डिजिटल भारत वायु प्रदूषण भारत की राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों के लिए एक गंभीर समस्या बन चुका है। हर साल ठंड के मौसम के आगमन के साथ, दिल्ली और उसके आसपास के शहरों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है। यह बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण लाखों लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर रहा है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार ख़राब हो रहा है और लोगों को सांस लेने में कठिनाइयां, अस्थमा और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इस लेख में हम दिल्ली और एनसीआर (नेशनल कैपिटल रीजन) में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों, इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा करेंगे।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का मौजूदा परिदृश्य:
दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर लगातार खराब होता जा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में 2024 में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 318 तक पहुंच गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है। जबकि जहांगीरपुरी जैसे कुछ क्षेत्रों में AQI 567 तक पहुंच गया, जो कि ‘खतरनाक’ स्तर को दर्शाता है इसके साथ ही, गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे शहरों की स्थिति भी गंभीर है, जहां AQI क्रमशः 257, 252 और 183 दर्ज किया गया
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय पर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में यह स्थिति और भी भयावह हो सकती है।
वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण:
पराली जलाना: दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक पराली जलाना है। हर साल हरियाणा, पंजाब, और उत्तर प्रदेश के किसान अपने खेतों में फसल कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को जलाते हैं, जिससे दिल्ली की हवा में प्रदूषक तत्वों का स्तर काफी बढ़ जाता है। पराली जलाने से निकलने वाला धुआं दिल्ली की हवा को और जहरीला बना देता है। 2024 में, पराली के जलने से दिल्ली के प्रदूषण में लगभग 6.86% योगदान देखा गया
वाहनों से उत्सर्जन: दिल्ली की सड़कों पर वाहनों की संख्या में हर साल इजाफा हो रहा है। अधिक वाहनों का मतलब है अधिक धुआं, जो वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। खासकर डीजल और पेट्रोल चालित वाहनों से निकलने वाले प्रदूषक तत्व हवा में PM 2.5 और PM 10 कणों की मात्रा को बढ़ा देते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होते हैं। IIT कानपुर की रिपोर्ट के अनुसार, वाहनों से होने वाले प्रदूषण का 9.953% हिस्सा दिल्ली की खराब हवा में योगदान करता है
निर्माण गतिविधियाँ और धूल: दिल्ली में बड़े पैमाने पर हो रही निर्माण गतिविधियों से धूल और मिट्टी का उत्सर्जन होता है, जो प्रदूषण को और बढ़ाता है। खुले में निर्माण सामग्री का रखना, सड़कों की मरम्मत, और खुदाई से हवा में धूल के कण बढ़ जाते हैं। इसके अलावा, टूटी-फूटी सड़कों से उड़ने वाली धूल भी वायु गुणवत्ता को खराब करती है
औद्योगिक उत्सर्जन: दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में कई अवैध और अनियंत्रित फैक्ट्रियां चल रही हैं, जो हवा में जहरीली गैसों और धुएं का उत्सर्जन करती हैं। इन फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं वायु गुणवत्ता को और खराब करता है। खासकर लोनी और गाजियाबाद के कुछ हिस्सों में फैक्ट्रियों के प्रदूषण के कारण हवा की गुणवत्ता में गिरावट आई है
जैविक कचरे का जलना: खुले में कचरा जलाने की घटनाएं भी दिल्ली के प्रदूषण को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती हैं। दिल्ली और एनसीआर में खुले में कचरे और जैविक पदार्थों को जलाना एक सामान्य प्रथा है, जो हवा में प्रदूषकों का स्तर बढ़ाती है। यह समस्या सर्दियों के मौसम में और गंभीर हो जाती है, जब हवा की गति धीमी हो जाती है और प्रदूषक हवा में फंस जाते हैं।
वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर प्रभाव:
वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, विशेष रूप से उन लोगों पर जो पहले से ही श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं। निम्नलिखित कुछ मुख्य स्वास्थ्य प्रभाव हैं जो प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से हो सकते हैं:
श्वसन संबंधी समस्याएं: प्रदूषित हवा में PM 2.5 और PM 10 जैसे सूक्ष्म कण होते हैं, जो सीधे फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं और श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं। इससे सांस लेने में तकलीफ, अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है
।हृदय रोग: लंबे समय तक प्रदूषित हवा के संपर्क में रहने से हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। अध्ययन बताते हैं कि वायु प्रदूषण के कारण हृदयाघात और स्ट्रोक जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है।
प्रतिरक्षा तंत्र पर प्रभाव: वायु प्रदूषण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है, जिससे व्यक्ति बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। इससे फेफड़ों में संक्रमण और सांस लेने में कठिनाई होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
कैंसर का खतरा: वायु प्रदूषण में मौजूद हानिकारक रसायन और गैसें, जैसे बेंजीन और अन्य कार्सिनोजेनिक तत्व, कैंसर का कारण बन सकते हैं। विशेष रूप से, वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
वायु प्रदूषण से निपटने के उपाय:
दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। इनमें से कुछ प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं:
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP): दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए GRAP लागू किया गया है। इसके तहत अलग-अलग स्तर के प्रदूषण के अनुसार अलग-अलग कदम उठाए जाते हैं। हाल ही में GRAP का दूसरा चरण लागू किया गया, जिसमें वाहन पार्किंग शुल्क बढ़ाने, इलेक्ट्रिक बसों और मेट्रो सेवाओं को बढ़ाने और निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाने जैसे कदम शामिल हैं
सएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग: सरकार ने सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके तहत डीजल और पेट्रोल चालित वाहनों के उपयोग को सीमित करने और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने की योजना बनाई गई है।निर्माण गतिविधियों पर नियंत्रण: दिल्ली सरकार ने निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर सख्ती बरती है। उन परियोजनाओं पर रोक लगाई गई है, जिनमें धूल शमन उपायों का पालन नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रक उपायों का सख्ती से पालन किया जा रहा है।
कचरा जलाने पर रोक: दिल्ली में खुले में कचरा और जैविक पदार्थों को जलाने पर सख्ती से रोक लगाई गई है। इसके लिए विभिन्न रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों (RWAs) को भी जागरूक किया जा रहा है कि वे सर्दियों के दौरान बायोमास जलाने से बचें और इसके बजाय इलेक्ट्रिक हीटरों का उपयोग करेंदीर्घकालिक समाधान:
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या को स्थायी रूप से हल करने के लिए दीर्घकालिक समाधानों की आवश्यकता है। इनमें से कुछ प्रमुख समाधान निम्नलिखित हैं:
पराली जलाने के विकल्प: पराली जलाने के विकल्पों पर जोर देना आवश्यक है। किसानों को पराली जलाने के बजाय उसे खाद या ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोग करने के तरीकों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। इसके लिए सरकार को किसानों को आर्थिक सहायता और सब्सिडी प्रदान करनी चाहिए।
हरित क्षेत्र और वृक्षारोपण: हरित क्षेत्रों का विस्तार और वृक्षारोपण वायु प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकता है। वृक्ष कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और हवा को स्वच्छ बनाते हैं
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