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कोरोना वैक्सीनेशन का आंकड़ा 76 करोड़ के पार, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी जानकारी

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नई दिल्ली: देश में बुधवार तक कोविड रोधी टीके की 76 करोड़ से ज्यादा खुराक दी जा चुकी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी। बुधवार को शाम सात बजे तक टीके की 57 लाख से ज्यादा खुराक दी गई। मंत्रालय ने कहा कि शाम सात बजे तक की रिपोर्ट के अनुसार, 57,80,94,804 लाभार्थियों को टीके की पहली खुराक और 18,68,41,354 लाभार्थियों को दूसरी खुराक दी जा चुकी है।

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ बहुत तेजी से वैक्सीनशन हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी तेजी से किए जा रहे वैक्सीनेशन को लेकर भारत की तारीफ कर चुका है। WHO की दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने सोमवार को कहा था कि भारत ने कोरोना टीकाकरण में अभूतपूर्व गति हासिल की है।

डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा था, ‘WHO ने अभूतपूर्व गति से COVID-19 टीकाकरण को बढ़ाने के लिए भारत को बधाई दी। भारत में पहली 100 मिलियन खुराकें देने में 85 दिन लगे थे जबकि अब सिर्फ 13 दिनों में खुराकों की संख्या 650 मिलियन से 750 मिलियन तक पहुंच गई है।’ डॉ सिंह का यह बयान WHO के दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के ट्विटर अकाउंट से जारी किया गया था।

बता दें कि सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया था कि ‘देश में कुल वैक्सीन का आंकड़ा 75 करोड़ को पार कर गया है।’ तभी WHO ने भारत की तारीफ की थी। जिस रफ्तार से देश में वैक्सीनेशन का अभियान बढ़ रहा है उसे देखते हुए लग रहा है कि महीने भर में देश के 100 करोड़ लोगों तक वैक्सीन की कम से कम एक डोज जरूर पहुंच जाएगी। बुधवार तक 57,80,94,804 लाभार्थियों को टीके की पहली खुराक जबकि 18,68,41,354 लाभार्थियों को दूसरी खुराक दी जा चुकी है।

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कोरोना वैक्सीनेशन की रफ्तार देख भारत का प्रशंसक बना WHO, बयान जारी कर दी बधाई

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ वैक्सीनेशन की रफ्तार के लिए भारत की तारीफ की है। WHO की दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि भारत ने कोरोना टीकाकरण में अभूतपूर्व गति हासिल की है। इसके लिए डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने WHO की ओर से भारत को बधाई दी।

डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा, ‘WHO ने अभूतपूर्व गति से COVID-19 टीकाकरण को बढ़ाने के लिए भारत को बधाई दी। भारत में पहली 100 मिलियन खुराकें देने में 85 दिन लगे थे जबकि अब सिर्फ 13 दिनों में खुराकों की संख्या 650 मिलियन से 750 मिलियन तक पहुंच गई है।’ डॉ सिंह का यह बयान WHO के दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के ट्विटर अकाउंट से जारी किया गया।

कोरोना वैक्सीनेशन का आंकड़ा 75 करोड़ के पार

कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन का अभियान तेज गति से आगे बढ़ रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया है कि देश में कुल वैक्सीन का आंकड़ा 75 करोड़ को पार कर गया है। सोमवार को ही यह आंकड़ा 75 करोड़ के पार पहुंचा है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ सबका प्रयास के मंत्र के साथ विश्व का सबसे  बड़ा टीकाकरण अभियान निरंतर नए आयाम गढ़ रहा है, आजादी का अमृत महोत्सव यानि आजादी के 75वें वर्ष में देश ने 75 करोड़ टीकाकरण के आंकड़े को पार कर लिया है।”

जिस रफ्तार से देश में वैक्सीनेशन का अभियान बढ़ रहा है उसे देखते हुए लग रहा है कि महीने भर में देश के 100 करोड़ लोगों तक वैक्सीन की कम से कम एक डोज जरूर पहुंच जाएगी। अबतक जो टीकाकरण हुआ है उसमें लगभग 57 करोड़ लोगों को सिर्फ एक डोज मिली है और करीब 18 करोड़ को दोनों डोज मिल चुकी है।

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फिरोजाबाद में डेंगू और वायरल बुखार से अब तक 58 लोगों की मौत, अस्पताल में 100 नए मरीज भर्ती

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उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में संदिग्ध बुखार से एक और व्यक्ति की मौत होने से अब तक वायरल बुखार और डेंगू के प्रकोप से मरने वालों की संख्या बढ़कर 58 हो गई है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने शनिवार को जानकारी दी कि अस्पतालों में नए मरीजों के आने का सिलसिला थम नहीं रहा है। मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी (CMO) कार्यालय द्वारा शनिवार को जारी बुलेटिन के अनुसार जिले में संदिग्ध बुखार से पीड़ित एक और व्यक्ति की मौत की सूचना मिली है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि व्यक्ति की मौत डेंगू से हुई है या वायरल बुखार से। इसे मिलाकर जिले में मृतक संख्या बढ़कर 58 हो गई है।

सरकारी मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉक्टर संगीता अनेजा ने बताया कि शनिवार को अस्पताल के विभिन्न वॉर्डों में 100 नए मरीजों को भर्ती किया गया है। अनेजा ने कहा कि कुल 389 मरीजों में ज्यादातर बच्चे हैं जिनका अभी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज चल रहा है। उन्होंने बताया कि शनिवार को मेडिकल कॉलेज से किसी की मौत की सूचना नहीं है। अनेजा ने बताया कि 150 नमूनों की जांच में 50 में डेंगू की पुष्टि हुई है। इस बीच, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ दिनेश कुमार प्रेमी ने उसायनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कई दिनों तक अनुपस्थित रहने पर 6 महिला स्वास्थ्य कर्मियों को नोटिस जारी किया और उन्हें अनुपस्थिति का कारण बताते हुए तुरंत ड्यूटी पर आने का आदेश दिया।

CMO कार्यालय ने यह भी कहा कि जिले में लगातार मलेरिया, डेंगू और वायरल बुखार की जांच की जा रही है और बेहतर इलाज सुनिश्चित करने के लिए प्रभावित मरीजों को तुरंत अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है। फिरोजाबाद जिला पिछले तीन हफ्तों से डेंगू और घातक वायरल बुखार के प्रकोप से जूझ रहा है। मरीजों में ज्यादातर बच्चे हैं। अधिकारियों के मुताबिक कुछ मामले पड़ोसी जिलों- मथुरा, आगरा और मैनपुरी में भी सामने आए हैं।

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डेनमार्क ने लगभग सभी कोविड प्रतिबंध हटाए

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कोपेनहेगन: डेनमार्क ने कोविड-19 को ‘सामाजिक रूप से गंभीर’ से ‘आमतौर पर खतरनाक’ बीमारी के रूप में पुर्नवर्गीकृत किया है। फेस मास्क के अनिवार्य उपयोग और ‘कोरोना पास’ को लागू करने सहित लगभग सभी प्रतिबंध हटा लिए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्री मैग्नस ह्यूनिके ने शुक्रवार को डेनिश ब्रॉडकास्टर टीवी2 को बताया, “रोजमर्रा की जिंदगी काफी हद तक सामान्य हो गई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई खतरा नहीं है।” समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, उन्होंने कहा कि आबादी के बीच उच्च टीकाकरण दर के साथ, ‘हम एक अच्छी जगह पर हैं।’पिछले 24 घंटों में, डेनमार्क के स्टेटन्स सीरम इंस्टीट्यूट (एसएसआई), देश की संक्रामक रोग एजेंसी, ने 557 नए मामले और चार मौतें दर्ज कीं, जिससे राष्ट्रीय कुल 351,553 संक्रमण और 2,608 मौतें हुईं। फिर भी, प्रतिबंधों के गायब होने के बारे में जनता की मिली-जुली भावनाएं थीं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 27 अगस्त को कहा, “महामारी नियंत्रण में है, हमारे पास रिकॉर्ड उच्च टीकाकरण दर है। इसलिए, हम कुछ विशेष नियमों को छोड़ सकते हैं जिन्हें हमें कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई में पेश करना था।”समाज में अभी प्रचलित होने के बावजूद, सरकार द्वारा अब कोरोनावायरसको कम सामाजिक रूप से विघटनकारी माना जाता है और इसलिए इसे इन्फ्लूएंजा के समान ‘आमतौर पर खतरनाक बीमारी’ के रूप में लेबल किया गया है। कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी अस्पताल में वायरल बीमारियों के प्रोफेसर जेन्स लुंडग्रेन ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ को बताया, “फिलहाल, मुझे लगता है कि हमारे पास प्रतिबंध हटाने का समर्थन करने का कारण है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम बाद में प्रतिबंधों पर वापस नहीं जाएंगे।”उन्होंने कहा, “यही कारण है कि डेनमार्क में अब एक व्यापक निगरानी गतिविधि लागू की जा रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम महामारी के संभावित बिगड़ने के शुरूआती संकेतों को पकड़ सकें।” स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कुछ “मामूली प्रतिबंध अभी अपशिष्ट जल, चिकित्सा प्रतिष्ठानों और देखभाल घरों में प्रवेश प्रतिबंध के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करने के लिए हवाई अड्डों और जहाज पर विमानों पर फेसमास्क की आवश्यकता के आसपास लागू होंगे।”

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि डेनमार्क ने प्रतिबंधों की समाप्ति के बावजूद नए प्रकारों से निपटने के लिए नए विकसित प्रकारों सहित ‘लाखों टीकों’ के लिए और आदेश दिए हैं। ह्यूनिके ने लोगों से ‘कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले अन्य नागरिकों को संक्रमण फैलाने से बचने’ के लिए टीका लेने का अनुरोध किया। शुक्रवार को, एसएसआई ने बताया कि 75.6 प्रतिशत आबादी या 4,428,948 लोगों ने पहले ही टीकाकरण प्रक्रिया शुरू कर दी। उनमें से 4,282,637 या 73.1 प्रतिशत लोगों को पूरी तरह से टीका लगाया गया है।

लुंडग्रेन ने कहा, “कोविड -19 एक घातक बीमारी बनी हुई है और यह हर कोई जानता है। लेकिन हमारे पास इसे नियंत्रित करने के लिए एक बहुत ही प्रभावी हथियार है, जिसका नाम है टीकाकरण। इसलिए, हमें टीकाकरण के लिए गैर-टीकाकरण को प्रोत्साहित करना जारी रखना चाहिए।” डेनिश स्वास्थ्य प्राधिकरण (एसएसटी) ने कहा है कि 90 फीसदी आबादी को 1 अक्टूबर तक कोविड-19 के खिलाफ टीका लगाया जाना चाहिए। एसएसआई के अनुसार, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, अतिरिक्त 174,000 लोगों को सितंबर के दौरान खुराक मिलनी चाहिए।

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Covid: देशभर में मिले 33 हजार से ज्यादा मरीज, एक्टिव केस- 3.92 लाख

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पिछले 24 घंटों में देशभर में कोरोना संक्रमण के 33 हजार 376 नए मामले सामने आए हैं जिसके बाद अबतक सामने आए कोरोना संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 3 करोड़ 32 लाख 8 हजार 330 हो गए हैं। पिछले 24 घंटों में कोरोना से उबरने वालों की संख्या 32 हजार 198 जबकि कोरोना से मौतों की संख्या 308 रही। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में अबतक कोरोना संक्रमण की वजह से मौत के 4 लाख 42 हजार 317 मामले सामने आ चुके हैं।इस वक्त देश में एक्टिव मामलों की तादाद 3 लाख 91 हजार 516 है, जो कुल मामलों का 1.18 प्रतिशत है। मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर 97.49 प्रतिशत है। पिछले 24 घंटे में उपचाराधीन मामलों में 870 और मरीज शामिल हो गए हैं। शुक्रवार को उपचाराधीन मामले 3,90,646 थे। इसके अलावा, शुक्रवार को कुल 15,92,135 नमूनों की कोविड-19 के लिए जांच की गई जिसके बाद देश में अब तक जांचे गए नमूनों की कुल संख्या 54,01,96,989 हो गई है।स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक दैनिक संक्रमण दर 2.10 प्रतिशत दर्ज की गई। यह पिछले 12 दिनों से तीन प्रतिशत से कम बनी हुई है। साप्ताहिक संक्रमण दर 2.26 प्रतिशत दर्ज की गई जो पिछले 78 दिनों से तीन प्रतिशत से नीचे चल रही है। आंकड़ों के मुताबिक बीमारी से स्वस्थ होने वालों की संख्या बढ़कर 3,23,74,497 हो गई है जबकि मृत्यु दर 1.33 प्रतिशत है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि देश में अब तक टीके की लगभग 73 करोड़ खुराक दी जा चुकी है। एक अस्थायी रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को शाम सात बजे तक टीके की 56 लाख से अधिक खुराक दी जा चुकी थी। मंत्रालय ने कहा कि देर रात अंतिम रिपोर्ट आने तक दैनिक टीकाकरण संख्या बढ़ने की उम्मीद है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में सबसे संवेदनशील आबादी समूहों को कोविड​​-19 से बचाने के लिए चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान की नियमित रूप से समीक्षा की जाती है और उच्चतम स्तर पर निगरानी की जाती है।

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कपड़े का मास्क Vs सर्जिकल मास्क: जानिए कौन कितना सुरक्षित? अध्ययन में बड़ा खुलासा

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वाशिंगटन: कोरोना का संकट अभी टला नहीं है। डॉक्टर और विशेषज्ञ लगातार लोगों से मास्क पहनने की अपील कर रहे हैं। अब लोगों के मन में फिर से कपड़े के मास्क और सर्जिकल मास्क को लेकर कई तरह की शंकाएं उठ रही हैं। कपड़े का मास्क एक वर्ष तक असरदार हो सकता है, क्योंकि बार-बार धोने और सुखाने से संक्रमण फैलाने वाले कणों को छानने की उनकी क्षमता कम नहीं होती है। एक अध्ययन में यह कहा गया है। ‘एरोसोल एंड एयर क्वालिटी रिसर्च’ शोध पत्रिका में प्रकाशित शोध पिछले अध्ययनों की भी पुष्टि करता है कि सर्जिकल मास्क के ऊपर सूती कपड़े का मास्क लगाना, कपड़े के एक मास्क की तुलना में अधिक सुरक्षा प्रदान करता है। अमेरिका में कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर और अध्ययन की प्रमुख लेखिका मरीना वेंस ने कहा कि पर्यावरण के लिहाज से भी यह अच्छी खबर है। वह कॉटन मास्क जिसे आप धोते, सुखाते और दोबारा इस्तेमाल करते आ रहे हैं। यह शायद अभी भी ठीक है। इसे जल्दी फेंकने की जरूरत नहीं है। शोधकर्ताओं ने कहा कि कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से हर दिन अनुमानित तौर पर 7,200 टन चिकित्सा अपशिष्ट उत्पन्न हुआ है जिनमें एक बार इस्तेमाल के बाद फेंक देने वाले मास्क भी हैं। वेंस ने कहा, ‘‘हम महामारी की शुरुआत के बाद से बाहर जाते समय इधर-उधर फेंके गए मास्क को देखकर परेशान थे।’’ शोधकर्ताओं ने कॉटन के दो-परत बनाए, उन्हें एक साल तक बार-बार धोने और सुखाने के माध्यम से परखा, और लगभग हर सात बार की सफाई के दौरान उनका परीक्षण किया। शोधकर्ताओं ने अलग-अलग तरीके से मास्क के असरदार होने की जांच की। कपास के रेशे बार-बार धोने और सुखाने के बाद टूटने लगे, लेकिन शोधकर्ताओं ने पाया कि इससे कपड़े के अतिसूक्ष्म कणों को छानने की क्षमता पर कोई खास असर नहीं पड़ा। हालांकि, अध्ययन में देखा गया कि कुछ समय बाद इस तरह के मास्क से सांस लेने में थोड़ी मुश्किल होने लगी। अध्ययन में पाया गया कि सूती कपड़े के मास्क 0.3 माइक्रोन के सूक्ष्म कण को 23 प्रतिशत तक छानने में कामयाब रहे। सर्जिकल मास्क के ऊपर सूती कपड़े के मास्क लगाने से छानने की क्षमता बढ़कर 40 प्रतिशत हो गयी। शोधकर्ताओं ने कहा कि केएन-95 और एन-95 मास्क ने इन सूक्ष्म कणों में से 83-99 प्रतिशत को छानकर सबसे अच्छा प्रदर्शन किया।

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तीसरी लहर में भारतीय बच्चों को लेकर जताई गई आशंका, अमेरिकी बच्चों पर सही साबित हुई, 7 दिनों में रिकॉर्ड 2.5 लाख मासूम कोरोना संक्रमित

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तीसरी लहर में भारतीय बच्चों को लेकर जताई गई आशंका अमेरिकी बच्चों पर सच साबित होती दिख रही है। यहां बच्चों पर कोरोना का कहर टूट पड़ा है। इस समय अमेरिका के अस्पतालों में कुल 2396 कोरोना संक्रमित बच्चे भर्ती हैं, यही नहीं, बीते एक सप्ताह के दौरान बच्चों में संक्रमण के 2.5 लाख से ज्यादा मामले सामने आए और ये भी अपने आप में रिकॉर्ड है। महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक एक हफ्ते में बच्चों के संक्रमित होने की यह सर्वाधिक संख्या है।

फिलहाल अमेरिका में मिल रहे नए कोरोना संक्रमितों में 26 फीसदी केवल बच्चे हैं। अमेरिकी अकादमी ऑफ पेडियाट्रिक्स के मुताबिक 5 अगस्त से 2 सितंबर के बीच यानी लगभग चार सप्ताह के भीतर बच्चों में संक्रमण के 7, 50, 000 नए मामले सामने आए। यह बेहद डराने वाला आंकड़ा है। कि बच्चों की मृत्यु दर काफी कम बनी हुई है। तक 520 बच्चों की कोविड से मौत हुई है।

अगस्त, 2020 से अब तक अस्पताल में भर्ती होने वाले बच्चों की संख्या 55 हजार के आंकड़े को पार कर चुकी है। अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक 6 सितंबर को खत्म हुए, हालांकि विशेषज्ञ बच्चों के संक्रमित होने का एक मात्र कारण स्कूल खुलने को नहीं मान रहे हैं। इसलिए देशभर में डेल्टा वेरिएंट के कहर को देखते हुए संक्रमित होने वाले बच्चों की संख्या में और बढ़ोतरी की आशंका जताई गई है।

आपको बता दें कि वायरस ज्यादातर उन्हीं को संक्रमित कर रहा है जिनको टीका नहीं लगाया गया है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के इर्विंग मेडिकल सेंटर के प्रोफोसर डॉ. एडिथ ब्राचो-सांचेज ने हालात को चिंताजनक करार दिया है। उधर, सीडीसी ने भी कहा है कि स्कूलों को संचालन जारी रखने के लिए यह जरूरी है कि बच्चों को संक्रमण से बचाया जाए।

भर्ती करीब आधे बच्चों को कोई पूर्व बीमारी नहीं : सीडीसी के मुताबिक अस्पताल में भर्ती अमेरिकी बच्चों में से करीब 46.4 फीसदी को कोई पूर्व बीमारी नहीं थी। इससे यह भ्रम टूट जाता है कि स्वस्थ बच्चों में कोरोना संक्रमण का खतरा किसी पूर्व बीमारी से जूझ रहे बच्चों की अपेक्षा कम रहता है।

मिस-सी का खतरा बढ़ा: अमेरिका में बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित बच्चे मल्टी इंफ्लामेंटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन (मिस-सी) नामक बीमारी से ग्रस्त हुए। 4661 बच्चे मिस-सी से पीड़ित हुए जिसमें से 41 की मौत हो गई। इस बीमारी में शरीर के विभिन्न अंदरूनी अंगों जैसे कि लीवर, मस्तिष्क आदि में सूजन आ जाती है।

25 फीसदी बच्चों का पूर्ण टीकाकरण : अमेरिका में 12 साल या इससे अधिक उम्र के बच्चों को टीका लगाया जा रहा है। सीडीसी के मुताबिक 12 से 15 साल के 25 फीसदी अमेरिकी बच्चों को कोरोना रोधी टीके की दोनों खुराक लगाई जा चुकी है। इस आयु वर्ग में 33 फीसदी बच्चों को टीके की एक खुराक दी गई है। 16 से 17 साल के बच्चों में 37 फीसदी को दोनों खुराक दी जा चुकी है, जबकि 45 फीसदी को एक खुराक दी गई है।

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COVID19 : 24 घंटे में 43,263 नए मामले सामने आए, 338 लोगों की मौत

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देश भर में पिछले 24 घंटे में 43,263 नए मामले सामने आए हैं जबकि 338 लोगों की मौत हो गई है जaबकि 40, 567 मरीज स्वस्थ् हो चुके हैं। देशभर में अबतक कोरोना संक्रमण की कुल संख्या बढ़कर 3,31,39,981 हो गई है वहीं एक्टिव मामले 3,93,614 हैं। इस संक्रमण से मृतकों की कुल संख्या बढ़कर 4,41,749 हो गई है।केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बृहस्पतिवार सुबह आठ बजे जारी किए गए अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, संक्रमण से 338 और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 4,41,749 हो गई। देश में उपचाराधीन मरीजों की संख्या भी बढ़कर 3,93,614 हो गई है, जो कुल मामलों का 1.19 प्रतिशत है और मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर 97. 48 प्रतिशत है। आंकड़ों के अनुसार, देश में पिछले साल सात अगस्त को संक्रमितों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त को 30 लाख और पांच सितंबर को 40 लाख से अधिक हो गई थी। वहीं, संक्रमण के कुल मामले 16 सितंबर को 50 लाख, 28 सितंबर को 60 लाख, 11 अक्टूबर को 70 लाख, 29 अक्टूबर को 80 लाख और 20 नवंबर को 90 लाख के पार चले गए। देश में 19 दिसंबर को ये मामले एक करोड़ के पार, चार मई को दो करोड़ के पार और 23 जून को तीन करोड़ के पार चले गए थे।

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केरल में कोरोना वायरस के मामले फिर 30 हजार के पार, 181 लोगों की मौत

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केरल में कोरोना वायरस के मामले फिरे से एक बार 30 हजार का आंकड़ा पर कर लिया है। पिछले 24 घंटे में यहां कोविड-19 के 30,196 नये मामले सामने आए जिसके साथ ही कोरोना वायरस से संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 42,83,494 हो गयी जबकि 181 और मरीजों की मौत के बाद मृतकों की तादाद 22,001 पर पहुंच गयी। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी। राज्य में लगातार पांच दिनों तक दैनिक नये मामलों की संख्या 30 हजार से कम रहने के बाद आज एक बार फिर वह 30 हजार को पार कर गयी। केरल में बीते 24 घंटे के दौरान 1,71,295 नमूनों की कोविड-19 जांच होने के साथ संक्रमण की दर बढ़कर 17.63 प्रतिशत हो गयी है। 

विज्ञप्ति के अनुसार राज्य में संक्रमण दर घटकर 16 फीसद के नीचे चली गयी थी जो बुधवार को बढ़कर 17.63 प्रतिशत हो गयी। राज्य में अब तक 3,28,41,859 नमूनों की कोविड-19 जांच हो चुकी है। बीते 24 घंटे के दौरान राज्य में कोविड-19 के 27,579 मरीज संक्रमण मुक्त भी हुए, जिससे राज्य में इस जानलेवा वायरस के संक्रमण को मात देने वालों की संख्या बढ़कर 40,21,456 हो गयी। राज्य में कोविड-19 के उपचाराधीन मरीज 2,39,480 हैं। 

विज्ञप्ति के मुताबिक, त्रिशूर जिले में कोविड-19 के सर्वाधिक 3,832 नये मरीज सामने आए। इसके बाद एर्णाकुलम में 3,611, कोझिकोड में 3,058, तिरुवनंतपुरम में 2,900, कोल्लम में 2,717, मलप्पुरम में 2,580, पलक्कड़ में 2,288, कोट्टयम में 2,214, अलाप्पुझा में 1,645, कन्नूर में 1,433, इदुक्की में 1,333 और पथनमथिट्टा में कोरोना वायरस संक्रमण के 1,181 नये मामले सामने आए। केरल के विभिन्न जिलों में इस समय 6,08,228 लोगों को निगरानी में रखा गया है, जिसमें से 32,817 लोग अस्पतालों में हैं। 

इससे पहले राज्य सरकार ने कोरोना मामलों के घटते मामलों को देखते हुए रात के कर्फ्यू और रविवार के लॉकडाउन जैसे प्रतिबंधों को हटाने का फैसला किया था। मुख्यमंत्री ने एक प्रेस वार्ता में कहा था कि रविवार के लॉकडाउन और रात के कर्फ्यू को वापस लेने का फैसला कोविड समीक्षा बैठक के दौरान किया गया था। ओणम त्योहार के बाद कोविड के दैनिक मामलों के 30,000 से अधिक हो जाने के बाद सरकार ने इस पर काबू के लिए सोमवार से शनिवार तक रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक कर्फ्यू लगाया था।

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लाइफ मेडिसिटी हॉस्पिटल का लेंटर धराशाही

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लाइफ मेडिसिटी अस्पताल में मरीजों पर छज्जा गिरने से हड़कंप मच गया। यह हादसा कमरा नंबर 301 में हुआ। जिसमें एक महिला इलाज के लिए भर्ती थी हज्जा गिरते ही दंपत्ति दहशत में आ गए और अपना बचाव किया हालांकि दोनों को मामूली चोट लगने की बात बताई जा रही है। परिजनों ने लार्डगंज थाने में शिकायत दर्ज कराई है। बताया जा रहा है रानीताल निवासी शुभलता जैन को परिजनों ने न्यूरो की समस्या की वजह से रविवार को लाइव  मेडिसिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। जिस कमरे में भर्ती थी। उसमें छज्जा गिरने की आवाज सुनकर वहां हड़कंप मच गया।   पति सुशील जैन ने अपनी  पत्नी को गोद में उठाकर छज्जे के मलबे से बाहर निकाला  और कमरे से बाहर लेकर आए ।मरीज के परिजनों का आरोप है। उन्हें बहुत देर तक अस्पताल प्रबंधन भटका रहा था। और जिस कमरे में हादसा हुआ था। उस कमरे में जाने नहीं दिया जा रहा था। उन्होंने आरोप लगाया है। अस्पताल के उस कमरे को प्रबंधन ने बंद कर दिया था। पुलिस के पहुंचने के बाद बमुश्किल उनको मरीजों से मिलने की अनुमति दी गई। पुलिस ने मामला जांच में लिया है अस्पताल प्रबंधन ने बहुत देर बाद बात की और बताया कि यह हादसा था। जिसमें सभी मरीज सुरक्षित है। लाइफ मेडिसिटी हॉस्पिटल मै  पहले गलत इलाज की वजह से मरीजों की मौत होने की बात सामने आती रही है। इस अस्पताल पर कोविड-19 संक्रमण के वक्त सीजीएचएस कार्ड होने के बावजूद भी ज्यादा रकम वसूलने के आरोप लग चुके हैं। मेडिसिटी हॉस्पिटल मरीजों से गलत इलाज और लूट का सूट करने के लिए ज्यादा पहचाना जाता है। अस्पताल की इमारत भी कमजोर है। जिसकी वजह से इस अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के साथ कभी भी कोई बड़ा हादसा पेश हो सकता है।

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