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विश्व जल संकट: 2050 तक वैश्विक जीडीपी में 8% तक गिरावट की संभावना – ग्लोबल कमीशन ऑन द इकोनॉमिक्स ऑफ वॉटर की रिपोर्ट
तिथि: 17 अक्टूबर 2024 मुख्य बिंदु: जलवायु संकट, कमजोर आर्थिक प्रणाली और जल संसाधनों के असफल प्रबंधन ने वैश्विक जल संकट को उत्पन्न किया।
वैश्विक जल संकट खाद्य उत्पादन और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरा बन रहा है।
रिपोर्ट में 2050 तक वैश्विक GDP में 8% तक गिरावट की चेतावनी दी गई है, जबकि कम आय वाले देशों में यह गिरावट 15% तक हो सकती है।
लगभग 3 अरब लोग और आधे से अधिक खाद्य उत्पादन उन क्षेत्रों में हैं, जहां पानी की कमी हो रही है या जल संसाधन खत्म होने के कगार पर हैं।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष: ग्लोबल कमीशन ऑन द इकोनॉमिक्स ऑफ वॉटर द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि पानी की आपूर्ति में कमी का सीधा असर खाद्य सुरक्षा और मानव विकास पर पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन और बढ़ते भूमि उपयोग से वैश्विक जल चक्र असंतुलित हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक दुनिया के आधे से अधिक खाद्य उत्पादन को खतरा हो सकता है, जिससे वैश्विक आर्थिक विकास प्रभावित होगा।
पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट के निदेशक जोहान रॉकस्ट्रॉम ने कहा कि दुनिया की आधी से अधिक आबादी पानी की कमी का सामना कर रही है, और अगर इसे ठीक तरह से प्रबंधित नहीं किया गया, तो इसके विनाशकारी प्रभाव हो सकते हैं।
आर्थिक प्रभाव: रिपोर्ट में बताया गया है कि 2050 तक वैश्विक जीडीपी में 8% तक की कमी आ सकती है। खासकर कम आय वाले देशों में यह प्रभाव अधिक गंभीर होगा, जहां GDP में 15% तक की कमी की संभावना जताई गई है। यह चेतावनी देती है कि जल संकट का प्रभाव केवल पारिस्थितिकी तंत्र तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और खाद्य असुरक्षा भी उत्पन्न करेगा।
अवसर और चुनौतियाँ:
विश्व व्यापार संगठन की महानिदेशक और आयोग की सह-अध्यक्ष नगोज़ी ओकोन्जो-इवेला ने कहा कि यह संकट एक बड़ी त्रासदी है, लेकिन इसके साथ ही पानी के अर्थशास्त्र को बदलने का एक मौका भी प्रदान करता है। हमें पानी का उचित मूल्यांकन और प्रबंधन करना चाहिए, जिससे पानी की उपलब्धता बढ़ाई जा सके और इसके लाभों को पहचाना जा सके।
निष्कर्ष: यह रिपोर्ट वैश्विक जल संकट की गहराई और इसके संभावित परिणामों पर प्रकाश डालती है। जलवायु परिवर्तन और असफल जल प्रबंधन ने दुनिया को ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया है, जहां तात्कालिक कदम न उठाने पर बड़े पैमाने पर आर्थिक और सामाजिक संकट उत्पन्न हो सकते हैं।

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