी, कनिमोइ, ए राजा (2जी स्पेक्ट्रम घोटाला) से लेकर, रिलायंस के लोग, सीडब्ल्यूजी, अमर सिंह, आईएएस अधिकारी, आईपीएस अधिकारी वहां थे.”
हिंदू सेना की याचिका में क्या कहा गया है?

हिंदू सेना ने याचिका में एलजी को यह आदेश जारी करने की मांग की है कि वे केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से बर्खास्त करें. इसके साथ ही यह भी तय किया जाए कि दिल्ली की सरकार एलजी के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा चले. याचिका में कहा गया है कि देश के संविधान में ऐसी कोई कल्पना नहीं है कि एक मुख्यमंत्री गिरफ्तारी की स्थिति में न्यायिक या पुलिस हिरासत से सरकार चला सकें.
कुमार की याचिका को न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की अदालत में आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था. इस याचिका में कुमार ने कहा है कि दिल्ली के लिए अब रद्द की गई आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया है और वह संविधान के तहत मुख्यमंत्री के कार्यों को करने में ‘अक्षमता’ महसूस कर रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि आप नेता की ‘अनुपलब्धता’ संवैधानिक तंत्र को जटिल बनाती है और वह संविधान के निर्देश के अनुसार जेल से कभी भी मुख्यमंत्री के रूप में कार्य नहीं कर सकते हैं.

नैतिकता के कारण पहले ही दे देना चाहिए था इस्तीफा
याचिका हिंदू सेना के वकील बरुण सिन्हा ने दायर की है, जिसमें कहा गया है, “दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में अरविंद केजरीवाल ने संविधान द्वारा उन पर जताए गए संवैधानिक विश्वास का उल्लंघन किया है. धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत ईडी द्वारा उन्हें गिरफ्तार किया गया है.” याचिका में कहा गया है, “इसलिए, संवैधानिक नैतिकता के कारण, उन्हें जांच एजेंसी द्वारा हिरासत में लिए जाने से पहले इस्तीफा दे देना चाहिए था.”

इस याचिका में कहा गया, ‘‘संविधान का अनुच्छेद 239एए(4) उपराज्यपाल को उनके उन कार्यों को करने में सहायता और सलाह देने के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद का प्रावधान करता है जिनके संबंध में विधानसभा के पास कानून बनाने की शक्ति है. उपराज्यपाल को सहायता और सलाह व्यावहारिक रूप से तब तक संभव नहीं है जब तक मुख्यमंत्री संविधान के तहत अपनी सहायता और सलाह देने के लिए स्वतंत्र व्यक्ति उपलब्ध न हो.”

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