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एक भारत उत्कृष्ट भारत

दुनिया का सबसे खतरनाक देश जहां जाना मौत के मुंह में जाने के बराबर है

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डिजिटल भारत l दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जहां जाना मौत के मुंह में जाने के बराबर है. इन देशों में हर कदम पर मौत आपका इंतजार कर रही होती. जहां जिंदगी हर तरफ से खौफ के साए में पलती है. लोग बाजार जाते हैं, तो उन्हें ये पता नहीं होता कि वो वापस लौटकर आ सकेंगे भी या नहीं.

मेंइराक: इराक लंबे समय से दुनिया का सबसे खतरनाक देश बना हुआ है. आईएसआईएस के खात्‍मे के लिए दुनिया की कई सेनाएं यहां सक्रिय है. ऐसे में यह एक खतरनाक देश है।सन 2002 से ही बोको हरम सामूहिक हत्याओं में जुटा है. नाइजीरिया में महिलाओं का अपहरण और उनके साथ बलात्कार आम बात हो चली है।

नाइजीरिया: अफ्रीकी देश नाइजीरिया में आतंकी संगठन बोको हरम का हल्‍ला है. ये देश सबसे खतरनाक देशों में दूसरे स्थान पर है. यहां सन 2002 से ही बोको हरम सामूहिक हत्याओं में जुटा है. नाइजीरिया में महिलाओं का अपहरण और उनके साथ बलात्कार आम बात हो चली है।

अफगानिस्तान: दुनिया में कभी सबसे खतरनाक देश रहा अफगानिस्तान अब भी हर कदम पर मौत को थामे खड़ा है. यहां हर दिन-हर पल आतंकी हमलों की खबर आती रहती हैं।

यमन: लंबे समय तक अस्‍थिरता का शिकार रहा है यमन गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतर चुकी है; विद्रोह को कुचला जा रहा है. हैती विद्रोहियों ने देश की महत्वपूर्ण जगहों पर कब्जा कर लिया है. इस देश में तो बोलने की आजादी पर भी बैन लगा हुआ है।

सोमालिया: अव्यवस्थित सरकार और प्रशासन इस अफ्रीकी देश की सबसे बड़ी समस्या है. सोमालिया में किडनैपिंग, चोरी और डकैती सबसे बड़ा धंधा बन चुका है. यहां समुंदर में जहाज लूटना और फिर दुनिया के देशों से फिरौती मांगना बड़ा व्यवसाय है. यहां हीरों की अवैध खानें भी हैं।

लीबिया: मौजूदा समय में भी लीबिया पूरी तरह से अशांत है. लीबिया में गद्दाफी के खिलाफ क्रांति के बाद कई आतंकी ग्रुप पैदा हुए हैं, जो कत्लेआम और लूट में शामिल हैं. यहां मानव के मौलिक अधिकारों की बात नहीं की जा सकती, तो पूरे देश में हत्या, अपहरण के मामलों की भरमार है. इस देश में जिसकी लाठी, उसी का राज चल रहा है।

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बीबीसी न्यूज़ पर इनकम टैक्स की कार्यवाही को मीडिया पर हमला : कांग्रेसि

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डिजिटल भारत l आज देश भर में चर्चा का प्रमुख विषय बना हुआ है बीबीसी
अथार्त ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन
पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की कार्यवाही,

सबसे मजेदार प्रतिक्रिया कांग्रेसियों की तरफ से आ रही है, जो बीबीसी पर इनकम टैक्स की कार्यवाही को मीडिया पर हमला बता रहे हैं,

मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर द्रवित हो रहे बुद्धिजीवी कांग्रेसियों को बता दे, कि उनकी वर्तमान माताजी की सास इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल में बीबीसी के ऑफिस के सारे कर्मचारियों को मुर्गियों की तरह पकड़ गाड़ी में भरा था और कुछ ही घंटों में उन्हें एक विमान में जबरदस्ती ठूंसकर ब्रिटेन भेज दिया था, और बीबीसी के कार्यालय पर ताला जड़ दिया था,

जिन कांग्रेसियों को इंदिरा गांधी की प्रतिक्रिया पुरानी बात लग रही है, उन्हें याद दिलाना चाहूंगा कि महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार ने किस प्रकार बदले की भावना के अंतर्गत पत्रकार अर्णब गोस्वामी को सुबह-सुबह उसके घर से उठाकर जबरदस्ती जेल में ठूंसा था, वह दृश्य आज भी लोगों के मन मस्तिष्क में जीवंत हैं,

अब जब मैं कांग्रेसियों के शासनकाल में उनके द्वारा मीडिया से किए जाने वाले व्यवहार पर प्रकाश डाल चुका हूं तो अब आते हैं ब्रिटेन के नेशनल ब्रॉडकास्टर बीबीसी की ओर,

बीबीसी की भारत के प्रति नकारात्मक कवरेज और भद्दा व् छिछला प्रोपेगेंडा हाल में आई उस झूठ का पुलिंदा डॉक्यूमेंट्री तक ही सीमित नहीं है,

नोटबंदी के समय बीबीसी ने लाइनों में लोगों के मरने की झूठी खबरें चलाई थी, शाहीन बाग और तथाकथित अन्नदाता आंदोलन के समय भी विश्व भर में भारत विरोधी प्रोपेगेंडा की झड़ी लगाई थी,
2014 के बाद से ही बीबीसी भारत में हिंदुओं और हिंदुत्व के प्रति विश्वभर में एक नकारात्मक जहरीला प्रोपेगेंडा चलाता आ रहा है जो विभिन्न अवसरों पर उजागर हुआ है,

किन्तु यहां विषय ब्रिटेन के स्टेट स्पॉन्सर्ड ब्रॉडकास्टर बीबीसी का झूठ और उसके द्वारा फैलाया जा रहा भारत विरोधी प्रोपेगेंडा नहीं है, विषय है बीबीसी के द्वारा भारत में कार्य करने के दौरान की गई टैक्स चोरी,

यह पहली बार नहीं है जब ब्रिटेन के स्टेट स्पॉन्सर्ड नेशनल ब्रॉडकास्टर पर टैक्स चोरी के आरोप लगे हैं
बीबीसी पर स्वयं उसके ही देश ब्रिटेन में टैक्स चोरी के गंभीर आरोप ना केवल लगे हैं अपितु सिद्ध भी हुए हैं
और ब्रिटेन के स्टेट स्पॉन्सर्ड नेशनल ब्रॉडकास्टर बीबीसी ने अपनी एनुअल रिपोर्ट में स्वयं लिखा है कि 12 मिलियन पाउंड की पेनल्टी चुका कर बीबीसी ने उस टैक्स चोरी के कुकर्म से अपना टेंटुआ बचाया था,

अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की बात करें तो उनका कहना है कि इस कार्यवाही से पूर्व वे बीबीसी को कई नोटिस भेज चुके हैं किंतु बीबीसी की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया,
संभवत बीबीसी वाले आज भी भारत और भारतीय कानून को अपना गुलाम समझ कर बैठे हुए हैं और उपनिवेशवादी मानसिकता से उबर नहीं पाए है, और सोच रहे हैं कि जिस प्रकार अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाकर भारत से 45 ट्रिलियन डॉलर लुटे थे बीबीसी वाले भी भारत में अपने गोरखधंधे चलाकर भारतीय कानून को ठेंगा दिखाकर सरलता से बैठकर भारत में टैक्स चोरी करते रहेंगे, किंतु समय आ गया है कि बीबीसी को कायदे से समझाया जाए कि ब्रिटिश शासन का सूर्य कब का अस्त हो चुका है….

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भारत की बेटियों का कमाल, पाकिस्तान को एक बार फिर से धोया, विश्व कप में किया धमाकेदार आगाज

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डिजिटल भारत l आईसीसी महिला टी20 विश्व कप 2023 में टीम इंडिया पाकिस्तान को 7 विकेट से हराते हुए धमाकेदार जीत दर्ज है। दोनों टीमों का विश्व कप में यह पहला मैच था। विश्व कप का यह मैच केपटाउन के न्यूलैंड्स में खेला गया था। मैच में टीम इंडिया ने एक ओवर शेष रहते ही जीत हासिल कर लिया।
महिला विश्व कप के इस मैच में पाकिस्तान की टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 20 ओवर में 4 विकेट के नुकसान पर 149 रनों का चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा किया था। भारत को मैच मैच में जीत के लिए 150 रनों का लक्ष्य मिला।
पाकिस्तान के लिए मैच में कप्तान बिस्माह महरूफ बेहतरीन अर्धशतकीय पारी खेली। बिस्माह ने 55 गेंद में 68 रनों की धमाकेदार पारी खेली जिसमें उन्होंने 7 बेहतरीन चौके लगाए। इसके अलावा आयशा नसीम ने भी 25 गेंद में 43 रनों की दमदार पारी खेली।
लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया के लिए ओपनर बल्लेबाज यस्तिका भाटिया और शेफाली वर्मा ने दमदार शुरुआत की और दोनों के बीच पहले विकेट के लिए 38 रनों की साझेदारी हुई। यस्तिका 17 रन बनाकर आउट हुईं जबकि शेफाली ने 33 रनों का योगदान दिया
हालांकि असली खेल तो इसके बाद हुआ जब जेमिमा रोड्रिगेज बैटिंग के लिए मैदान पर उतरीं। जेमिमा ने टीम इंडिया के लिए 38 गेंद में तूफानी पारी खेलते हुए 58 रन बनाए जिसमें उनके 8 चौके भी शामिल रहे।
इसके अलावा विकेटकीपर बल्लेबाज ऋचा घोष का भी बल्ला खूब चला। ऋचा ने भारत के लिए 20 गेंद में 31 रन बनाए जिसमें उन्होंने 5 बेहतरीन चौके जड़े जबकि हरमनप्रीत कौर ने 16 रनों का योगदान दिया।

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जाने तुर्की में भूकंप का इतिहास और अलग-अलग देश में भूकंप को लेकर एक्सपर्ट्स की ऐसी भविष्यवाणी

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डिजिटल भारत l तुर्की में 1939 के बाद के सबसे भयावह भूकंप के बाद ये सवाल उठने लगा है कि क्या इतनी बड़ी त्रासदी से बचा जा सकता था. साथ ही ये भी कि क्या राष्ट्रपति अर्दोआन की सरकार और ज़्यादा लोगों की जान बचा सकती थी.

तुर्की में चुनाव नज़दीक हैं और उनकी 20 साल पुरानी सत्ता दांव पर लगी है. लेकिन संकट के दौर में देश में एकता बनाए रखने की अर्दोआन की अपील अनसुनी कर दी गई है.

राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने माना है कि राहत कार्य में कमी रही है. लेकिन भूकंप प्रभावित एक इलाके का दौरा करते वक्त उन्होंने इसके लिए नियति को दोष दिया. उन्होंने कहा, ”ऐसी चीज़ें पहले भी हुई हैं. ये नियति की योजना का हिस्सा है.”

तुर्की में ऐसा भयावह भूकंप 1939 के बाद नहीं आया था. छह दिन पहले आए भूकंप की तीव्रता काफ़ी ज़्यादा थी. पहले 7.8 और 4.17 की तीव्रता के दो झटके आए. इसके बाद भी एक के बाद 7.5 तीव्रता के कई झटके आए.
तुर्की में 100 साल पहले तबाही

यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के मुताबिक, ऐसी तबाही तुर्किये पहले भी देख चुका है। 1939 में 7.8 तीव्रता से आए एक भूकंप ने 30 हजार लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था। वहीं, 1999 में 7.2 तीव्रता से आए भूकंप में 845 लोगों की जान चली गई थी।
द ग्रेट भोला चक्रवात ने दहलाया

1970 में दक्षिण एशिया के देश बांग्लादेश में द ग्रेट भोला चक्रवात की वजह से बांग्लादेश (तब का पूर्वी पाकिस्तान) बाढ़ की चपेट में आ गया था। देश की सीमा से लगे समुद्र में 35 फीट ऊंची लहरें उठी थीं, जिनकी वजह से बड़ा भू-भाग प्रभावित हुआ था। इस प्राकृतिक आपदा में पूर्वी पाकिस्तान में 3 से 5 लाख लोगों की मौत हो गई थी। भोला चक्रवात उष्णकटिबंधीय तूफानों में अब तक का सबसे खतरनाक तूफान था। भारत में भी इसका असर देखने को मिला था।

तुर्की में भूकंप आने की 2 सटीक भविष्यवाणी कर चुके होगरबीट्स ने अब भारत में भूकंप को लेकर भी ऐसा ही दावा किया है। उनके इस दावे वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जॉस क्विंटन द्वारा शेयर किए गए वीडियो में फ्रेंक को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि आने वाले कुछ दिनों में एशिया के अलग-अलग भागों में जमीन के भीतर हलचल होने संभावना है।
उन्होंने आगे कहा है कि हलचल पाकिस्तान और अफगानिस्तान से होते हुए हिंद महासागर के पश्चिम की तरफ हो सकती है। भारत इसके बीच में होगा। वहीं चीन में भी आने वाले कुछ दिनों में भूकंप आ सकता है। हालाँकि होगरबीट्स ने इस बार भी भूकंप की तीव्रता और समय के बारे में कुछ भी नहीं कहा है।

जैसा कि हमने पहले भी बताया है फ्रैंक होगरबीट्स SSGEOS नामक संस्था में काम करते हैं। इस संस्था ने अपनी वेबसाइट में लिखा है, “SSGEOS सोलर सिस्टम के ज्यामितीय सर्वे के लिए बहुत छोटा संस्थान है। हम भूकंपीय गतिविधि से संबंधित खगोलीय पिंडों के बीच ज्यामिति की निगरानी कर शोध करते हैं।” इसके अलावा, इस वेबसाइट में ग्रहों की स्थिति को लेकर कुछ फोटोज भी अपलोड किए गए हैं। इन फोटोज के साथ भूकंप आने की घटनाओं का जिक्र है।

हालाँकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि भूकंप को लेकर ऐसी भविष्यवाणी करना संभव नहीं है। वास्तव में अब तक ऐसे किसी भी शोध को लेकर स्पष्ट पुष्टि नहीं हुई है। इसलिए फ्रैंक होगरबीट्स की भविष्यवाणी पर अब भी संदेह जताए जा रहे हैं। लेकिन यदि उनकी भविष्यवाणी इसी तरह सही होती रहीं तो निश्चित रूप से इसे विज्ञान की एक बड़ी उपलब्धि माना जाएगा।

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413 पन्नों के अपने जवाब में अदानी समूह ने कहा है कि झूठ से भरी ये रिपोर्ट, जाने पूरा मामला

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डिजिटल भारत l कुछ दिन पहले जब अमेरिका की हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदानी समूह के ख़िलाफ़ अपनी एक रिपोर्ट में “लेखांकन धोखाधड़ी, स्टॉक में हेरफेर, और मनी लॉन्ड्रिंग” जैसे इल्ज़ाम लगाए तब इसकी कंपनियों के स्टॉक की कीमतें तेज़ी से गिरने लगीं और जानकारों ने कई तरह के सवाल उठाने शुरू कर दिए.

इसमें एक महत्वपूर्ण सवाल था कि क्या अब इन आरोपों से समूह को अपने अधूरे और नए मेगा प्रोजेक्ट्स के लिए धन जुटा पाना आसान होगा?

अदानी समूह की छाप भारत में हर जगह है, चाहे इसके कई प्रकार के उत्पाद हों या बंदरगाह या एयरपोर्ट में निवेश हो.

संकट से पहले अदानी ग्रुप ख़ुद को 260 अरब डॉलर का समूह बताता था. लेकिन इसकी जिन मौजूदा योजनाओं पर काम चल रहा है या इसकी आने वाली योजनाओं पर अगर अमल हुआ तो विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ ही सालों में समूह का आकार दोगुना हो सकता है.
अदानी समूह की कंपनियों का मार्केट कैप लगभग 220 अरब डॉलर था, लेकिन 25 जनवरी को अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की एक सनसनीखेज रिपोर्ट सामने आने के बाद से अदानी समूह के शेयर लगातार गिर रहे हैं.

अदानी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को खारिज किया है और इसे कंपनी को नुक़सान पहुँचाने की कोशिश बताया है.

413 पन्नों के अपने जवाब में अदानी समूह ने कहा है कि झूठ से भरी ये रिपोर्ट भारत पर हमला है.
इस ख़बर को जहां अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस ने अपने पहले पन्ने पर जगह दी है, वहीं लगभग सभी अख़बारों ने आज इसे प्रमुखता से छापा है.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अदानी समूह के शेयर लगातार गिर रहे हैं और कंपनी के मूल्य में भारी कमी आई है.

हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अदानी समूह पर धोखाधड़ी और स्टॉक मैनिपुलेशन के आरोप लगाए हैं लेकिन अदानी समूह ने इन आरोपों से पूरी तरह इनकार किया है.

अदानी मामला: अब तक क्या-क्या हुआ?
4 फ़रवरी 2023 – शेयर बाज़ार नियामक सेबी ने कहा कि वो मार्केट के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं होनी देगी और इस मामले में हर ज़रूरी क़दम उठाएगी.

4 फ़रवरी 2023 – वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि नियामक अपना काम करने के लिए स्वतंत्र हैं इसमें सरकार का कोई दबाव नहीं है.

3 फ़रवरी 2023 – एक टेलीविज़न चैनल को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर अच्छी स्थिति में है और वित्तीय बाज़ार नियमों के साथ काम कर रहे हैं.

2 फ़रवरी 2023 -निवेशकों के बीच घबराहट के माहौल के बीच आरबीआई ने कंपनी को लोन देने वाली कंपनियों से इस सिलसिले में पूरी जानकारी मांगी.

2 फ़रवरी 2023 – कंपनी के मालिक गौतम अडानी ने 4 मिनट 5 सेकंड का एक वीडियो जारी कर एफ़पीओ वापिस लेने की वजह बताई.

1 फ़रवरी 2023 – अदानी कंपनी ने अपना एफ़पीओ वापस लिया.

31 जनवरी 2023 – इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू से मुलाक़ात करने के लिए गौतम अदानी हाइफ़ा बंदरगाह पहुंचे थे. हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद पहली बार वो यहां सार्वजनिक तौर पर देखे गए.

31 जनवरी 2023 – एफ़पीओ की बिक्री इस दिन बंद होनी थी. इसी दिन ख़बर आई कि नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर के तौर पर सज्जन जिंदल और सुनील मित्तल समेत कुछ और जानेमाने अरबपतियों ने कंपनी के 3.13 करोड़ शेयर खरीदने के लिए बोली लगाई.

30 जनवरी 2023 – इस दिन तक एफ़पीओ को केलव 3 फ़ीसदी सब्स्क्रिप्शन मिला. इसी दिन अबू धाबी की कंपनी इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी ने कहा कि वो अपनी सब्सिडियरी ग्रीन ट्रांसमिशन इन्वेस्टमेंट होल्डिंग आरएससी लिमिटेड के ज़रिए अदानी के एफ़पीओ में 40 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी.

27 जनवरी 2023 – अदानी ने 2.5 अरब डॉलर का एफ़पीओ बाज़ार में उतारा.

26 जनवरी 2023 – हिंडनबर्ग ने कहा कि वो अपनी रिपोर्ट पर क़ायम है और क़ानूनी कार्रवाई का स्वागत करेगी.

26 जनवरी 2023 – अदानी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को सिरे से खारिज किया. कंपनी ने कहा कि वो क़ानूनी कार्रवाई के बारे में विचार कर रही है.

24 जनवरी 2023 – हिंडनबर्ग ने अदानी से जुड़ी अपनी रिपोर्ट ‘अदानी ग्रुपः हाउ द वर्ल्ड्स थर्ड रिचेस्ट मैन इज़ पुलिंग द लार्जेस्ट कॉन इन कॉर्पोरेट हिस्ट्री’ जारी की

अब हिंडनबर्ग रिसर्च की इस रिपोर्ट ने अदानी को उनके कॉर्पोरेट जीवन के सबसे बुरे संकट में डाल दिया है, इससे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के सामने भारत की विश्वसनीयता के बारे में भी बड़े सवाल उठ रहे हैं.

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में समूह पर शेयरों में हेराफेरी करने और टैक्स हेवन का अनुचित तरीके से उपयोग करने का आरोप लगाया गया है. अदानी ने इसका ज़ोरदार खंडन किया है.

अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ार के जानकार मानते हैं कि इस घटना का एक बड़ा नुकसान भारत का भी हुआ है. इससे व्यावसायिक नियमन के मामले में देश की छवि प्रभावित हुई है जिसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं.

एक ज़माने से विदेशी निवेशक और ऋण देने वाली बड़ी विदेशी संस्थाएं भारत की अर्थव्यवस्था को निवेश के लिए आकर्षक ठिकाना मानती रही हैं.

भारत सरकार के अनुसार साल 2022 में 25 दिसंबर तक भारत को लगभग 85 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) मिला.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ अप्रैल 2000 से सितंबर 2022 के बीच भारत में कुल एफ़डीआई 888 अरब डॉलर के क़रीब पहुँच गया.

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ईरान प्राकृतिक गैस का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, बावजूद इसके भारी गैस की कमी से जूझ रहा देश

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डिजिटल भारत l ईरान के पट्रोलियम मंत्री जवाद ओउजी ने एक अजीबोगरीब फरमान जारी किया है. ईरान इंटरनेशनल के मुताबिक, मंत्री जवाद ओउजी ने फरमान में कहा कै कि अगर “पड़ोसी ज्यादा गैस इस्तेमाल करते हैं तो लोग इसकी जानकारी खुफिया एजेंसियों को दें.” पट्रोलियम मंत्री की तरफ से यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब सर्दियों के मौसम के बीच ईरान को भारी गैस की कमी का सामना करना पड़ रहा है. गैस की कमी से ईरान में घरोलू खपत से लेकर उद्योगों को परेशानी हो रही है.
ईरान बीते कई हफ़्तों से जबरदस्त ठंड की मार झेल रहा है. इसी दरमियान ईरान के तेल मंत्री जवाद ओउजी ने एक अजीबोग़रीब फ़रमान जारी किया है.

उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि कोई भी शख़्स अगर ज़रूरत से ज़्यादा गैस का इस्तेमाल करते पाया गया, तो उसकी शिकायत पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियों से की जा सकती है.

तेल मंत्री ने ये भी कहा कि जो लोग गैस का इस्तेमाल ज़रूरत से अधिक कर रहे हैं, उनके गैस कनेक्शन काट दिए जाएंगे.

ख़ुद गैस के एक बड़े भंडार पर बैठा ईरान अपने ही नागरिकों को पर्याप्त मात्रा में इसकी सप्लाई नहीं कर पा रहा है, लिहाज़ा इस कड़ाके की ठंड में ये एक बड़ा संकट बनकर उभरा है.
ऊर्जा बचाने के लिए स्कूल, कार्यालय बंद
ईरान सरकार ने 31 ईरानी प्रांतों में से आठ प्रांतों में ऊर्जा बचाने के लिए अपने कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया है. प्रभावित प्रांतों में माजंदरान, इस्फहान, काज़्विन, पूर्वी अजरबैजान, अल्बोर्ज़, गिलान, कोम और दक्षिण खुरासान हैं. दरअसल, ईरान में गैस की कमी की समस्या पहले से ही है. देश में इतना बड़ा गैस भंडार होने के बावजूद ईरान कमजोर बुनियादी ढांचे के कारण उतनी गैस का उत्पादन नहीं कर पाता है.

ईरान इंटरनेशनल के अनुसार, गैस ले जाने के दौरान 25 फीसदी से ज्यादा गैस उड़ जाती है. इसके अलावा ईरान के सामने अमेरिका के द्वारा लगाए गए प्रतिबंध भी हैं. अमेरिकी प्रतिबंधों ने ईरान के लिए अपने गैस वितरण नेटवर्क को अपग्रेड करना मुश्किल बना दिया है, क्योंकि प्रतिबंध ईरान को नई तकनीकों तक पहुंचने में मुश्किल पैदा कर रहे हैं. .
ईरान के कट्टरपंथी राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी को पहले ही बीते कई महीनों से सरकार विरोधी प्रदर्शनों का सामना करना पड़ रहा है. अब इस नए मुद्दे ने उनकी मुसीबतों में और इजाफ़ा कर दिया है.

कड़ी सर्दी में गैस का अभाव
शून्य से कहीं नीचे तापमान और बर्फ़बारी की वजह से देश में गैस की मांग काफ़ी बढ़ी है. लेकिन हाल के दिनों में सप्लाई कई कारणों से कम हुई है, जिसकी वजह से कई क्षेत्रों में स्कूलों, सरकारी दफ़्तरों और सार्वजनिक सुविधाओं को बंद कर दिया गया है.

गैस की कमी की वजह से कई शहरों में बड़े पैमाने पर बिजली कटौती हुई है, वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई और विरोध प्रदर्शनों में इज़ाफ़ा हुआ है.

गैस की किल्लत के कारण माज़ंदरान, इस्फ़हान, काज़्विन, पूर्वी अज़रबैजान, अल्बोर्ज़, गिलान, क़ोम और दक्षिण ख़ुरासान प्रांत प्रभावित हैं.

इससे जुड़े कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए हैं, जिनसे पता चलता है कि सरकार कुछ शहरों में सर्दियों से निपटने के लिए लोगों को मदद दे रही है.
कुछ वीडियोज़ में दिखता है कि खाना पकाने और अन्य घरेलू ज़रूरतों के लिए बोतलबंद गैस की रिफ़िल पाने के लिए देश भर में उपभोक्ताओं की लंबी कतारें लगी हैं.

लोग गैस के लिए कई घंटों तक इन कतारों में खड़े रहकर इंतज़ार कर रहे हैं. कुछ वीडियो में प्रदर्शन करते हुए छात्रों की तस्वीरें भी सामने आई हैं.
नेशनल ईरानियन गैस’ कंपनी में उत्पादन, समन्वय और पर्यवेक्षण के निदेशक अहमद ज़मानी कहते हैं कि गैस का उत्पादन कम नहीं हुआ है, बल्कि होता ये है कि सर्दियों में इसकी मांग बहुत बढ़ जाती है.

हाल के एक बयान में उन्होंने कहा, “ईरान में औसतन 250 अरब क्यूबिक मीटर गैस की सालाना खपत होती है, अगर प्रतिदिन के लिहाज़ से देखा जाए, तो ये लगभग 68.5 करोड़ क्यूबिक मीटर होता है.”

वे कहते हैं, “काग़ज़ पर यह ईरान की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. फिर भी देश ने सर्दियों के दौरान नियमित रूप से बिजली की कमी का अनुभव किया है. ईरान का प्राकृतिक गैस उत्पादन काफ़ी स्थिर है, लेकिन सर्दियों के महीनों में मांग आसमान छूती है.”

दाम बढ़ाना विकल्प नहीं
राष्ट्रपति रईसी के लिए गैस और तेल का दाम बढ़ाना लगभग असंभव है. विशेषज्ञ कहते हैं ये क़दम प्रशासन के लिए भारी पड़ सकता है.

भारतीय मूल के आसिफ़ शुजा, सिंगापुर में ‘मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट’ थिंक टैंक में ईरान के मामलों के विशेषज्ञ हैं. वो कहते हैं, “ईरान अपने नागरिकों को तेल और गैस में भारी सब्सिडी देता है. मध्य-पूर्व के देशों की तुलना में ये छूट बहुत अधिक है. और ये छूट ईरान 1979 में आए इस्लामी क्रांति के समय से ही दे रहा है.”

शुजा कहते हैं, “सरकार जब भी सब्सिडी में कटौती की कोशिश करती है या जैसे ही तेल और गैस के दाम थोड़ा बढ़ाने की बात होती है, तो देश में इसका बड़े पैमाने पर विरोध होने लगता है, जैसा कि 2019 में देखा गया. ईरान में प्रति व्यक्ति गैस की ख़पत रूस और अमेरिका के बाद सबसे अधिक है.”

सालों से ईरान पर लगी आर्थिक पाबंदियों के कारण उसकी अर्थव्यवस्था कमज़ोर हो गई है. इसके अलावा उद्योग और कारखानों में लगी मशीनें और सिस्टम पुराने हो चुके हैं. इनके आधुनिकीकरण की सख़्त ज़रूरत है.

आसिफ़ शुजा कहते हैं, “प्रतिबंध की वजह से इस सेक्टर के विकास के लिए जो आधुनिक टेक्नोलॉजी चाहिए, वो इनके पास नहीं है. ईरान प्रोडक्शन में पुरानी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है. इसकी वजह से गैस की बर्बादी भी खूब होती है.”

शुजा बताते हैं, “ट्रांसमिशन के दौरान 25 प्रतिशत गैस बर्बाद हो जाती है. टेक्नोलॉजी को आधुनिक बनाने के लिए उन्हें 40 अरब डॉलर की ज़रूरत है, लेकिन वो इस पर केवल तीन अरब डॉलर ही खर्च कर सका है.”

सियासी असर

क्या गैस की सख़्त कमी के कारण हो रहे प्रदर्शन का सियासी तौर पर प्रभाव हो सकता है? ख़ास तौर से एक ऐसे समय में जब पिछले सितंबर से ईरान की मोरैलिटी पुलिस की हिरासत में 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत के बाद महिलाओं के प्रति शासन के व्यवहार और अन्य मुद्दों पर दशकों से चली आ रही कड़वाहट की पृष्ठभूमि में, राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों ने देश को झकझोर कर रख दिया है.

इस पर आसिफ़ शुजा कहते हैं, “सियासी माहौल पहले से ही गर्म है और उसमें अगर आप गैस का संकट जोड़ें तो ईरान की सरकार के लिए स्थिति बहुत गंभीर हो सकती है.”

अली रज़ा मसनवी के मुताबिक़, ईरान के इस्लामी प्रशासन के ख़िलाफ़ नाराज़गी अपने चरम पर है और गैस के संकट ने इसमें आग में घी डालने जैसा काम किया है.

वे कहते हैं, “सबसे अधिक प्रभावित इलाक़ा वो है जहाँ से राष्ट्रपति रईसी आते हैं. उनके समर्थक भी अब उनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने लगे हैं. अगर इस संकट ने तूल पकड़ा तो उनके लिए सियासी पेचीदगी बढ़ सकती है.”
इस संकट से ईरान निकले कैसे?
विशेषज्ञों की राय है कि ईरान को अपनी विदेश नीति की सामान्य समीक्षा करनी चाहिए और आर्थिक स्थिरता और विकास को सक्षम करने के लिए अपनी विदेश नीतियों को बदलना चाहिए.

उनका कहना है कि तेहरान को परमाणु समझौते को फिर से लागू करने के लिए आसान शर्तें रखनी चाहिए, ताकि वो अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के शिकंजे से उसे थोड़ी राहत मिल सके.

जानकार ये भी कहते हैं कि विदेशी कंपनियों से आर्थिक मदद और आधुनिक तकनीक के बिना आने वाले सालों में ईरान को बढ़ते ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ेगा.

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Chat GPT से हार मानने को तैयार नहीं Google

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डिजिटल भारत l Chat GPT जब से मार्केट में आया है तब से गूगल की परेशानी बढ़ी हुई है लेकिन अब गूगल ने नहले पर दहला मारा है और अपना एक ऐसा प्रोडक्ट मार्केट में उतारा है जो चैट जीपीटी को कांटे की टक्कर दे सकता है.चैट जीपीटी कुछ ही समय में काफी पॉपुलर बन गया है और उसका कारण है इसका इंसानी बर्ताव. इस बर्ताव की वजह से लोग चैट जीपीटी को काफी पसंद कर रहे हैं. चैट जीपीटी के आने से गूगल पर खतरे के बादल मंडराने शुरू हो गए थे लेकिन अब गूगल में खेल पलटने की पूरी तैयारी कर ली है. दरअसल कंपनी एक ऐसा एआई टूल लेकर आई है जो चैट जीपीटी को कांटे की टक्कर दे सकता है. अगर आपको इसके बारे में जानकारी नहीं है तो आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.
कौन सा है ये AI टूल

Bard नाम का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से लैस टूल गूगल की तरफ से पेश कर दिया गया है जो चैट जीपीटी को कांटे की टक्कर देने के लिए तैयार किया गया है. यह असल में एक चैटबॉट है जो ठीक उसी तरह से लोगों के सवालों का जवाब देता है जिस तरह से चैट जीपीटी को तैयार किया गया है. इसके आने के बाद से लोग ऐसा मान रहे हैं कि अब गूगल एक बार फिर से अपनी बादशाहत कायम रख पाएगा.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से लैस यह टूल लैंग्वेज मॉडल फॉर डायलॉग एप्लीकेशन पर काम करता है. यह टूल ना सिर्फ बेहद ही क्रिएटिव है बल्कि धमाकेदार तरीके से जानकारी एकत्रित करके लोगों तक पहुंचाता है और इसका रिस्पांस टाइम काफी कम है. मौजूदा समय में यह ट्रूल्य स्टिंग स्टेज में है लेकिन आने वाले समय में यह पूरी तरह से काम कर पाएगा.

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भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज से पहले टीम के खिलाड़ी ने अचानक ले लिया संन्यास, साथी हैरान

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डिजिटल भारत l भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चार मैचों की टेस्ट सीरीज शुरू होने से दो दिन पहले ही एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने क्रिकेट फैंस को मायूस करके रख दिया है. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच नागपुर में 9 फरवरी से शुरू होने वाले पहले टेस्ट मैच से पहले ऑस्ट्रेलिया के विस्फोटक बल्लेबाज एरॉन फिंच ने अचानक इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया है. एरॉन फिंच के अचानक इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास की खबर सुनकर उनके फैंस सदमे में हैं और साथी कंगारू खिलाड़ी भी हैरान हैं
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चार मैचों की टेस्ट सीरीज शुरू होने से दो दिन पहले ही एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने क्रिकेट फैंस को मायूस करके रख दिया है. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच नागपुर में 9 फरवरी से शुरू होने वाले पहले टेस्ट मैच से पहले ऑस्ट्रेलिया के विस्फोटक बल्लेबाज एरॉन फिंच ने अचानक इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया है. एरॉन फिंच के अचानक इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास की खबर सुनकर उनके फैंस सदमे में हैं और साथी कंगारू खिलाड़ी भी हैरान हैं.
एरॉन फिंच ने अपने संन्यास का ऐलान करते हुए कहा, ‘मुझे लगता है कि मैं 2024 का टी20 वर्ल्ड कप नहीं खेल पाऊंगा. इसको ध्यान में रखते हुए मेरे लिए कप्‍तानी छोड़ने और टीम को आगे की योजना बनाने देने का सही समय आ गया है. मेरे रिटायरमेंट लेने का ये सही समय है, जिससे ऑस्ट्रेलियाई टीम अपनी आगे की रणनीति पर काम कर सकती है. मैं अपने फैंस को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने मुझे लगातार अपना सपोर्ट दिया. सर्वकालिक दिग्‍गज खिलाड़‍ियों के साथ 12 साल ऑस्‍ट्रेलियाई टीम के लिए खेलना मेरे लिए बड़े सम्‍मान की बात है. 2021 में टी20 वर्ल्ड कप जीतना और 2015 में वनडे वर्ल्ड कप जीतना मेरे करियर की सबसे खास यादें रहने वाली हैं.’
सदमे में क्रिकेट फैंस

बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के पूर्व टी20 कप्तान एरॉन फिंच के नाम टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे बड़ी व्यक्तिगत पारी खेलने का वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है. एरॉन फिंच ने 3 जुलाई 2018 को जिम्बाब्वे के खिलाफ हरारे में 76 गेंदों में वर्ल्ड रिकॉर्ड 172 रनों की व्यक्तिगत पारी थी. एरॉन फिंच ने अपनी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को साल 2021 में टी20 वर्ल्ड कप का खिताब जिताया था. एरॉन फिंच ने ऑस्ट्रेलिया के लिए 5 टेस्ट, 146 वनडे और 103 टी20 इंटरनेशनल मैच खेले हैं. एरॉन फिंच ने टेस्ट में 278 रन, वनडे में 5406 रन और टी20 इंटरनेशनल में 3120 रन बनाए हैं. एरॉन फिंच को डेविड वॉर्नर के बाद ऑस्ट्रेलिया के सबसे खतरनाक और विस्फोटक बल्लेबाजों में गिना जाता है.
भारत के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया को 9 फरवरी से नागपुर में पहला टेस्ट मैच खेलना है. ऐसे में एरॉन फिंच के संन्यास की खबर ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाड़ियों को मायूस कर सकती है और कंगारू टीम का मनोबल भी तोड़ सकती है. क्रिकेट ऑस्‍ट्रेलिया के चेयरमैन लैचलान हेंडरसन ने कहा कि एरॉन फिंच ऑस्‍ट्रेलिया के सर्वश्रेष्‍ठ सफेद गेंद के खिलाड़‍ियों में से एक हैं. क्रिकेट ऑस्‍ट्रेलिया के चेयरमैन ने कहा, ‘जहां वो मैदान पर कड़े प्रतिस्‍पर्धी रहे, वहीं फिंच ने हमेशा चेहरे पर मुस्‍कुराहट रखते हुए खेल खेला और वो भी सही भावना के साथ.’

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कच्चे तेल के दामों में कमी, जाने आज पेट्रोल-डीजल की कीमत

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डिजिटल भारत l अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में बार-बार नरमी देखने को मिल रही है,  लेकिन देशभर में पेट्रोल-डीजल की कीमतें लंबे समय से स्थिर हैं.

 
आज, 3 फरवरी 2023 को ब्रेंट क्रूड ऑयल 82 डॉलर प्रति बैरल से कुछ ज्यादा है. आइये जानते हैं, देश के अलग-अलग इलाकों में तेल की क्या कीमत है.
कच्चे तेल की कीमतों में आज फिर नरमी देखी गई है. इसी बीच तेल कंपनियों द्वारा हर रोज की तरह आज भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें अपडेट कर दी गई हैं,
इसी बीच तेल कंपनियों द्वारा हर रोज की तरह आज भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें अपडेट कर दी गई हैं, इन नई कीमतों के मुताबिक,
कच्चे तेल की कीमतों में आज फिर नरमी देखी गई है. इसी बीच तेल कंपनियों द्वारा हर रोज की तरह आज भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें अपडेट कर दी गई हैं, इन नई कीमतों के मुताबिक, आज यानी 3 फरवरी को भी रेट्स में कोई फेरबदल देखने को नहीं मिला है. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में बार-बार नरमी देखने को मिल रही है, लेकिन देशभर में पेट्रोल-डीजल की कीमतें लंबे समय से स्थिर हैं. आज, 3 फरवरी 2023 को ब्रेंट क्रूड ऑयल 82 डॉलर प्रति बैरल से कुछ ज्यादा है.

महानगरों में तेल की कीमत

महानगरों में आज क्या हैं तेल की कीमतें? राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज भी पेट्रोल 96.72 रुपये और डीजल 89.62 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है. वहीं, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की बात करें, तो यहां पेट्रोल 106.31 रुपये प्रति लीटर और डीजल 94.27 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर है. इसके अलावा चेन्नई में पेट्रोल का भाव 102.63 रुपये प्रति लीटर और डीजल का भाव 94.24 रुपये प्रति लीटर पर ही टिका हुआ है. जबकि कोलकाता में पेट्रोल 106.03 रुपये प्रति लीटर और डीजल 92.76 रुपये प्रति लीटर पर ही अपरिवर्तित है.

NCR में पेट्रोल-डीजल के दाम

नोएडा में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 96.79 रुपये और डीजल की कीमत 89.96 रुपये प्रति लीटर
गाजियाबाद में पेट्रोल का दाम 96.58 और डीजल का भाव 89.75 रुपये प्रति लीटर
गुरुग्राम में पेट्रोल का दाम 97.18 और डीजल का भाव 90.05 रुपये प्रति लीटर

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जीरा खाने के फायदे… डायबिटीज समेत कई बीमारियों में कारगर है जीरा, इस तरह करें सेवन

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डिजिटल भारत l भोजन में तड़का देने के लिए अधिकतर जीरे का इस्तेमाल किया जाता है. खासकर दाल में हम जीरे का तड़का बेहद पसंद करते हैं. मसाले के तौर पर भोजन में इस्तेमाल होने वाला जीरा न सिर्फ हमारे भोजन का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि कई तरह की समस्याओं से भी हमें दूर रखता है. जीरा एंटीऑक्सीडेंट और इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है, इसलिए इसे खाने से हमें कई तरह के फायदे मिलते हैं. जीरे का सेवन मेटाबोलिज्म को बेहतर बनाता है, साथ ही पाचन संबंधी कई समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है. तो चलिए जानते हैं

दिमाग तेज होता है
अगर आप अपने दिमाग को तेज करना चाहते हैं, तो इसके लिए जीरे का सेवन बेहतर होगा. जीरा राइबोफ्लेविन, विटामिन बी6, जेक्सैन्थिन, नियासिन जैसे खनिजों और विटामिन्स से भरपूर होता है, जो हमारा दिमाग तेज करने में काफी कारगर होता है. जीरे के सेवन से न सिर्फ मेमोरी सेविंग पावर बढ़ती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है. आप रातभर पानी में जीरा भिगोकर रख दें और सुबह खाली पेट इसे खाएं.

वजन कम करने में कारगर
मोटापे से परेशान लोग अगर जल्द ही अपना वजन घटाना चाहते हैं, तो इसके लिए जीरे को सेवन करें. आप भुने हुए जीरे को एक ग्लास गर्म पानी में शहद और नींबू मिलाकर पिएं. इससे वजन कम करने में मदद मिलेगी. आप चाहें तो भुने हुए जीरे का पाउडर बनाकर भी रख सकते हैं. जीरा खाने से मोटापे के कारण आने वाले पसीने की समस्या से भी राहत मिलती है.

त्‍वचा के लिए फायदेमंद
अगर आपको त्वचा संबंधी दिक्कतें रहती हैं, तो इससे निजात पाने के लिए आप जीरे का इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर आप प‍िंपल्‍स, एक्‍ने, दाग-धब्‍बे जैसी समस्‍याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो इसके लिए भुना जीरा फायदेमंद होगा. भुने जीरे के पाउडर का पेस्ट चेहरे पर लगाने से इन समस्याओं से राहत मिलेगी. साथ ही इससे चेहरे की चमक और कसावट भी बढ़ती है.

पाचन संबंधी समस्याओं में असरदार
सर्दियों में ज्यादातर लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हो जाती हैं. अगर आप इससे परेशान रहते हैं, तो इसके लिए आप जीरे का सेवन शुरू करें. जीरे में मौजूद थाइमोल और आवश्यक तेल पाचन को आसान करते हैं. साथ ही इसके सेवन से भोजन तेजी से पचता है. इतना ही नहीं जारी मेटाबोलिज्म तेज कर कब्ज की समस्या को खत्म करता है. ऐसे में अगर आपका पाचन तंत्र कमजोर है या फिर आपको पेट फूलना की समस्या है, तो सुबह खाली पेट जीरा जरूर खाएं.

डायबिटीज में असरदार
डायबिटीज के मरीजों के लिए जीरा बहुत कारगर माना जाता है. कुछ शोध में सामने आया है कि जीरा खाने से रक्त शर्करा के स्तर को कम करने मदद मिलती है. सात से आठ चम्मच भुना जीरा पाउडर दिन में दो बार खाने से डायबिटीज कंट्रोल करने में मदद मिलेगी.

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