डिजिटल भारत l पनागर थाना प्रभारी आरके सोनी का कहना है कि जांच शुरू कर दी गई है जांच में जो भी तथ्य सामने जाएंगे, उसके अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी
पनागर क्षेत्र निवासीमें गर्भवती मृतका के शव से श्मशान में पेट चीरकर गर्भस्थ शिशु को निकालने के मामले पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने सख्त रुख रखते हुए घटना की रिपोर्ट मांगी है। महिला आयोग ने मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव को इस संबंध में पत्र लिखा है। जिसमें जांच और कार्रवाई से जुड़ी सारी जानकारी मांगी गई है। आयोग ने प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग ने भी पुलिस को पत्र लिखा है। इधर, पुलिस मामले में जांच जारी करने का दावा कर रही है। जांच में मामले में विभिन्न पहलुओं को पुलिस देख रही है, ताकि घटना के संबंध में अधिक तथ्य जुटाए जा सकें।
पनागर निवासी राधा पटेल का विवाह गोपी पटेल से हुआ था। राधा गर्भवती हुई। उसे आठ माह का गर्भ था, इस दौरान 17 सितंबर 2022 को उसकी मौत हो गई। मायके और ससुराल वाले शव को लेकर मुक्तिधाम आ गए। जहां सफाईकर्मी से राधा के गर्भ को चिरवाया गया और उसमें से गर्भस्थ शिशु को बाहर निकाला गया।
स्वीपर ने पेट पर कई बार ब्लेड चलाई
मां गौरा बाई का कहना है कि ससुरालवालों की सूचना पर हम भी श्मशान घाट पहुंचे थे। वहां शव को अर्थी से अलग रखकर ससुराल पक्ष के लोगों ने स्वीपर को बुलाया। स्वीपर से बेटी के पेट को चिरवाया। इसका VIDEO वहां किसी ने बना लिया। स्वीपर ने एक के बाद एक कई बार पेट में ब्लेड चलाकर शिशु को निकालने का प्रयास किया। शिशु बच्चादानी सहित बाहर आ गया। इसके बाद बच्चादानी को काटकर शिशु को बाहर निकाला गया। बाद में बेटी का अंतिम संस्कार कर दिया, नजदीक ही मृत शिशु के शव को दफना दिया ग
ससुरालवालों की दलील- हिंदू रीति-रिवाज में दाह संस्कार साथ नहीं होता
TI आरके सोनी ने बताया कि मायके और ससुराल पक्ष को थाने बुलाकर पूछताछ की है। ससुरालवालों कहा कि हिंदू रीति-रिवाज में अंतिम संस्कार अलग-अगल होता है, इसीलिए ऐसा किया। अब हम इस मामले में कानूनी सलाह ले रहे हैं। इसके बाद ही FIR दर्ज करेंगे। स्वीपर पर भी केस किया जाएगा।
मां के शव से शिशु को अलग करने की ये मान्यताएं…
गर्भवती महिला की मौत होने से शिशु की भी मौत हो जाती है। ऐसे में महिला के गर्भ से शिशु को निकालकर दोनों का अलग-अलग अंतिम संस्कार किया जाता है। इसके पीछे कुछ धार्मिक मान्यताएं हैं। उज्जैन के पं. राजेश त्रिवेदी के मुताबिक, पुराणों और संहिताओं में जिक्र है कि माता और संतान का अलग-अलग अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए। एक ही चिता पर दोनों का संस्कार नहीं होना चाहिए।
यह भी धार्मिक मान्यता है कि नवजात और छोटे बच्चों के शव को जलाया नहीं जाता है, उन्हें दफनाया जाता है। इसके पीछे कारण है उनका शरीर पूर्ण विकसित नहीं होता। जैसे पूरे दांत नहीं आते हैं और बाल कम होते हैं। एक चिता पर पति और पत्नी का अंतिम संस्कार कुछ मामलों में मान्य है, क्योंकि पति और पत्नी को धार्मिक मान्यताओं में एक ही शरीर के दो हिस्से माना जाता है।