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एक भारत उत्कृष्ट भारत

भारतीय दूतावास ने दी सफाई, सुब्रमण्‍यम स्‍वामी की भारतीय सेना भेजने की सलाह पर भड़के श्रीलंकाई

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डिजिटल भारत: भारतीय सेना भेजने की सुब्रमण्‍यम स्‍वामी की मांग पर श्रीलंका के लोग भड़क गए हैं। यही नहीं श्रीलंका में भारतीय दूतावास ने स्‍वामी के बयान से पल्‍ला झाड़ लिया है और कहा कि यह भारत सरकार की स्थिति के अनुरूप नहीं है। इससे पहले राजपक्षे परिवार के बेहद करीबी स्‍वामी ने कहा था कि गोटाबाया और महिंदा राजपक्षे स्‍वतंत्र चुनाव में शानदार बहुमत के साथ चुने गए हैं। उन्‍होंने सवाल किया कि कैसे भारत एक भीड़ को एक वैध सरकार को पलटने की अनुमति दे सकता है ?

स्‍वामी के इस बयान पर श्रीलंका के सोशल मीडिया पर अफवाहों का बाजार गरम हो गया। इन अफवाहों को खत्‍म करने के लिए श्रीलंका में भारतीय दूतावास ने बयान जारी करके स्‍वामी के बयान पर सफाई दी। भारतीय दूतावास ने साफ किया, ‘उच्‍चायोग मीडिया और सोशल मीडिया के एक धड़े में अटकलों के आधार पर चल रही रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज करता है कि भारत श्रीलंका में अपनी सेना भेजने जा रहा है। ये खबरें और इस तरह के विचार भारत सरकार की स्थिति के अनुसार नहीं हैं।’ राजपक्षे सैन्‍य मदद चाहते हैं तो भारत करे: स्‍वामी
भारतीय दूतावास ने कहा, ‘विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता ने स्‍पष्‍ट रूप से जोर देकर कहा है कि भारत का रुख श्रीलंका के लोगों के साथ है जो समृद्धि के लिए अपनी आकांक्षाओं को वास्‍तविक रूप देना चाहते हैं और लोकतांत्रिक तरीके और मूल्‍यों के जरिए प्रगति चाहते हैं।’ इससे पहले श्रीलंका के हालात को देखते हुए स्‍वामी ने यह भी कहा था कि अगर ऐसा रहा तो पड़ोस में कोई भी लोकतांत्रिक देश सुरक्ष‍ित नहीं रहेगा। स्‍वामी ने कहा, ‘अगर राजपक्षे भारत की सैन्‍य मदद चाहते हैं तो हमें उन्‍हें निश्चित रूप से देना चाहिए।’
स्‍वामी ने यह भी दावा किया कि श्रीलंका में वर्तमान संकट को पैदा किया गया है। भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह भीड़ भारत में शरणार्थी न बन जाए। भारतीय सेना को भेजने की सलाह पर स्‍वामी के खिलाफ श्रीलंका के लोग सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल करने लगे। इस पर स्‍वामी भड़क गए। उन्‍होंने कहा कि यह अच्‍छी बात है कि भारतीय ट्विटर पर आमतौर पर सभ्‍य भाषा का इस्‍तेमाल कर रहे हैं लेकिन श्रीलंकाई भीड़ बहुत क्रूर, अश्‍लील और असभ्‍य है। स्‍वामी और राजपक्षे परिवार के बीच बहुत ही करीबी संबंध रहे हैं। अक्‍सर राजपक्षे परिवार के निमंत्रण पर स्‍वामी श्रीलंका जाते रहते थे।

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अफगानिस्तान में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया , अफगानिस्तान के खोस्त शहर से करीब 44 किलोमीटर दूर था भूकंप का केंद्र

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डिजिटल भारत : बुधवार को अफगानिस्तान की धरती भूकंप के झटकों से हिल गई। यहां 6.1 तीव्रता का भूकंप आया। आपदा प्रबंधन अधिकारियों के मुताबिक, भूकंप के कारण देश में कम से कम 250 लोगों की मौत हुई है। मौत का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है इसके अलावा करीब 150 लोगों के घायल होने की सूचना है।भूकंप के झटके बाद लोग दहशत में आ गए और सड़कों पर निकल आए। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के खोस्त शहर से करीब 44 किलोमीटर दूर था और 51 किलोमीटर की गहराई में था।

ये भूकंप इतना तेज था कि पड़ोसी देश पाकिस्तान के लाहौर, मुल्तान, क्वेटा में भी लोगों को झटके महसूस हुए। इसके अलावा भारत में भी झटके महसूस किए जाने की खबर है

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यूक्रेन के एक और शहर पर रूस का कब्जा, मेयर को भी कर लिया अगवा; जेलेंस्की ने किया दावा

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रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से क्या आ सकती है वैश्विक मंदी?

रूसी सेनाएं तेजी से कीव को कब्जा करने की ओर बढ़ रही हैं और उससे पहले आसपास के शहरों पर वह नियंत्रण करने में जुटी है। इस बीच यूक्रेन ने आरोप लगाया है कि मेलिटोपोल पर कब्जा करने के साथ ही रूसी सेना ने शहर के मेयर इयान फेडोरोव को भी अगवा कर लिया है। यूक्रेन का कहना है कि फेडोरोव ने उनसे सहयोग करने से इनकार कर दिया था और उसके बाद उन्हें रूसी सेना ने अगवा कर लिया। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि मेयर को अगवा करना लोकतंत्र के खिलाफ है और वॉर क्राइम जैसा है।

राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा, ‘मेलिटोपोल के मेयर की किडनैपिंग लोकतंत्र के खिलाफ युद्ध अपराध है। मैं बताना चाहता हूं कि रूस की इस हरकत के बारे में दुनिया के लोकतांत्रिक देशों के 100 फीसदी लोग जानेंगे।’ शनिवार को सुबह कीव में कई धमाकों की आवाज सुनी गई। शहर के बाहरी इलाकों इरपिन और होस्टोमेल में इस बीच कड़ा संघर्ष चल रहा है और रूसी सेना तेजी से आगे बढ़ रही है।

यूक्रेन के साथ संघर्ष में जेलेंस्की की ही रणनीति अपना ली है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वॉलंटियर्स को यूक्रेन के युद्ध में जाने की मंजूरी दे दी है। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष का आज 17वां दिन है और लगातार युद्ध जारी है। इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि युद्ध के चलते कोरोना वायरस के केसों में इजाफा हो सकता है। संस्था ने कहा कि इस युद्ध के चलते पलायन हो रहा है। यूक्रेन में वैक्सीनेशन का आंकड़ा बेहद कम है और उसके चलते दूसरे देशों में जाने वाले लोगों से कोरोना का विस्फोट हो सकता है।

वैश्विक मंदी?

 ‘स्टैगफ्लेशन’ और तेल की क़ीमतों पर असर

रूस और यूक्रेन में युद्ध के बीच दुनिया भर में अर्थव्यवस्था को लेकर भी चिंता जन्म ले रही है, मगर जानकारों का मानना है कि जंग के बावजूद इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था तरक्की की राह पर रहेगी. हालांकि उनका ये भी कहना है कि युद्ध का असर दुनिया के हर कोने में महसूस किया जाएगा.

लेकिन असर कितना बुरा रहेगा, ये इस बात पर निर्भर करता है कि युद्ध कितना लंबा खिंचता है, वैश्विक बाज़ार अभी जिस उथलपुथल से गुज़र रहा है वो कुछ समय की बात है या इसका असर लंबे वक्त तक रहेगा.

यहाँ हम ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि इस युद्ध का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कितना बड़ा असर पड़ेगा, और क्या इस कारण वैश्विक मंदी आ सकती है.

अलग जगहों पर अलग असर

ब्रिटेन में मौजूद कंसल्टेन्सी कंपनी ऑक्सफ़ोर्ड इकोनॉमिक्स के अनुसार रूस और यूक्रेन के लिए युद्ध का आर्थिक परिणाम ‘नाटकीय’ होगा लेकिन दुनिया के बाकी मुल्कों के लिए ये एक जैसा नहीं होगा.

ईंधन के मामले में पोलैंड अपनी ज़रूरत का आधा रूस से आयात करता है. वहीं तुर्की अपनी ज़रूरत का एक तिहाई कच्चा तेल रूस से लेता है.

इनके मुक़ाबले रूस के साथ अमेरिका का व्यापार उसके जीडीपी का केवल 0.5 फ़ीसदी है. चीन के लिए ये आंकड़ा 2.5 फ़ीसदी है. ऐसे में ये कहा जा सकता है कि इन दोनों पर रूस-यूक्रेन संकट का अधिक असर नहीं पड़ेगा.

ऑक्सफ़ोर्ड इकोनॉमिक्स में ग्लोबल मैक्रो रीसर्च के निदेशक बेन मे कहते हैं कि वैश्विक आर्थिक विकास की बात करें तो अनुमान लगाया जा रहा है कि युद्ध के कारण इसकी रफ़्तार 0.2 फ़ीसदी कम हो सकती है, यानी ये 4 फ़ीसदी से कम हो कर 3.8 फ़ीसदी रह सकती है.

वो कहते हैं, “लेकिन ये इस बात पर निर्भर करता है कि युद्ध कितना लंबा खिंचता है. स्पष्ट तौर पर अगर ये युद्ध अधिक दिन चला तो इसका असर भयानक हो सकता है.”

बढ़ेंगी खाद्यान्न की क़ीमतें

युद्ध का असर खाने के सामान की कीमतों पर भी पड़ सकता है, वो इसलिए क्योंकि रूस और यूक्रेन दोनों ही कृषि उत्पाद के मामले में आगे हैं.

स्टेलेनबॉश यूनवर्सिटी और जेपी मॉर्गन में कृषि अर्थशास्त्र में सीनियर रीसर्चर वेन्डिल शिलोबो के अनुसार दुनिया में गेहूं के उत्पादन का 14 फ़ीसदी रूस और यूक्रेन में होता है, और गेंहू के वैश्विक बाज़ार में 29 फ़ीसदी हिस्सा इन दोनों देशों का है. ये दोनों मुल्क मक्का और सूरजमुखी के तेल के उत्पादन में भी आगे हैं.

यहां से होने वाला निर्यात बाधित हुआ तो इसका असर मध्यपूर्व, अफ़्रीका और तुर्की पर पड़ेगा.

लेबनान, मिस्र और तुर्की गेहूं की अपनी ज़रूरत का बड़ा हिस्सा रूस या फिर यूक्रेन से खरीदते हैं. इनके अलावा सूडान, नाइज़ीरिया, तन्ज़ानिया, अल्ज़ीरिया, कीनिया और दक्षिण अफ्रीका भी अनाज की अपनी ज़रूरतों के लिए इन दोनों देशों पर निर्भर हैं.

दुनिया की बड़ी खाद कंपनियों में से एक यारा के प्रमुख स्वेन टोरे होलसेथर कहते हैं, “मेरे लिए सवाल ये नहीं है कि क्या वैश्विक स्तर पर खाद्य संकट पैदा हो सकता है, मेरे लिए सवाल है ये है कि ये संकट कितना बड़ा होगा.”

कच्चे तेल की कीमतों के कारण खाद की कीमतें पहले ही बढ़ गई हैं. खाद के मामले में भी रूस दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में शुमार है.

होलसेथर ने बीबीसी को बताया, “इस मामले में युद्ध से पहले भी हम मुश्किल स्थिति में हैं. दुनिया की आधी आबादी को अनाज मिल पाने की एक बड़ी वजह है खाद. अगर आप खेती से खाद को हटा देंगे तो कृषि उत्पादन घटकर आधा रह जाएगा.”

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आज-कल में भारत आएंगे 7400 स्टूडेंट्स, ‘ऑपरेशन गंगा’ को किया तेज

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डिजिटल भारत I यूक्रेन संकट के बीच भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन गंगा’ को तेज कर दिया है। यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के मिशन पर विदेश मंत्रालय ने अगले 24 घंटों के लिए 18 उड़ानें निर्धारित की गई हैं। नागर विमानन मंत्रालय के अनुसार, आज और कल में विशेष उड़ानों से यूक्रेन के पड़ोसी देशों से 7,400 से अधिक भारतीयों को लाया जाएगा।

आज-कल में भारत आएंगे 7400 स्टूडेंट्स

नागर विमानन मंत्रालय ने बताया कि आज और कल में विशेष उड़ानों से यूक्रेन के पड़ोसी देशों से 7,400 से अधिक भारतीयों को वापस लाया जाएगा। बताया जा रहा है कि आज करीब 3,500 भारतीय अपने आ रहे है। वही शनिवार को 3,900 से अधिक भारतीयों की घर वापसी होगी। मंत्रालय के अनुसार, नागरिकों को लाने वाली उड़ानों की संख्या बढ़ायी जा रही है और अगले दो दिनों में विशेष उड़ानों के जरिए 7,400 से अधिक लोगों के आने की उम्मीद है। भारत सरकार के ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत अगले 24 घंटों में 18 विमानों की दिल्ली, मुंबई और हिंडन में लैंडिंग होगी।

पाकिस्तानी छात्र भारतीय झंडा लेकर निकले

इस बार भी यूक्रेन संकट में पाकिस्तानी छात्र भारत के झंडे लेकर युद्धग्रस्त इलाके से निकल रहे हैं। पाकिस्तान के छात्रों ने बताया था कि उन्हें यूक्रेन से निकलने के लिए काफी मुसीबत का सामना करना पड़ा। पाकिस्तान अपने नागरिकों को वहां से निकालने में सफल नहीं हो रहा है इसलिए वहां के छात्र भारतीय तिरंगा लेकर छात्रों के साथ वहां से निकल रहे हैं।

दिल्ली और मुंबई पर लैंड हुए एयर इंडिया और इंडिगो के विमान

शुक्रवार तड़के महाराष्ट्र के मुंबई एयरपोर्ट पर एयर इंडिया के विमान लैंड हुए। एयरपोर्ट पर केंद्रीय रेल राज्यमंत्री रावसाहेब दानवे ने छात्रों का स्वागत किया। इंडिगो का विमान यूकेन में फंसे भारतीय छात्रों को लेकर रोमानिया के बुखारेस्ट से दिल्ली के हवाई अड्डे पहुंचा। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने छात्रों का स्वागत किया। वहीं, स्टूडेंट्स ने पीएम नरेंद्र मोदी को भी धन्यवाद कहा। भारत सरकार के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट करके बताया कि शुक्रवार को यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को लेकर 18 विमान आ रहे हैं।

रूस भी देगा भारत को सुरक्षित गलियारा

खारकीव समेत यूक्रेन के कई बड़े शहरों में रूस ने हमले तेज कर दिए हैं। यूक्रेन में बिगड़ते हालत के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने बुधवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की। पीएम मोदी ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए पुतिन से चर्चा की। उधर, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन की सेना पर बड़ा आरोप लगाते हुए पीएम मोदी से कहा कि यूक्रेनी सेना ने वहां मौजूद भारतीय छात्रों को बंधक बना लिया है और उन्हें मानव शील्ड के तौर पर प्रयोग कर रहे हैं। इसके साथ यूक्रेन की सेना भारतीयों को रूसी क्षेत्र में जाने से रोक रही है। रूस ने बयान जारी कर कहा कि भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाले जाने के लिए रूसी सशस्त्र बल हर जरूरी कदम उठाने के लिए तैयार हैं। भारत जैसे चाहेगा, वैसे हम उन्हें (भारतीय नागरिकों) रूसी क्षेत्र से अपने खुद के मिलिट्री ट्रांसपोर्ट प्लेन या भारतीय विमान से उनके घर भेजने को तैयार हैं।’

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डब्ल्यूएचओ ने फिर चेताया : संक्रमण की तेजी सभी पुराने रिकॉर्ड घ्वस्त कर रही, ओमिक्रॉन से हो रहीं मौतें

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को आगाह किया कि कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को हल्के में नहीं लेना चाहिए। संगठन के महानिदेशक टेड्रॉस अदनाम गैब्रेयसस ने कहा, इसके संक्रमितों की अस्पतालों में मौत भी हो रही है। इस हालात में ओमिक्रॉन को कम खतरनाक बताना ही सबसे बड़ा खतरा बन गया है।

गैब्रेयसस ने कहा, डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन को कम खतरनाक बताया जा रहा है, खासतौर पर टीका लगवा चुके लोगों के लिए। जबकि, इसे हल्के वैरिएंट के तौर पर वर्गीकृत नहीं किया गया है, यह वैरिएंट ऑफ कन्सर्न है, जो डेल्टा की तरह ही लोगों को बीमार कर रहा है व लोग मर रहे हैं। संक्रमण की सुनामी से पूरी दुनिया में स्वास्थ्य ढांचा चरमरा रहा है।

बीते एक सप्ताह में ही डब्ल्यूएचओ ने संक्रमण के 95 लाख नए मामले दर्ज किए हैं, यह आंकड़े सिर्फ शुरुआती हैं, क्योंकि बहुत से जगहों से जांच के नतीजे मिलने में भी देरी हो रही है। मोटे तौर पर बीते एक सप्ताह में एक करोड़ से ज्यादा लोगों के संक्रमित होने का अनुमान है।

डब्ल्यूएचओ चाहता था, दिसंबर 2021 तक सभी देश अपनी आबादी के 40 फीसदी लोगों का पूर्ण टीकाकरण कर लें, लेकिन डब्ल्यूएचओ के 194 सदस्य देशों में से 92 इस लक्ष्य को हासिल नहीं कर सके। इनमें से 36 तो 10 फीसदी भी टीकाकरण नहीं कर सके।

अब डब्ल्यूएचओ ने 2022 के मध्य तक सभी देशों को अपनी आबादी के 70 फीसदी लोगों का टीकाकरण करने का लक्ष्य दिया है। इस असमानता पर टेड्रॉस ने कहा, वैक्सीन असमानता लोगों और रोजगार की हत्या है, जिससे वैश्विक आर्थिक सुधार के प्रयास कमजोर हो रहे हैं। अमीर देशों में बूस्टर डोज से महामारी खत्म नहीं होगी, इससे पूरी दुनिया असुरक्षित बनी रहेगी।

ओमिक्रॉन से ज्यादा संक्रामक स्वरूप

डब्ल्यूएचओ की कोविड-19 तकनीकी प्रमुख मारिया वान केरखोव का कहना है कि ओमिक्रॉन आखिरी चिंताजनक वैरिएंट नहीं है। आने वाले दिनों में इससे भी अधिक संक्रामक वैरिएंट सामने आ सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के कोविड टूल फ्रंटमैन ब्रूस आयलवर्ड कहते हैं कि 2022 की समाप्ति महामारी में ही हो, यह जरूरी नहीं है। डब्ल्यूएचओ के आपात निदेशक माइकल रयान कहते हैं कि समान टीकाकरण के बिना 2022 के अंत तक दुनिया बड़ी त्रासदी की ओर बढ़ जाएगी।

ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने बताया ब्रिटेन में सेना की मदद

ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि देश में कोविड संक्रमण के रिकॉर्ड मामलों के कारण अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी हो गई है। दबाव का सामना करने वाले अस्पतालों की मदद के लिए सेना की तैनाती शुरू कर दी गई है। सरकार ने बताया कि तीन सप्ताह के लिए लंदन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा की सहायता के लिए सशस्त्र बल के 200 कर्मियों को तैनात किया है। ब्रिटेन में पिछले सप्ताह में हर दिन 150, 000 से अधिक नए मामले सामने आए हैं। टीकाकरण व ओमिक्रॉन के कम गंभीर होने के कारण इंग्लैंड नए प्रतिबंधों के बिना महामारी का सामना कर सकता है। हालांकि, स्टाफ की कमी से कुछ हफ्तों को चुनौतीपूर्ण बताया।

कैलिफोर्निया में अगले माह तक राहत संभव

कैलिफोर्निया में संक्रमण की वृद्धि को देखते हुए स्कूलों को बंद कर दिया है। हजारों पुलिसकर्मी, दमकलकर्मी, शिक्षक और स्वास्थ्यकर्मी संक्रमण की चपेट में हैं। हालांकि, लॉस एंजल्स काउंटी की सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक बारबरा फेरर कहती हैं कि फरवरी के अंत तक हालात सामान्य हो जाएंगे। कैलिफोर्निया में दो सप्ताह में संक्रमण पांच गुना बढ़ गया है। एक करोड़ की आबादी वाले राज्य के सबसे बड़े शहर लॉस एंजल्स में गुरुवार को अधिक नए मामले दर्ज किए गए।

चीन : संक्रमण मामलों को देख अस्पतालों को चेतावनी

चीन में शुक्रवार को संक्रमण के नए मामलों में कमी देखने को मिली, जो गुरुवार के 132 की तुलना में 116 ही रहे। वहीं, प्रशासन ने अस्पतालों को चेतावनी दी है कि किसी भी मरीज के इलाज से इनकार नहीं किया जाए। 13 लाख की आबादी वाले शहर जियान 16 दिन से लॉकडाउन लगा है। दरअसल, एक गर्भवती महिला दो घंटे तक अस्पताल के बाहर इलाज का इंतजार करती रही, इस दौरान बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई। इस घटना की चीन के सोशल मीडिया आलोचना हुई। लोगों का  गुस्सा भड़कता देख शहर के अधिकारियों को दंडित किया गया।

फ्रांस में लहर इसके बाद ही मिल सकेगी राहत फ्रांस में कोविड टीकाकरण के शीर्ष रणनीतिकार प्रोफेसर एलेन फिशर का दावा है कि मौजूदा दर से कोविड लहर फ्रांस में 10 दिनों शीर्ष पर पहुंच जाएगी। फिशर ने बताया कि जनवरी के दूसरे पखवाड़े की शुरुआत में फ्रांस में कोविड संक्रमण शीर्ष पर होगा, इसके बाद यह कम होने लगेगा।

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पंजाब में पीएम की सुरक्षा के मुद्दे पर कांग्रेस में दो फाड़, बड़े नेताओं के बयानों पर गौर कीजिए

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक के मामले में ‘जवाबदेही तय की जाएगी.’ ऐसी ‘लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती है.’

उन्होंने बताया है कि इस मामले में गृह मंत्रालय ने विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

इसके पहले, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक हुई है. गृह मंत्रालय ने बताया कि सुरक्षा चूक के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब के फ़िरोज़पुर की रैली में नहीं जा सके.

गृह मंत्री अमित शाह ने शाम को ट्वीट करके बताया, “पंजाब में आज सुरक्षा सेंध को लेकर गृह मंत्रालय ने विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

पंजाब के फिरोजपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर कांग्रेस में दो फाड़ नजर आ रहा है। एक तरफ पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला सहित कुछ नेताओं ने इस मु्द्दे पर पीएम मोदी को ही घेरने की कोशिश करते हुए इसे भाजपा का ड्रामा बताया। वहीं, कांग्रेस के एक धड़े ने पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक को गंभीर मामला करार देते हुए कार्रवाई और जांच की मांग की है।

पंजाब कांग्रेस में भी मतभेद

वहीं, पीएम की सुरक्षा में चूक मामले में पंजाब कांग्रेस में भी मतभेद साफ दिखा। फिरोजपुर शहर से कांग्रेस विधायक परमिंदर सिंह पिंकी ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री के साथ ऐसी घटना शर्मनाक है। कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी पंजाब के डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय की है, देश के प्रधानमंत्री के साथ ऐसी घटना हुई है। डीजीपी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

मनीष तिवारी बोले, हाईकोर्ट के जज करें जांच

पंजाब से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने साफ तौर पर इसे चूक करार दिया। तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा एक सक्रिय संसद द्वारा शासित होती है। प्रधानमंत्री और उनके परिवार को कैसे सुरक्षित किया जाना है, सुरक्षा में कोई चूक हुई है तो उसकी जांच हाईकोर्ट के मौजूदा जज से कराई जाए।

पिंकी ने कहा कि बठिंडा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत की जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री मनप्रीत सिंह बादल की थी और फिरोजपुर में प्रधानमंत्री के स्वागत की जिम्मेदारी उनकी और स्वास्थ्य मंत्री ओपी सोनी की थी। पिंकी ने कहा कि पुलिस मुलाजिम बारिश में अपनी ड्यूटी ठीक से कर रहे थे। जब पता था कि जिस रूट से प्रधानमंत्री आ रहे हैं, वहां पर प्रदर्शनकारी बैठे हैं तो डीजीपी की जिम्मेदारी बनती है कि उनका रूट बदला जाए। नियम के मुताबिक डीजीपी को खुद फिरोजपुर में होना चाहिए था, पर ऐसा हुआ नहीं। प्रधानमंत्री के साथ जो घटना हुई है इसकी जिम्मेदारी डीजीपी की है न की पंजाब सरकार की।

जाखड़ ने कहा था-ये स्वीकार्य नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा चूक पर पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी नाखुशी जताई थी। उन्होंने कहा था कि जो हुआ वह स्वीकार्य नहीं है। पंजाब के खिलाफ है। फिरोजपुर में भाजपा की राजनीतिक रैली को संबोधित करने के लिए प्रधानमंत्री के लिए एक सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित किया जाना चाहिए था। 

पंजाब में बड़ा ऐक्शनन होगा?

राष्ट्रंपति कोविंद से पीएम मोदी की मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हो गई है कि क्या  केंद्र सरकार कोई बड़ा ऐक्शटन लेने वाली है। पूर्व मुख्यीमंत्री कैप्ट न अमरिंदर सिंह ने पंजाब में राष्ट्र पति शासन लगाने की मांग की है। पंजाब के विपक्षी दलों ने भी एक सुर में पीएम में सुरक्षा में चूक की निंदा की है। हालांकि सीएम चन्नीं ने इन आरोपों का जिम्माि लेने से साफ इनकार कर दिया। पीएम मोदी को कोई खतरा नहीं था।

गृह मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट

गृह मंत्रालय ने इस गंभीर सुरक्षा चूक का संज्ञान लेते हुए पंजाब सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम और यात्रा की योजना के बारे में पंजाब सरकार को पहले ही जानकारी दे दी गयी थी। पंजाब सरकार को सड़क मार्ग से किसी भी यात्रा को सुरक्षित रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात करने चाहिए थे।

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एक्स्पर्ट्स की चेतावनी ये लक्षण दिखें तो फौरन डॉक्टोर से मिलें, ओमीक्रोन को आम सर्दी-जुकाम न समझें

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ओमीक्रोन को आम सर्दी-जुकाम समझना भूल होगी, एक्सकपर्ट्स ने चेताया

सांस लेने में तकलीफ, O2 में गिरावट दिखे तो फौरन अपने डॉक्टवर से मिलें

WHO एक्संपर्ट्स भी कह रहे, ओमीक्रोन उतना माइल्ड् नहीं जितना बता रहे

कोविड से जुड़ी सावधानियों के पालन में लापरवाही बरतना पड़ सकता है भारी

ओमीक्रोन के लक्षण क्याफ हैं?

•             खांसी (आम)

•             गले में खराश (आम)

•             बुखार (आम)

•             थकान (आम)

•             सिरदर्द (आम)

•             बदन दर्द (आम)

•             छींक आना (नहीं)

•             डायरिया (दुर्लभ)

•             नाक बहना (दुर्लभ)

•             सांस लेने में तकलीफ

•             ऑक्सिजन सैचुरेशन में गिरावट (कमरे की हवा में SpO2 94% से ज्याहदा होना चाहिए)

•             सीने में लगातार दर्द/दबाव महसूस हो

•             मेंटल कन्फ्यू जन या या प्रतिक्रिया न दे पाएं

•             अगर लक्षण 3-4 दिन से ज्याददा रहें या बिगड़ते जाएं

  कोरोना वायरस का अपडेटेड वर्जन यानी ओमिक्रॉन वैरिएंट संपूर्ण विश्व में लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है. ताजे वेरिएंट ने न केवल आम जनजीवन को प्रभावित किया है बल्कि एक बड़ा सवाल भी हमारे सामने मुंह बाये खड़ा है कि क्यावैक्सिनेशन के बावजूद निकट भविष्य में हमें कोरोना वायरस से मुक्ति नहीं मिल पाएगी? इस प्रश्न के यूं तो कई नकारात्मक जवाब मिल सकते हैं लेकिन एक बड़ी सच्चाई यही है कि यदि समय रहते सावधानी बरत ली जाए तो नए ओमिक्रॉन वैरिएंट को बड़ी ही आसानी के साथ इसे शिकस्त दी जा सकती है. क्योंकि भारत के कर्नाटक में ओमिक्रॉन वैरिएंट के दो मामले आ चुके हैं तो कहीं न कहीं हमारे लिए भी जरूरी हो जाता है कि हम इस वेरिएंट को पहचानें और उसी पहचान को आधार बनाकर इससे लड़ने के नए तरीके खोजें.

तो कुछ और बात करने से पहले हमारे लिए ओमिक्रॉन वैरिएंट के लक्षण को जान लेना बहुत जरूरी है. ओमिक्रॉन को समझ लेना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि इसे समझने के बाद ही इससे बचने के तरीके खोजना संभव है. तो आइए जानें कि क्या हैं ओमिक्रॉन वैरिएंट के लक्षण और किस तरह इसकी पहचान कर इससे बचा जा सकता है.

  जैसा कि हम बता चुके हैं ओमिक्रॉन वैरिएंट के दो मामले कर्नाटक में देखे गए हैं तो इसके लक्षण समझने के लिए हमें 46 साल के उस डॉक्टर का रुख करना पड़ेगा जो इस बीमारी की चपेट में आया है. डॉक्टर के विषय में दिलचस्प ये है कि वे एक सरकारी अस्पताल में कार्यरत हैं और इसमें भी हैरत में डालने वाली बात ये है कि उनकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है.

46 साल के डॉक्टर के अनुसार अभी बीते दिनों उन्हें बहुत अधिक थकान, कमजोरी और बुखार जैसे लक्षण दिखे जिसे उन्होंने गंभीरता से लिया और अपना टेस्ट कराया जोकि पॉजिटिव आया. रिपोर्ट्स पर यक़ीन करें तो उनकी साइकिल थ्रेशहोल्ड वैल्यू (CT value) कम थी जिसके बाद उनका सैंपल लैब भेजा गया. इनके संपर्क में आए 5 लोगों का भी टेस्ट पॉजिटिव आया है.

गौरतकब है कि भले ही WHO ने भी ओमिक्रॉन वेरिएंट को गंभीर मानते हुए इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न की संज्ञा दे दी हो लेकिन क्यों कि अभी ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर ठीक ठाक जानकारी हमारे पास नहीं है इसलिए कयासों पर भरोसा करना मजबूरी कम ज़रूरत ज्यादा है. आज भले ही लोग इस नए ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर डरे हों लेकिन कहा यही जा सकता है कि इससे बचाव संभव है.

बचाव कुछ वैसा ही है जैसा हमने कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान देखा. जिस तरह उसे हम वास्तविकता में लेकर आए. अंत में हम बस ये कहकर अपने द्वारा कही तमाम बातों को विराम देंगे कि जानकारी और जागरूकता के जरिये ही कोविड और उसके भाई बंधुओं को परास्त किया जा सकता है. वक़्त आ गया है कि लोगों को सरकार के नहीं बल्कि अपने भरोसे होना होगा और अपनी और अपने परिवार की हिफाजत करनी होगी.

अस्पेतालों में मरीज बढ़ा रहा ओमीक्रोन

अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंरट पल्मोरनोलॉजिस्टत, डॉ राजेश चावला ने कहा कि ओमीक्रोन से मृत्युय दर भले ही डेल्टाज से कम हो, फिर भी यह लोगों को अस्पकताल पहुंचा रहा है। उन्होंीने चेताते हुए कहा, ‘मेरे यहां तीन मरीज ऐसे हैं जिन्हेंे ऑक्सिजन सपोर्ट की जरूरत है। वे सभी फुली-वैक्सीलनेटेड हैं। ओमीक्रोन वेरिएंट अधिकतर अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट  में इन्फेरक्शंन करता है लेकिन डॉक्टरर्स का कहना है कि फेफड़ों में डैमेज के भी मामले सामने आए हैं, खास तौर से बुजुर्गों और डायबिटीज, हाइपरटेंशन जैसी को-मॉर्बिडिटीज वालों में।

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एयर इंडिया की संपत्ति जब्त, भारत सरकार के लिए तगड़ा झटका

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Air India assets seized भारत सरकार को कनाडा की एक कोर्ट में तगड़ा झटका मिला हैं। देवास मल्टीमीडिया के साथ चल रहे कई साल पुराने एक मुकदमे में कोर्ट के आदेश के बाद एयर इंडिया और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की संपत्तियां जब्त कर ली गई हैं। ये संपत्तियां कना़ड़ा के क्यूबेक प्रांत में इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पास रखी हुई थी।

कनाडा में की गई इस कार्यवाही को भारत सरकार के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा हैं। इस एक्शन से भारत को इंवेस्टमेंट के बेहतरीन डेस्टिनेशन के रूप में पेश करने के सरकार के प्रयासों को झटका लग सकता हैं। विदेशी निवेशकों के बीच इस फैसले का यह संदेश जा सकता है कि भारत इंवेस्टमेंट के लिए सुरक्षित नहीं हैं।

मामला इसरो की Antrix corp और देवास के बीच हुए एक सैटेलाइट सौदे से जुड़ा हुआ हैं, इस मामले में इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स की कोर्ट ने देवास के पक्ष में फैसला सुनाया था और भारत सरकार को 1.3 बिलियन डॉलर देने को कहा था। देवास के विदेशी शेयरहोल्डर्स इस फैसले को आधार बनाकर रिकवरी के लिए कनाडा और अमेरिका समेत कई देशों में भारत सरकार के खिलाफ अदालत की शरण में गए थे।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, क्यूबेक की कोर्ट ने इस मामले में 24 नवंबर और 21 दिसंबर को दो फैसले सुनाए थे। इनमें AAI और एयर इंडिया की संपत्तियां जब्त करने का आदेश दिया गया था, ताकि देवास मल्टीमीडिया के पक्ष में रिकवरी की जा सके। जिसके बाद AAI की लगभग 6.8 मिलियन डॉलर (करीब 50 करोड़ रुपये) की संपत्तियां क्यूबेक में जब्त कर ली गईं हैं। हालांकि, एयर इंडिया की कितनी संपत्तियां जब्त हुई हैं, इसका सटीक आंकड़ा अभी पता नहीं चला है। किन्तु बताया जा रहा है कि एयर इंडिया की 30 मिलियन डॉलर से अधिक की संपत्तियां जब्त की गई हैं, जो क्यूबेक प्रांत में इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पास रखी हुई

यह है मामला

पूरा मामला इसरो की एंट्रिक्स कॉरपोरेशन और देवास के बीच हुए एक सैटेलाइट सौदे से जुड़ा है, जिसे 2011 में निरस्त कर दिया गया था। इस मामले में इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स की कोर्ट ने देवास के पक्ष में फैसला सुनाया था। भारत सरकार को 1.3 अरब डॉलर देने का आदेश दिया था। देवास के विदेशी शेयरधारक इस फैसले को आधार बनाकर रिकवरी के लिए कनाडा और अमेरिका समेत कई देशों में भारत सरकार के खिलाफ अदालत गए थे। इसके बाद ये फैसला उनके पक्ष में आया है।

आदेश के विरुद्ध कानूनी रास्ता अपनाएगा एएआई

एएआई कनाडा की अदालत के आदेश को चुनौती देगा। एएआई के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, इस मामले में एएआई को कनाडा की क्यूबेक प्रांत की अदालत से कोई आदेश नहीं मिला है। हालांकि, एएआई के अनुरोध पर आईएटीए ने एएआई की ओर से ली गई राशि के स्थानांतरण को निलंबित करने के वास्ते कुछ दस्तावेज साझा किए हैं। प्रवक्ता ने कहा, इस आदेश को चुनौती देने के लिए एएआई कानूनी रास्ता अपना रहा है।

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क्या तीसरी लहर की हो चुकी शुरुआत? ओमिक्रॉन कोरोना संक्रमण मुंबई 70%, दिल्ली में 50% बढ़े

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बढ़ते संक्रमण के बीच मंत्रिपरिषद के साथ पीएम मोदी की बैठक चुनावी राज्यों की स्थिति पर चर्चा संभव

दिल्ली में येलो अलर्ट के बाद शादी और अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले लोगों की संख्या को घटा दिया गया है. इसके अलावा ट्रांसपोर्ट को लेकर भी कई पाबंदियां लगाई गई हैं.

कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रोन…एक बार फिर लोगों की दहशत बढ़ा रहा है. क्योंकि जैसे-जैसे वक्त बीत रहा है, ओमिक्रोन का संक्रमण रफ्तार पकड़ रहा है.

देश में ओमिक्रोन की स्थिति

कोरोना के वेरिएंट ओमिक्रोन (Omicron Variant) ने लोगों की टेंशन बढ़ा दी है. महाराष्ट्र और दिल्ली दो ऐसे राज्य हैं जहां ओमिक्रोन के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. ओमिक्रोन अब तक देश के 22 राज्यों में फैल चुका है और इसके कुल 655 मामले अब तक सामने आ चुके हैं. महाराष्ट्र में इसके 167 केस सामने आ चुके हैं जबकि दिल्ली में 165 मामले दर्ज हुए हैं.

दूसरे राज्यों की बात करें तो केरल में 57, तेलंगाना में 55, गुजरात में 49 और राजस्थान में 46 मामले सामने आए हैं. इसके अलावा, तमिलनाडु में 34, कर्नाटक में 31, मध्य प्रदेश में 9 और ओडिशा में 8 लोग ओमिक्रोन से संक्रमित हो चुके हैं. पुडुचेरी में भी ओमिक्रोन ने दस्तक दे दी है. वहां 2 लोग संक्रमित पाए गए हैं.

2 दिसंबर को देश में ओमिक्रोन का पहला केस आया था. 18 दिसंबर को 16 दिन में 100 केस हो गए. तीन दिन बाद 21 दिसंबर को 200 केस. फिर 2 दिन बाद 23 दिसंबर को 300 केस हो गए. फिर 2 दिन बाद 25 दिसंबर को 400 केस, अगले 2 दिन बाद 27 दिसंबर को 500 केस और फिर 1 दिन बाद 28 दिसंबर को 600 केस पार हो गए. यानि एक से 100 केस होने में 16 दिन लगे लेकिन 100 से 600 केस पार होने में सिर्फ 10 दिन का वक्त लगा. मतलब साफ है, ओमिक्रोन को हल्के में नहीं लेना चाहिए.

दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एक बार फिर पाबंदियों का दौर शुरू हो गया है. कोरोना वायरस और ओमिक्रोन पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने येलो अलर्ट लागू कर दिया है. इसके तहत शादी और अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले व्यक्तियों की संख्या घटा दी गई है. आइए जानते हैं अब दिल्ली में शादी समारोह में कितने लोग शामिल हो सकते हैं.

शादी में इतने लोगों को मिलेगी इजाजत

नई गाइडलाइंस के मुताबिक अब दिल्ली में शादी समारोह में सिर्फ 20 लोग ही शामिल हो सकेंगे. वहीं इसी तरह अंतिम संस्कार में भी 20 ही लोगों को शामिल होने की अनुमित दी जाएगी. वहीं धार्मिक स्थल खुले रहेंगे लेकिन यहां श्रद्धालुओं के आने पर पाबंदी लगाई जाएगी. साथ ही किसी भी सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक गतिविधियों पर भी रोक लगाई गई है.

ट्रांसपोर्ट को लेकर ये हैं नए नियम

वहीं कोविड केस बढ़ने के साथ ही ट्रांसपोर्ट को लेकर भी नए नियम बनाए हैं. नए नियमों के मुताबिक दिल्ली में टैक्सी, ऑटो, रिक्शा और ई-रिक्शा में दो ही लोगों को बैठने की इजाजत मिलेगी. इसके अलावा एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने वाली बसों में पचास फीसदी क्षमता के साथ ही यात्रियों को बैठने की अनुमति मिलेगी. 

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ट्यूनीशियाई की पहली महिला पीएम Romdhane, जाने बहा की महिलाओ की हालत

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डिजिटल भारत I ट्यूनिशिया के राष्ट्रपति ने बुधवार को एक ऐतिहासिक ऐलान किया। उन्होंने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री को नामित किया। राष्ट्रपति ने उनके पूर्वाधिकारी को बर्खास्त किए जाने के बाद एक अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए इंजीनियरिंग स्कूल की टीचर 63 साल की Najla Bouden Romdhane को इस पद के लिए चुना है। अरब देशों में यह पहली बार है जब किसी महिला को देश की कमान संभालने के लिए मिली है। शायद इसीलिए इन देशों में महिलाएं खुद पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं हैं क्योंकि उनका नेतृत्व हमेशा से पुरुषों ने किया। खैर.. जो सुर्खियां बनीं उनमें इसे ‘हैरान करने वाला फैसला’ बताया। आज जानेंगे कि क्या वाकई अरब की दुनिया में महिलाओं की स्थिति इतनी बुरी हो चुकी है कि एक महिला का प्रधानमंत्री बनना सभी को हैरान कर रहा है?

इंजीनिरिंग कॉलेज में प्रफेसर

पहली महिला पीएम Romdhane का जन्म देश के केंद्रीय प्रांत कैरौआन में हुआ था। वह नेशनल स्कूल ऑफ इंजीनियर्स में Geology की प्रफेसर हैं। आधिकारिक ट्यूनीशियाई न्यूज एजेंसी के मुताबिक प्रधानमंत्री बनने से पहले उच्च शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय ने उन्हें विश्व बैंक के साथ मिलकर कार्यक्रमों को लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। 2011 में उन्हें उच्च शिक्षा मंत्रालय में ‘गुणवत्ता’ के लिए महानिदेशक के पद पर नियुक्त किया गया।

दुनिया के विकसित देशों के साथ कदमताल करने के लिए कुछ अरब देश महिलाओं के लिए अवसर के दरवाजे खोज रहे हैं। हालांकि इसके पीछे इन देशों का स्वार्थ भी छिपा हुआ है। कर्मचारियों और मजदूरों को लेकर अरब देश आत्मनिर्भर होना चाहते हैं। सऊदी अरब ने 2030 तक 30 फीसदी महिला कर्मचारियों का लक्ष्य रखा है ताकि इसके लिए उन्हें प्रवासियों पर निर्भर न होना पड़े। कुवैत में महिला कर्मचारियों की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। वहीं खाड़ी में उच्च शिक्षा में महिलाएं की आबादी पुरुषों से अधिक है। महिलाओं की बेहतर स्थिति को लेकर जिस अरब की हम बात कर रहे हैं उसका मतलब खाड़ी क्षेत्र (GCC) से है। जहां महिलाएं सरकार में शामिल होती हैं और राजनीतिक फैसले लेती हैं।

महिलाओं की दूसरी तस्वीर जो मिडिल ईस्ट से नजर आती है वह इससे काफी अलग है। आज भी महिलाएं यहां कई तरह के सामाजिक और कानूनी प्रतिबंधों का सामना कर रही हैं। The Conversation की एक रिपोर्ट में पाया गया कि आज भी वे घरों पर ‘पारंपरिक महिलाओं’ की भूमिकाएं निभाने की मजबूर हैं। खाड़ी अरब में महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए 1930 में हुई तेल की खोज को काफी हद तक जिम्मेदार माना जा सकता है।

2015 में मिला वोटिंग का अधिकार

भारत या अन्य लोकतांत्रिक देशों की तरह सऊदी अरब में मूलभूत अधिकार महिलाओं को जन्म से नहीं मिले। इसके लिए उन्हें लंबा संघर्ष करना पड़ा। 1961 में लड़कियों के लिए पहला सरकारी स्कूल खुला और 1970 में पहली यूनिवर्सिटी। 2005 में देश ने जबरन विवाद पर रोक लगाई और 2009 में पहली सरकारी मंत्री की नियुक्ति की गई। साल 2012 में ओलंपिक की टीम में महिला एथलीट्स को जगह दी गई और वे बिना स्कार्फ के मैदान पर उतरीं। 2013 में उन्हें साइकिल चलाने के लिए मंजूरी मिली लेकिन इस दौरान उनके साथ किसी पुरुष का होना और पूरे कपड़े पहने होना जरूरी था।

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