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एक भारत उत्कृष्ट भारत

समाजबादी पार्टी ने की नए उमीद्बारो की लिस्ट जारी ,56 उमीद्बारो के नाम शामिल

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डिजिटल भारत I यूपी के सियासी दंगल में तैयारियां तेज हैं, आरोप-प्रत्यारोपों के बीच उम्मीदवारों का एलान भी किया जा रहा है. समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की नई लिस्ट जारी की है, जिसमें 56 उम्मीदवारों के नाम हैं. सपा ने अब तक यूपी की कुल 403 विधानसभा सीटों में से 254 सीटों पर प्रत्याशियों को उतारा है. योगी आदित्यनाथ के खिलाफ गोरखपुर सदर के प्रत्याशी की घोषणा इस सूची में भी नहीं हुई है.

अम्बेडकरनगर की कटेहरी से लालजी वर्मा, अकबरपुर से रामअचल राजभर, सिद्धार्थनगर की इटवा से माता प्रसाद पांडेय, गोरखपुर की चिल्लूपार से विनय शंकर तिवारी को उम्मीदवार बनाया गया है. वहीं आज़मगढ़ की फूलपुर पवई से रमाकांत यादव, मऊ की घोसी से दारा सिंह चौहान, बलिया की बांसडीह से रामगोविंद चौधरी मैदान में हैं. इसके अलावा गाज़ीपुर की जमानिया से ओम प्रकाश सिंह और चंदौली की सकलडीहा से पीएन यादव प्रत्याशी होंगे.

अखिलेश यादव की सीट

सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी गई. अखिलेश यादव को मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया. इस सूची में पहले और दूसरे चरण के लगभग सभी उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गई थी. इस दौरान पार्टी द्वारा जातिगत समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है

जाति समीकरण

सपा प्रत्याशियों की पहली सूची को वर्ग के हिसाब से देखा जाए तब भी वह संतुलित नजर आती है. पार्टी ने 32 दलित, 31 मुस्लिम, 11 ब्राम्हण, 9 वैश्य, 5 ठाकुर और 3 सिख प्रत्याशियों को टिकट दिया है. इस सूची में अखिलेश यादव ने बसपा से आए तीन, कांग्रेस और भाजपा से आए दो-दो नेताओं को टिकट दिया था.

कब आएंगे परिणाम

बता दें कि यूपी में सात चरणों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. पहले चरण के लिए 14 जनवरी से ही नामांकन प्रक्रिया शुरु हो गई थी. वहीं 10 फरवरी को पहले चरण का मतदान होना है. जबकि विधानसभा चुनावों का परिणाम 10 मार्च को आएगा.

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एलोरा कैलाश मंदिर जिसे बनाने में मात्र 18 वर्षों का समय लगा, जो किसी अजूबे से कम नहीं

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हिंदू धर्म में भगवान और मंदिरों का बड़ा महत्व है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान ही इस सृष्टि का संचालन करते हैं। उनकी ही इच्छा से धरती पर सबकुछ होता है। वैसे तो हिंदू धर्म की मान्यता है कि भगवान हर जगह मौजूद हैं, लेकिन भारत की संस्कृति ऐसी है कि यहां जगह-जगह आपको अलग-अलग देवताओं के मंदिर मिल जाएंगे। ऐसा सदियों से चला आ रहा है कि लोग अपनी श्रद्धा से मंदिरों का निर्माण करवाते हैं।

भारत के अलग-अलग हिस्सों में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपने इतिहास और अपनी प्रचीन परंपराओं के साथ अपनी वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध हैं. इन मंदिरों आज भी नवीन तकनीकी और विज्ञान की सुविधाओं के बाद भी इस प्रकार की वास्तुकला को हकीकत में उतार पाना बहुत ही मुश्किल है. इसी कड़ी में आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो किसी अजूबे से कम नहीं है.


हम बात कर रहे हैं एलोरा के कैलाश मंदिर की जिसे बनाने में मात्र 18 वर्षों का समय लगा. लेकिन जिस तरीके से यह मंदिर बना है. जबकि पुरातत्वविज्ञानियों की मानें तो 4लाख टन पत्थर को काटकर किए गये इस मंदिर का निर्माण इतने कम समय में संभव ही नहीं है..
यह मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित एलोरा की गुफाओं में है, जिसे एलोरा के कैलाश मंदिर के नाम से जाना जाता है। 276 फीट लंबे और, 154 फीट चौड़े इस मंदिर की खासियत ये है कि इसे केवल एक ही चट्टान को काटकर बनाया गया है। ऊंचाई की अगर बात करें तो यह मंदिर किसी दो या तीन मंजिला इमारत के बराबर है।
कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में करीब 40 हजार टन वजनी पत्थरों को काटा गया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसका रूप हिमालय के कैलाश की तरह देने का प्रयास किया गया है। कहते हैं कि इसे बनवाने वाले राजा का मानना था कि अगर कोई इंसान हिमालय तक नहीं पहुंच पाए तो वो यहां आकर अपने अराध्य भगवान शिव का दर्शन कर ले।
कहते हैं कि इसे बनवाने वाले राजा का मानना था कि अगर कोई इंसान हिमालय तक नहीं पहुंच पाए तो वो यहां आकर अपने अराध्य भगवान शिव का दर्शन कर ले. इस मंदिर का निर्माण कार्य मालखेड स्थित राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण (प्रथम) (757-783 ई.) ने शुरु करवाया था. और करीब 7000 मजदूरों ने दिन-रात एक करके इस मंदिर के निर्माण में अपना योगदान दिया था.
इस मंदिर में आज तक कभी पूजा हुई हो, इसका प्रमाण नहीं मिलता। यहां आज भी कोई पुजारी नहीं है। यूनेस्को ने 1983 में ही इस जगह को ‘विश्व विरासत स्थल’ घोषित किया है।

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महामहिम राज्यपाल मंगूभाई पटेल, जगदगुरु राघवदेवाचार्य महाराज ने किया गौमाता का पूजन अर्चन

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पूज्य गुरुदेव जगदगुरू सुखानंद द्वाराचार्य स्वामी राघव देवाचार्य जी के 18 जनवरी 2022 जन्मत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक कार्यक्रम के प्रथम दिन शुभारंभ में दिनांक 12 जनवरी 2022 को गौशाला कार्यक्रम में महामहिम श्री मंगुभाई पटेल राज्यपाल का स्वागत वंदन किया।

जबलपुर- चौकीताल भड़पुरा स्थित गोकुलधाम गौशाला में राज्यपाल मंगूभाई पटेल महामहिम मध्य प्रदेश एवं जगदगुरु राघवदेवाचार्य जी महाराज एवं गौशाला अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने राधा कृष्ण जी का पूजन स्वस्तिवाचन के साथ कर दीप प्रज्वलित किया । उसके बाद गौशाला पहुंचकर महामहिम ने गौ माता की पूजन हराचारा एवं गुड़ के लड्डू खिलाकर किया। तत्पश्चात बादाम के  पौधे का रोपण किया गया। जहां गौशाला अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल भाजपा नगर अध्यक्ष श्री जी एस ठाकुर , श्री राजेश स्थापक ने  पुष्पगुच्छ भेंटकर उनका भव्य स्वागत किया गया।  पूजन अर्चन के उपरांत राज्यपाल महोदय, जगदगुरु स्वामी राघव देवाचार्य जी महाराज, गौशाला अध्यक्ष, प्रशांत अग्रवाल मंचासीन रहे। राज्यपाल ने जगदगुरु और प्रशांत अग्रवाल से गौशाला के संबंध में चर्चा की।  कार्यक्रम के दौरान गौशाला की व्यवस्थाओं को लेकर राज्यपाल के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। गरिमामय कार्यक्रम में विशिष्ट रूप से भाजपा नगर अध्यक्ष जी एस ठाकुर , कमलेश अग्रवाल, राजेश स्थापक, राजेश मिश्रा, अरविंद पाठक, डा.आशीष श्रीवास्तव एड.परिमल चतुर्वेदी , दिग्विजय सिंग गुजराल , समर्थ अग्रवाल , नरेंद्र अग्रवाल, सुमित पांडे, प्रशान्त पॉल, निखिल तिवारी एवं अन्य स्वजन उपस्थित थे ।इस दौरान पुलिस अधीक्षक श्री सिद्धार्थ बहुगुणा समेत प्रशासन और पुलिस के तमाम अधिकारी मौजूद रहे पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। प्रशांत अग्रवाल ने  पुलिस ,प्रशासन एवं अतिथियों का हार्दिक आभार प्रगट किया।

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एक मंत्री और 4 विधायकों ने पार्टी छोड़ी, अखिलेश यादव की ‘साइकिल’ पर हो सकते हैं सवार..

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यूपी में BJP को करारा झटका-

सपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने ट्वीट कर कहा ‘सामाजिक न्याय’ के संघर्ष के अनवरत सेनानी श्री दारा सिंह चौहान जी का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन!

सपा व उसके सहयोगी दल एकजुट होकर समता-समानता के आंदोलन को चरम पर ले जाएँगे, भेदभाव मिटाएँगे! ये हमारा समेकित संकल्प है!

योगी आदित्यरनाथ सरकार के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी का दामन छोड़ दिया है. मौर्य, उत्तर प्रदेश में ओबीसी का बड़ा चेहरा माने जाते हैं. उनके साथ ही बीजेपी के चार और विधायकों ने पार्टी छोड़ने का फ़ैसला किया है, जिनमें बृजेश प्रजापति, रोशन लाल, भगवती सागर, और विनय शाक्य शामिल हैं.अन्यं पिछड़ा वर्ग (OBC)के प्रभावी नेता और पांच बार के विधायक स्वाकमी प्रसाद मौर्य ने मायावती की बहुजन समाज पार्टी छोड़ने के बाद वर्ष 2017 में बीजेपी ज्वॉ्इन की थी. वह अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी का मुकाबला करने के लिए ओबीसी वोटर्स को आकर्षित करने की बीजेपी की योजना कें केंद्र बिंदु थे.

“मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में श्रम एवं सेवायोजन व समन्वय मंत्री के रूप में विपरीत परिस्थितियों व विचारधारा में रहकर भी बहुत ही मनोयोग के साथ उत्तरदायित्व का निर्वहन किया है, किंतु दलितों, पिछड़ों, किसानों बेरोजगार नौजवानों एवं छोटे- लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये  के कारण उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल से मैं इस्तीफा देता हूं.”उन्होंौने संवाददाताओं से कहा, ‘मेरे ‘बाहर आने’ का बीजेपी पर  क्यार असर पड़ेगा, यह 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद स्पाष्टल होगा. ‘स्वा.मी प्रसाद मौर्य के ‘बाहर जाने’ से  इस धारणा की पुष्टि हुई है कि सीएम योगी आदित्यानाथ के खिलाफ उनकी नाराजगी को बीजेपी ने अनसुना किया. सूत्र बताते हैं कि दो माह पहले मौर्य ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से योगी आदित्यअनाथ को लेकर शिकायत की थी लेकिन कथित तौर पर इसे अनदेखा कर दिया गया था. B

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए जारी प्रचार के बीच बीजेपी को एक और झटका लगा है. स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद अब दारा सिंह चौहान ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. दारा सिंह मऊ जिले की मधुबन विधानसभा सीट से विधायक हैं. उन्होंने राज्यपाल को भेजी चिट्ठी में योगी सरकार पर दलितों, पिछड़ों और युवाओं की अनदेखी का आरोप लगाया है.

मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद दारा सिंह चौहान ने अखिलेश यादव से मुलाकात की. सपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि ‘सामाजिक न्याय’ के संघर्ष के अनवरत सेनानी श्री दारा सिंह चौहान जी का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन!  सपा व उसके सहयोगी दल एकजुट होकर समता-समानता के आंदोलन को चरम पर ले जाएँगे… भेदभाव मिटाएँगे! ये हमारा समेकित संकल्प है! सबको सम्मान सबको स्थान!

दारा सिंह चौहान

  ने राज्यपाल को भेजी चिट्ठी में कहा, ”माननीय मुख्यमंत्री  के मंत्रिमंडल में वन पर्यावरण और जन्तु उद्यान मंत्री के रूप में मैंने पूरे मनोयोग से अपने विभाग की बेहतरी के लिए कार्य किया, किन्तु सरकार की पिछड़ों, वंचितों, दलितों, किसानों और बेरोजगार नौजवानों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के साथ-साथ पिछड़ों और दलितों के आरक्षण के साथ जो खिलवाड़ हो रहा है, उससे आहत होकर मैं उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा देता हूं.

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सोनू सूद के बहन मालविका सूद की पंजाब कांग्रेस में एंट्री, विधायक ने बागी हो चुनाव लड़ने का किया ऐलान

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अभिनेता सोनू सूद की बहन मालविका सूद ने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया है. चर्चाए हैं कि सोनू सूद की बहन मालविका सूद को कांग्रेस पार्टी मोगा सीट से सियासी रण में उतार सकती है. लेकिन पार्टी के इस फैसले से पहले ही कलह मच गई है. दरअसल इस सीट से मौजूदा विधायक हरजोत कमल ने टिकट न मिलने पर पार्टी के खिलाफ बागी होकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. सोमवार को मालविका सूद को एंट्री दिलाने के लिए मोगा पहुंचे चन्नी और सिद्धू को भी जबरदस्त गुस्से का सामना करना पड़ा. हरजोत कमल के समर्थकों ने सीएम चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ भी नारेबाजी की.

सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि मालविका सूद को पार्टी ज्वाइन करवाने से पहले मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को पहले विधायक हरजोत कमल से मुलाकात करने उनके घर जाना था. लेकिन उन्हें जैसे ही पता चला कि वहीं नाराज कांग्रेसी कार्यकर्ता इकट्ठे होकर बैठे हैं और विवाद हो सकता है. तो चन्नी इस विवाद से बचने के लिए सीधे मालविका सूद के घर चले गए. फिर वहां से सीधे मुख्यमंत्री चंडीगढ़ के लिए रवाना हो गए.

कार्यकर्ताओं को दिलाई साथ देने की सौगंध

सोमवार को जब सिद्धू और चन्नी मालविका के घर पहुंचे तो हरजोत कमल के समर्थक भी उधर ही निकल पड़े। हालांकि पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक लिया, लेकिन धक्कीमुक्की जमकर हुई। इसके बाद हरजोत कमल ने घर के बाहर ही जमा कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान बेहद भावुक नजर आ रहे हरजोत कमल ने कहा कि सभी के दिए सुझावों के बाद वह ऐलान कर रहे हैं कि चुनाव लड़ेंगे। भले वह किसी भी पार्टी से हो या आजाद चुनाव लड़ें। हरजोत कमल ने कार्यकर्ताओं से सौगंध ली और कहा कि वह अपने कार्यकर्ताओं के कहने पर चुनाव लड़ रहे हैं। वह सौगंध खाएं कि साथ देने से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि चरणजीत सिंह चन्नी की टिकट कटने पर वह आजाद लडे़ थे और वह भी आजाद चुनाव लड़ेंगे।v

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योगी सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया इस्तीफा, सपा में होंगे शामिल

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पार्टी के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। इतना ही नहीं उन्होंने बीजेपी से भी इस्तीफा देते हुए समाजवादी पार्टी जॉइन कर ली है। हालांकि उन्होंने अभी सपा में शामिल होने की बात नहीं स्वीकारी है लेकिन अखिलेश यादव ने ट्वीट करके यह साफ कर दिया है कि स्वामी प्रसाद उनके साथ आ गए हैं। मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य भी बीजेपी सांसद है।

यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को भेजे गए अपने इस्तीफे में स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। स्वामी प्रसाद का आरोप है कि उन्होंने अपना दायित्व निभाया लेकिन पार्टी ने उपेक्षा वाला रवैया अपनाया, जिसके कारण वह इस्तीफा दे रहे हैं।

मेरी किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है

स्वामी प्रसाद मौर्य ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि, मेरी किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। मैंने सामाजिक न्याय के लिए लगातार संघर्ष किया है। आगे भी करता रहूंगा। मुझे जहां भी सामाजिक न्याय साकार होता दिखेगा, मैं वहीं रहूंगा।

अपना इस्तीफा राजभवन भेजने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने तमाम सोशल मीडिया अकाउंट पर इसकी जानकारी दी। उन्होंने लिखा, ‘दलितों, पिछड़ों, किसानों, बेरोजगार नौजवानों एवं छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देता हूं।’

एक और विधायक बृजेश प्रजापति का इस्तीफा

कई बार बात के बाद भी सुनवाई नहीं हुई

पत्रकारों से बातचीत में स्वामी प्रसाद ने कहा कि किसानों, दलितों, नौजवानों के साथ जो व्यवहार हो रहा है वह बर्दाश्त नहीं है। मैंने मंत्रिमंडल के साथ बाहर भी मंत्रियों से बात की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में बिना सम्मान के बीजेपी में नहीं रह सकता था। उन्होंने कहा कि इस्तीफे से पहले उन्होंने सुनील बंसल और डेप्युटी सीएम से बात की।

बीजेपी पर लगाए ये आरोप

योगी मंत्रिमंडल में श्रम एवं सेवायोजन व समन्वय मंत्री के रूप में विपरीत परिस्थितियों व विचारधारा में रहकर भी बहुत ही मनोयोग के साथ उत्तरदायित्व का निर्वहन किया है लेकिन दलितों, पिछड़ों, किसानों बेरोजगार नौजवानों एवं छोटे- लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल से मैं इस्तीफा देता हूं।

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डब्ल्यूएचओ ने फिर चेताया : संक्रमण की तेजी सभी पुराने रिकॉर्ड घ्वस्त कर रही, ओमिक्रॉन से हो रहीं मौतें

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को आगाह किया कि कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को हल्के में नहीं लेना चाहिए। संगठन के महानिदेशक टेड्रॉस अदनाम गैब्रेयसस ने कहा, इसके संक्रमितों की अस्पतालों में मौत भी हो रही है। इस हालात में ओमिक्रॉन को कम खतरनाक बताना ही सबसे बड़ा खतरा बन गया है।

गैब्रेयसस ने कहा, डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन को कम खतरनाक बताया जा रहा है, खासतौर पर टीका लगवा चुके लोगों के लिए। जबकि, इसे हल्के वैरिएंट के तौर पर वर्गीकृत नहीं किया गया है, यह वैरिएंट ऑफ कन्सर्न है, जो डेल्टा की तरह ही लोगों को बीमार कर रहा है व लोग मर रहे हैं। संक्रमण की सुनामी से पूरी दुनिया में स्वास्थ्य ढांचा चरमरा रहा है।

बीते एक सप्ताह में ही डब्ल्यूएचओ ने संक्रमण के 95 लाख नए मामले दर्ज किए हैं, यह आंकड़े सिर्फ शुरुआती हैं, क्योंकि बहुत से जगहों से जांच के नतीजे मिलने में भी देरी हो रही है। मोटे तौर पर बीते एक सप्ताह में एक करोड़ से ज्यादा लोगों के संक्रमित होने का अनुमान है।

डब्ल्यूएचओ चाहता था, दिसंबर 2021 तक सभी देश अपनी आबादी के 40 फीसदी लोगों का पूर्ण टीकाकरण कर लें, लेकिन डब्ल्यूएचओ के 194 सदस्य देशों में से 92 इस लक्ष्य को हासिल नहीं कर सके। इनमें से 36 तो 10 फीसदी भी टीकाकरण नहीं कर सके।

अब डब्ल्यूएचओ ने 2022 के मध्य तक सभी देशों को अपनी आबादी के 70 फीसदी लोगों का टीकाकरण करने का लक्ष्य दिया है। इस असमानता पर टेड्रॉस ने कहा, वैक्सीन असमानता लोगों और रोजगार की हत्या है, जिससे वैश्विक आर्थिक सुधार के प्रयास कमजोर हो रहे हैं। अमीर देशों में बूस्टर डोज से महामारी खत्म नहीं होगी, इससे पूरी दुनिया असुरक्षित बनी रहेगी।

ओमिक्रॉन से ज्यादा संक्रामक स्वरूप

डब्ल्यूएचओ की कोविड-19 तकनीकी प्रमुख मारिया वान केरखोव का कहना है कि ओमिक्रॉन आखिरी चिंताजनक वैरिएंट नहीं है। आने वाले दिनों में इससे भी अधिक संक्रामक वैरिएंट सामने आ सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के कोविड टूल फ्रंटमैन ब्रूस आयलवर्ड कहते हैं कि 2022 की समाप्ति महामारी में ही हो, यह जरूरी नहीं है। डब्ल्यूएचओ के आपात निदेशक माइकल रयान कहते हैं कि समान टीकाकरण के बिना 2022 के अंत तक दुनिया बड़ी त्रासदी की ओर बढ़ जाएगी।

ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने बताया ब्रिटेन में सेना की मदद

ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि देश में कोविड संक्रमण के रिकॉर्ड मामलों के कारण अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी हो गई है। दबाव का सामना करने वाले अस्पतालों की मदद के लिए सेना की तैनाती शुरू कर दी गई है। सरकार ने बताया कि तीन सप्ताह के लिए लंदन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा की सहायता के लिए सशस्त्र बल के 200 कर्मियों को तैनात किया है। ब्रिटेन में पिछले सप्ताह में हर दिन 150, 000 से अधिक नए मामले सामने आए हैं। टीकाकरण व ओमिक्रॉन के कम गंभीर होने के कारण इंग्लैंड नए प्रतिबंधों के बिना महामारी का सामना कर सकता है। हालांकि, स्टाफ की कमी से कुछ हफ्तों को चुनौतीपूर्ण बताया।

कैलिफोर्निया में अगले माह तक राहत संभव

कैलिफोर्निया में संक्रमण की वृद्धि को देखते हुए स्कूलों को बंद कर दिया है। हजारों पुलिसकर्मी, दमकलकर्मी, शिक्षक और स्वास्थ्यकर्मी संक्रमण की चपेट में हैं। हालांकि, लॉस एंजल्स काउंटी की सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक बारबरा फेरर कहती हैं कि फरवरी के अंत तक हालात सामान्य हो जाएंगे। कैलिफोर्निया में दो सप्ताह में संक्रमण पांच गुना बढ़ गया है। एक करोड़ की आबादी वाले राज्य के सबसे बड़े शहर लॉस एंजल्स में गुरुवार को अधिक नए मामले दर्ज किए गए।

चीन : संक्रमण मामलों को देख अस्पतालों को चेतावनी

चीन में शुक्रवार को संक्रमण के नए मामलों में कमी देखने को मिली, जो गुरुवार के 132 की तुलना में 116 ही रहे। वहीं, प्रशासन ने अस्पतालों को चेतावनी दी है कि किसी भी मरीज के इलाज से इनकार नहीं किया जाए। 13 लाख की आबादी वाले शहर जियान 16 दिन से लॉकडाउन लगा है। दरअसल, एक गर्भवती महिला दो घंटे तक अस्पताल के बाहर इलाज का इंतजार करती रही, इस दौरान बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई। इस घटना की चीन के सोशल मीडिया आलोचना हुई। लोगों का  गुस्सा भड़कता देख शहर के अधिकारियों को दंडित किया गया।

फ्रांस में लहर इसके बाद ही मिल सकेगी राहत फ्रांस में कोविड टीकाकरण के शीर्ष रणनीतिकार प्रोफेसर एलेन फिशर का दावा है कि मौजूदा दर से कोविड लहर फ्रांस में 10 दिनों शीर्ष पर पहुंच जाएगी। फिशर ने बताया कि जनवरी के दूसरे पखवाड़े की शुरुआत में फ्रांस में कोविड संक्रमण शीर्ष पर होगा, इसके बाद यह कम होने लगेगा।

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चंडीगढ़ में होगा भाजपा का मेयर, गड़बड़ी करके मेयर पद हासिल किया? AAP का हंगामा

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भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरबजीत कौर (Sarabjit Kaur) ने आम आदमी पार्टी (AAP) की अंजू कत्याल को हराकर चंडीगढ़ मेयर पद हासिल कर लिया है. मेयर चुनाव के लिए आज हुए मतदान में कुल 28 वोट पड़े. वहीं, भाजपा प्रत्याकशी ने 14 वोट हासिल कर अपना परचम लहरा दिया. जबकि आप की अंजू कत्याल को 13 वोट के साथ संतोष करना पड़ा. कौर की जीत के बाद भाजपा सांसद किरण खेर ने विक्ट्री का साइन दिखाकर अपनी खुशी जाहिर की है.

बहरहाल, आज सुबह 11 बजे सभी पार्षद मतदान के लिए नगर निगम पहुंच गए थे. इसके बाद मेयर चुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया शुरू हुई. चंडीगढ़ मेयर चुनाव में 35 वोट डाले जाने थे, लेकिन सिर्फ 28 ही वोट डाले गए, क्यों कि मेयर चुनाव के दौरान कांग्रेस के 7 पार्षद और शिरोमणि अकाली दल का 1 पार्षद सदन से नदारद रहा. इस दौरान आम आदमी पार्टी के 14 और भाजपा के 13 पार्षदों के अलावा चंडीगढ़ से भाजपा सांसद किरण खेर ने वोट डाला. मतगणना के बाद भाजपा की सरबजीत कौर को चंडीगढ़ का नया मेयर घोषित किया गया. आम आदमी पार्टी का एक वोट इनवैलिड होने के कारण मेयर पद जीतने का दावा और दांव फेल हो गया.

आम आदमी पार्टी ने अब मांग की है कि सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के पद का चुनाव अब बैलेट पेपर की बजाय हाथ खड़े करवाकर कराया जाए। भाजपा की सरबजीत कौर के चुनाव जीतने के बाद आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने जमकर हंगामा काटा। यहां तक कि मेयर की कुर्सी ही घेरकर बैठ गए। इसके बाद पुलिस को बुलाना पड़ा, जिसकी मदद से आप पार्षदों को हटाया गया। फिर चंडीगढ़ से भाजपा की ही सांसद किरण खेर ने सरबजीत कौर को कुर्सी पर बिठाया। मेयर के चुनाव में कुल 28 मत पड़े थे, जिनमें 14 भाजपा ने हासिल किए और 13 वोट आम आदमी पार्टी को मिले। एक वोट इनवैलिड घोषित किया गया। इस तरह भाजपा ने महज एक वोट के अंतर से मेयर के पद पर जीत हासिल कर ली।

चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में भाजपा भले ही दूसरी नंबर की पार्टी बनी थी, लेकिन मेयर पद पर उसने कब्जा जमा लिया है। शनिवार को भाजपा की सरबजीत कौर ने मेयर का चुनाव 14 पार्षदों के समर्थन से जीत लिया। कुल 28 वोटों में से आधे वोट हासिल कर भाजपा को यह बड़ी सफलता मिली है। चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के पार्षद हंगामा करते दिखे। दरअसल चुनाव परिणामों में आप को 14 सीटें मिलीं थीं और भाजपा 12 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर थी। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि भाजपा ने गड़बड़ी करके मेयर पद हासिल किया है।

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पंजाब में पीएम की सुरक्षा के मुद्दे पर कांग्रेस में दो फाड़, बड़े नेताओं के बयानों पर गौर कीजिए

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक के मामले में ‘जवाबदेही तय की जाएगी.’ ऐसी ‘लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती है.’

उन्होंने बताया है कि इस मामले में गृह मंत्रालय ने विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

इसके पहले, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक हुई है. गृह मंत्रालय ने बताया कि सुरक्षा चूक के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब के फ़िरोज़पुर की रैली में नहीं जा सके.

गृह मंत्री अमित शाह ने शाम को ट्वीट करके बताया, “पंजाब में आज सुरक्षा सेंध को लेकर गृह मंत्रालय ने विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

पंजाब के फिरोजपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर कांग्रेस में दो फाड़ नजर आ रहा है। एक तरफ पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला सहित कुछ नेताओं ने इस मु्द्दे पर पीएम मोदी को ही घेरने की कोशिश करते हुए इसे भाजपा का ड्रामा बताया। वहीं, कांग्रेस के एक धड़े ने पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक को गंभीर मामला करार देते हुए कार्रवाई और जांच की मांग की है।

पंजाब कांग्रेस में भी मतभेद

वहीं, पीएम की सुरक्षा में चूक मामले में पंजाब कांग्रेस में भी मतभेद साफ दिखा। फिरोजपुर शहर से कांग्रेस विधायक परमिंदर सिंह पिंकी ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री के साथ ऐसी घटना शर्मनाक है। कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी पंजाब के डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय की है, देश के प्रधानमंत्री के साथ ऐसी घटना हुई है। डीजीपी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

मनीष तिवारी बोले, हाईकोर्ट के जज करें जांच

पंजाब से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने साफ तौर पर इसे चूक करार दिया। तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा एक सक्रिय संसद द्वारा शासित होती है। प्रधानमंत्री और उनके परिवार को कैसे सुरक्षित किया जाना है, सुरक्षा में कोई चूक हुई है तो उसकी जांच हाईकोर्ट के मौजूदा जज से कराई जाए।

पिंकी ने कहा कि बठिंडा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत की जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री मनप्रीत सिंह बादल की थी और फिरोजपुर में प्रधानमंत्री के स्वागत की जिम्मेदारी उनकी और स्वास्थ्य मंत्री ओपी सोनी की थी। पिंकी ने कहा कि पुलिस मुलाजिम बारिश में अपनी ड्यूटी ठीक से कर रहे थे। जब पता था कि जिस रूट से प्रधानमंत्री आ रहे हैं, वहां पर प्रदर्शनकारी बैठे हैं तो डीजीपी की जिम्मेदारी बनती है कि उनका रूट बदला जाए। नियम के मुताबिक डीजीपी को खुद फिरोजपुर में होना चाहिए था, पर ऐसा हुआ नहीं। प्रधानमंत्री के साथ जो घटना हुई है इसकी जिम्मेदारी डीजीपी की है न की पंजाब सरकार की।

जाखड़ ने कहा था-ये स्वीकार्य नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा चूक पर पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी नाखुशी जताई थी। उन्होंने कहा था कि जो हुआ वह स्वीकार्य नहीं है। पंजाब के खिलाफ है। फिरोजपुर में भाजपा की राजनीतिक रैली को संबोधित करने के लिए प्रधानमंत्री के लिए एक सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित किया जाना चाहिए था। 

पंजाब में बड़ा ऐक्शनन होगा?

राष्ट्रंपति कोविंद से पीएम मोदी की मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हो गई है कि क्या  केंद्र सरकार कोई बड़ा ऐक्शटन लेने वाली है। पूर्व मुख्यीमंत्री कैप्ट न अमरिंदर सिंह ने पंजाब में राष्ट्र पति शासन लगाने की मांग की है। पंजाब के विपक्षी दलों ने भी एक सुर में पीएम में सुरक्षा में चूक की निंदा की है। हालांकि सीएम चन्नीं ने इन आरोपों का जिम्माि लेने से साफ इनकार कर दिया। पीएम मोदी को कोई खतरा नहीं था।

गृह मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट

गृह मंत्रालय ने इस गंभीर सुरक्षा चूक का संज्ञान लेते हुए पंजाब सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम और यात्रा की योजना के बारे में पंजाब सरकार को पहले ही जानकारी दे दी गयी थी। पंजाब सरकार को सड़क मार्ग से किसी भी यात्रा को सुरक्षित रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात करने चाहिए थे।

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एयर इंडिया की संपत्ति जब्त, भारत सरकार के लिए तगड़ा झटका

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Air India assets seized भारत सरकार को कनाडा की एक कोर्ट में तगड़ा झटका मिला हैं। देवास मल्टीमीडिया के साथ चल रहे कई साल पुराने एक मुकदमे में कोर्ट के आदेश के बाद एयर इंडिया और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की संपत्तियां जब्त कर ली गई हैं। ये संपत्तियां कना़ड़ा के क्यूबेक प्रांत में इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पास रखी हुई थी।

कनाडा में की गई इस कार्यवाही को भारत सरकार के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा हैं। इस एक्शन से भारत को इंवेस्टमेंट के बेहतरीन डेस्टिनेशन के रूप में पेश करने के सरकार के प्रयासों को झटका लग सकता हैं। विदेशी निवेशकों के बीच इस फैसले का यह संदेश जा सकता है कि भारत इंवेस्टमेंट के लिए सुरक्षित नहीं हैं।

मामला इसरो की Antrix corp और देवास के बीच हुए एक सैटेलाइट सौदे से जुड़ा हुआ हैं, इस मामले में इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स की कोर्ट ने देवास के पक्ष में फैसला सुनाया था और भारत सरकार को 1.3 बिलियन डॉलर देने को कहा था। देवास के विदेशी शेयरहोल्डर्स इस फैसले को आधार बनाकर रिकवरी के लिए कनाडा और अमेरिका समेत कई देशों में भारत सरकार के खिलाफ अदालत की शरण में गए थे।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, क्यूबेक की कोर्ट ने इस मामले में 24 नवंबर और 21 दिसंबर को दो फैसले सुनाए थे। इनमें AAI और एयर इंडिया की संपत्तियां जब्त करने का आदेश दिया गया था, ताकि देवास मल्टीमीडिया के पक्ष में रिकवरी की जा सके। जिसके बाद AAI की लगभग 6.8 मिलियन डॉलर (करीब 50 करोड़ रुपये) की संपत्तियां क्यूबेक में जब्त कर ली गईं हैं। हालांकि, एयर इंडिया की कितनी संपत्तियां जब्त हुई हैं, इसका सटीक आंकड़ा अभी पता नहीं चला है। किन्तु बताया जा रहा है कि एयर इंडिया की 30 मिलियन डॉलर से अधिक की संपत्तियां जब्त की गई हैं, जो क्यूबेक प्रांत में इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पास रखी हुई

यह है मामला

पूरा मामला इसरो की एंट्रिक्स कॉरपोरेशन और देवास के बीच हुए एक सैटेलाइट सौदे से जुड़ा है, जिसे 2011 में निरस्त कर दिया गया था। इस मामले में इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स की कोर्ट ने देवास के पक्ष में फैसला सुनाया था। भारत सरकार को 1.3 अरब डॉलर देने का आदेश दिया था। देवास के विदेशी शेयरधारक इस फैसले को आधार बनाकर रिकवरी के लिए कनाडा और अमेरिका समेत कई देशों में भारत सरकार के खिलाफ अदालत गए थे। इसके बाद ये फैसला उनके पक्ष में आया है।

आदेश के विरुद्ध कानूनी रास्ता अपनाएगा एएआई

एएआई कनाडा की अदालत के आदेश को चुनौती देगा। एएआई के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, इस मामले में एएआई को कनाडा की क्यूबेक प्रांत की अदालत से कोई आदेश नहीं मिला है। हालांकि, एएआई के अनुरोध पर आईएटीए ने एएआई की ओर से ली गई राशि के स्थानांतरण को निलंबित करने के वास्ते कुछ दस्तावेज साझा किए हैं। प्रवक्ता ने कहा, इस आदेश को चुनौती देने के लिए एएआई कानूनी रास्ता अपना रहा है।

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