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मुख्यमंत्री श्री चौहान बड़नगर में लाड़ली बहना सम्मेलन में शामिल हुएकिया 150 करोड़ के विकास कार्यों का लोकार्पण/भूमि-पूजन

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डिजिटल भारत | मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में बहनों के सशक्तिकरण के लिये सामाजिक क्रांति हो रही है।मेरी जिंदगी का मकसद है बहनों के चेहरे पर मुस्कराहट लाना। मैं किसी बहन को दुखी नहीं रहने दूँगा। आज बड़नगर की जनता ने जो मुझे प्यार और विश्वास दिया है, बहनों ने जिस राखी के कच्चे धागे से मुझे बांधा है, उस विश्वास को कभी नहीं टूटने दूँगा। बहनों की जिंदगी खुशहाल बनाने के लिये हरसंभव प्रयास करूँगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान आज उज्जैन जिले के बड़नगर में
लाड़ली बहना सम्मेलन में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने 150 करोड़ रूपये के विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण/भूमि-
पूजन किया। विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को हितलाभ भी वितरित किये। सम्मेलन का शुभारंभ कन्या-पूजन और दीप
प्रज्ज्वलन से हुआ। मुख्यमंत्री ने पुष्प-वर्षा कर विशाल संख्या में उपस्थित बहनों का अभिनंदन किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में बहन-बेटियों को सशक्त करने के कार्य निरंतर किये जा रहे हैं। लाड़ली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्या विवाह-निकाह योजना और अब लाड़ली बहना योजना ने समाज में बहनों की स्थिति को बहुत मजबूत कर दिया है। अब बेटियाँ बोझ नहीं वरदान बन गई हैं। प्रदेश में 21 वर्ष आयु की बहनों और ट्रेक्टर वाले परिवारों की बहनों के नाम जुड़ जाने के बाद अब लाड़ली बहनों की संख्या एक करोड़ 32 लाख हो गई है। जो बहनें छूट गई हैं, उनके नाम भी जोड़े जायेंगे।


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अभी राखी पर बहनों को 250 रूपये भिजवाये थे। लाड़ली बहना योजना की राशि अब
1250 रूपये कर दी गई है। इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर 3000 रूपये तक किया जायेगा। पहले बहनों को अपनी छोटी-छोटी
आवश्यकताओं के लिये परेशान होना पड़ता था। मैंने उनके इस दर्द को समझा और लाड़ली बहना योजना बनाई। लाड़ली बहना योजना मेरे दिल से निकली योजना है। इससे बहनों की परिवार में इज्जत बढ़ी है। सरकार का प्रयास है कि हर बहन की
आमदनी 10 हजार रूपये महीना हो और इसके लिये आजीविका मिशन में उन्हें विभिन्न गतिविधियों के लिये सहायता दी जा
रही है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अब बहनों को टोल बेरियर भी संचालन के लिये दिये जा रहे हैं। टोल टैक्स से प्राप्त
राशि की 30 प्रतिशत राशि बहनों को आमदनी के रूप में मिलेगी।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हम नया जमाना ला रहे हैं।
प्रदेश में सरकारी संसाधनों का उपयोग गरीबों और किसानों के लिये किया जा रहा है। हर व्यक्ति को पक्की छत की व्यवस्था की जा रही है। जिनके पास रहने की जमीन नहीं है उन्हें आवासीय भू-अधिकार योजना में पट्टे दिये जा रहे हैं। जिन व्यक्तियों के
नाम प्रधानमंत्री आवास योजना में नहीं आये हैं, उनका सर्वे करवाकर उनके लिये नई योजना मुख्यमंत्री आवास योजना बनाई जा
रही है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि इस बार बारिश कम होने बिजली का उत्पादन कम हो रहा है। फिर भी सरकार द्वारा
गरीबों को राहत के लिये 31 अगस्त तक के एक किलोवाट तक के बिजली के बिल शून्य किये जा रहे हैं ।

और आगामी माह से हर माह (100 यूनिट तक) 100 रूपये बिजली का बिल आयेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बहनें अपने बच्चों को अवश्य पढ़ायें। अब उच्च शिक्षा की मंहगी फीस भी मामा भरवायेगा। शिक्षा के लिये हर आवश्यक व्यवस्था सरकार द्वारा करवाई जा रही है। साइकिल के लिये 4500 रूपये सरकार देती है, अब 12वीं में स्कूल में टॉप करने वाले छात्र-छात्राओं को स्कूटी भी दी जा रही है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पुरानी सरकार ने कन्या विवाह, तीर्थ-दर्शन, प्रसूति सहायता, शून्य प्रतिशत ब्याज पर फसल ऋण, मेधावी विद्यार्थियों को लेपटॉप आदि योजनाएँ बंद कर दी थी। हमारी सरकार ने फिर से इन्हें चालू किया है। अब सरकार बुजुर्गों को हवाई जहाज से भी तीर्थ-यात्रा करवा रही है। किसानों को केन्द्र सरकार द्वारा दी जा रही 6 हजार रूपये की सम्मान निधि के अलावा राज्य सरकार भी 6 हजार रूपये प्रति वर्ष दे रही है। किसानों के ब्याज की राशि सरकार ने भरी है और उन्हें शून्य प्रतिशत ब्याज पर पुन: फसल ऋण दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बड़नगर क्षेत्र के विकास के लिये कई घोषणाएँ कीं।

इनमें बड़नगर में 20 करोड़ रूपये की लागत से मल्टीपर्पज इंडोर स्टेडियम एवं स्वीमिंग पूल बनवाने और क्षेत्र के जो गाँव नर्मदा जल से वंचित रह गये हैं, उन सभी गाँवों में नर्मदा जल पहुँचाना प्रमुख है। मुख्यमंत्री ने नगर व आसपास के विभिन्न
मार्गों और पुल-पुलियाओं के निर्माण की भी घोषणा की। कार्यक्रम में प्रदेश के वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री और जिले के प्रभारी श्री जगदीश देवड़ा, सांसद श्री अनिल फिरोजिया, विधायक श्री बहादुर सिंह चौहान, श्री बहादुर सिंह बोरमुंडला, अन्य जन-प्रतिनिधिऔर बड़ी संख्या में लाड़ली बहनों सहित जन-समुदाय उपस्थित था।

जनदर्शन यात्रा में उमड़ा जनता का अभूतपूर्व सैलाब

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज बड़नगर में जनदर्शन भी किया। बड़नगर की धरती पर चहुंओर त्यौहार-सा
नजारा नजर आया। जनदर्शन के दौरान जनता ने मुख्यमंत्री का अपार स्नेह एवं उत्साह से स्वागत किया और घरों से, घर की
छतो से, गलियारों से, सड़क के दोनों ओर कतारबद्ध होकर पुष्पों की वर्षा की। मुख्यमंत्री का लाड़ली बहनों एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों ने रास्ते के दोनों ओर जगह-जगह स्वागत मंच बनाकर अपार उत्साह से स्वागत किया।

मुख्यमंत्री श्री चौहान का खाचरौदअधिकार मंच, अतिथि विद्वान नियमितिकरण संघर्ष समिति, सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्राओं एवं शिक्षकों ने मुख्यमंत्री का सभा मंच से स्वागत किया। वहीं सुराज कॉलोनी, विभिन्न ग्राम पंचायत के निवासियों, प्रधानमंत्री आवास योजना(ग्रामीण एवं शहरी) के हितग्राहियों, महिला स्व-सहायता समूह के सदस्यों ने सड़क के दोनों ओर कतारबद्ध और अनुशासित होकरअपूर्व जोश और उत्साह से स्वागत किया।

लाड़ली बहनें “धन्यवाद भैया” एवं भांजियाँ “प्यारे मामा” के नाम की तख्तियां लिये हुए थी। महिलाओं ने लाड़ली बहना योजना का लाभ देने के लिये पुष्प-वर्षा कर मुख्यमंत्री श्री चौहान के प्रति आभार और हर्ष व्यक्त किया। मुख्यमंत्री का काफिला विभिन्न मार्गों से होते हुए निकला तब हर गली एवं मोहल्ले में ढोल-नगाड़ों से मुख्यमंत्री का स्वागत किया गया। लाड़ली बहनें दोपहिया वाहन पर सवार थीं। वे सभी मुख्यमंत्री के पीछे उत्साह से चल रही थीं।

जगह-जगह जनता ने “प्यारे मामा, प्यारे भैया जिन्दाबाद” के नारे लगाये। जनदर्शन यात्रा में वित्त मंत्री एवं उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री श्री जगदीश देवड़ा भी शामिल हुए।

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मुख्यमंत्री की पहल पर पूरे प्रदेश में हुई जनकल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत

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  • अब गरीब को दस रुपए की जगह मात्र  ₹5 में भरपेट मिलेगा भोजन* आवासहीनों को मिले पट्टे  को विधायक अशोक
  • ईश्वर दास रोहाणी और अध्यक्ष रिंकू विज ने किया योजना का जबलपुर में शुभारंभ
  • केंद्र और राज्य सरकार सबके साथ- अशोक ईश्वर दास रोहाणी

डिजिटल भारत । जबलपुर। पूरे मध्य प्रदेश में आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान की पहल पर दीनदयाल रसोई योजना एवं आवासहीनो को पट्टे वितरित किए गए। इसी तारतम्य में  जबलपुर नगर निगम के भंवर ताल स्थित संस्कृतिक भवन में यह कार्यक्रम कैंट विधानसभा विधायक अशोक ईश्वर दास रोहाणी  के मुख्य अतिथि में शुरू किया गया जिसमें उन्होंने मुख्य अतिथि की आसंदी से अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार हर गरीब और हर व्यक्ति के साथ में है। आज मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के कर कमलों से पूरे प्रदेश में इस योजना की शुरुआत हो गई है। इसी क्रम में यहां पर भी इन दोनों योजनाओं की शुरुआत की गई है। अब दीनदयाल रसोई योजना से हर गरीब को ₹5 में भरपेट भोजन मिलेगा।  वहीं  आवास हिनो को भी आज पट्टे वितरित किए गए हैं जिससे कि हर गरीब के घर का सपना साकार हो। आज इस अवसर पर नगर निगम अध्यक्ष रिंकू विज भी अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं के विषय में बताया। इस कार्यक्रम में नगर निगम आयुक्त स्वप्निल वानखडे अपर आयुक्त आर पी मिश्रा, उपायुक्त मनोज श्रीवास्तव के अलावा नगर निगम जबलपुर की पूरी टीम उपस्थित रही।

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पर्यावरण संरक्षण पर जोर और फिजूल खर्च पर लगाई जाए रोक…!

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डिजिटल भारत l नन्हें -मुन्ने बच्चों के कांधो पर बोझ बढ़ाया..!

मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल द्वारा प्रत्येक सत्र में करोड़ों रुपए खर्च कर पर्यावरण संरक्षण का ध्यान नहीं रखते हुए पाठ्य पुस्तकें, दक्षता संवर्धन, एडग्रेड तो कभी प्रयास पुस्तकें छपाई जाती है,जबकि पर्यावरण विषयों में अध्ययन करवाया जाता है किन्तु राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा पर्यावरण संरक्षण का ध्यान ना रखते हुए हर सत्र पुस्तकें वो भी पाठ्य पुस्तकों के साथ भिन्न -भिन्न तरह की अनेक मोटी -मोटी पुस्तकों का मुद्रण करवा कर समस्त जिलों में मार्च माह से अगस्त माह तक वितरण किया जाता है। शासन एक तरफ बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने पर जोर दे रही है, वहीं माध्यमिक स्तर की कक्षाओं में पुस्तकों की संख्या लगभग 17 है तो वहीं कापियों का अलग बोझ, नन्हें -मुन्ने बच्चों के कंधों पर भारी बोझ लाद दिया जा रहा है। दूसरी तरफ से पाठ्य पुस्तकें, दक्षता,एडग्रेड तो कभी प्रयास पुस्तकें प्रकाशित कर करोड़ों रुपए खर्च कर पर्यावरण संरक्षण का ध्यान ना देते हुए, ना जाने कितने वृक्षों का कत्ल कर प्रत्येक सत्र पुस्तकें प्रकाशित कर कमीशन बाज़ी कर नन्हें -मुन्ने बच्चों का बोझ बढ़ा रही है।


मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर के अनुसार आधुनिक युग में जबकि तकनीकी शिक्षा,ऑनलाइन शिक्षा, स्मार्ट टी.वी., टेबलेट,कंप्यूटर आदि के युग में बस्ते का बोझ कम किया जा सकता है तो फिर वही पुरानी पद्धति से पर्यावरण संरक्षण का ध्यान ना रखते हुए पर्यावरण को नुकसान क्यों पहुंचा रहे हैं..?
मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के दिलीप सिंह ठाकुर,धर्मेंद्र परिहार, नितिन तिवारी, ऋषि पाठक, दुर्गेश खातरकर, जी आर झारिया,आकाश भील, महेश प्रसाद मेहरा, भोजराज विश्वकर्मा,गंगाराम साहू, भोगीराम चौकसे, चंद्रभान साहू, अंजनी उपाध्याय, सुधीर गौर, राशिद अली, राकेश मून, अजब सिंह, सुल्तान सिंह, देवराज सिंह, इमरत सेन, लोचन सिंह, रामकिशोर इपाचे, रामदयाल उइके, मनोज कोल, पवन सोयाम, देव सिंह भवेदी, पुष्पा रघुवंशी, अर्चना भट्ट, रेनू बुनकर, कल्पना ठाकुर, ब्रजवती आर्मो, राजेश्वरी दुबे, दीपिका चौबे, पूर्णिमा बेन, सुमिता इंगले, प्रेमवती सोयाम इत्यादि ने श्रीमान आयुक्त महोदय,राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल से मांग की है, कि आगामी सत्र से पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखते हुए स्कूलों में ही पाठ्य पुस्तकें का बुक -बैंक निर्माण कर बच्चों से पुस्तकें वापिस लेकर पुनः उपयोग में लाई जावे जिससे शासन -प्रशासन के करोड़ों रुपयों की बचत होगी एवं पर्यावरण संरक्षण कार्य में भी सहयोग होगा।

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क्या आप जानते है भारत में कितने प्रकार की चाय मिलती है …?

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चाय पानी के बाद ऐसा पेय है जिसे दुनिया में सर्वाधिक पीया जाता है। चाय सदियों से चली आ रही है और हमारे देश की 80 फीसदी जनसंख्या अपने दिन की शुरुआत चाय के साथ करती है। यह कहना भी अनुचित न होगा कि चाय
हमारी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा है।

भारत विश्व में चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इंडिया में 563.98 हजार हेक्टेयर में चाय के बागान हैं, जिसमें से असम (304.40 हजार हेक्टेयर), पश्चिम बंगाल (140.44 हजार हेक्टेयर), तमिलनाडु (69.62 हजार हेक्टेयर) और केरल (35,000 हजार हेक्टेयर) में चाय उत्पादन होता है। लेकिन क्या आप जानते है भारत में चाय के बगान, चाय उत्पादन के साथ साथ इंडिया के पर्यटन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है जहाँ हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक अपनी फैमली, फ्रेंड्स के साथ घूमने और हनीमून मनाने के लिए आते है।

क्या आप एक चाय प्रेमी हैं? यदि हाँ, तो आपको इस बार की छुट्टियों में अपने फ्रेंड्स या फैमली के साथ चाय बागान घूमने जाने का प्लान बनाना चाहिये। इस तरह की यात्रा के दौरान, आप मनमोहक वादियों के बीचो बीच चाय कारखानों का पता लगा सकते हैं और अपनी पसंद के चाय एस्टेट में कुछ दिन बिता सकते हैं।


चाय कितने प्रकार की होती है?


1-सामान्य चाय
सामान्य चाय आपको हर चाय के होटलो में आसानी से मिल जाएगी जोकि स्वाद में बेहतरीन विकल्प है । इसे घर पारर भी तैयार करना बेहद आसान है । 1 कप उबलते हुए पानी(Boiled Water) में चाय की पत्ती(Leaf) और शक्कर(Sugar) स्वाद अनुसार डालने के बाद दूध(Milk) डालकर अच्छे से पकने तक उबला जाता है और तैयार होने पर गरमा-गर्म परोसी जाती है ।

2-अदरक वाली चाय
-यह अधिकांश रूप से सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली चाय है जोकि होती तो सामान्य चाय की तरह ही है लेकिन इसमें अदरक की मात्रा ज्यादा होती है । अधिकांश घरो में बनने वाली चाय अदरक वाली कड़क चाय ही होती है ।अदरक वाली चाय पीने में तो अच्छी होती है बल्कि स्वाथ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है इसको पीने से शारीरिक व मानसिक थकान कुछ कम हो जाती है ।

3-इलाईची वाली चाय
इलाईची वाली चाय भी अदरक वाली चाय की तरह ही बनाई जाती है बस इसमें अदरक के जगह इलाईची का इस्तेमाल किया जाता है और इसका स्वाद आपको चाय पीने में ही अनुभव होगा चुकी इलाईची-अदरक की अपेछा एक कीमती चयन है ।

4-मसाला चाय
-अगर आप सामान्य चाय पी कर थक चुके है और चाय में कुछ नया स्वाद चाहते है तो आपको मसाला चाय जरूर पीनी चाहिए । सामान्य रूप से बनने वाली चाय में अदरक-इलाइची के आलावा एक चाय मसाला भी प्रयोग किया जाता है । यह चाय मसाला कंपनियों के भी उपलब्ध है जैसे एवेरेस्ट मसाला अशोक मसाला आदि ।
मुख्य रूप से चाय मसाला में काली मिर्च ,लॉग, दालचीनी और अनेक प्रकार के मसलो का प्रयोग होता है जो चाय को एक उत्कृट स्वाद देता है ।

5-लेमन टी
-लेमन चाय मतलब नीबू की चाय बनाने के लिए 1 कप पानी में उसमे 1/2 चम्मच चाय की पत्ती ड़ालकर अच्छी तरह उबाल लेते है लेमन चाय में शुगर की मात्रा को बढ़ा कर लेते है चाय को गिलास में छानने के बाद लेमन डालते है ।
आज की युवा पीढ़ी को जो अपने स्वास्थ्य को लेकर बहुत सचेत रहती है उन्हें यह लेमन चाय काफी पसंद आती है और लेमन चाय पेट के लिए बहुत फायदेमंद होती है ।

6-ग्रीन टी
आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, वजन कम करने और अपने शरीर को अंदर से स्वच्छ करने में आपका सबसे अच्छा दोस्त ग्रीन टी होगा। अपनी चाय की पत्तियों को पानी में मिलाएं और इसे उबलने दें। एक बार जब यह काफी उबल जाए तो चाय को छान लें।
हरी चाय का सबसे अच्छा हिस्सा यह है कि आप इससे जो भी जोड़ते हैं, वह अच्छी तरह से मिल जाता है। आप अपने ग्रीन टी में फ्लेवर जोड़ने के लिए चीनी, अदरक, पुदीने की पत्तियां, नींबू या मसाले डाल सकते हैं।

7-शुगर फ्री चाय
आज के दौर में हर व्यक्ति अपने स्वाथ्य को लेकर बहुत सचेत है । जो व्यक्ति डॉयबिटीज़ के मरीज है वो तो शुगर फ्री चाय लेना पसंद करते है मगर जिन्हे डॉयबिटीज़ नहीं भी है वो व्यक्ति भी शुगर फ्री चाय को अधिक पसंद कर रहे है ।
शुगर फ्री टेबलेट्स या बिना शक्कर की चाय इसका एक विकल्प है ।
यह इंडिया में आम-तोर पर मिलने वाली कुछ चाय है जिनका लुफ्त आप किसी भी रेस्टॉरेंट होटल या चाय की दुकानों पर ले सकते है ।

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करेला के फायदे, नुकसान और उपयोग

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डिजिटल भारत l करेला की सब्जी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। कड़वी होने के कारण, भले ही सभी लोग करेले की सब्जी नहीं खाते हों, लेकिन इसके बारे में जानते जरूर होंगे। आमतौर पर लोग केवल इतना ही जानते हैं कि करेला डायबिटीज (मधुमेह) में फायदा पहुंचाता है, लेकिन सच यह है कि आप करेला का प्रयोग कर कई रोगों को भी ठीक कर सकते हैं।

करेला क्या है?
करेला स्वाद में कड़वा, और थोड़ा-सा तीखा होता है। मधुमेह के रोगी विशेषतः करेला के रस, और सब्जी का सेवन करते हैं। करेला का सेवन अनेक बीमारियों जैसे- पाचनतंत्र की खराबी, भूख की कमी, पेट दर्द, बुखार, और आंखों के रोग में लाभ पहुंचाता है। योनि या गर्भाशय रोग, कुष्ठ रोगों, तथा अन्य बीमारियों में भी आप करेला से फायदा ले सकते हैं। करेले से कमजोरी दूर होती है, और जलन, कफ, सांसों से संबंधित विकार में लाभ मिलता है। चिड़चिड़ाहट, सुजाक, बवासीर आदि में भी करेले से फायदा मिलता है। करेला के बीज घाव, आहार नलिका, तिल्ली विकार, और लिवर से संबंधित समस्याओं में करेला लाभदायक होता है।

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विक्रम लैंडर से बाहर निकला रोवर, चंद्रमा पर कर रहा चहलकदमी; देखें पहली तस्वीर

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चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के बाद इसरो के मून मिशन चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद की तस्वीरें भेजी हैं। यह फोटोज लैंडर विक्रम ने उस समय खीचीं जब वह बुधवार शाम को चांद की सतह पर धीरे-धीरे उतर रहा था। मालूम हो कि भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। वहीं, चांद पर लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश है। इससे पहले, अमेरिका, चीन और सोवियत संघ को यह उपलब्धि हासिल हो चुकी है। 

इसरो के चंद्रयान-3 लैंडर विक्रम ने बुधवार शाम छह बजकर चार मिनट पर चांद की सतह पर सफल लैंडिंग की। इस दौरान देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लोगों की नजरें टीवी स्क्रीन पर लगी रहीं। इसरो ने उन तस्वीरों को शेयर किया है, जोकि चंद्रयान-3 ने लैंडिंग करने के बाद भेजी हैं। इसरो ने ट्वीट किया, ”चंद्रयान-3 मिशन अपडेट, Ch-3 लैंडर और MOX-ISTRAC, बेंगलुरु के बीच कम्युनिकेशन लिंक स्थापित किया गया है। नीचे उतरते समय ली गईं लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरे की तस्वीरें यहां शेयर की जा रही हैं।” ये कुल चार तस्वीरें हैं, जिन्हें इसरो ने शेयर किया है

#chandrayaan #india #isro #space #mangalyaan #gaganyaan #indianarmy #nasa #satellite #isromissions

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चंद्रयान -2 की लॉन्चिंग में यही 15 मिनट हुए थे अहम साबित, चंद्रयान -3 के लिए जाने क्यों है ये आखरी 15 मिनट कीमती

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डिजिटल भारत l 40 दिनों की लंबी यात्रा के बाद चंद्रयान-3 का लैंडर सतह पर उतरने की तैयारी करेगा. लेकिन इसकी सबसे अहम प्रक्रिया लैंडिंग की है, जो बहुत नाज़ुक और जटिल है.

इसमें सबसे अहम अंतिम 15 मिनट होते हैं. चंद्रयान -2 की लॉन्चिंग में यही 15 मिनट अहम साबित हुए थे और तब इसरो के अध्यक्ष रहे के. सिवन ने मिशन की नाकामी को 15 मिनट का आतंक बताया था.

2019 में चंद्रयान- 2 की लॉन्चिंग में लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सतह पर 2.1 किमी की ऊंचाई तक पहुंच गया था, यहां तक तो सब कुछ ठीक रहा, लेकिन इसके बाद एक छोटी सी तकनीकी गड़बड़ी के कारण लैंडर मॉड्यूल क्रैश हो गया.
पृथ्वी पर उतरने जैसा नहीं है, चंद्रमा पर उतरना
आप किसी विमान या वस्तु को धरती पर उतरते हुए दृश्य को याद कीजिए. विमान ऊंचाई से धीरे-धीरे आगे और नीचे सरकता है और रनवे पर उतरता है. हवाई जहाज से कूदने वाले स्काई डाइवर्स पैराशूट की मदद से ज़मीन पर सुरक्षित उतरते हैं.

ये दोनों प्रक्रियाएं पृथ्वी पर संभव हैं लेकिन चंद्रमा पर संभव नहीं हैं. चूंकि चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं है इसलिए लैंडर को हवा में उड़कर नहीं बल्कि पैराशूट की मदद से उतारना संभव है.

इसके लिए चंद्रयान-3 के लैंडर में रॉकेट लगाए गए. उन्हें प्रज्वलित करने के बाद लैंडर की गति को नियंत्रित करके वैज्ञानिक से धीमी गति से सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करते हैं.
जिस क्षण से चंद्रयान-3 ने उड़ान भरी है, तब से लेकर चंद्रमा की सतह पर उतरने तक इसकी दिशा और गति को बूस्टर जलाकर इसरो के वैज्ञानिक नियंत्रित करते रहे हैं.

हालांकि लैंडिंग के दौरान इसे इस तरह नियंत्रित नहीं किया जा सकता. इसीलिए इसे स्वचालित रूप से अपने आप उतरने के लिए प्रोग्राम किया गया है. चंद्रयान 2 में भी ऐसी ही व्यवस्था की गई थी.
चंद्रयान-3 का लैंडर एक लंबी गोलाकार कक्षा में चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है. चंद्रमा की सतह से सौ किलोमीटर ऊपर से गुजरने के बाद, इसे चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव में लाने के लिए अपने बूस्टर को प्रज्वलित करता है. इसके बाद यह चंद्रमा की सतह की ओर तेज़ी से गिरने लगता है.

जब यह गिरने लगता है, तब इसका वेग बहुत अधिक होता है. पृथ्वी से चंद्रमा तक एक रेडियो सिग्नल भेजने में लगभग 1.3 सेकंड का समय लगता है. उसी सिग्नल को दोबारा ज़मीन तक पहुँचने में 1.3 सेकंड का समय लगता है.

इस प्रकार, चंद्रयान लैंडर पृथ्वी पर एक सिग्नल भेजता है और प्रतिक्रिया में दूसरे सिग्नल को उस तक पहुँचने में 1.3 सेकंड का समय लगता है. इसका मतलब है कि इसे पूरा होने में लगभग ढाई सेकंड का समय लगता है. मतलब कई सौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चंद्रमा पर गिरने वाले लैंडर को नियंत्रित करने में ढाई सेकंड का समय लगता है. इस अतिरिक्त समय के कारण ही लैंडर को ऐसा बनाया जाता है कि लैंडर अपने निर्णय ख़ुद लेता है.

ऐसे प्रयासों में तकनीकी रूप से सब कुछ ठीक होना चाहिए नहीं तो एक छोटा सा अंतर भी मुश्किलों का कारण बन सकता है.

चंद्रयान-3 पहले अपने बूस्टर को फायर करके सौ किलोमीटर की ऊंचाई पर परिक्रमा करता है ताकि वह चंद्रमा की सतह की ओर गिर सके. वहां से यह तेज़ी से चंद्रमा की सतह पर गिरेगा.
साफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया तब शुरू होगी जब वह 100 किमी से 30 किमी की ऊंचाई से नीचे नहीं उतर जाता. तब तक लैंडर के पैर चंद्रमा की सतह के क्षैतिज स्थिति में होते हैं. फिर गति को और कम करने के लिए लैंडर में रॉकेट दागे जाएंगे.

जब लैंडर 30 किमी की ऊंचाई पर होता है तो उसकी गति बहुत अधिक होती है. उस गति को नियंत्रित करते हुए यह चंद्रमा की सतह से 7.4 किमी की ऊंचाई तक पहुंचता है. सौ किलोमीटर की ऊंचाई से यहां पहुंचने में दस मिनट लगते हैं. इसे पहला क़दम कहा जा सकता है.
दूसरे चरण से लेकर लैंडिंग तक
7.4 किमी की ऊंचाई से यह चरण दर चरण 6.8 किमी की ऊंचाई तक उतरता है. तब तक, लैंडर के पैर, जो क्षैतिज थे, चंद्रमा की सतह की ओर 50 डिग्री तक घूमेंगे.

फिर लैंडर पर लगे उपकरण इस बात की पुष्टि करेंगे कि यह उस स्थान पर जा रहा है, जहां इसे उतरना है या नहीं. तीसरे चरण में लैंडर को 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई से 800 मीटर की ऊंचाई तक उतरना है.

इस स्तर पर, लैंडर 50 डिग्री के क्षैतिज कोण पर चंद्रमा की सतह पर लंबवत होगा. इसके अलावा रॉकेट की गति भी कम हो जाती है. वहां से चौथे चरण में यह 150 मीटर की ऊंचाई तक उतरती है.

इस ऊंचाई पर, लैंडर यह सुनिश्चित करेगा कि लैंडिंग साइट पूरी तरह से समतल हो. वहां से पांचवें चरण में यह 150 मीटर से 60 मीटर तक नीचे उतरती है. वहां से लैंडर की स्पीड और कम हो जाती है. छठे चरण में ऊंचाई 60 मीटर से बढ़कर 10 मीटर हो जाएगी.

इस बार इसरो ने लैंडर में लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर नामक एक नया उपकरण जोड़ा, जो चंद्रमा की सतह पर लेजर पल्स भेजता है. यह वापस उस तक पहुंच जाएगा. तो यह पल-पल हिसाब लगाता है कि यह कितनी तेज़ी से नीचे जा रहा है.

लैंडर में एक कंप्यूटर आवश्यक गति से लैंडिंग का ध्यान रखता है. छठा चरण इसे 60 से 10 मीटर की ऊंचाई पर लाना है. अगला क़दम दस मीटर की ऊंचाई से चंद्रमा पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराना है.
यहां तक कि अगर कोई तकनीकी त्रुटि होती है और लैंडर 100 मीटर प्रति सेकंड की गति से गिरता है, तो भी उपकरण के पैरों को इतना मजबूत बनाया गया है कि वे काम करते रहें. लैंडर को 800 मीटर की ऊंचाई से 10 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचने में साढ़े चार मिनट का समय लगता है.

इस समय चाहे कुछ भी हो जाये, कोई कुछ नहीं कर सकता. लैंडर के सुरक्षित रूप से उतरने के बाद रैंप खुलता है, रोवर प्रज्ञान बाहर आता है और चंद्रमा पर उतरता है, यह लैंडर की तस्वीरें लेता है और उन्हें वापस पृथ्वी पर भेजता है. यह आठवां चरण है. वहां से लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान 14 दिनों तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर शोध करेंगे.
चंद्रयान-2 लैंडिंग के दौरान नाकाम हो गया था, इसलिए ऐसी विफलताओं से बचने के लिए चंद्रयान-3 उन्नत तकनीक से लैस है. ये लैंडर को सुरक्षित लैंडिंग में मदद करते हैं. इनमें लैंडर मॉड्यूल में स्थापित सात मुख्य टेक्नॉलॉजी शामिल हैं.

इनमें सबसे पहले अल्टीमीटर हैं. ये चंद्रयान-3 के उतरने के दौरान उसकी ऊंचाई को नियंत्रित करेंगे. ये लेजर और रेडियो फ्रीक्वेंसी की मदद से काम करते हैं. दूसरा है वेलोसिटी मीटर. ये चंद्रयान-3 की गति को नियंत्रित करते हैं. इसमें लेजर डॉपलर वेलोसिटी मीटर और लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरा शामिल है. ये दोनों चंद्रमा की सतह की तस्वीरें लेते हैं और लगातार उनका निरीक्षण करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लैंडर मॉड्यूल सुरक्षित रूप से उतर सके.

तीसरी टेक्नॉलॉजी यह लैंडर जड़त्व की गणना करने से संबंधित है, यह एक्सेलेरोमीटर के साथ-साथ लेजर जाइरोस्कोप पर आधारित टेक्नॉलॉजी है.

चौथा प्रणोदन प्रणाली है. इसमें अत्याधुनिक 800N थ्रॉटलेबल लिक्विड इंजन, 58N एटीट्यूड थ्रस्टर्स और थ्रॉटलेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स की सुविधा है. ये किसी भी ऊंचाई पर लैंडर मॉड्यूल की गति को नियंत्रित करने के लिए बाक़ी सेंसर से जानकारी प्राप्त करके काम करते हैं.
समस्या उत्पन्न होने पर क्या होगा
चंद्रयान 2 में उत्पन्न हुई तकनीकी त्रुटियों का पूरी तरह से विश्लेषण करने के बाद लैंडर मॉड्यूल में ऐसी व्यवस्था की गई है कि यदि दोबारा ऐसी समस्या आए तो उसका हल निकल आए.

इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा कि जब चंद्रयान-3 उतरेगा, उस वक्त क्षैतिज स्थिति से 90 डिग्री ऊर्ध्वाधर स्थिति प्राप्त करना महत्वपूर्ण होगा और सॉफ्ट लैंडिंग तक उसी स्थिति को बनाए रखना होगा.

सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 लैंडर के इंजन फेल होने या कुछ सेंसर काम नहीं करने की स्थिति में भी सुरक्षित सॉफ्ट लैंडिंग के लिए सभी आवश्यक इंतज़ाम किए गए हैं.

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बीजेपी नेत्री सना खांन मर्डर केस:अमित साहू ने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर की थी हत्या, चार को बयान के लिए बुलाया

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भारतीय जनता पार्टी की नेत्री सना खान की भले ही अभी तक बॉडी ना मिली हो लेकिन मध्य प्रदेश पुलिस के साथ मिलकर महाराष्ट्र पुलिस लगातार हत्यारों की तलाश करते हुए, उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश में जुटी हुई है। महाराष्ट्र पुलिस ने भाजपा नेत्री के हत्या करने के आरोप में उसके पति अमित साहू के अलावा 2 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था।

सोमवार को पुलिस ने चौथे आरोपी धर्मेंद्र यादव को भी गिरफ्तार किया है। पुलिस ने अभी तक सना खान दिया मामले में करीब 10 से अधिक लोगों को चिन्हित किया है। महाराष्ट्र पुलिस ने चार लोगों को नोटिस देकर नागपुर बुलाया है।

भाजपा नेत्री सना खान की हत्या के मामले में 2 राज्यों की पुलिस लगातार ना सिर्फ सना के शव की तलाश में जुटी हुई है. बल्कि इस पूरे केस जुड़े हुए लोगों की भी तलाश करने में जुटी हुई है। पुलिस ने जिस चौथे आरोपी धर्मेंद्र यादव को गिरफ्तार किया है,

उसने सना खान के 3 मोबाइल को ठिकाने लगाने का काम अमित साहू के कहने पर किया था। बताया जा रहा है कि सना खान के मोबाइल में बहुत से सफेदपोश लोगों के नंबर भी सेव थे। अगर पुलिस को सना खान के मोबाइल मिलते हैं तो निश्चित रूप से एक बड़ा खुलासा महाराष्ट्र पुलिस करेगी।

अभी तक की जांच में नागपुर पुलिस ने पाया है कि आरोपी अमित साहू भाजपा नेत्री सना खान को सेक्सटॉर्शन में धकेल कर ना सिर्फ उसके अश्लील वीडियो- फोटो बनाता था बल्कि उसे ब्लैकमेल भी किया करता था।

भाजपा नेत्री सना खान हत्याकांड मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने अभी तक उसके पति अमित साहू के अलावा सहयोगी राजेश सिंह, ढाबे में काम करने वाले नौकर जितेंद्र को गिरफ्तार किया है। पुलिस तीनों ही आरोपियों को रिमांड में लेकर पूछताछ कर रही है। नागपुर पुलिस ने अब सना हत्याकांड मामले में सोमवार को चौथे आरोपी धर्मेंद्र यादव को गिरफ्तार किया है। जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र पुलिस ने 4 अन्य लोगों को भी नोटिस देकर नागपुर बुलाया है। अमित साहू का सहयोगी धर्मेंद्र यादव तिलवारा थाना अंतर्गत शास्त्री नगर में रहता है। पुलिस की जांच में यह सामने आया है कि धर्मेंद्र यादव ने अमित साहू के कहने पर मृतिका सना खान के तीन मोबाइल को ठिकाने लगाया था। पुलिस अब धर्मेंद्र यादव की निशानदेही पर सना खान के मोबाइलों की तलाश में जुटी हुई है।

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गदर 2-OMG 2 ने मिलकर सिर्फ 11 दिन में कमा डाले 500 करोड़

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सनी देओल की ‘गदर 2’ और अक्षय कुमार की ‘OMG 2’ थिएटर्स में लगातार जनता का दिल जीत रही हैं. दोनों फिल्मों का क्रेज ऐसा है कि दूसरे सोमवार को भी बॉक्स ऑफिस पर इनकी मौजूदगी दमदार बनी रही. जहां ‘गदर 2’ ने एक और बड़ा लैंडमार्क आंकड़ा पार किया है, वहीं ‘OMG 2’ भी सॉलिड कमाई कर रही है.

बॉलीवुड फैन्स के लिए थिएटर्स इन दिनों खूब गुलजार हैं. एकसाथ रिलीज हुईं ‘गदर 2’ और ‘OMG 2’ दर्शकों को भरपूर एंटरटेनमेंट दे रही हैं. एक तरफ सनी देओल का तारा सिंह अवतार जनता को तालियां-सीटियां बजाने के भरपूर मौके दे रहा है. वहीं दूसरी तरफ पंकज त्रिपाठी और अक्षय कुमार की जोड़ी लाइट कॉमेडी के साथ एक बहुत जरूरी मैसेज लोगों तक पहुंचा रही है.

‘गदर 2’ का तूफान जारी, अब 400 करोड़ की बारी
सनी देओल की ‘गदर 2’ ने रविवार की रिकॉर्डतोड़ कमाई के बाद सोमवार को एक बार फिर से जानदार कलेक्शन किया. ट्रेड रिपोर्ट्स बताती हैं कि 11वें दिन फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 14 से 15 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया है. दूसरे वीकेंड के बाद ‘गदर 2’ का नेट इंडिया कलेक्शन 375 करोड़ तक पहुंच गया था. अब 11 दिन में फिल्म की कमाई करीब 389 करोड़ रुपये हो चुकी है. 

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श्री शिवम शोरूम में मनोरम एवं झांकी रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया

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कार्यक्रम के मुख्यातिथि प्रमोद पटेल एवं लवली चौकसे ने किया कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन

पूरे भारतवर्ष में स्वतंत्रता दिवस की धूम मची हुई है। पूरे देश में जगह जगह झंडा वंदन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहे हैं ।इसी क्रम में जबलपुर संस्कारधानी के लोगों ने आजादी की 76 वी वर्षगांठ धूमधाम से मनाई, हर उम्र के लोगों में देशभक्ति का जज्बा देखते ही बनता है लोगों ने आजादी के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भारत माता की वीर सपूतों को याद करते हुए अपने आप को गौरवान्वित महसूस किया ।

आज हम आजादी का 77 व स्वतंत्रता दिवस अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे हैं एवं हर घर तिरंगा अभियान को साकार कर रहे हैं । इसी क्रम में श्री शिवम शोरूम के संचालकों द्वारा स्वतंत्र दिवस के अवसर पर मनोरम झांकी तैयार कर एवं श्री शिवम शोरूम के सदस्यों द्वारा रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में डिजिटल भारत अखबार के संचालक, प्रमोद पटेल लिम्का बुक रिकॉर्ड होल्डर डिजिटल भारत न्यूज़, टेम्पटेशन इवेंट संचालक, समाज सेवी श्री प्रमोद पटेल एवं उनकी धर्मपत्नी लवली चौकसे पटेल, व्यवस्थापिका टेम्पटेशन इवेंट पलक तिवारी, डिजिटल डिज़ाइन फाउंडर सीनियर एडिटर डिजिटल भारत न्यूज़ आशुतोष शुक्ला उपस्थित हुए ।



कार्यक्रम के मुख्यातिथि प्रमोद पटेल एवं लवली चौकसे ने किया कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन

लवली चौकसे पटेल जो की एक शिक्षिका भी है । उन्होंने इस कार्यक्रम की जमकर प्रशंसा की बताया, कि श्री शिवम् शो रूम में कार्यरत सदस्यों द्वारा जो प्रस्तुतियां दी गई लग रहा था । किसी सांस्कृतिक या कॉलेज का कार्यक्रम का आयोजन हो जैसे नृत्य , संगीत, झकिया विभिन्य प्रकार की प्रस्तुतियां शोरूम के स्टाफ़ के द्वारा तैयारियां की गई

वही श्री शिवम् के व्यवस्थापक राहुल मिश्रा ने बताया की यह मात्र शोरूम नहीं है। हमारा परिवार हमारा मंदिर है जिस की शुरुआत हम श्री कृष्ण के नाम से कर हम सब सेवा भावना से अपना कार्य करते है। यहाँ हम सभी तीज त्योहार बड़े उत्साह से मानते आगे भी मानते रहेंगे। हम सब को हमारे संचालक एक परिवार की तरह ध्यान रखते है । एवं एक परिवार की तरह ही हम सेवा कार्य करते है।


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