भारत की वैश्विक स्थिति और कूटनीतिक प्रभाव बढ़ा है। यह एक प्रतीक हो सकता है कि भारत की उपस्थिति अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूती से महसूस की जा रही है और देश की “धमक” या प्रभाव बढ़ रहा है।
भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और कूटनीतिक महत्ता को दर्शाती है। एस. जयशंकर का डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में इस तरह से प्रमुख स्थान पर बैठना न केवल भारत की कूटनीतिक सफलता का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक महत्वपूर्ण ताकत के रूप में उभर रहा है।
यह तस्वीर भारत के बदलते कूटनीतिक परिप्रेक्ष्य को भी रेखांकित करती है, जहां देश की आवाज अब महत्वपूर्ण वैश्विक निर्णयों में सुनाई देती है। पीएम मोदी द्वारा भेजे गए विशेष दूत के रूप में एस जयशंकर का उपस्थित होना यह संकेत देता है कि भारत अपने संबंधों को अमेरिका के साथ और भी मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस तस्वीर ने यह संदेश दिया कि भारत अब केवल एक मजबूत आर्थिक और सैन्य शक्ति नहीं है, बल्कि कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। यह तस्वीर न केवल भारत के कूटनीतिक प्रयासों का प्रतिबिंब है, बल्कि यह एक नए भारत की नई वैश्विक पहचान को भी उजागर करती है।
भारत की धमक दिखाती तस्वीर
अमेरिका के लिए भारत कितना अहम है, यह इन तस्वीरों से समझा जा सकता है. शपथ ग्रहण समारोह में भारत के विदेश मंत्री को पहली पंक्ति में ट्रंप के ठीक सामने बिठाना. फिर ट्रंप का मंच से जयशंकर की ओर देखकर सीधे मुखातिब होना. यह दिखाता है कि अब अमेरिका ही नहीं, दुनिया का नजरिया भारत के प्रति बदला है. अब दुनियाभर में भारत की धमक बढ़ी है. जयशंकर ने जो फोटो शेयर की है, उसमें ट्रंप जयशंकर की ओर मुखातिब नजर आते हैं.
भारत की कूटनीतिक परंपरा में यह प्रथा रही है कि वह अन्य देशों के राष्ट्रपति या सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए विशेष दूत भेजता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर का डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेना भी इसी परंपरा का हिस्सा था, जो दर्शाता है कि भारत अपने कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए लगातार सक्रिय है।
भारत की यह परंपरा कूटनीतिक रिश्तों को बढ़ाने और देश के वैश्विक संबंधों को मजबूत करने का एक तरीका है। जैसे कि आपने उल्लेख किया, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, और विदेश राज्य मंत्री पबित्रा मार्गरेटा द्वारा अन्य देशों के शपथ ग्रहण समारोहों में भाग लेना इस बात का प्रमाण है कि भारत अपने रिश्तों को विभिन्न देशों के साथ सशक्त बनाने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठा रहा है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर की उपस्थिति भी भारत की इस कूटनीतिक परंपरा का हिस्सा थी, और यह भारतीय कूटनीति की परिपक्वता और गहरी रणनीतिक सोच को दर्शाता है।