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छिंदवाड़ा में कैलाश विजयवर्गीय ने कमलनाथ को ललकारा

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छिंदवाड़ा कमलनाथ के अभेद किले को भेदने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है। छिंदवाड़ा पहुंचे कैलाश विजयवर्गीय ने बड़ा बयान दिया है। चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि यह सब पार्टी के ऊपर है, पार्टी यदि अगर उन्हें आदेश देगी तो वह छिंदवाड़ा से जरूर चुनाव लड़ेंगे। इसके लिए वह पीछे नहीं हटेंगे। कैलाश विजयवर्गीय का नाम पिछली बार लोकसभा चुनाव के दौरान भी उछला था।

उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से कमलनाथ एक सशक्त नेता हैं। उनके पास धन बल है, उनके पास बाहुबल है और उनके पास, जनता को मोहने का मंत्र है। इन सारी चीजों की वजह से वह चुनाव जीतते आई हैं लेकिन मैं इस बार दावे से कह सकता हूं कि छिंदवाड़ा लोकसभा भी बीजेपी जीतेगी। उन्होंने छिंदवाड़ा में कहा कि बीजेपी सरकार की नीतियों और योजनाओं के कारण छिंदवाड़ा भी बीजेपी का गढ़ बनेगा। सरकार की योजनाओं के कारण हम गरीबों का उत्थान कर रहे हैं। इसलिए अब छिंदवाड़ा बीजेपी के नाम से पहचाना जाएगा।

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दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट से सांसद थे जॉर्ज फर्नांडिस

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मुंबई देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। हर पार्टी अपने- अपने स्तर पर तैयारियों में जुट गई है। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों के बाद महाराष्ट्र सीटों के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं। जिन पर अपना परचम लहराने के लिए बीजेपी ने कमर कस ली है। महाराष्ट्र की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी ने लोकसभा में खुद के लिए 45 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है। आज हम बात करेंगे मुंबई शहर के इसी दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट के बारे में। इस सीट से पूर्व रक्षा मंत्री और ट्रेड यूनियन लीडर दिवंगत जॉर्ज फर्नांडिस भी चुनाव लड़ चुके हैं। जॉर्ज फर्नाडिस साल 1967 में यहां से चुनाव लड़े थे और उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार को हराया था। इस सीट पर लंबे समय तक कांग्रेस की बादशाहत कायम रही लेकिन बाद में यह सीट शिवसेना के कब्जे में आ गई। बहरहाल अब महाराष्ट्र का सियासी समीकरण काफी बदल चुका है। अब शिवसेना दो धड़ों में बंट चुकी है। ऐसे में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट अपने अपने उम्मीदवार इस सीट से उतारेंगे। ऐसे में यह मुकाबला और भी रोचक हो सकता है।

फिलहाल इस सीट से उद्धव ठाकरे गुट अरविंद सावंत सांसद हैं। उन्होंने कांग्रेस के पूर्व मंत्री मिलिंद देवड़ा को पिछले चुनाव में हराया था। साल 2019 में इस सीट से 13 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। हालांकि, असली टक्कर शिवसेना के अरविंद सावंत और कांग्रेस के मिलिंद देवड़ा के बीच थी।

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मानगढ़ से आज चुनावी शंखनाद करेंगे राहुल गांधी

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बांसवाड़ा । कांग्रेस सांसद बुधवार 9 अगस्त को राजस्थान दौर पर आ रहे हैं। वे बांसवाड़ा के मानगढ़़ में कांग्रेस की सभा में हिस्सा लेंगे। 9 अगस्त को राष्ट्रीय आदिवासी दिवस है। इस मौके पर राहुल गांधी आदिवासियों के बीच रहेंगे और उन्हें संबोधित करेंगे। सुबह करीब साढ़े 11 बजे वे उदयपुर एयरपोर्ट पहुंचेंगे। बाद में दोपहर करीब 1 बजे वे मानगढ़़ पहुंचेंगे। पहले मानगढ़़ धाम में दर्शन करेंगे और बाद में कांग्रेस की सभा में शामिल होंगे।

राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव है। ऐसे में राहुल गांधी आदिवासी दिवस के मौके पर आदिवासी क्षेत्र में दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी वोटर्स को साधने की पूरी कोशिश करेंगे। दक्षिण राजस्थान के चार जिलों उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ की 18 विधानसभा सीटों पर राहुल गांधी की इस सभा का सीधा प्रभाव माना जा रहा है। साथ ही बारां और झालावाड़ के साथ मध्यप्रदेश की 15 विधानसभा सीटों पर भी असर हो सकता है।

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नीतीश-लालू के मास्टर प्लान को पीके ने कर दिया ‘लीक’

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पटना चुनावी एक्सपर्ट प्रशांत किशोर के हालिया बयान से उठे हैं। दरअसल, प्रशांत किशोर ने समस्तीपुर में एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि जो लोग जातिगत जनगणना करा रहे उन्हें समाज की बेहतरी से कुछ लेना देना नहीं है। जातीय जनगणना तो उनका अंतिम दांव जिससे उनकी चुनावी नैया पार लग जाए।

बिहार में जातीय जनगणना पर लगी रोक को हाल ही पटना हाईकोर्ट ने हटा दिया। जिससे नीतीश कुमार सरकार जोश में है। भले ही मामला सुप्रीम कोर्ट में जरूर पहुंच गया है, लेकिन सरकार की प्लानिंग इसे जल्द से जल्द पूरा कराने की है। इस पूरी कवायद के बीच चुनावी एक्सपर्ट प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार पर करारा अटैक किया। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार बीते 18 साल से बिहार के मुख्यमंत्री हैं। इस दौरान उन्हें जातीय जनगणना कराने की याद नहीं आई। अब अचानक वो क्यों जातिगत जनगणना को लेकर इतने एक्टिव दिख रहे।

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कमलनाथ की राह में रोड़ा बने पूर्व मंत्री उमंग सिंघार

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धार मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने 2023 विधानसभा चुनाव के लिए कमलनाथ को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। पार्टी के सभी बड़े नेता कमलनाथ को ही चेहरा मान रहे हैं। ग्वालियर की रैली में प्रियंका गांधी ने भी इशारों-इशारों में संकेत दे दिया था कि कमलनाथ चेहरा होंगे। कमलनाथ की राह में पूर्व मंत्री उमंग सिंघार ने अपनी मांग से अड़ंगा लगा दिया है। उन्होंने प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग की कर दी है। इसके बाद कांग्रेस खेमे में खलबली मच गई है।

मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार ने रविवार को कहा कि राज्य का मुख्यमंत्री आदिवासी समाज से बनना चाहिए। उन्होंने आदिवासियों से कहा कि जब तक प्रदेश का मुख्यमंत्री आदिवासी नहीं बनेगा, तब तक घर नहीं बैठना। यह मांग पूर्व मंत्री उमंग सिंघार ने की है। सिंघार को हाल में गठित चुनावी समितियों से दूर रखा गया है। सिंघार पिछली सरकार के दौरान भी दिग्विजय सिंह के साथ विवादों के कारण चर्चा में रहे हैं।राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह सहित कांग्रेस के कई नेता नियमित रूप से कहते रहे हैं कि पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ विधानसभा चुनाव में पार्टी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे। कमलनाथ दिसंबर 2018 और मार्च 2020 के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों के विद्रोह ने कमलनाथ की सरकार को गिरा दिया था, जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में बीजेपी की सरकार सत्ता में है।

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वो ‘रानी’ जिसके सहारे सत्ता में वापसी की तैयारी कर रही है कांग्रेस

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रायपुर । छत्तीसगढ़ की राजनीति में सत्ता हासिल करना या सत्ता में बने रहने के लिए आदिवासी वर्ग को खुश रखना जरूरी है। इस मामले में तमाम दल पीछे नहीं रहना चाहते। छत्तीसगढ़ की वर्तमान भूपेश बघेल सरकार भी आदिवासियों के बीच अपनी गहरी पैठ बनाए रखने के लिए जगह-जगह वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमाओं की स्थापना कर रही है। गोंडवाना राज्य की रानी के तौर पर सबसे ज्यादा सम्मान पाने वाली रानियों में दुर्गावती प्रमुख हैं। इन्हें आदिवासी समुदाय देवी के तौर पर भी पूजता है। लिहाजा रानी को सम्मान दिलाकर राजनीतिक दल इस वर्ग को अपना हितैषी बताने की हरसंभव कोशिश करते हैं।

बीते लगभग एक वर्ष की गतिविधियों पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ हो जाती है कि इस वर्ग को लुभाने में भूपेश बघेल सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। एक तरफ जहां आदिवासी संस्कृति के प्रचार-प्रसार का अभियान चल रहा है। दूसरी ओर रानी दुर्गावती की प्रतिमाएं भी स्थापित हो रही हैं। बीते कुछ समय में कांकेर के अंतागढ़ में रानी दुर्गावती के साथ गुंडाधुर और वीर गैंद सिंह की मूर्तियों का अनावरण किया गया। इसी तरह महासमुंद के कलेक्ट्रेट में महारानी दुर्गावती की आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई।

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मुगलकालीन अनमोल सोने का सिक्का, जिसे राजमाता ने संभाल कर रखा

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नई दिल्ली । ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास हजारों करोड़ की संपत्ति है। इस परिवार एक समय में केंद्र की तत्कालीन सरकार की यातनाएं भी झेली है। उस समय में ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी और राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने अपने खजाने से केंद्र सरकार को एक हजार तोला सोना दान किया था। इस बावजूद सिंधिया परिवार के जयविलास पैलेस पर सोने की तस्करी का आरोप लगा था। इस दौरान आयकर विभाग ने महल पर छापेमारी की थी। छापेमारी के दौरान महल से एक बेशकीमती मुगलकालीन सिक्का गायब हो गया, जिसे राजमाता ने संभालकर रखा था।

उन्होंने अपनी आत्मकथा में इस बात का जिक्र किया है कि उस समय वह दुनिया का सबसे बड़े आकार का सिक्का था। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में भी उसका जिक्र था। राजमाता ने लिखा है कि इसलिए हमने उस सिक्के को विशेष रूप से संभालकर रखा था। इस तरह के अनगिनित सिक्के माधवराव सिंधिया प्रथम ऊंटों पर लादकर दिल्ली से ग्वालियर लाए थे। मेरे जीवनकाल में उसमें से केवल एक ही शेष बच गया था।

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छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद

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रायपुर मिनी माता का पूरा नाम मीनाक्षा देवी था। मिनी माता का जन्म असम में हुआ था। मिनी माता पहली बार 1955 में सांसद बनीं थी। छत्तीसगढ़ की सियासत में मिनी माता का अहम रोल है। पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू भी मिनी माता का सम्मान करते थे।

छत्तीसगढ़ में इसी साल विधानसभा के चुनाव होंगे। विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी-कांग्रेस का फोकस आदिवासी वोटर्स हैं। ऐसे में आपको मिनी माता की कहानी बता रहे हैं। मिनी माता की छत्तीसगढ़ की सियासत में खास रुतबा रहा है। मिनी माता को का जन्म 15 मार्च 1916 को हुआ था। मिनीमाता भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की सीनियर लीडर थी। मिनी माता के बारे में कहा जाता है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू भी मिनी माता का सम्मान करते थे। मिनी माता का वास्तविक नाम मीनाक्षी देवी था, लेकिन उनकी ख्याति मिनी माता के नाम से हुई।

राज्य का सतनामी समाज मिनी माता को पूजता है। मिनी माता के सहारे राजनीतिक दल अब सतनामी वोटर्स को भी साधने की कोशिश में हैं। सतनामी समाज का असर छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा इलाके में है। यही कारण है कि सतनामी समाज के वोटर्स को साधने के लिए राजनीतिक दल गुरू घासीदास की जयंती मनाते हैं। मिनी माता का भी इस समाज में अच्छा खासा प्रभाव रहा है।

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मध्यप्रदेश में बीजेपी का चेहरा होगा

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सागर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने सागर जिले के बिना में विधानसभा सम्मेलन में हिस्सा लिया है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बड़ा बयान दिया है। विजयवर्गीय ने बता दिया है कि मध्यप्रदेश में बीजेपी का चेहरा कौन होगा। उन्होंने इसके लिए किसी नेता का नाम नहीं लिया है। कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि बीजेपी में कमल का फूल पार्टी का चेहरा होता है।

चेहरा को लेकर इसलिए कांग्रेस सवाल उठा रही है कि बीजेपी ने आधिकारिक रूप से अभी तक घोषणा नहीं की है। अधिकांश नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर वोट मांग रहे हैं। यहां तक कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी पीएम मोदी पर भरोसा करने की अपील एमपी के वोटरों से की है। ऐसे में यह सवाल बार-बार उठता है कि एमपी में बीजेपी का चेहरा कौन होगा। कैलाश विजयवर्गीय के बयान से यह बहुत हद तक साफ हो गया है कि चेहरा को लेकर बीजेपी में संस्पेंस बरकार है।

कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि कांग्रेस ने गरीबी हटाओ का नारा जरूर दिया था लेकिन उसकी सरकारों ने गरीबी हटाने के लिए कुछ नहीं किया। बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकारें देश-प्रदेश के हित में अच्छा काम कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 9 वर्ष और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के 18 वर्ष गरीब कल्याण को ही समर्पित रहे हैं। गरीबों के जीवन में बदलाव लाने वाली ये योजनाएं हमारी ताकत हैं। इनके दम पर ही आने वाले विधानसभा और लोकसभा के चुनाव हम पूर्ण बहुमत के साथ जीतेंगे।

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ये 5 नेता पलट सकते हैं चुनावी बाजी

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रायपुर छत्तीसगढ़ में इसी साल विधानसभा के चुनाव होंगे। विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी-कांग्रेस अपनी-अपनी रणनीतियों तैयार कर रही हैं। राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के साथ आम आदमी पार्टी और सर्व आदिवासी समाज ने भी चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा की है।

भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री हैं। 2018 में पार्टी को मिली बंपर जीत के बाद उन्हें सीएम बनाया गया था। 2023 का विधानसभा चुनाव भी कांग्रेस भूपेश बघेल के चेहरे पर लड़ने की योजना बना रही है। डॉ रमन सिंह, बीजेपी का प्रमुख चेहरा हो सकते हैं। हालांकि बीजेपी ने ये साफ नहीं किया है कि राज्य में बीजेपी का चेहरा कौन होगा। रमन सिंह लगातार तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। छत्तीसगढ़ में 2018 में कांग्रेस की वापसी में सबसे अहम रो निभाने वाले टीएस सिंहदेव 2023 के विधानसभा चुनाव का भी मुख्य चेहरा हो सकते हैं। टीएस सिंहदेव ने 2018 का कांग्रेस का घोषणा पत्र तैयार किया था। टीएस सिंहदेव को हाल ही में राज्य का डेप्युटी सीएम बनाया गया है।छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को अरविंद नेताम रोचक बना सकते हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने घोषणा की है कि सर्व आदिवासी समाज इस बार के 50 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगा।

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