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जब कोई पायलट युद्ध के दौरान दुश्मन देश में गिर जाता है, तो उसे गोली न मारने के पीछे अंतरराष्ट्रीय युद्ध कानून और मानवाधिकार के स्पष्ट नियम होते हैं। इसका कारण यह है कि पायलट या युद्धबंदी (POW) युद्ध के दौरान भी गंभीर मानवीय अधिकारों के तहत सुरक्षा के हकदार होते हैं।
युद्ध अपराध (War Crime) वे गंभीर उल्लंघन होते हैं जो युद्ध के समय मानवता के खिलाफ किए जाते हैं, और जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों — विशेष रूप से जिनेवा कन्वेंशन — का उल्लंघन करते हैं।

जब कोई पायलट फाइटर जेट से ईजेक्ट (eject) होता है यानी इमरजेंसी में विमान से बाहर निकलता है, तब उस पर दुश्मन द्वारा फायर न करने के पीछे कई कानूनी और मानवीय कारण होते हैं:

1. जिनेवा संधि (Geneva Convention) के तहत सुरक्षा
• जिनेवा कन्वेंशन 1949 के अनुसार, यदि कोई पायलट पैराशूट के सहारे नीचे उतर रहा है और युद्ध में भाग नहीं ले रहा है, तो उसे गोली मारना युद्ध अपराध (war crime) माना जाता है।
• ऐसा पायलट “combatant hors de combat” यानी लड़ाई से बाहर माने जाने वाला व्यक्ति होता है।
• जब तक वह हथियार उठाकर फिर से लड़ाई में भाग नहीं लेता, उसे निशाना नहीं बनाया जा सकता।

2. निष्क्रिय सैनिक की स्थिति
• ईजेक्ट होने के बाद पायलट लड़ाई में सक्रिय भाग नहीं ले रहा होता।
• उस समय वह एक असहाय, रक्षाहीन व्यक्ति होता है — ठीक वैसे जैसे घायल सैनिक को मारना अमानवीय और गैरकानूनी होता है।

3. मानवाधिकार और युद्ध के नियम
• अंतरराष्ट्रीय युद्ध कानूनों के अनुसार, कोई भी रक्षाहीन व्यक्ति, जो हथियार नहीं उठा रहा, उस पर हमला करना अपराध है।
• यह नियम युद्ध में भी मानवीयता सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं।

4. एक्सेप्शन (अपवाद)
• यदि पैराशूट से उतरते हुए पायलट फायरिंग कर रहा है या किसी सैन्य गतिविधि में संलग्न है, तब दुश्मन को आत्मरक्षा में जवाब देने की अनुमति होती है।
• जब पायलट ईजेक्ट कर दुश्मन क्षेत्र में गिरता है, तो वह गैर-लड़ाकू (non-combatant) होता है, यानी वह अब युद्ध में सक्रिय रूप से भाग नहीं ले रहा होता।
• इस स्थिति में उसे “hors de combat” (जो युद्ध से बाहर हो चुका है) माना जाता है, और उस पर हमला या गोली मारना अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है।

युद्ध के दौरान किसी पायलट को गोली न मारने के पीछे जिनेवा कन्वेंशन की मानवीय दृष्टिकोण और अंतरराष्ट्रीय युद्ध कानून है, जो यह सुनिश्चित करता है कि युद्ध में भी मानवाधिकारों का उल्लंघन न हो। ऐसा करने से युद्ध की मानवीयता और शांति बनाए रखने में मदद मिलती है।

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