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एक भारत उत्कृष्ट भारत

भारत में सड़क हादसों का कहर: हर घंटे होती है 19 लोगों की मौत

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डिजिटल भारत I भारत में सड़क हादसों से मौत की रिपोर्ट: एक गंभीर समस्या
भारत में सड़क हादसे एक प्रमुख समस्या बने हुए हैं। हाल ही में जारी सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1,68,491 लोगों की जान गई और 4,43,366 लोग घायल हो गए। यह आंकड़े हर घंटे 53 सड़क हादसे और हर घंटे 19 लोगों की मौत की ओर इशारा करते हैं।

प्रमुख कारण
तेज रफ्तार: तेज गति से गाड़ी चलाना एक प्रमुख कारण है, जिससे हादसों की संभावना बढ़ जाती है।
लापरवाही से गाड़ी चलाना: ड्राइवरों की लापरवाही, जैसे कि मोबाइल फोन का उपयोग या यातायात नियमों का उल्लंघन, हादसों की संख्या बढ़ाते हैं।
नशे में गाड़ी चलाना: शराब या ड्रग्स के प्रभाव में ड्राइविंग करना भी एक बड़ा कारण है।
सुरक्षा उपायों की कमी: सीट बेल्ट और हेलमेट का सही ढंग से उपयोग न करना हादसों में बढ़ोतरी करता है।
प्रभावित क्षेत्र
तमिलनाडु में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में सबसे अधिक मौतें हुईं। यह दिखाता है कि हादसे पूरे देश में फैलाव के साथ एक बड़ी समस्या बने हुए हैं।

सरकारी प्रयास
भारत सरकार ने सड़क हादसों को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं में 50% की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए ड्राइवर शिक्षा, सड़कों की स्थिति में सुधार और यातायात नियमों के सख्त पालन पर जोर दिया जा रहा है। सरकार ने सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एनिमेशन फिल्म्स और कार्टून फिल्मों का सहारा लिया है, ताकि बच्चे और युवा सेफ ड्राइविंग के महत्व को समझ सकें।

सामाजिक जागरूकता
सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एनिमेशन फिल्म्स और कार्टून फिल्मों का सहारा लिया जा रहा है ताकि बच्चे और युवा सेफ ड्राइविंग के महत्व को समझ सकें।

निष्कर्ष
सड़क हादसे भारत में एक गंभीर समस्या हैं, जिन्हें रोकने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ लोगों की जागरूकता और जिम्मेदारी भी आवश्यक है। यातायात नियमों का पालन, सुरक्षा उपायों का सही ढंग से उपयोग, और ड्राइवर प्रशिक्षण में सुधार से ही सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकती है। सरकारी आंकड़ों और प्रयासों के बावजूद, यह आवश्यक है कि समाज भी अपनी भूमिका को समझे और सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता दे।

महत्वपूर्ण आंकड़े
हर घंटे 53 हादसे: भारत में हर घंटे 53 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं।
हर घंटे 19 मौतें: हर घंटे 19 लोग सड़क हादसों में जान गंवाते हैं।
सालाना 1.68 लाख मौतें: 2022 में 1,68,491 लोगों की मौत हुई।
तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश: तमिलनाडु में सबसे अधिक हादसे और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक मौतें दर्ज की गईं।
सुधार के उपाय
सख्त नियमों का पालन: यातायात नियमों का कड़ाई से पालन करना आवश्यक है।
सुरक्षा उपकरणों का उपयोग: सीट बेल्ट और हेलमेट का सही उपयोग सुनिश्चित करना।
शिक्षा और प्रशिक्षण: ड्राइवरों की शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना।
सड़क संरचना में सुधार: सड़कों की स्थिति में सुधार और बेहतर सड़क डिजाइन।
जागरूकता अभियान: सड़क सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाना।
सड़क हादसों की संख्या को कम करने के लिए यह आवश्यक है कि सरकार, समाज और व्यक्ति सभी मिलकर प्रयास करें। सड़क सुरक्षा सभी की जिम्मेदारी है और इसे प्राथमिकता देना अनिवार्य है।

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आधुनिकता की ओर बढ़ते भारतीय हवाईअड्डे कौनसा हवाईअड्डा सबसे अच्छा और व्यस्त है?

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डिजिटल भारत I भारत में नागरिक विमानन का इतिहास पुराना है और इसमें निरंतर प्रगति हो रही है। आज, भारत के पास आधुनिक हवाईअड्डों का एक विस्तृत नेटवर्क है, जो देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़ता है। इस रिपोर्ट में, हम भारत के हवाईअड्डों की वर्तमान स्थिति, नए हवाईअड्डों के निर्माण, समस्याग्रस्त हवाईअड्डों की स्थिति, सबसे अच्छे और सबसे व्यस्त हवाईअड्डों की चर्चा करेंगे।

भारत में कुल हवाईअड्डे
वर्तमान में, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) के अंतर्गत लगभग 140 ऑपरेशनल हवाईअड्डे हैं। इन हवाईअड्डों में से कुछ प्रमुख हैं:

इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा, नई दिल्ली
छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा, मुंबई
केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा, बेंगलुरु
नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा, कोलकाता
चेन्नई अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा, चेन्नई
इसके अलावा, भारत में कई छोटे और क्षेत्रीय हवाईअड्डे भी हैं, जो देश के दूर-दराज के क्षेत्रों को सेवा प्रदान करते हैं।

नए हवाईअड्डों का निर्माण
भारत में हवाई यात्रा की मांग बढ़ने के कारण नए हवाईअड्डों का निर्माण तेजी से हो रहा है। यहां कुछ प्रमुख नए हवाईअड्डों का उल्लेख किया गया है जो निकट भविष्य में संचालित होंगे:

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जेवर, उत्तर प्रदेश: यह हवाईअड्डा दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की बढ़ती हवाई यात्रा मांग को पूरा करने के लिए बनाया जा रहा है। इस हवाईअड्डे के निर्माण से क्षेत्र में रोजगार और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट, महाराष्ट्र: मुंबई का यह दूसरा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा होगा, जो मौजूदा हवाईअड्डे पर दबाव को कम करेगा और यात्री सुविधाओं को बढ़ाएगा।

मोपा एयरपोर्ट, गोवा: यह हवाईअड्डा गोवा की पर्यटन उद्योग को समर्थन देने के लिए बनाया जा रहा है। इससे गोवा में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।

पुरंदर एयरपोर्ट, पुणे, महाराष्ट्र: यह हवाईअड्डा पुणे की बढ़ती हवाई यात्रा मांग को पूरा करने के लिए बनाया जा रहा है। इससे पुणे और इसके आसपास के क्षेत्रों में औद्योगिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

भोगापुरम एयरपोर्ट, आंध्र प्रदेश: यह हवाईअड्डा विशाखापत्तनम क्षेत्र की हवाई यात्रा मांग को पूरा करने के लिए बनाया जा रहा है। इससे क्षेत्र में रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

समस्याग्रस्त हवाईअड्डों की स्थिति
भारत के कुछ हवाईअड्डों की स्थिति काफी चिंताजनक है। इन हवाईअड्डों में सुविधाओं की कमी, खराब रखरखाव और अधोसंरचना की समस्याएं हैं। इनमें से कुछ हवाईअड्डे हैं:

जोरहाट एयरपोर्ट, असम: इस हवाईअड्डे की सुविधाएं काफी सीमित हैं। यात्री टर्मिनल की स्थिति खराब है और सुविधाएं पुरानी हो चुकी हैं।

डिब्रूगढ़ एयरपोर्ट, असम: यहां के यात्री टर्मिनल में आधुनिक सुविधाओं की कमी है। इसके अलावा, रनवे की स्थिति भी सुधार की मांग करती है।

बागडोगरा एयरपोर्ट, पश्चिम बंगाल: इस हवाईअड्डे की यात्री सुविधाएं अपर्याप्त हैं। यहां की अधोसंरचना में भी सुधार की आवश्यकता है।
सबसे अच्छा हवाईअड्डा
भारत का सबसे अच्छा हवाईअड्डा इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा, नई दिल्ली को माना जाता है। यह हवाईअड्डा कई बार विश्व के सर्वश्रेष्ठ हवाईअड्डों में शामिल हुआ है। इसके प्रमुख कारण हैं: आधुनिक अधोसंरचना: इस हवाईअड्डे का टर्मिनल 3 (T3) अत्याधुनिक है और इसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार डिजाइन किया गया है। यहां पर अत्याधुनिक यात्री सुविधाएं उपलब्ध हैं। बेहतरीन यात्री सेवाएं: इस हवाईअड्डे पर यात्री सेवाओं का स्तर बहुत उच्च है। यहां पर यात्रियों के लिए कई प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जैसे कि फ्री वाई-फाई, आरामदायक लाउंज, उच्च स्तरीय सुरक्षा और कुशल आव्रजन सेवाएं।
वाणिज्यिक सुविधाएं: यहां पर कई प्रकार के दुकानें, रेस्तरां और कैफे उपलब्ध हैं। यात्रियों को खरीदारी और खान-पान की सुविधाएं उच्च स्तर की मिलती हैं।
पर्यावरणीय स्थिरता: इस हवाईअड्डे को पर्यावरणीय स्थिरता के लिए भी सराहा गया है। यहां पर ऊर्जा की बचत और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कई उपाय किए गए हैं।
सबसे व्यस्त हवाईअड्डा
भारत का सबसे व्यस्त हवाईअड्डा भी इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा, नई दिल्ली है। यह हवाईअड्डा यात्री यातायात और विमान गतिविधियों के मामले में सबसे आगे है। कुछ मुख्य बिंदु:
यात्री यातायात: इस हवाईअड्डे पर प्रतिवर्ष करोड़ों यात्री यात्रा करते हैं। यह भारत का सबसे व्यस्त हवाईअड्डा है और एशिया के व्यस्ततम हवाईअड्डों में से एक है। विमान गतिविधियां: यहां पर प्रतिदिन सैकड़ों विमानों का आवागमन होता है। यह हवाईअड्डा घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह की उड़ानों के लिए महत्वपूर्ण केंद्र है। विस्तारित अधोसंरचना: इस हवाईअड्डे की अधोसंरचना को लगातार बढ़ाया और सुधार किया जा रहा है ताकि यात्री और विमान गतिविधियों को संभाला जा सके।
निष्कर्ष
भारत में हवाईअड्डों का विकास तेजी से हो रहा है। जहां एक तरफ नए हवाईअड्डों का निर्माण हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ मौजूदा हवाईअड्डों की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा, नई दिल्ली को सबसे अच्छा और सबसे व्यस्त हवाईअड्डा माना जाता है, जबकि कुछ छोटे हवाईअड्डों की हालत चिंताजनक है। हवाई यात्रा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत को अपने हवाईअड्डों की अधोसंरचना और सेवाओं में निरंतर सुधार करना होगा।

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इंदौर फिजिकल एकेडमी के गणपति हॉस्टल में फूड पॉइजनिंग से 37 छात्र बीमार

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डिजिटल भारत I चितावद स्थित इंदौर फिजिकल एकेडमी के गणपति हॉस्टल में रहने वाले बच्चों की तबीयत मंगलवार रात अचानक बिगड़ने लगी और उन्हें इलाज के लिए एमवाय अस्पताल में भर्ती कराया गया। पहले यहां पांच बच्चों को इलाज के लिए लाया जाता था, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 37 हो गई है. जिनमें 23 लड़के और 14 लड़कियां शामिल हैं।

रात को दाल, रोटी और सब्जी खाई
ये सभी बच्चे एक ही एकेडमी में पढ़ते हैं और एक ही हॉस्टल में रहते हैं. इन बच्चों ने रात में दाल, रोटी और सब्जी खाई. शुरुआती जांच में पता चला है कि दूषित भोजन के कारण इन बच्चों की तबीयत बिगड़ी है. हालांकि सभी की हालत अभी भी खतरे से बाहर है.

उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि दूषित पानी के कारण उनकी तबीयत बिगड़ी है, जिसके कारण उन्हें संक्रमण हुआ है. जब वह अस्पताल पहुंचे तो वह उल्टी और दस्त से पीड़ित थे।
इस क्षेत्र में पेट का इन्फेक्शन सामान्य बताया जा रहा है कि पालदा से चितावद के बीच जो नाला बहता है, इसके कारण हमेशा यहां पर दूषित पानी की समस्या बनी रहती है। बारिश के दिनों में यह समस्या काफी बढ़ जाती है। इसके कारण इस क्षेत्र में पेट के इंफेक्शन की समस्या लोगों में बनी रहती है। कई बार रहवासी भूगर्भ जल की जांच करवाने की मांग भी कर चुके हैं।

रहवासियों ने बताया कि तबीयत बिगड़ने के बाद जब भी डॉक्टर के पास जाते हैं तो पानी के कारण इंफेक्शन बताया जाता है। देशभर के आर्मी में जाने वाले बच्चे एमवाय अस्पताल में जो बच्चे अभी भर्ती है। वह इंदौर के साथ ही राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आसाम, छत्तीसगढ़, बिहार आदि प्रदेशों के रहने वाले हैं।

यहां आकर आर्मी, पुलिस की फिजिकल परीक्षा की तैयारी करते हैं। यहां इन बच्चों के खानपान पर ध्यान नहीं दिया जाता है। पहले भी इस बच्चों की तबीयत बिगड़ने के मामले सामने आ चुके हैं। बताया जा रहा है कि अभी कुछ दिनों से कर्मचारी के नहीं आने से खाना भी स्वयं बच्चे ही बना रहे थे।

बड़वानी में उल्टी-दस्त का प्रकोप, तीन की मौत, आठ बीमार
हरदा के निकट वनांचल स्थित ग्राम पंचायत बड़वानी के मुख्यालय रहटगांव में दूषित पानी पीने से बड़ी संख्या में ग्रामीण उल्टी-दस्त से पीड़ित हैं। तीन लोगों की मौत हो गई है. आठ लोगों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है. उनका इलाज किया जा रहा है. अधिकारियों का यह भी कहना है कि दूषित पानी पीने से ग्रामीण बीमार हुए हैं.

बुधवार सुबह जिला पंचायत सीईओ टिमुरनी और टिमुरनी बीएमओ ने गांव का दौरा किया और पेयजल स्रोतों के आसपास साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने और शुद्ध पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। ग्राम पंचायत बड़वानी के सरपंच सुनील साठे ने बताया कि गांव में 8 से 15 दिन में तीन मौतें हो चुकी हैं. जिनमें दो महिलाएं और एक वृद्ध शामिल हैं।

बड़वानी में दूषित पानी से उल्टी-दस्त का प्रकोप:
हरदा के निकट वनांचल स्थित ग्राम पंचायत बड़वानी के मुख्यालय रहटगांव में दूषित पानी पीने से बड़ी संख्या में ग्रामीण उल्टी-दस्त से पीड़ित हैं। तीन लोगों की मौत हो चुकी है और आठ लोगों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। अधिकारियों ने गांव का दौरा कर पेयजल स्रोतों के आसपास साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने और शुद्ध पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।

समस्याओं का समाधान और सावधानी:
इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि दूषित पानी और भोजन के कारण बीमारी का खतरा बहुत अधिक है। प्रशासन को पेयजल और भोजन की गुणवत्ता पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए और नियमित जांच करवानी चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। लोगों को भी स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए और साफ-सुथरे भोजन और पानी का ही उपयोग करना चाहिए।

बड़वानी में दूषित पानी से उल्टी-दस्त का प्रकोप, तीन की मौत
हरदा के निकट वनांचल स्थित ग्राम पंचायत बड़वानी के मुख्यालय रहटगांव में दूषित पानी पीने से बड़ी संख्या में ग्रामीण उल्टी-दस्त से पीड़ित हैं। तीन लोगों की मौत हो चुकी है और आठ लोगों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। अधिकारियों ने गांव का दौरा कर पेयजल स्रोतों के आसपास साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने और शुद्ध पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।

स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए सुझाव

1. नियमित जांच:
पेयजल और भोजन की गुणवत्ता की नियमित जांच सुनिश्चित करें।
2. स्वच्छता:
पानी के स्रोतों के आसपास और भोजन बनाने की जगहों पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
3. उबाल कर पानी पिएं:
दूषित पानी से बचने के लिए पानी को उबालकर पिएं।
4. स्वास्थ्य शिक्षा:
रहवासियों को स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करें।
5. सरकारी निगरानी:
प्रशासन को पानी की गुणवत्ता और साफ-सफाई पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए।
6. पोषण का ध्यान:
बच्चों के खानपान पर विशेष ध्यान दें और उन्हें पोषक तत्वों से भरपूर आहार दें।
7. तात्कालिक चिकित्सा:
बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें और उचित उपचार करवाएं।
इन सुझावों पर अमल करने से दूषित पानी और भोजन से होने वाली बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।

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दिल्ली में हुआ ऑरेंज अलर्ट मानसून के चपेट में आने वाले ये कुछ स्टेट्

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डिजिटल भारत I भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अगले 4-5 दिनों के दौरान दिल्ली और पूर्वोत्तर राज्यों सहित उत्तर-पश्चिम भारत में भारी से बहुत भारी वर्षा की भविष्यवाणी की है. आईएमडी ने यह भी कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून शनिवार को पूर्वी उत्तर प्रदेश के शेष हिस्सों और पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुछ और हिस्सों में आगे बढ़ गया है.
मानसून की उत्तरी सीमा अब राजस्थान में जैसलमेर, चुरू, भिवानी, दिल्ली, अलीगढ, हरदोई, मोरादाबाद, ऊना (पश्चिमी यूपी), पंजाब में पठानकोट और जम्मू से होकर गुजरती है. मौसम विभाग ने कहा कि अगले 2-3 दिनों के दौरान पश्चिम राजस्थान, हरियाणा-चंडीगढ़ और पंजाब के कुछ और हिस्सों और पश्चिम उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और जम्मू के शेष हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं
दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में बारिश का दौर जाती है। शनिवार को भी कई इलाकों में मूसलाधार बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग ने आज भी दिल्ली समेत कई जगहों पर बारिश का अलर्ट जारी किया है। IMD ने अगले चार से पांच दिन में भारी से बहुत भारी बारिश होने का पूर्वानुमान जताया है। दिल्ली के अलावा, हिमाचल, राजस्थान, हरियाणा, यूपी, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में बारिश की संभावना है। मॉनसून लगभग पूरे देश को कवर कर चुका है।
दो दिन में जम्मू तक पहुंचेगा मॉनसून
आईएमडी ने कहा कि 29 जून से तीन जुलाई तक हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा होने का अनुमान है। आईएमडी ने इस अवधि के दौरान उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान और पश्चिमी मध्य प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में बहुत भारी वर्षा का भी अनुमान जताया है। आईएमडी ने यह भी कहा कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पूर्वी उत्तर प्रदेश के शेष हिस्सों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में आगे बढ़ गया है।
इन राज्यों में 30 जून तक होगी बारिश
मौसम विभाग के मुताबिक, 30 जून तक कोंकण-गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, लक्षद्वीप, गुजरात, मध्य प्रदेश, विदर्भ और छत्तीसगढ़ में अलग-अलग स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, तेलंगाना, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल में अगले पांच दिनों में छिटपुट बारिश होगी। मौसम विभाग ने अगले 5 दिनों के लिए गुजरात के कई हिस्सों में बारिश होगी।
मानसून के आगे बढ़ने के लिए हालात अनुकूल
आईएमडी के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम मानसून के उत्तरी अरब सागर के शेष भागों, गुजरात राज्य, मध्य प्रदेश और राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड-बिहार के कुछ और भागों में आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल दिखाई दे रही हैं। पूर्वी व पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर-लद्दाख-गिलगित-बाल्टिस्तान-मुजफ्फराबाद के साथ-साथ उत्तरी पंजाब और हरियाणा में भी अगले 3-4 दिनों में मानसून के आगे बढ़ने की उम्मीद है।

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बाल मजदूरी के काले सच: कौन-कौन सी कंपनियाँ हैं शामिल?

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डिजिटल भारत I बाल मजदूरी एक गंभीर सामाजिक मुद्दा है जो दुनिया भर में लाखों बच्चों के जीवन को प्रभावित करता है। गरीबी, अशिक्षा और सामाजिक असमानता इसके प्रमुख कारण हैं। हालांकि कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों और कानूनों के बावजूद, बाल मजदूरी आज भी विभिन्न उद्योगों में प्रचलित है। इस लेख में, हम उन कंपनियों की चर्चा करेंगे जो बाल मजदूरी का उपयोग कर रही हैं और यह भी जानेंगे कि यह समस्या कितनी व्यापक है।

बाल मजदूरी का दायरा
बाल मजदूरी का दायरा काफी व्यापक है और यह विभिन्न उद्योगों में फैला हुआ है, जैसे कृषि, माइनिंग, टेक्सटाइल, फूड प्रोडक्शन, और इलेक्ट्रॉनिक्स।
कृषि
कृषि उद्योग में बाल मजदूरी सबसे अधिक प्रचलित है। इसमें कॉफी, कोको, चाय, और तंबाकू जैसी फसलों की खेती शामिल है।
माइनिंग
माइनिंग उद्योग में भी बाल मजदूरी का उपयोग होता है, विशेष रूप से खनिज जैसे सोना, कोबाल्ट, और अन्य दुर्लभ धातुओं के खनन में।
टेक्सटाइल
टेक्सटाइल और गारमेंट उद्योग में बाल मजदूरी का उपयोग व्यापक है। सस्ते श्रम के लिए बच्चों का शोषण किया जाता है।
फूड प्रोडक्शन
फूड प्रोडक्शन और प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज में भी बाल मजदूरी का उपयोग किया जाता है। इसमें समुद्री खाद्य, कैकोआ, और तंबाकू उत्पाद शामिल हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स
इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में, विशेषकर एशियाई देशों में, बाल मजदूरी का उपयोग होता है।

बाल मजदूरी में शामिल प्रमुख कंपनियां
1. नेस्ले (Nestlé)
नेस्ले पर आरोप है कि उनकी सप्लाई चेन में बाल मजदूरी का उपयोग होता है, विशेष रूप से कोकोआ उद्योग में। कोकोआ की खेती के लिए कई छोटे बच्चे खतरनाक परिस्थितियों में काम करते हैं।

2. हर्षे (Hershey)
हर्षे, एक प्रसिद्ध चॉकलेट निर्माता, भी कोकोआ सप्लाई चेन में बाल मजदूरी के आरोपों का सामना कर चुका है। अफ्रीका में कोकोआ खेती में बच्चों का शोषण एक गंभीर समस्या है।

3. हिंदुस्तान यूनिलीवर (Hindustan Unilever)
हिंदुस्तान यूनिलीवर पर भी बाल मजदूरी के आरोप लगे हैं, विशेष रूप से तंबाकू और चाय के उत्पादन में। भारत में चाय के बागानों में बच्चों का काम करना आम है।

4. कोका-कोला (Coca-Cola)
कोका-कोला पर भी बाल मजदूरी के आरोप लगे हैं, विशेष रूप से उनके गन्ना सप्लाई चेन में। गन्ना खेतों में बच्चों का काम करना आम है।

5. गैप (Gap Inc.)
गैप, एक प्रमुख कपड़ा ब्रांड, पर भी बाल मजदूरी का आरोप है। विशेष रूप से भारत, बांग्लादेश और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में उनके उत्पादन कारखानों में बच्चों का शोषण किया जाता है।

6. ह्यूलेट-पैकर्ड (HP)
ह्यूलेट-पैकर्ड पर भी बाल मजदूरी के आरोप लगे हैं, विशेष रूप से उनके एशियाई सप्लाई चेन में। इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्माण में बच्चों का उपयोग होता है।

7. ऐप्पल (Apple)
ऐप्पल भी बाल मजदूरी के आरोपों से मुक्त नहीं है। उनके सप्लाई चेन में, विशेष रूप से खनिजों के खनन में, बच्चों का शोषण होता है।

8. माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft)
माइक्रोसॉफ्ट पर भी बाल मजदूरी के आरोप लगे हैं। कोबाल्ट के खनन में बच्चों का उपयोग किया जाता है, जो बैटरी निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।

9. फिलिप मॉरिस (Philip Morris International)
फिलिप मॉरिस पर तंबाकू खेती में बाल मजदूरी के आरोप लगे हैं। कई बच्चे तंबाकू के खेतों में खतरनाक परिस्थितियों में काम करते हैं।

10. इंडिटेक्स (Inditex, Zara)
इंडिटेक्स, जो ज़ारा का मालिक है, पर भी बाल मजदूरी के आरोप लगे हैं। उनके उत्पादन कारखानों में बच्चों का शोषण किया जाता है।

बाल मजदूरी के प्रभाव
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य
बाल मजदूरी बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालती है। लंबे समय तक काम करने से शारीरिक विकलांगता, बीमारियां और मानसिक तनाव होता है।
शिक्षा से वंचित
बाल मजदूरी बच्चों को शिक्षा से वंचित कर देती है। शिक्षा के अभाव में उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है और वे गरीबी के दुष्चक्र में फंस जाते हैं।
सामाजिक असमानता
बाल मजदूरी सामाजिक असमानता को बढ़ावा देती है। गरीब और वंचित परिवारों के बच्चे इस दुष्चक्र में फंस जाते हैं, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार नहीं हो पाता।
मानवाधिकार हनन
बाल मजदूरी मानवाधिकारों का गंभीर हनन है। बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित करना और उनका शोषण करना एक गंभीर अपराध है।

बचाव के उपाय
सख्त कानून और नीति
सरकारों को सख्त कानून और नीति लागू करनी चाहिए ताकि बाल मजदूरी को रोका जा सके। कंपनियों को भी अपनी सप्लाई चेन में पारदर्शिता और जिम्मेदारी बढ़ानी चाहिए।
शिक्षा और जागरूकता
शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से बाल मजदूरी को रोकने के लिए समुदायों को जागरूक करना आवश्यक है।
वैकल्पिक आजीविका
परिवारों को वैकल्पिक आजीविका के साधन प्रदान करने से बच्चों को बाल मजदूरी से बचाया जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग
अंतरराष्ट्रीय संगठनों और देशों के बीच सहयोग से बाल मजदूरी को रोकने के लिए समन्वित प्रयास किए जाने चाहिए।

सामाजिक जिम्मेदारी
कंपनियों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी सप्लाई चेन में बाल मजदूरी का उपयोग नहीं हो रहा है।
निष्कर्ष
बाल मजदूरी एक गंभीर समस्या है जो बच्चों के भविष्य को अंधकारमय बनाती है। इसके खिलाफ लड़ाई में सरकारों, कंपनियों, और समाज को मिलकर काम करना होगा। सख्त कानून, शिक्षा, जागरूकता और सामाजिक जिम्मेदारी के माध्यम से हम इस समस्या को खत्म कर सकते हैं और बच्चों को एक उज्जवल भविष्य प्रदान कर सकते हैं।
इस प्रकार, बाल मजदूरी में शामिल कंपनियों और इस समस्या के व्यापक प्रभावों का विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर बच्चे को एक सुरक्षित और स्वस्थ बचपन मिले।

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जॉनसन बेबी प्रोडक्ट्स की हकीकत: बच्चों की सेहत के लिए कितना सुरक्षित? कई देशो में बैन

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डिजिटल भारत I जॉनसन बेबी, जो कि जॉनसन एंड जॉनसन की एक प्रसिद्ध सहायक कंपनी है, ने दुनिया भर में अपनी बेबी केयर उत्पादों के लिए एक मजबूत प्रतिष्ठा बनाई है। हालांकि, हाल के वर्षों में, इस कंपनी को कई देशों में अपने उत्पादों में खतरनाक तत्वों के उपयोग के आरोपों का सामना करना पड़ा है। इस लेख में, हम उन देशों की चर्चा करेंगे जहां जॉनसन बेबी के उत्पाद प्रतिबंधित हैं और उन खतरनाक तत्वों का विश्लेषण करेंगे जो बच्चों की सेहत के लिए हानिकारक साबित हुए हैं।

जॉनसन बेबी कंपनी: एक परिचय
जॉनसन एंड जॉनसन, जो 1886 में स्थापित हुई थी, ने अपने बेबी केयर उत्पादों के माध्यम से एक विशाल बाजार का निर्माण किया है। इनमें बेबी शैम्पू, बेबी पाउडर, बेबी ऑयल, बेबी लोशन, और बेबी साबुन जैसे उत्पाद शामिल हैं। जॉनसन बेबी उत्पादों का उपयोग नवजात शिशुओं और बच्चों की देखभाल के लिए व्यापक रूप से किया जाता है। हालांकि, कुछ उत्पादों में हानिकारक रसायनों की उपस्थिति ने कंपनी की छवि को धूमिल किया है।

प्रतिबंधित देश और कारण
1. भारत
भारत में, जॉनसन बेबी पाउडर पर प्रतिबंध लगाया गया था क्योंकि इसमें एस्बेस्टस जैसे खतरनाक तत्व पाए गए थे। एस्बेस्टस एक कार्सिनोजेनिक पदार्थ है, जिसका संपर्क कैंसर का कारण बन सकता है।

2. संयुक्त राज्य अमेरिका
अमेरिका में, जॉनसन बेबी पाउडर के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए गए, जिनमें आरोप लगाया गया कि टैल्कम पाउडर में एस्बेस्टस की मौजूदगी से ओवेरियन कैंसर हो सकता है। कई महिलाओं ने कंपनी के खिलाफ मुकदमे जीते और कंपनी को भारी जुर्माने का सामना करना पड़ा।

3. कनाडा
कनाडा में, सरकार ने जॉनसन बेबी पाउडर के उपयोग के खिलाफ चेतावनी जारी की थी और इसे बाजार से हटाने की सलाह दी थी। टैल्कम पाउडर में एस्बेस्टस की उपस्थिति को गंभीरता से लिया गया।

4. यूरोपियन यूनियन
यूरोपियन यूनियन के कुछ देशों में जॉनसन बेबी उत्पादों पर कड़ी निगरानी रखी गई है और कुछ उत्पादों को बाजार से हटाया गया है। यूरोपीय यूनियन की सख्त नियामक नीतियों के तहत, कई उत्पादों में पाए गए हानिकारक तत्वों को हटाने के लिए कहा गया है।

5. ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में भी जॉनसन बेबी पाउडर को लेकर चिंताएं जताई गई हैं और इसे बाजार से हटाने की मांग की गई है।

खतरनाक तत्व और उनके प्रभाव
टैल्कम पाउडर और एस्बेस्टस
टैल्कम पाउडर का उपयोग बेबी पाउडर में किया जाता है, लेकिन इसमें एस्बेस्टस के अंश मिल सकते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। एस्बेस्टस एक ज्ञात कार्सिनोजेन है, और इसके संपर्क में आने से मेसोथेलियोमा और ओवेरियन कैंसर हो सकता है।

पैराबेंस
पैराबेंस का उपयोग प्रिज़र्वेटिव के रूप में किया जाता है, लेकिन यह हार्मोनल असंतुलन और कैंसर से जुड़ा हुआ है। बच्चों के उत्पादों में इसका उपयोग गंभीर चिंताओं को जन्म देता है।

फ्रेगरेंस (सुगंध)
फ्रेगरेंस के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायनों में कई हानिकारक तत्व हो सकते हैं जो एलर्जी, त्वचा में जलन, और श्वसन समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

फॉर्मल्डिहाइड
फॉर्मल्डिहाइड एक ज्ञात कार्सिनोजेन है, और इसे जॉनसन बेबी शैम्पू में संरक्षक के रूप में पाया गया था। इसके संपर्क में आने से त्वचा में जलन और सांस की समस्याएं हो सकती हैं।

कंपनी की प्रतिक्रिया
जॉनसन एंड जॉनसन ने आरोपों का सामना करते हुए अपने उत्पादों की सुरक्षा का बचाव किया है। कंपनी का दावा है कि उनके उत्पादों में इस्तेमाल किए गए तत्वों का परीक्षण और समीक्षा की गई है और यह सभी नियामक मानकों को पूरा करते हैं। हालांकि, बढ़ते मुकदमों और प्रतिबंधों ने कंपनी को अपने उत्पादों के फॉर्मूले में बदलाव करने और खतरनाक तत्वों को हटाने के लिए मजबूर किया है।

वर्तमान स्थिति और उपाय
जॉनसन एंड जॉनसन ने अपने बेबी पाउडर में टैल्क की जगह कॉर्नस्टार्च का उपयोग करना शुरू कर दिया है, जिससे उत्पाद को अधिक सुरक्षित बनाया जा सके। इसके अलावा, कंपनी ने अपने उत्पादों में पैराबेंस, फॉर्मल्डिहाइड और अन्य हानिकारक रसायनों को हटाने का वादा किया है।

वैकल्पिक उत्पाद
बाजार में कई वैकल्पिक बेबी केयर उत्पाद उपलब्ध हैं जो प्राकृतिक और सुरक्षित तत्वों से बने होते हैं। माता-पिता को सलाह दी जाती है कि वे ऐसे उत्पादों का चयन करें जो बिना हानिकारक रसायनों के बने हों।

सरकारी निगरानी
सरकारों और नियामक निकायों को बेबी केयर उत्पादों की सख्त निगरानी करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बाजार में उपलब्ध उत्पाद सुरक्षित हों।

जागरूकता
माता-पिता और उपभोक्ताओं को जागरूक रहना चाहिए और उत्पादों के लेबल और तत्वों की जानकारी को ध्यान से पढ़ना चाहिए।

निष्कर्ष
जॉनसन बेबी कंपनी के उत्पादों में खतरनाक तत्वों की उपस्थिति ने कई देशों में चिंताएं पैदा की हैं और कुछ स्थानों पर प्रतिबंध भी लगाया गया है। हालांकि, कंपनी ने अपने उत्पादों को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए कदम उठाए हैं, फिर भी उपभोक्ताओं को सतर्क रहना चाहिए और सुरक्षित उत्पादों का चयन करना चाहिए।

इस प्रकार, जॉनसन बेबी कंपनी पर लगाए गए प्रतिबंध और उनके उत्पादों में पाए गए खतरनाक तत्वों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। माता-पिता और उपभोक्ताओं को इन जानकारीयों को ध्यान में रखते हुए ही अपने बच्चों के लिए उत्पादों का चयन करना चाहिए।

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एक साथ सात पटवारियों ने गवाई अपनी नौकरी, तहसीलदारों को कारण बताओ नोटिस जारी- जबलपुर

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डिजिटल भारत I जबलपुर कलेक्टर ने सात पटवारियों को किया निलंबित, तीन तहसीलदारों को कारण बताओ नोटिस जारी प्रदेश की प्रमुख सचिव द्वारा आज वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के माध्‍यम से जबलपुर जिले में नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन आदि के कार्य की समीक्षा की। जिसमें उन्‍होंने तहसील गोरखपुर, तहसील जबलपुर और तहसील आधारताल में नामांतरण प्रकरणों के निराकरण बहुत ही असंतोष जनक स्थिति पर नाराजगी व्‍यक्‍त की।

जिसके पश्चात अपर कलेक्‍टर नाथूराम गौड ने राजस्‍व प्रकरणों के निराकरण में लापरवाही बरतने पर तहसीलदार गोरखपुर भरत सोनी, तहसीलदार आधारताल दीपक पटेल और नायब तहसीलदार रत्‍नेश थोरे को कारण बताओ सूचना पत्र जारी कर तीन दिवस के भीतर स्‍पष्‍टीकरण सहित अपने समक्ष उपस्थित होकर जवाब प्रस्‍तुत करने के निर्देश दिये। साथ ही कहा कि समयावधि में नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर एक पक्षीय कार्यवाही की जायेगी।

इसके अलावा सायबर तहसील के अंतर्गत नामांतरण के प्रकरणों में समय सीमा के भीतर पटवारी प्रतिवेदन प्रस्‍तुत नहीं करने पर सात पटवारियों को कलेक्‍टर दीपक सक्‍सेना के निर्देश पर निलंबित कर दिया गया है।

निलंबित पटवारियों में कुंडम तहसील में पदस्‍थ पटवारी अमित पटेल एवं रोहित ठाकुर, शहपुरा तहसील में पदस्‍थ पटवारी जूड अनंत कुजूर एवं अनिल अठया, पाटन तहसील में पदस्‍थ पटवारी श्रीमती स्‍वाति पटेल, आधारताल तहसील में पदस्‍थ पटवारी मोतीलाल विश्‍वकर्मा एवं जबलपुर तहसील में पदस्‍थ पटवारी श्रीमती राजुल जैन शामिल है। इन पटवारियों के निलंबन आदेश अपर कलेक्‍टर नाथूराम गौड द्वारा जारी कर दिये गये हैं।

कलेक्‍टर कार्यालय की भू अभिलेख शाखा के अनुसार प्रमुख सचिव राजस्‍व द्वारा वीडियो कॉन्‍फेंसिंग के माध्‍यम से जिले में सायबर तहसील के कार्यों की गई समीक्षा में आरसीएमएस पोर्टल पर दर्ज नामांतरण के प्रकरणों में इन पटवारियों के पटवारी प्रतिवेदन दस दिनों से अधिक समय से लंबित पाये गये थे। निलंबित पटवारियों को निलंबन काल के दौरान संबंधित तहसील मुख्‍यालयों से संबद्ध किया गया है।

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गर्मी के कारण हरी सब्जी की आवक में कमी तेजी से बढ़ रहे है रेट

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डिजिटल भारत I तेज धूप और भीषण गर्मी का असर सिर्फ लोगों पर नहीं फसलों पर भी पड़ा है। सब्जी के पौधे सूखने लगे हैं। इससे पैदावार करीब 50 फीसदी कम होने से बाजारों में हरी सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं। महज 15 दिनों में हरी सब्जियों की कीमतें तीन गुना तक महंगी हो गई है। जिले में एक महीने से प्रचंड गर्मी का असर बना हुआ है। पारा लगातार 40 से 44 डिग्री सेल्सियस के ऊपर बना रहा। ऐसे मौसम में न सिर्फ जनजीवन प्रभावित हैं, बल्कि सब्जियों के पैदावार पर भी असर पड़ा है। स्थिति यह है कि मौसमी सब्जियां भी आसानी से नहीं मिल रही है। जो सब्जियां इन मौसम में 10 रुपए किलो मिल जाती थी। अब उनकी कीमत 30 रुपए किलो तक पहुंच गई है। सब्जियों के दाम में बेतहाशा वृद्धि से गृहणियों के रसोई का बजट बढ़ गया है। लोगों की थाली से हरी सब्जी गायब होने लगी है। आलू प्याज जैसी सब्जी के दाम तो पहले से ही रुला रहे थे। लेकिन अब हरी सब्जियां भी तरेर रही है। मौसमी सब्जियां भी बजट से बाहर से बाहर हो चली है। पिछले पखवाड़े जिन सब्जियों के दाम 10 रुपए किलो थे, अब उनका दाम 30 रुपए तक पहुंच ग‌ए है। सब्जी के दामों में रोजाना वृद्धि देखी जा रही है
हरी सब्जियों का उत्पादन हुआ कम
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जनवरी- फरवरी में हुई बारिश की वजह से उत्पादन कम हुआ तो दूसरी तरफ अप्रैल- मई में हीटवेब रही। इसकी वजह से गर्मी के मौसम में हरी सब्जियों का उत्पादन कम हुआ और आलू की खपत ज्यादा रही।

प्रदेश की स्थिति
प्रदेश में करीब 198 कोल्ड स्टोर हैं। उद्यान विभाग की ओर से सीजन में करीब 245 लाख मीट्रिक टन आलू उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 222 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ। इसमें 139 लाख मीट्रिक टन कोल्ड स्टोर में रखा गया, जिसमें करीब 20 फीसदी निकल चुका है। आलू के भाव में तेजी की वजह से कोल्ड स्टोर में रखने वाले व्यापारी अभी आलू निकाल नहीं रहे हैं। यूपी से करीब 102809.74 मीट्रिक टन आलू नेपाल भेजा गया, जिसकी कीमत करीब 94.44 करोड़ रुपये थी।

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क्या करती है वारी रिन्यूएबल्स टेक्नोलॉजी लिमिटेड, जाने कैसे दिया 830% का रिटर्न

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डिजिटल भारत I वारी रिन्यूएबल्स टेक्नोलॉजी लिमिटेड (WRTL) वारी एनर्जीज लिमिटेड के तहत काम करती है, जो सोलर EPC सेक्टर का नेतृत्व करती है। वारी ने 10,000 से ज़्यादा सोलर प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक स्थापित किए हैं, जिनकी कुल संचालन क्षमता 600+ मेगावाट है। हम एक सोलर डेवलपर भी हैं जो सोलर प्रोजेक्ट का वित्तपोषण, निर्माण, स्वामित्व और संचालन करते हैं। मुंबई में मुख्यालय के साथ, हम विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में काम करते हैं, और वाणिज्यिक और औद्योगिक ग्राहक खंडों में दीर्घकालिक निवेश पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इस सहायक कंपनी का गठन बढ़ते अक्षय ऊर्जा बाजार का लाभ उठाने के लिए किया गया था। वारी ग्रुप एक प्रमुख अक्षय ऊर्जा कंपनी है जो व्यक्तिगत, औद्योगिक और वाणिज्यिक ग्राहकों को ऊर्जा समाधान अपनाने के लिए प्रोत्साहित करके उनकी ज़रूरतों को पूरा करती है, जिससे कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलती है। हम अपने ग्राहकों को ऑन-साइट सोलर प्रोजेक्ट (रूफटॉप और ग्राउंड-माउंटेड) और ऑफ-साइट सोलर फ़ार्म (ओपन-एक्सेस सोलर प्लांट) दोनों स्थापित करके स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करते हैं।
अपने शेयरों को ‘एमटी’ समूह प्रतिभूतियों की सूची में एक्सचेंज में सूचीबद्ध कराया। कंपनी के इक्विटी शेयरधारकों को 57:100 के अनुपात में पूरी तरह से चुकता बोनस शेयर के रूप में 10/- प्रत्येक यानी हर 100 इक्विटी शेयर के लिए 57 इक्विटी शेयर पूरी तरह से भुगतान किए गए बोनस शेयर के रूप में। -संगम एडवाइजर्स ने 57:100 के अनुपात में बोनस की घोषणा की है 2017 -कंपनी को महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम (महाजेनको) द्वारा ‘लेटर ऑफ अवार्ड’ प्राप्त हुआ। 2018 -कंपनी का नाम संगम एडवाइजर्स लिमिटेड से बदलकर संगम रिन्यूएबल्स लिमिटेड हो गया है। 2021 -कंपनी का नाम संगम रिन्यूएबल्स लिमिटेड से बदलकर वारी रिन्यूएबल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड हो गया है। -कंपनी को इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण के लिए भारत-केंद्रित अक्षय ऊर्जा समूह से पुरस्कार पत्र (एलओए) प्राप्त हुआ -कंपनी को 18.40 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाली सौर ऊर्जा परियोजना के क्रियान्वयन, इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण के लिए कई ऑर्डर मिले हैं।
hare price आंदोलनों में गोता लगाने से पहले, Waaree Renewable Technologies के व्यवसाय और बुनियादी सिद्धांतों को समझना आवश्यक है। Company नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में काम करती है, विशेष रूप से solar modules में। 32 वर्षों के अनुभव के साथ, उन्हें Tier 1 solar modules निर्माता के रूप में मान्यता प्राप्त है।

Waaree ने कुल 1.5 gigawatts से अधिक की परियोजनाएं पूरी की हैं और साल-दर-साल 22% CAGR की वृद्धि देखी है। विश्व स्तर पर, उन्होंने 6 gigawatts modules की आपूर्ति की है। Company की उपलब्धियाँ प्रभावशाली हैं और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती हैं।
Power Stock: पावर जेनरेशन कंपनी वारी रिन्युएबल टेक्नोलॉजीज (Waaree Renewable Technologies) को इस हफ्ते एक बड़ा ऑर्डर मिला है. एक्सचेंज फाइलिंग के मुताबिक, वारी रिन्युएबल टेक्नोलॉजीज ने 412 MWp सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए 547.5 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है. वारी रिन्युएबल टेक्नोलॉजी एक मल्टीबैगर है. इसने एक साल में 765 फीसदी का तगड़ा रिटर्न दिया है.
Order Book वास्तविकताएँ
वर्तमान में Order Book के आकार पर ध्यान केंद्रित करने का trend है। हालाँकि, असली खेल इन आदेशों के execution में है। यदि कोई कंपनी निर्धारित समय के भीतर deliver करने में विफल रहती है, तो Order रद्द किया जा सकता है, जिससे कंपनी की वित्तीय स्थिति प्रभावित होगी। किसी company के प्रदर्शन का मूल्यांकन करते समय विचार करने के लिए यह एक आवश्यक पहलू है।

चल रही projects को देखते हुए, Waaree के पास विभिन्न शहरों में विशिष्ट मेगावाट क्षमता वाली विभिन्न projects हैं। यह विस्तृत जानकारी कंपनी के operational scale को समझने में मदद करती है।

राजस्व टूटना
राजस्व को तोड़ते हुए, 54% EPC contracts से, 45% O&M services से, और बाकी solar plants से बिजली उत्पादन से आता है। प्रमुख clients में L&T और BPCL जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं।

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नीला रंग सिर्फ एक रंग नहीं पीछे छिपी है कई गहरी बातेँ

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डिजिटल भारत I नीले रंग का मनोविज्ञान
10 देशों में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि नीला रंग वैश्विक स्तर पर लोगों के लिए सबसे लोकप्रिय “पसंदीदा रंग” है, जिसमें पुरुष महिलाओं की तुलना में नीला रंग अधिक पसंद करते हैं (संयुक्त राज्य अमेरिका के विषयों में क्रमशः 40% बनाम 24%)। 2 लेकिन इस रंग का हम पर मनोवैज्ञानिक रूप से क्या प्रभाव पड़ता है?
शांत, संयमित और संयमित
अपने शांत स्वभाव के लिए प्रसिद्ध, नीला रंग एक शांत उपस्थिति है। यह हस्तक्षेप या परेशान नहीं करता है। इसके बजाय, यह केवल खुद को प्रकट करता है। मानस के संदर्भ में, नीला रंग मन पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए जाना जाता है। नीला रंग धैर्य और समझ का प्रतिनिधित्व करता है, यही कारण है कि हम इसके आस-पास इतना सहज महसूस करते हैं। जब भारी भावनाएं हमें घेर लेती हैं, तो हमें नीले रंग के साथ तनाव कम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यह आमतौर पर समुद्र से भी जुड़ा होता है, जो इसके सुखदायक सार को और उजागर करता है।

रंग मनोविज्ञान हमें इस बारे में बहुत कुछ बताता है कि कुछ रंग किसी व्यक्ति के मूड, भावनाओं और व्यवहार पर क्या प्रभाव डाल सकते हैं। नीले रंग के मनोविज्ञान के बारे में हम जो जानते हैं, वह इस प्रकार है:

क्योंकि नीला रंग बहुत से लोगों को पसंद है, इसे अक्सर एक गैर-खतरनाक रंग के रूप में देखा जाता है जो रूढ़िवादी और पारंपरिक लग सकता है ।
नीला रंग मन में शांति और आराम की भावना लाता है । 3 इसे अक्सर शांतिपूर्ण, शांत, सुरक्षित और व्यवस्थित के रूप में वर्णित किया जाता है।
नीले रंग को स्थिरता और विश्वसनीयता का प्रतीक माना जाता है। जो व्यवसाय सुरक्षा की छवि पेश करना चाहते हैं, वे अक्सर अपने विज्ञापन और विपणन प्रयासों में नीले रंग का उपयोग करते हैं।
नीला रंग उदासी या अलगाव की भावना भी पैदा कर सकता है। विचार करें कि कैसे एक पेंटिंग जिसमें नीले रंग का अत्यधिक उपयोग किया गया हो, जैसे कि पिकासो द्वारा उनके “नीले काल” के दौरान बनाई गई पेंटिंग, एकाकी, उदास या निराश लग सकती है।
नीले रंग का उपयोग अक्सर कार्यालयों को सजाने के लिए किया जाता है क्योंकि शोध से पता चला है कि नीले कमरे में काम करने वाले लोग अधिक उत्पादक और रचनात्मक होते हैं ।

नीली भावनाएं
इस लेख के साथ दी गई छवि में नीले रंग के उपयोग को देखें। नीला रंग आपको कैसा महसूस कराता है? क्या आप नीले रंग को कुछ खास गुणों या स्थितियों से जोड़ते हैं? साथ ही, इस बात पर भी विचार करें कि भाषा में नीले रंग का उपयोग कैसे किया जाता है: नीला चाँद, नीला सोमवार, नीला खून, ब्लूज़ और नीला रिबन
तनाव दूर करता है
चिंता और बेचैनी धोखेबाज़ मालकिन हैं। जबकि वे हमें भय से भरने की कोशिश करते हैं, नीला रंग विपरीत प्रभाव पैदा करता है। नीले रंग में निराधार भय के लिए समय नहीं है। नीला रंग हमें वर्तमान में जीने और हमारे तनाव को अलविदा कहने के लिए प्रेरित करता है। शांति का माहौल बनाकर, यह बस यही करता है। किसी विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण दिन पर, आसमान की ओर देखने पर विचार करें। बादलों को देखते हुए आपको शांति का नखलिस्तान मिलेगा
नीला रंग का अर्थ
नीले रंग को हम जो अर्थ देते हैं वह कई कारकों के आधार पर अलग-अलग हो सकता है, जिनमें हमारी संस्कृति, आध्यात्मिकता, प्रतीकवाद आदि शामिल हैं।

सांस्कृतिक अर्थ
कुछ रंगों से उत्पन्न होने वाली भावनाएँ ज़रूरी नहीं कि सार्वभौमिक हों। सांस्कृतिक अंतर कभी-कभी इस बात में भूमिका निभाते हैं कि लोग रंगों को किस तरह समझते हैं। शोध के अनुसार, दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में नीले रंग का क्या अर्थ है: 7

भारत : नीला रंग सत्य, दया और प्रेम का प्रतिनिधित्व करता है
लैटिन अमेरिका : नीला रंग शोक से जुड़ा है, लेकिन साथ ही विश्वास और शांति से भी जुड़ा है
उत्तरी अमेरिका : नीला रंग सुखदायक है और एक भरोसेमंद व्यक्ति या आधिकारिक व्यवसाय का प्रतीक है
यूनाइटेड किंगडम : नीला रंग शांति, गरिमा और शिष्टाचार का प्रतीक है
पश्चिमी यूरोपीय देश : नीला रंग सत्य, शांति, विश्वसनीयता, जिम्मेदारी और निष्ठा का प्रतीक है

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