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एक भारत उत्कृष्ट भारत

महिला सशक्तिकरण पर विशेष, सशक्त नारी से ही बनेगा सशक्त समाज

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डिजिटल भारत । जैसा कि आप देख रहे हैं भारत में महिलाओं के लिए बहुत से कानून बने हैं। महिला सुरक्षा के लिए, उनके अधिकारों के लिए, बच्चियों के लिए भी हमारे हिंदू कानून में बहुत से प्रावधान है लेकिन आज के दौर में या तो उन कानूनों को माना नहीं जाता या उन कानूनों को अनदेखा कर दिया जाता है या फिर उन कानूनों पर कोई चलना नहीं चाहता या फिर उन कानूनों का दुरुपयोग किया जाता है।महिलाओं के संदर्भ में यही सब बातें सामने आती है ।
आज भारत में महिला अपराध है या बच्चियों से संबंधित जितने भी मामले आते हैं, उन मामलों में से 75% मामले बनावटी होते हैं और 25 % मामले असली होते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि 30 साल की महिला अगर किसी पुरुष के ऊपर झूठा केस करती है और अगर 3 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म होता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि 3 साल की बच्ची और 30 साल की महिला बराबर है। झूठे मुकदमों को देखते हुए 3 साल की बच्ची के लिए हम न्याय की मांग ना करें यह गलत है।
अगर हम यह सोचे कि महिला अपराध के ऊपर कुछ नए कानून बनाने चाहिए तो क्या निश्चित ही उन कानूनों को भी माना जाएगा। आमतौर पर यह देखा जाता है कि बच्चियों के साथ अगर कुछ गलत होता है तो कई परिवार बदनामी के डर से न्याय के लिए आवाज नहीं उठाते हैं और उस बच्ची की जिंदगी बर्बाद हो जाती है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में यह देखा जाता है कि बच्ची के परिवार वाले पैसा लेकर मामले को दबा देते हैं और उस बच्ची के साथ अन्याय होता है। समाज की आज ये सोच है समाज में बच्ची को बोला जाता है कि तुम तो लड़की हो, कुछ नहीं कर पाओगी। तुम्हारे साथ कुछ गलत हुआ भी है तो उसके लिए अगर तुम आवाज उठाओगी, तो भी तुम्हारी कोई नहीं सुनेगा क्योंकि तुम एक लड़की हो। इन सभी बातों को देखते हुए हमें बच्चियों की सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

बच्चियों को आत्मरक्षा के लिए कुछ गतिविधियां सिखाने की जरूरत है। जैसे मार्शल आर्ट, मुक्केबाजी, जूडो, कराटे ऐसी गतिविधि सिखाने की जरूरत है जैसे मान लीजिए, अगर किसी बच्ची के साथ कहीं पर कोई छेड़खानी करता है तो वह बच्ची कम से कम 5 से 7 मिनट तक वह अपने हाथ पैरों का इस्तेमाल करके स्वयं की सुरक्षा कर सके और वहाँ से भागकर किसी से मदद मांग सके । अब एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह भी उठता है कि क्या महिलाएँ सचमुच में मजबूत बनी है ? क्या देश में महिला सचमुच सुरक्षित है ? क्या उनका लंबे समय का संघर्ष खत्म हो चुका है ? राष्ट्र के विकास में महिलाओं की सच्ची महत्ता और अधिकार के बारे में समाज में जागरुकता लाने के लिए मातृ दिवस, अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस, आदि जैसे कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम सरकार द्वारा लागू किये गये है। लेकिन आज महिलाओं को कई क्षेत्र में अब भी विकास की जरुरत है। अपने देश में उच्च स्तर की लैंगिक असमानता है जहाँ महिलाएँ अपने समाज, परिवार के साथ ही बाहरी समाज से भी बुरे बर्ताव से पीड़ित है। समाज में अपनी ही पहचान बनाने के लिए उनको दर-दर से अपमान का सामना करना पड़ता है।

आज देश में बच्चियों का जागृत होना बहुत जरुरी है, और साथ ही उनकी माँताओ का जागरूक होना बहुत ज़रूरी है! एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है, तभी परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है। भारत में, महिलाओं बच्चियों को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाले उन सभी बुरी सोच दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, कन्या हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वैश्यावृति, मानव तस्करी को मारना जरुरी है । लैंगिक भेदभाव राष्ट्र में सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक अंतर ले आता है जो देश को पीछे की ओर ढ़केलता है। भारत के संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं बच्चियों को सशक्त बनाना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है।

बच्चियों को सशक्त बनाए बगैर हम मानवता को सशक्त नहीं बना सकते। संवेदना, करुणा, वात्सल्य, ममता, प्रेम, विनम्रता, सहनशीलता आदि नारी के वह गुण है, जिससे वह मानवता को निखार और संवारकर उसे मजबूत रूप से सशक्त बना सकती हैं। इसके लिए अति आवश्यक यह है कि महिलाओं का सम्मान हो और हर क्षेत्र में समान भागीदारी हो

. – पूजा ज्योतिषी मण्डला

फ़ोटो परिचय:
लीगल एक्सपर्ट डॉ नूपुर धमीजा
अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया
संस्थापक नारी शक्ति एक नई पहल संस्था
डायरेक्टर जनरल नूपुर लजेलएनयू एंड एसोसिएट्स

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सब्ज़ियों की तुलना में गाजर स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम आहार, जाने इससे होने वाले लाभ

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डिजिटल भारत l सब्ज़ियों की तुलना में गाजर स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम आहार में से एक है गाजर खाने के फायदे जानकर आप गाजर खाना आज से ही शुरू कर देंगे इसमें विटामिन ए, सी, K, पैंटोथेनिक एसिड, फोलेट, पोटेशियम, आयरन, तांबा और मैंगनीज जैसे कई खनिज व विटामिन्स पाए जाते है। प्रतिदिन गाजर का सलाद खाने से या गाज़र का जूस पीने से चेहरे पर चमक आती है। गाजर रक्त की विषाक्ता कम करता है और इसके सेवन से कील-मुहासों से भी छुटकारा मिलता है। मौसम के बदले हुए मिजाज के बीच खुद को फिट एंड हेल्दी रखने के लिए गाजर की कांजी एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है. स्वाद से भरपूर गाजर की कांजी सेहत के लिहाज से बेहद फायदेमंद होती है. शरीर में ठंडक घोलने के साथ ही गाजर की कांजी मौसमी बीमारियों से लड़ने में भी मदद करती है. गाजर की कांजी एक बढ़िया इम्यूनिटी बूस्टर है और ये पाचन को भी दुरुस्त करती है. आपको अगर कम भूख लगती है तो खाने के कुछ वक्त पहले गाजर की कांजी पीना लाभकारी हो सकता है.

गर्मियों में बच्चों के लिए गाजर की कांजी एनर्जी ड्रिंक जैसी रहेगी. आपने अगर कभी गाजर की कांजी नहीं बनाई है तो हमारी बताई रेसिपी आपके काफी काम आ सकती है. बेहद सरलता से आप घर पर ही टेस्टी और हेल्दी गाजर की कांजी तैयार कर सकते हैं.
स्वास्थ्य गुणों की जब भी बात की जाती है तो आँखों के लिए सबसे पहले गाजर का नाम आता है गाजर में मौजूद विटामिन ए आपकी आँखों के लिए कई प्रकार से लाभदायक होता है। गाजर के सेवन से उन लोगों को काफी लाभ होता है जो दूर की चीज़ें नहीं देख पाते, इसके अलावा, गाजर में उपस्थित बीटा कैरोटीन मोतियाबिंद के खिलाफ आँखों की रक्षा करता है
रोज़ाना निरंतर रूप से गाजर का रस पीने से आपके शरीर का खून प्राकृतिक रूप से साफ़ होता है, 2 या 3 गाजर लें और उन्हें ग्राइंड करके उनका रस निकालें। आप इस रस के स्वाद को और भी ज़्यादा बढ़ाने के लिए इसमें थोड़ा सा शहद डाल सकते हैं। अगर आप रोज़ गाजर का रस नहीं पी सकते तो हफ्ते में कम से कम एक बार इसके रस का सेवन करें और अपने शरीर के रक्त को साफ करें
मधुमेह से ग्रस्त लोगो को गाजर की चीनी आसानी से पच जाती है जिससे गाजर खाने का एक और बड़ा फायदा यह होता है कि इससे मधुमेह की समस्या से बचा जा सकता हैं। जब आप गाजरों को रोज़ाना अपने भोजन में शामिल करते हैं तो इससे आपके शरीर में मौजूद इन्सुलिन की मात्रा को बरकरार रखने में मदद मिलती है
गर्मियों में गाजर का रस पीने से, गाजर त्वचा के लिए एक शक्तिशाली प्राकृतिक सूर्य ब्लॉक के रूप में कार्य करती है। यह त्वचा को नम रखने का काम करती है और मुँहासे, पिगमेंटेशन, दाग-धब्बे से त्वचा का बचाव करती है।
इसके अलावा, गाजर त्वचा को स्वस्थ, चमकदार और जीवंत रखने के लिए भी उपयोगी मानी जाती है।

शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से हम कमज़ोर हो जाते हैं और हमें बीमारियां घेर लेती हैं। गाजर आपकी इस समस्या के निदान में काफी सहायक होता है। ये आपकी प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करते हैं और आपको स्वस्थ बनाए रखते हैं

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इन अलग – अलग जगह में इन तरीको से मनाई जाती है होली

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डिजिटल भारत l देशभर में होली का त्यौहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है, सरहदी बाड़मेर में होली दहन से हजारों बरसों पुरानी एक रस्म को निभाया जाता है और इस रस्म में लोग गाजे बाजे के साथ शरीक होते हैं.

सीमांत बाड़मेर जिले में हजारों बरसों पुरानी परंपरा आज भी कायम है. होली के पर्व पर एक ऐसी परंपरा से रूबरू करवा रहे हैं, जोकि काफी रोचक है. दरअसल दूल्हा धूमधाम से अपनी दुल्हन को लेने बारात लेकर गया. मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था. बारात के चौखट पर पहुंचने से पहले ही दुल्हन की मौत हो गई. अपने प्यार को खोने का ऐसा सदमा लगा कि ताउम्र शादी ही नहीं की. यह कहानी है ईलोजी की. सरहदी बाड़मेर में आज भी होली के पर्व पर ईलोजी की पूजा की जाती है और बड़ी ही धूमधाम से ईलोजी की बारात निकाली जाती है.
पश्चिम राजस्थान के सीमांत बाड़मेर जिले में होलिका के मंगेतर ईलोजी को शादी के लिए तैयार किया जाता है. लोग मंगल गान के साथ ईलोजी की मूर्ति के रंग रोगन के साथ उसे तरह तरह के साधनों से सजाते हैं. लोग इस लोक देवता की मूर्ति को अगरबत्ती और दीपक भी करते हैं. दरअसल होली वाले दिन होलिका और ईलोजी की शादी होने वाली थी और होलिका के भाई हिरण्य कश्यप द्वारा भक्त प्रह्लाद को होलिका की गोदी में बैठाकर आग में बैठने के आदेश दिए और उसे आग से नहीं जलने के वरदान के बावजूद होलिका के आग में जल जाने से वह मर गई थी. जिससे ईलोजी की शादी का सपना पूरा नहीं हो पाया.

बेशक बरसाने की लठमार होली विश्वप्रसिद्ध (World Famous) हो, लेकिन राजस्थान (Rajasthan) में होली के विविध रंगों, परंपराओं (Tradition) और रीति-रिवाजों की धाक भी कम नहीं है. यहां ब्रज की प्रसिद्ध लठमार होली है तो आदिवासियों (Tribal) की पत्थरमार और कंकड़मार होली भी. रियासत काल (Princely Period) की शानदार विरासत भी है तो खुश्बू से सराबोर फूलों की होली भी है. मंदिरों (Temples) में दूध-दही के साथ ही, अंचलों में हंसी-ठिठोली वाली कोड़ामार होली भी मरुधरा में देखने को मिलती है.

होली के त्योहार के कई रूप देखने को मिलते हैं. रंगों के साथ फूलों की होली के लेकर खूनी होली खेलकर परंपरा का निर्वहन होता है. आइये जानते हैं कि राजस्थानी रंगों के साथ उमंग और उल्लास के रंगोत्सव को 16 तरीकों से कहां पर और कैसे-कैसे मनाते हैं…

  1. बारां में सहरिया का आठ दिन फूलडोल लोकोत्सव
    बारां जिले के किशनगंज, शाहाबाद, मांगरोल क्षेत्र में सहरिया जाति का आदिवासी नृत्य विदेशों तक में ख्याति प्राप्त कर चुका है. किशनगंज कस्बे में सवा सौ साल से ज्यादा समय से धुलंडी के दिन फूलडोल लोकोत्सव मनाया जाता है. इस लोकोत्सव में वैसे तो कई झांकियां सजाई जाती हैं, लेकिन उनमें सहरिया नृत्य की विशेष भूमिका होती है. सहरिया क्षेत्र के गांवों में आज भी होली के आठ दिन पहले से ही लोग रात-रात भर फाग गाते रहते हैं. चौपालों में ग्रामीण परंपरागत वाद्य यंत्रों के साथ फाग गाते रहते हैं.
  2. बूंदी के नैनवां में मनाया जाता है हडूडा त्योहार
    रंगों का त्योहार हाड़ौती में अलग-अलग तरीके से रियासतकाल से मनाया जाता है. चाहे हम बारां जिले के किशनगंज-शाहाबाद के सहरिया अंचल की लोक परंपरा की बात करें. या फिर बूंदी जिले के नैनवां क्षेत्र में मनाए जाने वाले हडूडा लोकोत्सव की. बूंदी जिले के नैनवां कस्बे में 150 साल से हर साल धुलंडी पर राजा मालदेव व रानी मालदेवकी का विवाह होता है. इस पुरुष प्रधान लोक पर्व में महिलाओं का प्रवेश तक नहीं होता. लोग दो समूहों में बंट जाते है. एक राजा मालदेव की बारात में शामिल होते हैं. वहीं दूसरे रानी मालदेवकी के ब्याह की तैयारियों में जुटते हैं.
  3. सांगोद में न्हाण लोकोत्सव का है विशेष महत्व
    हाड़ौती के ही सांगोद में पांच दिवसीय न्हाण का विशेष महत्व है. रियासत काल से आयोजित होने वाले इस लोकपर्व का आगाज सोरसन स्थित ब्रह्माणी माताजी की सवारी के साथ होता है. इसके बाद पांच दिन तक ज्वलंत मुद्दों, राजनीति पर व्यंग्यात्मक झांकियां सजाकर सवारी निकाली जाती है. इस दौरान कई हैरतअंगेज करतबों का अनूठा प्रदर्शन भी देखने को मिलता है.
  4. डूंगरपुर में अंगारों पर चलने की परंपरा
    वागड़ अंचल में आने वाले डूंगरपुर जिले में सबसे जुदा अंदाज में होली खेली जाती है. वागड़वासियों पर होली का खुमार एक महीने तक रहता है. होली के तहत जिले के कोकापुर गांव में लोग होलिका के दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलने की परंपरा निभाते हैं. मान्यता है कि अंगारों पर चलने से घर में विपदा नहीं आती.

5 .दो सदी पुरानी भीलूडा की खून भरी होली
डूंगरपुर के ही भीलूडा में खूनी होली खेली जाती है. पिछले 200 साल से धुलंडी पर लोग खतरनाक पत्थरमार होली खेलते आ रहे हैं। डूंगरपुरवासी रंगों के स्थान पर पत्थर बरसा कर खून बहाने को शगुन मानते हैं. भारी संख्या में लोग स्थानीय रघुनाथ मंदिर परिसर में एकत्रित होते हैं. फिर दो टोलियों में बंटकर एक दूसरे पर पत्थर बरसाना शुरू कर देते हैं. इसमें कुछ लोगों के पास ढ़ाले भी होती हैं लेकिन हर साल कई लोग इस खेल में गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जाता है.

  1. पंजाब से सटे जिलों में कोड़ामार होली
    पंजाब से सटे श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में कोड़ामार होली की परंपरा है. होली मनाने के इस खास अंदाज में यहां देवर-भाभी के बीच कोड़े वाली होली काफी चर्चित है. होली पर देवर-भाभी को रंगने का प्रयास करते हैं और भाभी-देवर की पीठ पर कोड़े मारती है. इस मौके पर देवर-भाभी से नेग भी मांगते हैं. इसके अलावा ढोल की थाप और डंके की चोट पर जहां महिलाओं की टोली रंग-गुलाल उड़ाती निकलती है. वहीं महिलाओं की मंडली किसी सूती वस्त्र को कोड़े की तरह लपेट कर रंग में भिगोकर इसे मारती हैं तो होली का समां बंध जाता है
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अव्यवस्थाओं की वजह से नागरिकों और सब्जी व्यापारियों को भारी समस्या सिवनी सब्जी मंडी में व्यवस्था बनाने के लिए संघ ने दिया ज्ञापन

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बुधवारी स्थित चिल्लर सब्जी मंडी सिवनी नगर के केंद्र में होने से यहां सिवनी के समस्त नगर वासियों को सुगम रूप से दैनिक आवश्यकता की सब्जी उपलब्ध होती है। किंतु कुछ अव्यवस्थाओं की वजह से नागरिकों और सब्जी व्यापारियों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, अतः सब्जी व्यापारियों एवं ग्राहकों की सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए अपनी मांगे लेकर सब्जी मंडी संघ ने आम आदमी पार्टी के गौरव जायसवाल के नेतृत्व में नगर पालिका अध्यक्ष को ज्ञापन देकर सार्थक चर्चा की। जिसपर त्वरित कार्यवाही करने का आश्वासन नगर पालिका अध्यक्ष श्री शफीक खान द्वारा दिया गया।

सब्जी व्यापारियों की प्रमुख मांगों में मंडी के बाहर से अवैध अतिक्रमण हटाये जाना एक प्रमुख मांग रही, साथ ही सब्जी मंडी की नियमित साफ सफाई, मंडी के अंदर विशेष तौर से महिलाओं के लिए प्रसाधन व्यवस्था शामिल हैं। साथ ही साथ रात में सब्जी मंडी में होने वाले असामाजिक तत्वों के जमावड़े पर भी नगर पालिका अध्यक्ष का ध्यानाकर्षण किया गया एवं वहां पुलिस की गश्ती व्यवस्था बनाए जाने की मांग की गई।

सभी मांगो पर सब्जी मंडी संघ के प्रतिनिधियों एवं नगर पालिका अध्यक्ष के बीच सार्थक चर्चा हुई एवं श्री शफीक खान द्वारा त्वरित कार्यवाही का आश्वासन दिया गया।

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लाडली बहना’ योजना का A टू Z: सालाना इनकम ढाई लाख नहीं तो मिलेंगे हर महीने एक हजार रुपए, 5 मार्च से शुरू होगी योजना

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डिजिटल भारत । मध्यप्रदेश में आधी आबादी यानि महिलाओं को लुभाने के लिए शिवराज सरकार ‘लाडली बहना’ योजना ला रही है। चुनावी साल में इसे बीजेपी सरकार का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। सीएम शिवराज सिंह चौहान इस योजना को अपने जन्मदिन 5 मार्च से शुरू करने जा रहे हैं। जिसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की महिलाओं के खाते में हर महीने एक हजार रुपए दिए जाएंगे। इस योजना से किस वर्ग की किन-किन महिलाओं को लाभ मिलेगा। जानिए ए टू जेड…

पहले जानिए, क्यों पड़ी योजना की जरूरत

NFHS (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे) 5 के अनुसार मध्यप्रदेश की 23% महिलाएं बॉडी मास इंडेक्स में पीछे हैं। सर्वे में 15 से 49 साल उम्र की 54.7% महिलाओं के एनीमिया की शिकार होने का पता चला। जबकि सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा साल 2020-21 में जारी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में श्रम बल सहभागिता दर में ग्रामीण क्षेत्र में 57.7% पुरुषों की हिस्सेदारी है, वहीं महिलाओं की भागीदारी महज 23.3% है। शहरों में 55.9% पुरुष श्रम बल के मुकाबले महिलाओं की भागीदारी मात्र 13.6% है। सर्वे से पता चलता है कि काम के नजरिए से पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की भागीदारी कम है। इस कारण से महिलाएं आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर होने के बजाए पुरुषों पर आश्रित हैं।प्रदेश में 60 साल से ऊपर की उम्र के लिए वृद्धावस्था पेंशन योजना लागू है। इसमें 600 रुपए मिलते हैं। उसमें 400 रुपए जोड़कर 1000 रुपए करेंगे।

ऐसे तैयार होगी हितग्राहियों की लिस्ट

लाडली बहना योजना के फाॅर्म भरने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सभी गांवों और नगरीय क्षेत्रों में सभी वार्डों में एक से ज्यादा जगहों पर माइक्रो प्लान बनाकर कैम्प लगाए जाएंगे। ग्राम पंचायत के सचिव तथा वार्ड प्रभारी हितग्राही महिलाओं के आवेदन ऑनलाइन भरवाएंगे। इससे पहले महिलाओं को पहले से ही प्रपत्र में जानकारी भरकर देनी होगी। ये प्रपत्र ग्राम पंचायतों, वार्ड कार्यालय और आंगनवाड़ी केन्द्रों में उपलब्ध रहेंगे। आवेदन करने की प्रक्रिया फ्री रहेगी।

कौन से दस्तावेज होना जरूरी

आवेदन भरने के लिए महिलाओं को कैम्प में परिवार की समग्र आईडी, स्वयं की समग्र आईडी और खुद का आधार कार्ड लेकर आना होगा। गांव, वार्ड में लगे कैम्प के प्रभारी महिला द्वारा भरे गए आवेदन पत्र के अनुसार पूरी जानकारी ऑनलाइन दर्ज की जाएगी। इसके बाद महिला की ऑन स्पॉट फोटो निकालकर पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। ऑनलाइन आवेदन सब्मिट होने के बाद पावती का प्रिंट आउट भी महिला को दिया जाएगा। आवेदकों की लिस्ट ग्राम पंचायत, वार्ड में चस्पा की जाएगी।

आपत्तियों का ऐसे होगा निराकरण

यदि कोई नाम छूट गया है या गलत जानकारी देकर नाम जुड़ा है, तो आपत्तियों के बाद सुधार किया जा सकेगा। आपत्तियों के लिए ग्राम, वार्ड के प्रभारी को लिखित और 181 पर ऑनलाइन भी आपत्ति दर्ज कराई जा सकेगी।

ग्रामीण क्षेत्रों में आपत्तियों के निराकरण के लिए जनपद पंचायत के सीईओ, उस एरिया के नायब तहसीलदार, महिला बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी की समिति बनाई जाएगी।
नगर परिषद क्षेत्र में आपत्तियों के निराकरण के लिए तहसीलदार, नगर परिषद सीएमओ, महिला बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी की समिति बनाई जाएगी।
नगर निगम क्षेत्र में नगर निगम आयुक्त, शहरी विकास अभिकरण के परियोजना अधिकारी और महिला बाल विकास विभाग के डीपीओ की समिति बनाई जाएगी।
ऐसे होगी आवेदनों की जांच और अंतिम सूची का प्रकाशन

आवेदनों पर आई आपत्तियों की जांच और निराकरण के लिए 15 दिनों में समिति को निर्णय करना होगा। समिति केवल उन्हीं प्रकरणों पर विचार करेगी, जिन आवेदनों पर आपत्तियां आई हैं। इसके अलावा बाकी आवेदनों का राज्य स्तर पर रेंडम सिलेक्शन कर उनकी पात्रता की जांच की जाएगी। आपत्तियों की जांच के बाद अंतिम सूची जारी की जाएगी। पात्र हितग्राहियों को स्वीकृति पत्र भी दिए जाएंगे।

मध्यप्रदेश के आधे महिला वोटरों पर भाजपा की नजर

इस समय मप्र में 2.60 करोड़ से अधिक महिला वोटर हैं। सरकार ने 23 से 60 वर्ष तक की महिलाओं को योजना का लाभ देने की बात की है। सर्वाधिक दो करोड़ महिलाएं इसी आयु वर्ग के बीच आती हैं। पांच एकड़ से कम कृषि भूमि वाले 76 लाख परिवार हैं। इसी तरह 1.10 करोड़ राशन कार्ड धारियों में महिलाएं मुखिया के तौर पर हैं। इनमें किसान परिवार भी शामिल हैं।

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अब खुद ऑनलाइन आवेदन पर पास करा सकेंगे 1129 वर्गफीट तक के नक्शे

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डिजिटल भारत l आवेदक अब खुद आनलाइन आवेदन पर पास करा सकेंगे 1129 वर्गफीट तक के नक्शे
नागरिकों के 105 वर्गमीटर यानी 1129 वर्गफीट तक के आवासीय नक्शे अब आसानी से पास होंगे। उन्हें नगर निगम के न तो चक्कर लगाने पड़ेंगे और न ही आर्किटेक्ट व इंजीनियरों से नक्शा बनवाने के लिए चिरौरी करनी पड़ेगी। आवेदक घर बैठे खुद ही या आनलाइन सेंटर में जाकर आनलाइन आवेदन कर नक्शा पास करा सकेंगे। आवेदकों को सिर्फ आनलाइन बिल्डिंग एप्रूवल सिस्टम (एबीपीएएस-2) के जरिये अावदेन करते हुए शपथ पत्र देना होगा।

पोर्टल पर जाकर आवेदन की प्रक्रिया पूरी करने, निर्धारित शुल्क जमा करना करने व प्लांट संबंधी सभी दस्तावेज आनलाइन जमा करने के बाद 24 से 48 घंटे के भीतर नक्शा स्वीकृति की अनुमति मिल जाएगी। हालांकि दस्तावेज संदिग्ध होने पर नगर निगम का भवन शाखा दस्तावेजों की जांच कर सकता है। दरअसल नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 1129 वर्गफीट तक के प्लाट पर तुरंत बिल्डिंग परमिशन देने के लिए भूमि विकास नियम 2012 में संशोधन को अंतिम रूप दे दिया है। इस संबंध में राजपत्र में प्रकाशन भी कर दिया गया है। जबलपुर में नक्शा पास कराने का पहला आनलाइन आवेदन भी दर्ज हो चुका है।


छोटे प्लाटधारियों को बड़ी राहत-

शासन के इस निर्णय ने छोटे प्लाटधारियों को बड़ी राहत मिलेगी। अभी दो तरह से बिल्डिंग परमिशन जारी होती हैं जिसके तहत मान्यता प्राप्त आर्किटेक्ट या नगर निगम से परमिशन लेनी होती है। आर्किटेक्ट से परमिशन लेने पर फीस के अलावा आर्किटेक्ट की फीस भी चुकानी होती है। 300 वर्गमीटर से ऊपर के प्लाट पर सिर्फ निगम ही परमिशन देता है। नगर निगम में आनलाइन आवेदन के बाद ड्राफ्टसमैन, बाबू, सब इंजीनियर से लेकर सिटी प्लानर तक फाइल जाती है, फिर इसी तरह फाइल वापस आती है। इसके बाद फीस की सूचना जारी होती है। सभी चरणो से गुजरने में कम से कम 25 से 30 दिन लगते हैं। लेकिन इस नए नियम के बाद आवेदकों को खुद आनलाइन प्रक्रिया पूरी करनी होगी और 24 से 48 घंटे के भीतर रसीद मिलते ही भवन निर्माण करा सकेंगे।


इन्हें मिलेगी सुविधा-

टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के लेआउट और नगर निगम की स्वीकृति वाले भूखंड मालिकों को ये सुविधा मिलेगी। मकान बनाने की फीस आनलाइन जमा करना होगा। एक शपत्र-पत्र देना होगा जिसमें नियम अनुसार मकान का निर्माण करने की बात लिखना होगा। इसके बाद फीस जमा करने की रसीद को ही भवन निर्माण की अनुमति मान ली जाएगी। आवेदक सीधे प्लाट पर निर्माण कार्य कर सकेगा। नए नियम का लाभ केवल व्यक्तिगत भूखंड मालिक को ही मिलेगा। ऐसे कालोनाइजर जो भूखंड व भवन विक्रेताओं को स्वीकृति नहीं मिलेगी।
10 बिंदुओं की जानकारी देनी होगी, एबीपीएएस पोर्टल में आनलाइन आवेदन करना होगा, नाम, जोन, क्षेत्र सहित 10 बिंदुओं का पोफार्मा भरना होगा, नगर निगम, टाउन एंउ कंट्री प्लानिंग से स्वीकृति जरूरी होगी, आनलाइन शपथ पत्र भी भरना होगा।

ये फीस चुकानी होगी

300 रुपये परीक्षण शुल्क, 750 रुये स्वीकृत शुल्क, 10 हजार रुपये पानी शुल्क, 5000 रुपये विकास शुल्क, 1 प्रतिशत कर्मकार मंडल, 7000 रुपये लगभग शुल्क जमा करना होगा
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 1129 वर्गफीट तक के प्लाट पर तुरंत बिल्डिंग परमिशन देने के लिए भूमि विकास नियम 2012 में संशोधन को अंतिम रूप दे दिया है। इससे छोटे प्लाटधारी शपथ पत्र देकर भवन निर्माण करा सकेंगे। जबलपुर नगर निगम में भी ये व्यवस्था शुरू की जा रही है।

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इंस्टिट्यूट ऑफ़ कंपनी सैक्रेटरी ऑफ़ इंडिया (आईसीएसआई)का जबलपुर में पहला स्टडी सर्कल का हुआ उद्धघाटन

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डिजिटल भारत l इंस्टिट्यूट ऑफ़ कंपनी सैक्रेटरी ऑफ़ इंडिया (आईसीएसआई)का जबलपुर में पहला स्टडी सर्कल का उद्धघाटन समारोह संपन्न हुआ। जिसमे जबलपुर के महापौर जगत बहादुर अन्नू सिंह उपस्थित रहे और उन्होंने सभी कंपनी सचिवों व छात्रों का मार्गदर्शन किया एवं दिल्ली से मुख्य व्यक्ता के रूप में सीएस देवश गोयल ने कंपनी लॉ के विभिन्न प्रावधनों के विषय में सभी को अवगत कराया।साथ ही सीएस तनवीर सिंह सलूजा और सीएस रौनक अग्रवाल ने इस स्टडी सर्कल की नीव को सभी मेंबर्स और छात्र- छात्राओं के उज्जवल भविष्य व उन्नति के लिए स्थपित किया है।इस कार्यक्रम में शहर व आस-पास के सभी सौ से अधिक सीएस सदस्य व छात्र छात्राएं सम्मिलित हुए।

यह स्टडी सर्कल जबलपुर शहर में कंपनी सचिव के समुदाय की एकता को बढ़ावा देगा एवं सभी कंपनी सचिवों के लिए नियमित रूप से तकनिकी कार्यशलाओं का आयोजन करेगा।यह पहल जबलपुर के कंपनी सचिवों के लिए एक उत्तम प्लेटफार्म के रूप में उभर कर आएगा।जो कि शहर के सभी सीएस सदस्यों और छात्र छात्रओं को नए अवसर प्रदान करेगा।शहर के बिज़नेस और कॉर्पोरेट कंप्लायंस गवर्नेंस की रूपरेखा को कुशल बनाने में कंपनी सचिव की एक एहम भूमिका होती है और कंपनी सचिव का कॉमर्स जगत में बहुत बड़ा योगदान रहा है।

आईसीएसआई स्टडी सर्कल का शुभारंभ हुआ

19 फरवरी को इंस्टिट्यूट ऑफ़ कंपनी सैक्रेटरी ऑफ़ इंडिया (आई सी एस आई ) का जबलपुर मै पहला स्टडी सर्कल का उद्धघाटन सम्हारोह संपन्न हुआ जिसमे जबलपुर के महापौर जगत बहादुर उपस्थित रहे और उन्होंने सभी कंपनी सचिवों व छात्रों का मार्गदर्शन किया और से दिल्ली से मुख्य व्यक्ता के रूप मै सीएस देवश गोयल ने कंपनी लॉ के विभिन्न प्रावधनों के विषय मै सभी को अवगत कराया | जबलपुर के सीएस तनवीर सिंह सलूजा और सीएस रौनक अग्रवाल ने इस स्टडी सर्कल की नीव को जबलपुर के सभी मेंबर्स और छात्र-छात्रओं के उज्जवल भविष्य और उन्नति के लिए स्थपित किया | इस कार्यक्रम मै जबलपुर शहर के व आस पास के सभी शहरो के सौ से अधिक सीएस सदस्य व छात्र छात्राएं सम्मिलित हुए |

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श्रीमद्भागवत कथा सुनने मात्र से ही हो जाता जीव का कल्याण,भेड़ाघाट में आरंभ भागवत कथा का पहला दिन आज

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डिजिटल भारत l श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। यह कल्पवृक्ष के समान है। भागवत कथा ही साक्षात कृष्ण है और जो कृष्ण है, वही साक्षात भागवत है। भागवत कथा भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।
इस संसार में जो भगवान का भजन न कर सके वह सबसे बड़ा भाग्यहीन है। भगवान इस धरती पर बार-बार इसलिए आते हैं ताकि हम कलयुग में उनकी कथाओं का आनंद ले सकें और कथाओं के माध्यम से अपना चित्त शुद्ध कर सकें।
भागवत कथा चुंबक की तरह काम करती है जो मनुष्य के मन को अपनी ओर खींचती है। इसके माध्यम से हमारा मन भगवान से लग जाता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण हो जाता है।
व्यास जी ने जब भगवत प्राप्ति का ग्रंथ लिखा, तब भागवत नाम दिया गया। बाद में इसे श्रीमद्भागवत नाम दिया गया। ऐसे कृष्ण की भगती में लीन होने के लिए भेड़ाघाट में कल कलश यात्रा से श्रीमद भगवत कथा का आयोजन किया गया है कथा हर्ष मैरिज गार्डन रेलवे स्टेशन रोड भेड़ाघाट जबलपुर में आयोजित की जा रही है जिसकी कथा वाचक अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्राची देवी है जिनके मुखारबिंद से कथा सुनाये जाएगी
आज भागवत का पहला दिन जिसमे भगवत के महत्व को बताते हुए भगवत भागती का वर्णन किया जाएगा जिसका लाइव प्रसारण आस्था चैनल 19 फरवरी ( यानि आज से ) पर किया जाएगा इसी के साथ ये यूट्यूब चैनल पर भी लाइव प्रसारण किया जाएगा भागवत के आयोजकों व संयोजक अलोक तिवारी, अतुल तिवारी व शैलेन्द्र तिवारी ने स्थानीये लोगो से अनुरोध करके कहा कि वे अधिक से अधिक संख्या में पधार कर भागवत रस का पान करें इसकी शुरुआत 18 फरवरी को कलश यात्रा से हुई जिसमे 51 कलशो को महिलाओं और कन्न्याओ के सर पे रख कर भेड़ाघाट के शिल्पी नगर से प्रारंभ करके भागवत प्रांगण तक ले जाया गया जिनकी मंत्रो से स्थापना की गई

कथा वाचक पूज्य प्राची देवी ने कथा का महत्व बता कर सभी को कथा सुनने के लिए आमंत्रित किया कथा की 7 दिन की कहा कि विषय सूची इस प्रकार है पहला दिन कथा महत्व व भागवत महिमा, दूसरा दिन श्रीमद्भागवत के विशाल स्वरूप वर्णन, कुंती द्वारा की गई स्तुति, राजा परीक्षित जन्म, सती चरित्र, तीसरा दिन 21 फरवरी जड़भरत कथा, अजामिल कथा, पहलाद कथा, चौथा दिन 22 फरवरी समुद्र मंथन, राजा बलि का प्रसंग, गंगा अवतरण “कृष्ण जन्म”, पांचवा दिन 23 फरवरी भगवान श्री कृष्ण की लीलाएं, गोवर्धन पूजन छप्पन भोग, छटवा दिन 25 फरवरी रास लीला, कंस वध,उद्धव प्रसंग, रुक्मणी विवाह , सातवा व आखरी दिन सुदामा चरित्र, दत्तात्रेय आख्यान, भगवान का गोलोक गमन, परीक्षित मोक्ष, तुलसी वर्षा, व्यास पूजन कथा पूर्ण

हम सब स्वयं अपना निरीक्षण करने के बजाय दूसरों के निरीक्षण में ज्यादा रुचि और ध्यान रखते हैं। याद रखें दूसरों का मूल्यांकन करने वाला सदैव दुखी रहता है। श्रीमद् भागवत केवल कथा नहीं, मन को सुंदर और शुद्ध बनाने का सशक्त माध्यम है। यह ऐसा दर्पण है, जिसमें हमें अपनी कमियां भी दिखाई दे सकती हैं। हम कितने शुद्ध और निर्मल हैं, इसका आकलन करना है तो भागवत की शरण में जरूर बैठे। भागवत आत्म निरीक्षण करना सिखाती है। स्वच्छता बाहर की होती है और पवित्रता अंदर की। हम कितने स्वच्छ और कितने पवित्र हैं, इसका अंदाजा हमें भागवत के श्रवण से ही मिलेगा। राम और कृष्ण इस देश के आधार स्तंभ हैं। इनके बिना भारत भूमि की कल्पना करना भी संभव नहीं है।

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विदेश में पढ़ने का है सपना तो केंद्र सरकार इसे करेगी पूरा, जानें क्या है प्रोसेस : Study Abroad

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डिजिटल भारत l विदेश में पढ़ाई करने वाले उन छात्रों के लिए सुनहरा मौका है, जिन्हें अपने इस सपने को पूरा करने के लिए पैसों की सख्त जरूरत है। दरअसल, केंद्र सरकार की एक ऐसी योजना है, जिस पर अमल कर आप अपना सपना हकीकत में तब्दील कर सकते हैं। जी हां, केंद्र सरकार की सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय विदेश में पढ़ने के लिए छात्रों को स्कॉलरशिप देता है। सबसे जरूरी बात इस स्कॉलरशिप के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू होने वाले हैं।

कल से शुरू होगा रजिस्ट्रेशन

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप (NOS) स्कीम के लिए रजिस्ट्रेशन 15 फरवरी, 2023 से शुरू हो रहा है। NOS एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका उद्देश्य अनुसूचित जातियों, विमुक्त घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों, भूमिहीन कृषि मजदूरों और पारंपरिक कारीगर श्रेणियों से संबंधित कम आय वाले छात्रों को विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करना है। इसके तहत इच्छुक और योग्य उम्मीदवार 31 मार्च तक मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन फॉर्म भर सकते हैं।

क्या है प्रोसेस ?

आधिकारिक नोटिफिकेशन के मुताबिक, “NOS पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन जमा करने के लिए 15-02-2023 से 31-03-2023 (मध्यरात्रि) तक इच्छुक उम्मीदवारों के पास यह रजिस्ट्रेशन कराने का मौका है। सभी इच्छुक उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे आवेदन जमा करने से पहले एनओएस (SC) 2023-24 की स्कीम गाइडलाइन को देखें जो कि पोर्टल पर उपलब्ध है।

किन्हें मिलेगा फायदा ?

NOS केंद्र सरकार की खास स्कीम है, जिसका उद्देश्य अनुसूचित जातियों (SC), विमुक्त घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों (Denotified Nomadic and Semi-Nomadic Tribes), भूमिहीन कृषि मजदूरों और पारंपरिक कारीगर श्रेणियों (Landless Agricultural Labourers and Traditional Artisans category) से संबंधित कम आय वाले छात्रों को विदेशों में हायर एजुकेशन प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करना है।

कौन-कौन से कोर्स के लिए है ये योजना ?

ये स्कीम चुने गए उम्मीदवारों को विदेश में सरकार या अधिकृत निकाय द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों यूनिवर्सिटी में मास्टर स्तर के कोर्स और पीएचडी कोर्स करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। हर साल, 125 योग्य उम्मीदवारों को ये स्कॉलरशिप प्रदान की जाती है। योग्य उम्मीदवार 31 मार्च तक nosmsje.gov.in पर फॉर्म जमा कर सकते हैं।

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भारत में पहाड़ों की रानी मसूरी से वेलेंटाइन डे मनाने की शुरुआत मानी जाती है,जाने क्यों मनाया जाता है वेलेंटाइन डे

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डिजिटल भारत l विदेशों के साथ ही भारत में भी अब वेलेंटाइन डे जोर-शोर से मनाया जाता है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि भारत में वेलेंटाइन डे मनाने की शुरुआत कब हुई थी। नहीं तो हम आपको यह बताने जा रहे हैं।

भारत में पहाड़ों की रानी मसूरी से वेलेंटाइन डे मनाने की शुरुआत मानी जाती है। ‘मसूरी मर्चेंट द इंडियन लैटर्स’ पुस्तक में छपा एक खत इस बात की गवाही देता है। जिससे यह माना जाता है कि देश में वेलेंटाइन की शुरुआत वर्ष 1843 में मसूरी से हुई थी।
शिक्षक ने मसूरी से इंग्लैंड भेजा था पत्र
इंग्लैंड में जन्मे मोगर मांक मसूरी में जॉन मेकेनन के बार्लोगंज स्थित स्कूल में लैटिन भाषा के शिक्षक थे। तब उन्हें एलिजाबेथ लुईन से प्यार हो गया था।
इसके बारे में बताने के लिए उन्‍होंने 14 फरवरी 1843 को अपनी बहन मारग्रेट मांक के नाम इंग्लैंड खत भेजा था।
इस खत में उन्‍होंने लिखा था कि, ‘प्रिय बहन! आज वेलेंटाइन डे के दिन में यह पत्र लिख रहा हूं। मुझे एलिजाबेथ लुईन से प्यार हो गया है। मैं उसके साथ बहुत खुश हूं।’
वर्ष 1849 में मेरठ में निवास के दौरान मोगर मांक का निधन हो गया था। लेकिन उनके इस खत का पता तब चला जब उनके एंड्रयू मारगन ने वर्ष 1828 से 1849 के बीच लिखे गए खतों का जिक्र ‘मसूरी मर्चेंट इंडियंन लैटर्स’ पुस्तक में किया।
तब से इसे देश में पहली बार लिखे गए प्रेम पत्र के रिकार्ड के रूप में माना जाता है और यह भी माना जाता है कि इसी दिन से भारत में वेलेंटाइन डे का आगाज हुआ होगा।
क्‍यों मनाया जाता है वेलेंटाइन डे?
तब रोम में तीसरी सदी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था, जो मानता था कि विवाह करने से पुरुषों की शक्ति व बुद्धि कम हो जाती है। उसने फरमान निकाला कि उसका कोई भी सैनिक या अफसर शादी नहीं करेगा।

संत वेलेंटाइन ने इस आदेश का विरोध किया और उनके आह्वान पर कई सैनिकों व अधिकारियों ने शादी की। जिसका नतीजा यह रहा कि क्लॉडियस ने 14 फरवरी वर्ष 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया। तब से उनकी याद में ‘वेलेंटाइन डे’ मनाया जाता है।
फरवरी के पहले हफ्ते से शुरू होने वाले वैलेंटाइन वीक का भी लोग जोरदार तरीके से स्वागत करते हैं 7 फरवरी को रोज डे पर एक-दूसरे को गुलाब दिये जाते है। वेलेंटाइन वीक के दूसरे दिन यानी 8 फरवरी को प्रपोज डे मनाया जाता है। इसके बाद 9 फरवरी को लवर एक-दूसरे को चॉकलेट गिफ्ट देकर चॉकलेट डे मनाते हैं। फिर 10 फरवरी को टेडी डे की बारी आती है, जिसमें टेडी बियर तोहफे में दिए जाते हैं।

11 फरवरी को प्रॉमिस डे पर प्यार अलग-अलग तरह की कसमें खाई जाती हैं, और वादे किये जाते हैं। जब इतना सब हो जाता है तो इसके बाद एक हग तो बनता है, इसलिए हर साल 12 फरवरी को मनाया जाता है हग डे, और 13 फरवरी को किस डे मनाते है और सबसे आखिर में आता है 14 फरवरी का दिन जिसे वैलेंटाइन डे के तौर पर मनाया जाता है।

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