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सम्पादकीय

मध्यप्रदेश कांग्रेस में विधानसभा चुनाव को लेकर टिकट वितरण का एक पैमाना बनाया गया था, कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर टिकट दिए जायेगें, जिन नेता और विधायक का रिपोर्ट कार्ड सर्वे में सबसे ऊपर होगा उन्हें ही टिकट दिये जायेंगे, लेकिन चुनाव नजदीक आते- आते यही सर्वे टिकट के दावेदारों और उनके आकाओं के लिए मुसीबत साबित होने लगा, जो सर्वे कमलनाथ करवा रहे थे, उससे नेता असंतुष्ट दिखे तो एक सर्वे दिग्विजय सिंह का भी सामने आने लगा ,लेकिन जब इससे भी बात नही बनी तो सर्वे की कमान राहुल गांधी ने सम्भाली और तीसरा नया सर्वे सामने आया-उसी आधार पर टिकट दिए गए लेकिन इस सर्वे के आधार पर टिकट देना भी मुसीबत साबित हो गया और विरोध प्रदर्शन धरने होने लगे। नेताओं के पुतले जलने लगे, कमलनाथ के बंगले का घेराव, प्रदर्शन, सुंदरकांड का पाठ शुरू हो गया, दिग्विजय सिंह का घोर विरोध मध्यप्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर प्रदर्शन और तो और कांग्रेस कार्यालय के अंदर घुसकर कांग्रेस के लोगों द्वारा दिग्विजय सिंह की फोटो पर कालिख पोत देना, दिग्विजय की फोटो पर जूते मारना और इन सबका वीडियो बनते रहना, इस सबसे कांग्रेस की पुरानी परिपाटी संस्कृति की पुनरावृति दिखाई दी , इससे यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि कांग्रेस में सबकुछ ठीक नही है,

और दिग्विजय, कमलनाथ, सुरेश पचौरी, अरूण यादव, सज्जन वर्मा जैसे नेताओं मे आपसी खींचतान उभरकर सामने आई, कमलनाथ का यह वक्तव्य कि दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह के कपङे फाङो- यह बयान भी आग मे घी ङालने का काम कर गया, कमलनाथ के बंगले पर कांग्रेस कार्यकर्ता और नेताओं ने प्रदर्शन तेज कर दिए, और इसी बीच खुदपर पेट्रोल ङालकर आग लगाने की कोशिश भी की गई , इससे यह तो साबित हो गया कि मध्यप्रदेश कांग्रेस मे सर्वे के आधार पर टिकट देने का प्रयास सफल नही हो पाया, नही तो कमलनाथ का सर्वे, फिर दिग्विजय का सर्वे, फिर हाईकमान राहुल गांधी का सर्वे इसके बावजूद इतना धरना प्रदर्शन, आगजनी, कालिख पोतना, मध्यप्रदेश कांग्रेस के सर्वे की- इससे यह तो साबित हुआ कि मध्यप्रदेश कांग्रेस मे सबकुछ ठीक नही है , और बङे नेताओ की आपसी गुटबाजी भी चरम पर है। मध्यप्रदेश कांग्रेस अलग अलग गुटों मे बंटी हुई है, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह,सुरेश पचौरी, अरूण यादव, अजय सिंह,कांतिलाल भूरिया के गुट तो हैं ही, अब जीतू पटवारी, सज्जन वर्मा, जैसे नये गुट भी सामने आने लगे हैं, यह मध्यप्रदेश कांग्रेस के लिए इस समय खतरे की घंटी हो सकता है, इससे यह भी स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहा है कि राहुल गांधी की भारत जोङो यात्रा बहुत ज्यादा असर नही ङाल पाई, भारत जोङो यात्रा का उतना अच्छा प्रभाव कांग्रेस के जनमानस पर नही पङा , नही तो अलग अलग सर्वे कराने की नौबत ही नही आती, इससे यह भी दिखाई दिया की राहुल गांधी अपनी भारत जोङो यात्रा का इतना अच्छा असर नही छोङ पाए, क्योंकि मध्यप्रदेश मे फिर यह सब क्यों ? क्यों अलग अलग सर्वे, क्यों धरना प्रदर्शन तोडफोड आगजनी, खुदपर पेट्रोल ङालकर आग लगाने की कोशिश, क्या वाकई राहुल गांधी अपनी भारत जोङो यात्रा को असल मे सफल नही कर पाए, क्यों मध्यप्रदेश मे कांग्रेस को जोड़कर एक नही कर पाये – यह सब आने वाले समय मे आपको यह भी परिदृश्य दिखाई देगा, और मध्यप्रदेश मे राहुल गांधी की भारत जोङो यात्रा,सर्वे के आधार पर टिकट वितरण होना, और सही टिकट का चयन होना या न होना-यह सब 3 दिसंबर के बाद आपके सामने होगा। खैर सर्वे के यही हालात भारतीय जनता पार्टी में नजर आए, भाजपा ने भी तीन सर्वे करवाए, एक सर्वे तो अन्य प्रदेशों के विधायकों, संघ के पदाधिकारियों व राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री की टीम की रिपोर्ट, फिर भी टिकट वितरण के बाद फैले असंतोष के बाद तोड़फोड़, घेराव से भाजपा उम्मीदवारों की सीटें खतरे में नजर आ रही हैं फिलहाल देखने की बात यह है कि भाजपा कांग्रेस के बागी प्रत्याशी चुनाव के फैसले को किस ओर ले जाते है अभी भी मानमनौव्वल का दौर तेजी से चल रहा है कितने बागी समय रहते अपना नाम वापिस लेते हैं और कितने अपनी ही पार्टी की लुटिया डुबोते है ।

नलिन कांत बाजपेयी
9425157790

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