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आबकारी विभाग ने जबलपुर में बड़ी कार्रवाई की है, विभाग ने 14 दुकानों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किये हैं , विभाग को शिकायत मिली थी की इन दुकानों पर निर्धारित रेट से अधिक कीमत पर शराब बेची जा रही थी। अब इन दुकानों की कलेक्ट्रेट कोर्ट में सुनवाई होगी, सम्भावना जताई जा रही है कि ये दुकानें निलंबित भी हो सकती हैं।शराब माफिया की मुनाफाखोरी की करतूत और खुलेआम मचाई गई लूट का मामला भोपाल में मंत्रालय तक और ग्वालियर में आबकारी आयुक्त तक पहुंच चुका है। जबलपुर में 14 शराब दुकान के खिलाफ आबकारी विभाग ने कार्यवाही करते हुए एमआरपी से अतिरिक्त दर पर शराब बेचने के प्रकरण बनाए हैं।

अब इन प्रकरणों की सुनवाई जबलपुर जिला कलेक्टर के न्यायालय में होगी। यदि कलेक्टर इन्हें दोषी पाते हैं तो इनकी शराब दुकानों के लाइसेंस निलंबित भी किए जा सकते हैं। एमएसपी और एमआरपी विक्रय दर पर सख्ती से पालन हो यह जल्द से जल्द सुनिश्चित किया जाएगा। हर दुकान पर रेट लिस्ट लगना अनिवार्य है। इस नियम का भी पूर्णता पालन करवाया जाएगा। मनमानी कर रहे सिंडिकेट की हरकतों को रोकने के लिए उड़न दस्ते अपना काम करेंगे। जबलपुर में सिंडिकेट बनाकर पिछले 3 सप्ताह से लूट मचा रखी है। उस पर अभी भी मजबूर प्रशासन अपनी विवशता के कारण कोई कार्यवाही नहीं कर पा रहा है। जबलपुर में शराब माफिया सिंडिकेट के द्वारा प्रशासन को ठेंगा दिखाते हुए मनमाने दाम पर एमआरपी के ऊपर शराब बेचने का क्रम अनवरत जारी है।भाजपा विधायक सुशील तिवारी इंदु ने इस मामले में कहा कि  यह सब दिखावे की कार्यवाही है स्थानीय स्तर पर दस्ते में शामिल होने वाले लोगों का याराना सिंडिकेट से पुराना है। मामूली प्रकरण बनाकर दिखावे की कार्यवाही की जाएगी ताकि शराब माफिया और सिंडिकेट के करतूतों पर पर्दा डाला जा सके। शराब माफिया का सिंडिकेट अपनी काली कमाई और मुनाफाखोरी की हरकत को छुपाने के लिए, विरोध से बचने के लिए सरकार को बदनाम करने की साजिश है कर रहा है।

शराब दुकानों पर अधिक मूल्य पर शराब बेचने पर जब उपभोक्ताओं द्वारा सवाल जवाब किए जा रहे हैं तो सिंडिकेट के गुर्गे और शराब ठेकेदार के कर्मचारी यह संदेश दे रहे हैं कि सरकार ने रातों-रात दाम बढ़ा दिए हैं इसलिए शराब महँगी हो गई इसके कारण सरकार की बदनामी हो रही है। जबकि ऐसा कुछ नहीं है और सिंडिकेट ही मनमाने तरीके से लूट मचा के रखे हुए हैं। शराब माफिया द्वारा सिंडिकेट बनाकर की जा रही लूट-खसोट के कारण जिला प्रशासन और सरकार की बहुत बदनामी हो रही है। लेकिन इस मामले में आबकारी अधिकारी की चुप्पी पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।

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