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जानिए कैसे हो सकती है आतंकवाद की काट, कश्मीर में बहुत जल्दी दिखने लगा तालिबान इफेक्ट

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डिजिटल भारत I अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद से ही यह कयास लगने लगे थे कि इसका असर कश्मीर में भी देखने को मिलेगा, लेकिन यह कुछ जल्दी ही हो गया। जम्मू-कश्मीर में बीते करीब एक महीने से आतंकियों ने नागरिकों को टारगेट करना शुरू कर दिया है और यह 1990 के उन दिनों की याद दिलाता है, जब कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ था। उस दौर में अखबार में एक संदेश के जरिए अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों को इस्लाम कबूल करने या फिर निकल जाने की धमकी दी गई थी। इस बार ऐसा सोशल मीडिया के जरिए किया जा रहा है। आर्टिकल 370 हटने के बाद बदले हालातों में जम्मू-कश्मीर के सामाजिक एकीकरण की उम्मीद जो जगी थी, उसे भी इससे झटका लगा है।

तालिबान के अफगानिस्तान में आते ही मुंद्रा पोर्ट पर बड़े पैमाने पर ड्रग्स पकड़ा जाना और फिर कश्मीर में आतंक का दौर बढ़ना बताता है कि इसके कनेक्शन देश से बाहर ही हैं। लंबे समय से दक्षिण एशिया में आतंकवाद की फंडिंग का एक स्रोत ड्रग्स का कारोबार भी रहा है। अब पाकिस्तान ने तालिबान से आने के बाद इसे लेकर खुला खेल खेलना शुरू कर दिया है

भारत के लिए यह लड़ाई परसेप्शन के लेवल पर भी है। अल्पसंख्यकों और बाहरी लोगों को पलायन के लिए मजबूर कर आतंकी यह संदेश देना चाहते हैं कि आर्टिकल 370 हटाए जाने की वजह से ऐसा हो रहा है। ऐसे में इस अनुच्छेद के तमाम प्रावधानों को खत्म करने का मकसद ही समाप्त हो जाएगा। इसलिए यह जरूरी है कि सरकार अल्पसंख्यकों और बाहरी लोगों के पलायन को रोकने के लिए काम करे। इसकी बजाय कोशिश यह होनी चाहिए कि टूरिज्म सेक्टर और अन्य चीजों में निवेश कर बाहरी लोगों को आने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

। खुफिया जानकारों के मुताबिक एक तरफ पाकिस्तान भी ड्रग्स के धंधे को बढ़ावा देने के काम में जुटा है। इसी कमाई से वह आतंकियों की फंडिग कर रहा है। कई युद्धों में हार चुके पाकिस्तान के लिए भारत से लड़ने के लिए छद्म युद्ध ही सहारा रहा है और उसने फिर वही काम शुरू कर दिया है।

भारत के नजरिए से देखा जाए तो उसके लिए बड़ी चुनौती यही है कि कैसे भी करके स्थानीय अल्पसंख्यकों और बाहरी लोगों में भरोसा जताया जाए कि वे सुरक्षित हैं। इसके लिए उन्हें कुछ चिह्नित इलाकों में बसाकर पर्याप्त सुरक्षा देना भी एक विकल्प हो सकता है। इसके अलावा स्थानीय बहुसंख्यक वर्ग के धार्मिक नेताओं को भरोसे में लाकर भी कोई पहल की जा सकती है ताकि बाहरी लोगों को यह लगे कि स्थानीय समाज उनके साथ है। आतंकी पाक प्रायोजित हैं और उनके अजेंडे के साथ स्थानीय लोग नहीं हैं, यह भले ही सच्चाई हो, लेकिन उसका संदेश देना भी बेहद जरूरी है।

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महिला सशक्तिकरण की दिशा में मध्यप्रदेश तेजी से आगे बढ़ , स्व-सहायता समूह की महिलाओं में स्व-रोजगार के प्रति बढ़ता जुनून

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 महिला सशक्तिकरण की दिशा में मध्यप्रदेश तेजी से आगे बढ़ रहा है। राज्य शासन की नीतियों, कार्यक्रमों और योजनाओं से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ कर उन्हें स्व-रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। विशेष रूप से आजीविका मिशन के माध्यम से बड़ी संख्या में बनाए गए महिला स्व-सहायता समूहों को हर संभव सहयोग दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि समूहों की सक्रियता से महिलाएँ सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। महिलाओं की मेहनत और स्व-रोजगार के प्रति जुनून आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के संकल्प को पूरा करने में सहयोगी बनेगा।

आजीविका मिशन में 3 लाख 33 हजार स्व- सहायता समूह गठित

    उल्लेखनीय है कि प्रदेश के लगभग 45 हजार ग्रामों में करीब 3 लाख 33 हजार स्व-सहायता समूहों का गठन कर लगभग 38 लाख महिलाओं को जोड़ा जा चुका है। मिशन के अंतर्गत गठित स्व-सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं के लिए भरपूर धन राशि का इंतजाम किया है। समूहों से जुड़ने के लिए पात्र परिवारों में शेष बचे सभी परिवारों को अगले 3 वर्षों में स्व-सहायता समूहों से जोड़ लिया जाएगा।

आर्थिक गतिविधियों के लिए पूंजी का इंतजाम

    मुख्यमंत्री श्री चौहान ने स्व- सहायता समूहों को सस्ती ब्याज दर और सरल प्रक्रिया से बैंक ऋण उपलब्ध कराने के काम को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा है। ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका गतिविधियों को और सुदृढ़ करने के लिए विगत वर्षों की तुलना में बैंक ऋण राशि में काफी वृद्धि की गई है। इसे राज्य सरकार द्वारा 300 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1300 करोड़ रुपए किया गया और इस वर्ष 2550 करोड़ रुपए बैंक ऋण स्व-सहायता समूहों को उपलब्ध कराने का लक्ष्य सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है। ऋण राशि पर ब्याज अनुदान भी सरकार द्वारा दिए जाने का निर्णय लिया गया है, जिससे ब्याज का बोझ कम हो रहा है और ऋण वापसी और भी सरल हो गई है।

    निर्धन तबके की आर्थिक स्थिति में तेजी से सुधार के लिए प्रदेश में मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता योजना के अंतर्गत भी 10 हजार रुपए तक का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। इस राशि के मिलने से समूहों की गतिविधियाँ और बढ़ गई हैं।

एमपी आजीविका मार्ट पोर्टल

    मुख्यमंत्री श्री चौहान का कहना है कि प्रदेश की आजीविका उत्पादों को सरकारी और निजी क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर वृहद बाजारों से जोड़ने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म से भी जोड़ा गया है। ताकि उचित दाम में सामान सीधे खरीदा और बेचा जा सके, जिसका फायदा समूह सदस्यों को अधिक से अधिक मिल सकेगा। स्व- सहायता समूहों और बाजार के बीच कोई भी बिचौलिया नहीं हो, यही राज्य शासन का प्रयास है।

    इसके लिए राज्य शासन ने एमपी आजीविका मार्ट पोर्टल बनाया है। यह पोर्टल समूहों द्वारा बनाई जा रही वस्तुओं को बेचने और खरीदने के लिए बहुत ही सुगम माध्यम है। इस व्यवस्था को जल्दी ही सर्वव्यापी करने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे कि समूह की बहनों के व्यवसाय को गति मिल सके।

    पोर्टल में समूह की बहनें अपने उत्पादों को दर्ज करा सकती हैं। अपना नाम, पता और फोन नंबर अंकित कर सकती हैं, जिससे खरीददार बहनों से खुद संपर्क कर सकते हैं और उत्पाद सीधे बहनों से क्रय कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में समूह की महिलाओं को अधिक मुनाफा मिलना तय है। कई जिलों में करोड़ों रुपए का व्यवसाय पोर्टल के माध्यम से किया गया है। शेष जिलों में भी तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं।

स्व-रोजगार के अनेक अवसर

    मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है प्रदेश सरकार महिला स्व- सहायता समूहों को मजबूती प्रदान करने के लिए हर कदम पर बहनों के साथ खड़ी है। प्रयास है कि समूह सदस्यों को काम शुरू करने के लिए एक नहीं अनेक अवसर दिए जाएँ। राज्य सरकार द्वारा अनेक काम समूहों को दिए जा रहे हैं। समूहों को समर्थन मूल्य पर कृषि उपज क्रय करने के लिए पहले से ही जोड़ा जा चुका है। अब उचित मूल्य की दुकानों के संचालन और पोषण आहार निर्माण से भी जोड़ा जा रहा है। इसी क्रम में शालेय गणवेश सिलाई का काम समूहों को दिया गया है। पिछले वर्ष समूह सदस्यों ने अच्छा काम किया था। इस बार फिर से महिला समूहों को स्कूल गणवेश का काम दिया गया है। काम में पारदर्शिता बनाए रखने और प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए स्व- सहायता पोर्टल बनाया गया है, जिसकी सहायता से यह काम और भी आसान हो गया है।

व्यवसाय के लिए जरूरी सामग्री स्वयं खरीदें

    मुख्यमंत्री श्री चौहान का कहना है कि समूह की बहनें तभी और मजबूत बनेगी जब वे अपने लिए और समूह के लिए जरूरी चीजों की खरीददारी स्वतंत्र रूप से खुद करेंगी। इसलिए कोई भी सामग्री बाजार में सर्वे कर स्वयं खरीदें। बनाई गई वस्तुएँ उचित दाम में बेचे। क्रय- विक्रय की प्रक्रिया में कोई बिचौलिया न रहने दें। बहनें आपसी समन्वय एवं परामर्श से ही यह कार्य करें और लिखा -पढ़ी तथा हिसाब- किताब साफ- साफ रखें।

    मुख्यमंत्री श्री चौहान का मानना है कि उत्साह और हौंसले के साथ ही जिस रफ्तार से समूह की बहनें गरीबी को हराकर संपन्नता की और अग्रसर हो रही हैं। उस रफ्तार से आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश बनाने में अधिक समय नहीं लगेगा।

समूह की महिलाओं का बीमा

    राज्य सरकार ने महिला स्व- सहायता समूह की महिलाओं का बीमा करवाने का अभियान चलाया है। शासन का प्रयास है कि सभी बहनें बीमा से जुड़ जाएँ, ताकि असामयिक मृत्यु पर कठिन समय में परिवार को कुछ धनराशि की सहायता मिल सके। इसके लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा और प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा बीमा योजना में प्रीमियम जमा करके इस योजना का फायदा उठाया जा सकता है। बैंकों के माध्यम से बीमा आसानी से किया जा रहा है। प्रसन्नता की बात है कि बड़ी संख्या में समूहों की बहनों का बीमा हो चुका है।

सामाजिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में नए आयाम

    आर्थिक सशक्तिकरण के साथ सामाजिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी समूह की महिलाओं ने नए आयाम स्थापित किए हैं। ग्रामीण क्षेत्र में समूह की बहनों द्वारा नशा मुक्ति, बाल विवाह को रोकने, स्वच्छता, पोषण और पर्यावरण संरक्षण जैसे गंभीर विषयों पर भी सामाजिक व्यवहार परिवर्तन के लिए सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं।

    वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान कोरोना संक्रमण से बचाव की सामग्री बनाकर आपदा को अवसर में बदलने समूह की महिलाओं ने अच्छा काम किया है। लॉकडाउन से लेकर अब तक करीब 2 करोड़ मास्क, 1.5 लाख पीपीई किट,1.60 लाख लीटर सैनिटाइजर, 33 हजार लीटर हैंड वास और लगभग 8 लाख से भी अधिक साबुन का निर्माण किया है।

    कोविड-19 टीकाकरण, बाढ़ पीड़ितों के लिए भोजन पका कर देने और जैविक कृषि पद्धति को अपनाने के लिए समूह की महिलाओं द्वारा अच्छा कार्य किया गया है।

योजनाओं की निगरानी एवं क्रियान्वयन में सक्षम बनी महिलाएँ

    यह बड़े गर्व की बात है कि समूह की बहनें ग्राम पंचायत स्तर पर सामुदायिक विकास की योजनाओं की निगरानी के साथ क्रियान्वयन में भी सहयोग कर रही हैं। बिजली बिल के वितरण एवं संग्रहण और काफी समय से लंबित बिजली बिलों को जमा कराने का काम बहनें कर रही हैं।

ऑक्सीजन प्लांट का संचालन समूह की महिलाओं द्वारा

    प्रदेश के श्योपुर जिले में तो ऑक्सीजन प्लांट का संचालन भी महिला स्व -सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है। बहनों के उत्साह और क्षमता को देखते हुए राज्य सरकार ने और कई काम महिला समूहों को सौंपने का निर्णय लिया है। गाँव में नल-जल योजनाओं के संचालन का काम महिला समूहों को दिया जा रहा है। अभी कुछ जिलों में समूहों ने नल- जल योजनाओं का सफल संचालन करके दिखाया है।

पोषण आहार संयंत्रों के संचालन की जिम्मेदारी संभालेंगी महिला समूह

    प्रदेश के सातों टीएचआर प्लांट का संचालन महिला समूहों को देने का निर्णय लिया गया है। सरकार के इस फैसले से प्रदेश में पोषण आहार तैयार कर विक्रय से होने वाले मुनाफे से प्रदेश के लाखों समूह सदस्य लाभान्वित होंगे।

    प्रदेश में देवास, धार, होशंगाबाद, मंडला, सागर, रीवा और शिवपुरी में टीएचआर संयंत्र स्थापित किए गए हैं। वर्तमान में इन संयंत्रों से प्रतिमाह 50 से 60 करोड़ रुपए का पोषण आहार तैयार होता है। संयंत्रों के संचालन से प्राप्त होने वाले लाभांश में से 5 प्रतिशत का उपयोग संयंत्रों के संधारण के लिए सुरक्षित रखते हुए शेष 95 प्रतिशत लाभांश स्व-सहायता समूहों को प्राप्त होगा।

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 2022 तक देश के सभी आवासहीन लोगों को आवास गृह उपलब्ध कराने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य

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दीपावली के पूर्व 2.51 लाख आवासहीन परिवारों को मिलेगी अपने आवास की सौगात, भूमि का पट्टा और आवास निर्माण की राशि दी जाएगी

मध्यप्रदेश में आवास योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का प्रभावी क्रियान्वयन करते हुए 21 लाख 5 हजार आवास बना लिए गए हैं। वित्त वर्ष 2021-22 में प्रदेश के कुछ जिलों में अतिवृष्टि के बावजूद वर्षाकाल की तिमाही में सबसे ज्यादा एक लाख 60 हजार आवास बना लिए गए। योजना में मध्यप्रदेश को मिले 26.28 लाख आवास गृह बनाने के लक्ष्य के मुकाबले प्राप्त उपलब्धि संतोषजनक ही नहीं गरीबों को आवास गृह दिलवाने की दृष्टि से सराहनीय भी है। उल्लेखनीय बात यह है कि मध्यप्रदेश की तीन विशेष पिछड़ी जनजातियों बैगा, सहरिया और भारिया के लोगों के लिए भी विशेष परियोजना के अंतर्गत आवास गृह उपलब्ध करवाए गए हैं। जीर्ण-शीर्ण घरों में रहने वाले इन वर्गों के लोगों के लिए यह अकल्पनीय था कि उन्हें इतनी शीघ्र आवास गृह मिल जाएगा और दीपोत्सव वे नए घर में ही मना पाएंगे।

    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 2022 तक देश के सभी आवासहीन लोगों को आवास गृह उपलब्ध कराने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की पूर्ति में मध्यप्रदेश अच्छा कार्य कर रहा है। इस क्रम में आगामी सप्ताह मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के 2 लाख 51 हजार हितग्राहियों को आवास गृह का एक साथ वर्चुअल गृह प्रवेश करवाएंगे। इस संबंध में आवश्यक तैयारियाँ की जा रही हैं। सबको आवास 2022 की लक्ष्य पूर्ति में मध्यप्रदेश ने अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। जिन परिवारों को अपने मकान की सौगात मिली है, वे प्रधानमंत्री श्री मोदी और मुख्यमंत्री श्री चौहान के प्रति विशेष रूप से आभारी भी हैं। इस वर्ष दीपावली के पहले वे अपने नवनिर्मित आवास गृह में पहुँचने के लिए तैयार हो गए हैं। अब वे नए आवास गृह में ही दीपोत्सव मनाएंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान का कहना है कि प्रदेश में हर गरीब परिवार को भूमि का पट्टा और पात्रतानुसार आवास निर्माण की राशि दी जाएगी।

कोरोना काल में भी नहीं रुका आवास बनाने का कार्य

    मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने निरंतर समीक्षा करते हुए आवास योजनाओं के क्रियान्वयन की गति को बढ़ाने के साफ निर्देश दिए। इसके फलस्वरूप प्रदेश में कोरोना काल में भी आवास निर्माण का कार्य नहीं रूका। इस अवधि में 3 लाख से अधिक आवास गृह निर्मित किए गए। आमतौर पर एक आवास गृह के निर्माण के लिए औसतन 4 महीने का समय तय है, लेकिन पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने गरीबों के लिए पक्के मकान बनाने का कार्य तेजी से पूरा करते हुए एक माह के अल्प समय में 1 लाख आवास गृह बनाकर तैयार किए। आवास निर्माण की अवधि राष्ट्रीय स्तर पर 114 दिवस है। इस दृष्टि से मध्यप्रदेश में अच्छी गति के साथ आवास निर्माण के कार्य सम्पन्न हुए हैं। वर्षाकाल में यह संभव नहीं था लेकिन निर्माण एजेंसियों ने मनोयोगपूर्वक कार्य करते हुए इस उपलब्धि को हासिल किया है।

सॉफ्ट एप के माध्यम से हितग्राही के खाते में अंतरित होती है राशि

    महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में उन लोगों को आवास गृह मिल गया है, जिनका अपना मकान नहीं था। योजना के प्रावधानों के अनुसार हितग्राही को मकान की इकाई लागत मैदानी क्षेत्र में एक लाख 20 हजार और दूरस्थ पहुँचविहीन दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में एक लाख 30 हजार रूपए शत-प्रतिशत अनुदान के रूप में प्रदान की जाती है। यह राशि आवास निर्माण के कार्य की प्रगति के आधार पर किश्तों के रूप में दी जाती है। हितग्राही द्वारा अपने मकान के निर्माण के लिए प्रदर्शित रूचि और परिश्रम के अच्छे परिणाम मिलते हैं। पूरा परिवार पक्के आवास गृह को पाकर अपने जीवन को सार्थक महसूस करता है। सॉफ्ट एप के माध्यम से जियो टेग, फोटो अपलोड होने पर स्वमेव हितग्राही के खाते में राशि का अंतरण हो जाता है। हितग्राही को किसी सरकारी दफ्तर का चक्कर नहीं लगाना पड़ता है। मकान के साथ ही स्वच्छ शौचालय का निर्माण किया जाता है। यही नहीं हितग्राही को उज्जवला योजना में एलपीजी गैस कनेक्शन भी प्रदान किया जाता है।

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WhatsApp ने चैट बैक-अप के लिए, WhatsApp ने iOS और Android डिवाइसेज पर चैट बैक-अप के लिए एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन फीचर को ग्लोबली रोल आउट

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WhatsApp ने चैट बैक-अप के लिए,  WhatsApp ने iOS और Android डिवाइसेज पर चैट बैक-अप के लिए एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन फीचर को ग्लोबली रोल आउट करना शुरू कर दिया रोल आउट किया एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन, आपकी Saved चैट भी रहेगी सुरक्षित

WhatsApp ने iOS और Android डिवाइसेज पर चैट बैक-अप के लिए एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन फीचर को ग्लोबली रोल आउट करना शुरू कर दिया है। कंपनी के CEO मार्क जकरबर्ग ने इसकी घोषणा की है। iCloud और Google Drive पर होने वाले चैट बैक-अप को एक अतिरिक्त सुरक्षा लेयर मिल जाएगा।

WhatsApp ने iOS और Android डिवाइसेज पर चैट बैक-अप के लिए एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन फीचर को ग्लोबली रोल आउट करना शुरू कर दिया है। कंपनी के CEO मार्क जकरबर्ग ने इसकी घोषणा की है। इस फीचर के रोल आउट होने के साथ ही iCloud और Google Drive पर होने वाले चैट बैक-अप को एक अतिरिक्त सुरक्षा लेयर मिल जाएगा।

मार्क जकरबर्ग ने फीचर को रोल आउट करते हुए जारी स्टेटमेंट में कहा कि इस रोल आउट के साथ हम अब यूजर्स को पूरी तरह से एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन मैसेजिंग एक्सपीरियंस देने के लिए सक्षम हैं। Also Read – WhatsApp में ग्रुप चैट होगी बेहतर, Community फीचर पर काम कर रहा है ऐप

Facebook CEO ने अपने स्टेटमेंट में आगे कहा कि चैट बैक-अप के लिए आपको एक 64 डिजिट का एनक्रिप्शन की चुनना होगा, जो सिर्फ आपको पता होगा। न तो WhatsApp और न ही सर्विस प्रोवाइडर के आपके द्वारा बैक-अप किया गया मैसेज पढ़ पाएंगे। आप अपने चैट बैक-अप को बनाए गए 64 डिजिट कोड से अनलॉक कर सकेंगे। Also Read – गूगल खत्म कर सकता है WhatsApp यूजर्स के लिए अनलिमिटेड चैट बैकअप की सुविधा, जानें डिटेल

इस तरह क्रिएट करें एनक्रिप्टेड बैक-अप

सबसे पहले WhatsApp की सेटिंग्स में जाएं।

इसके बाद चैट पर टैप करें और चैट बैक-अप पर जाएं।

फिर एंड-टू-एंड एनक्रिप्टेड बैक-अप पर क्लिर करें।

अब आगे बढ़ने के लिए कन्टिन्यू पर टैप करें और पासवर्ड या की क्रिएट करें।

प्रक्रिया पूरी होने पर ‘done’ पर टैप करें। इसके साथ ही आपके WhatsApp चैट बैक-अप के लिए एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन शुरू हो जाएगा। इस बात का ध्यान रहे कि स्मार्टफोन को इस प्रक्रिया के लिए चार्ज पर लगाना भी पड़ सकता है।

इस तरह हटाएं एनक्रिप्टेड चैट बैकअप

WhatsApp की सेटिंग्स में जाएं।

इसके बाद चैट्स पर टैप करें और चैट बैक-अप पर टैप करें।

अब एंड-टू-एंड एनक्रिप्टेड चैट बैक-अप पर टैप करें।

फिर इसे ऑफ करने का विकल्प मिलेगा उसपर टैप करें। फिर अपना पासवर्ड दर्ज करें और इस प्रक्रिया को बंद करें।

Facebook ने इस फीचर को रोल आउट करते हुए कहा कि इसके जरिए यूजर्स के डिजिटल कन्वर्सेशन के लिए और ज्यादा प्राइवेसी और सिक्युरिटी मिलेगी।

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Google का ये खुलासा, खतरे की घंटी! 140 देशों में से INDIA इस मामले में छठे नंबर पर

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इजराइल, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, चीन , सिंगापुर, भारत, कजाखस्तान, फिलिपींन्स, ईरान और यू के । इजराइल ने सबसे ज्यादा रैंसमवेयर सैम्पल्स जमा करवाए थे और जोकि न्यूनतम केसेस का 600 गुना ज्यादा है। इस रिपोर्ट के हिसाब से रैंसमवेयर समस्या सबसे ज्यादा प्रभावित देश हैं

Google की एक रिपोर्ट का कहना है कि Ransomware की मुसीबत झेल रहे दुनिया के 140 देशों की लिस्ट में भारत छठवें नंबर पर है। रिपोर्ट में कहा गया है डेढ़ साल में लगभग 80 मिलियन से ज्यादा रैंसमवेयर सैम्पल्स का एनालिसिस करने के बाद गूगल इस नतीजे पर पहुंचा है। इस एनालिसिस के लिए 140 देशों से 80 मिलियन से ज्यादा रैंसमवेयर सैम्पल्स जमा किए गए थे।

ये एनालिसिस गूगल के लिए VirusTotal ने किया है। 2004 में लॉन्च हुई VirusTotal का सितंबर 2012 में गूगल ने अधिग्रहण कर लिया था। फिर जनवरी 2018 में VirusTotal, गूगल क्लाउड प्लेटफार्म (GCP) की साइबर सिक्योरिटी कंपनी क्रॉनिकल सिक्योरिटी के कण्ट्रोल में चली गयी।

दुनिया भर के सिक्योरिटी प्रैक्टिशनर्स, रिसर्चर्स और आम लोगों को इन रैनसमवेयर अटैक्स का असली रूप समझने में मदद करती है। इस रिपोर्ट से साइबर प्रोफेशनल्स को संदेहपूर्ण फाइल्स, डोमेन्स, URLs और IP एड्रैस को अच्छे से एनालिसिस करने में सहायता मिलती है। VirusTotal के विसेन्ट डियाज़ ने ये जानकारी देते हुए पहली रैनसम वेयर एक्टिविटी रिपोर्ट के बारे में बताया।

डियाज़ ने बताया कि साल 2020 के पहले दो क्वार्टर्स में रैनसम वेयर एक्टिविटीज बेहद ज्यादा बढ़ गयी थीं मगर फिर बाद में इनमें एकदम से कमी आ गयी। 2020 और 2021 के पहले 6 महीनों में लगभग 130 अलग रैनसम ग्रुप्स एक्टिव थे। इनमें से कम से कम 100 रैनसम ग्रुप्स की एक्टिविटीज कभी नहीं रुकती।

हैकर्स रैनसम अटैक के लिए अलग अलग तरीके इस्तेमाल करते हैं। ये मैलवेयर अटैकर्स रैनसम अटैक के लिए बॉटनेट मैलवेयर या दूसरे रिमोट एक्सेस ट्रोजन्स (RATs) का इस्तेमाल करते हैं।

ज्यादातर केसेस में अटैक के लिए नए रैनसमवेयर सैम्पल्स का इस्तेमाल हो रहा है। इजराइल रैनसमवेयर एक्टिविटीज के सबसे ज्यादा निशाने पर रहता है और इजराइल द्वारा रिपोर्ट की गई ऐसी एक्टिविटीज बोटमलाइन से 600 गुना ज्यादा थी।

भारत भी लगातार रैनसमवेयर एक्टिविटीज के निशाने पर रहता है और 140 देशों की लिस्ट में भारत का स्थान छठवां है, जोकि चिंता का विषय है। रिपोर्ट ने बताय की गूगल Chrome OS क्लाउड पर किसी भी तरह के रैनसम वेयर अटैक नहीं हुआ है।

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केरल में लगातार हो रही भारी बारिश से हालात काफी बिगड़

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डिजिटल भारत I केरल में लगातार हो रही भारी बारिश से हालात काफी बिगड़ गए हैं। राज्य में बाढ़ और लैंडस्लाइड की घटनाओं में अब तक 15 लोगों की मौत हो गई है और 8 लापता हैं। कोट्टायम, इडुक्की और पठानमथिट्टा के पहाड़ी इलाके बाढ़ से ज्यादा प्रभावित हैं। इडुक्की के थोडुपुझा और कोक्कयार, कोट्टायम के कूटिक्कल में मौतें हुई हैं।

वहीं, मीनाचल और मनीमाला में नदियां उफान पर हैं।  केरल (Kerala) के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (Pinarayi Vijayan) ने राज्य में बारिश के कारण बिगड़े हालात को देखते हुए देर रात एक आपातकालीन बैठक बुलाई. बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि राज्य के कुछ हिस्सों में स्थिति वास्तव में काफी गंभीर है. हम लोगों की जान बचाने की हर संभव कोशिश करेंगे. हमने सेना, नौसेना और वायु सेना से मदद मांगी है.

 बारिश  से जुड़ी घटनाओं में कई लोग घायल हुए हैं। साथ ही कई लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है। यहां तक कि कई जिलों में बांध अपनी पूरी क्षमता के करीब पहुंच गए हैं। राज्य के पहाड़ी इलाकों में कई छोटे कस्बे और गांव बाहरी दुनिया से पूरी तरह कट गए हैं।

तिरुवनंतपुरम, कोल्लम समेत इन 15 जिलों में  अलर्ट

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, पठानमथिट्टा, कोट्टायम, अलाप्पुझा, एर्नाकुलम, इडुक्की, त्रिशूर, पलक्कड़, मलप्पुरम और कोझीकोड जिलों में भारी बारिश के लिए यलो अलर्ट जारी किया है। वहीं, रविवार को दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के कुछ हिस्सों में छिटपुट बारिश हुई। इस बीच मौसम विभाग ने उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब के कुछ हिस्सों के लिए भारी बारिश को लेकर रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।

वायुसेना के जवान राहत और बचाव कार्य में जुटे

डिफेंस PRO ने बताया कि इंजीनियरिंग और मेडिकल यूनिट के साथ कन्नूर से सेना के जवानों का दल बचाव कार्यों के लिए वायनाड पहुंच गया है। बेंगलुरु से इंजीनियरिंग टास्क फोर्स के जल्द ही वायनाड पहुंचने की उम्मीद है। सेना की ओर से अब तक कुल 3 कॉलम तैनात किए गए हैं। राहत सामग्री के साथ नेवी चॉपर के जरिए बारिश प्रभावित इलाकों का दौरा जारी है। वायुसेना स्टेशन शंगमुघम में वायु सेना के 2 हेलिकॉप्टर MI-17 स्टैंडबाय पर हैं। केरल के CM विजयन बोले- हालात गंभीर.

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस हालात को गंभीर बताया है। उन्होंने कहा कि IMD ने अरब सागर के ऊपर बने कम दबाव प्रणाली के कारण राज्य में व्यापक भारी बारिश की चेतावनी दी है। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारी बारिश और बाढ़ के मद्देनजर केरल के कुछ हिस्सों में स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। केंद्र सरकार जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए हर संभव प्रयास करेगी।

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वन्यजीव प्रेमी अब रातापानी सेंचुरी में टाइगर सफारी कर सकते हैं। यहां पूरे 36 किमी में घूम सकेंगे

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डिजिटल भारत I वन्यजीव प्रेमी अब रातापानी सेंचुरी में टाइगर सफारी कर सकते हैं। यहां पूरे 36 किमी में घूम सकेंगे। यह देश की पहली ऐसी सेंचुरी बन गई है, जहां टाइगर रिजर्व जैसी सफारी की शुरुआत हुई है। सफारी का रूट झिरी से लेकर करमई तक होगा। यह सेंचुरी का बफर जोन है। पर्यटकों की संख्या बढ़ने पर यहां सफारी वाहन की संख्या बढ़ाई जाएगी।

सफारी किराया

झिरी से करमई तक प्रति व्यक्ति सफारी किराया 450 रुपए

झिरी से कैरी महादेव तक प्रति व्यक्ति किराया 400 रु.

अभी यहां प्राइवेट वाहनों को ‘पहले आओ- पहले पाओ  की तर्ज पर झिरी और करमई गेट से प्रवेश की अनुमति दी गई है। सफारी वाहन की संख्या बढ़ने पर प्राइवेट वाहनों का सेंचुरी के अंदर प्रवेश बंद कर दिया जाएगा। शनिवार को रातापानी सेंचुरी के डीएफओ विजय कुमार ने दो सफारी वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

पेंच टाईगर रिजर्व के वन क्षेत्रों का गौरवशाली इतिहास रहा है। इसके प्राकृतिक सौंदर्य एवं समृद्धि का वर्णन आईने-अकबरी एवं अन्य कई प्राकृतिक इतिहास की पुस्तकें जैसे आर.ए. स्ट्रेन्डल की ‘‘सिवनी, कैम्प लाईफ इन दा सतपुड़ा” फोर्सेथ की ‘‘हाई लैण्डस आफ सेन्ट्रल इंडिया”  डनबर ब्रेन्डर की ‘‘वाईल्ड एनीमल्स आफ सेन्ट्रल इंडिया में है। स्टेन्डल की आत्मकथा जैसी किताब ‘‘सिवनी रूदियार्ड किपलिंग की ‘‘दा जंगल बुक” लिखने में मुख्य प्रेरणा स्त्रोत थी।

“दा जंगल बुक “ का क्षेत्र”

पेंच टाईगर रिजर्व एवं इसके आसपास का क्षेत्र रूडियार्ड किपलिंग के प्रसिद्ध ‘‘दा जंगल बुक” का वास्तविक कथा क्षेत्र है। रूडियार्ड किपलिंग ने आर.ए. स्ट्रेन्डल की पुस्तक ‘‘सिवन”, ‘‘मैमेलिया आफ इंडिया एण्ड सीलो “और ‘‘डेनीजेन्स आफ दा जंगल” को भौगौलिक संरचनाओं तथा वन्य प्राणियों के व्यवहार के लिए आधार बनाया था। मोंगली की कल्पना सर विलियम हेनरी स्लीमेन के पैम्पलेट ‘‘एन एकाउन्ट आफ वूल्फ्स नरचरिंग चिल्ड्रेन इन देयर डेनस” से की गयी है। जिसमें वर्ष 1831 में सिवनी के पास सन्तबावड़ी नामक ग्राम में भेड़ियो के साथ पले-बढ़े एक बालक के पकड़े जाने की रिपोर्ट है। ‘‘दा जंगल बुक” में वर्णित स्थान, वैनगंगा नदी, उसकी घाटी जहां शेर खान मारा गया था, ग्राम कान्हीवाड़ा और सिवनी की पर्वत मालायें आदि सिवनी जिले में वास्तविक स्थान है।

वर्ष 1977 में 449.39 वर्ग कि.मी. वन क्षेत्र को पेंच अभ्यारण्य क्षेत्र घोषित किया गया था। वर्ष 1983 में इसमें से 292.850 वर्ग कि.मी. क्षेत्र को पेंच राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया था, एवं 118.47 वर्ग कि.मी. क्षेत्र पेंच अभ्यारण्य के रूप में रखा गया। वर्ष 1992 में भारत सरकार द्वारा पेंच राष्ट्रीय उद्यान, पेंच अभ्यारण्य एवं कुछ अन्य वन क्षेत्रों को सम्मिलित कर 757.850 वर्ग कि.मी. क्षेत्र को देश का 19 वां प्रोजेक्ट टाईगर रिजर्व बनाया गया। वर्ष 2002 में पेंच राष्ट्रीय उद्यान एवं पेंच अभ्यारण्य का नाम क्रमशः इंदिरा प्रियदर्शनी पेंच राष्ट्रीय उद्यान एवं पेंच मोगली अभ्यारण्य रखा गया। पेंच जल विद्युत परियोजना के अंतर्गत वर्ष 1973 से 1988 के मध्य पेंच नदी पर तोतलाडोह जलाशय का निर्माण किया गया। जिससे 72 वर्ग कि.मी. क्षेत्र डूब में आया। इसमें से 54 वर्ग कि.मी. डूब क्षेत्र मध्यप्रदेश एवं शेष महाराष्ट्र में है।

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6 CRPF जवान जख्मी ,रायपुर रेलवे स्टेशन पर खड़ी ट्रेन में धमाका

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डिजिटल भारत I शनिवार को छत्तीसगढ़ के रायपुर रेलवे स्टेशन पर धमाका हो गया. रायपुर 211 बटालियन के जवान स्पेशल ट्रेन से जम्मू जा रहे थे. तभी ग्रेनेड ट्रेन की बोगी में रखते वक्त फट गया. यह घटना सुबह के 6 बजे का बताया जा रहा है. इस धमाके में केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 6 जवान घायल हो गए है. सीआरपीएफ के एक हवालदार की हालात गंभीर है. और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है.                                                                                                                                                                                                   मौके पर सीआ पुलिस ने बताया कि सुबह करीब 6.30 बजे CRPF की स्पेशल ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 2 पर खड़ी थी। इसमें जवानों की तीन कंपनियों की शिफ्टिंग हो रही थी। सामान लोडिंग के दौरान विस्फोटक से भरा एक बॉक्स बोगी नंबर 9 के गेट के पास हाथ से छूट गया। इससे ब्लास्ट हो गया। हादसे में हेड कांस्टेबल चवन विकास लक्ष्मण, कांस्टेबल रमेश लाल, रविंद्र कर और दिनेश कुमार पैकरा घायल हो गए।रपीएफ के सीनियर अधिकारी पहुंच गए हैं

हेड कांस्टेबल के हाथ-पैर और कमर में चोट                                                                                              

हेड कांस्टेबल चवन विकास लक्ष्मण को रायपुर के नारायणा हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है। सर्जन डॉ. नीरज पांडेय ने बताया कि चौहान की कमर, हाथ, पैर और सिर में चोट है। सिर में फ्रैक्चर हो गया है। उनका ऑपरेशन करना पड़ेगा। राहत की बात ये है कि उनकी स्थिति खतरे से बाहर है। बाकी 3 जवान फर्स्ट एड लेकर ट्रेन के साथ रवाना हो गए है

CRPF ने मामले की जांच के आदेश दिए

CRPF 211वीं बटालियन के कमांडेंट संजीव रंजन ने बताया कि ऑर्म्स एम्युनिशन बॉक्स को रखने के बाद एम्युनेशन का फ्यूज बॉक्स बोगी के शौचालय के पास फट गया। जीआरपी रेलवे स्टेशन रायपुर में मामला दर्ज कराया गया है। हेड कांस्टेबल का उपचार है। सीआरीपीएफ के भी डॉक्टर पहुंच गए हैं। उसका सीटी स्कैन किया गया है। हादसे के बाद मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं।

CRPF ने कहा- यह लापरवाही नहीं, हादसा

घायल जवान को देखने के लिए अस्पताल पहुंचे CRPF के DIG राजकुमार ने बताया कि ट्रांसपोर्टेशन के समय ब्लास्ट हुआ था। सभी जवान खतरे से बाहर हैं। ट्रेन नागपुर जा रही थी। कई बार सामान ले जाने में झटका लग जाता है। यह सेंसेटिव मटेरियल है। यह लापरवाही नहीं है, किसी सामान को ले जाने के दौरान ऐसा हादसा हो सकता है।

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पत्थरों को काटकर बनाए गए थे 400 मकबरे ,तुर्की में सिंकदर के समय का ‘खजाना’ मिला

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डिजिटल भारत I तुर्की में पुरातत्वविदों ने पत्थरों को काटकर बनाए गए 400 मकबरों को खोजा है. ये कब्रगाह करीब 1800 साल पुराने हैं. इनके अंदर खूबसूरत वॉल पेंटिंग्स हैं. यानी दीवारों पर पेंटिंग की गई है. साथ ही कुछ बहुमूल्य वस्तुएं मिली हैं, जिन्हें लोग खजाना कह रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि ये मकबरे रोमन साम्राज्य के समय के पत्थरों से काटकतुर्की के एजियन सागर से पूर्व में करीब 180 किलोमीटर दूर स्थित ऐतिहासिक शहर ब्लॉनडोस में ये पत्थर से कटे मकबरे मिले हैं  

असल में ये घाटियां यूसाक कैनयन का हिस्सा हैं.   यह कैनयन दुनिया के सबसे बड़े कैनयन सिस्टम में से एक है. ब्लॉनडोस के ही लोगों ने यूसाक की घाटियों की ढलान पर नेक्रोपोलिस का निर्माण किया  इस इलाके में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया यही थी कि मजबूत पत्थर को काटकर मकबरा बना दिया जाता था. जिसके अंदर अंतिम संस्कार किया जाता था बिरोल कैन ने कहा कि पुरातत्वविद नेक्रोपोलिस के बारे में पिछले 150 सालों से जानते हैं. लेकिन कभी भी ब्लॉनडोस में तरीके से खनन नहीं किया गया. इसलिए हमने साल 2018 में एक सिस्टम के अनुसार खनन कार्यक्रम शुरु किया. अभी तक हमने इस जगह पर दो मंदिर, एक थियेटर, एक सार्वजनिक बाथरूम, एक जिम्नेजियम, एक बैसिलिका, शहर की दीवारें, एक बड़ा दरवाजा, रोमन साम्राज्य के हीरो हेरून की समाधि और पत्थरों से कटे मकबरे खोजे हैं.

इस शहर को सिकंदर के बनाए गए थे  यह शहर रोमन और बिजेनटाइन साम्राज्य तक अपने स्वर्णिम युग में था. इन गुफाओं में सार्कोफैगी  नाम की प्रक्रिया की जाती थी. यानी इनमें मारे गए. जीवों और इंसानों को रखा जाता था. ऐसा कई पीढ़ियों तक किया गया था ब्लॉनडोस शहर चारों तरफ से घाटियों से घिरा है. यानी यह एक ऊंची पहाड़ी पर बना है

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इसी साल टी20 में जमाया था तूफानी शतक , 29 साल की उम्र में हुआ पूर्व भारतीय अंडर19 कप्तान का निधन

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डिजिटल भारत I भारतीय क्रिकेट के उभरते खिलाड़ी अंडर19 कप्तान के निधन की खबर ने क्रिकेट जगत को सन्न कर दिया है। महज 29 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने की वजह से भारत ने एक होनहार क्रिकेटर को खो दिया। सौराष्ट्र की तरफ से खेलने वाले इस युवा के निधन की खबर क्रिकेट बोर्ड की तरफ से साझा करते हुए शोक जताया गया। अंडर 19 टीम की कप्तानी कर चुके अवि ने इस साल ही टी20 में शतक जड़ा था।

भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम की कप्तानी कर चुके अवि बरोट शुक्रवार दिल का दौरा पड़ने की वजह से निधन हो गया। महज 29 साल के अवि सौराष्ट्र की तरफ से घरेलू मुकबलों में खेलते थे। साल 2019-20 के सीजन में जब सौराष्ट्र की टीम रणजी चैंपियन बनीं तो अवि उस टीम का भी हिस्सा था। इस साल उन्होंने सैयद मुश्ताक अली ट्राफी में शतक भी बनाया था।

इसी साल 15 जनवरी को गोवा के खिलाफ सैयद मुश्ताक अली ट्राफी में खेलते हुए अवि ने शानदार टी20 शतक बनाया था। महज 53 गेंद का सामना कर 11 चौके और 7 छक्के की मदद से उन्होंने 122 रन की पारी खेली थी। इस बेहतरीन पारी के दम पर टीम ने 215 रन का स्कोर खड़ा किया था। जवाव में गोवा की टीम महज 125 रन ही बना पाई थी और सौराष्ट्र ने 90 रन से मुकाबला अपने नाम किया था।

SCA प्रेसीडेंट ने किया शोक व्यक्त

सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष जयदेव शाह ने अवि बरोट के निधन पर शोक जताते हुए कहा,” ये काफी हैरान करने वाली और दुख भरी खबर है. बरोट एक बेहतर टीममेट था, जिसके पास कमाल की क्रिकेटिंग स्किल्स थी. हाल के जितने भी घरेलू मैच खेले गए, उन सबमें बरोट का परफॉर्मेन्स कमाल का रहा था. वो एक अच्छा इंसान और दोस्त था. उसके अचानक चले जाने से सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़े हर व्यक्ति को बहुत दुख पहुंचा है.”

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