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एक भारत उत्कृष्ट भारत

जाने मानषिक तनाव के दूर करने के आसान उपाए

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डिजिटल भारत l आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक तनाव होना एक आम बात है। लेकिन अधिक तनाव लेने से व्यक्ति का जीवन तो प्रभावित होता ही है साथ में उसके काम पर भी इसका असर पड़ता है। अक्सर लोग लंबे समय तक मानसिक तनाव में रहने के कारण कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से घिर जाते हैं और फिर इससे निजात पाने के लिए इलाज का सहारा लेते हैं।

माना जाता है कि मानसिक तनाव का कारण अक्सर हमारी जीवनशैली ही होती है। अगर व्यक्ति अपनी जीवनशैली बेहतर रखे तो काफी हद तक तनाव से बचा जा सकता है। अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो आइये जानते हैं मानसिक तनाव दूर करने का उपाय क्या हैं।
प्राचीन काल से ही मस्तिष्क से संबंधित विकारों को दूर करने के लिए अश्वगंधा जड़ी बूटी काफी लोकप्रिय है। यह शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को मजबूत बनाने के साथ ही मानसिक तनाव को भी दूर करने में मदद करता है। यह तंत्रिका तंत्र को शांत रखता है जिससे व्यक्ति को मानसिक तनाव से राहत मिलता है। अगर आप मानसिक तनाव से जल्दी छुटकारा पाना चाहते हैं तो 500 ग्राम अश्वगंधा दिन में दो बार सेवन करें, जल्द ही आपको लाभ मिलेगा।


जब भी आपको तनाव हो तो कम से कम पांच बार तेज सांस ले और छोड़ें। संभव हो तो कुछ देर तक सांस रोककर रखें और फिर छोड़ें। यह प्रक्रिया कई बार दोहराएं, इससे मानसिक तनाव गायब हो जाएगा।
माना जाता है कि अनिद्रा भी मानसिक तनाव का एक कारण होता है। इस स्थिति में कैमोमाइल बहुत प्रभावी तरीके से कार्य करता है। यह मांसपेशियों और तंत्रिकाओं को शांत रखता है और अनिद्रा की समस्या दूर करता है जिससे की मानसिक तनाव से भी राहत मिलती है। इसके अलावा यह पाचन को बेहतर बनाता है और तनाव घटाता है। कैमोमाइल का सेवन चाय के रूप में करना ज्यादा फायदेमंद होता है।

तनाव बढ़ने पर सर दर्द होना और नींद न आना जैसी परेशानियां होती है। ऐसे में सर की मालिश करना एक बेहतरीन उपाय है। सर मालिश करने से रक्त का प्रवाह बढ़ने लगता है जो सर दर्द को रोकने, नींद और तनाव से लड़ने का अच्छा तरीका है

मूड खराब होने पर किसी पालतू जानवर के साथ कुछ समय बिताये। घर के पालतू जानवरों से लगाव और स्नेह होता है, ये हमें खुशी और प्यार देते है। इसलिए अपने आपको tension से दूर रखना हो या मूड फ्रेश करना हो ये उपाय काफी कारगर है।

बाजार में मिलने वाले फ़ास्ट फ़ूड की बजाय पोषक तत्वों से भरपूर पोष्टिक भोजन खाये और पानी की मात्रा अधिक ले। इससे आपका शरीर स्वस्थ रहेगा और मूड भी अच्छा रहेगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने रेप केस में टू फिंगर टेस्ट करने पर रोक, कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने वालों को दोषी माना जाएगा

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दरअसल, इस टेस्ट प्रक्रिया के दौरान जो गतिविधियां की जाती हैं, वो पीड़िता के साथ दोबारा रेप करने जैसी होती है. इस वजह से सर्वोच्च अदालत को इसे बैन करना पड़ा है.

जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर है, इस टेस्ट में कोई डॉक्टर किसी महिला के प्राइवेट पार्ट में उंगली डालकर यह बताने का दावा करता है कि वह महिला सेक्सुअली एक्टिव है या नहीं। यानी वह महिला नियमित यौन संबंध बनाती है या नहीं।

ये हाथों से जांच की एक पुरानी प्रक्रिया है। आमतौर पर यह माना जाता है कि किसी महिला का टू फिंगर टेस्ट पॉजिटिव आता है तो वह सेक्सुअली एक्टिव है। इसके उलट अगर पॉजिटिव नहीं आता है तो वह सेक्सुअली एक्टिव नहीं है।

रेप केस की पुष्टि के लिए किए जाने वाले टू फिंगर टेस्ट के इस्तेमाल पर देश की सर्वोच्च अदालत ने पाबंदी लगा दी है. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है कि रेप केस की जांच की ये प्रक्रिया गैर कानूनी है, इसे करने वाल शख्स भी बराबर का दोषी है. ऐसे में जो भी ये जांच करते हुए पकड़ा जाए, उसके खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं में कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय को निर्देशित किया है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी स्थिति में किसी रेप पीड़िता का टू फिंगर टेस्ट न हो सके. इसके साथ ही कोर्ट ने इस पर दुख भी जताया कि ये अमानवीय जांच आज तक जारी रही है.

 झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार बनाम शैलेंद्र कुमार राय के केस में ‘टू फिंगर टेस्ट को आधार मानते हुए रेप और हत्या के आरोपी को बरी कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटकर आरोपी को दोषी माना है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई जाने वाली सिलेबस से ‘टू-फिंगर टेस्ट’ को हटाने का भी आदेश दिया है।

कोर्ट ने कहा, ‘यह मानना गलत है कि सेक्सुअल तौर पर एक्टिव महिला का रेप नहीं किया जा सकता है। टू फिंगर टेस्ट सेक्सिस्ट और पितृसत्तात्मक है।’ सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि रे पीड़ित महिलाओं का आगे से टू फिंगर टेस्ट नहीं होनी चाहिए।

यहां सवाल ये खड़ा होता है कि ये टू फिंगर टेस्ट क्या है? इस टेस्ट में ऐसा क्या है, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट इतनी सख्त नजर आ रही है? अभी तक इस टेस्ट का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा था? आइए सबसे पहले ये जानते हैं कि ये टेस्ट क्या है. दरअसल, रेप पीड़िता द्वारा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने के बाद सबसे पहले मेडिकल के लिए ले जाया जाता है. इस दौरान कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं, ताकि ये साबित किया जा सके कि उक्त पीड़िता के साथ बलात्कार हुआ है या नहीं? इसी दौरान टू फिंगर टेस्ट सबसे ज्यादा किया जाता है. चूंकि इस टेस्ट को करना आसान है. इसे मैन्युअली चेक करने के तुरंत बाद ही जांचकर्ता नतीजे पर पहुंच जाता है. समय ज्यादा नहीं लगता है.

डॉक्टर पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में दो उंगली डालकर टेस्ट

टू फिंगर टेस्ट के दौरान अस्पताल में डॉक्टर रेप पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में अपनी दो उंगली डालकर टेस्ट करते हैं. इसके जरिए ये पता करने की कोशिश की जाती है कि पीड़िता वर्जिन है या नहीं. यदि जांच के दौरान पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में डॉक्टर की उंगलियां आसानी से चली जाती हैं तो ये माना जाता है कि वो वर्जिन नहीं है. इसी आधार पर डॉक्टर अपनी रिपोर्ट दे देता था. लेकिन आज के जमाने में जब वर्जिनिटी कोई विषय नहीं रह गई है, तब इस तरह के टेस्ट से रेप का पता करना अमानवीय ही नहीं निजता का हनन भी है. यहां तक कि इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सही नहीं पाया गया है. यही वजह है कि इस जांच प्रक्रिया की लंबे समय से बहुत ज्यादा आलोचना होती रही है.

पीड़िता संग दोबारा रेप करने जैसा

सही मायने में देखा जाए तो टू फिंगर टेस्ट रेप के बाद पीड़िता के साथ दोबारा रेप करने जैसा है. आईपीसी की धारा 376 के तहत रेप तभी माना जाता है जब किसी महिला के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाया जाए. इस दौरान सेक्शुअल ऑर्गन में पेनेट्रेशन होना जरूरी है. इस तरह टू फिंगर टेस्ट के दौरान भी ऊंगलियों के जरिए पेनेट्रेशन किया जाता है. ये भले ही पीड़िता की मूक सहमति या मजबूरी का फायदा उठाकर किया जाता है, लेकिन उनके साथ बार-बार रेप करने जैसा है. आईपीसी की धारा 375 के तहत कोई पति भी अपनी पत्नी की इच्छा के खिलाफ जाकर उसके साथ यौन संबंध बनाता है, तो उसे रेप की कैटेगरी में रखा जाता है. इसमें सजा का प्रावधान वही है, जो कि धारा 376 में है.

टू फिंगर टेस्‍ट पीड़िता को शारीरिक-मानसिक चोट पहुंचाता

ऐसा पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस टेस्ट पर बैन लगाया है. इससे पहले 2013 में लिलु राजेश बनाम हरियाणा राज्‍य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टू फिंगर टेस्‍ट को असंवैधानिक करार दिया था. कोर्ट ने इसे रेप पीड़‍िता की निजता और उसके सम्‍मान का हनन करने वाला करार देते हुए कहा था कि यह शारीरिक और मानसिक चोट पहुंचाने वाला है. यह टेस्‍ट पॉजिटिव भी आ जाए तो नहीं माना जा सकता है कि संबंध सहमति से बने हैं. सुप्रीम कोर्ट के बैन के बाद भी शर्मिंदा करने वाला यह टू फिंगर टेस्‍ट होता रहा है. 2019 में ही करीब 1500 रेप सर्वाइवर्स और उनके परिजनों ने कोर्ट में शिकायत की थी. इसमें कहा गया था कि देश की सर्वोच्‍च न्यायालय के आदेश के बावजूद यह टेस्‍ट हो रहा है. इस याचिका में टेस्‍ट को करने वाले डॉक्‍टरों का लाइसेंस कैंसिल करने की मांग की गई थी. 2014 में भारत ने भी इसे अवैज्ञानिक बताते हुए एक गाइडलाइन जारी की थी.

इसे बंद करें’ टू फिंगर टेस्‍ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक रेप केस में अपना फैसला सुनाते हुए कहा है, “कोर्ट ने रेप केस में टू फिंगर टेस्ट नहीं करने का कई बार आदेश दिया है. इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. इसके बजाय यह महिलाओं को बार-बार रेप की तरह ही प्रताड़ित करता है. यह टेस्ट गलत धारणा पर आधारित है कि एक सेक्शुअली एक्टिव महिला का बलात्कार नहीं किया जा सकता है. एक पीड़िता की गवाही का संभावित मूल्य उसके यौन इतिहास पर निर्भर नहीं करता है. यह सुझाव देना पितृसत्तात्मक और सेक्सिस्ट है कि एक महिला पर विश्वास नहीं किया जा सकता है जब वह कहती है कि उसके साथ केवल इसलिए बलात्कार किया गया क्योंकि वह सेक्सुअली एक्टिव है. इसे मेडिकल पाठ्यक्रम से भी हटा दिया जाना चाहिए.”

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स्वैग वाला गरबा की शानदार दूसरी शाम

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जबलपुर । 09 / 10 / 2022

डिजिटल भारत न्यूज़ एवं समाचार पत्र के तत्वधान में शहनाई गार्डन में आयोजित होने वाले स्वैग वाला गरबा का कल दूसरी शाम शानदार रही , जिसमे विशाल ब्रास बैंड एवं प्रतिभागियों द्वारा शानदार प्रस्तुतियां दी गयी,इस मोके पर मुख्यातिथि के रूप में जगतगुरु राघवदेवाचार्य जी महाराज स्वामी पगला नंद जी महाराज एवं साध्वी शिरोमणि, पूज्या डॉ साध्वी सम्पूर्णा जी तथा कैंट विधायक अशोक रोहाणी एवं नगर निगम सदन अध्यक्ष श्री रिंकू विज एवं भाजपा महानगर पिछड़ा वर्ग मोर्चा अध्यक्ष संजय सिंह यादव एवं भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के नगर उपाध्यक्ष संजीवनी नगर क्षेत्र के युवा भाजपा नेता श्री राम पटेल, अधिवक्ता जय यादव उपाध्यक्ष पिछड़ावर्ग, अधिवक्ता दिनेश पटेल, विजय कोरीअधिवक्ता गोपाल पटेल, शुधीर यादव आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम के संचालक प्रमोद पटेल ने बताया की पहले दिन से दूसरी शाम और अधिक शानदार रही जिसमे शहर से ही नहीं अन्य शहरों से लोगो ने इस महोत्सव का लुफ्त उठाया इस मोके पर शहर में विशाल एवं आकर्षक प्रतिमा साजसज्जा के लिए चमत्कार दुर्गा उत्सव समिति एवं पालकी वाली महारानी एवं अन्य 15 समितियों का सम्मानित किया गया।

डिजिटल भारत द्वारा उखरी रोड स्थित शताब्दीपुरम के शहनाई गार्डन में तीन दिवसीय गरबा महोत्सव का आयोजन किया गया था। जिसका आज 9 अक्टूबर रविवार की शाम 8:00 बजे भव्य समापन होगा। हमारे इस समापन समारोह में आप सादर आमंत्रित हैं
“प्रमोद पटेल डिजिटल भारत संचालक”

जबलपुर से आशुतोष शुक्ला की रिपोर्ट

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लडके इन लड़कियों को जाल में फंसाते हैं

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CBI चीफ लखनऊ की एक रिपोर्ट

लड़कियां विशेष ध्यान दें। क्या आप जानते है।
बॉडी पार्ट्स आते कहाँ से है???

आपने सुना होगा कि 40 लाख देकर किडनी बदलवा लो। वो भी 16 – 25 आयु के आसपास की मजबूत किडनी..

अब सोचो आखिर ये बॉडीपार्ट्स कहाँ से आते है…?
मुर्दाघरो में पड़ी लाशो से या एक्सीडेंट में मरने वालो से…??

एक जगह और है। वो है…
भारत में मिडिल क्लास फैमिली की लड़कियां…!!!
ये लड़कियां सिगरेट, गुटखा या शराब नही यूज करती।
इनके दाँत, हड्डी, आँते, चमडा़, दिल, लीवर, किडनी, सब सही और ट्रांसप्लांट के लिए अच्छे होते है…_

इन लडकियों को प्यार में फसाकर या नौकरी का झांसा देकर कहीं भी ले जाना आसान होता है…

इसलिए सुन्दर स्मार्ट हीरोटाइप
लडके इन लड़कियों को जाल में फंसाते हैं…
ये लडके वास्तव में प्रोफेशनल क्रिमिनल होते हैं,,

ये पैसे के लिए कुछ भी कर सकते है।

हर साल फरवरी के अंत तक मिडिल क्लास फैमिली की 2 से 4 लाख लडकियां घर से गायब हो जाती हैं…

व्यौरा दिया जाता है कि…
आशिकी में घर से भाग गयी..,ना तो कोई केस बनता है, ना कोई खोजता है…
बाद में उनका कोई पता नहीं चलता ..जरा सोचिये, *ये लडकिया कहाँ पहुँच जाती है??

अब आप अच्छी तरह समझ सकते हो…,

असल में पहले तो इन बच्चियों का भरपूर शारीरिक शोषण किया जाता है। उसके बाद इनकी हत्या कर दी जाती है और शरीर के अंग बेचकर कमाई की जाती है..

अभी आप गूगल पर ‘ Black market price of human body parts सर्च करके अंगो के भाव देखिएगा.. फिर Organ Transplant Rate in India सर्च करके अंग प्रत्यारोपण का खर्च देखना…

अगर एक लडकी की बॉडी के अंगों की सही कीमत लगे, तो कम से कम 5 करोड़ आराम से मिल जाता है,,।

इसीलिए लव और मानव तस्करी पर ना तो कभी कोई कानून बनता है, और ना ही कोई बनने देता है…।

एक बात और

*ये घटनाये ज्यादातर उन्हीं लडकिया के साथ होती हैं, जिनके परिवार कमजोर होते है या जिनके कोई राजनितिक या क़ानूनी Approach/पकड़ नही होती…।

2015 में UP से 4000 लडकिया गायब हुई थी, वही 2017 से 2018 तक 7000 लड़कियां गायब हुई थी। औऱ ये घटनायें अधिकतर लखनऊ, दिल्ली, मुम्बई जैसे बड़े सहरो में अधिक पाई गई है।

माना कि हमारी लाड़ली बहिन बेटियां सब जानती हैं, लेकिन क्रिमिनल मार्केटिंग और अंग प्रत्यारोपण के लिए सही और असली अंग आते कहाँ से हैं… ये नही जानती,,,


अपनी बहिन बेटियों का ध्यान दें, क्योंकि,
जो बाहर हो रहा है, वो हमारे घर में कभी भी हो सकता है…! औऱ लोगो की सही सलाह ले। किसी के झांसे में न आये।
कृपया, पढ़कर अपने संपर्क में सभी को शेयर कीजिये जिससे किसी की बहन-बेटी इस तरह के षड़यंत्र का शिकार ना हो!

परिवार में, घर में, दोस्तों में, चर्चा करने *बहिन-बेटी की अनमोल जान बचा सकेगी
आइये हम अपना नैतिक दायित्व निभाएं,
CBI चीफ लखनऊ -क्राइम ब्रांच लखनऊ
उत्तर प्रदेश


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जाने हेल्थ इंसोरेंस से जुड़ी हर जानकारी और कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

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डिजिटल भारत कोरोना महामारी के बाद से हेल्‍थ इंश्‍योरेंस लेना महत्‍वपूर्ण हो गया है। क्‍योंकि यह आपके परिवार और आपके लिए राहत सहायता प्रदान करता है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि अब लोग अस्‍पताल में आने वाले खर्च से बचने के लिए हेल्‍थ इंश्‍योरेंस ले रहे हैं। इतना ही नहीं वह यह भी विचार कर रहे है कि कौन सा हेल्‍थ इंश्‍योरेंस उन्‍हें लेना चाहिए या नहीं?

मार्केट में कई तरह के हेल्थ इंश्योरेंस प्लान मौजूद हैं ऐसे में लोगों को कोई भी प्लान लेने में सावधानी बरतनी चाहिए और अपने लिए सही स्वास्थ्य बीमा कवर का चुनाव करना चाहिए। इससे आपके अस्‍पताल के खर्च की चिंता काफी हद तक कम हो जाती है। अगर आप हेल्‍थ इंश्‍योरेंस लेना चाहते हैं और यह जानना चाहते हैं कि यह आपके लिए क्‍यों जरुरी है तो यह खबर आपके लिए महत्‍वपूर्ण हो सकती है।

सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का चयन कैसे करें

आपके पास एक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी नहीं हो सकती है जो आपकी सभी आवश्यकताओं को पूरा करती है। कई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां उपलब्ध हैं और प्रत्येक पॉलिसी कुछ अद्वितीय कवरेज लाभ प्रदान करती है। आपको लाभों का पता लगाने और यह जानने की आवश्यकता है कि सभी को क्या कवर किया गया है और क्या बाहर रखा गया है, और फिर सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का चयन करें। आप कुछ ऑनलाइन शोध कर सकते हैं

महंगा इलाज से राहत

हेल्‍थ इंश्‍योरेंस आपके महंगे इलाज से राहत प्रदान करता है। क्‍योंकि आज के समय में डाक्‍टर की फीस, दवाओं का खर्च महंगा होता जा रहा है। ऐसे में आपको इलाज के लिए ज्‍यादा पैसा देना पड़ रहा है। जिस कारण से आपकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है। आशंका से निपटने का सबसे बेहतर तरीका स्वास्थ्य बीमा खरीदना है। महंगाई के कारण प्रति व्यक्ति चिकित्सा लागत में बढ़ोतरी हुई है।

कम उम्र हेल्थ पॉलिसी खरीदने के क्या हैं फायदे

अक्सर लोगों को लगता है कि वे बिल्कुल स्वस्थ हैं और उन्हें फिलहाल हेल्थ पॉलिसी की जरूरत नहीं है, लेकिन यह एक बड़ी गलती है. जब आपकी उम्र 20 की हो, तो आप कम कीमत पर हेल्थ पॉलिसी खरीद सकते हैं. आमतौर पर, जब आप युवा होते हैं तो आपको किसी भी गंभीर बीमारी का खतरा कम होता है. जैसे-जैसे लोग बड़े होते जाते हैं, तबीयत बिगड़ने की संभावना बढ़ती जाती है. जब आप युवा होते हैं, तो आपको खुद को स्वस्थ साबित करने के लिए किसी मेडिकल टेस्ट की जरूरत नहीं होती है. इसके उलट, अगर आप उम्र बढ़ने के बाद बीमा पॉलिसी खरीदते हैं, तो बीमा कंपनी हेल्थ पॉलिसी जारी करने से पहले आपका कई तरह का मेडिकल टेस्ट करती है.

कम उम्र में ही हेल्थ पॉलिसी खरीदने का एक फायदा यह भी है कि इस उम्र में आमतौर पर आपके पास बचत नहीं होती है. ऐसे में, यानी तबीयत बिगड़ने की स्थिति में आपको पैसों को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं होगी. इसके और भी फायदे हैं. उदाहरण के लिए, मान लें कि आपने कम उम्र में ही हेल्थ पॉलिसी खरीदी है और पॉलिसी वर्ष के दौरान कोई क्लेम नहीं किया है. इस स्थिति में, बीमा कंपनी बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के सभी क्लेम-फ्री ईयर के लिए आपके कवर का साइज बढ़ाकर आपको नो क्लेम बोनस  देती है.

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शाकाहारी है तो इस तरह रखे अपने प्रोटीन की जरूरतों का ख्याल

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डिजिटल भारत I अगर आप शाकाहारी हैं, तो चिंता न करें कुछ ऐसे फूड्स हैं जो न केवल आपकी डेली कैल्शियम की जरूरत को पूरा करेंगे बल्कि लंबे समय तक आपकी हड्डियों और दांतों को भी मजबूत रखेंगे.

शाकाहारी होने के साथ कई चुनौतियां भी आती हैं. एक तरफ वेगन डाइट वजन घटाने, बेहतर ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल, बेहतर किडनी की फंक्शन जैसे स्वास्थ्य लाभों से जुड़ी है. वहीं दूसरी ओर, शाकाहारी डाइट में डेयरी, लीन मीट और अंडे जैसे फूड्स से बचा जाता है. इस डाइट में शरीर को कैल्शियम, प्रोटीन और हेल्दी फैट से पोषण दिया जाता है. ये पोषक तत्व विशेष रूप से कैल्शियम, हड्डियों को मजबूत करते हैं, त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार करते हैं और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करते हैं और रक्त के थक्के बनने से रोकते हैं. अच्छी खबर यह है कि वेगन डाइट में कुछ ऐसे फूड्स भी शामिल होते हैं जो शरीर की कैल्शियम की जरूरतों को पूरा करते हैं.

1. ब्रोकलीः

ब्रोकली को सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. ब्रोकली प्रोटीन, आयरन और विटामिन सी से भरपूर होती है. ब्रोकली को डाइट में शामिल कर प्रोटीन की कमी को दूर कर सकते हैं.

2. पालकः

पालक एक हरी पत्तेदार सब्जी है जिसे सेहत के लिए अच्छा माना जाता है. पालक में प्रोटीन के अलावा आयरन, फाइबर और विटामिन बी पाया जाता है, जो शरीर को कई समस्याओं से बचाने में मदद कर सकती है.

3. रोस्टेड आलूः

आलू एक ऐसी सब्जी है जिसका लगभग हर घर में हर दिन इस्तेमाल किया जाता है. रोस्टेड आलू में प्रोटीन, पोटेशियम, विटामिन सी और फाइबर भरपूर मात्रा में होता है. इसको डाइट में शामिल कर प्रोटीन की कमी को दूर कर सकते हैं.

4. बादामः

बादाम खाना सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है. एक मुट्ठी बादाम खाने से ये न सिर्फ प्रोटीन की कमी को पूरा करने में मदद करता है, बल्कि शरीर को कई अन्य समस्याओं से भी बचाने में मदद कर सकता है.   

5. बीन्सः

लिमा बीन्स को सेम की फली कहा जाता है. इसमें मौजूद पोटैशियम, फाइबर और आयरन शरीर के लिए फायदेमंद होता है. प्रोटीन की कमी को दूर करने के लिए आप इसे उबाल कर सलाद में मिक्स करके खा सकते हैं.

प्रोटीन एक माइक्रोन्यूट्रिएंट है जो हमारे शरीर को सुचारू रुप से चलाने में मदद करता है. साधारण भाषा में कहें तो हमारे सभी दैनिक कामों को करने के लिए प्रोटीन की जरूरत होती है. आप अपनी डाइट से प्रोटीन की कमी को पूरा कर सकते हैं. हमारी डाइट में कुल कैलोरी का 15-35 प्रतिशत हिस्सा प्रोटीन का होना चाहिए. प्रोटीन मुख्य रुप से एमिनो एसिड से बना होता है. शरीर के लिए 9 एमिनो एसिड्स बहुत जरूरी हैं. ऐसे में प्रोटीन से शरीर को ये सभी जरूरी 9 एमिनो एसिड्स मिलते हैं. बच्चे, युवा और बुजुर्ग हर उम्र के लोगों को स्वस्थ रहने के लिए प्रोटीन की जरूरत पड़ती है. बच्चों की ग्रोथ और सही विकास के लिए भी प्रोटीन जरूरी है.

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डब्ल्यूएचओ ने फिर चेताया : संक्रमण की तेजी सभी पुराने रिकॉर्ड घ्वस्त कर रही, ओमिक्रॉन से हो रहीं मौतें

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को आगाह किया कि कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को हल्के में नहीं लेना चाहिए। संगठन के महानिदेशक टेड्रॉस अदनाम गैब्रेयसस ने कहा, इसके संक्रमितों की अस्पतालों में मौत भी हो रही है। इस हालात में ओमिक्रॉन को कम खतरनाक बताना ही सबसे बड़ा खतरा बन गया है।

गैब्रेयसस ने कहा, डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन को कम खतरनाक बताया जा रहा है, खासतौर पर टीका लगवा चुके लोगों के लिए। जबकि, इसे हल्के वैरिएंट के तौर पर वर्गीकृत नहीं किया गया है, यह वैरिएंट ऑफ कन्सर्न है, जो डेल्टा की तरह ही लोगों को बीमार कर रहा है व लोग मर रहे हैं। संक्रमण की सुनामी से पूरी दुनिया में स्वास्थ्य ढांचा चरमरा रहा है।

बीते एक सप्ताह में ही डब्ल्यूएचओ ने संक्रमण के 95 लाख नए मामले दर्ज किए हैं, यह आंकड़े सिर्फ शुरुआती हैं, क्योंकि बहुत से जगहों से जांच के नतीजे मिलने में भी देरी हो रही है। मोटे तौर पर बीते एक सप्ताह में एक करोड़ से ज्यादा लोगों के संक्रमित होने का अनुमान है।

डब्ल्यूएचओ चाहता था, दिसंबर 2021 तक सभी देश अपनी आबादी के 40 फीसदी लोगों का पूर्ण टीकाकरण कर लें, लेकिन डब्ल्यूएचओ के 194 सदस्य देशों में से 92 इस लक्ष्य को हासिल नहीं कर सके। इनमें से 36 तो 10 फीसदी भी टीकाकरण नहीं कर सके।

अब डब्ल्यूएचओ ने 2022 के मध्य तक सभी देशों को अपनी आबादी के 70 फीसदी लोगों का टीकाकरण करने का लक्ष्य दिया है। इस असमानता पर टेड्रॉस ने कहा, वैक्सीन असमानता लोगों और रोजगार की हत्या है, जिससे वैश्विक आर्थिक सुधार के प्रयास कमजोर हो रहे हैं। अमीर देशों में बूस्टर डोज से महामारी खत्म नहीं होगी, इससे पूरी दुनिया असुरक्षित बनी रहेगी।

ओमिक्रॉन से ज्यादा संक्रामक स्वरूप

डब्ल्यूएचओ की कोविड-19 तकनीकी प्रमुख मारिया वान केरखोव का कहना है कि ओमिक्रॉन आखिरी चिंताजनक वैरिएंट नहीं है। आने वाले दिनों में इससे भी अधिक संक्रामक वैरिएंट सामने आ सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के कोविड टूल फ्रंटमैन ब्रूस आयलवर्ड कहते हैं कि 2022 की समाप्ति महामारी में ही हो, यह जरूरी नहीं है। डब्ल्यूएचओ के आपात निदेशक माइकल रयान कहते हैं कि समान टीकाकरण के बिना 2022 के अंत तक दुनिया बड़ी त्रासदी की ओर बढ़ जाएगी।

ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने बताया ब्रिटेन में सेना की मदद

ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि देश में कोविड संक्रमण के रिकॉर्ड मामलों के कारण अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी हो गई है। दबाव का सामना करने वाले अस्पतालों की मदद के लिए सेना की तैनाती शुरू कर दी गई है। सरकार ने बताया कि तीन सप्ताह के लिए लंदन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा की सहायता के लिए सशस्त्र बल के 200 कर्मियों को तैनात किया है। ब्रिटेन में पिछले सप्ताह में हर दिन 150, 000 से अधिक नए मामले सामने आए हैं। टीकाकरण व ओमिक्रॉन के कम गंभीर होने के कारण इंग्लैंड नए प्रतिबंधों के बिना महामारी का सामना कर सकता है। हालांकि, स्टाफ की कमी से कुछ हफ्तों को चुनौतीपूर्ण बताया।

कैलिफोर्निया में अगले माह तक राहत संभव

कैलिफोर्निया में संक्रमण की वृद्धि को देखते हुए स्कूलों को बंद कर दिया है। हजारों पुलिसकर्मी, दमकलकर्मी, शिक्षक और स्वास्थ्यकर्मी संक्रमण की चपेट में हैं। हालांकि, लॉस एंजल्स काउंटी की सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक बारबरा फेरर कहती हैं कि फरवरी के अंत तक हालात सामान्य हो जाएंगे। कैलिफोर्निया में दो सप्ताह में संक्रमण पांच गुना बढ़ गया है। एक करोड़ की आबादी वाले राज्य के सबसे बड़े शहर लॉस एंजल्स में गुरुवार को अधिक नए मामले दर्ज किए गए।

चीन : संक्रमण मामलों को देख अस्पतालों को चेतावनी

चीन में शुक्रवार को संक्रमण के नए मामलों में कमी देखने को मिली, जो गुरुवार के 132 की तुलना में 116 ही रहे। वहीं, प्रशासन ने अस्पतालों को चेतावनी दी है कि किसी भी मरीज के इलाज से इनकार नहीं किया जाए। 13 लाख की आबादी वाले शहर जियान 16 दिन से लॉकडाउन लगा है। दरअसल, एक गर्भवती महिला दो घंटे तक अस्पताल के बाहर इलाज का इंतजार करती रही, इस दौरान बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई। इस घटना की चीन के सोशल मीडिया आलोचना हुई। लोगों का  गुस्सा भड़कता देख शहर के अधिकारियों को दंडित किया गया।

फ्रांस में लहर इसके बाद ही मिल सकेगी राहत फ्रांस में कोविड टीकाकरण के शीर्ष रणनीतिकार प्रोफेसर एलेन फिशर का दावा है कि मौजूदा दर से कोविड लहर फ्रांस में 10 दिनों शीर्ष पर पहुंच जाएगी। फिशर ने बताया कि जनवरी के दूसरे पखवाड़े की शुरुआत में फ्रांस में कोविड संक्रमण शीर्ष पर होगा, इसके बाद यह कम होने लगेगा।

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एक्स्पर्ट्स की चेतावनी ये लक्षण दिखें तो फौरन डॉक्टोर से मिलें, ओमीक्रोन को आम सर्दी-जुकाम न समझें

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ओमीक्रोन को आम सर्दी-जुकाम समझना भूल होगी, एक्सकपर्ट्स ने चेताया

सांस लेने में तकलीफ, O2 में गिरावट दिखे तो फौरन अपने डॉक्टवर से मिलें

WHO एक्संपर्ट्स भी कह रहे, ओमीक्रोन उतना माइल्ड् नहीं जितना बता रहे

कोविड से जुड़ी सावधानियों के पालन में लापरवाही बरतना पड़ सकता है भारी

ओमीक्रोन के लक्षण क्याफ हैं?

•             खांसी (आम)

•             गले में खराश (आम)

•             बुखार (आम)

•             थकान (आम)

•             सिरदर्द (आम)

•             बदन दर्द (आम)

•             छींक आना (नहीं)

•             डायरिया (दुर्लभ)

•             नाक बहना (दुर्लभ)

•             सांस लेने में तकलीफ

•             ऑक्सिजन सैचुरेशन में गिरावट (कमरे की हवा में SpO2 94% से ज्याहदा होना चाहिए)

•             सीने में लगातार दर्द/दबाव महसूस हो

•             मेंटल कन्फ्यू जन या या प्रतिक्रिया न दे पाएं

•             अगर लक्षण 3-4 दिन से ज्याददा रहें या बिगड़ते जाएं

  कोरोना वायरस का अपडेटेड वर्जन यानी ओमिक्रॉन वैरिएंट संपूर्ण विश्व में लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है. ताजे वेरिएंट ने न केवल आम जनजीवन को प्रभावित किया है बल्कि एक बड़ा सवाल भी हमारे सामने मुंह बाये खड़ा है कि क्यावैक्सिनेशन के बावजूद निकट भविष्य में हमें कोरोना वायरस से मुक्ति नहीं मिल पाएगी? इस प्रश्न के यूं तो कई नकारात्मक जवाब मिल सकते हैं लेकिन एक बड़ी सच्चाई यही है कि यदि समय रहते सावधानी बरत ली जाए तो नए ओमिक्रॉन वैरिएंट को बड़ी ही आसानी के साथ इसे शिकस्त दी जा सकती है. क्योंकि भारत के कर्नाटक में ओमिक्रॉन वैरिएंट के दो मामले आ चुके हैं तो कहीं न कहीं हमारे लिए भी जरूरी हो जाता है कि हम इस वेरिएंट को पहचानें और उसी पहचान को आधार बनाकर इससे लड़ने के नए तरीके खोजें.

तो कुछ और बात करने से पहले हमारे लिए ओमिक्रॉन वैरिएंट के लक्षण को जान लेना बहुत जरूरी है. ओमिक्रॉन को समझ लेना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि इसे समझने के बाद ही इससे बचने के तरीके खोजना संभव है. तो आइए जानें कि क्या हैं ओमिक्रॉन वैरिएंट के लक्षण और किस तरह इसकी पहचान कर इससे बचा जा सकता है.

  जैसा कि हम बता चुके हैं ओमिक्रॉन वैरिएंट के दो मामले कर्नाटक में देखे गए हैं तो इसके लक्षण समझने के लिए हमें 46 साल के उस डॉक्टर का रुख करना पड़ेगा जो इस बीमारी की चपेट में आया है. डॉक्टर के विषय में दिलचस्प ये है कि वे एक सरकारी अस्पताल में कार्यरत हैं और इसमें भी हैरत में डालने वाली बात ये है कि उनकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है.

46 साल के डॉक्टर के अनुसार अभी बीते दिनों उन्हें बहुत अधिक थकान, कमजोरी और बुखार जैसे लक्षण दिखे जिसे उन्होंने गंभीरता से लिया और अपना टेस्ट कराया जोकि पॉजिटिव आया. रिपोर्ट्स पर यक़ीन करें तो उनकी साइकिल थ्रेशहोल्ड वैल्यू (CT value) कम थी जिसके बाद उनका सैंपल लैब भेजा गया. इनके संपर्क में आए 5 लोगों का भी टेस्ट पॉजिटिव आया है.

गौरतकब है कि भले ही WHO ने भी ओमिक्रॉन वेरिएंट को गंभीर मानते हुए इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न की संज्ञा दे दी हो लेकिन क्यों कि अभी ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर ठीक ठाक जानकारी हमारे पास नहीं है इसलिए कयासों पर भरोसा करना मजबूरी कम ज़रूरत ज्यादा है. आज भले ही लोग इस नए ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर डरे हों लेकिन कहा यही जा सकता है कि इससे बचाव संभव है.

बचाव कुछ वैसा ही है जैसा हमने कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान देखा. जिस तरह उसे हम वास्तविकता में लेकर आए. अंत में हम बस ये कहकर अपने द्वारा कही तमाम बातों को विराम देंगे कि जानकारी और जागरूकता के जरिये ही कोविड और उसके भाई बंधुओं को परास्त किया जा सकता है. वक़्त आ गया है कि लोगों को सरकार के नहीं बल्कि अपने भरोसे होना होगा और अपनी और अपने परिवार की हिफाजत करनी होगी.

अस्पेतालों में मरीज बढ़ा रहा ओमीक्रोन

अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंरट पल्मोरनोलॉजिस्टत, डॉ राजेश चावला ने कहा कि ओमीक्रोन से मृत्युय दर भले ही डेल्टाज से कम हो, फिर भी यह लोगों को अस्पकताल पहुंचा रहा है। उन्होंीने चेताते हुए कहा, ‘मेरे यहां तीन मरीज ऐसे हैं जिन्हेंे ऑक्सिजन सपोर्ट की जरूरत है। वे सभी फुली-वैक्सीलनेटेड हैं। ओमीक्रोन वेरिएंट अधिकतर अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट  में इन्फेरक्शंन करता है लेकिन डॉक्टरर्स का कहना है कि फेफड़ों में डैमेज के भी मामले सामने आए हैं, खास तौर से बुजुर्गों और डायबिटीज, हाइपरटेंशन जैसी को-मॉर्बिडिटीज वालों में।

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लाइफ रिस्क में डालकर तुम्हारी फिल्में देखें? करण जौहर की अपील पर बरसे

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देश में कोरोना वायरस ने नये वैरिएंट ओमिक्रॉन के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं. राजधानी दिल्ली ‘येलो’ अलर्ट पर है. इस वजह से दिल्ली सरकार ने स्कूल, कॉलेज, जिम और सिनेमा हॉल बंद करने का फैसला लिया है. दिल्ली में थिएटर्स बंद होने के बाद फिल्म इंडस्ट्री टेंशन में आ चुकी है. हर किसी को दोबारा लॉकडाउन लगने का डर सता रहा है. वहीं करण जौहर ने भी दिल्ली सरकार से थिएटर्स खोलने की अपील की है.

करण जौहर ने की थिएटर्स खोलने की अपील

करण जौहर ने अपने ट्वीटर से ट्वीट के माध्यम से ट्वीट करते हुए दिल्ली सरकार से अपील की है कि वो सिनेमाघरों को खोल दें. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि हम दिल्ली सरकार से सिनेमाघरों संचालित करने की अनुमति देने की अपील करते हैं. सिनेमाघर के3 बाहर अन्य सेटिंग्स की तुलना में वातावरण को स्वच्छ बनाने और कोरोना के सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों को बनाये रखने की बेहतर व्यवस्था है. उन्होंने इस ट्वीट में दिल्ली सरकार और दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को टैग किया है.

फिल्म निर्माता करण जौहर (Karan Johar) ने दिल्ली की सरकार से सोशल मीडिया पर अपील की है कि वो फिल्म थिएटर्स को खोल दें. वहां कोरोना की गाइडलाइंस बेहतर तरीके से फॉलो हो सकती है.

शाहिद कपूर की जर्सी की रिलीज डेट टल गई

कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए जहां कई राज्यों को सरकारों नाईट कर्फ्यू लगा कर सिनेमाघरों में 50% दर्शक क्षमता का नियम लागू किया है. वहीं दिल्ली सरकार ने पूरी तरह से सिनेमाघरों को बंद करने का ऐलान कर दिया है.जिसकी वजह से फिल्म जगत में हलचल मंच गई है. इसी हफ्ते रिलीज होने वाली फिल्म जर्सी के रिलीज डेट को टाल दिया गया है क्योंकि दिल्ली ऐसी जगह है जहां से बॉलीवुड फिल्मों की एक मोटी कमाई होती है. फिल्म रिलीज के बाद मेकर्स भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

वरुण और कृति- थिएटर एसोसिएशन के समर्थन

आपको बता दें, दिल्ली सरकार के इस फैसले के बाद थिएटर एसोसिएशन के लोग मनीष सिसोदिया से मिलजुल रहे हैं. वहीं बॉलीवुड नके कई कलाकार इस पर अपनी राय रख रहे हैं. एक दिन पहले ही वरुण धवन और कृति सैनन ने मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की दिल्ली सरकार से इस नए नियम पर पुनर्विचार करने और कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अनुमति देने की अपील का समर्थन किया था. अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में कैसे संतुलन बनाती है.

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जश्न पर पाबंदी, कहीं सच न हो जाए जानकारों का अनुमान

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डिजिटल भारत I कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार फिर से सतर्क हो गई है. यही वजह है कि सरकार ने राज्य में फिर से रात्रिकालीन कर्फ्यू लागू करने का फैसला किया है. साथ ही स्कूल भी 50 फीसदी क्षमता के साथ खुलेंगे. नाइट कर्फ्यू रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक प्रभावी रहेगा. आदेश के मुताबिक नाइट कर्फ्यू आज रात से ही लागू होगा. इससे पहले कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने समीक्षा बैठक की.

इसी बीच, आईआईटी कानपुर की स्टडी में ओमिक्रोन को लेकर बड़ा दावा किया गया है। आईआईटी कानपुर की स्टडी के मुताबिक, भारत में कोरोना की तीसरी लहर फरवरी में अपने पीक पर होगी। शोधकर्ताओं के मुताबिक, देश में अगले साल 3 फरवरी को तीसरी लहर पीक पर होगी।

बैठक के दौरान चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि प्रदेश में अभी ओमिक्रोन का कोई मरीज नहीं मिला है लेकिन प्रदेश से सटे अन्य राज्यों में तेजी से मामले बढ़ रहे हैं. इस बैठक के दौरान सीएम ने निर्देश दिए कि कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने वाले ही न्यू ईयर सेलिब्रेशन कर सकेंगे. इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज के सभी छात्रों को दोनों डोज लगवाना जरूरी है.

आईआईटी कानपुर की स्टडी में बड़ा दावा

इसी बीच, आईआईटी कानपुर की स्टडी में ओमिक्रोन को लेकर बड़ा दावा किया गया है। आईआईटी कानपुर की स्टडी के मुताबिक, भारत में कोरोना की तीसरी लहर फरवरी में अपने पीक पर होगी। शोधकर्ताओं के मुताबिक, देश में अगले साल 3 फरवरी को तीसरी लहर पीक पर होगी।

तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामले

मध्य प्रदेश में ओमिक्रोन संक्रमित मरीज भले ही कोई नहीं मिला लेकिन राज्य में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. प्रदेश में अब हर दिन दहाई में कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं. बीते एक माह में कोरोना के 500 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं. दूसरी लहर के दौरान भी इसी तरह से कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ी थी. यही वजह है कि सरकार अभी से ही सतर्कता बरत रही है और यदि हालात नियंत्रण में नहीं आते हैं तो सरकार आने वाले दिनों में सख्त पाबंदियां लागू कर सकती है.

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