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पीएम मोदी के ‘भरोसेमंद’ की रिपोर्ट के बाद अमित शाह की हाई लेवल मीटिंग

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रायपुर राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अमित शाह ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए कमान संभाल ली है। यहीं कारण है कि एक महीने के अंदर वो तीसरी बार राज्य के दौरे पर आ रहे हैं। अमित शाह इस मीटिंग पर पार्टी के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के साथ ही आगे की रणनीति भी तय करेंगे।

अमित शाह छत्तीसगढ़ के मुद्दों के बारे में पार्टी नेताओं से फीडबैक लेंगे और कुछ मसलों पर स्पष्टीकरण भी मांग सकते हैं। शाह इसे बनाने को लेकर टिप्स भी देंगे और पार्टी आलाकमान को मिले फीडबैक को शेयर भी कर सकते हैं।इस बैठक में अमित शाह यह तय कर सकते हैं कि राज्य के किस नेता को विधानसभा चुनाव के लिए कौन सी जिम्मेदारी देनी है।

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प्रियंका गांधी के पहुंचने से पहले ग्वालियर में कमलनाथ के लगे पोस्टर

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ग्वालियर । कमलनाथ ‘गद्दार’ के पोस्टर ग्वालियर में लगे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में कमलनाथ गद्दार के पोस्टर चर्चा का विषय बन गए हैं। कुछ ही देर में प्रियंका गांधी ग्वालियर आने वाली हैं, उनके आने से पहले ग्वालियर में जगह-जगह कमलनाथ के फोटो के साथ गद्दार लिखे हुए पोस्टर लगे दिखाई दे रहे हैं। ग्वालियर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ है। इसी गढ़ से चुनावी हुंकार की शुरुआत करने के लिए प्रियंका गांधी शुक्रवार को ग्वालियर पहुंच रही हैं। यहां वे मेला मैदान में एक जन आक्रोश सभा को संबोधित करेंगी। प्रियंका गांधी के आगमन के पहले ही ग्वालियर में डर्टी पॉलिटिक्स शुरू हो गई है। ग्वालियर की सड़कों पर कमलनाथ के गद्दार के पोस्टर अज्ञात व्यक्ति द्वारा लगा दिए गए हैं।

इन पोस्टरों को देखकर हड़कंप मचा हुआ है। एक तरफ जहां सिंधिया को कांग्रेस लगातार गद्दार कहकर संबोधित कर रही है। वहीं, कांग्रेस के जनाक्रोश सभा के पहले कमलनाथ को गद्दार बताकर ग्वालियर में पोस्टर लगा दिए गए हैं। इन पोस्टर की वजह से सियासत गरमा गई है। बीजेपी ने कमलनाथ पर आरोप लगाया है कि न्यूक्लियर टेस्ट की जानकारी उन्होंने अमेरिका को दी थी।

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यूपी में सपा के साथ नहीं अकेले मैदान में उतरना चाहते हैं कांग्रेस नेता

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लखनऊ । उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां शुरू हो गई है। कांग्रेस की ओर से चुनाव के समीकरणों की तलाश शुरू की गई है, जिससे पार्टी को विशेष तौर पर तैयारियों को पूरा कराया जा रहा है। ऐसे में बेंगलुरु में हुई बैठक में विपक्षी गठबंधन को नया नाम, नई पहचान मिली है। इस विपक्षी एकता गठबंधन में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख जयंत चौधरी भी शामिल हुए थे। ऐसे में कयासों का दौर शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल और कांग्रेस का गठबंधन यूपी में हो सकता है। हालांकि, गठबंधन को लेकर स्थानीय कांग्रेसी नेताओं के बीच उलझन साफ दिख रही है।

कांग्रेस के स्थानीय नेता पुरजोर तरीके से अकेले चुनाव लड़ने की वकालत करते दिख रहे हैं। पिछले एक पखवाड़े में स्थानीय कांग्रेस नेताओं की दो बैठकें हो चुकी हैं। इसमें अकेले चुनाव लड़ने पर चर्चा हुई। समाजवादी पार्टी से गठबंधन को लेकर तमाम सीनियर नेताओं के बीच एकमत नहीं दिख रहा है। हालांकि, इस मामले में कोई भी नेता खुलकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। उनका कहना है कि हाइकमान आखिरी निर्णय लेगा ऐसे में अखिलेश यादव के साथ 2024 के चुनाव में गठबंधन होगा या नहीं। यह फैसला अब राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे करेंगे।

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47 साल पुरानी विकीलीक्स की वह रिपोर्ट जिसे पांच साल बाद फिर कमलनाथ को घेरने के लिए लाई बीजेपी

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भोपाल मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में चार महीने का वक्त बचा है। इस बीच विकीलीक्स का जिन्न एक बार फिर से एमपी में जिंदा हो गया है। विकीलीक्स समूह ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि न्यूक्लियर परीक्षण के बारे में कमलनाथ ने अमेरिकी दूतावास को जानकारी दी थी। बीजेपी ने उसी रिपोर्ट के आधार पर कमलनाथ पर आरोप लगाया है। वहीं, कांग्रेस ने इस आरोप को बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया है।

बीजेपी नेताओं ने मंगलवार को आरोप लगाया कि 47 साल पुरानी यूएस डिप्लोमेसी रिपोर्ट में कहा गया है कि नाथ ने भारत के परमाणु कार्यक्रम के बारे में अमेरिका को गुप्त जानकारी दी थी। बीजेपी ने कहा कि कमलनाथ ने देश को धोखा दिया है। उन्हें विकीलीक्स खुलासे पर जवाब देना चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने देश के परमाणु कार्यक्रम के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी अमेरिका को दी। इसके साथ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री के रूप में देश ने चीन के साथ उनकी निकटता को भी देखा।

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ओपी राजभर और दारा सिंह चौहान छिटके, बचे साथियों को सहेजने में जुटे अखिलेश यादव

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लखनऊ । समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव विपक्षी एकता की बैठक में शामिल होने के लिए बेंगलुरु में है। वहां की उनकी एक तस्वीर समाजवादी पार्टी के ट्विटर हैंडल से ट्वीट की गई है। तस्वीर में बसपा से सपा में आए लालजी वर्मा, रामअचल राजभर से लेकर सहयोगी अपना दल(कमेरावादी) की मुखिया कृष्णा पटेल तक शामिल हैं। विपक्षी एकता से पहले ‘आंतरिक एकता’ को दिखाती यह तस्वीर अखिलेश यादव की बचे हुए सहयोगियों को सहेजने की कवायद मानी जा रही है। चुनाव के पहले ‘भगदड़’ रोकने की एक बड़ी चुनौती उनके सामने है।

लोकसभा चुनाव के पहले पार्टी की बैठकों में अखिलेश संवाद व समन्वय बेहतर करने की लगातार नसीहत दे रहे हैं। हालांकि, उच्च स्तर पर भी यह संकट बना रहा। विधानसभा चुनाव के पहले भी सहयोगी दलों व नेताओं की ओर से संवाद को लेकर शिकायतें आ रही थीं। अखिलेश के करीबी कुछ नेता इसको लेकर लगातार उनके निशाने पर थे। चुनाव के बाद पार्टी सत्ता से दूर रह गई और आने वालों की उम्मीदें भी धूमिल। ऐसे में पार्टी व उसके मंचों पर प्रमुखता से जगह ही उनकी आखिरी उम्मीद थी। हालांकि, बहुत से चेहरों को इस स्तर से भी निराशा हाथ लगी। टिकटों के चयन से लेकर रणनीतिक निर्णयों में उपेक्षा के सवाल भी मुखर रहे।

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जुटेगा विपक्षी दलों का जमावड़ा अखिलेश-जयंत भी होंगे शामिल

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मिशन 2024 के लिए विपक्षी दलों ने कमर कस ली है. सभी विपक्षी दलों ने साफ कर दिया है कि उनका इरादा भारतीय जनता पार्टी को रोकना है. विपक्षी एकता और महागठबंधन को मजबूत करने के लिए अब विपक्षी दलों के नेता बेंगलुरु में जुटने शुरू हो गए हैं. बता दें कि विपक्षी दलों की दूसरी महाबैठक आज यानी सोमवार और कल यानी मंगलवार को बेंगलुरु में होने जा रही है।

इस बैठक में उतर प्रदेश के सियासी चेहरे भी दिखेंगे. बता दें कि समाजवादी पार्टी प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस बैठक में शामिल होने के लिए बेंगलुरु जाएंगे. इसी के साथ राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरीभी विपक्षी दलों की इस महाबैठक में हिस्सा लेने बेंगलुरु जाएंगे. जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले विपक्षी दलों की महाबैठक बिहार की राजधानी पटना में हुई थी. इस बैठक में सपा चीफ अखिलेश तो पहुंचे थे. मगर जयंत चौधरी ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया था। 

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चुनाव से पहले सीएम भूपेश बघेल का है बड़ा प्लान

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में संतुलन की सियासत पर जोर दिया जा रहा है। पार्टी के अंदर पनपने वाले हर असंतोष को खत्म करने की दिशा में कदम भी बढ़ाए जा रहे हैं। राज्य में पिछले कुछ दिनों में हुए फैसले यही संकेत दे रहे हैं कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव से पहले किसी भी तरह के असंतोष को पनपने नहीं देना चाहती। उसी का नतीजा है कि आपसी समन्वय के साथ संतुलन बनाए रखने वाले फैसले लिए जा रहे हैं।

राज्य में लंबे अरसे से इस बात की चर्चा रही है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस को जीत मिली थी तो कई समझौते हुए थे। बाद में इन समझौतों पर किसी ने खुलकर कुछ नहीं कहा। इसी के चलते अब स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को उप मुख्यमंत्री बना दिया गया है। पार्टी ने राज्य इकाई के मुखिया मोहन मरकाम को प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाया और उनके स्थान पर दीपक बैज को नियुक्त किया तो असंतोष की बातें सामने आने लगी।

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चुनाव से पहले कांग्रेस में हुए बड़े बदलाव

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रायपुर छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी दल कांग्रेस के संगठन और मंत्रिमंडल में बदलाव किया है। बदलाव पर बीजेपी ने निशाना साधा है। बीजेपी ने कहा- यह अंतर्विरोध की चरम सीमा है। बीजेपी ने दावा किया कि राज्य में कांग्रेस शासन की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा, ”राज्य में सत्ताधारी दल कांग्रेस में जिस प्रकार का अंतर्विरोध और भारी गुटबाजी सड़कों पर देखने को मिल रही है, यह अंतर्विरोध की चरम सीमा है।

उन्होंने कहा, ”प्रेमसाय सिंह टेकाम का यह बयान कि ‘इस्तीफा दिया नहीं जाता ले लिया जाता है’ यह बता रहा है कि छत्तीसगढ़ में सरकार के मंत्रियों से इस्तीफा लिया जा रहा है। उन्हें इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया जा रहा है। यह इस बात का संकेत है कि कांग्रेस इस प्रदेश में किन हालात से गुजर रही है। भाजपा नेता ने कहा, ”कांग्रेस में स्वेच्छाचारिता, हिटलरशाही और एकला चलो की नीति की यह परिणति देखकर हमें लग रहा है कि सत्ताधारी दल में किए गए बदलाव छत्तीसगढ़ विधानसभा के आने वाले चुनाव में सत्ता के परिवर्तन का संकेत है। अब कांग्रेस की विदाई तय है और भारतीय जनता पार्टी की सत्ता में वापसी सुनिश्चित है।” चंदेल ने कहा है, ”प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम हिटलरशाही के शिकार हो गए। अब अचानक मंत्रियों से इस्तीफे मांगे गए। न संगठन अध्यक्ष पर भरोसा, न भूपेश बघेल सरकार के मंत्रियों पर भरोसा। यदि भूपेश बघेल के मंत्री निकम्मे हैं तो पौने पांच साल से उन्हें क्या सिर्फ भ्रष्टाचार करने के लिए रखा गया था।

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जीतू पटवारी के सामने कांग्रेस की मीटिंग में महिला नेत्रियों ने दिखाए तेवर तो माहौल हो गया गरम

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सतना । मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस तैयारियों में जुटी है। सतना जिले के नागौद विधानसभा क्षेत्र में गुरुवार को पूर्व मंत्री जीतू पटवारी मीटिंग ले रहे थे। जीतू पटवारी के सामने ही टिकट को लेकर महिला नेत्रियों ने तेवर दिखाए तो वहां माहौल गरम हो गया। महिला नेत्रियों ने पार्टी छोड़ने की धमकी दी। इस दौरान मंच के नीचे बैठे कुछ कार्यकर्ता भी गरम हो गए। एक बुजुर्ग कार्यकर्ता गुस्से में मंच की तरफ बढ़ने लगा। इस दौरान कुछ लोगों ने उन्हें संभाला।

दरअसल, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष रश्मि सिंह और जिला पंचायत सदस्य संध्या कुशवाहा ने टिकट न मिलने पर मंच से पार्टी छोड़ने की धमकी दी है। दोनों नेत्रियों का आरोप है कि नागौद सीट पर 25 सालों से एक ही व्यक्ति को टिकट देकर कांग्रेस संगठन और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ अपराध किया जा रहा है। फिर से उसी व्यक्ति को टिकट दी गई तो पराजय सुनिश्चित है। रश्मि सिंह, संध्या कुशवाहा और यादवेंद्र सिंह के समर्थकों के बीच हुई तीखी बहस भी हुई है। वहीं, जिला पंचायत सदस्य संध्या कुशवाहा रोते हुए कार्यक्रम छोड़कर चली गईं।

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विपक्ष की अगली बैठक में सोनिया गांधी भी होंगी

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नई दिल्ली अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशों में लगी है। विपक्षी एकजुटता की कवायद के तहत बेंगलुरू में 17 और 18 जुलाई को विपक्ष की अगली बैठक होने वाली है। इसमें 24 पार्टियों के शामिल होने की संभावना है। खास बात यह है कि कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी भी 17 जुलाई को विपक्षी नेताओं के लिए आयोजित रात्रिभोज में शामिल हो सकती हैं। पहले दिन की चर्चा के बाद कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया विपक्ष के नेताओं के लिए डिनर रखेंगे।

विपक्ष की बैठक में आम आदमी पार्टी को भी आमंत्रित किया गया है। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने सोमवार को उम्मीद जताई थी कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी 17 और 18 जुलाई को बेंगलुरु में विपक्षी दलों की अगली बैठक में भाग लेंगी।

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