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एक भारत उत्कृष्ट भारत

पूरी तरहर पेपर लेस होने बाली दुनिया की पहली सरकर बानी दुबई बचा सकेंगे कड़ोरो रूपये

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डिजिटल भारत I शेख ने एक बयान जारी कर बताया कि उनके देश की सरकार की अब सभी आंतरिक और बाहरी लेन-देन व सभी प्रक्रियाएं अब 100 प्रतिशत डिजिटल हो गई हैं और वे व्यापक डिजिटल सरकारी सेवा प्लेटफार्म द्वारा की जा सकती है। यह कदम दुबई को डिजिटलाइज़ेशन के और समीप लेकर जाता है।

इस यात्रा की जड़ें नवाचार, सृजनात्मकता और भविष्य पर फोकस में निहित हैं। दुबई की पेपरलेस रणनीति को पांच लगातार चरणों में क्रियान्वित किया गया और हर चरण में दुबई सरकार के विभिन्न समूह शामिल थे। पांचवे चरण के अंत में रणनीति को अमीरात में सभी 45 सरकारी विभागों में लागू कर दिया गया। ये विभाग 1,800 डिजिटल सेवाएं प्रदान करते हैं और 10,500 से ज्यादा प्रमुख लेन-देन करते हैं।

एक बयान में कहा गया है कि भाग लेने वाली संस्थाओं के बीच सहयोग और एकीकरण ने ग्राहकों को प्रदान की जाने वाली प्रक्रियाओं और सेवाओं के स्वचालन को सक्षम किया, जिससे कागज की खपत में 336 मिलियन से अधिक की कटौती हुई। इस रणनीति ने दुबई सरकार में 35 करोड़ अमेरिकी डालर और 1.4 करोड़ से अधिक श्रम-घंटों को बचाने में भी मदद की।

डिजिटलाइजेशन दुबईनाउ एप्लिकेशन के माध्यम से निवासियों के लिए असाधारण अनुभव प्रदान करने में भी मदद करेगा, जो 12 प्रमुख श्रेणियों में 130 से अधिक स्मार्ट सिटी सेवाओं तक पहुंच की अनुमति देता है।

दुबई सरकार पूरे विश्व की पहली सरकार होगी जो कागज़ रहित यानी पेपरलेस बन गई है। अमीरात के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मुहम्मद बिन राशिद अल मकतौम ने इसकी घोषणा करी और बताया कि इस कदम से 35 करोड़ अमेरिकी डालर और 1.4 करोड़ श्रम-घंटों की बचत होने की सम्बावना है।

क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मुहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने कहा, इससे यूएस 35, 35 करोड़ और 14 करोड़ घंटे की बचत होगी। पेपरलेस योजना दुबई में लगातार पांच चरणों में लागू की गई थी। प्रत्येक चरण में सरकार के विभिन्न समूह शामिल थे। अंतिम और पांचवें चरण में, योजना को संयुक्त अरब अमीरात के सभी 45 सरकारी विभागों में लागू किया गया था। विभाग 1,800 डिजिटल सेवाओं और 10,500 से अधिक लेनदेन को संभालता है।

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जबलपुर में द रियल हीरो अवार्ड से नवाजे गए रियल नायक

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कोरोना संक्रमण काल मे कुछ ऐसे परिवार भी संक्रमित हुए जिनकी देखभाल के लिए भी कोई नहीं था,,, कुछ लोगों के पास भोजन, दवाएं और पैसा भी नही था. तब शहर के सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक, नर्सेस, पैरामेडिकल स्टाफ और स्वंय सेवी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं ने कोरोना संक्रमित मरीजों को उपचार उपलब्ध किया, उनकी सेवा की और न जाने कितने मरीजों की जान बचाई. ऐसे मानवीय कार्य करने वालों की ज्यादा चर्चा नही हो पाई.. डिजिटल भारत ने ऐसे मददगारों को खोजने का संकल्प किया और लगभग तीन माह की मेहनत के बाद न केवल इन्हे खोजा बल्कि सार्वजनिक मंच पर लाकर उनका सम्मान भी किया और उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की. अपनी जान जोखिम में डाल कर दूसरों की जान बचाने वाले देवदूतों का सम्मान करते हुए डिजिटल भारत ने अब सम्मान करने की इस श्रृंखला को जारी रखने का निर्णय लिया है. भविष्य में भी डिजिटल भारत ऐसे लोगों का सम्मान करता रहेगा जो कि गुमनाम रह कर समाज की सेवा करते हैं.
प्रमोद पटेल
संचालक
डिजिटल भारत

जबलपुर कोविड-19 संक्रमण काल के दौरान डॉक्टर के साथ समाज के हर वर्ग में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया है। इस दौरान लोगों को इलाज के लिए मदद पहुंचाने और सर्वहारा वर्ग को भोजन व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए सभी ने एकजुट होकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया था। इन सभी लोगों को सम्मान और आदर देने के लिए डिजिटल भारत न्यूज़ , फ्लाई अबे फाउंडेशन एनजीओ के द्वारा से रियल हीरो अवार्ड फंक्शन का आयोजन किया गया था। 20 नवंबर को शहनाई गार्डन शताब्दी पुरम कॉलोनी उखरी में आयोजित किया गया। इस आयोजन में शिक्षा समाज सेवा एवं चिकित्सा तथा प्रशासनिक सेवा क्षेत्र से जुड़े उन समस्त लोगों को सम्मानित किया जाएगा जिन्होंने कोविड-19 संक्रमण काल में पीड़ित मानवता की सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है ।और भूमिका का निर्माण किया है। डिजिटल भारत परिवार शानदार इवेंट आयोजनों के लिए पहचाना जाता है। उसी श्रंखला को आगे बढ़ाते हुए रियल हीरो अवॉर्ड फंक्शन का शानदार आयोजन संपन्न हुआ मध्य क्षेत्र विधायक विनय सक्सेना की उपस्थिति में कार्यक्रम का आगाज हुआ। कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर दीप प्रज्वलन हुआ और इसके साथ ही शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए


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Dr. Neha Gupta
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11 Panah Foundation
12 Hum Hai Na Foundation
13 Mahi Shukla
14 Dimple Khatri
15 Ajax
16 Mr.Prashant Agrawal
17 kamlesh Agrawal


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चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से टकराने वाला अमेरिकन स्पेसक्राफ्ट ISRO के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 का ऑर्बिट बदलकर हादसा रोका

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ISRO ने पिछले महीने एक बड़ी घटना होने से रोक दिया. असल में हुआ यूं कि चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहे अमेरिका के लूनर रीकॉनसेंस ऑर्बिटर ( NASA- LRO) और चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के बीच टक्कर होने वाली थी. दोनों अलग-अलग कक्षाओं में घूम रहे थे, लेकिन एक जगह ऐसी आ रही थी, जहां पर LRO और चंद्रयान-2 की टक्कर हो सकती थी. इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 का ऑर्बिट बदलकर हादसा रोका

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पिछले महीने एक बड़ी घटना होने से रोक दिया. असल में हुआ यूं कि चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहे अमेरिका के लूनर रीकॉनसेंस ऑर्बिटर ( NASA- LRO) और चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के बीच टक्कर होने वाली थी. दोनों अलग-अलग कक्षाओं में चक्कर लगा रहे थे, लेकिन एक जगह ऐसी आ रही थी, जहां पर LRO और चंद्रयान-2 की टक्कर हो जाती. ऐसी गंभीर स्थिति में इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के इंजनों को ऑन करके दूसरी कक्षा में भेजा. आपसी समझौते के तहत इसरो और नासा ने 18 अक्टूबर को अपने-अपने स्पेसक्राफ्ट की कक्षा को धीरे-धीरे बढ़ाना और घटाना शुरु किया. इसरो ने जब कक्षा बदल ली तो उसके बाद मिले डेटा के अनुसार अब नासा के LRO और चंद्रयान-2 (CH2O) में निकट भविष्य में किसी तरह के टक्कर की आशंका नहीं है. भविष्य में अगर ऐसी कोई आशंका बनती दिखी तो फिर से कक्षाओं में परिवर्तन किया जाएगा.

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के बाद एक बंद गुफा में मिला एक आदमी का शव मिलते है लोगो में हड़कंप मच गयी

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दुनिया में कुछ लोग अजीबोगरीब चीजों की तलाश में लगे रहते हैं। कई बार लोगों को ऐसी चीजें हाथ लग जाती हैं जिनकी उम्मीद भी उन्हें नहीं होती। हाल ही में इटली के एक गुफा में बेशकीमती चीज की खोज की उम्मीद में गए लोगों के हाथ एक खौफनाक चीज लगी।अंदर बीते 50 साल से एक लाश बंद थी। जिस गुफा में ये लाश मिली, वो चर्चा में आ गयी है। लाश को गुफा में देख लोगों की चीख निकल गई। ये लाश एक शख्स की है जो सूट-बूट और टाई पहनकर गुफा में बीते 50 साल से बैठा था। लोगों ने इस शख्स को  ‘एलीफैंट मैन’ नाम दे दिया है।

लाश के विषय मे क्या कहते हैं एक्सपर्ट

एक्सपर्ट्स का कहना है कि हो सकता है कि ये शख्स खुद इस गुफा के अंदर जाकर बैठ गया होगा। इसे सुसाइड का मामला बताया जा रहा है। हो सकता है कि किसी रिचुअल के तहत शख्स अच्छे से तैयार होकर इस गुफा के अंदर अपनी कुर्बानी देने गया होगा। शख्स के पैरों में जूता भी मिला। आपको बता दें शख्स ने हाथ मे  घड़ी भी पहन रखी है। द सन की खबर के मुताबिक़, ये बॉडी तब मिली जब पुलिस और कुछ लोग किसी गुमशुदा की तलाश में पहाड़ी की तलाशी कर रहे थे। पुलिस ने भी कंफर्म किया कि बॉडी के ऊपर चोट के कोई निशान नहीं थे।सिर्फ चेहरे के ऊपर चोट लगा मिला

ज्वालामुखी विस्फोट से बनी है गुफा

जिस गुफा में लाश मिली, वो असल में ज्वालामुखी विस्फोट से बना है। बीते 50 साल से गुफा बंद थी. अब जाकर इसे खोला गया था। गुफा के अंदर मौजूद लाश सूख गई थी। इसे जांच के लिए ले जाया गया। जांच में पाया गया कि बॉडी में कोई चोट नहीं है ।सिर्फ उसके चेहरे और नाक पर बेहद गहरे जख्म पाए गए है। सबसे अजीब बात ये रही कि शख्स अच्छी तरह से कपड़े पहने था। उसकी उम्र करीब 50 साल के लगभग थी।

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जाग रहा है सूरज

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 सूरज में लगातार स्पॉट बन रहे हैं और इनमें होने वाले विस्फोट से निकलती किरणें लगातार धरती की तरफ आ रही हैं. 3 और 4 नवंबर को सूरज से तेज सौर किरणें निकलीं जिसकी वजह से अमेरिका समेत धरती के उत्तरी गोलार्द्ध में नॉदर्न लाइट्स देखने को मिलीं. 1 और 2 नवंबर को भी वैज्ञानिकों ने धरती की तरफ तेज सौर किरणों के आने की संभावना जताई थी. वैज्ञानिकों ने बताया है कि सूरज से अचानक निकलने वाली सौर किरणों की वजह क्या है

सूरज के सक्रिय होने की एक साइकिल होती है. इसे सोलर साइकिल कहते हैं. सोलर साइकिल 11 साल की होती है. सूरज 11 साल तक शांत रहता है और इसके बाद इसमें विस्फोट होने लगते हैं. इसे कोरोनल मास इजेक्शन कहते हैं. इसमें सन स्पॉट बनने लगते हैं और जब ये स्पॉट फटते हैं, तब इससे निकलने वाली किरणें धरती की तरफ आती हैं. नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन में स्पेस वेद प्रेडिक्शन सेंटर के प्रोग्राम कॉर्डिनेटर Bill Murtagh के मुताबिक, पिछले कुछ सालों से सूरज में कोई गतिविधि नहीं हो रही थी. वो शांत था, लेकिन अब ऐसा नहीं है.

सौर तूफानों का असर क्या होगा?

वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगले कुछ सालों तक हमें ऐसे सौर तूफानों और सौर गतिविधियों के लिए तैयार रहना होगा. इसकी वजह से सैटेलाइट्स और ग्रिड्स को नुकसान हो सकता है. पिछले हफ्ते सूरज से कई सौर तूफान धरती की तरफ आए. यानी इस  दौरान कई कोरोनल मास इजेक्शन हुए. सूरज से आग के बुलबुले निकल रहे हैं और ये एक बार में अरबों टन प्लाज्मा गैस और चुंबकीय फील्ड पैदा कर रहा है. ये तेजी से सौर मंडल में फैलने लगता है जिससे गर्म लहरें तेजी से धरती की तरफ आने लगती हैं. 

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नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफ़ज़ई ने शादी कर ली है

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नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफ़ज़ई ने ब्रिटेन के बर्मिंघम शहर में शादी कर ली है. 24 वर्षीय मलाला ने असर मलिक के साथ निकाह किया और अपनी शादी को ‘अपने जीवन का एक मूल्यवान दिन बताया’

.पाकिस्तान की जानी-मानी महिला अधिकार कार्यकर्ता को तालिबान चरमपंथियों ने 2012 में सिर में गोली मार दी थी जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए बर्मिंघम लाया गया और तब से वो वहीं रह रही हैं

.यूसुफजई का जन्म पाकिस्तान में हुआ. पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा की हिमायत करने वाली मलाला यूसुफजई पर तालिबान आतंकियों ने 2012 में हमला किया. उस वक्त उनकी उम्र 11 साल थी. लड़कियों की शिक्षा और अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली मलाला पाकिस्तान में आतंकियों के निशाने पर रहीं. 

स्कूल से घर लौट रही मलाला पर हुआ यह हमला घातक था, लेकिन मलाला का हौंसला भी कम न था. ब्रिटेन में लंबे इलाज के बाद वह ठीक हुईं और एक बार फिर अपने अभियान में जुट गईं.

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ब्राजील में एक बच्चा पूंछ के साथ पैदा हुआ है जिसे देखकर डॉक्टर्स भी चौंक गये

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मेडिकल साइंस की दुनिया इतनी हैरान करने वाली है कि ऐसे मामले सामने आते रहते हैं जिसे देखकर कई बार बड़े-बड़े डॉक्टर्स भी चौंक जाते हैं। इसी कड़ी में ब्राजील से एक ऐसा मामला सामने आया है जहां एक बच्चा पूंछ के साथ पैदा हुआ है। इतना ही नहीं पूंछ का अंतिम हिस्सा गोल था। इस केस में डॉक्टरों ने बड़ी ही बहादुरी से सर्जरी की है।

दरअसल, यह मामला ब्राजील के अल्बर्ट अस्पताल से सामने आया है। ‘मिरर यूके’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां एक बच्चे का जन्म हुआ यह भी बताया गया कि इस पूंछ का आखिरी सिरा गेंद जैसा गोल था, हालांकि पूंछ में कॉर्टिलेज और हड्डी का कोई हिस्सा नहीं पाया गया। अल्ट्रासाउंड स्कैन के बाद डॉक्टरों ने बताया कि पूंछ उसके तंत्रिका तंत्र से जुड़ी नहीं थी।

डॉक्टरों की एक टीम ने बच्चे के परिजनों को बताया कि इसे ऑपरेशन द्वारा हटाया जा सकता है।तो उसे देखकर डॉक्टर हैरान रह गए, उस बच्चे की पूंछ निकली हुई थी। बच्चे के माता-पिता भी काफी परेशान दिख रहे थे किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। डॉक्टरों ने पाया कि बच्चे की पूंछ की लंबाई करीब चार इंच की है।

इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि इस पूंछ को सर्जरी के जरिए हटाया जाएगा। डॉक्टरों की एक टीम ने ऑपरेशन कर उस पूंछ को सफलतापूर्वक निकाल दिया। इतना ही नहीं जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक सर्जरी केस रिपोर्ट्स में बच्चे के जन्म और पूंछ को हटाने की सर्जरी के बारे में बड़े ही विस्तृत तरीके से बताया गया है। 

रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि यह बच्चा समय से पहले ही करीब 35 हफ्ते के गर्भ के बाद पैदा हुआ था। डॉक्टरों ने बताया कि गर्भ में बच्चे के भ्रूण में एक पूंछ विकसित होती है, लेकिन बाद में वह सामान्य रूप से शरीर में समा जाती है। हालांकि,दुर्लभ मामलों में ऐसा नहीं होता है और पूंछ बढ़ती रहती है।

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COP26: जलवायु परिवर्तन का मानव जीवन पर प्रभाव

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जलवायु में हो रहे बदलाव को लेकर हो रहे सीओपी26 शिखर सम्मेलन के दौरान इसराइल की मंत्री काराइन एलहरर सुर्ख़ियों में आ गईं. ऐसा इसलिए क्योंकि व्हीलचेयर के लिए बेहतर इंतज़ाम न होने के चलते वो इस सम्मेलन में शामिल नहीं हो सकीं. काराइन विकलांग होने के कारण व्हीलचेयर से ही चलती हैं.

दूसरे विकलांग लोगों के लिए उनका इस सम्मेलन में शरीक न हो पाने की घटना, वैसा ही अनुभव है जैसा वो खुद अनुभव करते हैं. कई विकलांगों को अक्सर ये महसूस होता है कि उनकी शारीरिक चुनौतियों के कारण उन्हें जलवायु में हो रहे बदलाव जैसे मसलों पर होने वाली बातचीत से दूर कर दिया जाता है या फिर वो ऐसी चर्चा में पीछे छूट जाते हैं.

जुलाई 2018 में कनाडा का मॉन्ट्रियल लू की तगड़ी चपेट में आ गया. कई दिनों तक वहां का तापमान 35.5 सेल्सियस (95.9 फारेनहाइट) तक बढ़ा रहा. अस्पताल हीटस्ट्रोक के मरीज़ों से पट गए और 61 लोग इससे मारे गए. इनमें से एक चौथाई को स्कित्ज़ोफ्रेनिया की बीमारी थी.

बाढ़ में विकलांगों को होने वाली समस्याएं

इस गर्मी में, जर्मनी के सिंजिग शहर में विकलांगों की देखरेख करने वाले एक घर में रह रहे 12 विकलांगों की बाढ़ की चपेट में आकर मौत हो गई. अचानक पानी बढ़ जाने पर ये लोग उस घर से निकल पाने में नाकाम रहे. वैज्ञानिकों और नेताओं ने इस बाढ़ का कारण जलवायु परिवर्तन को बताया है.

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तालिबानी हुकूमत आने के बाद से अफगानिस्तान से लगातार दर्दनाक खबरें सामने आ रही

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परिवार का पेट भरने के लिए पिता ने इससे पहले अपनी 12 साल की बेटी को भी बेच दिया था. खाने के लाले पड़ने के बाद अब उसे दूसरी बच्ची का भी सौदा करना पड़ा. 
हैंइस बीच एक अफ़गान पिता को अपने परिवार का पेट भरने और उन्हें जिंदा रखने के लिए अपनी 9 साल की बेटी को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा. बच्ची को 55 साल के एक शख्स के हाथों बेचा गया.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब्दुल मलिक ने पिछले महीने अपनी 9 साल की बेटी परवाना मलिक  को 55 साल के शख्स के हाथों बेच अब्दुल के पास अपने परिवार को पालने के लिए पैसे नहीं बचे थे, जिसके चलते उसने अपनी बच्ची का सौदा किया. अब्दुल मलिक के परिवार में आठ लोग हैं और सभी राहत शिविर

रिपोर्ट के अनुसार, इस अफगान पिता को 55 वर्षीय शख्स को बाल वधू के रूप में बेचने के लिए मजबूर किया गया, ताकि वह अपने परिवार के लिए खाना खरीद सके. अब्दुल मलिक ने फूट-फूट कर रोते हुए कहा- ‘ये अब तुम्हारी (कोरबान) दुल्हन है, कृपया इसकी देखभाल करना, अब यह तुम्हारे जिम्मे है, इसे मत मारना

परवाना ने CNN को बताया, ‘मेरे पिता ने मुझे बेच दिया है क्योंकि हमारे पास रोटी, चावल या आटा नहीं है.  उन्होंने मुझे एक बूढ़े आदमी को बेच दिया है.’ वहीं उसके पिता अब्दुल ने कहा- ‘वह अपनी बेटी को बेचने के अपराधबोध से ‘टूट गया’ है और रात को सो नहीं पा रहा है

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किसी दूसरे व्यक्ति के साथ खींच कर अपलोड की गई आपकी फोटो को अब फेसबुक Auto Tag नहीं करेगा

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फेसबुक ने बंद किया फेस रिकग्निशन सिस्टम, एक अरब लोगों के चेहरे की पहचान के टेम्प्लेट हटाएगी

हाल में खुद का नाम बदलने वाली फेसबुक ने एक और बड़ा फैसला लिया है। कंपनी ने मंगलवार को फेस रिकग्निशन सिस्टम को बंद कर दिया। यह सिस्टम चेहरे से किसी शख्स की पहचान कर लेता है। इस टेक्नोलॉजी के जरिए फेसबुक अकाउंट को वेरिफाई कर पता करता था कि उसे इस्तेमाल कर रहा यूजर असली है या नकली।

यह सिस्टम अपने प्लेटफार्म से फेक प्रोफाइल हटाने के लिए लाया गया था। अब फेसबुक का कहना है कि कंपनी के रिब्रांड मेटा की ओर से जारी बयान में कंपनी ने कहा है कि हम फेसबुक पर फेस रिकग्निशन सिस्टम को बंद कर रहे हैं। जिन लोगों ने इसे अपनाया है, वे अब फोटो और वीडियो में ऑटोमैटिकली पहचाने नहीं जाएंगे। हम एक अरब से ज्यादा लोगों के चेहरे की पहचान के टेम्प्लेट हटा देंगे।

फेसबुक ने इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी है. दरअसल, फेसबुक पर आरोप लगे कि वह खुद के फायदे के लिए यूजर्स की निजता का हनन कर रहा है जिसके बाद अपनी छवि सुधारने के लिए कंपनी ने ये कदम उठाया है. फेसबुक ने कहा है कि वह फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी को बंद करेगा और एक अरब से भी ज्यादा लोगों के फेसप्रिंट मिटाएगा.

फेसबुक की इस टेक्नोलॉजी के विरोध की सबसे बड़ी वजह यूजर्स की निजता का हनन और बायोमेट्रिक इंफॉर्मेशन फेसबुक के पास होने को लेकर थी. हालांकि पिछले महीने फेसबुक की पूर्व कर्मचारी फ्रांसिस हॉगेन ने फेसबुक के अंदरूनी दस्तावेजों को लीक कर दिया, जिसके बाद फेसबुक का काफी विरोध हुआ. आरोप लगे कि कंपनी यूजर्स की निजता को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है. अपनी इसी गलती को सुधारने के लिए अपना व्यवसायिक नाम तक बदल लिया था.

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