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क्या है आंवला नवमी, जाने इसके महत्त्व व क्यों करनी चाहिए यह पूजा

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डिजिटल भारत l आज है कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानी कि आंवला नवमी। इसे कूष्मांड नवमी और अक्षय नवमी भी कहा जाता है। इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा कर घी का दीपक लगाकर आंवला वृक्ष की कम से कम 21 परिक्रमा कर कच्चा सूत लपेटा जाता है। इसके बाद आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन किया जाता है और आंवले को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
क्यों की जाती है आंवले के पेड़ की पूजा?
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार मां लक्ष्मी भ्रमण करने के लिए पृथ्वी लोक पर आईं। रास्ते में उन्हें भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ करने की इच्छा हुई। माता लक्ष्मी ने विचार किया कि एक साथ विष्णु एवं शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय होती है और बेलपत्र भगवान शिव को। मां लक्ष्मी को ख्याल आया कि तुलसी और बेल का गुण एक साथ आंवले के पेड़ में ही पाया जाता है।
ऐसे में आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिन्ह मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले की वृक्ष की पूजा की। कहा जाता है कि पूजा से प्रसन्न होकर विष्णु और शिव प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन करवाया। इसके बाद स्वयं भोजन किया, जिस दिन मां लक्ष्मी ने शिव और विष्णु की पूजा की थी, उस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि थी। तभी से कार्तिक शुक्ल की नवमी तिथि को आंवला नवमी या अक्षय नवमी के रूप में मनाया जाने लगा।
आंवला नवमी से द्वापर युग का प्रारंभ आंवला या अक्षय नवमी के दिन से द्वापर युग का प्रारंभ माना जाता है। इस युग में भगवान श्रीहरि विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। आंवला नवमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन-गोकुल की गलियों को छोड़कर मथुरा प्रस्थान किया था। यही वो दिन था जब उन्होंने अपनी बाल लीलाओं का त्याग कर कर्तव्य के पथ पर कदम रखा था। इसीलिए आंवला नवमी के दिन से वृंदावन परिक्रमा भी प्रारंभ होती है। आंवला नवमी के दिन ही आदि शंकराचार्य ने एक वृद्धा की गरीबी दूर करने के लिए स्वर्ण के आंवला फलों की वर्षा करवाई थी।

आंवला नवमी का महत्व
कहा जाता है कि आंवला वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु, ऊपर ब्रह्मा, स्कंद में रुद्र, शाखाओं में मुनिगण, पत्तों में वसु, फूलों में मरुद्गण और फलों में प्रजापति का वास होता है। ऐसे में आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही इसकी पूजा करने वाले व्यक्ति के जीवन से धन, विवाह, संतान, दांपत्य जीवन से संबंधित समस्या खत्म हो जाती है। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अक्षय नवमी का दिन सबसे उत्तम माना जाता है।
इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करने, ब्राह्मणों को भोजन कराने तथा आंवले के दान का भी महत्व है। आंवला नवमी के दिन जो भी शुभ कार्य किया जाता है उसमें सदा लाभ व उन्नति होती है। उस काम का कभी क्षय नहीं होता इसलिए इस दिन की पूजा से अक्षय फल का वरदान मिलता है। मान्यता है कि इसी दिन द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। वृंदावन में होने वाली परिक्रमा इसी दिन से प्रारम्भ होती है। मान्यता है उस परिक्रमा में श्रद्धालुओं का साथ देने स्वयं श्रीकृष्ण आते हैं। आंवला नवमी के दिन पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिये। फिर आंवले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। पेड़ पर कच्चा दूध, हल्दी रोली लगाने के बाद परिक्रमा की जाती है। महिलाएं आंवले के वृक्ष की 108 परिक्रमा करती हैं।
लोकप्रिय आयुर्वेदिक ग्रंथ भेषज्य रत्नावली में 20 से अधिक योग आंवले के नाम से बताये गये हैं। ग्रंथों में आंवले को रक्तषोधक, रुचिकारक, ग्राही एवं मूत्रल बताया गया है। जिससे यह रक्त पित्त, वातावरण, रक्तप्रदर, बवासीर, अजीर्ण, अतिसार, प्रमेह ,श्वास रोग, कब्ज, पांडु रोग एवं क्षय रोगों का शमन करता है। मानसिक श्रम करने वाले व्यक्तियों को वर्ष भर नियमित रूप से किसी भी रूप में आंवले का सेवन करना चाहिये। आंवले का नियमित सेवन करने से मानसिक शक्ति बनी रहती है। आंवला विटामिन-सी का सर्वोतम प्राकृतिक स्रोत है। इसमें विद्यमान विटामिन-सी नष्ट नहीं होता। विटामिन-सी एक ऐसा नाजुक तत्व होता है जो गर्मी के प्रभाव से समाप्त हो जाता है, लेकिन आंवले का विटामिन-सी नष्ट नहीं होता। ताजा आंवला खाने में कसैला, मधुर, शीतल, हल्का एवं मृदु रेचक या दस्तावर होता है। आंवले का प्रयोग सौंदर्य प्रसाधन के रूप में भी होता है। आंवले की चटनी, मुरब्बा तो बनता ही है, आंवले का उपयोग च्यवनप्राश बनाने में भी किया जाता है। हिंदू धर्म में आंवले का पेड़ व फल दोनों ही पूज्य हैं, अतः एक प्रकार से आंवला नवमी का यह पर्व पर्यावरण संरक्षण के लिये भी प्रेरित करता है।

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क्यों नहीं निपट रहा दिल्ली प्रदूषण का केस : सुप्रीम कोर्ट

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डिजिटल भारत l पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने पीठ को बताया, बीते साल से पराली जलाने के मामलों में 40 फीसदी कमी आई है। इस पर पीठ ने कहा, आप राजनीति करना बंद करें। हर समय राजनीतिक लड़ाई नहीं हो सकती। हम नहीं जानते कि आप कैसे रोक सकते हैं, यह आपका काम है। दिल्ली-एनसीआर में दमघोंटू हवा से आठवें दिन भी हालात बदतर होने पर सुप्रीम कोर्ट ने दोटूक कहा कि हर हाल में पराली जलाना तत्काल बंद हो, लोगों को यूं मरने नहीं दे सकते। शीर्ष अदालत ने खासतौर पर पंजाब से कहा, राजनीति बंद कर जरूरी कदम उठाएं। साथ ही, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली सरकारों को एक-दूसरे पर दोष मढ़ने से बचने और पराली जलाने पर तत्काल अंकुश लगाने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा, यदि हमने अपना बुलडोजर चलाना शुरू किया, तो फिर रुकेंगे नहीं।
प्रसिद्ध पर्यावरणविद् एमसी मेहता ने 1984-85 में, दिल्ली में वाहनों के प्रदूषण, ताज महल के जीर्ण-शीर्ण संगमरमर और गंगा-यमुना नदी में प्रदूषण से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट में कई जनहित याचिकाएं दायर की थी. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा, दिल्लीवासी साल-दर-साल स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं क्योंकि हम इसका समाधान नहीं ढूंढ़ पा रहे हैं। इस पर तत्काल ध्यान देने व अदालती निगरानी की जरूरत है, भले ही मामले में सुधार हो या नहीं। जस्टिस कौल ने बताया, उन्होंने खुद पंजाब में सड़क के दोनों ओर पराली जलते देखी है। उन्होंने कहा, यह पूरी तरह से लोगों के स्वास्थ्य की हत्या है मामले अभी भी अदालतों में लंबित हैं. राजधानी के आसपास प्रदूषण के व्यापक मुद्दों से निपटने के लिए इन मामलों की प्रकृति भी काफी हद तक बदल गई है. समय-समय पर इनमें नए मुद्दे जोड़े जाते रहे हैं. उदाहरण के लिए, दिल्ली में स्मॉग की हालिया समस्या को मौजूदा वाहन प्रदूषण मामलों में जोड़ा गया. हालाँकि अपनी पिछली सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने कोई नीतिगत उपाय करने का आदेश नहीं दिया, लेकिन इससे पहले वो ऐसा करता रहा है. कभी-कभी ये उपाय कठोर रहे हैं. जैसे साल 1998 में अदालत ने आदेश दिया कि डीजल पर चलने वाले सार्वजनिक परिवहन के वाहनों का पूरा बेड़ा, जिसमें करीब 100,000 वाहन थे, उन्हें 2001 तक सीएनजी में बदला जाए. सरकार की ओर से इस आदेश का कड़ा विरोध किए जाने के बाद भी अदालत अपने आदेश से पीछे नहीं हटी. इस कदम की वैज्ञानिक प्रभावकारिता या व्यावहारिकता पर विवाद था.

अदालत ने इंफ्रास्ट्रक्टचर परियोजनाओं की भी देखरेख की है. अदालत ने 2000 के दशक की शुरुआत में यातायात को कम करने और प्रदूषण को कम करने के लिए केंद्र सरकार को दिल्ली के चारों ओर दो एक्सप्रेस वे बनाने का आदेश दिया. बाद में सालों में उसने इसकी प्रगति की निगरानी भी की. कई बार तो सुप्रीम कोर्ट अपने ही फैसले से पलट गया है. उदाहरण के लिए 2019 में अदालत ने पराली जलाने के लिए किसानों को फटकार लगाई, जो प्रदूषण बढ़ाने में सहायक है. अदालत ने आदेश दिया कि जो कोई भी ऐसा करेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. हालांकि इसके ठीक दो दिन बाद अदालत ने कहा कि किसानों को दंडित करना अंतिम समाधान नहीं होगा. अदालत ने कहा कि कई किसानों को मजबूरी में पराली जलानी पड़ती है. अदालत ने सरकार को इन किसानों को सहायता देने के लिए कहा. सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों पर विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं. उदाहरण के लिए, नवंबर 2019 में, अदालत ने केंद्र सरकार को राजधानी में स्मॉग टावर लगाने का निर्देश दिया. ये स्मॉग टावर बड़े पैमाने पर वायु शोधक की तरह काम करते हैं. कई विशेषज्ञों ने बीबीसी को बताया कि स्मॉग-टावर वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में वैज्ञानिक रूप से सक्षम नहीं हैं. इनमें से अधिकांश आदेश पर्यावरण प्रदूषण (संरक्षण और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) की सिफारिशों के आधार पर आए हैं. यह प्राधिकरण अदालत के आदेश पर गठित पांच सदस्यों वाला वैधानिक निकाय है. हालाँकि, कई बार अदालत ईपीसीए की सिफारिशों के खिलाफ भी गई है.

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मतदान का यह क्रम शाम 6:00 बजे तक रहेगा जारी

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डिजिटल भारत l वोटिंग अपडेट डिजिटल भारत न्यूज़ मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के तहत आज सभी 230 सीटों पर मतदान किया जा रहा है इस चुनाव में आज मध्य प्रदेश के 5.6 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे चुनाव आयोग की ओर से चुनाव के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं सभी विधानसभा क्षेत्र में सुबह 7:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक मतदान होगा विधानसभा चुनाव में इस बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ सहित कुल 2533 उम्मीदवार चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं यहां सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच काफी हद तक सीधा मुकाबला है जबलपुर के भी आठ विधानसभा क्षेत्रौ में सुबह से ही मतदान के लिए लोगों की भीड़ देखी जा रही है मतदाता काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं जिसमें युवा वर्ग से लेकर बुजुर्ग मतदाता भी अपने मतदान का उपयोग कर रहे हैं जबलपुर की पश्चिम एवं पूर्व विधानसभा सीट काफी हॉट मानी जा रही है जबलपुर के पूर्व क्षेत्र से बीजेपी के पूर्व मंत्री अंचल सोनकर वही कांग्रेस से पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया तो पश्चिम विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी ने इस बार सांसद राकेश सिंह को टिकट दिया है वहीं कांग्रेस से पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोत जैसे दिग्गज मैदान में है उत्तर- मध्य विधानसभा के अंतर्गत एक 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने भी अपने मतदान का उपयोग किया यह क्रम शाम 6:00 बजे तक जारी रहेगा ब्यूरो रिपोर्ट डिजिटल भारत

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मानसिक शांति है जरुरी , रखे इन बातो का ख्याल

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डिजिटल भारत l तनाव आजकल की सबसे बड़ी समस्या बनता जा रहा है। अधिक भागदौड़ और एक दूसरे से आगे निकलने होड़ में हर कोई किसी न किसी प्रकार के तनाव में जी रहा है। किसी को अच्छी नौकरी नहीं मिलने का तनाव है, तो किसी को व्यापार-व्यवसाय ठीक से नहीं चलने का तनाव है। कोई घर-परिवार के झगड़ों से तनाव में है तो किसी को बाहरी जीवन में किसी बात को लेकर तनाव है। यहां तक कि अब कम उम्र के बच्चों में भी तनाव की समस्या होने लगी है। तनाव होने के निजी और कार्यक्षेत्र से संबंधित कई कारण हो सकते हैं, लेकिन कई बार ग्रहों की स्थिति सही न होने के कारण भी तनाव और मानसिक परेशानियां हो सकती हैं। ऐसे में ज्योतिष में कुछ उपाय बताए गए हैं,
खुद को परेशान करना बंद कीजिए
किसी को सीधे न कहने की बजाए, हम यही सोच सोचकर परेशान होते रहते हैं कि अगला हमारे बारे में क्या सोचेगा। खुद को न कहने का ठोस तर्क देने की बजाए हम दूसरों का समर्थन पाने की कोशिश में लगे रहते हैं। इससे बेहतर है कि आप अपनी स्थिति का सही आकलन करके एक ठोस तर्क के साथ स्पष्ट रूप से न कहें। यकीन कीजिए यह किसी को बेइज्जत नहीं करेगा। थोड़ा सा सतर्क हो जाएं और हां कहने से पहले दूसरों के इरादे समझें
प्रोफेशनल वर्ल्ड में ऐसा बहुत होता है, जब लोग आपका अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं। खासतौर से अपने अधीनस्थों का। पर इस स्थिति का मुकाबला आपको थोड़ा कुशलता से करना है, यानी आपको थोड़ा सा स्मार्ट होने की जरूरत है। जिस व्यक्ति के साथ आप काम कर रहे हैं, पहले उसके इरादे को ठीक से समझें, कि जिस काम के लिए वह कह रहा है या रही है, क्या वह आपकी प्राथमिकता में आता है। ऐसे में आप बहुत आराम से कह सकते हैं कि आप उस काम को कर देंगे, पर थोड़ा टाइम लगेगा। और अगर वाकई काम आपके केआरए यानी आपके पद अनुरूप जिम्मेदारी का हिस्सा नहीं है, तो आप निश्चित कारण बताकर इसे करने से स्पष्ट मना कर सकती हैं। जवाब दें, मगर प्यार से
वह आपके बॉस या रिश्तेदार कोई भी हो सकते हैं- जो आपसे अव्यवहारिक अपेक्षाएं रखने लगें। आप इनसे विनम्रता से ही निपट सकते हैं। आप उन्हें कह सकती हैं कि आप पर पहले से ही बहुत जिम्मेिदारियां हैं, परिवार के बारे में भी आप इसी तरह डील कर सकती हैं।
बुरा नहीं है थोड़ा सा स्वार्थी होना
जर्नल ऑफ़ पर्सनेलिटी एंड सोशल साइकोलॉजी में प्रकाशित एक रिपोर्ट कहती है कि थोड़ा सा स्वार्थी होना वास्तव में फायदेमंद है। अब जब साइंस भी आपके स्वार्थी होने को सपोर्ट कर रहा है तो मान क्यों नहीं लेतीं? अब तो आप सीख ही गई होंगी कि कैसे स्मार्टली ना कहना है, तो अब उसे ट्राय करना शुरू कीजिए। यहां आपके लिए एक और सलाह है कि खुद से अपेक्षाएं तय करें, ताकि लोग आपकी हां कहने की आदत का अनावश्यक फायदा न उठाएं। घर के मुखिया को हमेशा दक्षिण-पश्चिम दिशा में मौजूद कमरे में ही सोना चाहिए. ऐसा ना करने से उनका मानसिक तनाव बढ़ता है. सोते समय पश्चिम दिशा में पैर और उत्तर दिशा में सिर नहीं होना चाहिए. इससे मानसिक तनाव होता है. सोते समय सिर दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए.
घर में परिवार के सदस्यों के बीच अक्सर कलह की स्थिति रहती है तो घर में मौजूद सभी तरह के टूटी-फूटी चीजों को जितना जल्दी हो सके घर से बाहर कर दें. किचन में मौजूद टूट बर्तनों को भी घर से बाहर कर दें. टूटे-फूटे सामान नकारात्मक ऊर्जा का श्रोत माने जाते हैं. इनकी वजह से घर में कलह और मानसिक तनाव होता है.
घर में मौजूद मुख्य आईना कभी भी दक्षिण या पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए. इससे मानसिक तनाव बढ़ता है. घर में कभी दो आईने आमने-सामने नहीं लगाना चाहिए. इससे भी घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है. घर में टूटा हुआ शीशा रखा है तो उसे भी हटा दें. टूटा शीशा मानसिक तनाव बढ़ाता है.
अविवाहित लोगों का कमरा कभी भी दक्षिण पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए. इससे उनके स्वभाव में उग्रता आती है और चिड़चिड़ापन बढ़ता है.
घर की दीवारों को कभी भी बहुत गहरे रंग से नहीं रंगवाना चाहिए. घर की दीवारों को हमेशा हल्के रंगों से ही पेंट करवाना चाहिए वरना नकारात्मक ऊर्जा मन-मस्तिष्क पर हावी होने लगती है.

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वाहनों से मतदाताओं को ढोया नहीं जा सकेगा, आयोग ने लगाये वाहनों के उपयोग पर कई प्रतिबंध

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डिजिटल भारत l निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव के तहत मतदान के दिन मतदाताओं को वाहनों से ढोने पर
प्रतिबंध लगाया है। आयोग के मुताबिक मतदान के दिन कोई भी उम्मीदवार, उसका निर्वाचन अभिकर्ता या उसकी
सहमति से अन्य कोई भी व्यक्ति मतदाताओं को मतदान केन्द्र तक ले जाने और वहां से वापस लाने के लिए
वाहनों की सुविधा उपलब्ध नहीं करायेगा। आयोग ने कहा है कि यदि कोई उम्मीदवार ऐसा करता है तो वह भ्रष्ट
आचरण माना जायेगा और इस प्रकार के भ्रष्ट आचरण पर उसे दण्ड दिया जा सकता है। इसके साथ ही लोक
प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 133 के अधीन उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
निर्वाचन आयोग ने मतदान के दिन वाहनों के दुरूपयोग को रोकने कई तरह के प्रतिबंध भी लगाये हैं । इसके
अनुसार मतदान के दिन विधानसभा चुनाव लड रहे प्रत्येक उम्मीदवार को उसके निर्वाचन क्षेत्र के लिए केवल तीन
वाहनों के उपयोग की अनुमति ही दी गई है। इसमें से एक का उपयोग उम्मीदवार स्वयं अपने लिए कर सकेगा
जबकि दूसरा वाहन का उपयोग उसका निर्वाचन अभिकर्ता तथा तीसरे वाहन का उपयोग उसके कार्यकर्ता कर सकेंगे।
इसके लिए भी उम्मीदवार को रिटर्निंग अधिकारी से लिखित अनुमति प्राप्त करना जरूरी होगा।
निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं के निर्वाचन विधि का उल्लघंन करके वाहनों से मतदान बूथों तक ले जाने
और वापस लाने पर रोक लगाने की दृष्टि से मतदान क्षेत्रों में मतदान के दिन सभी तरह के यंत्र चलित या अन्यथा
चलित वाहनों जिसमें टैक्सी, निजी कार, ट्रक, बस, मिनी बस, ट्रक, ट्रेक्टर, आटोरिक्शा, स्कूटर, स्टेशन वैगन आदि के
संचालन को विनियमित किया है।
आयोग ने कहा है कि मतदान क्षेत्र में मतदान के दिन बस व मिनी बस जैसे सार्वजनिक परिवहन के
वाहनों को चलाये जाने की अनुमति तो होगी लेकिन निश्चित मार्गों और निश्चित स्थानों के बीच ही इन्हें चलाया
जा सकेगा। निर्वाचन आयोग ने कहा है कि निजी वाहनों एवं टैक्सियों को मतदान के दिन मतदान केन्द्रों को
छोड़कर अस्पतालों, विमानपत्तनों, रेल्वे स्टेशनों, बस अड्डों मित्र या रिस्तेदारों के घरों, क्लबों, एवं रेस्टारेण्ट जैसे
स्थानों तक यात्रियों को ले जाने के लिए चलने दिया जायेगा । लेकिन मतदाताओं के ढोने के लिए मतदान केन्द्रों
के समीप छुपे तौर पर इन्हें आने नहीं दिया जायेगा। इन वाहनों के यातायात को इस प्रकार दूसरे मार्ग पर ले जाया
जायेगा ताकि उनके दुरूपयोग पर प्रभावी रूप से नियंत्रण किया जा सके।
आयोग के अनुसार मतदान के दिन निजी उपयोग के लिए जिसका संबंध निर्वाचन से न हो, निजी वाहनों को
चलाने की अनुमति होगी। इसके अलावा अनिवार्य सेवाओं के लिए प्रयुक्त वाहनों मसलन अस्पताल वाहन, रोगी
वाहन, दुग्ध वाहन, पानी के टैंकर, विद्युत ड्यूटी वाहन, पुलिस वाहन को भी मतदान के दिन चलाये जा सकेंगे।
आयोग ने निजी वाहन स्वामियों को या तो स्वयं के लिए या उनके अपने परिवार के सदस्यों के उनके
मताधिकार के उपयोग के लिए मतदान केन्द्र परिसर तक निजी वाहन ले जाने की अनुमति दी है। लेकिन इस शर्त
पर कि ऐसे वाहन मतदान केन्द्र के 200 मीटर के दायरे में केवल एक बार ही प्रवेश कर सकेंगे। आयोग ने मतदान
के दिन वाहनों के उपयोग पर लगाये गये इन प्रतिबंधों का उल्लंघन होने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है और
कहा कि दुरूपयोग पाये जाने पर ऐसे वाहनों को जप्त कर लिया जायेगा।

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125वर्षों से भी ज्यादा का है मनकेडी चंडी मेले का इतिहास, मुस्लिम परिवार द्वारा निभाई जा रही परंपरा

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डिजिटल भारत l हिंनदोस्तान गंगा जमिनी तहजीब के लिए विख्यात यूं ही नहीं माना जाता यहां पर बसने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी तहजीब की महक बरकरार है जिसमें धर्म से ऊपर इंसानियत और भाईचारे को माना जाता है प्रेम सौहार्द ही जिनके लिए सबसे बड़ा धर्म है। ऐसा ही कुछ बरगी नगर के छोटे से ग्राम मनकेडी में पिछले 100 वर्षों से भी ज्यादा लंबे समय से देखने मिल रहा है जहां 99.9% हिंदू आबादी के बीच में रहने वाला रहने वाला एक मुस्लिम परिवार अपने बाप दादा के समय से इस परंपरा को बखूबी निभा रहे हैं और अपने पुरखों की इस रवायत को आज भी नई पीढ़ियां निभा रही हैं।

✳️ भाई दूज पर भरता है प्रेम का मेला मनकेडी ग्राम के ग्राम प्रमुख हफीज खान मालगुजार ने बताया कि दीपावली के भाई दूज के अवसर पर हमारे गांव में पिछले 125 वर्षों से भी ज्यादा समय से हमारे परिवार के स्वर्गीय खुदा बख्श, स्वर्गीय शेख कल्लू तथा स्वर्गीय शेख अहमद खान मालगुजार द्वारा ग्राम में भाई दूज के अवसर पर आपसी प्रेम के लिए चण्डी मड़ई मेले का आयोजन किया जाता रहा है जिसे हम भी उसी परंपरा के अनुसार इसका निर्वहन कर रहे हैं।

✳️ दर्जन भर गांवों को भेजते हैं न्योता ग्राम के (बैगा) पंडा प्रहलाद आदिवासी तथा सूरज आदिवासी ने बताया कि मालगुजार परिवार द्वारा चंडी मेला कार्यक्रम के लिए आसपास के दर्जन भर ग्राम सहजपुरी,चौरई, रीमा, नयागांव, टेमर गुल्ला पाठ, भोंगा तथा हरदुली ग्रामों के ग्राम प्रमुख को हल्दी चावल तथा सुपारी भेज कर पारंपरिक न्योता दिया जाता है । तत्पश्चात ग्राम की ग्वालटोली द्वारा शाम 4:00 बजे मालगुजार परिवार के घर पहुंच कर नाचते गाते हुए समूचे गांव के साथ मालगुजार परिवार के प्रमुख को लेकर ग्वालटोली मेला स्थल तक पहुंचती है यहां पर पूरी विधि विधान से चंडी माता की पूजा अर्चना के बाद ग्राम के बैगा द्वारा मढईको ब्याहने की प्रक्रिया पूरी की जाती है और इस तरह से सभी मेले में शामिल होते हैं।

✳️पान खिलाकर होता है स्वागत आसपास के गांव से आमंत्रित की गई सभी ग्वालटोलियों को मेला स्थल में पहुंचने के बाद पान खिलाकर स्वागत किया जाता है तथा मालगुजार परिवार द्वारा विशेष नृत्य प्रस्तुति पर सभी ग्वालटोलियों को सम्मान स्वरूप प्रसाद और बख्शीश (पुरस्कार) हर टोली को दी जाती है तथा आसपास के सभी आमंत्रित अतिथि गणों को पान खिलाकर स्वागत किया जाता है इस अवसर पर ग्राम के दिमाग प्रसाद, डुमारी लाल सोनी ,डुमारी लाल झरिया, प्रहलाद आदिवासी, विमल नेताम, रामाधार आदिवासी, संतोष आदिवासी, सूरज प्रसाद, कृपाल आदिवासी, भूरा झरिया, रोशनी झरिया मुकेश तथा समस्त ग्रामीण का विशेष सहयोग रहता है

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नहीं रहे सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय, 75 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

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डिजिटल भारत l सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय का मंगलवार (14 नवंबर) को मुंबई में निधन हो गया। उन्होंने 75 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। सुब्रत रॉय का मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में इलाज चल रहा था। वह पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सहारा ग्रुप की प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर खबर जारी की है। लंबी बीमारी के बाद निधन
बयान में बताया गया है कि हाइपर टेंशन और डायबिटीज से पैदा हुई मुश्किलों के साथ लंबी लड़ाई के बाद सुब्रत रॉय को कार्डियक अरेस्ट आया और रात 10.30 बजे उनका निधन हो गया. सुब्रत रॉय को सेहत खराब होने के बाद 12 नवंबर को मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल और मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया गया था. सुब्रत रॉय ने रिटेल, रियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग, एविएशन, मीडिया और फाइनेंशियल सर्विसेज के सेक्टर में एक विशाल साम्राज्य खड़ा किया था, लेकिन वो विवादों में भी घिरे रहे. उन्हें अपनी ग्रुप कंपनियों को लेकर कई रेगुलेटरी और कानूनी लड़ाइयों का भी सामना करना पड़ा, जिन पर पोंजी स्कीम चलाने का भी आरोप लगा, हालांकि कंपनी ने हमेशा इन आरोपों से इनकार किया.
सुब्रत रॉय ने अपने साथ उन लाखों ग़रीब और ग्रामीण भारतीयों को जोड़ा, जिनके पास बैंकिंग की सुविधा नहीं थी और इन्हीं के सहारे सहारा ग्रुप खड़ा किया, लेकिन बाज़ार नियामक सेबी ने जब उनके ख़िलाफ़ क़दम उठाए तो दशकों का बनाया हुआ साम्राज्य हिलने लगा. दरअसल, यह मामला सहारा ग्रुप की कंपनियों से जुड़ा था, जिन्होंने रीयल एस्टेट में निवेश के नाम पर तीन करोड़ से ज़्यादा निवेशकों से क़रीब 24 हज़ार करोड़ रुपये जुटाए थे. एक समय ऐसा था जब सुब्रत रॉय के पास एक एयरलाइन, एक फॉर्मूला वन टीम, एक आईपीएल क्रिकेट टीम, लंदन और न्यूयॉर्क में आलीशान होटल थे. उन्होंने अपनी एयरलाइन-एयर सहारा, जेट एयरवेज को बेच दी, जो बाद में ख़ुद भी बंद हो गई. एक समय पर माना जाता था कि सहारा ग्रुप में भारतीय रेलवे के बाद सबसे ज़्यादा लोग काम करते हैं. इन लोगों की संख्या क़रीब 12 लाख बताई जाती थी.

फ़िल्मी सितारों से लेकर सभी राजनीतिक दलों में सुब्रत रॉय के दोस्त थे, लेकिन उन्हें समाजवादी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के ज़्यादा क़रीब माना जाता था. दिसंबर 1993 में जब मुलायम सिंह दोबारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो रॉय के साथ उनके रिश्ते और गहरे हो गए. वे मुलायम सिंह के क़रीबी अमर सिंह भी गहरे दोस्त सहारा का पतन
सुब्रत रॉय को 10 हजार करोड़ रुपये की बकाया राशि न चुकाने पर 4 मार्च 2014 को जेल जाना पड़ा. अदालत ने तब कहा था कि जब तक वे पाँच हज़ार करोड़ रुपये नक़द और पाँच हज़ार करोड़ रुपये की बैंक गारंटी नहीं देंगे, तब तक उन्हें रिहा नहीं किया जाएगा. 2013 में सहारा ग्रुप ने सेबी ऑफिस को 127 ट्रक भेजे थे, जिसमें तीन करोड़ से ज्यादा आवेदन फॉर्म और दो करोड़ रिडेम्पशन वाउचर शामिल थे. उन्हें दो साल से ज्यादा समय तक जेल में रहना पड़ा और 2016 में वे पैरोल पर बाहर आए. प्रॉपर्टी के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फिर से जेल भेज दिया था. सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि अगर सुब्रत, नवंबर 2020 में 62 हज़ार 600 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करते हैं तो उनकी पैरोल रद्द कर दी जाए. टीम इंडिया का स्पॉन्सर रहा सहारा
साल 2001 से 2013 तक सहारा ग्रुप टीम इंडिया का स्पॉन्सर रहा. सहारा की टीम पुणे वॉरियर्स ने साल 2011 में आईपीएल में एंट्री ली थी. 2013 में सहारा ग्रुप की वित्तीय स्थिति ख़राब होने के बाद यह क़रार ख़त्म कर दिया.

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हर मतदाता दे सकेगा वोट,आयोग ने पहचान के लिए निर्धारित किये बारह वैकल्पिक दस्तावेज

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डिजिटल भारत l विधानसभा चुनाव के लिये शुक्रवार 17 नवंबर को होने वाले मतदान में ऐसे प्रत्येक मतदाता को मत
देने का अधिकार होगा जिसका नाम मतदाता सूची में शामिल है। ऐसे मतदाता जिन्हें फोटो परिचय पत्र जारी किये
गये हैं उन्हें वोट डालने के लिए फोटो परिचय पत्र मतदान केन्द्र ले जाना जरूरी होगा।
लेकिन किन्ही कारणों से फोटो मतदाता पहचान पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाने वाले मतदाताओं के लिये
निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित 12 वैकल्पिक फोटोयुक्त पहचान के दस्तावेजों में से कोई एक वैकल्पिक
दस्‍तावेज प्रस्तुत करना होगा। निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार इस बार बीएलओ द्वारा मतदाताओं की सुविधा के
लिये घर-घर वितरित की गई मतदाता सूचना पर्ची को मतदाता की फोटो नहीं होने के कारण पहचान स्थापित करने
के लिये निर्धारित दस्तावेजों में मान्य नहीं किया जायेगा।
आयोग के मुताबिक कोई ऐसे मतदाता जो बीएलओ द्वारा मतदाता सूचना पर्ची के वितरण के दौरान घर
पर मौजूद नहीं थे वो भी अपना वोट डाल सकेंगे। लेकिन ऐसे मतदाता का नाम पीठासीन अधिकारी के पास मौजूद
एएसडी (एबसेंट, शिफ्टेड या डुप्लीकेट) वोटर्स की सूची में शामिल होना चाहिए।
आयोग के निर्देशों के अनुसार मतदान के दिन यदि ऐसा मतदाता मतदान केन्द्र पहुंचता है जिसे
मतदाता सूचना पर्ची प्राप्त नहीं हुई और उसका नाम एएसडी वोटर्स की सूची में शामिल है तो उसे अपना फोटो
मतदाता परिचय पत्र या आयोग द्वारा पहचान साबित करने के लिए निर्धारित किये गये वैकल्पिक दस्तावेज
पीठासीन अधिकारी को बताना होगा । पीठासीन अधिकारी फोटो मतदाता परिचय पत्र अथवा वैकल्पिक दस्तावेज के
आधार पर ऐसे मतदाता की पहचान संबंधी जांच करेगा तथा जांच के बाद ही उसे वोट डालने की अनुमति देगा ।
ऐसे मतदाता को मतदाता रजिस्टर में न केवल हस्ताक्षर करने बल्कि उसके अंगूठे का निशान भी मतदान रजिस्टर
में लिया जायेगा ।
आयोग ने मतदाताओं की पहचान स्थापित करने के लिए बारह वैकल्पिक फोटो पहचान दस्तावेजों को
भी मान्य किया है। लेकिन मतदान केंद्र पर वैकल्पिक फोटो पहचान दस्तावेज प्रस्तुत करने की ये अनुमति केवल
उन्हीं मतदाताओं के लिए होगी जो मतदाता फोटो परिचय पत्र नहीं ला सके हैं। मतदाता को इसमें से कोई एक
फोटो पहचान दस्तावेज को मतदान के पहले अपनी पहचान स्थापित करने के लिए मतदान अधिकारियों के समक्ष
प्रस्तुत करना होगा। फोटो मतदाता परिचय पत्र के फोटोग्राफ से मिलान करने पर यदि किसी मतदाता की पहचान
करना संभव नहीं है तो उस स्थिति में भी उस मतदाता को पहचान स्थापित करने के लिये मान्य बारह दस्तावेजों
में से कोई एक दस्तावेज दिखाना होगा।
निर्वाचन आयोग ने जिन फोटो पहचान दस्तावेजों को मतदाताओं की पहचान स्थापित करने के लिए मान्य
किया है, उनमें आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, फोटो सहित पेंशन
दस्तावेज, केंद्र अथवा राज्य सरकार या सार्वजनिक उपक्रम अथवा सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों द्वारा कर्मियों को
जारी फोटो सहित सेवा पहचान पत्र, बैंक अथवा डाकघर द्वारा जारी फोटो सहित पासबुक, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के अधीन आरजीआई द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड, श्रम मंत्रालय की योजनाओं के अधीन जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट
कार्ड, सांसद या विधानसभा एवं विधान परिषद के सदस्यों को जारी किये गये आधिकारिक पहचान पत्र तथा भारत
सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा दिव्यांगजनों को जारी यूनिक डिसेबिलिटी आईडी शामिल शामिल हैं।
आयोग ने कहा है कि प्रवासी निर्वाचक जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 20 क के अधीन
पासपोर्ट में दर्ज विवरणों के आधार पर मतदाता सूची में पंजीकृत हुए हैं मतदान केंद्र में उन्हें मूल पासपोर्ट के
आधार पर पहचाना जायेगा किसी अन्य पहचान के दस्तावेज से नहीं।

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कांग्रेस प्रत्यासी राजेश पटेल को क्षेत्र में मिल रहा अपार जन समर्थन एक जुट हुई कांग्रेस, बदला नजर आने लगा माहौल

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डिजिटल भारत l इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा से 10 साल से विधायक रहे सुशील इंदु तिवारी पुनः भाजपा से प्रत्यासी है तो वहीं कांग्रेस ने ओबीसी कार्ड खेलकर पनागर विधानसभा में राजेश पटेल को प्रत्यासी बनाया गया है जिन्हें जनसंपर्क के दौरान पनागर ही नही बरेला क्षेत्र में भी जनता का भरपूर प्यार और जन समर्थन मिल रहा है, पनागर प्रत्यासी राजेश पटेल पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं अपने अध्यक्ष के कार्यकाल में राजेश पटेल ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार दौरा कर अपनी पहचान बना चुके थे अब वो कांग्रेस से विधानसभा प्रत्यासी के रूप में फिर से जनता के बीच में हैं अब जनता भी उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष के बाद पनागर में विधायक बनना देखना चाह रही है जिसके चलते इस चुनाव में उन्हें जनता के बीच वही स्नेह और सम्मान मिल रहा है।
हाल में हुए जिला पंचायत चुनाव में राजेश पटेल ने अपने छोटे भाई विवेक पटेल को जिला पंचायत चुनाव में भारी मतों से विजयी बनाया था जो आज जिला पंचायत में उपाध्यक्ष पद पर है, विवेक पटेल भी जिला पंचायत उपाध्यक्ष रहते ग्रामीण अंचलों में लगातार दौरा किया जिसका पूरा लाभ भी इस चुनाव में राजेश पटेल को मिलता नजर आ रहा है।
तो वहीं पूर्व में निर्दलीय प्रत्यासी रहे भारत सिंह यादव की पत्नी श्रीमती प्रभा यादव भी राजेश पटेल के पक्ष में खुलकर मैदान में प्रचार प्रसार कर रहे हैं तो वहीं सेवादल के राष्ट्रीय महासचिव सत्येंद्र यादव भी समस्त 310 बूथों में अपनी टीम के साथ राजेश पटेल के समर्थन में जीत दिलाने पुरजोर मेहनत कर रहे हैं, वहीं प्रदेश महामंत्री विनोद श्रीवास्तव ने भी अपनी टीम कांग्रेस को विजयी बनाने लगा रखी है, ब्लॉक कांग्रेस पनागर और बरेला, युवक कांग्रेस, महिला कांग्रेस, एनएसयूआई के साथ ओबीसी एससी एसटी संयुक्त मोर्चा मध्यप्रदेश जन जागरण मोर्चा (कमलनाथ ग्रुप) के साथ कुर्मी क्षत्रिय महासभा के खुले समर्थन ने इस चुनाव को और भी रोमांचक बना दिया है, कुल मिलाकर देखा जाए तो इस बार हो रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक डोर में एक जुट होकर चुनाव लड़ रही है जिससे यह चुनाव काफी रोमांचक स्थिति में पंहुच चुका है। अब जनता को ही तय करना है कि आगामी 17 नवंबर तक इस तरह से जनता का मिल रहा जनसमर्थन वोट में तब्दील हो रहा है या जनता के मन में 10 साल से विधायक रहे सुशील इंदु तिवारी को तीसरी बार चुनकर पुनः विधायक बनाना चाह रही है यह तो 3 दिसंबर को आने वाला परिणाम में ही दिखाई देगा

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दो दिन में 5 हजार 300 से अधिक चुनाव कर्मियों ने किया डाक मत पत्र से मतदान

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डिजिटल भारत l विधानसभा चुनाव कराने संलग्न अधिकारियों कर्मचारियों को डाकमत पत्र से मतदान की दी गई सुविधा का
लाभ उठाते हुये दो दिनों में 5 हजार 300 चुनाव कर्मियों द्वारा मतदान किया जा चुका है। चुनाव कर्मियों को
जिनमें मतदान दल में शामिल अधिकारी-कर्मचारी, माइक्रो आब्जर्बर्स विशेष पुलिस अधिकारी बनाये गये कर्मचारी
तथा चुनाव कार्य से संलग्न वाहनों के ड्राइवर, कंडक्टर एवं क्लीनिक भी शामिल है, डाक मत पत्र से मतदान की
सुविधा माढ़ोताल स्थित श्रीराम इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी में चल रहे मतदान कर्मियों के दूसरे चरण के प्रशिक्षण
के दौरान उपलब्ध कराई जा रही है। इसके लिये यहां प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र पर तीन-तीन फेसिलिटेशन सेण्टर
बनाये गये है।
जिला निर्वाचन कार्यालय के मुताबिक इन फेसिलिटेशन सेण्टर्स पर पहले दिन मंगलवार 7 नवंबर को 2
हजार 848 चुनाव कर्मियों ने तथा दूसरे दिन आज बुधवार 8 नवंबर को करीब 2 हजार 500 चुनाव कर्मियों द्वारा
डाकमत पत्र से अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया गया है। चुनाव कर्मियों को डाकमत पत्र से मतदान की
सुविधा गुरूवार 9 नवंबर को भी उपलब्ध रहेगी। ड्रायवर-कंडक्टर-क्लीनर 11 नवंबर तक कर सकेंगे डाकमत पत्र से मतदान
जिला निर्वाचन कार्यालय के मुताबिक चुनाव कर्मियों की तरह चुनाव कार्य में संलग्न किये गये वाहनों के
ड्राईवर, कंडक्टर एवं क्लीनर को भी डाकमत पत्र से मतदान की सुविधा उपलब्ध होगी।

ड्राइवर, कंडक्टर एवं क्लीनर 11 नवंबर तक श्रीराम इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी के भवन क्रमांक दो में बने फेसिलिटेशन सेण्टर में मतदान कर सकेंगे। डाकमत पत्र से मतदान के लिये इन्हें अपना वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड और ड्यूटी आदेश लेकर
फेसिलिटेशन सेण्टर पर पहुंचना होगा। अन्य जिलों में रहने वाले शासकीय सेवक भी कर सकेंगे डाकमत पत्र से मतदान जिला निर्वाचन कार्यालय के अनुसार डाकमत पत्र से मतदान की सुविधा जिले में पदस्थ ऐसे मतदान कर्मियों को भी होगी जिनके नाम दूसरे जिले की मतदाता सूची में हैं लेकिन वे शासकीय सेवा जबलपुर जिले में कर रहे हैं। ऐसे शासकीय सेवकों को डाकमत पत्र से मतदान की सुविधा उपलब्ध कराने मतदान कर्मियों के प्रशिक्षण के दौरान श्री राम इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी में अलग से फेसिलिटेशन सेण्टर स्थापित किया गया है।
रिटर्निंग अधिकारी कार्यालय में 11 नवंबर से डाले जा सकेंगे डाकमत पत्र से वोट जिला निर्वाचन कार्यालय के अनुसार श्री राम इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी में मतदान दलों का दूसरे चरण का प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद चुनाव कर्मियों को डाकमत पत्र से मतदान की सुविधा देने जिले की आठों विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निंग अधिकारी कार्यालय में फेसिलिटेशन सेण्टर स्थापित किये जायेंगे। रिटर्निंग अधिकारी कार्यालय में बनाये जाने वाले इन फेसिलिटेशन सेण्टर्स पर चुनाव कर्मी 11 नवंबर से मतदान कर सकेंगे।

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