इस्राइल-हमास संघर्ष की ताज़ा स्थिति के अनुसार, मिस्र ने हमास के कब्जे में नागरिकों की रिहाई और युद्धविराम समझौते के लिए मध्यस्थता करने की इच्छा जताई है, जिसका इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्वागत किया। मिस्र की राजधानी काहिरा में वार्ता के दौरान, इस्राइल ने मोसाद प्रमुख को कतर भेजा, ताकि समाधान की दिशा में कदम बढ़ाए जा सकें।
हमास का उद्देश्य और उसका इतिहास
हमास (इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन) 1987 में एक संगठन के रूप में उभरा और फिलिस्तीन के स्वतंत्र राज्य के लिए संघर्षरत है। हालांकि यह संगठन अंतरिम रूप से गाजा, पश्चिमी तट, और पूर्वी येरुशलम में इस्लामी राज्य की स्थापना पर सहमति का संकेत दे चुका है, लेकिन ऐतिहासिक फिलिस्तीन पर इसके दावे का परित्याग नहीं किया गया है। इस्राइल की रिपोर्ट के अनुसार, 7 अक्टूबर के हमलों के बाद हमास के कई लड़ाके हताहत हुए हैं। संगठन का बुनियादी ढांचा गाजा में बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, और कई शीर्ष नेता इस्राइली हमलों में मारे जा चुके हैं।
संघर्ष का वर्तमान प्रभाव
हमास के नेता और उसकी संरचना पर मौजूदा संघर्ष का गहरा प्रभाव पड़ा है। गाजा पट्टी में सैन्य हमलों के कारण समूह की संचालन क्षमता घट गई है। खालिद मेशाल और महमूद ज़हर जैसे नेता हमास के कूटनीतिक और क्षेत्रीय प्रयासों का नेतृत्व कर रहे हैं, जो कतर और अन्य स्थानों से इस संघर्ष का संचालन कर रहे हैं।
प्रमुख सहयोगी और समर्थन
ईरान हमास का सबसे प्रमुख सहयोगी है, जो उसे वित्तीय, सैन्य, और राजनीतिक समर्थन प्रदान करता है। इसके अलावा, सीरिया और कतर भी हमास के प्रमुख समर्थक हैं। वर्तमान संघर्ष में इन देशों की भूमिका भी विशेष है, जो इस संघर्ष को वैश्विक स्तर पर प्रभावित कर रही है।
युद्धविराम और मानवीय सहायता की मांग
हमास ने अपने बयान में यह स्पष्ट किया कि इस्राइल को गाजा से हटना होगा और विस्थापितों को वापस आने देना चाहिए, जिसके बाद ही युद्धविराम पर विचार हो सकता है। इसके साथ ही गाजा में मानवीय सहायता की अनुमति की भी मांग की गई है।
इस्राइल, हमास और अन्य प्रमुख देशों के बीच यह तनावपूर्ण वार्ता क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक अहम बिंदु पर है। कतर और मिस्र की मध्यस्थता से संभावित युद्धविराम और समझौते की संभावना पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।
अधिक जानकारी के लिए और इस विषय पर विस्तृत लेख में हमास, उसके सहयोगियों, इस्राइली प्रतिक्रियाओं और अंतरराष्ट्रीय समर्थन पर विशेष प्रकाश डाला गया है।
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