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एक भारत उत्कृष्ट भारत

एम्बुलेंस ना मिलने के कारन गोद में उठा कर पत्नी को अस्पताल पहुंचाया…….वीडियो वाइरल

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डिजिटल भारत I सरई थाना क्षेत्र के बिलवानी गांव में एक युवक की पत्नी की तबीयत अचानक खराब हो गई, तमाम कोशिशों के बाद जब एंबुलेंस नहीं मिली तो वह कंधे पर लादकर अस्पताल ले गया.प्रदेश के उर्जाधानी जिले सिंगरौली से एक दुर्भाग्यपूर्ण खबर सामने आई है, यहां एक आदिवासी व्यक्ति को अपनी पत्नी को ईलाज कराने के लिए करीब 10 किलोमीटर तक कंधे पर लादकर चलना पड़ा,सरकारी एंबुलेंस के लिए उसने कई बार प्रयास किया लेकिन नहीं मिली, जिसके बाद उसे यह कदम उठाना पड़ा, घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया में वायरल हो गया है, वीडियो वायरल होने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग की किरकिरी होने लगी है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल सिंगरौली जिले के सरई थाना क्षेत्र के बिलवानी गांव में आदिवासी युवक की पत्नी की तबीयत अचानक खराब हो गई। तमाम कोशिशों के बाद जब एम्बुलेंस नहीं मिली तो पत्नी को कंधे पर लादकर पैदल चल दिया। 10 किलोमीटर दूर सरई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा, जहां डॉक्टरों ने इलाज किया। पत्नी की हालत तो अब सुधर गई, पर बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की ये तस्वीर कब सुधरेगी, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
घटना का वीडियो आया सामने
इस घटना को जिसने भी देखा दंग रह गया। स्थानीय लोगों ने इसका वीडियो बना लिया और इसे सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। घटना गुरुवार की है। मामले में जब अमर उजाला की टीम ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से संपर्क करना चाहा तो कई बार कॉल करने के बाद फ़ोन रिसीव नही किया गया। बहरहाल इस तरह की शर्मनाक तस्वीर से एक बार फिर स्वास्थ्य की किरकिरी शुरू हो गई है।

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ये फसल है चांदी से भी महंगी जाने कैसे और कहा हो सकती है इसकी खेती

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डिजिटल भारत I भारत में हर उस जगह पर वनीला की खेती हो सकती है, जहां का तापमान सामान्य रहता हो. इसके साथ ही इसकी खेती छायादार जगहों पर भी हो सकती है. वनीला की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं
जानें वनीला की खासियत
भारत में ज्यादातर किसानों को अभी ये नहीं पता होगा कि वनीला कैसा होता है. दरअसल, ये बाहर की फसल है और भारत में इसकी खेती बहुत कम होती है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी डिमांड बहुत ज्यादा है. वनीला एक पौधा होता है, जिसमें बीन्स के जैसे फल होते हैं, वहीं इसके फूल कैप्सूल जैसे होते हैं. वनीला के फूलों की खुशबू काफी शानदार होती है, उन्हीं के सूख जाने के बाद उसका पाउडर बनाया जाता है और फिर इसे बाजार में ऊंची कीमतों पर बेचा जाता है. वनीला में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, वहीं इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण भी होते हैं. कहा जाता है कि इसके अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की शक्ति होती है और यह बेहद फायदेमंद होता है.
फसल की बात की है तो आपके जेहन में गेंहू, चना, सोयाबीन या फिर किसी दाल का नाम आया होगा जो आमतौर पर चांदी से बहुत सस्ती है, लेकिन इस दुनिया में एक ऐसी फसल है जो चांदी जितनी महंगी है और बाजार में खूब उपयोग की जाती है। ये फसल कौन सी है आइए आपको इसके बारे में बताते हैं:
जिस फसल की बात हम कर रहे हैं उसका नाम वनीला है जिसका उपयोग आइसक्रीम में फ्लेवर के रूप में किया जाता है। वनील की कीमत लगातार बढ़ रही है। ब्रिटेन के मार्केट में इसकी कीमत ६०० डॉलर प्रति किलो हैं तो भारतीय मुद्रा में एक किलो वनीला खरीदने के लिए आपको ४२ हजार रुपए खर्च करने होंगे। ब्रिटेन के स्नगबरी आइसक्रीम कंपनी हर हफ्ते पांच टन आइसक्रीम बनाती है। उनके 40 फ्लेवर्स में एक तिहाई में किसी न किसी तरह से वनीला का इस्तेमाल होता है। गत सालों की बात करें तो ये कम्पनी वनीला जिस कीमत पर खरीद रही थी, आज वे तीस गुना से भी ज्यादा कीमत चुका रहे हैं।
मुश्किल होती है वनीला की खेती
वनीला की खेती एक मुश्किल काम है। वनीला से इसका अर्क निकाला जाता है। यही वजह है कि केसर के बाद ये दुनिया की दूसरी सबसे महंगी फसल है। मैडागास्कर के अलावा पपुआ न्यू गिनी, भारत और यूगांडा में इसकी खेती होती है। दुनिया भर में इसकी मांग है। अमेरीका अपनी बड़ी आइसक्रीम इंडस्ट्री की वजह से काफी वनीला खपत करता है। न केवल आइसक्रीम, बल्कि वनीला का इस्तेमाल मिठाइयों और शराब से लेकर परफ्यूम तक में होता है।
अगर आप खेती में ज्यादा लाभ कमाना चाहते हैं तो वनीला आपके लिए सबसे बेहतरीन विकल्प है। आप वनीला की खेती करके मोटी कमाई कर सकते हैं। वनीला को फल की कई देशों में खूब मांग है। भारतीय मसाला बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में जितनी भी आइस्क्रीम बनती है, उसमें से 40 प्रतिशत वनीला फ्लेवर की होती हैं। वनीला की मांग भारत की तुलना में विदेशों में ज्यादा है। ऐसे में माल विदेश भेजने पर बड़ा मुनाफा होता है। दुनिया का 75 प्रतिशत वनीला मैडागास्कर में ही पैदा होता है। भारत में इसकी कीमतों में उछाल होता रहता है। हालंकि मूल्य स्तर कितना भी हो वनीला उत्पादक को कभी घाटे का मुंह नही देखना पड़ता। आज हम आपको वनीला की खेती कर ज्यादा कमाई के बारे में बता रहे हैं।
बीज की कीमत
भारत में 1 किलो वनीला खरीदने पर आपको 40 हजार रुपए तक देना पड़ सकता है। ब्रिटेन के बाजारों में इसकी कीमत 600 डॉलर प्रति किलो तक पहुंच गया है। मसाला बोर्ड की माने तो वनीला आर्किड परिवार का एक सदस्य है। यह एक बेल पौधा है जिसका तना लंबा और बेलनकार होता है। इसके फल सुगंधित और कैप्सूल के आकार के होते हैं। फूल सूख जाने पर खुशबूदार हो जाते हैं और एक फल से ढेरों बीज मिलते हैं।
नॉर्थ-ईस्ट में वनीला की खेती का अच्छा स्कोप
वहीं, नॉर्थ-ईस्ट में वनीला की खेती का अच्छा स्कोप है, क्योंकि यहां की जलवायु और मिट्टी इसकी खेती के लिए अनुकूल है. भारतीय वनिला की विदेशी बाजारों में मांग काफी अधिक है. क्योंकि यह यहां जैविक रूप से इसकी खेती की जाती है.
इस बीच, मंदी के मद्देनजर विदेशी बाजारों में स्थिर मांग के बीच वनीला की कीमतें स्थिर रहीं.

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सीएम अरविंद केजरीवाल को नैतिकता के कारण पहले ही दे देना चाहिए था इस्तीफा

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डिजिटल भारत l आम आदमी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता, दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के खिलाफ आज सामूहिक उपवास रखेंगे. बता दें कि दिल्ली शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं.
कुमार महानिदेशक (जेल) के पद पर भी काम किया. कुमार ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि उन्हें तिहाड़ जेल में अपने कार्यकाल के दौरान ‘‘अधिकतम संख्या में वीवीआईपी के ध्यान रखने” का मौका मिला था.

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अधिकतम संख्या में वीवीआईपी का ध्यान रखने का मौका मिला था. उस समय राष्ट्रमंडल खेल घोटाला हुआ था. सुरेश कलमाड़ी, कनिमोइ, ए राजा (2जी स्पेक्ट्रम घोटाला) से लेकर, रिलायंस के लोग, सीडब्ल्यूजी, अमर सिंह, आईएएस अधिकारी, आईपीएस अधिकारी वहां थे.”
हिंदू सेना की याचिका में क्या कहा गया है?

हिंदू सेना ने याचिका में एलजी को यह आदेश जारी करने की मांग की है कि वे केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से बर्खास्त करें. इसके साथ ही यह भी तय किया जाए कि दिल्ली की सरकार एलजी के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा चले. याचिका में कहा गया है कि देश के संविधान में ऐसी कोई कल्पना नहीं है कि एक मुख्यमंत्री गिरफ्तारी की स्थिति में न्यायिक या पुलिस हिरासत से सरकार चला सकें.
कुमार की याचिका को न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की अदालत में आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था. इस याचिका में कुमार ने कहा है कि दिल्ली के लिए अब रद्द की गई आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया है और वह संविधान के तहत मुख्यमंत्री के कार्यों को करने में ‘अक्षमता’ महसूस कर रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि आप नेता की ‘अनुपलब्धता’ संवैधानिक तंत्र को जटिल बनाती है और वह संविधान के निर्देश के अनुसार जेल से कभी भी मुख्यमंत्री के रूप में कार्य नहीं कर सकते हैं.

नैतिकता के कारण पहले ही दे देना चाहिए था इस्तीफा
याचिका हिंदू सेना के वकील बरुण सिन्हा ने दायर की है, जिसमें कहा गया है, “दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में अरविंद केजरीवाल ने संविधान द्वारा उन पर जताए गए संवैधानिक विश्वास का उल्लंघन किया है. धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत ईडी द्वारा उन्हें गिरफ्तार किया गया है.” याचिका में कहा गया है, “इसलिए, संवैधानिक नैतिकता के कारण, उन्हें जांच एजेंसी द्वारा हिरासत में लिए जाने से पहले इस्तीफा दे देना चाहिए था.”

इस याचिका में कहा गया, ‘‘संविधान का अनुच्छेद 239एए(4) उपराज्यपाल को उनके उन कार्यों को करने में सहायता और सलाह देने के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद का प्रावधान करता है जिनके संबंध में विधानसभा के पास कानून बनाने की शक्ति है. उपराज्यपाल को सहायता और सलाह व्यावहारिक रूप से तब तक संभव नहीं है जब तक मुख्यमंत्री संविधान के तहत अपनी सहायता और सलाह देने के लिए स्वतंत्र व्यक्ति उपलब्ध न हो.”

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चार हजार से ज्यादा एमपी इनके रहेंगे मोदी के पक्ष में:नीतीश कुमार की फिसली जुवान

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डिजिटल भारत : लोकसभा चुनाव 2024 (Lok sabha election 2024) में पहले चरण के मतदान को लेकर सभी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है. पीएम मोदी (PM MODI) ने रविवार को बिहार के नवादा में एक चुनावी सभा को संबोधित किया. प्रधानमंत्री की सभा में बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) भी मौजूद थे. पीएम के भाषण से पहले सभा को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने एनडीए के उम्मीदवारों को वोट देने की अपील. हालांकि अपने भाषण के दौरान नीतीश कुमार की जुबान फिसल गई. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का दसवां साल चल रहा है, आगे भी इनकी सरकार रहेगी. हमको पूरी उम्मीद है कि चार हजार से ज्यादा एमपी इनके पक्ष में रहेंगे. हम यही अनुरोध करने आए हैं
लालू-राबड़ी निशाने पर, बोले- पति-पत्नी केवल राज करते थे, काम नहीं
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि आज बड़ी खुशी की बात है कि पीएम नरेंद्र मोदी यहां पधारे हैं। आप सब जानते हैं कि विवेक ठाकुर जरूर भारी मतों से जीतेंगे। आपको बता दूं कि पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार बिहार के लिए बहुत काम कर रही है। नीतीश कुमार ने कहा कि कम उम्र के लोग पुरानी बातों को भूल गए हैं। आप अपने बाल बच्चों को याद करवा दीजिए कि 2005 के पहले क्या हाल था? जरा उन्हें बताइए कि पहले शाम के बाद कोई घर से नहीं निकलता था। आने जाने का रास्ता तक नहीं था। इसको भूलिएगा मत। उनलोगों को 15 साल मिला था। क्या काम किए थे? पति-पत्नी मिलकर केवल राज करते रहे। एक भी काम नहीं किया। पहले की स्थिति के बारे में लोगों को बताइए कि कैसा हाल था। इसके बाद हमलोगों की सरकार ने काफी काम किया। विकास किया। पहले हिन्दू-मुस्लिम में भी खूब झगड़ा होता था। 2005 के बाद कोई झगड़ा नहीं हुए। मुस्लिम भाइयों से अपील है कि भूलियेगा मत। जो काम किया उसको वोट दिया। हमलोग रात-दिन काम कर रहे हैं। पहले स्वास्थ्य का क्या हाल था? एक महीना में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 39 लोग आते थे। किसी का इलाज नहीं होता था।
पीएम मोदी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
चुनावी सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की भी आलोचना की. उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष कोई छोटा पद नहीं है. वह कहते हैं कि धारा 370 का राजस्थान से क्या लेना-देना है. यह टुकड़े-टुकड़े गैंग की मानसिकता है. उनके विचार राजस्थान और बिहार के सुरक्षाकर्मियों का अपमान है, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए प्राण गंवाए और उनके शव तिरंगे में लिपटे हुए वापस आए.”
कांग्रेस के घोषणापत्र में मुस्लिम लीग के विचारों की छाप: PM मोदी
प्रधानमंत्री ने तीन तलाक प्रथा के खिलाफ अपनी सरकार के कदम का भी जिक्र किया और कहा, ‘‘दो दिन पहले कांग्रेस ने जो अपना घोषणा पत्र जारी किया है, उसमें भी मुस्लिम लीग के विचारों की छाप है . कांग्रेस ने घोषणा घोषणा पत्र नहीं, तुष्टिकरण पत्र जारी किया है .”उन्होंने कहा, ‘‘मोदी ने भारत को आंख दिखाने वालों को सबक सिखाने की गारंटी दी थी. जो भारत को आंख दिखाते थे वो अब आटे के लिए भटक रहे हैं.”

विपक्षी गठबंधन ‘‘इंडिया” पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मोदी ने गारंटी दी थी कि अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनेगा. जो पांच सौ वर्षों में नहीं हो पाया, जिस राम मंदिर के निर्माण को रोकने के लिए कांग्रेस और राजद ने वर्षों तक कोशिश की वह राम मंदिर बनकर तैयार हो गया. मंदिर का निर्माण सार्वजनिक दान से किया गया है सरकारी धन से नहीं. इनकी क्या दुश्मनी है देश के लोगों, प्रभु राम, अयोध्या और हमारी विरासत से कि राम मंदिर बन जाने पर बोले कि वे प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं जाएंगे . क्या यह शोभा देता है .”

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लोकसभा प्रत्याशी दिनेश यादव ने पनागर विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क एवं आमसभा को किया संबोधित

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डिजिटल भारत I महिलाओं को एक लाख रुपए प्रतिवर्ष एवं बेरोजगार युवाओं को शासकीय नौकरी देने का किया वादा।
जबलपुर/ लोकसभा कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश यादव ने पनागर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सुबह 9:00 बजे से करमेता, ओरिया, सूर तलाई, मगेंला, बेलखाडू, झगरा, बोरिया, निंदपुर, बघौड़ा, बरौदा, भिडारी, सलैया, जेतना, काला डूमर, पुरैना, सिंगल दीप, सिंगोद, गर्दा खमरिया मैं जनसंपर्क किया एवं पनागर बस स्टैंड पहुंच कर आम सभा को दिनेश यादव ने संबोधित करते हुए कहा जबलपुर में कि 30 वर्षों से भाजपा के सांसद एवं दस बरसों से केंद्र में सरकार हैं इसके बावजूद किसानों के हितों के लिए, ना युवाओं के रोजगार के लिए कुछ नहीं किया।
मैं आपसे वादा करता हूं मैं आपके आशीर्वाद एवं सहयोग से जीता और कांग्रेस की सरकार बनी तो सबसे पहले किसानों की कर्ज माफी की जाएगी एवं किसानों को एमएसपी कानून के लिए हम वचनबद्ध हैं साथ ही नौजवान शिक्षित युवाओं को रोजगार देना हमारी सरकार की गारंटी है साथ ही महिलाओं को प्रतिवर्ष एक लाख रुपए देने की गारंटी है इसके अलावा महंगाई, महिलाओं पर अत्याचार एवं भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना मेरी पहली प्राथमिकता होगी।
मैं पनागर विधानसभा के अंतर्गत अपने जाबाज कांग्रेस कार्यकर्ताओं साथियों एवं मतदाताओं से निवेदन करता हूं 19 तारिख को कांग्रेस की दो नंबर की बटन दबाकर मुझे विजई बनाएं एवं कांग्रेस की सरकार बनाने में सहयोग करें।
जिसके पश्चात (लोकसभा प्रभारी) पूर्व कैबिनेट मंत्री लखन घनघोरिया ने पनागर विधानसभा को संबोधित करते हुए कहा कि दिनेश यादव सहज, सरल, जमीनी कांग्रेसी व्यक्ति को पार्टी ने लोकससभा का प्रत्याशी बनाकर एक-एक कांग्रेस के कार्यकर्ता की भावनाओं के अनुरूप चयन किया है।
कांग्रेस पार्टी का इतिहास देश की आजादी दिलाने से लेकर देश के विकास में इतना योगदान है कि उसे बताने बैठे तो महीनों लग जाएंगे पूर्व की हमारी कांग्रेस सरकार ने किसानों के लिए कर्ज माफी योजना से किसानों को राहत दिलाने का काम किया है इसी तरह राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना लागू कर गांव के गरीब मजदूर के हाथों में काम दिया वहीं हमारी सरकार के समय गैस सिलेंडर 400 रुपए में पेट्रोल 70 रुपए में डीजल 80 रुपए में मिला करता था। जबसे भाजपा की सरकार बनी है आमआदमी महंगाई से परेशान हैं आप सभी कांग्रेस कार्यकर्ता एवं मतदाता झूठ बोलने वाली भाजपा सरकार को बदलने और कांग्रेस के सहज सरल प्रत्याशी दिनेश यादव को जिताने में अपना एक वोट के साथ आशीर्वाद दे।
इस अवसर पर सतीश उपाध्याय, वीरेंद्र चौबे, रुपेंद्र पटेल, राजेश पटेल, सम्मती सैनी, प्रदीप पटेल, संजय श्रीवास्तव, जितेंद्र ठाकुर, नीलेश जैन, वीरेंद्र पटेल, विनीता यादव, सुशील मालगुजार, दिनेश पटेल, दशरथ यादव, लक्ष्मण चौधरी, पवन सोनी, दिलीप पटेल, राम सिंह, रिंकू तिवारी, पप्पू ठाकुर, रानू ठाकुर, राजकिशोर पटेल, विष्णुकांत पटेल, शिव नामदे, अजीत परिहार, सौरभ अहिरवार, रामदास पटेल, सज्जन सिंह परिहार, विपिन रजक, गजराज सिंह, विक्रम पटेल, राजू पटेल, राजा पटेल, रोहित पटेल, बबलू पटेल सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस जन शामिल रहे।

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मोहन की लीलाएं कृपा शिवराज पर पड़ेगी भारी

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डिजिटल भारत I मध्यप्रदेश में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद सरकार में नए नेतृत्व का उदय हुआ है. इसके बाद अनपेक्षित पॉलिटिकल मैसेजिंग का दौर चल पड़ा है. नए मुख्यमंत्री मोहन यादव की भाषण शैली, संवेदनशीलता, गवर्नेंस कैपेसिटी, लोकप्रियता और कार्यक्षमता का आकलन और विश्लेषण किया जा रहा है. यह सारा विश्लेषण 17 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के पैमाने पर किया जा रहा है. भले ही यह दोनों नेता तुलनात्मक आकलन के समर्थक और पक्षधर ना हों लेकिन प्रशंसक और अनुयायी तो इसी दिशा में जुटे हुए हैं.

सोशल मीडिया पर हर दिन नए-नए वीडियो और रील्स सामने आ रही हैं. इनमें निवर्तमान मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता और लोकप्रियता को हिमालय की ऊंचाई देते हुए नए नेतृत्व को जमीन पर भी नहीं मानने की भूल की जा रही है. मध्यप्रदेश में 2005 की परिस्थितियां फिर से दोहराई गई हैं. जब शिवराज सिंह चौहान को वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर प्रदेश का मुख्यमंत्री चुना गया था, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती बगावत के रास्ते पर आगे बढ़ गई थीं. उमा भारती को राज्य की राजनीति से बाहर जाना पड़ा था. समर्थक और प्रशंसक तो ऐसा ही माहौल बना रहे हैं कि मध्यप्रदेश में विजय के शिल्पकार को उसका हक नहीं दिया गया.

शिवराज सिंह चौहान लोकप्रियता के शिखर पर हैं. संगठन शक्ति के जीवंत स्वरूप शिवराज सिंह नई राजनीतिक परिस्थितियों में जिस राह पर आगे बढ़ रहे हैं, उसे कई लोग अस्वाभाविक मान रहे हैं. अगर 2005 में पहली बार सीएम बने शिवराज सिंह के शुरुआती कार्यकाल की तुलना नए मुख्यमंत्री मोहन यादव के शुरुआती कार्यकाल से की जाएगी, तब ही सही आकलन हो सकेगा.

मोहन यादव में मौलिकता दिखती है. भले ही वे बहुत लच्छेदार भाषण शैली के धनी ना हों लेकिन उनका ठेठ गंवईपन उनकी बड़ी ताकत दिखाई पड़ती है. मरीजों और रैनबसेरों में गरीबों से मिलने की उनकी शैली मौलिक और जीवन ऊर्जा से मेल खाती हुई देखी जा सकती है. जिस नेता ने मध्यप्रदेश की सत्ता की राजनीति में हिमालय की चोटी जैसा रिकॉर्ड स्थापित कर दिया है, उसकी तुलना नए नेतृत्व से करना उनके साथ नाइंसाफी होगी. हिमालय की चोटी पर चढ़ने के बाद सब को उतरना ही पड़ता है.

इसमें कोई संदेह नहीं है कि शिवराज सिंह की लोकप्रियता आज चरम पर है. सीएम पद पर उन्होंने अपनी कार्यशैली से जनता के बीच रिश्ते कायम किए हैं, जो भी रिश्ते हैं उनमें व्यक्तित्व के साथ ही पद का तेज भी शामिल रहा है. पद जाने के बाद पद की निस्तेज पीड़ा कई बार दिशाभ्रम पैदा कर देती है. एमपी की 16वीं विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के कृतज्ञता प्रस्ताव पर चर्चा के समय शिवराज सिंह चौहान सदन से अनुपस्थित रहे. हाल ही में हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में भी उनकी अनुपस्थिति चर्चा का विषय रही थी. अपनी शैली के मुताबिक, वे जनता के बीच लगातार जा रहे हैं. उनके बयान भी जिस तरह से सामने आ रहे हैं वे जाने अनजाने ऐसे संदेश दे रहे हैं जो पार्टी लाइन से थोड़े अलग दिखाई पड़ते हैं.

उनका पहला बयान ही कि ‘कुछ मांगने के लिए दिल्ली जाने से पहले मरना पसंद करेंगे’ सही परिक्षेप्य में नहीं लिया गया है. हो सकता है शिवराज सिंह चौहान जनप्रियता की अपनी लोकशैली के कारण स्वाभाविक रूप से यह सब कर रहे हों लेकिन विश्लेषण में तो इन्हें अस्वाभिक ही लिया जा रहा है. मध्यप्रदेश में इतने लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड अगर शिवराज चौहान ने बनाया है तो इसमें बीजेपी शीर्ष नेतृत्व खासकर नरेंद्र मोदी और अमित शाह का योगदान निश्चित रूप से है.

2005 के बाद हुए चुनाव में जीत के कारण चौहान को नेतृत्व दिया जाना तो स्वाभाविक था लेकिन 2018 में चुनावी पराजय के बाद भी कांग्रेस में बगावत के कारण जब सरकार बनाने का बीजेपी को मौका मिला उस समय भी भाजपा नेतृत्व ने शिवराज सिंह चौहान को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया था. इसलिए ऐसा विचार तो शायद सही नहीं होगा कि भाजपा नेतृत्व शिवराज को कमजोर करना चाहता है.

वक्त के साथ नेतृत्व में बदलाव और नयापन संगठन की ताकत होता है. जब शिवराज सिंह को मध्यप्रदेश का नेतृत्व दिया गया था तब तो परिस्थितियां और विकट थीं. उमा भारती की बगावत तक पार्टी को झेलनी पड़ी थी. फिर भी पार्टी चट्टान की तरह शिवराज सिंह चौहान के साथ खड़ी रही थी. ऐसे हालात में शिवराज के समर्थकों और प्रशंसकों को उनके भविष्य के प्रति चिंतित होकर जल्दबाजी में ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए जिसका पॉलीटिकल मैसेज किसी भी तरह से पार्टी के खिलाफ जाता हो.

कार्यकर्ता आधारित राजनीतिक दल में कोई वरिष्ठता और कनिष्ठता का प्रश्न नहीं होता. जो भी नेता चुन लिया जाता है वही सबका नेता होता है. जब बीजेपी ने 2005 में पिछली पायदान पर खड़े शिवराज सिंह चौहान की क्षमता और योग्यता को पहचान लिया था तब आज उनकी लोकप्रियता के शिखर पर होने के बाद क्या पार्टी उनकी सेवाओं का समुचित महत्व और उपयोग नहीं करेगी? ऐसा संभव नहीं है लेकिन राजनीति धैर्य का नाम है. सोशल मीडिया के कारण आजकल सारी गतिविधियां मूलरूप में प्रमाणिकता के साथ सार्वजनिक हो जाती हैं. इसके कारण राजनेताओं को ज्यादा संयम रखने की जरूरत है.

मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अब तक कामकाज से जो प्रशासनिक मैसेज दिया है, वह आशाजनक है. उनकी शैली आक्रामक हिंदुत्व की दिखाई पड़ रही है. बीजेपी की राष्ट्रीय लाइन को मजबूती के साथ आगे बढाने का उनका संकल्प साफ नजर आ रहा है. लाउडस्पीकर और मांस विक्रय की दुकानों के संबंध में जिस तरह के आदेश निकले हैं उससे यही संदेश जा रहा है कि मध्यप्रदेश में मोहन स्टाइल योगी स्टाइल से ही प्रेरित रहेगी.

विधानसभा में कृतज्ञता ज्ञापन में अपने पहले भाषण में उन्होंने यह साफ संदेश दिया है कि हिंदुत्व उनका एजेंडा होगा. राम मंदिर और कृष्ण जन्मभूमि पर जितनी स्पष्टता के साथ मोहन यादव ने अपना पक्ष रखा है, इस तरह पहले मध्यप्रदेश में किसी नेता ने अपनी बात नहीं कही. उनका व्यक्तित्व और छवि हिंदुत्व की लाइन से मेल खा रहा है.

सरकार में ब्यूरोक्रेट्स के फेरबदल से भी जो संकेत मिल रहे हैं उससे तो यही लगता है कि मोहन यादव ताकत के साथ सरकार चलाएंगे. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विश्वसनीय अफसरों को जिस तरह से पदों से हटाया गया है उससे भी यही पॉलिटिकल मैसेज जा रहा है कि सरकार पर मोहन यादव का ही नियंत्रण होगा. जो ब्यूरोक्रेट पॉलिटिकल रिलेशनशिप का उपयोग करना चाहेंगे उन्हें निराशा ही हाथ लगेगी.

नए मुख्यमंत्री शिवराज मंत्रिमंडल में उच्च शिक्षामंत्री रहे हैं. मंत्री के रूप में उनकी खींची गई कोई भी लकीर राजनीतिक हलकों में स्थापित नहीं रही है. यह भी हो सकता है कि मंत्री के रूप में विश्लेषकों की नजर उनके कामकाज पर नहीं रही हो लेकिन अब तो सारी नजरें मोहन यादव की तरफ ही देख रही हैं. इसमें समर्थकों की भी नजरें हैं और विरोधियों की टेढ़ी नज़रें भी हैं. उनके सामने शिवराज की लोकप्रियता और छवि की चुनौती तो हमेशा बनी रहेगी. उन्हें अपना मार्ग स्वयं बनाना होगा.

वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने विधानसभा में नए मुख्यमंत्री की शैक्षणिक योग्यता, संगठन क्षमता और कर्मठता को लेकर बेहतर ढंग से विचार व्यक्त किए हैं. नए मुख्यमंत्री को वक्त के साथ अपने को साबित करना होगा. देश और राज्य के राजनीतिक हालातों में ओबीसी पॉलिटिक्स मोहन यादव के पक्ष में है. उत्तर भारत में यादव समुदाय खासकर उत्तरप्रदेश और बिहार में बीजेपी का समर्थक नहीं माना जाता है. बीजेपी को एक बड़े रीजनल यादव नेता की जरूरत थी. मोहन यादव के रूप में पार्टी ने वह तलाश पूरी कर ली है.

नए मुख्यमंत्री पर न सिर्फ मध्य प्रदेश में लोकसभा की सभी सीट जिताने का बड़ा दायित्व है. बल्कि उत्तर भारत के दोनों बड़े राज्यों में यादव मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में लाने की बड़ी भूमिका भी निभानी होगी. मोहन यादव को भाजपा शीर्ष नेतृत्व, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संगठन का संपूर्ण समर्थन प्राप्त दिखाई पड़ रहा है.

हालात मोहन यादव के उज्जवल भविष्य का इशारा कर रहे हैं. देश की धार्मिक नगरी उज्जैन की तासीर भी मोहन यादव के व्यक्तित्व में दिखाई पड़ रही है. उन्होंने मध्यप्रदेश में भगवान कृष्ण से जुड़े स्थानों को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने का ऐलान करके अयोध्या काशी मथुरा के एजेंडे को ही आगे बढ़ाने का काम किया है. वक्त के पहले मोहन यादव का बेमेल आकलन करने वाले निराश होंगे. वक्त के साथ मोहन का सम्मोहन मध्यप्रदेश की राजनीति को भगवामय बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है.

संपादक – नलिन कांत बाजपेयी

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हर मतदाता दे सकेगा वोट,आयोग ने पहचान के लिए निर्धारित किये बारह वैकल्पिक दस्तावेज

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डिजिटल भारत l विधानसभा चुनाव के लिये शुक्रवार 17 नवंबर को होने वाले मतदान में ऐसे प्रत्येक मतदाता को मत
देने का अधिकार होगा जिसका नाम मतदाता सूची में शामिल है। ऐसे मतदाता जिन्हें फोटो परिचय पत्र जारी किये
गये हैं उन्हें वोट डालने के लिए फोटो परिचय पत्र मतदान केन्द्र ले जाना जरूरी होगा।
लेकिन किन्ही कारणों से फोटो मतदाता पहचान पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाने वाले मतदाताओं के लिये
निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित 12 वैकल्पिक फोटोयुक्त पहचान के दस्तावेजों में से कोई एक वैकल्पिक
दस्‍तावेज प्रस्तुत करना होगा। निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार इस बार बीएलओ द्वारा मतदाताओं की सुविधा के
लिये घर-घर वितरित की गई मतदाता सूचना पर्ची को मतदाता की फोटो नहीं होने के कारण पहचान स्थापित करने
के लिये निर्धारित दस्तावेजों में मान्य नहीं किया जायेगा।
आयोग के मुताबिक कोई ऐसे मतदाता जो बीएलओ द्वारा मतदाता सूचना पर्ची के वितरण के दौरान घर
पर मौजूद नहीं थे वो भी अपना वोट डाल सकेंगे। लेकिन ऐसे मतदाता का नाम पीठासीन अधिकारी के पास मौजूद
एएसडी (एबसेंट, शिफ्टेड या डुप्लीकेट) वोटर्स की सूची में शामिल होना चाहिए।
आयोग के निर्देशों के अनुसार मतदान के दिन यदि ऐसा मतदाता मतदान केन्द्र पहुंचता है जिसे
मतदाता सूचना पर्ची प्राप्त नहीं हुई और उसका नाम एएसडी वोटर्स की सूची में शामिल है तो उसे अपना फोटो
मतदाता परिचय पत्र या आयोग द्वारा पहचान साबित करने के लिए निर्धारित किये गये वैकल्पिक दस्तावेज
पीठासीन अधिकारी को बताना होगा । पीठासीन अधिकारी फोटो मतदाता परिचय पत्र अथवा वैकल्पिक दस्तावेज के
आधार पर ऐसे मतदाता की पहचान संबंधी जांच करेगा तथा जांच के बाद ही उसे वोट डालने की अनुमति देगा ।
ऐसे मतदाता को मतदाता रजिस्टर में न केवल हस्ताक्षर करने बल्कि उसके अंगूठे का निशान भी मतदान रजिस्टर
में लिया जायेगा ।
आयोग ने मतदाताओं की पहचान स्थापित करने के लिए बारह वैकल्पिक फोटो पहचान दस्तावेजों को
भी मान्य किया है। लेकिन मतदान केंद्र पर वैकल्पिक फोटो पहचान दस्तावेज प्रस्तुत करने की ये अनुमति केवल
उन्हीं मतदाताओं के लिए होगी जो मतदाता फोटो परिचय पत्र नहीं ला सके हैं। मतदाता को इसमें से कोई एक
फोटो पहचान दस्तावेज को मतदान के पहले अपनी पहचान स्थापित करने के लिए मतदान अधिकारियों के समक्ष
प्रस्तुत करना होगा। फोटो मतदाता परिचय पत्र के फोटोग्राफ से मिलान करने पर यदि किसी मतदाता की पहचान
करना संभव नहीं है तो उस स्थिति में भी उस मतदाता को पहचान स्थापित करने के लिये मान्य बारह दस्तावेजों
में से कोई एक दस्तावेज दिखाना होगा।
निर्वाचन आयोग ने जिन फोटो पहचान दस्तावेजों को मतदाताओं की पहचान स्थापित करने के लिए मान्य
किया है, उनमें आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, फोटो सहित पेंशन
दस्तावेज, केंद्र अथवा राज्य सरकार या सार्वजनिक उपक्रम अथवा सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों द्वारा कर्मियों को
जारी फोटो सहित सेवा पहचान पत्र, बैंक अथवा डाकघर द्वारा जारी फोटो सहित पासबुक, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के अधीन आरजीआई द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड, श्रम मंत्रालय की योजनाओं के अधीन जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट
कार्ड, सांसद या विधानसभा एवं विधान परिषद के सदस्यों को जारी किये गये आधिकारिक पहचान पत्र तथा भारत
सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा दिव्यांगजनों को जारी यूनिक डिसेबिलिटी आईडी शामिल शामिल हैं।
आयोग ने कहा है कि प्रवासी निर्वाचक जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 20 क के अधीन
पासपोर्ट में दर्ज विवरणों के आधार पर मतदाता सूची में पंजीकृत हुए हैं मतदान केंद्र में उन्हें मूल पासपोर्ट के
आधार पर पहचाना जायेगा किसी अन्य पहचान के दस्तावेज से नहीं।

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आज शाम 6 बजे से मतदान की समाप्ति तक बंद रहेंगी शराब दुकानें

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डिजिटल भारत l विधानसभा का निर्विघ्न एवं शांतिपूर्ण चुनाव सम्पन्न कराने जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलेक्टर
सौरभ कुमार सुमन ने आज एक आदेश जारी कर मतदान समाप्ति के नियत समय के 48 घण्टे पूर्व की अवधि से
मतदान समाप्ति की अवधि तक तथा मतगणना दिवस पर सम्पूर्ण जिले की राजस्व सीमा में शुष्क दिवस घोषित
किया है।
जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलेक्टर द्वारा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 135 ग के
प्रावधानों के तहत जारी किये गये इस आदेश के मुताबिक जिले की राजस्व सीमा में मतदान समाप्ति के नियत
समय के 48 घण्टे पूर्व अर्थात 15 नवंबर की शाम 6 बजे से मतदान की समाप्ति अर्थात 17 नवंबर की शाम 6
बजे तक शुष्क दिवस रहेगा । इसी प्रकार 3 दिसम्बर को मतगणना के दिन को भी शुष्क दिवस घोषित किया गया
है
शुष्क दिवस की अवधि में जिले की सभी मदिरा दुकानों, एम्बी वाईन आउटलेट, देशी मद्य भण्डारागार
जबलपुर एवं सिहोरा तथा विदेशी मदिरा मद्य भण्डारागार करमेता से मदिरा का विक्रय, परिवहन अथवा प्रदाय को
पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया है
आदेश के अनुसार जिले के सभी मतदान क्षेत्र में किसी भी होटल, आहार गृह, क्लब, मधुशाला में अथवा अन्य
किसी सार्वजनिक तथा निजी स्थान में कोई भी स्प्रिटयुक्त, किण्वित या मादक लिकर या वैसी ही प्रकृति के अन्य
पदार्थ का भी विक्रय, संग्रहण, एवं परिवहन भी प्रतिबन्धित रहेगा ।
जिला निर्वाचन अधिकारी ने आबकारी एवं पुलिस विभाग को आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के
निर्देश दिये हैं आदेश में हिदायत दी गई है कि शुष्क दिवस की अवधि में जिले में किसी भी प्रकार के मादक
द्रव्य का अवैध कब्जा, परिवहन, विक्रय इत्यादि न हो ।

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कांग्रेस प्रत्यासी राजेश पटेल को क्षेत्र में मिल रहा अपार जन समर्थन एक जुट हुई कांग्रेस, बदला नजर आने लगा माहौल

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डिजिटल भारत l इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा से 10 साल से विधायक रहे सुशील इंदु तिवारी पुनः भाजपा से प्रत्यासी है तो वहीं कांग्रेस ने ओबीसी कार्ड खेलकर पनागर विधानसभा में राजेश पटेल को प्रत्यासी बनाया गया है जिन्हें जनसंपर्क के दौरान पनागर ही नही बरेला क्षेत्र में भी जनता का भरपूर प्यार और जन समर्थन मिल रहा है, पनागर प्रत्यासी राजेश पटेल पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं अपने अध्यक्ष के कार्यकाल में राजेश पटेल ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार दौरा कर अपनी पहचान बना चुके थे अब वो कांग्रेस से विधानसभा प्रत्यासी के रूप में फिर से जनता के बीच में हैं अब जनता भी उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष के बाद पनागर में विधायक बनना देखना चाह रही है जिसके चलते इस चुनाव में उन्हें जनता के बीच वही स्नेह और सम्मान मिल रहा है।
हाल में हुए जिला पंचायत चुनाव में राजेश पटेल ने अपने छोटे भाई विवेक पटेल को जिला पंचायत चुनाव में भारी मतों से विजयी बनाया था जो आज जिला पंचायत में उपाध्यक्ष पद पर है, विवेक पटेल भी जिला पंचायत उपाध्यक्ष रहते ग्रामीण अंचलों में लगातार दौरा किया जिसका पूरा लाभ भी इस चुनाव में राजेश पटेल को मिलता नजर आ रहा है।
तो वहीं पूर्व में निर्दलीय प्रत्यासी रहे भारत सिंह यादव की पत्नी श्रीमती प्रभा यादव भी राजेश पटेल के पक्ष में खुलकर मैदान में प्रचार प्रसार कर रहे हैं तो वहीं सेवादल के राष्ट्रीय महासचिव सत्येंद्र यादव भी समस्त 310 बूथों में अपनी टीम के साथ राजेश पटेल के समर्थन में जीत दिलाने पुरजोर मेहनत कर रहे हैं, वहीं प्रदेश महामंत्री विनोद श्रीवास्तव ने भी अपनी टीम कांग्रेस को विजयी बनाने लगा रखी है, ब्लॉक कांग्रेस पनागर और बरेला, युवक कांग्रेस, महिला कांग्रेस, एनएसयूआई के साथ ओबीसी एससी एसटी संयुक्त मोर्चा मध्यप्रदेश जन जागरण मोर्चा (कमलनाथ ग्रुप) के साथ कुर्मी क्षत्रिय महासभा के खुले समर्थन ने इस चुनाव को और भी रोमांचक बना दिया है, कुल मिलाकर देखा जाए तो इस बार हो रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक डोर में एक जुट होकर चुनाव लड़ रही है जिससे यह चुनाव काफी रोमांचक स्थिति में पंहुच चुका है। अब जनता को ही तय करना है कि आगामी 17 नवंबर तक इस तरह से जनता का मिल रहा जनसमर्थन वोट में तब्दील हो रहा है या जनता के मन में 10 साल से विधायक रहे सुशील इंदु तिवारी को तीसरी बार चुनकर पुनः विधायक बनाना चाह रही है यह तो 3 दिसंबर को आने वाला परिणाम में ही दिखाई देगा

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कम महिला वोटर टर्नआउट को शत प्रतिशत मतदान में बदलने आयोजित किये गये जागरूकता के कार्यक्रम

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डिजिटल भारत l विधानसभा के 17 नवंबर को होने वाले चुनाव में शत-प्रतिशत मतदान के उद्देश्य से पिछले निर्वाचनों के
कम वोटर टर्न आउट वाले चिन्हित किये गये मतदान केंद्रो में आयोजित की जा रही गतिविधियों के तहत आज
बुधवार को जिला निर्वाचन कार्यालय के स्वीप सेल द्वारा शहरी विधानसभा क्षेत्रों में जागरूकता के विभिन्न कार्यक्रम
आयोजित किये गये।
इन कार्यक्रमों में जबलपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्र के मतदान केंद्र क्रमांक-40 में महिला वोटर टर्न आउट
शत-प्रतिशत पहुँचाने का लक्ष्य लेकर जिला स्वीप शाखा द्वारा एपीसी तरुण राज दुबे के नेतृत्व में संबंधित बीएलओ
संभागीय अधिकारी नगर निगम तथा प्रियदर्शनी अंजुमन महाविद्यालय की समेकित जिम्मेदारी तय की गई । इसे
अभियान बनाते हुए अंजुमन महिला महाविद्यालय की प्राचार्य शबाना अंजुम, निर्वाचन साक्षरता क्लब की
नोडल अधिकारी रेशमा शेख के समन्वय में महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने “डाले वोट, बूथ पर जायें,
लोकतंत्र का पर्व मनाए” थीम पर रोचक नुक्कड़ नाटक मतदान केंद्र पर किया गया तथा नागरिकों को मतदान करने
तथा अन्य को भी वोट डालने प्रेरित करने का संकल्प दिलाया गया।
विधानसभा क्षेत्र जबलपुर उत्तर में जागरूकता कार्यक्रम में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक वार्ड स्थित मतदान
केंद्र क्रमांक -216 से सबंधित क्षेत्र की महिला मतदाताओं को वोट के प्रति जागरूक करने एपीसी राजेश तिवारी,
मानकुँवर बाई महिला महाविद्यालय प्राचार्य डॉ संध्या चौबे, ईएलसी नोडल श्रद्धा तिवारी द्वारा समन्वित
प्रयास कर नुक्कड़ नाटक का आयोजन कर शत-प्रतिशत मतदान का स्पष्ट संदेश प्रसारित कर उपस्थित महिलाओं
से अनिवार्य मतदान हेतु संकल्प लिया गया।


विधानसभा क्षेत्र जबलपुर पश्चिम के मतदान केंद्र क्रमांक-149 से सबंधित क्षेत्र के मतदाताओं को जागरूकता
करने हेतु संकल्प लिया गया अपील की गई तथा शपथ दिलवाई गई तथा इससे जुड़े क्षेत्र का हवाबाग महिला
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. सैयद सहेवार, ईएलसी नोडल अधिकारी रुचि केसरवानी एपीसी मोनिका लकड़ा, सेक्टर
अधिकारी माधव सिंह यादव एवं महाविद्यालय के छात्रों द्वारा हाथों में तख्ती लेकर व्यापक भ्रमण कर क्षेत्र में
जागरूकता की लहर फैलाई गई|
विधानसभा क्षेत्र जबलपुर केंट के अंतर्गत सेंट अलायसियस महाविद्यालय के संयोजन में विद्यार्थियों
द्वारा अपने अभिभावकों को वोट देने हेतु संकल्प लिया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा समस्त स्टाफ तथा
अन्य सभी को अधिक से अधिक मतदान करने हेतु प्रेरित किया गया।
जिला निर्वाचन कार्यालय के स्वीप समन्वयक प्रमोद श्रीवास्तव ने बताया कि मतदाता जागरूकता के
कार्यक्रम व्यापक रूप से निरंतर जारी रहेंगे।

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