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एक भारत उत्कृष्ट भारत

धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में अर्चिता तिवारी बनीं बैच टॉपर, दो गोल्ड मेडल प्राप्त किए

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डिजिटल भारत I धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित प्रथम दीक्षांत समारोह में अर्चिता तिवारी को विशेष सम्मान प्राप्त हुआ। विधि में मास्टर्स के अंतर्गत संविधानिक विधि तथा दांडिक विधि विषयों में अर्चिता तिवारी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया और बैच टॉपर का खिताब भी अपने नाम किया। इस उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें दो गोल्ड मेडल प्रदान किए गए।
समारोह के दौरान विश्वविद्यालय के कुलपति ने श्रीमती तिवारी को उनकी मेहनत, समर्पण और विधिक अध्ययन में उत्कृष्टता के लिए बधाई दी। कुलपति ने कहा, “अर्चिता तिवारी ने न केवल अपने परिवार का नाम रोशन किया है, बल्कि विश्वविद्यालय का गौरव भी बढ़ाया है। उनकी यह उपलब्धि सभी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक है।”
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, कर्मचारी, और विद्यार्थियों के अलावा श्रीमती तिवारी के परिवारजन भी उपस्थित थे।
अर्चिता तिवारी ने इस अवसर पर अपने शिक्षकों, परिवार और दोस्तों का आभार व्यक्त किया और अपनी सफलता का श्रेय उनकी निरंतर प्रोत्साहन और समर्थन को दिया। उन्होंने कहा, “यह सम्मान मेरे लिए एक बड़ा प्रेरणा स्रोत है और मुझे आगे भी इसी प्रकार मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।”
इस प्रकार, धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का यह प्रथम दीक्षांत समारोह यादगार बन गया, जिसमें अर्चिता तिवारी की उपलब्धियों ने विशेष स्थान पाया।

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बच्चों की सेहत के लिए सर्वश्रेष्ठ डाइट: जानिए कैसे रखें खाने का ख्याल

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डिजिटल भारत I बच्चों की सेहत और विकास के लिए संतुलित आहार बेहद जरूरी है। सही पोषण उनके शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा देता है। यहां हम बच्चों के लिए सबसे बेहतर डाइट और उनके खाने का ख्याल कैसे रखा जाए, इस पर बात करेंगे।

1. संतुलित आहार:
बच्चों के आहार में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल होने चाहिए। उनके खाने में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और कार्बोहाइड्रेट्स का सही मिश्रण होना चाहिए। ताजे फल, सब्जियाँ, दूध, अंडे, मांस, और दालें उनके आहार का हिस्सा बनाएं।
2. नियमित भोजन:
बच्चों को समय पर और नियमित रूप से भोजन कराना चाहिए। नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना, तीनों समय का भोजन महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, बच्चों को बीच-बीच में हेल्दी स्नैक्स देना भी जरूरी है।
3. पानी और तरल पदार्थ:
पानी और अन्य तरल पदार्थ जैसे दूध, छाछ, और फलों का रस बच्चों के आहार में शामिल करें। पानी की पर्याप्त मात्रा से बच्चों का शरीर हाइड्रेटेड रहता है और उनकी त्वचा भी चमकदार रहती है।
4. घर का खाना:
बाहर का जंक फूड बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकता है। बच्चों को घर का ताजा और पौष्टिक खाना खिलाना चाहिए। इससे न केवल उनका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, बल्कि वे स्वस्थ खाने की आदतें भी सीखेंगे।
5. विविधता:
बच्चों के खाने में विविधता बनाए रखें। हर दिन एक जैसा खाना देने की बजाय, उन्हें अलग-अलग प्रकार के व्यंजन ट्राई करने के लिए प्रेरित करें। इससे उनका खाने में रुचि बढ़ेगी और वे पोषण से भरपूर भोजन का आनंद लेंगे।
6. भोजन का माहौल:
भोजन के समय का माहौल खुशनुमा और तनावमुक्त रखें। बच्चों के साथ बैठकर खाना खाएं और उन्हें स्वस्थ भोजन के महत्व के बारे में बताएं। यह आदत बच्चों के भोजन को और भी आनंददायक बना सकती है।
7. शारीरिक गतिविधि:
स्वस्थ आहार के साथ-साथ शारीरिक गतिविधि भी जरूरी है। बच्चों को खेलने-कूदने के लिए प्रोत्साहित करें, जिससे उनकी ऊर्जा बनी रहे और वे स्वस्थ रहें।

निष्कर्ष:
बच्चों का पोषण उनके जीवन के शुरुआती वर्षों में बेहद महत्वपूर्ण है। सही डाइट और अच्छी खाने की आदतें न केवल उनके शारीरिक विकास में मदद करेंगी, बल्कि उनके मानसिक और भावनात्मक विकास को भी बढ़ावा देंगी।

अपने बच्चों को संतुलित और पोषणयुक्त आहार दें और उनके खाने का ख्याल रखें, ताकि वे स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकें।

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डिजिटल युग में कैसे करे बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित और रखे फोन से दूर

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डिजिटल भारत I बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित रखना और उन्हें फोन से दूर रखना आज के समय में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस लेख में हम इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे और इसके लिए कई सुझाव और उपाय प्रस्तुत करेंगे।

बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित रखने के उपाय
1. पढ़ाई को रोचक बनाएं
बच्चों को पढ़ाई में रुचि दिलाने के लिए जरूरी है कि हम उनके लिए पढ़ाई को रोचक बनाएं। यह काम हम विभिन्न तरीकों से कर सकते हैं:
प्रोजेक्ट आधारित लर्निंग: बच्चों को विभिन्न विषयों पर प्रोजेक्ट करने दें। इससे उनकी रचनात्मकता बढ़ती है और वे नए तरीके से सोचते हैं।
विजुअल और ऑडियो सामग्री का उपयोग: पढ़ाई को रोचक बनाने के लिए वीडियो, ऑडियो, और चित्रों का उपयोग करें। इससे बच्चों का ध्यान आसानी से केंद्रित होता है।
प्रयोगशाला कार्य: विज्ञान के विषयों में प्रयोगशाला कार्य करवाएं। इससे बच्चों को प्रायोगिक ज्ञान मिलता है और वे सिद्धांतों को बेहतर समझ पाते हैं।
2. नियमितता बनाए रखें
बच्चों की पढ़ाई में नियमितता बहुत महत्वपूर्ण है। एक निश्चित समय पर पढ़ाई करने से बच्चों की आदत बन जाती है और वे समय पर पढ़ाई करने लगते हैं।
समय सारणी बनाएं: बच्चों के लिए एक समय सारणी बनाएं जिसमें पढ़ाई, खेल, और आराम का समय निश्चित हो।
अल्पविराम: बच्चों को पढ़ाई के बीच में छोटे-छोटे ब्रेक लेने दें। इससे वे तरोताजा महसूस करते हैं और अधिक ध्यान केंद्रित कर पाते हैं।
3. सकारात्मक माहौल बनाएं
बच्चों के लिए एक सकारात्मक और प्रेरणादायक माहौल बनाएं। इससे वे पढ़ाई में अधिक रुचि लेंगे और उनका मनोबल भी बढ़ेगा।
प्रशंसा और प्रोत्साहन: बच्चों की छोटी-छोटी उपलब्धियों की प्रशंसा करें और उन्हें प्रोत्साहित करें।
सकारात्मक दृष्टिकोण: बच्चों के सामने हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखें और उन्हें यह समझाएं कि कठिनाईयों का सामना कैसे करना है।
बच्चों को फोन से दूर रखने के उपाय

1. सीमित समय निर्धारित करें
बच्चों के लिए फोन के उपयोग का समय निर्धारित करें। इससे वे समझेंगे कि उन्हें कितने समय तक फोन का उपयोग करना है और इसके बाद उन्हें पढ़ाई या अन्य गतिविधियों पर ध्यान देना है।
डिजिटल डिटॉक्स: सप्ताह में एक दिन ऐसा निर्धारित करें जब बच्चे बिल्कुल फोन का उपयोग न करें। इसे ‘डिजिटल डिटॉक्स’ कहा जाता है।
फैमिली टाइम: परिवार के सभी सदस्य मिलकर एक समय निर्धारित करें जब सभी लोग फोन से दूर रहकर एक-दूसरे के साथ समय बिताएं।
2. वैकल्पिक गतिविधियाँ प्रदान करें
बच्चों के लिए वैकल्पिक गतिविधियाँ प्रदान करें जिससे वे फोन का उपयोग कम करें और अन्य गतिविधियों में व्यस्त रहें।
खेल: बच्चों को विभिन्न खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित करें। इससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास होता है।
पढ़ाई के अलावा: बच्चों को कला, संगीत, नृत्य, और अन्य रचनात्मक गतिविधियों में शामिल करें।
3. शिक्षा के महत्व को समझाएं
बच्चों को शिक्षा के महत्व के बारे में समझाएं और उन्हें बताएं कि शिक्षा कैसे उनके भविष्य को सुधार सकती है।
कहानियाँ: बच्चों को प्रेरणादायक कहानियाँ सुनाएं जिसमें शिक्षा का महत्व बताया गया हो।
रोल मॉडल: बच्चों को ऐसे रोल मॉडल के बारे में बताएं जिन्होंने शिक्षा के माध्यम से बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की हों।
4. तकनीकी उपकरणों का उपयोग
बच्चों को फोन से दूर रखने के लिए आप कुछ तकनीकी उपकरणों का भी उपयोग कर सकते हैं।
पैरेंटल कंट्रोल: फोन में पैरेंटल कंट्रोल सेटिंग्स का उपयोग करें जिससे आप बच्चों के फोन के उपयोग को नियंत्रित कर सकें।
एप्लिकेशन: ऐसी एप्लिकेशन का उपयोग करें जो बच्चों के फोन के उपयोग के समय को मॉनिटर करती हैं और समय सीमा समाप्त होने पर अलर्ट भेजती हैं।
निष्कर्ष
बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित रखना और उन्हें फोन से दूर रखना आज के समय में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन सही दिशा-निर्देश और उपाय अपनाकर इसे संभव बनाया जा सकता है। पढ़ाई को रोचक बनाना, नियमितता बनाए रखना, सकारात्मक माहौल बनाना, सीमित समय निर्धारित करना, वैकल्पिक गतिविधियाँ प्रदान करना, शिक्षा के महत्व को समझाना, और तकनीकी उपकरणों का उपयोग करना कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें अपनाकर हम बच्चों को प्रेरित और फोकस्ड रख सकते हैं। इन सभी उपायों को सही ढंग से लागू करने से बच्चे न केवल पढ़ाई में आगे बढ़ेंगे बल्कि उनका समग्र विकास भी होगा।

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हर साल लगभग 5,000 लोग स्टीरॉयड्स के दुष्प्रभावों के कारण गंभीर हृदय रोगों का करते हैं सामना

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डिजिटल भारत I परिचय आजकल, वजन बढ़ाने के लिए बाजार में कई तरह की कृत्रिम दवाएं उपलब्ध हैं। ये दवाएं बहुत से लोगों को आकर्षित करती हैं क्योंकि वे तेजी से वजन बढ़ाने का दावा करती हैं। हालांकि, इन दवाओं का स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है और क्या यह सुरक्षित हैं, इस पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है।
कृत्रिम वजन बढ़ाने वाली दवाएं
कई प्रकार की दवाएं और पूरक बाजार में उपलब्ध हैं जो वजन बढ़ाने में मदद करने का दावा करती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख दवाएं और उनके संभावित नुकसानों के बारे में नीचे बताया गया है:

स्टीरॉयड्स:
नुकसान: स्टीरॉयड्स के सेवन से हृदय रोग, यकृत की समस्याएं, हार्मोनल असंतुलन, और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
एपेटाइट स्टिमुलेंट्स:
नुकसान: ये दवाएं भूख बढ़ाने का काम करती हैं, लेकिन इनके सेवन से पेट की समस्याएं, सिरदर्द, और अनिद्रा हो सकती है।
प्रोटीन सप्लीमेंट्स:
नुकसान: अधिक प्रोटीन का सेवन किडनी पर दबाव डाल सकता है और किडनी की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अलावा, अगर गुणवत्ता में कमी हो, तो अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट्स:
नुकसान: इनका अधिक सेवन भी हानिकारक हो सकता है। उदाहरण के लिए, विटामिन ए की अधिकता हड्डियों और जिगर पर बुरा प्रभाव डाल सकती है।
कृत्रिम दवाओं से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी जोखिम
हृदय संबंधी समस्याएं: कई वजन बढ़ाने वाली दवाएं हृदय गति बढ़ा सकती हैं, जिससे हृदयाघात और अन्य हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है।

हार्मोनल असंतुलन: स्टीरॉयड्स और अन्य हार्मोनल दवाओं का सेवन हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है, जिससे मूड स्विंग्स, अवसाद, और अन्य मानसिक समस्याएं हो सकती हैं।
किडनी और यकृत संबंधी समस्याएं: अधिक प्रोटीन और अन्य पूरकों का सेवन किडनी और यकृत पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे इन अंगों में क्षति हो सकती है।
पाचन समस्याएं: एपेटाइट स्टिमुलेंट्स और अन्य दवाओं का सेवन पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है, जिससे अपच, कब्ज, और पेट दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
वजन बढ़ाने के प्राकृतिक और सुरक्षित तरीके
कृत्रिम दवाओं के बजाय, प्राकृतिक और स्वस्थ तरीके से वजन बढ़ाना अधिक सुरक्षित और प्रभावी है। नीचे कुछ तरीके दिए गए हैं:

संतुलित आहार: अपने आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, और स्वस्थ वसा को शामिल करें। अंडे, चिकन, मछली, नट्स, बीज, और दूध जैसे खाद्य पदार्थ प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं। कार्बोहाइड्रेट के लिए साबुत अनाज, चावल, और आलू खाएं। स्वस्थ वसा के लिए एवोकाडो, जैतून का तेल, और मछली का सेवन करें।
नियमित व्यायाम: वजन बढ़ाने के लिए शक्ति प्रशिक्षण (वेट लिफ्टिंग) सबसे प्रभावी है। यह मांसपेशियों का निर्माण करने में मदद करता है और स्वस्थ तरीके से वजन बढ़ाता है।
अधिक बार भोजन करें: दिन में 5-6 छोटे भोजन करें ताकि आपका शरीर नियमित रूप से पोषण प्राप्त कर सके।
हाइड्रेशन: पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। यह पाचन में मदद करता है और शरीर को स्वस्थ रखता है।
आराम और नींद: पर्याप्त नींद लें। नींद की कमी से वजन बढ़ाने की प्रक्रिया में रुकावट आ सकती है।

निष्कर्ष
कृत्रिम वजन बढ़ाने वाली दवाओं का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। ये दवाएं तेजी से वजन बढ़ाने का दावा तो करती हैं, लेकिन इनके सेवन से कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके बजाय, प्राकृतिक और स्वस्थ तरीकों से वजन बढ़ाना अधिक सुरक्षित और प्रभावी है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप स्वस्थ तरीके से वजन बढ़ा सकते हैं।

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जबलपुर के किसानों के लिए धान की फसल पर विशेषज्ञ की सलाह

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डिजिटल भारत I जबलपुर जिले में धान की खेती
धान खरीफ की मुख्य फसल है और जबलपुर जिले में लगभग 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में इसे लगाया जाता है। इसमें से लगभग 40 से 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सूखे खेतों में सीड ड्रिल के माध्यम से इसकी सीधी बुआई की जाती है, जबकि शेष क्षेत्रफल में खेतों में कीचड़ मचा कर मजदूर या पैडी ट्रांसप्लांटर के माध्यम से नर्सरी द्वारा तैयार धान के पौधों की रोपाई की जाती है। किसानों ने अपने खेतों में नर्सरी तैयार कर ली है और बारिश के आगमन के साथ जिले भर में रोपाई जोरों पर है।

उप संचालक की सलाह
उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास, रवि आम्रवंशी ने बताया कि जिले में किसानों ने अपने खेतों में नर्सरी तैयार कर ली है और बारिश के आगमन के साथ जिले भर में धान की रोपाई जोरों पर है। श्री आम्रवंशी के मुताबिक, सावधानी पूर्वक धान की रोपाई करने पर किसान अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। रोपाई के लिए धान की 20 से 25 दिनों की पौध सर्वाधिक उपयुक्त होती है।

रोपाई की तकनीक
रोपाई करने से एक दिन पहले नर्सरी में लगी हुई धान की अच्छी तरह सिंचाई करनी चाहिए, ताकि दूसरे दिन धान के पौधों को निकालते समय उनकी जड़ न टूटें और पौधे भी आसानी से निकल जाएं। पौधों की जड़ों में लगी मिट्टी को पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए। इसके बाद किसानों द्वारा जड़ों का उपचार करने से फसलों में उर्वरक की आंशिक पूर्ति की जा सकती है।

धान की पौधों का उपचार
उप संचालक ने बताया कि कार्बेंडाजिम 75 प्रतिशत WP की 2 ग्राम मात्रा और स्ट्रेप्टोसाइक्लिन की 0.5 ग्राम मात्रा को 1 लीटर पानी में घोल बनाकर धान के पौधों को 20 मिनट तक डुबोकर रखना चाहिए। इसके बाद उपचारित पौधों को एक बोतल नैनो DAP के 100 लीटर पानी में बने घोल में दोबारा 20 मिनट तक डुबोकर रखना चाहिए। उपचारित पौधों की तैयार खेत में परस्पर 20 सेंटीमीटर की दूरी पर स्थित कतारों में 10 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई करनी चाहिए। रोपाई करते समय एक स्थान पर दो से तीन पौध लगाना चाहिए और पौधों की गहराई दो से तीन सेंटीमीटर से अधिक नहीं रखनी चाहिए।

धान की खेती पर विस्तृत रिपोर्ट और आंकड़े
धान भारत की प्रमुख खाद्यान्न फसलों में से एक है और यह देश की खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। धान की खेती के तहत सबसे बड़ा क्षेत्रफल वाला राज्य पश्चिम बंगाल है, जिसके बाद उत्तर प्रदेश, पंजाब, ओडिशा और बिहार आते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा किए गए अध्ययनों के अनुसार, धान की उन्नत प्रजातियों और प्रबंधन तकनीकों के उपयोग से पैदावार में वृद्धि हो सकती है।

उपसंहार
किसानों के लिए धान की फसल एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत है और इसके उत्पादन में बढ़ोतरी करने के लिए नई तकनीकों और उन्नत कृषि विधियों का उपयोग आवश्यक है। उप संचालक रवि आम्रवंशी द्वारा दी गई सलाह किसानों को अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने में सहायक हो सकती है। किसान इन तकनीकों और उपायों का पालन कर बेहतर फसल उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

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इंदौर फिजिकल एकेडमी के गणपति हॉस्टल में फूड पॉइजनिंग से 37 छात्र बीमार

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डिजिटल भारत I चितावद स्थित इंदौर फिजिकल एकेडमी के गणपति हॉस्टल में रहने वाले बच्चों की तबीयत मंगलवार रात अचानक बिगड़ने लगी और उन्हें इलाज के लिए एमवाय अस्पताल में भर्ती कराया गया। पहले यहां पांच बच्चों को इलाज के लिए लाया जाता था, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 37 हो गई है. जिनमें 23 लड़के और 14 लड़कियां शामिल हैं।

रात को दाल, रोटी और सब्जी खाई
ये सभी बच्चे एक ही एकेडमी में पढ़ते हैं और एक ही हॉस्टल में रहते हैं. इन बच्चों ने रात में दाल, रोटी और सब्जी खाई. शुरुआती जांच में पता चला है कि दूषित भोजन के कारण इन बच्चों की तबीयत बिगड़ी है. हालांकि सभी की हालत अभी भी खतरे से बाहर है.

उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि दूषित पानी के कारण उनकी तबीयत बिगड़ी है, जिसके कारण उन्हें संक्रमण हुआ है. जब वह अस्पताल पहुंचे तो वह उल्टी और दस्त से पीड़ित थे।
इस क्षेत्र में पेट का इन्फेक्शन सामान्य बताया जा रहा है कि पालदा से चितावद के बीच जो नाला बहता है, इसके कारण हमेशा यहां पर दूषित पानी की समस्या बनी रहती है। बारिश के दिनों में यह समस्या काफी बढ़ जाती है। इसके कारण इस क्षेत्र में पेट के इंफेक्शन की समस्या लोगों में बनी रहती है। कई बार रहवासी भूगर्भ जल की जांच करवाने की मांग भी कर चुके हैं।

रहवासियों ने बताया कि तबीयत बिगड़ने के बाद जब भी डॉक्टर के पास जाते हैं तो पानी के कारण इंफेक्शन बताया जाता है। देशभर के आर्मी में जाने वाले बच्चे एमवाय अस्पताल में जो बच्चे अभी भर्ती है। वह इंदौर के साथ ही राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आसाम, छत्तीसगढ़, बिहार आदि प्रदेशों के रहने वाले हैं।

यहां आकर आर्मी, पुलिस की फिजिकल परीक्षा की तैयारी करते हैं। यहां इन बच्चों के खानपान पर ध्यान नहीं दिया जाता है। पहले भी इस बच्चों की तबीयत बिगड़ने के मामले सामने आ चुके हैं। बताया जा रहा है कि अभी कुछ दिनों से कर्मचारी के नहीं आने से खाना भी स्वयं बच्चे ही बना रहे थे।

बड़वानी में उल्टी-दस्त का प्रकोप, तीन की मौत, आठ बीमार
हरदा के निकट वनांचल स्थित ग्राम पंचायत बड़वानी के मुख्यालय रहटगांव में दूषित पानी पीने से बड़ी संख्या में ग्रामीण उल्टी-दस्त से पीड़ित हैं। तीन लोगों की मौत हो गई है. आठ लोगों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है. उनका इलाज किया जा रहा है. अधिकारियों का यह भी कहना है कि दूषित पानी पीने से ग्रामीण बीमार हुए हैं.

बुधवार सुबह जिला पंचायत सीईओ टिमुरनी और टिमुरनी बीएमओ ने गांव का दौरा किया और पेयजल स्रोतों के आसपास साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने और शुद्ध पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। ग्राम पंचायत बड़वानी के सरपंच सुनील साठे ने बताया कि गांव में 8 से 15 दिन में तीन मौतें हो चुकी हैं. जिनमें दो महिलाएं और एक वृद्ध शामिल हैं।

बड़वानी में दूषित पानी से उल्टी-दस्त का प्रकोप:
हरदा के निकट वनांचल स्थित ग्राम पंचायत बड़वानी के मुख्यालय रहटगांव में दूषित पानी पीने से बड़ी संख्या में ग्रामीण उल्टी-दस्त से पीड़ित हैं। तीन लोगों की मौत हो चुकी है और आठ लोगों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। अधिकारियों ने गांव का दौरा कर पेयजल स्रोतों के आसपास साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने और शुद्ध पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।

समस्याओं का समाधान और सावधानी:
इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि दूषित पानी और भोजन के कारण बीमारी का खतरा बहुत अधिक है। प्रशासन को पेयजल और भोजन की गुणवत्ता पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए और नियमित जांच करवानी चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। लोगों को भी स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए और साफ-सुथरे भोजन और पानी का ही उपयोग करना चाहिए।

बड़वानी में दूषित पानी से उल्टी-दस्त का प्रकोप, तीन की मौत
हरदा के निकट वनांचल स्थित ग्राम पंचायत बड़वानी के मुख्यालय रहटगांव में दूषित पानी पीने से बड़ी संख्या में ग्रामीण उल्टी-दस्त से पीड़ित हैं। तीन लोगों की मौत हो चुकी है और आठ लोगों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। अधिकारियों ने गांव का दौरा कर पेयजल स्रोतों के आसपास साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने और शुद्ध पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।

स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए सुझाव

1. नियमित जांच:
पेयजल और भोजन की गुणवत्ता की नियमित जांच सुनिश्चित करें।
2. स्वच्छता:
पानी के स्रोतों के आसपास और भोजन बनाने की जगहों पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
3. उबाल कर पानी पिएं:
दूषित पानी से बचने के लिए पानी को उबालकर पिएं।
4. स्वास्थ्य शिक्षा:
रहवासियों को स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करें।
5. सरकारी निगरानी:
प्रशासन को पानी की गुणवत्ता और साफ-सफाई पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए।
6. पोषण का ध्यान:
बच्चों के खानपान पर विशेष ध्यान दें और उन्हें पोषक तत्वों से भरपूर आहार दें।
7. तात्कालिक चिकित्सा:
बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें और उचित उपचार करवाएं।
इन सुझावों पर अमल करने से दूषित पानी और भोजन से होने वाली बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।

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गृहणियों के लिए घर से ही आय कमाने के 10 तरीके

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डिजिटल भारत I गृहणियों का जीवन आमतौर पर परिवार की देखभाल और घर के कामकाज में व्यतीत होता है। हालाँकि, वे अपने बजट को सुधारकर और स्मार्ट निवेश करके अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकती हैं। आज के इस लेख में हम गृहणियों के लिए कुछ ऐसे व्यावहारिक सुझाव प्रस्तुत कर रहे हैं जिनसे वे पैसे बचा सकती हैं, निवेश कर सकती हैं और अतिरिक्त आय कमा सकती हैं।

पैसे बचाने के तरीके
मासिक बजट बनाएं: सबसे पहले, गृहणियों को अपने मासिक खर्चों का एक बजट बनाना चाहिए। इसमें सभी आवश्यक खर्च जैसे राशन, बिजली बिल, पानी बिल, बच्चों की शिक्षा और अन्य अनिवार्य खर्च शामिल होने चाहिए। बजट के अनुसार खर्च करने से फिजूलखर्ची पर नियंत्रण रखा जा सकता है।
सेल और ऑफर्स का लाभ उठाएं: खरीदारी के दौरान सेल और डिस्काउंट ऑफर्स का लाभ उठाना चाहिए। इससे काफी पैसे बचाए जा सकते हैं।
स्वयं खाना बनाएं: बाहर खाना खाने के बजाय घर पर ही खाना बनाने से काफी पैसे बचाए जा सकते हैं। इसके साथ ही, यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर होता है।
स्थानीय बाजार से खरीदारी करें: सुपरमार्केट के बजाय स्थानीय बाजार से फल, सब्जी और अन्य सामान खरीदना सस्ता होता है।
ऊर्जा की बचत करें: बिजली और पानी की बचत करना भी पैसे बचाने का एक तरीका है। अनावश्यक रूप से लाइट, पंखा, और अन्य उपकरण बंद रखें।
निवेश के तरीके
बचत खाते में निवेश: सबसे सरल और सुरक्षित तरीका बचत खाते में पैसा जमा करना है। इससे ब्याज के रूप में नियमित आय प्राप्त होती है।
एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट): फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करना सुरक्षित होता है और इसमें अच्छा ब्याज मिलता है।
आरडी (रेकरिंग डिपॉजिट): रेकरिंग डिपॉजिट में हर महीने एक निश्चित राशि जमा करने से लंबे समय में अच्छा फंड तैयार किया जा सकता है।
सोना और चांदी: सोना और चांदी में निवेश भी लाभदायक होता है। इनके दाम समय के साथ बढ़ते हैं और इन्हें जरूरत पड़ने पर बेचा भी जा सकता है।
म्यूचुअल फंड: म्यूचुअल फंड में निवेश करने से भी अच्छी आय हो सकती है। यह थोड़ा जोखिमपूर्ण होता है लेकिन लंबे समय में अच्छा रिटर्न देता है।
पोस्ट ऑफिस स्कीम्स: पोस्ट ऑफिस में कई निवेश योजनाएं होती हैं जैसे पीपीएफ, एनएससी, किसान विकास पत्र आदि। ये योजनाएं सुरक्षित होती हैं और अच्छा रिटर्न देती हैं।
अतिरिक्त आय कमाने के तरीके
घरेलू व्यवसाय: गृहणियां घर बैठे ही कई व्यवसाय कर सकती हैं जैसे बेकरी, हस्तशिल्प, बुटीक, और टिफिन सेवा आदि।
फ्रीलांसिंग: लेखन, ग्राफिक डिजाइनिंग, अनुवाद आदि जैसे फ्रीलांसिंग कार्य करके भी अतिरिक्त आय प्राप्त की जा सकती है।
ऑनलाइन ट्यूशन: शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव रखने वाली गृहणियां ऑनलाइन ट्यूशन देकर भी पैसा कमा सकती हैं।
ब्लॉगिंग और यूट्यूब: अगर किसी का लेखन में रुचि है तो वह ब्लॉगिंग कर सकता है। इसी तरह, यूट्यूब चैनल शुरू करके भी आय अर्जित की जा सकती है।
ऑनलाइन सेलिंग: ऑनलाइन प्लेटफार्म जैसे अमेज़न, फ्लिपकार्ट, ईबे पर वस्तुएं बेचकर भी पैसा कमाया जा सकता है।
सर्वे और फीडबैक: कई कंपनियां सर्वे और फीडबैक के लिए पैसे देती हैं। इसमें भाग लेकर भी थोड़ा बहुत पैसा कमाया जा सकता है।
निष्कर्ष
गृहणियां परिवार की रीढ़ होती हैं और वे पैसे बचाने और निवेश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। सही तरीके से बजट बनाकर, समझदारी से खर्च करके, और निवेश के सही विकल्पों का चुनाव करके वे न केवल पैसे बचा सकती हैं, बल्कि अच्छी आय भी अर्जित कर सकती हैं। उपरोक्त सुझावों को अपनाकर गृहणियां अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकती हैं और आत्मनिर्भर बन सकती हैं।

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अरबपतियों का कर्ज माफ हो सकता है किसानो का नहीं ? -राहुल गांधी

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डिजिटल भारत I लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के बीच विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने जोरदार भाषण दिया. किसानों और एमएसपी के मुद्दे पर भी राहुल गांधी ने मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की. इस पर शिवराज सिंह चौहान ने राहुल गांधी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया…
दरअसल, नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी सोमवार को पहली बार संसद में बोले। उन्होंने कहा कि किसान का कर्जा माफ होना चाहिए और उसे एमएसपी मिलनी चाहिए। आपकी सरकार ने कह दिया कि किसान का कर्जा माफ नहीं होगा और एमएसपी नहीं मिलेगी। राहुल की इस बात पर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भड़क गए। उन्होंने राहुल को इस बयान को साबित करने की चुनौती दे डाली।

एमएसपी को लेकर राहुल का सवाल
राहुल गांधी ने कहा- ‘700 किसान शहीद हुए, हमने कहा संसद में मौन होना चाहिए। आपने मौन नहीं होने दिया। आपने कहा ये किसान नहीं है। आपके मुताबिक यह किसान नहीं थे, आतंकवादी थे। राहुल गांधी ने आगे कहा- ‘किसानों ने सिर्फ यह कहा कि 16 लाख करोड़ रुपए का जब अरबपतियों का कर्ज माफ हो सकता है तो थोड़ा सा हमारा भी कर्जा माफ कर दीजिए। किसानों ने कहा कि हर प्रोडक्ट के लिए सही प्राइस मिलती है, हमें भी एमएसपी दे दीजिए। आप लोगों ने कहा कि किसान का कर्ज माफ नहीं होगा। और एमएसपी नहीं मिलेगी।

राहुल गांधी ने सिलसिलेवार तरीके से सरकार को घेरा
लोकसभा में सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच जोरदार बहस हुई. विपक्ष के नेता राहुल गांधी जब सदन में बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने अग्निवीर योजना, महंगाई और किसानों से जुड़े मुद्दे उठाकर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की. राहुल गांधी के आरोपों पर सत्ता पक्ष ने भी करारा जवाब दिया. राहुल गांधी ने सदन में बोलते हुए सरकार की ओर से किसानों को एमएसपी नहीं दिए जाने का मुद्दा उठाया. राहुल ने कहा, “देश के किसान एमएसपी की मांग कर रहे हैं, पर सरकार कह रही है कि हम नहीं देंगे.”

लिगल गारंटी के साथ मिले एमएसपी-राहुल गांधी
शिवराज सिंह के विरोध करने के बाद राहुल गांधी ने कहा – ‘माना कि एमएसपी पर खरीदारी हो रही है. लेकिन, हमारी मांग है कि लिगल गारंटी तय करके उसके अनुसार खरिदारी हो. मुद्दा एमएसपी पर खरीदारी नहीं है, बल्कि लिगल गारंटी पर एमएसपी तय करके खरीदारी हो.’

सरकार दे रही है एमएसपी-शिवराज सिंह
राहुल गांधी की बात सुनकर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी सीट पर तुरंत खड़े हो गए और उनका विरोध करने लगे. उन्होंने कहा- ‘ये गलत बयानी कर रहे हैं. सरकार एमएसपी दे रही है. ये मोदी जी की सरकार है. उत्पादन की लागत पर कम से कम 50% जोड़कर एमएसपी दी जा रही है. यदि नहीं दी जा रही है तो यह बात सत्यापित करें. अभी 14 खरीफ की फसलों के एमएसपी के रेट तय किए हैं.’

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जॉनसन बेबी प्रोडक्ट्स की हकीकत: बच्चों की सेहत के लिए कितना सुरक्षित? कई देशो में बैन

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डिजिटल भारत I जॉनसन बेबी, जो कि जॉनसन एंड जॉनसन की एक प्रसिद्ध सहायक कंपनी है, ने दुनिया भर में अपनी बेबी केयर उत्पादों के लिए एक मजबूत प्रतिष्ठा बनाई है। हालांकि, हाल के वर्षों में, इस कंपनी को कई देशों में अपने उत्पादों में खतरनाक तत्वों के उपयोग के आरोपों का सामना करना पड़ा है। इस लेख में, हम उन देशों की चर्चा करेंगे जहां जॉनसन बेबी के उत्पाद प्रतिबंधित हैं और उन खतरनाक तत्वों का विश्लेषण करेंगे जो बच्चों की सेहत के लिए हानिकारक साबित हुए हैं।

जॉनसन बेबी कंपनी: एक परिचय
जॉनसन एंड जॉनसन, जो 1886 में स्थापित हुई थी, ने अपने बेबी केयर उत्पादों के माध्यम से एक विशाल बाजार का निर्माण किया है। इनमें बेबी शैम्पू, बेबी पाउडर, बेबी ऑयल, बेबी लोशन, और बेबी साबुन जैसे उत्पाद शामिल हैं। जॉनसन बेबी उत्पादों का उपयोग नवजात शिशुओं और बच्चों की देखभाल के लिए व्यापक रूप से किया जाता है। हालांकि, कुछ उत्पादों में हानिकारक रसायनों की उपस्थिति ने कंपनी की छवि को धूमिल किया है।

प्रतिबंधित देश और कारण
1. भारत
भारत में, जॉनसन बेबी पाउडर पर प्रतिबंध लगाया गया था क्योंकि इसमें एस्बेस्टस जैसे खतरनाक तत्व पाए गए थे। एस्बेस्टस एक कार्सिनोजेनिक पदार्थ है, जिसका संपर्क कैंसर का कारण बन सकता है।

2. संयुक्त राज्य अमेरिका
अमेरिका में, जॉनसन बेबी पाउडर के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए गए, जिनमें आरोप लगाया गया कि टैल्कम पाउडर में एस्बेस्टस की मौजूदगी से ओवेरियन कैंसर हो सकता है। कई महिलाओं ने कंपनी के खिलाफ मुकदमे जीते और कंपनी को भारी जुर्माने का सामना करना पड़ा।

3. कनाडा
कनाडा में, सरकार ने जॉनसन बेबी पाउडर के उपयोग के खिलाफ चेतावनी जारी की थी और इसे बाजार से हटाने की सलाह दी थी। टैल्कम पाउडर में एस्बेस्टस की उपस्थिति को गंभीरता से लिया गया।

4. यूरोपियन यूनियन
यूरोपियन यूनियन के कुछ देशों में जॉनसन बेबी उत्पादों पर कड़ी निगरानी रखी गई है और कुछ उत्पादों को बाजार से हटाया गया है। यूरोपीय यूनियन की सख्त नियामक नीतियों के तहत, कई उत्पादों में पाए गए हानिकारक तत्वों को हटाने के लिए कहा गया है।

5. ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में भी जॉनसन बेबी पाउडर को लेकर चिंताएं जताई गई हैं और इसे बाजार से हटाने की मांग की गई है।

खतरनाक तत्व और उनके प्रभाव
टैल्कम पाउडर और एस्बेस्टस
टैल्कम पाउडर का उपयोग बेबी पाउडर में किया जाता है, लेकिन इसमें एस्बेस्टस के अंश मिल सकते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। एस्बेस्टस एक ज्ञात कार्सिनोजेन है, और इसके संपर्क में आने से मेसोथेलियोमा और ओवेरियन कैंसर हो सकता है।

पैराबेंस
पैराबेंस का उपयोग प्रिज़र्वेटिव के रूप में किया जाता है, लेकिन यह हार्मोनल असंतुलन और कैंसर से जुड़ा हुआ है। बच्चों के उत्पादों में इसका उपयोग गंभीर चिंताओं को जन्म देता है।

फ्रेगरेंस (सुगंध)
फ्रेगरेंस के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायनों में कई हानिकारक तत्व हो सकते हैं जो एलर्जी, त्वचा में जलन, और श्वसन समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

फॉर्मल्डिहाइड
फॉर्मल्डिहाइड एक ज्ञात कार्सिनोजेन है, और इसे जॉनसन बेबी शैम्पू में संरक्षक के रूप में पाया गया था। इसके संपर्क में आने से त्वचा में जलन और सांस की समस्याएं हो सकती हैं।

कंपनी की प्रतिक्रिया
जॉनसन एंड जॉनसन ने आरोपों का सामना करते हुए अपने उत्पादों की सुरक्षा का बचाव किया है। कंपनी का दावा है कि उनके उत्पादों में इस्तेमाल किए गए तत्वों का परीक्षण और समीक्षा की गई है और यह सभी नियामक मानकों को पूरा करते हैं। हालांकि, बढ़ते मुकदमों और प्रतिबंधों ने कंपनी को अपने उत्पादों के फॉर्मूले में बदलाव करने और खतरनाक तत्वों को हटाने के लिए मजबूर किया है।

वर्तमान स्थिति और उपाय
जॉनसन एंड जॉनसन ने अपने बेबी पाउडर में टैल्क की जगह कॉर्नस्टार्च का उपयोग करना शुरू कर दिया है, जिससे उत्पाद को अधिक सुरक्षित बनाया जा सके। इसके अलावा, कंपनी ने अपने उत्पादों में पैराबेंस, फॉर्मल्डिहाइड और अन्य हानिकारक रसायनों को हटाने का वादा किया है।

वैकल्पिक उत्पाद
बाजार में कई वैकल्पिक बेबी केयर उत्पाद उपलब्ध हैं जो प्राकृतिक और सुरक्षित तत्वों से बने होते हैं। माता-पिता को सलाह दी जाती है कि वे ऐसे उत्पादों का चयन करें जो बिना हानिकारक रसायनों के बने हों।

सरकारी निगरानी
सरकारों और नियामक निकायों को बेबी केयर उत्पादों की सख्त निगरानी करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बाजार में उपलब्ध उत्पाद सुरक्षित हों।

जागरूकता
माता-पिता और उपभोक्ताओं को जागरूक रहना चाहिए और उत्पादों के लेबल और तत्वों की जानकारी को ध्यान से पढ़ना चाहिए।

निष्कर्ष
जॉनसन बेबी कंपनी के उत्पादों में खतरनाक तत्वों की उपस्थिति ने कई देशों में चिंताएं पैदा की हैं और कुछ स्थानों पर प्रतिबंध भी लगाया गया है। हालांकि, कंपनी ने अपने उत्पादों को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए कदम उठाए हैं, फिर भी उपभोक्ताओं को सतर्क रहना चाहिए और सुरक्षित उत्पादों का चयन करना चाहिए।

इस प्रकार, जॉनसन बेबी कंपनी पर लगाए गए प्रतिबंध और उनके उत्पादों में पाए गए खतरनाक तत्वों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। माता-पिता और उपभोक्ताओं को इन जानकारीयों को ध्यान में रखते हुए ही अपने बच्चों के लिए उत्पादों का चयन करना चाहिए।

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Understanding Property Tax: मध्य प्रदेश में घर का टैक्स कैसे और कितना दें

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डिजिटल भारत I घर का टैक्स कितना देना होता है?
मध्य प्रदेश में घर का टैक्स मुख्यतः संपत्ति कर (प्रॉपर्टी टैक्स) के रूप में जाना जाता है। यह कर स्थानीय नगर निगम या नगर पालिका द्वारा लिया जाता है।
संपत्ति कर की गणना कैसे होती है?
संपत्ति कर की राशि आपके घर के क्षेत्रफल, स्थान, उपयोग (आवासीय या व्यावसायिक), निर्माण की गुणवत्ता और अन्य कारकों पर निर्भर करती है। नगर निगम एक निश्चित दर से संपत्ति के मूल्य की गणना करता है और उस पर टैक्स लगाया जाता है। यह दर विभिन्न नगर निगमों में भिन्न हो सकती है।
कर देने के लिए किनको देना होता है?
घर का टैक्स नगर निगम या नगर पालिका को दिया जाता है। इसके लिए आप सीधे नगर निगम के कार्यालय में जाकर या उनकी वेबसाइट पर ऑनलाइन भुगतान कर सकते हैं।
कर कहां जमा किया जाता है?
मध्य प्रदेश में घर का टैक्स स्थानीय नगर निगम या नगर पालिका के पास जमा किया जाता है। इसे आप निम्नलिखित तरीकों से जमा कर सकते हैं:
ऑनलाइन भुगतान: नगर निगम की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन भुगतान कर सकते हैं।
नगर निगम कार्यालय: आप सीधे नगर निगम के कार्यालय जाकर नकद, चेक या ड्राफ्ट के माध्यम से भुगतान कर सकते हैं।
बैंक में: नगर निगम द्वारा निर्धारित बैंक में भुगतान कर सकते हैं।
कर के घोटाले से कैसे बचें?
घर के टैक्स के घोटाले से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएं:
नियमित भुगतान: समय पर अपने कर का भुगतान करें ताकि किसी भी प्रकार के ब्याज या जुर्माने से बचा जा सके।
ऑनलाइन रसीद: ऑनलाइन भुगतान करते समय रसीद अवश्य लें और उसे सुरक्षित रखें।
नगर निगम की वेबसाइट: कर की राशि और भुगतान की जानकारी नगर निगम की आधिकारिक वेबसाइट पर जांचें।
प्रत्यक्ष संपर्क: किसी भी संदेह की स्थिति में सीधे नगर निगम के कार्यालय से संपर्क करें।
मध्य प्रदेश में घर के टैक्स से संबंधित नियम
मध्य प्रदेश में घर के टैक्स से संबंधित नियम निम्नलिखित हैं:
कर दर: नगर निगम प्रत्येक वर्ष कर दर तय करता है, जो संपत्ति के प्रकार और स्थान के आधार पर भिन्न हो सकती है।
कर में छूट: कुछ विशेष परिस्थितियों में कर में छूट भी मिल सकती है, जैसे कि वरिष्ठ नागरिक, स्वतंत्रता सेनानी, विकलांग व्यक्ति आदि।
बकाया कर: यदि किसी कारण से आपने पूर्व वर्ष का कर नहीं भरा है, तो आपको बकाया कर के साथ ब्याज भी देना होगा।
घर के अलावा और कौनसे छोटे-छोटे घरेलू टैक्स देने होते हैं?
घर के अलावा, निम्नलिखित छोटे-छोटे घरेलू टैक्स भी देने होते हैं:
जल कर (वाटर टैक्स): यह कर आपके घर में पानी की आपूर्ति के लिए नगर निगम या जल बोर्ड द्वारा लिया जाता है।
स्वच्छता कर (सैनिटेशन टैक्स): यह कर आपके क्षेत्र की सफाई और कचरा निस्तारण के लिए लिया जाता है।
सेवर टैक्स: यह कर सीवेज सिस्टम के रखरखाव और संचालन के लिए लिया जाता है।
लाइट टैक्स: यह कर आपके क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था के लिए लिया जाता है।
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश में घर का टैक्स स्थानीय नगर निगम या नगर पालिका द्वारा लिया जाता है। इसे नियमित रूप से और सही तरीके से जमा करना आवश्यक है ताकि किसी भी प्रकार के घोटाले से बचा जा सके। इसके अलावा, जल कर, स्वच्छता कर, सेवर टैक्स और लाइट टैक्स जैसे छोटे-छोटे घरेलू टैक्स भी समय पर चुकाने चाहिए। सभी नियमों का पालन करके और सही जानकारी प्राप्त करके आप अपने घर के टैक्स से संबंधित सभी समस्याओं से बच सकते हैं।

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