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एक भारत उत्कृष्ट भारत

ये पिली चीज नहीं है सोने से कम, शुगर और पेट की चर्बी कम करने में जादुई असर

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डिजिटल भारत I आयुर्वेद में हल्दी का उपयोग: चमत्कारिक गुण और फायदे
घर के रसोई में मसाले के रूप में इस्तेमाल होने वाली हल्दी को आयुर्वेद में औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। हल्दी का उपयोग कई प्रकार से किया जाता है, जैसे शरीर में चोट लगने से लेकर टोटके के रूप में। आयुष चिकित्सक डॉ. फणींद्र भूषण दीवान से जानते हैं कि हल्दी का इस्तेमाल किस तरह से किया जा सकता है।
एलर्जी से रखता है दूर
जांजगीर चांपा जिला हॉस्पिटल के आयुष चिकित्सा अधिकारी डॉ. फणींद्र भूषण दीवान ने लोकल18 को बताया कि हल्दी का प्रयोग घरेलू उपचार में कई प्रकार से किया जा सकता है, जैसे एलर्जी से होने वाली बीमारियां, सर्दी, खांसी, साइनोसाइटिस आदि। इन सभी बीमारियों में दूध के साथ हल्दी गर्म करके सेवन करने से जल्दी लाभ मिलता है। हल्दी का उपयोग त्वचा संबंधी बीमारियों में भी किया जाता है। यह एंटीसेप्टिक के रूप में काम करती है और त्वचा को लाभ पहुंचाती है। इसलिए, जब हाथ-पैर में चोट लगती है, तो हल्दी लगाई जाती है। साथ ही, हल्दी त्वचा की रंगत को भी निखारती है।

शुगर और पेट की चर्बी को करता है कम
डॉ. फणींद्र भूषण ने बताया कि हल्दी का उपयोग शुगर लेवल को कम करने और पेट की चर्बी को कम करने के लिए भी किया जाता है। रोजाना हल्दी का सेवन करना बहुत लाभदायक है और इसके प्रयोग से कई बीमारियों से बचा जा सकता है। आहार में हल्दी का उपयोग करना चाहिए। व्यक्ति को रोजाना दूध में हल्दी डालकर पीना चाहिए। इससे कई प्रकार की छोटी-बड़ी बीमारियां, जैसे सर्दी, खांसी दूर रहती हैं। शरीर में कहीं पर सूजन होने पर हल्दी का लेप लगाने से दर्द में आराम मिलता है और सूजन भी कम होती है।
अन्य उपयोग
चाय, गर्म पानी या भाप से जलने या फफोला होने पर भी हल्दी का पाउडर लगाने से आराम मिलता है। हल्दी का नियमित सेवन कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर रखने में मदद करता है।
रिसर्च क्या कहती है?
हल्दी में मुख्य रूप से करक्यूमिन नामक सक्रिय यौगिक होता है, जो इसके स्वास्थ्य लाभों के लिए जिम्मेदार होता है। विभिन्न शोधों में यह पाया गया है कि करक्यूमिन में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।
1. एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव: हल्दी का सेवन सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है। एक शोध के अनुसार, करक्यूमिन सूजन को कम करने में प्रभावी होता है और इसे विभिन्न सूजन संबंधी बीमारियों के उपचार में उपयोग किया जा सकता है।
2. एंटीऑक्सीडेंट गुण: करक्यूमिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाता है और कोशिकाओं को क्षति से बचाता है।
3. डायबिटीज में लाभकारी: कुछ शोध बताते हैं कि करक्यूमिन शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है और इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाता है।
4. वजन प्रबंधन: करक्यूमिन के सेवन से पेट की चर्बी कम होती है और वजन प्रबंधन में सहायता मिलती है।
निष्कर्ष
हल्दी का नियमित सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण और वैज्ञानिक शोध दोनों ही हल्दी के फायदों की पुष्टि करते हैं। इसलिए, अपने दैनिक आहार में हल्दी को शामिल करें और इसके अद्भुत लाभों का आनंद लें।
आपके शहर से (जांजगीर चांपा):
हल्दी के उपयोग से संबंधित अन्य खबरें और रिपोर्ट्स
घरेलू उपचार और आयुर्वेद के बारे में अधिक जानकारी
हल्दी का उपयोग करें और स्वस्थ रहें।

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व्रत के दौरान हाइड्रेशन और एनर्जी के लिए एक्सपर्ट की सलाह

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डिजिटल भारत I सावन के पावन महीने में उपवास के दौरान ऊर्जा बनाए रखने के उपाय
सावन का महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दौरान शिव भक्त सोमवारी का व्रत रखते हैं और कावड़ लेकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। उपवास के दौरान अक्सर लोगों को कमजोरी और थकान महसूस होती है, खासकर उमस भरी गर्मी में। इसलिए, उपवास के दौरान ऊर्जा बनाए रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स निम्नलिखित हैं:
ऊर्जा बनाए रखने के टिप्स
1. मीठे तरल पदार्थ का सेवन:
उपवास के दौरान मीठे तरल पदार्थ जैसे नारियल पानी, फलों का जूस और ग्लूकॉन डी का सेवन करें। ये पदार्थ शरीर में ग्लूकोज की कमी को पूरा करते हैं और आपको ऊर्जा प्रदान करते हैं।
2. पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं:
पानी की कमी से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। इससे शरीर में डिहाइड्रेशन नहीं होगा और आप ताजगी महसूस करेंगे।
3. कोकोनट वॉटर:
कोकोनट वॉटर में पोषक तत्व और इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं जो आपको हाइड्रेटेड रखते हैं। इसमें मौजूद फाइबर पेट को स्वस्थ रखता है और जल्दी भूख नहीं लगने देता।
4. ड्राई फ्रूट्स का सेवन:
ड्राई फ्रूट्स में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल, फाइबर, कैल्शियम और पोटैशियम होते हैं, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। उपवास के दौरान ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें।
5. फ्रूट रायता:
फ्रूट रायता बनाने के लिए फलों को बारीक काटकर दही में मिलाएं। इसे 2-2 घंटों के अंतराल पर पिएं। इससे शरीर में ऊर्जा की कमी नहीं होगी।
6. जूस का सेवन:
फलों का जूस पीने से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है और थकान व कमजोरी दूर होती है।
7. साबूदाना की खिचड़ी या खीर:
साबूदाना फाइबर से भरपूर होता है, जो पेट को स्वस्थ रखने के साथ-साथ शरीर को भी एक्टिव रखता है। उपवास के दौरान साबूदाना की खिचड़ी या खीर का सेवन करें।
8. मिल्क शेक:
इंस्टेंट एनर्जी के लिए मिल्क शेक पी सकते हैं। इससे पूरे दिन आप एनर्जेटिक महसूस करेंगे और भूख नहीं लगेगी।
सिविल सर्जन की सलाह
सिविल सर्जन गुमला, डॉ. राजू कच्छप ने बताया कि उपवास के दौरान शरीर में थकान व कमजोरी महसूस न हो और डिहाइड्रेशन का शिकार न हों, इसके लिए हमें अपने शरीर का विशेष ख्याल रखना चाहिए। ब्रेन को ग्लूकोज से एनर्जी मिलती है और ग्लूकोज लेने से शरीर में थकान नहीं होती है। इसलिए, उपवास के दौरान मीठे तरल पदार्थ और पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए।
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सावन में उपवास रखने वालों के लिए यह टिप्स आपको ऊर्जा बनाए रखने में मदद करेंगे और आप स्वस्थ व ताजगी महसूस करेंगे।

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प्रदेश में जुलाई में जबरदस्त बारिश: जबलपुर में छह साल बाद जोरदार वर्षा”

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डिजिटल भारत – प्रदेश में जुलाई माह की बारिश: रिपोर्ट और भविष्यवाणियाँ
बीते जुलाई माह में प्रदेश में उत्कृष्ट बारिश दर्ज की गई है। जुलाई के 31 दिनों में कुल 14.27 इंच बारिश हुई है, जिससे प्रदेश में अब तक कुल 18.8 इंच बारिश हो चुकी है, जो कि 50.40 प्रतिशत बारिश के बराबर है। मौसम वैज्ञानिकों ने अगस्त माह में भी इसी तरह की बारिश की संभावना जताई है।

जबलपुर में बारिश के आँकड़े:
जबलपुर में छह साल बाद जुलाई माह में जोरदार बारिश हुई है। इस माह में कुल 17.6 इंच वर्षा दर्ज की गई है। अब तक सीजन में जबलपुर में 25 इंच बारिश हो चुकी है, जबकि यहाँ का वार्षिक औसत 52.5 इंच है। ऐसे में जुलाई में ही आधी बारिश का कोटा पूरा हो गया है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, 94 साल पहले 1930 में जुलाई माह में सबसे ज्यादा 44 इंच बारिश दर्ज की गई थी।

आईएमडी की चेतावनी:
मौसम कार्यालय के अनुसार, जिले में आज कई स्थानों पर गरज-चमक के साथ तेज बारिश हो सकती है।

पिछले वर्ष के आँकड़े:
22 साल पहले, 2002 में, जबलपुर में जुलाई माह में केवल तीन इंच बारिश हुई थी। 2020 में छह इंच और 2021 में नौ इंच बारिश हुई थी। पिछले सात सालों में, 2016 में सबसे ज्यादा 25 इंच बारिश दर्ज की गई थी। इसके बाद, 2017 में 15.5 इंच और बाकी वर्षों में औसतन 14-15 इंच बारिश हुई।

वैज्ञानिकों का विश्लेषण:
आईएमडी भोपाल की सीनियर वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन के अनुसार, वर्तमान में दो ट्रफ और दो साइक्लोनिक सर्कुलेशन एक्टिव हैं। 1 अगस्त से सिस्टम और स्ट्रॉन्ग होगा, खासकर पूर्वी हिस्से में। 2 और 3 अगस्त को भी तेज बारिश की संभावना है। मानसून द्रोणिका औसत समुद्र तल से 1.5 किमी ऊपर तक फैली हुई है, जो जैसलमेर, जयपुर, ग्वालियर, सतना, जमशेदपुर से होकर पूर्व-दक्षिणपूर्व की ओर उत्तर-पूर्व बंगाल की खाड़ी तक जा रही है।

चक्रवाती परिसंचरण की स्थिति:
हिमाचल प्रदेश और आसपास के इलाकों में 3.1 किमी ऊपर चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है। झारखंड और आसपास के इलाकों में 3.1 और 7.6 किमी ऊपर दक्षिण की ओर झुका हुआ चक्रवाती परिसंचरण है। पूर्वोत्तर असम और आसपास के इलाकों में 1.5 और 3.1 किमी ऊपर चक्रवाती परिसंचरण है। बांग्लादेश और आसपास के इलाकों में 3.1 किमी ऊपर चक्रवाती परिसंचरण है। पूर्वोत्तर अरब सागर और सौराष्ट्र में दक्षिण की ओर झुकाव के साथ चक्रवाती परिसंचरण मौजूद है। दक्षिण गुजरात से केरल तक एक अपतटीय द्रोणिका भी बनी हुई है।

निष्कर्ष:
जुलाई माह में जबलपुर सहित प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में उत्कृष्ट बारिश दर्ज की गई है, जिससे नदियों और जलाशयों का जलस्तर बढ़ा है। अगस्त माह में भी इसी प्रकार की बारिश की संभावना है, जिससे खेती और जल संसाधनों में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।

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राउज आईएएस हादसा: एमसीडी ने 60 लाइब्रेरी और 8 कोचिंग संस्थानों को भेजा नोटिस

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डिजिटल भारत I राउज आईएएस कोचिंग सेंटर में छात्रों की मौत के बाद प्रशासन का कड़ा एक्शन
दिल्ली के राउज आईएएस कोचिंग सेंटर में तीन छात्रों की मौत के बाद प्रशासन ने सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। इस मामले में दिल्ली नगर पालिका (एमसीडी) ने कई कोचिंग सेंटरों को सील करने की कार्रवाई तेज कर दी है।

अब तक की कार्रवाई:
20 कोचिंग सेंटर सील: एमसीडी ने दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी कराने वाले लगभग 20 कोचिंग सेंटरों के बेसमेंट को सील कर दिया है।
प्रमुख कोचिंग सेंटर प्रभावित: सील किए गए कोचिंग सेंटरों में राउज आईएएस स्टडी सर्किल के अलावा दृष्टि आईएएस और ओझा सर के आईएएस कोचिंग सेंटर शामिल हैं।
नियमों का उल्लंघन: एमसीडी के अनुसार, ये सभी कोचिंग सेंटर नियमों का उल्लंघन करते हुए बेसमेंट में संचालित हो रहे थे।
घटना का कारण:
राउज आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी घुसने के कारण तीन छात्रों की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद प्रशासनिक स्तर पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। एमसीडी ने स्पष्ट किया है कि नियमों का पालन न करने वाले कोचिंग सेंटरों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।
प्रशासन की प्रतिक्रिया:
प्रशासन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सभी कोचिंग सेंटरों को सुरक्षा मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
एमसीडी की कार्रवाई: 20 कोचिंग सेंटर सील, 60 लाइब्रेरी और 8 कोचिंग संस्थानों को नोटिस
दिल्ली के राउज आईएएस कोचिंग सेंटर में हुई तीन छात्रों की मौत के बाद दिल्ली नगर पालिका (एमसीडी) ने सख्त कार्रवाई शुरू की है। रविवार और सोमवार को की गई कार्रवाई में एमसीडी ने यूपीएससी की तैयारी कराने वाले लगभग 20 कोचिंग सेंटरों को सील कर दिया है।

सील किए गए कोचिंग सेंटरों की सूची:
आईएएस गुरुकुल
चहल अकादमी
प्लूटस अकादमी
साई ट्रेडिंग
आईएएस सेतु
टॉपर्स अकादमी
दैनिक संवाद
सिविल्स डेली आईएएस
करिअर पावर
99 नोट्स
विद्या गुरु
गाइडेंस आईएएस
इजी फॉर आईएएस
दृष्टि आईएएस
वाजी राम आईएएस इंस्टीट्यूट
वाजीराम और रवि इंस्टीट्यूट
वाजीराम और आईएएस हब
श्रीराम आईएएस इंस्टीट्यूट
राउज आईएएस स्टडी सर्किल
ओझा सर के आईएएस कोचिंग सेंटर
नियमों का उल्लंघन:
एमसीडी ने बताया कि ये सभी कोचिंग सेंटर नियमों का उल्लंघन करते हुए बेसमेंट में संचालित हो रहे थे। पानी घुसने के कारण राउज आईएएस कोचिंग सेंटर में तीन छात्रों की मौत हो गई थी, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है।
नोटिस जारी:
इसके अलावा, एमसीडी ने नियमों का उल्लंघन करने के मामले में 60 लाइब्रेरी और 8 कोचिंग संस्थानों को नोटिस जारी किया है। नोटिस में इन संस्थानों को निर्धारित समय सीमा के भीतर सुरक्षा मानकों का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया:
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि कोचिंग सेंटरों और लाइब्रेरियों को सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करना होगा। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एमसीडी की ओर से नियमित निरीक्षण किया जाएगा और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
निष्कर्ष:
दिल्ली में राउज आईएएस कोचिंग सेंटर की घटना ने प्रशासन को सतर्क कर दिया है। एमसीडी की इस कार्रवाई से यह संदेश स्पष्ट है कि छात्रों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी और नियमों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। यह कार्रवाई अन्य कोचिंग सेंटरों और लाइब्रेरियों के लिए भी एक चेतावनी है कि वे नियमों का पालन करें और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

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कृषि विकास के लिए 2 लाख करोड़ रुपये: 2024 के बजट में किसानों को बड़ी राहत

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डिजिटल भारत I बजट क्या होता है?
बजट एक वित्तीय योजना होती है जो किसी देश की सरकार आगामी वित्तीय वर्ष के दौरान अपनी आय और व्यय की योजना बनाती है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी खर्च और प्राप्तियों का विवरण शामिल होता है।
बजट कौन तय करता है?
बजट को वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार किया जाता है और फिर इसे संसद में पेश किया जाता है। संसद में बहस और विचार-विमर्श के बाद, इसे पारित किया जाता है। इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने पर यह बजट लागू हो जाता है।
बजट से देश में क्या फर्क पड़ता है?
बजट का देश की आर्थिक स्थिति और विकास पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। यह तय करता है कि सरकार किस क्षेत्र में कितना निवेश करेगी और किस प्रकार के कर लगाएगी। इसके परिणामस्वरूप विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित होती हैं।
बजट किन-किन क्षेत्रों को प्रभावित करता है?
शिक्षा: शिक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ने से शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार होता है।
स्वास्थ्य: स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अधिक बजट आवंटन से अस्पतालों, चिकित्सा सुविधाओं और स्वास्थ्य कार्यक्रमों में सुधार होता है।
रोजगार: रोजगार सृजन के लिए सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं में निवेश बढ़ने से बेरोजगारी कम होती है।
बुनियादी ढांचा: सड़क, रेलवे, और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए धन आवंटन से देश का आधारभूत ढांचा मजबूत होता है।
कृषि: कृषि क्षेत्र के लिए सब्सिडी और योजनाओं का बजट बढ़ने से किसानों की स्थिति में सुधार होता है।
2024 के बजट में आए बदलाव
2024 के बजट में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं जो देश की अर्थव्यवस्था और विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करेंगे:
कर नीति में बदलाव: मध्यम वर्ग के लिए कर में राहत दी गई है और उच्च आय वर्ग के लिए कर दरें बढ़ाई गई हैं।
बुनियादी ढांचा निवेश: सड़क, रेलवे, और हवाई अड्डों के विकास के लिए 10 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
कृषि और ग्रामीण विकास: किसानों के लिए कर्ज माफी और नए कृषि योजनाओं के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
स्वास्थ्य क्षेत्र: स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा गया है, जिसमें नए अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण शामिल है।
शिक्षा: शिक्षा क्षेत्र के लिए 50,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जिसमें नई यूनिवर्सिटी और रिसर्च सेंटर की स्थापना शामिल है।
डिजिटल इंडिया: डिजिटल इंडिया अभियान के तहत नई तकनीक और इंटरनेट सुविधा को बढ़ावा देने के लिए 30,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है।
2024 के बजट में किए गए ये बदलाव देश के विकास और विभिन्न क्षेत्रों की उन्नति के लिए महत्वपूर्ण हैं। सरकार का लक्ष्य है कि इन परिवर्तनों के माध्यम से आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा दिया जाए और जनता को अधिक सुविधाएं प्रदान की जाएं।

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बच्चों की सेहत के लिए सर्वश्रेष्ठ डाइट: जानिए कैसे रखें खाने का ख्याल

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डिजिटल भारत I बच्चों की सेहत और विकास के लिए संतुलित आहार बेहद जरूरी है। सही पोषण उनके शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा देता है। यहां हम बच्चों के लिए सबसे बेहतर डाइट और उनके खाने का ख्याल कैसे रखा जाए, इस पर बात करेंगे।

1. संतुलित आहार:
बच्चों के आहार में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल होने चाहिए। उनके खाने में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और कार्बोहाइड्रेट्स का सही मिश्रण होना चाहिए। ताजे फल, सब्जियाँ, दूध, अंडे, मांस, और दालें उनके आहार का हिस्सा बनाएं।
2. नियमित भोजन:
बच्चों को समय पर और नियमित रूप से भोजन कराना चाहिए। नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना, तीनों समय का भोजन महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, बच्चों को बीच-बीच में हेल्दी स्नैक्स देना भी जरूरी है।
3. पानी और तरल पदार्थ:
पानी और अन्य तरल पदार्थ जैसे दूध, छाछ, और फलों का रस बच्चों के आहार में शामिल करें। पानी की पर्याप्त मात्रा से बच्चों का शरीर हाइड्रेटेड रहता है और उनकी त्वचा भी चमकदार रहती है।
4. घर का खाना:
बाहर का जंक फूड बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकता है। बच्चों को घर का ताजा और पौष्टिक खाना खिलाना चाहिए। इससे न केवल उनका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, बल्कि वे स्वस्थ खाने की आदतें भी सीखेंगे।
5. विविधता:
बच्चों के खाने में विविधता बनाए रखें। हर दिन एक जैसा खाना देने की बजाय, उन्हें अलग-अलग प्रकार के व्यंजन ट्राई करने के लिए प्रेरित करें। इससे उनका खाने में रुचि बढ़ेगी और वे पोषण से भरपूर भोजन का आनंद लेंगे।
6. भोजन का माहौल:
भोजन के समय का माहौल खुशनुमा और तनावमुक्त रखें। बच्चों के साथ बैठकर खाना खाएं और उन्हें स्वस्थ भोजन के महत्व के बारे में बताएं। यह आदत बच्चों के भोजन को और भी आनंददायक बना सकती है।
7. शारीरिक गतिविधि:
स्वस्थ आहार के साथ-साथ शारीरिक गतिविधि भी जरूरी है। बच्चों को खेलने-कूदने के लिए प्रोत्साहित करें, जिससे उनकी ऊर्जा बनी रहे और वे स्वस्थ रहें।

निष्कर्ष:
बच्चों का पोषण उनके जीवन के शुरुआती वर्षों में बेहद महत्वपूर्ण है। सही डाइट और अच्छी खाने की आदतें न केवल उनके शारीरिक विकास में मदद करेंगी, बल्कि उनके मानसिक और भावनात्मक विकास को भी बढ़ावा देंगी।

अपने बच्चों को संतुलित और पोषणयुक्त आहार दें और उनके खाने का ख्याल रखें, ताकि वे स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकें।

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नीम का गलत इस्तमाल ले सकता है जान भी, लीवर व किडनी के लिए खतरनाक

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डिजिटल भारत I प्रस्तावना नीम का पेड़ (अजाडिराक्टा इंडिका) भारतीय संस्कृति और चिकित्सा पद्धति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसके पत्तों, छाल, और बीजों का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में सदियों से किया जा रहा है। नीम के पत्ते विशेष रूप से अपने औषधीय गुणों के लिए जाने जाते हैं। इस लेख में हम नीम के पत्तों के विभिन्न फायदे, उन्हें सेवन करने की सही मात्रा, और अधिक सेवन से होने वाले संभावित नुकसान के बारे में जानेंगे।

नीम के पत्तों के फायदे
संक्रमणों से बचाव:
नीम के पत्तों में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण होते हैं। ये गुण शरीर को विभिन्न संक्रमणों से बचाने में मदद करते हैं। नीम का उपयोग त्वचा संक्रमण, खांसी, और जुकाम जैसी समस्याओं के इलाज में भी किया जाता है।

रक्त शुद्धिकरण:
नीम के पत्तों का सेवन करने से रक्त शुद्ध होता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे त्वचा की चमक बढ़ती है और मुंहासों जैसी समस्याएं कम होती हैं।
मधुमेह नियंत्रण:
नीम के पत्तों में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। मधुमेह रोगियों के लिए नीम के पत्तों का सेवन फायदेमंद माना जाता है।
पाचन तंत्र सुधार:
नीम के पत्तों का सेवन करने से पाचन तंत्र को सुधारने में मदद मिलती है। यह कब्ज, अपच, और पेट दर्द जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है।
प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना:
नीम के पत्तों का नियमित सेवन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है। इससे शरीर विभिन्न बीमारियों और संक्रमणों से लड़ने में सक्षम बनता है।
त्वचा के लिए फायदेमंद:
नीम के पत्तों का उपयोग त्वचा के विभिन्न समस्याओं के इलाज में किया जाता है। यह एक प्राकृतिक क्लींजर के रूप में कार्य करता है और त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाता है। यह एक्जिमा, सोरायसिस, और अन्य त्वचा रोगों के इलाज में भी सहायक होता है।
बालों के लिए फायदेमंद:
नीम के पत्तों का उपयोग बालों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। यह रूसी, खुजली, और बाल झड़ने की समस्या को दूर करने में सहायक होता है। नीम के पत्तों का पेस्ट बनाकर उसे बालों में लगाने से बाल मजबूत और चमकदार बनते हैं।

नीम के पत्तों का सेवन कैसे करें
नीम की चाय:
नीम के पत्तों की चाय बनाकर पीना एक लोकप्रिय तरीका है। इसके लिए कुछ नीम के पत्तों को पानी में उबालकर छान लें और उसमें शहद मिलाकर पीएं।
नीम का पाउडर:
नीम के पत्तों का पाउडर बनाकर उसे गुनगुने पानी के साथ लेना भी एक तरीका है। इसे आप खाली पेट सुबह के समय ले सकते हैं।
नीम के पत्तों का रस:
नीम के ताजे पत्तों का रस निकालकर उसे पानी में मिलाकर पी सकते हैं। यह शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है।
नीम के पत्तों का सही मात्रा में सेवन
नीम के पत्तों का सेवन करते समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि इसकी मात्रा नियंत्रित हो। आमतौर पर रोजाना 5-10 नीम के पत्तों का सेवन करना पर्याप्त माना जाता है। इससे अधिक मात्रा में सेवन करने से कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
नीम के पत्तों के अधिक सेवन के नुकसान

लीवर की समस्याएं:
नीम के पत्तों का अधिक सेवन लीवर के लिए हानिकारक हो सकता है। इसमें मौजूद कुछ तत्व लीवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
किडनी की समस्याएं:
नीम के पत्तों का अत्यधिक सेवन किडनी पर भी बुरा प्रभाव डाल सकता है। इससे किडनी के कार्य करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
प्रजनन क्षमता पर असर:
नीम के पत्तों का अधिक सेवन पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
अत्यधिक थकान और कमजोरी:
नीम के पत्तों का अधिक सेवन करने से शरीर में अत्यधिक थकान और कमजोरी हो सकती है। इससे दैनिक गतिविधियों पर प्रभाव पड़ सकता है।
पेट में दर्द और दस्त:
नीम के पत्तों का अत्यधिक सेवन करने से पेट में दर्द, दस्त, और अन्य पाचन समस्याएं हो सकती हैं।

निष्कर्ष
नीम के पत्तों के फायदे और नुकसान दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। इसका सेवन करते समय सही मात्रा का ध्यान रखना आवश्यक है। नीम के पत्तों का नियमित और नियंत्रित सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो सकता है, लेकिन अधिक मात्रा में सेवन करने से बचना चाहिए। आयुर्वेदिक चिकित्सा में नीम का महत्व अत्यधिक है, और इसे सही तरीके से उपयोग करके हम इसके सभी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

संभावित प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: नीम के पत्तों का सेवन किन-किन बीमारियों के इलाज में उपयोगी है?
उत्तर: नीम के पत्तों का सेवन त्वचा रोग, मधुमेह, पाचन समस्याएं, और संक्रमणों के इलाज में उपयोगी है।
प्रश्न 2: नीम के पत्तों का अधिक सेवन क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर: नीम के पत्तों का अधिक सेवन लीवर, किडनी, और प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इससे पेट में दर्द और दस्त जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
प्रश्न 3: नीम के पत्तों का सही मात्रा में सेवन कितना है?
उत्तर: रोजाना 5-10 नीम के पत्तों का सेवन करना पर्याप्त माना जाता है।
प्रश्न 4: नीम के पत्तों का सेवन करने के सबसे अच्छे तरीके क्या हैं?
उत्तर: नीम की चाय, नीम का पाउडर, और नीम के पत्तों का रस सेवन करने के अच्छे तरीके हैं।

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आशा बहुओं की घर-घर दस्तक: बाराबंकी में संचारी रोग नियंत्रण अभियान

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डिजिटल भारत I बरसात के मौसम में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, और इसी को ध्यान में रखते हुए बाराबंकी जिले में 31 जुलाई तक एक विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य संचारी रोगों पर प्रभावी नियंत्रण प्राप्त करना है। इसके तहत आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी हर घर पर दस्तक देकर संचारी रोगों से ग्रस्त मरीजों की पहचान कर रहे हैं और लोगों को इन रोगों से बचाव के तरीके के बारे में जागरूक कर रहे हैं।

अभियान के तहत, लोगों को मच्छरों से उत्पन्न होने वाली बीमारियों जैसे डेंगू, चिकुनगुनिया, स्क्रब टाइफस, एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES), और कालाजार के प्रति जागरूक किया जा रहा है। आशा बहुओं ने बताया कि वे घर-घर जाकर लोगों को बरसात के मौसम में होने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी दे रही हैं और उन्हें सलाह दे रही हैं कि वे अपने आसपास गंदा पानी न भरने दें, साफ-सफाई बनाए रखें, मच्छरदानी का उपयोग करें, और कूलर में लंबे समय तक पानी न रखें।

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अवधेश कुमार यादव ने बताया कि एक जुलाई से शुरू हुआ यह विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित करके शत-प्रतिशत सफल बनाने का प्रयास किया गया है। इस अभियान के दौरान संचारी रोगों के मामलों की निगरानी, लक्षण युक्त व्यक्तियों की जांच, और क्षय रोग के लक्षण युक्त व्यक्तियों की जांच एवं उपचार की व्यवस्था के लिए विभाग की टीमें लगातार क्षेत्रों में भ्रमण कर रही हैं।

संचारी रोगों से बचाव के उपाय
साफ-सफाई: अपने घर और आसपास की जगह को साफ रखें। पानी को जमा न होने दें, क्योंकि यह मच्छरों के पनपने का मुख्य कारण होता है।
मच्छरदानी का उपयोग: सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए।
कूलर और पानी की टंकियां: कूलर और पानी की टंकियों में पानी को बार-बार बदलते रहें ताकि मच्छरों को पनपने का मौका न मिले।
स्वास्थ्य केंद्र की सेवा: किसी भी प्रकार की बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं।
गंदे पानी का निष्कासन: आसपास गंदा पानी जमा न होने दें। नियमित रूप से पानी की निकासी का प्रबंध करें।
सरकारी सहायता: सरकारी अभियान और जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लें और स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई सलाह का पालन करें।
इस अभियान के जरिए, बाराबंकी जिले के नागरिकों को बरसात के मौसम में संचारी रोगों से बचाव के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। स्वस्थ और सुरक्षित रहने के लिए इन सुझावों का पालन करें और अपने परिवार को सुरक्षित रखें।

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हर साल लगभग 5,000 लोग स्टीरॉयड्स के दुष्प्रभावों के कारण गंभीर हृदय रोगों का करते हैं सामना

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डिजिटल भारत I परिचय आजकल, वजन बढ़ाने के लिए बाजार में कई तरह की कृत्रिम दवाएं उपलब्ध हैं। ये दवाएं बहुत से लोगों को आकर्षित करती हैं क्योंकि वे तेजी से वजन बढ़ाने का दावा करती हैं। हालांकि, इन दवाओं का स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है और क्या यह सुरक्षित हैं, इस पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है।
कृत्रिम वजन बढ़ाने वाली दवाएं
कई प्रकार की दवाएं और पूरक बाजार में उपलब्ध हैं जो वजन बढ़ाने में मदद करने का दावा करती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख दवाएं और उनके संभावित नुकसानों के बारे में नीचे बताया गया है:

स्टीरॉयड्स:
नुकसान: स्टीरॉयड्स के सेवन से हृदय रोग, यकृत की समस्याएं, हार्मोनल असंतुलन, और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
एपेटाइट स्टिमुलेंट्स:
नुकसान: ये दवाएं भूख बढ़ाने का काम करती हैं, लेकिन इनके सेवन से पेट की समस्याएं, सिरदर्द, और अनिद्रा हो सकती है।
प्रोटीन सप्लीमेंट्स:
नुकसान: अधिक प्रोटीन का सेवन किडनी पर दबाव डाल सकता है और किडनी की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अलावा, अगर गुणवत्ता में कमी हो, तो अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट्स:
नुकसान: इनका अधिक सेवन भी हानिकारक हो सकता है। उदाहरण के लिए, विटामिन ए की अधिकता हड्डियों और जिगर पर बुरा प्रभाव डाल सकती है।
कृत्रिम दवाओं से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी जोखिम
हृदय संबंधी समस्याएं: कई वजन बढ़ाने वाली दवाएं हृदय गति बढ़ा सकती हैं, जिससे हृदयाघात और अन्य हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है।

हार्मोनल असंतुलन: स्टीरॉयड्स और अन्य हार्मोनल दवाओं का सेवन हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है, जिससे मूड स्विंग्स, अवसाद, और अन्य मानसिक समस्याएं हो सकती हैं।
किडनी और यकृत संबंधी समस्याएं: अधिक प्रोटीन और अन्य पूरकों का सेवन किडनी और यकृत पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे इन अंगों में क्षति हो सकती है।
पाचन समस्याएं: एपेटाइट स्टिमुलेंट्स और अन्य दवाओं का सेवन पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है, जिससे अपच, कब्ज, और पेट दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
वजन बढ़ाने के प्राकृतिक और सुरक्षित तरीके
कृत्रिम दवाओं के बजाय, प्राकृतिक और स्वस्थ तरीके से वजन बढ़ाना अधिक सुरक्षित और प्रभावी है। नीचे कुछ तरीके दिए गए हैं:

संतुलित आहार: अपने आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, और स्वस्थ वसा को शामिल करें। अंडे, चिकन, मछली, नट्स, बीज, और दूध जैसे खाद्य पदार्थ प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं। कार्बोहाइड्रेट के लिए साबुत अनाज, चावल, और आलू खाएं। स्वस्थ वसा के लिए एवोकाडो, जैतून का तेल, और मछली का सेवन करें।
नियमित व्यायाम: वजन बढ़ाने के लिए शक्ति प्रशिक्षण (वेट लिफ्टिंग) सबसे प्रभावी है। यह मांसपेशियों का निर्माण करने में मदद करता है और स्वस्थ तरीके से वजन बढ़ाता है।
अधिक बार भोजन करें: दिन में 5-6 छोटे भोजन करें ताकि आपका शरीर नियमित रूप से पोषण प्राप्त कर सके।
हाइड्रेशन: पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। यह पाचन में मदद करता है और शरीर को स्वस्थ रखता है।
आराम और नींद: पर्याप्त नींद लें। नींद की कमी से वजन बढ़ाने की प्रक्रिया में रुकावट आ सकती है।

निष्कर्ष
कृत्रिम वजन बढ़ाने वाली दवाओं का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। ये दवाएं तेजी से वजन बढ़ाने का दावा तो करती हैं, लेकिन इनके सेवन से कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके बजाय, प्राकृतिक और स्वस्थ तरीकों से वजन बढ़ाना अधिक सुरक्षित और प्रभावी है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप स्वस्थ तरीके से वजन बढ़ा सकते हैं।

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युवाओं में ब्रेकअप के बाद आत्महत्या की प्रवृत्ति: एक गंभीर समस्या

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डिजिटल भारत I भारत में दिल टूटना और ब्रेकअप एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है, खासकर युवा पीढ़ी में। यह समस्या न केवल भावनात्मक स्तर पर बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डालती है। कई युवा दिल टूटने के बाद आत्महत्या का रास्ता अपनाते हैं। इस लेख में हम विभिन्न शोध और रिपोर्ट्स के आधार पर यह जानने की कोशिश करेंगे कि भारत में कितने लोग दिल टूटने और ब्रेकअप के बाद अपनी जान दे देते हैं, और इस समस्या के पीछे के कारण क्या हैं।

दिल टूटने और आत्महत्या के आंकड़े
1. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में भारत में आत्महत्या करने वालों की संख्या 1,53,052 थी। इनमें से 10-15% मामले दिल टूटने या प्रेम संबंधों में विफलता से संबंधित थे। इस प्रकार, लगभग 15,000 लोग प्रतिवर्ष दिल टूटने के बाद आत्महत्या करते हैं।
2. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का विश्लेषण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 2019 के विश्लेषण के अनुसार, 15-29 आयु वर्ग में आत्महत्या की दर भारत में सबसे अधिक है। यह आयु वर्ग वह है जो सामान्यतः प्रेम संबंधों में अधिक सक्रिय होता है और दिल टूटने के बाद गंभीर मानसिक तनाव का सामना करता है।

3. भारतीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (NIMHANS) का अध्ययन
बंगलुरु स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (NIMHANS) के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 18-30 आयु वर्ग के 60% युवा कभी न कभी दिल टूटने का अनुभव करते हैं। इनमें से 20% युवा मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की तलाश करते हैं, जबकि 10% आत्महत्या का प्रयास करते हैं।

दिल टूटने के बाद युवाओं की मानसिक स्थिति
1. डिप्रेशन और चिंता
दिल टूटने के बाद युवाओं में डिप्रेशन और चिंता की समस्या बढ़ जाती है। एक अध्ययन के अनुसार, दिल टूटने के बाद 40% युवा डिप्रेशन का शिकार होते हैं। यह डिप्रेशन उन्हें आत्महत्या के विचारों की ओर ले जाता है।
2. अकेलापन और समाज से दूरी
दिल टूटने के बाद कई युवा अपने दोस्तों और परिवार से दूरी बना लेते हैं। वे खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं, जिससे उनकी मानसिक स्थिति और खराब हो जाती है।
3. आत्मविश्वास की कमी
ब्रेकअप के बाद युवाओं का आत्मविश्वास कम हो जाता है। वे खुद को बेकार और असहाय महसूस करने लगते हैं। इस स्थिति में आत्महत्या का विचार उन्हें तेजी से घेर लेता है।

आत्महत्या के कारण
1. सामाजिक दबाव
भारत में समाज प्रेम संबंधों को लेकर आज भी काफी संकीर्ण दृष्टिकोण रखता है। कई बार समाज का दबाव और सामाजिक प्रतिष्ठा का डर युवाओं को आत्महत्या की ओर धकेलता है।
2. परिवार का विरोध
परिवार का प्रेम संबंधों को न स्वीकारना और शादी के लिए मना करना भी युवाओं में मानसिक तनाव बढ़ा देता है। यह स्थिति आत्महत्या की ओर ले जाती है।
3. ब्रेकअप का दर्द
ब्रेकअप के बाद युवाओं के दिल पर गहरा आघात लगता है। यह दर्द इतना गहरा होता है कि उन्हें आत्महत्या ही एकमात्र समाधान नजर आता है।

समाधान और सुझाव
1. मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं
युवाओं को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता होनी चाहिए। उन्हें डिप्रेशन और चिंता से निपटने के लिए मनोवैज्ञानिक और सलाहकारों की सहायता मिलनी चाहिए।
2. समाज का सहयोग
समाज को प्रेम संबंधों के प्रति अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना चाहिए। युवाओं को सहयोग और समर्थन मिलना चाहिए, न कि आलोचना और दबाव।
3. परिवार का समर्थन
परिवार को अपने बच्चों के प्रेम संबंधों को समझना और समर्थन करना चाहिए। यह न केवल युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष
भारत में दिल टूटने और ब्रेकअप के बाद आत्महत्या एक गंभीर समस्या है। विभिन्न शोध और रिपोर्ट्स से यह स्पष्ट होता है कि इस समस्या को गंभीरता से लेने और समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, समाज का सहयोग, और परिवार का समर्थन इस समस्या का समाधान कर सकते हैं।
इस लेख में प्रस्तुत आंकड़े और जानकारी हमें यह समझने में मदद करते हैं कि दिल टूटने के बाद आत्महत्या की प्रवृत्ति क्यों बढ़ रही है और इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहिए जहां युवाओं को मानसिक और भावनात्मक समर्थन मिल सके और वे अपने जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से जी सकें।

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