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तालिबान ने कंधार में अफगान निवासियों को बाहर करने का आदेश दिया

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कंधार (अफगानिस्तान): दक्षिणी शहर कंधार में लंबे समय से खाली पड़े सैन्य परिसर में रहने वाले गरीब अफगानों का कहना है कि वे तालिबान द्वारा उन्हें उनके घरों से निकालने के आदेश से तबाह हो गए हैं। इस आदेश के खिलाफ सैकड़ों अफगानों ने सोमवार को प्रदर्शन किया और कहा कि उन्हें नहीं पता कि अब वे कहां जाएंगे और यह भी कहा कि उन्होंने यहां बसने के लिए वर्षों पहले पूर्व अफगान सैनिकों को पैसे दिए थे।

प्रदर्शन रैली के बाद तालिबान परिसर में आया और कई प्रदर्शनकारियों को वहां से जाने को मजबूर किया। प्रदर्शनकारी फिलहाल कहां है इसकी जानकारी किसी को नहीं है। तालिबान ने परिसर में रह रहे 2,500 परिवारों को अपना घर और सारा सामान छोड़कर जाने का आदेश दिया है ताकि तालिबान लड़ाके वहां आकर रह सकें।

परिसर के एक निवासी इमरान ने कहा, “परिवारों को अपने साथ केवल कपड़े लेकर जल्द से जल्द यहां से जाने के लिए समयसीमा दी है।” इस परिसर को 2001 में खाली कर दिया गया था जब तालिबान को बाहर करने के लिए अमेरिका के नेतृत्व में आक्रमण किया गया था और वहां रह रहे अफगान सैनिकों ने कंधार हवाई अड्डे पर स्थित केंद्रों में डेरा डाल लिया था।

कुछ वर्षों में, परिसर में विस्थापित अफगान वहां रहने लगे, वहां की जमीनें खरीदीं और अपने घर बनाए। कंधार के तालिबान मीडिया प्रमुख रहमतुल्लाह नरायवाल ने बुधवार को कहा कि तालिबान नेतृत्व द्वारा मामले की समीक्षा किए जाने तक अफगान परिवार परिसर में रह सकते हैं।

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ब्रिटेन ने लिया चीन से बदला, संसद में चीनी राजदूत के घुसने पर लगाई रोक

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लंदन। ब्रिटेन ने अपनी संसद में चीन के राजदूत के घुसने पर रोक लगा दी है। ब्रिटेन ने यह कदम चीन की उस कार्यवाही के बाद उठाया है जिसमें चीन ने कुछ ब्रिटिश सांसदों इसलिए प्रतिबंध लगा दिया था क्योंकि उन्होंने चीन के शिनजियांग प्रांत में हो रहे मानव अधिकारों के उल्लंघन को लेकर सवाल उठाया था। ब्रिटिश सांसदों, कुछ ब्रिटिश वकीलों और बुद्धिजीवियों ने शिनजियांग प्रांत में वीगर मुस्लिमों पर हो रहे चीनी अत्याचारों को लेकर आवाज उठाई थी और चीन ने उन ब्रिटिश नागरिकों को झूठा तथा भ्रम फैलाने वाला बताकर मार्च में प्रतिबंध लगा दिया था।

लेकिन अब ब्रिटेन ने भी चीन के खिलाफ इसी तरह का कदम उठाया है और चीनी राजदूत के वहां की संसद में घुसने पर रोक लगा दी है। ब्रिटेन की हाउस ऑफ  कॉमन तथा हाउस ऑफ लॉर्ड्स में चीनी राजदूत के घुसने पर रोक लगाई गई है।  लंदन में स्थित चीनी दूतावास के ब्रिटेन की संसद के इस कदम की निंदा की है। चीनी दूतावास की तरफ से कहा गया है कि ब्रिटेन की संसद की तरफ से उठाए गए इस कदम से दोनों देशों के बीच रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं।

दुनियाभर के देशों के आंतरिक मामलों को उलझाकर चीन लगातार फायदा उठाने की कोशिश में रहता है लेकिन जब उसके यहां वीगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार को लेकर अगर कोई देश आवाज उठाने लगे तो चीन को मिर्ची लग जाती है। ब्रिटेन के समाचार ग्रुप बीबीसी ने जब वीगर मुसलमानों के साथ हो रहे अत्याचार की सच्चाई जब पूरी दुनिया के सामने रखना शुरू किया तो चीन ने अपने यहां बीबीसी पर भी रोक लगा दी थी। जबाव में ब्रिटेन ने भी चीन के सीसीटीवी पर अपने यहां प्रतिबंध घोषित कर दिया था।

दुनिया के अन्य देशों की तरह चीन का मीडिया स्वतंत्र नहीं है और पूरी तरह से वहां की वामपंथी सरकार के कंट्रोल में चलता है। चीन की वामपंथी सरकार का मीडिया दुनिया के सामने सिर्फ उन्हीं बातों को सामने रखता है जो चीन के हित में हो। चीन में होने वाली अंतर्कलह और विवादों को लेकर वहां का मीडिया कभी भी कोई जानकारी बाहर आने ही नहीं देता। चीन के शिनजियांग प्रांत में लंबे समय से वीगर मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे हैं और वहां पर मुसलमानों को न तो रोजा रखने की स्वतंत्रता होती है और न ही अपने तरीके से अपने धर्म का पालन करने की अनुमति।

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कोरोना संक्रमितों के संपर्क में आए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, खुद को किया आइसोलेट

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मॉस्को: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन करीबी अधिकारियों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण खुद पृथक-वास में चले गए हैं। राष्ट्रपति कार्यालय ‘क्रेमलिन’ ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। ‘क्रेमलिन’ के प्रवक्ता दमित्री पेसकोव ने कहा कि पुतिन ने कोविड-19 की जांच कराई लेकिन संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई। पुतिन कोविड-19 रोधी टीके स्पूतनिक-वी की दोनों खुराकें ले चुके हैं। उन्होंने दूसरी खुराक अप्रैल में ली थी।

प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रपति बिल्कुल स्वस्थ हैं लेकिन संक्रमितों के संपर्क में आने के कारण पृथक-वास में रहेंगे। प्रवक्ता ने यह नहीं बताया कि पुतिन कब तक पृथक-वास में रहेंगे लेकिन कहा कि वह अपना कार्य जारी रखेंगे। पुतिन किसके संपर्क में आए, इस बारे में पेसकोव ने कोई टिप्पणी नहीं की। इससे पहले ‘क्रेमलिन’ ने बताया कि पुतिन और ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमली रहमान के बीच फोन पर बातचीत हुई।

रूस के राष्ट्रपति ने सोमवार को कई कार्यक्रमों में शिरकत की। उन्होंने रूस के पैरालंपिक खिलाड़ियों से मुलाकात की, बेलारूस के साथ समन्वित सैन्य अभियान में शामिल हुए और सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद से भेंट की। पैरालंपिक खिलाड़ियों से मुलाकात के दौरान पुतिन ने कहा था कि जल्द ही उन्हें ‘‘पृथक-वास में जाना पड़ सकता है।’’

जब राष्ट्रपति को पता था कि उनके करीबी घेरे में कोविड-19 के मामले आ चुके हैं तो उन्होंने सोमवार को कई कार्यक्रमों में शिरकत क्यों की, यह पूछे जाने पर पेसकोव ने कहा कि ‘‘डॉक्टरों की राय के बाद राष्ट्रपति ने पृथक-वास में जाने का फैसला किया और सोमवार को कार्यक्रमों से किसी को कोई खतरा नहीं हुआ।’’

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आगामी क्वाड शिखर सम्मेलन पर चीन को लगी ‘मिर्ची’, कहा- ‘गुटबाजी’ काम नहीं आएगी

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चीन ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की मेजबानी में आयोजित होने वाले आगामी क्वाड शिखर सम्मेलन को लेकर निशाना साधते हुए कहा है कि दूसरे देशों को निशाना बनाने के लिए ‘गुटबाजी’ काम नहीं आएगी और इसका कोई भविष्य नहीं है। राष्ट्रपति बाइडन वाशिंगटन में 24 सितंबर को प्रत्यक्ष तरीके से आयोजित पहले क्वाड शिखर सम्मेलन का आयोजन करेंगे, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, जापान के निवर्तमान प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा हिस्सा लेंगे।

क्वाड के आगामी शिखर सम्मेलन को लेकर टिप्पणी के लिए पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देशों के बीच सहयोग के जरिए तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘चीन का मानना है कि किसी भी क्षेत्रीय सहयोग ढांचे को समय की प्रवृत्ति के साथ होना चाहिए और क्षेत्र के देशों के बीच आपसी विश्वास तथा सहयोग के अनुकूल होना चाहिए। इसके जरिए किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाना चाहिए या उनके हितों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।’’

लिजियान ने कहा कि दूसरे देशों को निशाना बनाने के लिए ‘गुटबाजी’ नहीं होनी चाहिए और ये तरीके काम नहीं करेंगे तथा इनका कोई भविष्य नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात का उल्लेख करना चाहता हूं कि चीन न केवल एशिया प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक विकास का इंजन है, बल्कि यह शांति की रक्षा करने वाली मुख्य शक्ति भी है।’’ साथ ही कहा कि चीन की उन्नति दुनिया में ‘‘शांति के लिए अच्छी खबर’’ है।

नवंबर 2017 में भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग को खुला रखने के संबंध में नयी रणनीति विकसित करने के लिए क्वाड के गठन के लंबित प्रस्ताव को आकार दिया था। मार्च में राष्ट्रपति बाइडन ने डिजिटल तरीके से क्वाड शिखर सम्मेलन आयोजित किया। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच क्वाड का शिखर सम्मेलन आयोजित होगा।

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टेक्सास में दस्तक देने से पहले मजबूत हुआ तूफान ‘निकोलस’

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टेक्सास खाड़ी तट पर दस्तक देने से पहले ‘निकोलस’ सोमवार को पहली श्रेणी के तूफान में तब्दील हो गया और इससे मेक्सिको से लुइसियाना के तटीय इलाकों में भारी बारिश तथा बाढ़ आने का अनुमान है। मियामी में राष्ट्रीय तूफान केंद्र में वैज्ञानिकों ने कहा कि तूफान के दस्तक देने से कुछ घंटों पहले 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली। 

बाढ़ के लिहाज से संवेदनशील ह्यूस्टन में अधिकारियों ने चिंता जतायी कि मंगलवार सुबह भारी बारिश से सड़कें और मकान जलमग्न हो सकते हैं। प्राधिकारियों ने शहर में जल निकासी के वाहनों को तैनात किया और 40 से अधिक स्थानों पर अवरोधक लगाए। ह्यूस्टन स्कूल डिस्ट्रिक्ट ने तूफान के मद्देनजर कक्षाओं को रद्द करने की घोषणा की। 

खराब मौसम के कारण कई कोविड-19 जांच और टीकाकरण केंद्र भी बंद रहे। सोमवार देर रात को निकोलस फ्रीपोर्ट से करीब 75 किलोमीटर दूर दक्षिणपश्चिम में स्थित था। राष्ट्रीय तूफान केंद्र ने बताया कि तूफान 17 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उत्तर-उत्तरपूर्व की ओर बढ़ रहा है और उसके रातभर आगे बढ़ने की उम्मीद है। 

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तालिबान के समर्थन में छात्राओं ने निकाली रैली, आतंकी संगठन के फरमान को ठहराया सही

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जहां अफगान महिलाओं ने तालिबान के खिलाफ अपने अधिकारों और देश भर में सरकार में भागीदारी के लिए कई विरोध प्रदर्शन किए हैं, वहीं इसके विपरीत कुछ महिलाओं ने काबुल में इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान (आईईए) के समर्थन में एक प्रदर्शन का आयोजन किया। खामा न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, काबुल में सड़कों पर उतरने से पहले विश्वविद्यालय के व्याख्याताओं और छात्राओं ने शिक्षा विश्वविद्यालय में एक सभा की थी।
काबुल में अन्य प्रदर्शनों के विपरीत, यह दूसरा सर्व-महिला विरोध है जो अहिंसक था और पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से कवर करने की अनुमति थी। प्रदर्शनकारियों ने हाल ही में महिला प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई तथाकथित हिंसा की निंदा की और आईईए को अपना पूर्ण समर्थन व्यक्त किया।

महिलाओं ने सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों में लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग कक्षाओं की योजना का भी स्वागत किया और प्रतिज्ञा की कि वे आईईए को मजबूत करने के लिए काम करेंगी।

इससे पहले सैकड़ों महिलाएं कुंदुज प्रांत में जमा हुई थीं और तालिबान नेतृत्व के समर्थन के लिए विरोध प्रदर्शन किया था।

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जापान ने 6 देशों में आत्मघाती हमला होने के संबंध में अपने नागरिकों को चेतावनी जारी की

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जापान के विदेश मंत्रालय ने अपने नागरिकों से सोमवार को कहा कि वे छह दक्षिण एशियाई देशों में धार्मिक और भीड़भाड़ वाली जगहों से दूर रहें क्योंकि ऐसे स्थानों पर हमला हो सकता है। मंत्रालय ने कहा कि उसे सूचना मिली है कि ऐसे स्थानों पर आत्मघाती हमला किया जा सकता है। इंडोनेशिया, फिलीपीन, सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड और म्यांमा जाने वाले जापानियों के लिए यह परामर्श जारी किया गया है।

हालांकि, इन देशों ने इस परामर्श पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि उन्हें ऐसे किसी खतरे या जापान को यह सूचना कहां से मिली, इसकी जानकारी नहीं है। थाईलैंड के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता तानी संग्रत ने कहा कि जापान ने इस चेतावनी के पीछे की जानकारी का स्रोत नहीं बताया है।

उन्होंने कहा कि जापानी दूतावास ने सिर्फ इतना कहा कि यह केवल थाईलैंड के लिए नहीं है, और इससे ज्यादा जानकारी नहीं दी। थाईलैंड की पुलिस ने भी ऐसे किसी खतरे की सूचना होने से इनकार किया है। इसी प्रकार, फिलीपीन के विदेश मंत्रालय ने भी इसकी जानकारी नहीं होने की बात कही।

जापान ने दक्षिणी द्वीप के पास संदिग्ध चीनी पनडुब्बी देखी

जापान ने एक दक्षिणी जापानी द्वीप के पास एक पनडुब्बी का पता लगाया है जिसके चीनी होने का संदेह है। रक्षा मंत्रालय ने रविवार को यह जानकारी दी। चीन द्वारा अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ाए जाने के साथ ही जापान ने पूर्वी चीन सागर में सतर्कता का स्तर बढ़ा दिया है। पनडुब्बी पानी के भीतर ही है लेकिन मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पनडुब्बी चीन की मालूम होती है क्योंकि पनडुब्बी के पास चीनी लुयांग 3 मिसाइल विध्वंसक पोत है।

मंत्रालय ने बताया कि पनडुब्बी जापान द्वारा नियंत्रित विवादित पूर्वी चीन सागर द्वीपों से लगभग 700 किलोमीटर (420 मील) उत्तर पूर्व में अमामीओशिमा द्वीप के पूर्वी तट से उत्तर-पश्चिम की तरफ बढ़ रही है। इस सागर पर चीन भी दावा करता है। पनडुब्बी रविवार सुबह पूर्वी चीन सागर में पश्चिम की तरफ बढ़ रही थी। न तो पनडुब्बी ने और न ही पोत ने जापानी जल क्षेत्र में प्रवेश किया।

बता दें कि, अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत, दूसरे देश के तट से गुजरने वाली पनडुब्बियों को राष्ट्रीय ध्वज दिखाने की आवश्यकता होती है। जापान के समुद्री आत्मरक्षा बल ने प्रारंभिक चेतावनी देने और सूचना एकत्र करने के लिए क्षेत्र में तीन टोही विमान और दो विध्वंसक भेजे। जून 2020 में भी चीनी मानी जाने वाली एक पनडुब्बी को इस क्षेत्र में देखा गया था।

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9/11 हमला: 19 में से 15 आतंकी जिस देश के थे जानिए वहां क्या कुछ बदला

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अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को आतंकी हमलों के बाद सऊदी अरब में काफी कुछ बदल चुका है। हमलों को अंजाम देने के लिए विमानों के 19 अपहर्ताओं में से चार को छोड़कर सभी सऊदी अरब के नागरिक थे, और अलकायदा के प्रमुख और हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन का भी यह जन्मस्थान था। पिछले दो दशकों में सऊदी अरब ने अपनी ही जमीन पर अलकायदा के खतरे का सामना किया है, अपनी पाठ्यपुस्तकों में सुधार किया है, आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाने के लिए काम किया है और आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अमेरिका के साथ भागीदारी की है।

आज सऊदी अरब की अमेरिका के साथ करीबी संबंध हैं और खाड़ी के प्रथम युद्ध के बाद से सऊदी में अमेरिकी सेना की भी मौजूदगी है और इस वजह से चरमपंथी समूहों ने सऊदी को भी निशाना बनाया है। वाशिंगटन में सऊदी अरब दूतावास के प्रवक्ता फहद नजर ने कहा, ‘‘यह महसूस करना महत्वपूर्ण है कि 11 सितंबर को अमेरिका पर हमला करने वाले आतंकवादियों ने कई मौकों पर सऊदी अरब के लोगों, नेतृत्व, सैन्य कर्मियों और यहां तक कि मक्का और मदीना में हमारे सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाया है।’’

क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के ‘‘उदार इस्लाम’’ का रास्ता अपनाने की घोषणा के बाद 2017 में सऊदी अरब ने निवेशकों को भी आमंत्रित करना शुरु किया। अमेरिका में अनगिनत लोगों के लिए सऊदी अरब हमेशा के लिए 9/11, वर्ल्ड ट्रेड टावर्स के तबाह होने और लगभग 3,000 लोगों की मौत के साथ जुड़ा रहेगा। पीड़ितों के परिवार आज भी न्यूयॉर्क में सऊदी सरकार को जवाबदेह ठहराने की कोशिश कर रहे हैं और उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडन से हमलों से संबंधित कुछ दस्तावेजों को सार्वजनिक करने का आग्रह किया, जबकि सऊदी सरकार इस बात पर जोर देती रही है कि मिलीभगत का कोई भी आरोप ‘‘स्पष्ट रूप से झूठा’’ है।

आतंकी हमले के बाद के दो दशकों में सऊदी अरब और दुनिया सोशल मीडिया, इंटरनेट से काफी जुड़ चुकी है। सऊदी अरब में हालांकि, बड़े पैमाने पर पीढ़ीगत बदलाव भी हो रहा है। सउदी अरब की एक तिहाई से अधिक आबादी 14 वर्ष से कम उम्र की है, जिनका जन्म आतंकी हमले के वर्षों बाद हुआ है। देश की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। लॉस एंजिलिस में काम करने वाले 33 वर्षीय सऊदी फिल्म निर्माता, अभिनेता और लेखक हिशाम फगेह ने कहा, ‘‘मेरा दृष्टिकोण है कि युवा पीढ़ी के पास काफी अवसर हैं। चुनौती यह होगी कि हम अपने सभी हिस्सों अतीत, वर्तमान और भविष्य को कैसे एकजुट करें।’’

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डेनमार्क ने लगभग सभी कोविड प्रतिबंध हटाए

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कोपेनहेगन: डेनमार्क ने कोविड-19 को ‘सामाजिक रूप से गंभीर’ से ‘आमतौर पर खतरनाक’ बीमारी के रूप में पुर्नवर्गीकृत किया है। फेस मास्क के अनिवार्य उपयोग और ‘कोरोना पास’ को लागू करने सहित लगभग सभी प्रतिबंध हटा लिए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्री मैग्नस ह्यूनिके ने शुक्रवार को डेनिश ब्रॉडकास्टर टीवी2 को बताया, “रोजमर्रा की जिंदगी काफी हद तक सामान्य हो गई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई खतरा नहीं है।” समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, उन्होंने कहा कि आबादी के बीच उच्च टीकाकरण दर के साथ, ‘हम एक अच्छी जगह पर हैं।’पिछले 24 घंटों में, डेनमार्क के स्टेटन्स सीरम इंस्टीट्यूट (एसएसआई), देश की संक्रामक रोग एजेंसी, ने 557 नए मामले और चार मौतें दर्ज कीं, जिससे राष्ट्रीय कुल 351,553 संक्रमण और 2,608 मौतें हुईं। फिर भी, प्रतिबंधों के गायब होने के बारे में जनता की मिली-जुली भावनाएं थीं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 27 अगस्त को कहा, “महामारी नियंत्रण में है, हमारे पास रिकॉर्ड उच्च टीकाकरण दर है। इसलिए, हम कुछ विशेष नियमों को छोड़ सकते हैं जिन्हें हमें कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई में पेश करना था।”समाज में अभी प्रचलित होने के बावजूद, सरकार द्वारा अब कोरोनावायरसको कम सामाजिक रूप से विघटनकारी माना जाता है और इसलिए इसे इन्फ्लूएंजा के समान ‘आमतौर पर खतरनाक बीमारी’ के रूप में लेबल किया गया है। कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी अस्पताल में वायरल बीमारियों के प्रोफेसर जेन्स लुंडग्रेन ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ को बताया, “फिलहाल, मुझे लगता है कि हमारे पास प्रतिबंध हटाने का समर्थन करने का कारण है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम बाद में प्रतिबंधों पर वापस नहीं जाएंगे।”उन्होंने कहा, “यही कारण है कि डेनमार्क में अब एक व्यापक निगरानी गतिविधि लागू की जा रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम महामारी के संभावित बिगड़ने के शुरूआती संकेतों को पकड़ सकें।” स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कुछ “मामूली प्रतिबंध अभी अपशिष्ट जल, चिकित्सा प्रतिष्ठानों और देखभाल घरों में प्रवेश प्रतिबंध के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करने के लिए हवाई अड्डों और जहाज पर विमानों पर फेसमास्क की आवश्यकता के आसपास लागू होंगे।”

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि डेनमार्क ने प्रतिबंधों की समाप्ति के बावजूद नए प्रकारों से निपटने के लिए नए विकसित प्रकारों सहित ‘लाखों टीकों’ के लिए और आदेश दिए हैं। ह्यूनिके ने लोगों से ‘कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले अन्य नागरिकों को संक्रमण फैलाने से बचने’ के लिए टीका लेने का अनुरोध किया। शुक्रवार को, एसएसआई ने बताया कि 75.6 प्रतिशत आबादी या 4,428,948 लोगों ने पहले ही टीकाकरण प्रक्रिया शुरू कर दी। उनमें से 4,282,637 या 73.1 प्रतिशत लोगों को पूरी तरह से टीका लगाया गया है।

लुंडग्रेन ने कहा, “कोविड -19 एक घातक बीमारी बनी हुई है और यह हर कोई जानता है। लेकिन हमारे पास इसे नियंत्रित करने के लिए एक बहुत ही प्रभावी हथियार है, जिसका नाम है टीकाकरण। इसलिए, हमें टीकाकरण के लिए गैर-टीकाकरण को प्रोत्साहित करना जारी रखना चाहिए।” डेनिश स्वास्थ्य प्राधिकरण (एसएसटी) ने कहा है कि 90 फीसदी आबादी को 1 अक्टूबर तक कोविड-19 के खिलाफ टीका लगाया जाना चाहिए। एसएसआई के अनुसार, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, अतिरिक्त 174,000 लोगों को सितंबर के दौरान खुराक मिलनी चाहिए।

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तालिबान के नाम पर दुनिया को पाकिस्तान की धमकी, कहा- अलग-थलग करने के होंगे गंभीर परिणाम

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इस्लामाबाद: दुनिया भर से बैन से बचने के लिए पाकिस्तान के नेता कुछ दिन पहले तक हक्कानी नेटवर्क, तालिबान, जैश ए मोहम्मद जैसे संगठनों का नाम लेने से भी बचते थे अब वही नेता दुनिया को तालिबान का डर दिखा रहे हैं। तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों के गुण गा रहे हैं। एक ओर तो पाकिस्तान तालिबान की सरकार के लिए दुनिया भर से सपोर्ट की अपील कर रहा है और दूसरी ओर धमकी भी दे रहा है कि अगर दुनिया अफगानिस्तान की सरकार को सपोर्ट नहीं करेगा तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

तालिबान का डर दिखा रहा पाकिस्तान

पाकिस्तान के विदेश मंत्री के शाह महमूद कुरैशी ने कहा, अफगानिस्तान को अलग-थलग करने के गंभीर परिणाम होंगे और वो अफगान जनता, क्षेत्र और दुनिया के लिए सहायक नहीं होंगे। डराने-धमकाने, दबाव और बलप्रयोग की नीति काम नहीं आई। हमने अफगानिस्तान के संबंध में नई सकारात्मक सोच अपनाई है। अफगानिस्तान में नई स्थिति को पहचाना जाए और शांति के लिए तालिबान के साथ संवाद कायम किया जाए। कुरैशी ने स्पेन के विदेश मंत्री जोस मैनुअल अलबेयर्स के साथ जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह टिप्पणी की। पाकिस्तान के मंत्री ने कहा कि उन्हें लगता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान में नई वास्तविकताओं को मानने की कोई जल्दी नहीं है और लोग आराम से देख रहे हैं और इंतजार कर रहे हैं।

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