पटना। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हर बड़े छोटे नेताओं का तकिया कलाम बन गया है कि नीतीश कुमार की एनडीए में नो एंट्री। तो क्या बीजेपी के लिए नीतीश कुमार अप्रासंगिक हो गए हैं? तो क्या जिस नीतीश कुमार से मिल कर लगभग 15 वर्षों तक सत्ता सुख लिया अब नीतीश कुमार में वह क्षमता नहीं रही? क्या सच में नीतीश कुमार बीजेपी के लिए जिताऊ व्यक्तित्व नहीं रहे? क्या विश्वास का सिरा पूरी तरह से छूट गया? क्या बीजेपी अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी अकेले दम पर आगामी चुनाव की रणनीति पर काम कर रही है। ऐसे बहुत सारे प्रश्न उठते हैं जब कभी बीजेपी की तरफ से नीतीश कुमार की नो एंट्री जैसे स्लोगन उभर कर आते हैं।
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के नेता आठवले ने कहा कि महाराष्ट्र में होने वाली विपक्षी एकता की बैठक से नीतीश कुमार दूर रहें। ऐसा लगता है कि बंगलुरु में जो कुछ हुआ वह उससे खुश नहीं हैं। वह उपनाम ‘इंडिया’ से नाखुश थे। राहुल गांधी भारी पड़े और सहमति बन गई। यह दीगर कि नीतीश कुमार ने अपनी तरफ से सफाई दे दी है।